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दफा १२]
हिन्दूलॉ का विस्तार
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(२)जैन--(क) जैनियोंका अगर कोई खास रवाज विरोधी न हो तो उनसे भी हिन्दूलॉ लागू होगा 31 C. 11; 30 I. A. 249; 7 C.W.N. देखो--6 Bom; 895; L. R. 1052;29 B. 316, 11 Bom. L. R7973 3 Indian Cases 809.
आम तौरपर जैन अग्रवाल, जैन पंथका आधार ग्रहण करते हैं-धनराज जौहरमल बनाम सोनी बाई 30 C. W. N. 601. (ख) जिन प्रांतोंमें जैनी रहते हों उस प्रांतके पक्के हिन्दू उत्तराधिकार
के बिषयमें जो हिन्दूला मानते हों वही जैनियोंसे भी लागू होगा।
23 B. 157. (ग) अगर कोई रवाज विरोधी न हो तो अग्रवाल जैनियोंसेभी साधा
रणतः हिन्दूला लागू होता है 1 ( 1910 ) M. W. N. 432433; 14 C. W.N. 545. (P.C.); 6 Indian Cases 272; 7
A. L. J. 349; 12 Bom L. R. 412; 11 C. L. J. 454. (घ) बौद्ध, जैन और सिख, जिस प्रांतमें रहते हों उस प्रांवमें माना जाने
वाला हिन्दूलों उनसे लागू होता है 8 W. R.116; 4 C. 744;1a B. H.C. R. 241, 258; 17C.618; 2 C. W. N. 154; 22 B.416; 23 B. 257; 16 M. 182; 16 B.347, 1 A. 68893
A. 55; 16 A. 379. (३) कच्छी मेमन मुसलमान--जब तक किसी विरोधी रवाजका साफ साफ सुबूत मज़बूत न दिया जाय तबतक दायभाग और उत्तराधिकार के मामलोंमें कच्छी मेमन मुसलमानों से हिन्दूला लागू होता है 14 B. 189; 30 B. 270; 7 Bom. L. R. 447; 5 B. L. R. 1010.
मेमन खान्दान--संयुक्त परिवारके सम्बन्धमें माना जाने वाला हिन्दूलों का अमल नहीं होता। यूसुफ मुहम्मद बनाम अबूबकर इबरा A.I.R. 1925 Sind. 26.
कच्छी मेमन मुश्तस्का खान्दानके अस्तित्व और उसके कायम रखनेके सम्बन्धमें हित्दूलॉ को नहीं मानते केवल इस वाकयेसे कि चन्द खान्दान साथ. साथ रहते और व्यवसाय करते हों, ग्रह नहीं साबित होता कि वे मुश्तरका खान्दान हैं। इस बातके सबूतकी ज़िम्मेदारी, कि उन्होंने हिन्दू मुश्तरका खान्दानके नियमोंको स्वीकार किया, उसपर होती है जो इसे पेश करता है। तुलसीदास केशवदास बनाम फ़क़ीर मोहम्मद 93 1. C. 321.
जैती अग्रवाल-बहुतसे अग्रवाल जैन सम्प्रदायका प्राधार लेते हैं। वे मृतकी आत्माकी मुक्तिके सम्बन्धमें पिण्डोंका देना या श्राद्ध करना या किया कर्म करने में ब्राह्मण प्रणालीके रिवाजोंको नहीं मानते। वे इस बातपर