Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TAITIATIVITITIATIRIDIHAITAMIL wwwwwwwwwwwwww wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwAMAMALAMAAAAAAAAAAAMALARAM ची पुकोबार फं. ग्रंथांकः 33 अहम् वृहत्स्तवनावली। - --- जैनाचार्य-जंण् यु" प्रा ना श्रीमान् आग मोझारक श्रीजिनकृपाचंद्रसूरीश्वरजी ___ महाराजसाहेबके सऽपदेशसे-... श्रीजिनदत्तसूरिझान-जमारसंरक्षक. जव्हेरी पानाचंद-नगुनाई. गोपीपुरा, सुरत. मुम्बापुर्या निर्णयसागरमुषणालये मुजिता. वि. सं.१एन्च मूट्य रु. दितीयावृत्ति 2000 wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww LITERALLELLERIAL wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Published by Javeri Panachand Bhagubhai, Gopipura, Surat. Printed by Ramchandra Yesu Shedge, at the 'Nirnaya Sagar' Press, 26-28, Kolbbat Lane, Bombay. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // बृहत्स्तवनावलि अनुक्रमणिका // cocco ग्रंथांक. कर्ता, नाम. पृष्ठ. विषय. 1 अहंतो लगवंत श्लोक जिनपद्मसूरिजी 1 2 श्रीजिनसासन से समस्त उपाध्याय धर्मव० 1 3 रिषनानन वर्ध० सास्व० स्त० जोसमयसुंदरजी 4 / प्रहऊठीप्रनुध्यान असा स्त० पं० मोहनजी 6 ए प्रणमु षनजिने 24 जिल देहमान स्त रंगविनयजी 6 षनदेव प्रणमुं जिन आयु स्त रंगविनयजी 7 नुवनप्रदीपकवीर जीवचारस्त ज्ञानसारजी 10 7 नमस्कार अरि० नवतत्वस्त ज्ञानसारजी 14 ए पनादिक चौ० दमकस्त ज्ञानसारजी १ए 10 मोरासाहिबहो स्तवन ।समयसुंदरजी 23 11 जयजयजिन पा व आसा उधमसिंहजी. 25 12 सशुरुचरणकम० 63 सस्त० मुनि वसताजी 26 13 वर्षमानजिनवर मुहप० स्त लचिवबलगणिजी श्ए 14 वीरसुणो मोरी० स्तवन नासमयसुं० 30 15 पूरमनोरथपास 0 . २४दंगकस्त जाधर्मसिंहजी 35 16 पदपंकजरेप्रणमी वीर रियास्त नालचिवबलजी 36 17 सुमतिजिएंदसु० 14 गुण स्त० जाधर्मसीजी ३ए 10 वंजुमनसुधविद० अढा० स्त० जाधर्मसिंह 43 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2) ग्रंथांक. विषय. कानुं नाम. पृष्ट. १ए नविजनपूजोरे शीतल स्त० क्षमाक० 47 20 सासनपतिचोवी० 41 दोषस्त० रुघनाथजी. 7 21 सिघारथनंदननमुंदशपच्चक्खाणस्तरामचंगणि एश 22 सुण 2 सैजुजगि० जिनजक्तिसूरिजी 55 23 मंगलकमला जामेरुनंदनजी 56 24 श्रीविमलाचल सि० राजसमुज्जी एए 25 सुणजिनवरसै जिनहरषजी 26 सुरमणिसमसहुमं० जिनलालसूरिजी 62 27 पयप्रणमीरे जिनव० चैत्रीपू० नसाधुकीर्तिजी / 2 नंदीसरवावन्नजि जिनचंजसूरिजी 65 शए मारगदेशकमोक्ष देवचंजजी 30 नमोरेनमोसेज जिनहर्षसूरि 31 वाणिब्रह्मावादिनी प्रीतविमल 32 प्रणमुं प्रश्रमजिने 20 लब्धि धर्मवर्धनजी 33 जिनवरश्रीवर्ष 15 पूरव जिनसौनाग्यसूरि 34 सासनदेवीसारदा तिलकतपविजयविमलजी .. 35 वीरजिनेसरनाखि सोलिया 36 वर्तमानचोवीसी० ए६ जिन जिनचंदसूरिजी 37 श्रीमहावीरधर्म० . उपधान नासमसुंदरग 30 जंबूधीपसोहाम पखवासो जोसमय ३ए त्रिन्नुवननायक० 12 मासी विजयविमलजी 40 गोतमस्वामिरेबु० 6 मासी सेवक नए WWWW ט ט ט Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय. . (3) ग्रंथांक.. विषय. कर्ता- नाम., पृष्ठः .41 सासनदेवतसाम० रोहणी श्रीसारजी ... नए 42 चौवीसै श्रीतीर्थ 45 श्रागम शघिसारजी ए३ 43 सिधारथसुतवंदियै 5 समवाय विनयविजयजी एy मोक्षमारगमारो० जे स्त० नासमयसुं० 105 45 थांपरवारिहोजि० सिघाचल कृपाचं सूरिः 102 46 वीसथानकतपसे० 20 थानक केसरिचंदमुनि . 104 47 सेवासंतिजिणंदकी स्तवन जावसागरजी 106 4- नमियपयकमल पंचकट्याछ पुन्यसागरजी 107 पए नेमकीजानवणीनाण्लावणी नवलरामजी 110 50 श्रीअरिहंतअनंत पारणो मुनिमाल 51 मारीबीनतमीअवधारो स्त सी० अगरचंदजी 114 55 जगतमें नवपदजयकारी नवपदलापन वालचंदजी 116 53 गइघटागगनमें का नेमिना० ला पं०कपूरचंदजी११७ 55 आदिकरणादिमजि० केसरियारा०लाग्दीपविज०११७ 55 अगमकुंअगमवाजे लावणी बीसन तेजाकवि 124 56 तोरणथी रथफेरीयो 12 मासो देवचंदजी 17 57 सुखसंपतिदायक धग्घरनीसानी जिनहर्षजी 120 57 तुं मेरे मनमें स्तवन कनककीरतजी 135 एए जिनजी महिरक स्त० जिनचंजसूरिजी 133 60 आजथाचालोस० स्तर जिनचं० 134 61 सेर्बुजरिषनसमोस तीर्थमाला न समयसुं० 135 - 65 चौवीसै जिनवरनमी नवकारस्त० धर्ममंदिरजी. 