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उ. गोयमा ! सवेयए होज्जा, नो अवेयए होज्जा ।
प. जड़ सवेयए होज्जा, कि इत्यिवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, पुरिस - नपुंसगवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! नो इत्थिवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, पुरिस - नपुसंगवेयए वा होज्जा ।
प. २. बउसे णं भंते! किं सवेयए होज्जा, अवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! सवेयए होज्जा, नो अवेयए होज्जा ।
प. जइ सवेयए होज्जा, किं इथिवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा इत्यिवेयए या होज्जा, पुरिसवेयए वा होज्जा, पुरिसनपुंसगवेयए या होज्जा ।
३ (क) एवं पडिसेवणाकुसीले वि।
प. ३ (ख) कसायकुसीले णं भंते किं सवेयए होज्जा, अवेयर होज्जा ?
उ. गोवमा ! सवेयए वा होज्जा, अवेयए वा होज्जा
प. जइ अवेयए होज्जा किं उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा उवसंतवेयए या होज्जा, खीणवेयए था होज्जा ।
प. जइ सवेयए होज्जा, कि इत्थवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! तिसु वि होज्जा, जहा बउसो ।
प. ४. नियंठे णं भंते! किं सवेयए होज्जा, अवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! नो सवेयए होज्जा, अवेयर होना ।
प. जइ अवेयए होज्जा, किं उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! उवसंतवेयए या होज्जा, खीणवेयए था होज्जा
प. ५. सिणाए णं भंते! किं सवेयए होज्जा, अवेयए होज्जा ?
उ. गोयमा ! जहा णिवंडे तहा सिणाए वि
वर-नो उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा ।
३. राग - दारं
प. १. पुलाए णं भंते किं सरागे होज्जा, वीयरागे होज्जा ?
उ. गोयमा ! सरागे होज्जा, नो वीयरागे होज्जा,
२-३ एवं जाव कसायकुसीले ।
प. ४. नियंठे णं भंते! किं सरागे होज्जा, वीयरागे होज्जा ?
उ. गोयमा नो सरागे होज्जा, बीयरागे होज्जा ।
प. जइ वीयरागे होज्जा, किं उवसंतकसाय- वीयरागे होज्जा, रवीणकाय बीयरागे होज्जा ?
उ.
प्र.
उ. गौतम ! स्त्री-वेदक नहीं होता है, पुरुष-वेदक होता है या पुरुषनपुंसक वेदक होता है।
प्र. २. भंते ! बकुश क्या सवेदक होता है या अवेदक होता है ?
उ. गौतम! सवेदक होता है, अवेदक नहीं होता है।
प्र.
उ.
प्र.
द्रव्यानुयोग - (२)
गौतम! सवेदक होता है, अवेदक नहीं होता है।
यदि सवेदक होता है तो क्या स्त्री-वेदक होता है, पुरुष- वेदक होता है या पुरुषनपुंसक वेदक होता है?
उ. गौतम ! स्त्री-वेदक भी होता है, पुरुष-वेदक भी होता है और पुरुषनपुंसक वेदक भी होता है।
३ (क) प्रतिसेवनाकुशील के लिए भी इसी प्रकार जानना चाहिए।
प्र. भंते! कषायकुशील क्या सवेदक होता है या अवेदक होता है?
उ.
प्र.
उ.
प्र.
यदि सवेदक होता है तो क्या स्त्री-वेदक होता है, पुरुष-वेदक होता है या पुरुषनपुंसक वेदक होता है ?
उ. गौतम ! उपशान्तवेदक भी होता है और क्षीणवेदक भी होता है।
प्र. यदि सवेदक होता है तो क्या स्त्री-वेदक होता है, पुरुष-वेदक होता है या पुरुषनपुंसक वेदक होता है ?
गौतम ! बकुश के समान तीनों वेद वाले होते हैं।
४. भंते! निर्ग्रन्थ क्या सवेदक होता है या अवेदक होता है ?
गौतम ! सवेदक भी होता है और अवेदक भी होता है।
यदि अवेदक होता है तो क्या उपशान्तवेदक होता है या क्षीणवेदक होता है ?
उ.
प्र.
गौतम ! सवेदक नहीं होता है, अवेदक होता है।
यदि अवेदक होता है तो क्या उपशान्त-वेदक होता है या क्षीण-बेदक होता है?
उ. गौतम ! उपशान्त-वेदक भी होता है और क्षीण-वेदक भी होता है
प्र. ५. भंते ! स्नातक क्या सवेदक होता है या अवेदक होता है ?
उ. गौतम ! निर्ग्रन्थ के समान ही स्नातक का कथन करना चाहिए। विशेष स्नातक उपशान्त वेदक नहीं होता है, किन्तु क्षीण वेदक होता है।
३. राग-द्वार
प्र.
१. भंते! पुलाक क्या सराग होता है या वीतराग होता है ? गौतम ! वह सराग होता है, वीतराग नहीं होता है।
उ.
२-३ इसी प्रकार कषायकुशीत पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. भंते! निर्ग्रन्थ क्या सराग होता है या वीतराग होता है ?
गौतम ! सराग नहीं होता है, वीतराग होता है।
यदि वीतराग होता है तो क्या उपशान्त कषाय वीतराग होता है या क्षीणकषाय वीतराग होता है?