________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः महिद्धिया सूरेहिंतो चंदा महिद्धिया सव्वप्पिद्धिया ताराख्वा सव्वमहिद्विथा चन्दा // सूत्रं 170 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे ताराए श्र ताराए अ केवइए अबाहाए अंतरे पराणत्ते ?, गोमा ! दुविहे अंतरे पराणत्ते, तंजहा-वाघाइए अ निव्वाघाइए श्र, निव्वाघाइए जहराणेणं पंचधणुसयाई उकोसेणं दो गाऊबाई, वाघाइए जहरणेणं दोरिण छावट्ठ जोगणसए उकोसेणं बारस जोश्रणसहस्साई दोगिण अ बायाले जोत्रणसए ताराख्वस्स 2 अबाहाए अंतरे परणत्ते / / सूत्रं 171 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरगणो कइ अग्गमहिसीयो - पण्णत्तायो ?, गोत्रमा ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-चन्दप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तो णं एगमेगाए देवी चत्तारि 2 देवीसहस्साइं परिवारो पराणत्तो, पभू णं तायो एगमेगा देवी अन्नं देवीसहस्सं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए 1 / पहू णं भंते ! चंदे जोइसिदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महयाहय-गट्टगीअवाइन जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, गोमा ! णो इण? समढे 2 / से केणटेणं जाव विहरित्तए ?, गोयमा ! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइअखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहूईयो जिणसकहाश्रो सन्निखित्तायो चिट्ठति तायो णं चंदस्स अण्णेसि च बहूणं देवाण य देवीण य अञ्चणिजायो जाव पज्जुवासणिजायो, से तेण?णं गोयमा ! णो पभू 3 / पभू णं चंदे सभाए सुहम्माए चरहिं सामाणिसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए केवलं परिपारिद्धीए, णो चेव णं मेहुणवत्तियं, विजया 1 वेजयंति 2 जयंती 3 अपराजिया 4 सव्वेसि गहाईणं एयायो अग्गमहिसीयो, छावत्तरस्सवी गहसयस्स एयायो