________________ 424 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ ज्योत्स्नालक्षणाख्यं षोडशं प्राभृतम् // ___ता कहं ते दोसिणालक्खणे अाहितेति वदेजा ?, ता चंदलेसादी य दोसिणादी य 1 / दोसिणाई य चंदलेसादी य के अट्ठ किलक्खणे ?, ता एक8 एगलक्खणे 2 / ता सूरलेस्सादी य प्रायवेइ य धातवेति य सूरलेस्सादी य के अट्ठ किंलक्खणे ?, ता एग8 एगलक्खणे 3 / ता अंधकारेति य छायाइ य छायाति य अंधकारेति य के 8 किलक्खणे ?, ता एग? एगलक्खणे 4 // सूत्रं 87 // सोलसमं पाहुडं समत्तं // 16 // . // अथ च्यवनोपपाताख्यं सप्तदशं प्राभृतम् // ता कहं ते चयणोववाता अाहितेति वदेजा?, तत्थ खलु इमायो पणवीसं पङिवत्तीश्रो पराणत्तात्रो, तत्थ एगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया अरणे चयति राणे उववज्जति एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अंणुमुहुत्तमेव चंदिमसूरिया अराणे चयंति अराणे उववज्जति 2 एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव ता एगे पुण एवमाहंसु ता अणुयोसप्पिणी उस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अराणे चयंति धरणे उववज्जंति एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरियाणं देवा महिड्डीया महाजुतीया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगन्धधरा वराभरणधरा अब्बोछित्तिणयट्ठताए काले अराणे चयंति अराणे उववज्जति चयणोववाता अाहितेति वदेजा 2 // सूत्रं 88 // सत्तरसमं पाहुडं समत्तं // 17 // // अथ चन्द्रसूर्याधु चत्वाख्यं अष्टादशं प्राभूतम् // ता कहं ते उच्चत्ते श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमानो पणवीसं पडिवत्तीयो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उड्डे उच्चत्तेणं दिवट्ठ चंदे एगे एवमाहंसु 1 एगे पुण एमाहंसु ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अड्डातिजाइं चंदे एगे एवमाहंसु 2 एगे पुण एवमाहंसु-ता