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________________ 448 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // सू० 4 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पंच वग्गा पन्नत्ता, तंजहा-निरयावलियायो जाव वरिहदसायो, पढमस्म णं भंते वग्गस्स उवंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पन्नता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस निरयावलियाणं दस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-काले 1 सुकाले 2 महाकाले 3 कराहे 4 मुकराहे 5 तहा महाकराहे 6 वीरकराहे 7 य बोद्धव्वे रामकराहे 8 तहेव य पिउसेणकराहे 1 नवमे दसमे महासेणकराहे 10 उ // सू० 5 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाण पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पत्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरी होत्था, रिद्ध, पुन्नभद्दे चेइए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रनो युत्ते चेल्लणाए देवीअत्तए कूणिए नामं राया होत्था, महता, तस्स णं कूणियस्स रन्नो पंउमावई नामं देवी होत्था, सोमाल जाव विहरइ ॥सू०६॥ तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया काली नासं देवी होत्था, सोमाल जाव सुरूवा 1 / तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नामं कुमारे होत्था, सोमाल जाव सुरूवे 2 // सू० 7 // तते णं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दंतीसहस्सेहि तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं अाससहस्सेहिं तिहिं मणुयकोडीहिं गरुलवूहे 1 / एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं योयाए 2 // सू० 8 // तते णं तीसे कालीए देवीएं अन्नदा कदाइ कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु ममं पुत्ते कालकुमारे तिहिं दंतिसह• स्सेहिं जाव थोयाए। से मन्ने किं जतिस्सति ? नो जतिम्सति ? जीविस्सइ ? नो जीविस्सति ? पराजिणिस्सइ ? णो पराजिणिस्सइ ? काले णं कुमारे णं
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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