135 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (4) ग्रंथांक. विषय. कर्तानुं नाम. पृष्ठ. 63 सुखकारणनवियण नवबं० सुरवरशिष्य 137 64 किंकप्पतरुरेअयाण बृधनवकार जिनववनसू० १३ए 65 स्वस्तिश्रीदायकसदा सत्तरसोस्त कपूरचंदजी 141 66 सेनामाताजितारिकम्मपयमीस्त० अवीरचंदजी 143 67 सारदमातनमुंसिर० सांति स्त० गुणसागरजी 145 60 नवियणध्यावोरेवा स्त० जिनकृपाचं० 157 ६ए वर्धमानजिनवंदिये वीजनोस्त जिनकृपा० 147 70 वर्षमानजिनवरनमुं श्राउमनोस्त० जिनकृपा० १४ए 71 समवसरणवैगनंग ग्यारशरोस्त उसमयसुंद० 155 72 प्रणमुश्रीगुरुपाय पांचमनोस्त० ज० समयसुं० 153 73 श्रीइंशतिवसुनू गौतमाष्टक नगदमाकपा०१५५ 74 नमःपार्श्वनाथा० स्तोत्रपार्श्व 156 75 श्रादौनेमिजिनस्तौ स्तोत्र जयतिलकसू० 156 76 परमेष्ठिनमस्कारं आत्मरक्षास्तोत्र 157 77 प्रनुप्रणमुंरेपास थंननापास्त कुशललानजी 157 - नयनि सरसवचनदेसरसति अष्ट धर्मसिंहजी 165 पए सरसतिमाताजगतविण्दादाजीनीसानी दोलतजति 165 60 स्वस्तिश्रीमंगलकर० इग्यारसस्त जिनकृपा० 176 1 अरिहंतादिक पद नवपदबृहस्त जिनकृपाचं० १६ए 2 वीरजिनेसरअलवे० पानसरमहावीस्त जिनकृपा० 172 73 सिद्धारथकुलदिन पंचमीबृहत् स्त० जिनकृपाचं० 173 04 वर्षमानजिनचंदकुं दीवालिबृण्स्त जिनकृपाचं० 177 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (5) ग्रंथांक. विषय. कानुं नाम. पृष्ठ. 5 श्रुतश्रतिहिजसो ज्ञान स्तम् उक्षमाकट्या० 170 76 मेरे मन मानी ज्ञान ज्ञान स्तन वालचंदजी 171 77 थांपरवारिहोजि स्त० जिनकृपाचंदसू०१०१ श्रीरिषनजिनेसर० स्त० जिनकृपाचं० 15 नए वांदिवीरजिनेसर समेतसिखरसरा वालचंदजी 173 ए. झषनप्रमुख जिण मुनिमालिका चारित्रसंघजी १ए। ए१ वेकरजोमीवीनकुंजी आलोयणस्त उसमयसुं० १एन ए सकलसिधिदायक आलोयणबृहत् स्त विनयविजय 201 ए३ स्वामीरिसहेसरु केसरियाजीस्त जिनकृपाचं० 200 ए। दरसणकीयोआ केस स्त जिनकृपाचं० २०ए एए श्रीरिषनजिनेसर केसरि स्त० जिनकृपाचंद० २०ए ए६ श्रीसंनवजिनराया स्त० जिनकृपाचं० 210 ए थांपरवारिहोजि० श्रीधुस्त जिनकृपाचं० 210 एन सुणोजी जिन करेमापास्त जि० कृपा० 211 एए श्रीअजितनाथज० स्त जिनकृपाचं० 212 100 सांतिजिनंदनेसेवोरे स्त जिनकृपा० 215 101 सुनोशिवपुरस्वामी स्त० जिनकृपाचं० 213 105 वीरजिनेंददिणेद अमाहिस्त जिनकृपा० 14 103 सिधारथकुलदिन कल्याणकस्त जिनकृपा० 17 104 स्वस्तिश्रीसंपदकरणसत्तावीसनवस्त जिनकृपा० 223 105 श्रादिजिणेन्ददिनेंदस तेरलवस्त जिनकृपा० 227 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (6) ग्रंथांक. विषय. कर्त्तानुं नाम. पृष्ठः 106 सहियरवीरप्रनुनोजन्मो० पालणो जिनकृपा 233 107 वीरजिनेसर पजुसणथुश् जिनकृपा० 134 100 पर्वपजुसणपुन्ये पजुसणस्त कृपाचंद० 235 १.ए वर्षमानजिनवरनमी रोहिणीस्त जिनकृपा 36 110 स्वस्तिश्रीसुखसंपदा पूनिमबृहत्स्त जिनकृपा० 255 111 जयकारिजिनराज नाकोमा पार्श्वजि० स्त० / जिनचंदसूरि 247 115 अपनेघरबेगलीलकरोनाकोमा पा स्त उसमयसुंदर 021 113 नाकोमापारसप्रन्नुधापनाकोमाण्लावणी जिनकृपाश्च 115 श्रीचिंतामणिपासजी नाकोमास्त जिनकृपा० २४ए 115 श्रीचिंतामणिपासजी लोज्वपुर०स्त जिनकृपा० 250 116 यात्रिमालाश्री सिद्धा० स्त जिनकृपा० 251 117 नेमिजिनेंददयालरे स्त जिनकृपाचंद० 252 11 वीरजिनेसरसांजलोरे जसरस्त० जिनकृपा० 253 ११ए जीवनमहारातेवीसमा० स्त जिनकृपा 254 120 श्रीचंप्रनुसाहिबा स्त० जिनकृपा० 255 121 श्रीश्रादिजिनेसर नेटियाण्ाबूस्त जिनकृपा० 255 122 आजआनंदघनऊमध्यो स्त० श्रीजिनलानसू०२५६ 123 दीगलोयणीगांममकारा स्त० जिनकृपा० 257 124 जीवनमारातेवीसमाजिणचंद लोज स्त० जिनकृ० 257 125 जगगुरुश्रीसंखेसरममण पास जिन स्त जिनकृ० 257 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथांक. . . _ विषय. कानुं नाम. पृष्ठ. 156 लवियालावधरिने : लेटोजगवाननेरे जामन स्त० जिनकृ० 160 127 धर्मजिनेसरजगधणी जामनगर स्तजिनकृपा० 261 127 श्रीसिघाचलनेटोरेन स्त जिनकृपा० 261 १२ए जेसलमेरनगरललो पोषह स्त० समयसुंदरजी 162 130. चांदलीयासंदेसो . जिनवरने सीमंधर स्त० जिनहर्ष 26 // 131. श्रीअश्मत्तामुनिवरजूके स० क्षमाकट्या २६ए 132 चंपानगरी अति-लली करकंमुस समयसुं० २६ए 133 नरतजीमनमेंहीवैरागी स० कनककीरत० 270 134 जलजलतिमिलतीघणीरे सीतास जिनहर्ष० 270 135 दमकानां हिलरोसा उपदेशसा सुविहितसाधु 271 136 बाहूबालिचारित्र लियोरे स० विमलकीरति 272 137 प्रवचनश्रमरीसमरीसदा सचित्त अचित्त स० नवविमल 273 130 सकलदेवसमरीअरिहंत १ए काउसग्गदो स” 276 १३ए त्रिसलानंदन प्रणमीये 9 नारकीनीढा मुक्तिक० 277 14 श्रीगोतमस्वामी पुजाकरे सिम्पदवर्णन नय० 141 पहिलोअंगसुहामणोरे 1 अंगस० विनयचंदजी 205 152 बीजोरेअंगतुमेसांजलो 2 अंगस " 26 153 त्रीजोअंगनलोकह्योरे 3 अंस" 27 154 चोथोसमयायांगसुणो 4 अं० स०"... 27 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय. नए एच ग्रंथांक. कर्त्तानुं नाम. पृष्ठ. 155 पंचमअंगेजगवतीजाणियेरे 5 अं० स०" 156 बजे अंगते ज्ञातासूत्रव० 6 अं० स० " 147 हिवैसातमो अंगतेसांजलो 7 अं० स.” शए१ 150 आठमो अंग अंतगमदशाजी 70 स०" शए१ १४ए नवमो अंग अणुत्तरोवाई ए अं स. " शएश 150 दशमो अंगसुरंगसुहावे 10 अं० स." शए३ 151 सुणोरेविपाकश्रुतअंगग्यारमो 11 अंस,, ए३ 152 अंगग्यारै थुण्यांसहिलीए कलश विनय 153 ढंढणरिषिजीनेवंदना जनहषजा शए 154 श्रीजिनवाणिरेधन्ना शए 155 देवदाणवतीर्थकरगणधर कर्मस० शधिहर्ष शए 156 सातविसननीरेसंगतमतकरो स० धर्मसी एए 157 वीरवांदीवलताथका चेलणास उसमयसुं० 300 158 नूलोमननमराकांइनमै वैराग्यस. महमंद १५ए राजतणाअतिलोनिया