________________ श्रीमत्पूर्यप्रज्ञप्ति :: स्त्रं प्रा. 16 ] [ 431 ता चंदा य सूरा य एते णं दोवि तुल्ला सम्वत्थोवा णक्खत्ता संखिजगुणा गहा संखिजगुणा तारा संखिजगुणा // सूत्रं 11 // अट्ठारसं पाहुडं समनं॥ // इति अष्टादशं प्राभृतम् // 18 // // अथ चन्द्रसूर्यपरिमाणाख्यं एकोनविंशतितमं प्रामृतम् // ता कति णं चंदिमसूरिया सव्वलोयं श्रोभासंति उज्जोएंति तवेंति पभासेंति आहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो दुवालस पडिवत्तीयो परणत्ताश्रो, तत्थेगे एवमाहंसु ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोयं श्रोभासति उज्जोएति तवेति पभासति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता तिगिण चंदा तिरिण सूरा सब्बलोयं श्रोभासेंति 4 एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु ता पाउट्टि चंदा पाउट्टि सूरा सव्वलोयं श्रोभासेंति उज्जोवेंति तवेंति पगासिंति एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं सत्त चंदा सत्त सूरा 4, दस चंदा दस सूरा 5, बारस चंदा 2,6 बातालीसं चंदा 2, 7 बावत्तरिं चंदा 2, 8 बातालीसं चंदसतं 2, 1 बावत्तरं चंदसयं बावत्तरि सूरसय 10, बायालीयं चंदसहस्सं बातालीसं सूरसहस्सं 11, बावत्तरं चंदसहस्सं बावत्तरं सूरसहस्सं सव्वलोयं श्रोभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासंति, एगे एवमाहंसु 12, 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता अयगणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं, ता जंबुद्दीवे 2 केवतिया चंदा पभासिंसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा ?, केवतिया सूरा तविंसु वा तवेंति वा तविस्संति वा ?, केवतिया णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा ?, केवतिया गहा चारं चरिसुवा चरंति वा चरिस्संतिवा?, केवतिया तारागणकोडिकोडीयो सोभं सोभेसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा ?, ता जंबुद्दीवे 2 दो चंदा पभासेंसु वा 3 दो सूरिया तवइंसु वा 3, छप्पराणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा 3 छावत्तरि गहसतं चारं चरिंसु वा 3 एगं सयसहस्सं तेत्तीसंच