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विषयसूची
१-१२
मूल और अनुवाद
करनेका समर्थन, नग्नत्व तथा खड़े होकर
भोजन करनेका समर्थन, केशलंचनका प्रयोजन १ला कल्प
२५-३४ समस्त मतोंके सिद्धान्तोंका विवेचन -
.४था कल्प धर्मविषयक जिज्ञासा,धर्मका स्वरूप, संसार और
मूढ़ताका निषेध - मोक्षके कारण तथा उनका स्वरूप । मुक्तिके
लोकमें प्रचलित मढ़ताएं- सूर्य को अर्घ देना, विषयमें मत-मतान्तर और उनकी समीक्षा
ग्रहणके समय स्नान, संक्रान्तिपर दान, सन्ध्यासैद्धान्तवैशेषिक, ताकिक-वैशेषिक, पाशुपत, कोल, सांख्य, बौद्ध, जैमिनीय, चार्वाक, वेदान्ती,
वन्दन, अग्निपूजा, मकान और शरीरको पूजा,
नदो और.नदमें धर्म मानकर स्नान करना, शून्यवादी बौद्ध, काणाद, ताथागत, कापालिक
वृक्ष, स्तूप और प्रथम ग्रासको नमस्कार करना, तथा अद्वैतवादियोंके मत और उनकी समीक्षा,
पहाड़पर-से गिरना, गौके पृष्ठ भागको नमस्कार जनाभिमत मोक्षका स्वरूप
करना तथा उसका मूत्रपान करना, रत्न, २रा कल्प
सबारी, पृथ्वी, यक्ष, शस्त्र और पहाड़ आदिको आप्तस्वरूप मीमांसा -
पूजा करना इत्यादि मूढ़ताओंके सेवनका सम्यक्त्वका माहात्म्य और स्वरूप, आप्तका
निषेध
३६-३७ लक्षण, अठारह दोष, ब्रह्मा आदिकी आप्तताका श्वाँ कल्प निराकरण, शिवको आप्तताके विषय में विशेष .
शंका बादि दोष सम्यक्त्वकी हानिमें कारण, ऊहापोह और निराकरण तथा तीर्थकरोंकी.
शंकाका स्वरूप, जमदग्नि ऋषिके तपोभंगकी आप्तताका समर्थन
. १३-२५ कथा
३७-४६ ३रा कल्प
६ठाँ कल्प आगमपदार्थपरीक्षा -
जिनदत्त और पनरथकी प्रतिज्ञा निर्वाहकी आप्तको प्रामाणिकतासे आगमकी प्रामाणिकता, कथा
४६-४९ आगमका स्वरूप और विषय, वस्तुका उत्पाद
७वाँ कल्प व्यय-ध्रौव्यात्मक स्वरूप, आत्माका स्वरूप, निशंकित अंगमें प्रसिद्ध अंजनचोरकी जोव और कर्मका सम्बन्ध, जीवके भेद, अजीव कथा
४९-५२ द्रव्य, बन्धका स्वरूप और भेद, मोक्षका लक्षण,
प्वाँ कल्प, बन्ध और मोक्षके कारण, पांच प्रकारका
सम्यक्त्वका कांक्षा नामक दोष और नि:कांक्षित मिथ्यात्व, असंयमका लक्षण, कषायके सोलह
अंगमें प्रसिद्ध अनन्तमतिको कथा भेद, शुभ और अशुभ योग, लोकका नाभि
५२-५७ मत स्वरूप, लोकको वायुके आधार माननेकी ९वाँ कल्प जैन मान्यताका प्रतिपादन, मिथ्यादृष्टियों- सम्यक्त्वका विचिकित्सा नामक दोष और द्वारा जैनमुनियोंमें चार प्रकारके दोषोंका निविचिकित्सा अंगमें प्रसिद्ध उद्दायनकी उपपादन, मुनियोंके स्नान और आचमन न कथा