बाहूबलिस० ज० समय 301 160 अरणकमुनिवरचाट्यागोचरी स० ,, 161 नामश्लापुत्रजाणिये स० 303 162 वीरजिनंदसमोसस्याजी मेघकुण्स० पूनो 303 163 श्रावणकातिमिगसरमास असिझाइस हीर 3.5 165 जिनशासनरेसूधी सरदहिणा० 22 अनदस लदमीरत्नसूरि 306 169 संवेगरंगमेकीलता गजसुकमालस०श्रीजिनराजसू३०७ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310 س (ए) ग्रंथांक. विषय. कत्तानुं नाम. पृष्ठ. 266 राजमीरलियामणो प्रश्नचंदस रिहर्ष 307 167 धर्ममंगलमहिमानिलो दशवैकालिक पहिलेअध्यायनस जैतसीजी ३०ए 167 दीक्षादोहिली श्रादरीजी 2 अध्य स जैतसीजी 310 १६ए सूधासाधुनिग्रंथ 3 अध्याय सम्" 170 महावीरनाख्योम अध्ययन " 311 171 पंचमर्पिमेषण अज्जयणे 5 अध्ययनस " 172 वैरागीनिरागीहोसूधासाधुजी 6 अध्यास." 313 173 साधुबूकोरे नाषासमति विचार 7 अध्य० स० " 314 174 जिनवर गणधरमुनिवरनें कहेरे अध्य० स० " 315 १७ए श्रोलगमी करियेगीतारथगुरुतणीरे एअध्यास."३१६ 176 अरिहंतवचनेदीक्षा श्रादरीजी 10 अध्य० स०" 316 177 दसवैकालिकसूत्र सुहामणोरे कलस" 317 170 नयरीकपिलानो धणीरे घिमुख प्र० स० उ० समय सुंदरगणि 317 १७ए नयरसुदरसणराय नमीप्रत्येण स " ३१ए 170 पुंडूवर्धनराजीयो नग्गतिप्र० स० " ३१ए 101 क्रोधमकरसो नोखा प्राणिया क्रोध स० श्रीजिनकृपाचंजसूरि 320 12 मानवनवपामीकरीजी मानस जिनकृपा० 31 103 मायाविषवेली० मायास जिनकृपा० 31 184 खोजतजोजविप्राणिया० स० जिनकृपा० 325 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक. mr Mr 3 mmm m (10) विषय. . कानुं नाम. 105 हारेमारेदीवालीदिनआयो स० जिनकृपा 16 सखिपर्वपजुसनाव्या० स० जिनकृपा 17 शषनचरणकजध्यावो रांदेरप्रस्तजिनकृपा० 324 17 वासुपुज्यजिनअंतरजामी बीजनीथु जिनकृपा 325 १-ए वीर जिनेसरजगअसवेरपर्युषण शु० जिनकृपा 326 १ए- बींकसकुननोकहुं विचार० स०. बींकनी 326 151 सासनसामीरे निरमल जैमत्तासन्नन्दमाकल्या० 327 192 मायाकारमीरेमायामकरो० स०. उसमयसुंदरजी 330 173 सांतलरेतुंप्राणिया सशुरुङ समकितस जिनहर्ष 331 १ए। धुरिप्रणमुंजिनवरचोवीश समकित स० 336 १एए सुगुरुपिगणोश्णेश्राकारे सु० 25 स० जिनहर्ष 33 // 196 स्वारथकीसबहैरेसगाइ० स० ज० समयसुंग 341 १ए हिवराणी पदमाववी जीवराशस० ज० सम० 341 १ए श्रीमहावीरजिनेसरु शूलिनसण्ज दमाक. 344 १एए अष्टप्रवचनमातासशायदोहा पं0 देवचंजजी 345 200 प्रथमअहिंसकत्रततणी र्यासमिति स० देव० 345 201 साधुजीसमतिबीजी आदरो नापास० देवचं० 346 205 समतितीसरीएषणाजी स० देवचंदजी 340 203 समतिचोथीरेचजगतिवारणी स० देवचंदजी ३४ए 204 पांचमीसमतिकही अतिसुंदरुरे स० देवचं० 350 २०ए मुनिमनवसकरोरे मनगुप्ति स० देव० 355 206 वचनगुप्तिसूधीधरो वचनगुप्ति स० देवचंदजी 353 207 गुप्तिसंन्नारोरे त्रीजीमुनिवर कायगुणस देव० 355 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) ग्रंथांक. विषय. कानुं नाम. पृष्ट. 207 धर्मधुरंधरमुनिवरसुलही साधुस्वरुपवर्ण 0 स० देव० 354 २०ए तेतरियाना तेतरिया कलस देवचंदजी 356 10 स्वस्तिश्रीमंदिरपरम पंचनावनास देव० 357 11 गिरिवैतान्यनिऊपरे प्रनंजनासौतीस देव० 365 12 सिचक्रफलदाखव्योजी नवपदस जि कृ० चं० 370 213 बीज आराधोलविजनाजी बीजनीस" 371 14 सुगुरु चरण प्रणमीकरीजी पांचमस" 375 215 श्रावमतपसेवोनविशुनमनेजी आउमस० " 373 16 श्यारसबाराधियेग्यारसस जि० कृ चं० सू० 373 217 सुगुरुचरणप्रणमीकरीजी पूनमस." 374 217 सरसतिसामणीसमरीने अाहिस. " 375 १ए पर्वपजुषण आवियारे स० " 376 220 पर्वपजुषण आव्यासजनी स० " 377 21 पाससोनागीहो जिनजी पर्यु बीजनीस." 377 222 श्रादीसरअलवेसरनेनमीरे तीजनीस " 370 223 सशुरुह्मारारे मोहनगारारे दादासाहिवस " ३७ए 24 अरिहंतदेवनेनमनकरीने अनेरास" 225 चंपानगरीजगमांदीपतीरे रोहणी स" 256 जंबुदीपसोहामणोरे जंबुधीपस० " 33 शुश्संग्रह 27 श्रादीसरअलवेसर वीसस्थानक थु" 303 120 नेमी जिनेसरजगपरमेसर पंचमी शु०" 34 G 302 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- _ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहं // // अहंतो ज्ञानलाजः सुरवरमहिताः सिधिसौधस्थसिद्धाः पंचाचारप्रवीणाः प्रगुणगणधराः पाठकाश्चागमानां // लोके लोकेशवंद्याः सकलयतिवराः साधुधर्मानिलीनाः पंचाप्यते सदाप्ता जगति यशसा ते धवलिते, पयःपारावारं करिवरमनौमं कुलिशनृत् // कपर्दी कैलासं सुरवरः सुधां च मृगयते, कलानाथं राहुः कमलनवनो हंसमधुना // 2 // __ सूझसे सूक्ष्म जो गुणसंघात है उसके ग्रहणकरनेमें विचक्षण उर रत्नोंकी खाण समान अहो सङनों सर्व आपलोक सावधान होकर श्रवणकरो, कि इस बृहत्स्तवनावलिनामक अत्युत्तम ग्रन्थमें सर्वत्र पृथवीमंमल में (याने) सर्वसुनियामें बहुत प्रतिष्ठाको प्राप्त करनेवाले, अत एव बहुत बमी है कीर्तिजिणोंकी, और विधानोंमें शिरोमणि ऐसे अनेक गीतार्थोंके रचे दुवे, और बहु बहुतर बोधके देनेवाले, और अत्यंत सुगम प्राचीन ( याने ) जूने जूने बड़े बड़े