________________ 170 1 . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ सप्तमो ज्योतिषधिकारवर्णनो वक्षस्कारः // .. जंबुदीवे णं भंते ! दीवे कइ चंदा पभासिसु पभासंति पभासिस्संति कइ सूरिश्रा तवइंसु तवेंति तविस्संति केवइया णक्खत्ता जोगं जोइंसु जोअंति जोइस्संति केवइया महग्गहा चारं चरिंसु चरंति चरिस्संति केवइयायो तारागणकोडाकोडीयो सोभं सोभिंसु सोभंति सोभिस्संति ?, गोत्रमा ! दो चंदा पभासिंसु 3 दो सूरिया तवइंसु 3 छप्पराणं णक्खता जोगं जोइंसु 3 छावत्तरं महग्गहसयं चारं चरिंसु 3, 1 / एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई / णव य सया पराणासा तारागणकोडिकोडीणं // 1 // सूत्रं 127 // कइ णं भंते ! सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! एगे चउरासीए मंडलसए पराणत्ते इति 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइग्रं श्रोगाहित्ता केवइया सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे 2 असीयं जोगुणसयं भोगाहित्ता एत्थ णं पराणट्ठी सूरमंडला पराणत्ता 2 / लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइयं श्रोगाहित्ता केवइया सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! लवणे समुद्दे तिरिण तीसे जोपणसए योगाहित्ता एत्थ णं एगूणवीसे सूरमंडलसए पराणत्ते 3 / एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणे अ समुद्दे एगे चुलसीए सूरमंडलसए भवतीतिमक्खायंति 1, 4 // सूत्रं 128 // सव्वभंतरायो णं भंते ! सूरमंडलायो केवइयाए अवाहाए सव्वबाहिरए सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोत्रणसए अबाहाए सब्बबाहिरए सूरमंडले पराणत्ते 2 // सूत्रं 126 // सूरमंडलस्स णं भंते ! सूरमंडलस्स य केवइयं अबाहाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! दो जोषणाई अबाहाए अंतरे पराणते 3 // सूत्रं 130 // सूरमंडले णं भंते ! केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पराणते ?, गोत्रमा ! अडयालीसं एगसटिभाए जोत्रणस्स श्रआयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीसं एगसट्ठिभाए