________________ 42 ] - [भीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः जाव पडिरुवा 2 // सूत्रं 41 // तत्थ णं विणीश्राए रायहाणीए भरहे णामं राया चासरंतचकवट्टी समुष्पजित्था, महया हिमवंतमहंतमलयमंदर जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ 1 / बिइयो गमो रायवराणगस्स इमो तत्थ असंखेज-कलवासंतरेण उप्पजए जसंसी उत्तमे अभिजाए सत्तवीरित्र-परकमगुणे पसत्थ-वराण-सर-सार-संघयण-तणुग-बुद्धिधारण-मेहा-संठाणसीलप्पगई पहाण-गारखच्छायागइए अणेगवयणप्पहाणे तेश्र-श्राउ-बलवीरियजुत्ते श्रझुसिर-घण-णिचित्र-लोह-संकलणाराय-वइर-उसह-संघयणदेहधारी झस 1 जुग 2 भिंगार 3 वद्धमाणग 4 भदासणग (भहमाणग) 5 संख 6 छत्त 7 वीत्रण 8 पडाग 1 चक. 10 णंगल 11 मुसल 12 रह 13 सोत्थित्र 14 अंकुस 15 चंदा 16 इच-१७ अग्गि१८ जूय 11 सागर 20 इंदमय 21 पुहवि 22 पउम 23 कुंजर 24 सीहासण 25 दंड 26 कुम्म २७-गिरिवर 28 तुरगवर 26 वरमउड 30 कुडल 31 णंदावत्त 32 घणु 33 कोत 34 गागर 35 भवणविमाण ३६-अणेग-लक्खण-पसत्य-सुविभत्त-चित्त-करचरणदेसभागे उद्धामुह-लोम-जाल-सुकुमाल-णिद्ध-मउबावत्त-पसत्थ-लोम-विरइत्र-सिरि. वच्छ-च्छगणविउलवच्छे देसखेत्त-सुविभत्तदेहधारी तरुण-रस्सि-बोहिश्र. वरकमल-विबुद्धगम्भवगणे हयपोसण-कोस-सरिणभ-पसत्थ-पिटुंत-णिवलेवे पउमुप्पल-कुद-जाइ-जूहिय-वर-चंपग-णागपुष्फ-सारंग-तुल्लगंधी छत्तीसाहित्र पसत्य-पत्थिवगुणेहिं जुत्ते अब्बोच्छिण्णातपत्ते पाडग-उभयजोगी बिसुद्धणिश्रग कुल गयणपुराणचंदे चंदे इव सोमयाए णयण मणणिव्वईकर अक्खोभे सागरो व थिमिए धणवइब्व भोग-समुदय-सहव्वयाए समरे अपराइए परमविकमगुणे अमरवइ-समाण-सरिसरुवे मणुश्रवई भरइचकवट्टी भरहं मुंजइ पराणटुसत्तू 2 // सूत्रं 42 // तए णं तस्स भरहस्स रराणो श्राणया कयाइ पाउहघरसालाए दिव्वे चकरयणे समुप्पज्जित्था 1 / तए णं