बहुत स्तवनोंका तथा सिझायोंका संग्रह इस ग्रंथमे है,इस सिवाय और जी बहुत संग्रह है, इसवास्ते हे गुणरागिसक्रानो, आपलोक इस ग्रंथकुं पढके (याने) कंठस्थ करके निर्मल ज्ञानके लजनेवाले होवो, और इस पुस्तककी प्रश्रमावृत्ति उपवाने में युगप्रवरागम श्री श्री 107 श्री श्रीमजि. नकृपाचंजसूरीश्वरजीके स्वहस्तदीक्षिता शिष्या आर्या श्रीमती सौलागश्रीकी शिष्या श्रीमती महिमाश्री तथा श्रीमती जवरश्रीके बृ० स्त० * Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2) समुपदेशसें श्रेष्ठ है नाम जिसका, और सद्गुणोंकी रागवाली श्रीसुरतशहरमें रहनेवाली श्रीमती सुश्राविका श्रीकमलाबाईका दियाहुया आर्थिक सहायकरके औरली जामनगरमें रहनेवाली दीक्षाग्रहणकरनेवाली श्रीमती जमावबाईका दियाहुवा आर्थिसहायकरके श्रीजैनप्राचीनपुस्तकोघारफंके धारा उपवागश्थी, परन्तु इस ग्रन्थकी प्रथमावृत्तिकी सर्व नकलों शीघ्रतापूर्वक निकलजानेसें और फिरली विशेष इस ग्रंथकी मांगणी होनेसे, अत्यावश्यकता समजकर दितीयावृत्तिमें श्रीजैनप्राचीनपुस्तकोझार फंमके कार्यवाहकोंने उपवायके प्रगट कियाहै, औरती स्तवनादिक विशेषकरके वृद्धि इस ग्रंथमे किगइहै, इसलिये इस ग्रंथका महत् प्रमाण होनेसें अव्यव्यय जादा लगणेसें किमतकरके इस ग्रंथकुं अलंकृत कियाहै, और इस ग्रन्थके दितीयावृत्तिमें सहाय देकर ज्ञानलक्तिका लान लियाहै, उनोंके उपकारको हम अनुमोदन करतेहैं तथाहि-जं / यु / प्र / न / श्रीमजिनकृपाचन्त्रसूरीश्वरजीके समुपदेशसें मरुधरदेश निवासी श्रीबालोत्तरासहरके श्रीसंघके तर्फसें रुपिया 500 दीयेहैं, सुंदरवाइ इंदोरनूतपूर्वनिवासिनीने रु. 150 और मुनिश्रीविवेकसागरजीके समुपदेशसें 75 रुपिया श्रावकोने लेजेहैं, और इस ग्रंश्रकी मूलकाफी विक्रयके अंदाज रुपिया 550 से हैं और इस बृहत्स्तवनावलिकी दितीयावृत्तिमें कुल खर्च रु० 2750 अंदाज लगऐंका संजव है शेष श्रीसंघसहायतार्थ ज्ञाननत्यर्थ अर्पणकर लाल खेनेका संलवहै Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औरजी सुणो इस ग्रन्थके अत्यन्त मनोहर होनेपरली प्रमाद और विस्मृतिकरके जो प्रथमावृत्तिमें क्रम उलंघन हूवा था, वह नी इसन्तिीयावृत्तिमें सुधारा गयाहै, औरली इसमे विशेष संग्रहकरके इस ग्रन्थको पहिली श्रावृत्ति विशेष रोचक बनाया गयाहै, और इस ग्रन्थके घुफादिकदेखनेका परिश्रम शास्त्रविशारदजैनाचार्यश्रीमजिनकृपाचन्प्रसूरीश्वरजीमहाराज साहबने उगयाहै, सो उनोंका आजारी हैं, तथा इस बृहत्स्तवनावलीकी प्रथमावृत्तिको श्रीसंघने जेसा अपने पढनेकु ग्रहणकर दूसरी श्रावृत्ति उपानेका हमारा उत्साह बढाया सो हम श्रीसंघके नी आनारीहैं और आशा रखते हैं कि जिस तोरसें प्रथमावृत्तिको अपनाया उसीतरह इस दितीयावृत्तिकोनी अपनाकर तृतीया वृत्ति उपानेका उत्साह बढावेगें और अपणे आत्माका कल्याण करेंगे और इस ग्रन्थकी पहिली आवृत्ति केवल 500 पीश्री सो शीघ्र खलास होणेसें और कश्श्रावकोंकी जादा मांगणी होणेसें द्वितीयावृत्ति 2 हजार नकल उपाणी पमीहै, औरनी इस ग्रन्थमें दृष्टिदोषसें विस्मृतिदोषसें मतिमोहसे गपा आदिकके दोषसें अदर पद कानो मात्रा वगेरा ओग अधिका हूवा होय सो दीर्घ दीयोकुं शुद्ध करणा नचितहै, यह सऊनोंसें नम्र प्रार्थना युग प्रवरागमश्रीमजिनकृपाचन्प्रसूरीश्वरजीके शिष्य रत्न विधविरोमणि ज्येष्ठान्तेवासी श्रीमान् आणंदमुनिजीकें लघुगुरु नाता ज. / जय सागरगणिकीहै सो श्रीमान् सजान पाठकवर्ग अवश्य सार्थक करेंगे, इति अनिलषामहे // चिरं नन्दन्तु पाउकाः॥ चिरं नन्दन्तु गजेश्वराः॥चिरं नन्दन्तु कौटिकगजेश्वराः॥चिरंन Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (4) . न्दन्तु श्रीखरतरेश्वराः // चिरं नन्दन्तु श्रीवीरशासनेश्वराः // श्रीरस्तु // कट्याणमस्तु लेखकपाठकयोः // श्रीसधर्माराधनं कृत्वा कल्याणनागस्तु ॥स्वर्गापवर्गलागस्तु // सत्सौख्यत्नागस्तु सजानः // न जूयात् सत्स्वाध्यायकारकाणाम् // पुस्तकमिदं बृहत्स्तवनावलिनामकं चन्जार्कयोः वाच्यमानं चिरं नन्दतु श्रमणादिसंघैः // विक्रमसंवत् १एन, शाके १०४ए, हिजरीसन् 1345, इस्वीसन्-१ए, नन्दीवर्द्धनसंवत्सर 2496, श्रीवीरनिर्वाणात् 2454 फागुन शुक्ल तृतीयायां तारिख 24 फरवरी मास 2 शुक्रे श्रीइन्पुरनगरे उ / श्रीजयसागरगणिना. ऽलेखि // चिरं नन्दन्तु वर्तमानजट्टारकाः जं / यु / प्र / न / श्रीमजिनकृपाचनप्रसूरीश्वराः खरतरगणाधिपाः चिरं प्रतपन्तु // शुनं नवतु // अस्य वेतनम् रुप्यकष्यम् // Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / / अहम् // (ग्रन्थाङ्कः 11) पूर्वाचार्यविरचिता बृहत् स्तवनावली। अर्हन्तो भगवंत इन्द्रमहिताः सिद्धाश्च सिद्धिस्थिताः॥ आचार्या जिनशासनोन्नतिकराः पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धान्तसुपाठका मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः पंचैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम् // 1 // ॥