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कुमारसंभव
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अथते मुनयो दिव्याः प्रेक्ष्य हैमवत पुरम। 6/47
हिमालय की राजधानी को देखकर उन मुनियों ने सोचा। 20. हिमाद्रि :- हिमालय पर्वत।
प्रस्थं हिमाद्रेर्मुगनाभिगन्धि किंचित्ववणात्किन्नरमध्युवास। 1/54 शंकरजी कस्तूरी की गंध में बसी हुई हिमालय की एक सुन्दर चोटी पर जाकर
तप करने लगे। 21. हिमालय :- हिमालय पर्वत।
अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नामनगाधिराजः। 1/1 भारत की उत्तर दिशा में देवता के समान पूजनीय हिमालय नाम का बड़ा भारी पहाड़ है।
अध्वन् 1. अध्वन् :-पुं० [अन्ति गमनेन बलं नाशयति । अद्ः बाहुलकात् क्वनिप्, पृषोदरण्दि
त्वाद्दकारस्य ध:] पथः, काल, मार्ग। येनेदं ध्रियते विश्वं धुर्योतमिवाध्वनि । 6/76 संसार को इस प्रकार से चलाने वाले हैं, जैसे घोड़े मार्ग में रथ को लीक में बाँधे
रहते हैं। 2. पथ :-पुं० [पथति गच्छति अत्र] पथ्+गतौ+अधिकरणे क] पथः, मार्ग।
भुवनालोकानप्रीतिः स्वर्गिभिनानुभूयते। खिलीभूते विमानानां तदापातभयात्पथि।। 2/45 पहले देवता लेग विमानों पर चढ़कर इस लोक से उस लोक में घूमते फिरते थे,
पर अब उसके आक्रमण के डर से आकाश में निकलना भी दूभर हो गया है। 3. मार्ग :-पुं० [मार्यते संस्क्रियते पादेन, मृग्यते गमनायान्विष्यते इति वा] मार्ग
वा मृग्+घञ्] पथ, रास्ता, मार्ग। उद्वे जयत्यङ्गलिपार्फाि भागान्मार्गे शिलीभूतहिमेऽपि यत्र। 1/11 वहाँ की किन्नरियाँ जब जमे हुए हिम के मार्गों पर चलती हैं, तब उनकी ऊँगलियाँ और एड़ियाँ ऐठ जाती हैं। विदन्ति मार्ग नखरन्धमुक्तैर्मुक्ताफलैः केसरिणां किराताः।। 1/6 उन सिंहों के नखों से गिरी हुई गजमुक्ताओं को देखकर ही, यहाँ के किरात पता चला लेते हैं कि सिंह किधर गए हैं।
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