________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् :: प्रा० 10 प्रा०प्रा० 14-15 / [ 389 व भोम रिसहे सब? रक्खसे चेव // 3 // सूत्रं 47 // दसमस्स पाहुडस्स तेरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-13 // // अथ दशमप्राभते चतुर्दशं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते दिवसा ग्राहियत्ति वइजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पनरस पनरस दिवसा पराणत्ता, तनहा-पडिवादिवसे वितियदिवसे जाव पराणरसे दिवसे 1 / ता एतेसि मां परणरसराहं दिवसाणं पन्नरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोहरो चेव / जसभद्दे य जसोधर सव्वकामसमिद्धेति य // 1 // इंदे मुद्धाभिसित्ते य सोमणस धणंजए य बोद्धव्वे / अत्थसिद्धे अभिजाते अचासणे य सतंजए // 2 // अग्गिवेसे उसमे दिवसाणं नामधेजाई 2 / ता कहं ते रातीमो श्राहिताति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पराणरस राईयो पराणत्तायो, तंजहा-पडिवाराई बिदियाराई जाव पराणरसा राई 3 / ता एतासि णं परामरसराहं राईणं पराणरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-उत्तमा य सुणखत्ता, एलावच्चा जसोधरा। सोमणसा चेव तथा सिरिसंभूता य बोद्धव्वा // 1 // विजया य वेजयंती जयंति अपराजिया य गच्छा य / समाहारा चेव तधा तेया य तहा य अतितेया // 1 // देवाणंदा निरती रयणीणं णामधेजाई 4 // सूत्रं 48 // दसमस्स पाहुडस्स चउद्दसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-14 // // अथ दशमप्राभृते पञ्चदशं प्रामतप्राभृतम् // ता कहं ते तिही श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पराणत्ता, तंजहा-दिवसतिही राईतिही य 1 / ता कहं ते दिवसतिही आहितेति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पसारस 2 दिवसतिही पराणत्ता, तंजहा-शंदे भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स पंचमी पुणरवि णंदे