समवसरन विचार गर्षित स्तवनं लिख्यते // ( उहा) श्रीजिनसासनसेहरो / जगगुरु पासजिणंद / प्रणमी जेहना पायकमल / श्रावी. चौसञ्छ // 1 // तीर्थकर श्रावे तिहां / त्रिगमो करे तयार / समकितकरणीसाचवे / एह कहुँ अधिकार // // करे प्रसंसा समकिती। मिथ्यात्वी होवे मुंक / सूर्य देखे हरखे सहु, घणे अंधारे घूक // 3 // ॥ढाल वीर वखाणी रांणी चेलना एचाल // // श्राप अरिहंत नले श्रावियाजी / गावे अपरह गंधर्व समवसरण रचे सुरवरा जी / संखेपे ते कडं सर्व // 4 // आ नुवनपतिवीसनेमिट्याजी सोलहव्यंतरसार / जोश्समुदश वेमाणिय जुड्याजी / चौसठ इंच सुविचार // 5 // आ // पवनसुर पुंज परमारजैजी। नूमि योजन सम नाउ / मेघiमर रचे मेघने जी / करीय सुगंध निमकाउ // 6 // Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ। अगर कपूर सुत्न धूपणा जी / करेय श्री अगनि कुमार। वाणव्यंतर हिवे वेगसुंजी / रचे मणिपीठकासार // 7 // आ० / पुडुप पंच वरण ऊरध मुखे जी / वरपे जानुपरिमाण नवणव देव त्रिगमोनलोजी / करय ते सुंणोउ सुजाण // 8 // आ० / रचयगढप्रथमरूपातणोजी / सोवन कांगरे सार / रविशशि रयण कोसीसको जी। कनक नो बीय प्राकार ॥ए॥आरतन गढ रतननें कांगरेजी।रचय वेमाणीय सुरराज / जलो त्रीजो गढ नीतरे जी। जीहां विराजे जिनराज // 10 // श्रा। जीत ऊंची धणु पांचसेजी / सवा तेत्रीस विस्तार।धनुषसे तेर गढ अांतरो जीपौल पंचास धणुच्यार // 11 // आ० / दश पंच पंच त्रिढुंगढतणी जी। पावमी वीस हजार / थाक श्रम नहीय चढतांथकांजी / एककर उच्च विस्तार ॥१२॥आ। पंच धणु सहस पृथवी थकी जी। उच्च रहै त्रिगढ आकाश / तेहतल सहु यथा स्थित वसे जी। नगर आराम आवास॥ 13 // आ० / तोरण चिहुँ 2 दिस तिहां जी। नीलमणि मोर निरमाण / उसयधणु मध्य मणीपीविका जी उच्च जिणदेह परिमाण // 14 // आ० / च्यार आसण तिहां चिहुं दिसेंजी / मोतीयें काक ऊमाल / सम विचकूण ईसाणमें जी। देवबंदो सुविसाल // 15 // आण। देव दुन्नि नाद उपदिसेजी / जिनगुणगावसीतेह / अह्म जिम आई शिरऊपरें जी / गाजसी तेहगुणगेह // 16 // आ। // ( ढाल ) सफलसंसारनी // * // पुवदिशि पासणे आश् Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (3) बेसे पहू / सुरकृत चौमुखरूप देखे सहू / दीपे अशोकतरु बार गुण देहथी। देखि हरखे सहू मोर जिम मेहश्री // 17 // मोतियां जालि त्रिण बत्र सुविसालए / रूप चिहुँ चिहुं दिसें चामरढालए / योजन गामनीवाणी श्रीजिनतणी / जगवंत उपदिशें बार परषद नणी // 17 // प्रदक्षिणा रूपथी अगनिकूणेकरी। गणधर साधवी तिम वेमाणीय सुरी। ज्योतषी नुवणनी विंतरी स्त्री पणें / नैशत कूण जिनवाणि ऊनी सुणे / त्रिकुंतणा पति वायव कुंणमें जाणए। सुर वेमानीय नरनारी ईशाणए। बारह परषदा मद मन्चर गेमए / नूख त्रिष वीसरे सुणेकरजोमए // 15 // पूठ नामंगल तेज प्रकास ए / जोयण सहस धज ऊंच आकास ए / ऊलहले तेज धर्मचक्र गगनें सही / महकसदु वारणे धूपधांणासही // 20 // वाहण वहील सहुधरीय पहिले गडै / होइ पग चारि नर नारि ऊंचा चढे / जिनतणी वाणी सुणी जीव तिरजंच ए। वैर तजि बीयं गढ रहे सुख संचए // 21 // पुण्यवंत पुरष ते परषद बारमें / सुणे जिन वाणि धनगणय अवतारमें / चौविह देव जिण देव सेवा रचै। मणिमयी मांहिली प्रोलमांहे वसे // 22 // चिहुं दिसि वाटली वावी चौ जाणीयें। विदिसि चौकूण दोश्दो वखाणिये।आठ जिहां वावी जलअमृत जेम ए / स्नान पाने वपु निरमल हेमए // 23 // जय विजय जयंत अपराजिया / मध्य कंचण गढे प्रोल वसंतिया / तुंबरु पुरुष खदंग अर्चिमाल ए / रजत गढ प्रोलना एह रखवालए // 24 // पहिल निगमो न हुवे जिण पुरग्राम ए। देव महर्षिकरचे तिणगमए / करण वारवार नहीं कारण कोईए / Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (4) आठ प्रातीहारज ते सही होइए // 25 // जिएसमवसरणनी रिधिदीठी जीये / तेह धनधन्य अवतार पायो तिये / पास अरदास सुणी वंचित पूरज्यो / हिव मुऊ ताहरो सुखदरसण हुज्यो // 26 // (कलश) श्म समवसरणे रिधिवरणे सहु जिनवर सारखी। सरदहै ते लहै सुख समकित परम जिन धर्म पारखी / प्रकरण सिधांत गुरू परंपर सुणी सहु अधिकार ए। संस्तव्यो षासजिणंद पाठक धर्मवनधारए // 27 // इतिश्री समवसरण विचार जाषा गर्ध्नित स्तवनं // अथ सकल साखता चैत्य नमस्कार स्तवनम् // // ढाल बेकर जोडी तांम ए चाल // रिपन्नानन वर्धमान / चंजानन जिन / वारिषेण नामे जिना ए॥१॥ तेहतणां प्रासाद त्रिभुवन सासता / प्रणमुं बिंब सोहामणाए // 2 // चेईहर सगकोमि लाख बहुतर / चेश्य प्रतिमा सो असीए // 3 // तेरेसे निव्यासी कोमि / साठ लाख सुंदर / नुवनपती मांहि मन वसीए // 4 // बारे देव लोक प्रासाद चौरासी लाख / सहस छिन्नूने सातसैए // 5 // (ढाल आव्यो तिहां नरहर ए चाल // ) हिवे नव ग्रीवेक पंचानुत्तर सार / चेहर त्रणसय त्रेवीसा सुविचार प्रत्येके प्रतिमा वीसासो तिहां जाण / अमत्रीस सहस सतसा अडे गुण खांण // 6 // नंदीसर बावन कुंमत रुचक वखांण / चऊ चऊ चेहर साठ सबे त्रिगण / कसो चौवीसे गुण प्रतिमा चिहुं नाम / चारसे चालीसा सात सहस प्रण Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (5) माम // 7 // नंदीसर विदिसै सोलस कुलगिरि तीस / मेरूवन अस्सी दस कुरु गजदंते वीस / मानुषोत्तर परबत च्यार च्यार श्खुकार / ऐसो अतिसुंदर वासकार मकार // 7 // . // ( ढाल 3) // दिग्गजगिर चालीस / असीजह सुजगीस / कंचन गिर वरुए। एक सहस धरुए // ए॥ वृत्त दीरघ वैताढ्य / वीस सत्तरसो श्राव्य / सत्तर महा नदीए / पंच चूला सदीए // 10 // जंबू प्रमुख दसरूक्ख / ग्यारेसै सत्तर सुक्ख / कुंम त्रण सय असी ए / वीस जमग वसी ए॥११॥ // ( ढाल ) त्रिण सहस सो एक निवां)रे / जिनवर प्रासाद वखाए॒रे / बीससो ए अंक गुणीयेरे / तीर्थकर प्रतिमा थुणीये // 12 // त्रिण लाख सहस वलि व्यासीरे / प्रतिमा आठ सोने असी। सरवाले सब मेलीजेरे / जिनवर प्रसाद नमीजे // 13 // पाठकोमि सत्तावन बक्खारे / दोयसे निव्यासी कयरुक्खा / हिव प्रतिमा ग्यान कहीजेरे / जिनवरनी आंण वही जे // 14 // पनरेसे वैतालीस कोमीरे। अमवन्न लख अधिके जोमी / बत्तीस सहस अधिक कही रे / प्रतिमा सगली सरदहीयेरे // 15 // ॥(ढाल 5 मी)॥ ___ जोइस वितर प्रतिमा सासती असंख्यात वलि जेहोजी पाय कमल तेहना नित प्रणमीये / सोवन वरण सुदेहो जी // 1 // बिनयकरी जिन प्रतिमा वंदीये / सुंदर सकल सरूपोजी। पूजे प्रतिमा चौविद देवता / वलिय विद्याधर जूपो जी॥॥ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिन प्रतिमा बोली जिन सारखी / हितसुख मोहनीदानो जी / जवियण ने नवसायर तारवा। प्रवहण जेम प्रधानो जी // 3 // जीवानिगम प्रमुख मांहि नाखीयो। एस हु अरथ विचारोजी / सांजलतां लणता सुखसंपदा / हियमे हरष अपारो जी॥४॥ वि० (कलश) // श्म सासता प्रासाद प्रतिमा संथुण्या जिनवरतणा। चिहुँ नाम जिण चंद तणा त्रिनुवन सकलचंद सुहावणा। वाचनाचारज समयसुंदर गुणलणे अनिरामए / त्रिहुंकाल त्रिकरण शुद्ध होयज्यो सदा मुझ परणांमए // 5 // // इति श्री सास्वताजिनचैत्यबिंबसंख्या स्तवनं // // अथ साखता असाखता जिनबिंब नमस्कार स्तवनम् // // * // (देशी सुरती)॥ प्रहऊठी प्रनु ध्यानधरूं नमुं सिपअनंत / त्रिनुवन माहै नमणकरूं जे बिंब रहंत / नुवनपति व्यंतर जोतषि वैमानिकमांह / अनुत सास्वता बिंब नमुं मनधरि उन्नाह // 1 // पंचमेरू वैतान्य हिमाचल निषध प्रमाण ।नीलवंत चित्रसेल कुंमल गजदंत वखांण / रुचक नंदीसर मानुषोत्तर आदि सास्वता जाण / रिषनानन चंजानन वारिषेण वर्धमान // 2 // आठकोम अरूबप्पण लाख सत्ताj हजार / चउसै उयासी चैत्यसा स्वता मंगलकार / सहस अगवीस नवसै पचवीसकोम मिखाय / तेपन लख चनसै अठ्याशी जग जिनराय // 3 // के आचार्य मते आठकोम सतावन लाख / दोयसै अj Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रिनुवनमां सहु चैत्यनी साख / अचवनलख पनरेसे वयालीसकोस / अमतीस सहस बिंब सहु सत असीकी जोम // 4 // मगध कोसल अंग बंग कलिंग काशी कुरु देस / सोरठ कल विदेह जांगल कुसावर्त्त कहेस / नंग सोबीर वैराट मलय सांमिल सूरसेन / वरण पंचाल दशार्ण कुंणाल देसमें चैन // 5 // लाट बिरद सिंधुदेससह केकर अर्ध जांण / साढां पचवीस देश नरतमें आर्य प्रधान / दोय कोम अहावन लाख बयासी हजार / नवसै तिहत्तर ग्रांम नगरमांहै बिंब अपार // 6 // वसुसत सात साठ जंबुद्धीप सडु आर्य होय / धातकी खंम सहस एक सातसै चौतीस जोय / एताही अर्थ पुष्करमा, देस गिणाय / ग्रांम नगर मांहै बिंब अनेक नमुं गुणगाय // 7 // सिझसेल उजिंत शिखरगिरि मोटा धांम / अष्टापद चंपा पावापुरि शिव सुख गंम। तारंगा अर्बुद राजग्रही खेत्रप्रमाण। अंतरीक धूलेवा राणपुरो जग नांण // // दीप असंख्या जल थल पर्वत शिखर सुहाय / कनक धातु पाखाण रयण सङ बिंब रहाय / श्म त्रिढुं लोक असास्वती सास्वती थांपना देख। त्रिकरण सुझे नितप्रति प्रणमुं सहुगुण लेख ॥ए॥ स्थापना जगवंते कही सुजाण / जे उत्सूत्र वचन के नायक जासी निगोद / अनंत काल नमतां दणनरनहिं पामें विनोद // 10 // सोम्य मूरत प्रनुनी देखी नविपामें बोध / आजकुमारकी रीते देखो आगमसोध / प्रव्य नाव विधिसंयुत सुरनर पूजे जेय / गुण पिंमस्थ पदस्थ रूपस्थ रूपातीत लेय ॥११॥रिषनादिक चौवीस तिश्र Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (8) कर नमुं मन लाय / गणधर सङसंग मंगलकारी नितप्रति थाय / जन्म मरण सहु सुख दूरे करो दीनदयाल ।गळ खरतरगुरु लदमीप्रधानमोहन प्रतिपाल // 12 // // इति श्री त्रिनुवन मंझण सर्व जिन बिंब नमस्कार स्तवनम् // // * // अथ 24 जिन देह मान स्तवनं लिख्यते // * // * // प्रणमुंशषन जिनेसरपाय / धनुष पांच सै ऊंचीकाय। बीजो अजित जिन मुफ मन वसै / मान धनुष साढा च्यारसै अभिनंदन जिनसुं मनलीन / देह धनुष सो साढातीन // 2 // पंचम सुमति नाथ नगवान् / धनुष तीनसो देहीमान / पदम प्रनु पूरै मनास / देह धनुष दोयसै पंचास // 3 // सामिसुपारस सत्तम होय / देह प्रमाण धनुषसोदोय / चंघा प्रनु जिन मुकमन वसै / देह प्रमाण धनुष दोढसै ॥