________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः चिट्ठइ 1 / चत्तारि जोश्रणसहस्साई दुरिण य बावत्तरे जोत्रणसए अट्ठ य इकारसभाए जोश्रणस्स बाहिं गिरिविक्खंभेणं तेरस जोअणसहस्साई पंच य एकारे जोश्रणसए छच्च इकारसभाए जोत्रणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिरिण जोत्रणसहस्साई दुरिण अ बावत्तरे जोअणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खंभेणं दस जोश्रणसहस्साई तिरिण अ अउणापरणे जोश्रणसए तिगिण अ इकारसभाए जोत्रणस्स अंतो गिरिपरिरएणंति 2 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते वरणग्रो किराहे किराहोभासे जाव थासयंति एवं कूडवजा सच्चेव णंदणवणवत्तव्वया भाणियब्वा, तं चेव योगाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सकीसाणाणंति 3 // सूत्रं 106 // कहि णं भंते ! मंदरपव्वए पंडगवणे णाम वणे पराणत्ते ?, गोयमा ! सोमणसवणस्स बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो छत्तीसं जोश्रणसहस्साई उद्धं उप्पइत्ता एस्थ णं मंदरे पव्वए सिहरतले पंडगवणे णामं वणे पराणत्ते, चत्तारि चउणउए जोयणसए चकवालविक्खंभेणं वटै वलयाकारसंठाणसंठिए, जे णं मंदरचूलियं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्टइ तिगिण जोश्रणसहस्साई एगं च बावट्ठ जोगणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं 1 / से णं एगाए पउमवरवेइबाए एगेण य वणसंडेणं जाव किराहे देवा यासयंति 2 / पंडगवणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं मंदरचूलिया णाम चूलिया पराणत्ता चत्तालीसं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं मूले बारस जोत्रणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोगणाई विक्खंभेणं उप्पिं चत्तारि जोशणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगाइं सत्तत्तीसं जोषणाई परिक्खेवेणं मज्झे साइरेगाइं पणवीसं जोषणाई परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाई बारस जोषणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिराणा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंगणसंठिया सव्ववेरुलिश्रामई अच्छा 3 / सा णं एगाए पउमवरवेइअाए जाव संपरिक्खित्ता