४॥सुविधिनाथ नमियें सुविवेक / जंचप्रमाण धनुषसोएक / शीतलनाथनमें जगसवे / देह प्रमाण धनुष जसु निवे॥५॥ श्रीश्रेयांस नमुं उझसी / ऊच प्रमाण धनुष तनु असी / वास पूज्य बारम जिनचंद / मान धनुष सित्तर सुखकंद॥६॥विमल विमल गुण करि गंजीर।साठी धनुष जसु मान सरीर / अनंत ज्ञान अनंतप्रकास / देहप्रमाण धनुष पंचास ॥७॥पनरम धरमनाथ जगदीस / मान धनुष जसु पेंतालीस / शांति करण सोलम जिनशांति / देह धनुष चालीस सोनंति // 7 // सतरम कुंथु जिन जगदाधार / मान धनुष पेंत्रीस उदार / अर अढारम दीन दयाल / त्रीस धनुष तनु अति सुविशाल // ए॥ मशिनाथ जिन जगणीसमो / मान Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचीस धनुष पय नमो / वीसम मुनिसुव्रतअरिहंत / वीस धनुष तनु मान कहंत // 10 // इकवीसम नमि जिन राजान / धनुष पनरे तनु रूप निधान / बावीसम श्री नेमि जिणंद / दस धनु दीपे जाण दिणंद // 11 // तेवीसम श्री पारस नाथ / नील वरन सोहै नवहाथ / चौवीसमा जिनवर श्रीवीर / सातहाथ जगनाथ सरीर // 12 ॥ण परि ए जिणवर चौवीस / प्रणमें प्रहसम धरीय जगीस / तांघर रिद्धि सिद्धि जबरंग / रंगविनय प्रणमें मुनिरंग // 13 // * // // इति श्री चोवीस जिनदेहमान स्तवनं // * // // अथ 24 जिन आउ प्रमाण स्तवनं लि०॥ // * // रुपनदेव प्रणमुं जिनराय / लाखचोराशी पूरव आय / बीजो अजित जसु सूत्रे साख / आज बहुत्तर पूरब लाख // 1 // तीर्थकर संजव तीसरो / आउ लाख पूरब साठीरो / अजिनंदन पूरे मन आस / आज लाख पूरव पंचास // // सुमतिनाथ पंचम जगदीस / बाउ लाख पूरब चालीस। श्री पदम प्रनुनी ए स्थिति जाण / लाख तीस पूरब परिमाण ॥३॥श्री सुपाच लाख पूरब वीस / दस लाख पूरब चंदप्रन्नु ईस / सुविधिनाथ साख पूरव दोय / श्क लख पूरब शीतल थिति होय // 4 // आउ बरस चोरासी लाख / श्री श्रेयांस तणो श्रुत साख / लाख बहुत्तर वरसां तणो वासुपूज्य परमायुष गिणो // 5 // विमल श्राउ लाख साठि वरीस / वरस अनंत तणो लख तीस / लाख वरस दस धरम जिणंद / लाख Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरस श्रीशांति जिणंद // 6 // वरस सहस थिति पंचाणवे / श्रीकुंथुनाथ तणी संनवे / सहस चोरासी अरजिन तणी। मलि सहस पंचावन जणी // 7 // वरस संपूरण त्रीस हजार / मुनिसुब्रत परमाउ उदार / बीस सहस नमि जिन थिति जणी। वरस सहस नेमीसर तणी // // पास वरस एकसो सुख कंद / वरस बहुत्तर वीर जिनंद। षजतणा तेरे अवतार / सात चंड संतीसर बार // ए॥ सुव्रत नव नव नव नेमीस / पार्श्व वीर दश सत्तावीस / त्रिहुँ त्रिडं नव सतरे जगदीस / सगला नव एकसो अमतीस // 10 // सिदि लही सहुने धन धन्न / गणधर चवदेसे बावन्न / सहुनें मुनि लख अगाविस / सहस ऊपरे अमतालीस ॥११॥लाख चमाल ग्यांस हजार / षमधिक सहु साधवी सोच्यार / श्रावक लाख पचावन धुरे अमतालीस सहस ऊपरे // 12 // एक कोमि श्राविका सुजगीस / लाख पांच सहस अमतीस / एसंघ चतुर्विध सहु जिन तणें / रंगविनें प्रणमें हितघणें // // 13 // * // इति श्री चोवीस जिन श्रायुप्रमाण स्तवनं // // अथ जीव विचार भाषा गर्जित स्तवनं लि०॥ // * // (उहा) नुवन प्रदीपक वीरनमि / किंचित जीव सरूप / कहिसुं पूर्वाचार्य जिम / बालवोध गुरु रूप // // 1 // (देशी सूरती महीनानी ) // एग मुगति वीजा संसारी जीवउन्नेद / सत्ताभिन्नै सिअनंत रूप अनेद / संसारी थावर ग तिम त्रस दोय प्रकार / नू अप तेज बाऊ वस्सई श्रावर धार ॥१॥फिटक रयण मणि Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) विदुम हिंगुल वलि हरियाल / मणसिल पारो सुवरण आदि धातु नीहाल / सेढी बन्नी अरणेटो पलेवो पाखाण। नोमल तुरी अोस नूमि पाहण जे खाण ॥२॥सुरमो खूण जात ए पुढवी काय विद / नूमि आकास ओस हिम करग आऊना नेद / हरित घास ऊपर जे जलकण —हर तेम / होय घणो दधि अप्प काय पिण पाहण जेम // 3 // अंगारा काला नोनर तिम उलकापात / अशणि कणगविद्युतादिक अगनजीव विक्षात / उनामग उकलिका मंमल वलि मुहवात / शुष्क गुंज तिम घण तणु वाऊ ने ज्ञात // 4 // साधारण पत्तेय वणस्सइ जीव मुलेय / एग सरीर अनंतजीव साधारण नेय / कंदा अंकुर कुंपल फूलण वलि सेवाल / तुंफोमा अद्दत्तिय सरबे जे फल वाल // 5 // गाजर मोथ वथवो थेग पालंको साग / गुपत सिरा सांधा गांगं नाजे सम नाग / काटी माल लुमिमें रोप्यां पसव थाय / जाल पान इत्यादिक साधारणवण काय // 6 // एग सरीरें एग जीव जे ते प्रत्येक / फूल गल फल मूल काठ बीजे जिय एक / वण पत्तेय विना जे पांचे पुढवी काय / सयल लोगमें व्यापक अंतमुहर्ते आय // 7 // सूखमथी ते नियमा दिनी निजर न होय / लोका लोक प्रकाश थकी वलि अलप न कोय / कवमी संख गंमोला लहिगा लटनी जात / चंदनका अलसी मेहर जोका विज्ञात // // माय बाहा कृम पौरादिक बेइंडी होय। गोमी माकण जुया कीमा कीमी दोय। दीपक ईली घीवेली गोगीमा जात / चरम जुका गादहिया गोबर कृम उतपात ॥ए॥धान कीमा जिम चोरकीमा गोवाली Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (12) तेह / ईली कुंथुक इंजगोप तेजी एह / वीनू ढंकन जमरा जमरी इंजी च्यार / तीमा माखी मांस मबर कंसारी धार॥१०॥ कवम मोला मांकर्मिय पतंग इत्यादिक नेद / नारक तिरिमणु देव पंचेंजी च्यार विद / घम्मा वंसा सेला अंजण रिहा ज्ञात / मघा माधवई नारग ए नामें सात // 11 // जलचारी थलचारी नन्नचारी तिरजंच / म कब सुसुमार मगर गाहा जल अंच / चौपय उरपरि तुजपरि साप नूचारी तेय / तिविहा गाय साप तिम नकुल अनुक्रमे लेय // 12 // खेचर चरम रोमपंखी चमचेक कपोत / मनुज लोकथी बाहिर समुग विगय पंख होत / सरबे जल थल खचर समुचिम गलिय दोय / कम्म अकम्म नूमि अंतर दीवा मणुजोय // 13 // असुरादिक दस होय वाण व्यंतरिया अझ / जोइस पंच वेमाणिय सुविहा सुत्तें दिछ / पनरै जेदै सिधकह्या ए जीव प्रकार / तनुमानादिक हिव एहनो कहिसु अधिकार // 14 // देह आऊखो एक सरीरें थितनो मांण / प्राण जेहनें जेता तिम वलि योनि प्रमाण / अंगुल नाग असंख सहू एगिंदीकाय / जोयण सहस साधिक पत्तेय वणस्सई काय // 15 // बिति चौरिंडी अनुक्रम जकि देह ऊंचास / बारे जोयण तीन गाऊ ग जोयण नास / सत्तमना नैरश्या धनु सय पंचप्रमाण / तेहथी अरध अरध जमा अनुक्रम रयणाण // 16 // जोयण सहस गनधर मच जरगनो देह। गाऊ धणुहपहुत नूचारी पंखी जेह / खेचर नवधणु नुयंग जरग जोयण नव होय / नव गाऊ परिमाण समुहिम चौपय सोय Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (13) // 17 ॥षम गाउ ऊंचास चउप्पय गन्नयमांण / तीन कोस उक्कोस मनुजनो काय प्रमाण / लवण व्यंतर जोइस वेमाणिय ईसाणंत / सातहाथ नकोसे ऊंचपणे तणु दुत // 10 // सनतकुमार माहें षम ब्रह्म लांतक पांच / शुक्र सहस्रारें उकोस च्यार कर वाच / आणतप्राणत आरण अच्युतः हार्थे तीन / नव ग्रैवेयक दोय पंचानुत्तर इगलीन ॥१ए / बाबीस सात तीन दशवरस सहस्से आय / नूत्राऊ वाऊ वण ती दिन तेज काय / बारवरस गुणचास दिवस तिम वलि बम्मास / अनुक्रम बेइंशी तेची चौरिंजीरास॥णासुर नारग तेतीस अयर उक्कोसें आय। चौपय तिरिय मनुजनो तीन पस्योपम थाय / जलचर उरपर जुजपर उक्को पुव कोम / पंखीने ग नाग असंख पट्यनो जोम॥१२॥ सरब सूखम साधारण समुलिम मणु जेह / जहन्न उक्कोसे अंतमुहत्त नियम शिति तेह / श्म ओगाहण लाख्यो संखेपे अधिकार / जे वलि इत्थ विसेस विसेस सुत्रसूं धार // 22 // असंख उसप्पणि सहुएगिंदी आपणीकाय / उपजे चवे अनंत साधारणवणस्सईकाय / संख्याता संवन्चर विगल आपणी देह / सात आठ लव पंचिंत्री तिरि मणुश्रा जेह // 23 // नारकथकी उदवरती जीव नरक नवि जाय / देव चवीने ते वलि देवपणे नविथाय। इंजीय सासोसास आऊ बल ए दस प्राण / च्यार उ सात आठ ग सुति चौरिंजीय जाण // 24 // सन्नि असन्नि पंचिंदी दश नव अनुक्रम जोय। प्राणथकीजे विप्रयोग जिय मरणे होय / जीमसायर संसार अपार अनंतीवार / नमियों जीव धरम विण जोणि अशीने च्यार Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) // 25 // सग सग सग सग दश चवदे दो दो दो लाख / च्यार च्यार तिम च्यार चवद लख सूत्रे साख / नू अप तेऊ वाऊ वणपत्तेय साधार / बि ति चौ पण तिर नारग सुरनर अनुक्रम धार॥२६॥काय न आय न पाणन जोणी कुल नहीं जात / सादि अनंत नंग जिन आगम थिति विदात / रोग न सोग न जोग जोग नहीं नारि लिंग। नहीं य नपुंसक पुरष तणा नहीं अंग उपांग // 27 // नाण दंशण चारित्त वीरज ए च्यार अनंत / सिफ श्रया तेहथी सिद्धांते सिद्ध कहंत / इमए जीव विचार गाथाथी नाषा रूप / श्रावक आग्रहथी में कीनो सुगम सरूप // 27 // खरतर गळ नट्टारक श्रीजिनलानसूरीस / रत्नराज गणिग्यान सार मुनिसीस जगीस / संवत शशि रस वारण ससिहर धर निरधार / माघ चौथ दिनकी नो जैपुर नगर मकार ॥शए॥ इति श्रीजीवविचार प्रकरण नाषा गनित स्तवनं संपूर्णम् // // अथ नवतत्व भाषा गर्भित स्तवनं लि०॥ // * // उहा // नमस्कार अरिहंतनें / सिसूरि उवकाय / साधु सकलप्रणमीकरी, प्रणमी श्रीगुरु पाय // 1 // करस्युं हूं नवतत्वनी / गाथा लाषा रूप / मंदबुद्धि गुरु सानिधे / कहिस्युं सुगम सरूप // 2 // (सुरती महीनानी देशी ) जीव अजीवें पुण्य पाप तिम आसव सोय / संबर निजर बंध मोद ए नव तत्व होय / चवद चवद बायाल वयासी वलि बायाल / सत्तावन बारे चौ नव क्रम नेद निहाल // १॥ग उति चौविह पणविद विह Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (15) जीव कहा य / चेतन त्रस श्रावर वेदे गई करणे काय / एगिंदी सूखम बादर ए दो जिय गण / सन्नि असन्नि पणिंदी विति चौरिंदी आण ॥२॥ए सग पजत्ता अपजात्ता चवदे होय / अनुक्रम जीवगण ए सूत्र प्ररूप्यासोय / नाणदंसण चारित वीरज तप तिम उवयोग / ए षमलक्षण लदित जीव व्यह लोग ॥३॥ग आहार सरीर इंदिय पजत्ती तीन / सासो सास जापा मन षमए अनुक्रमलीन / च्यार एगिंदी पंचपजत्ती विगलें जोय / पंच असन्नि सन्नितें षम पजात्ती होय // 4 // इंजिय पांच उसास आऊ बल ए दस प्राण / च्यार उ सात आउ एगिंदी विगले जाण / असन्नि सन्नि पंचिंदीने नव दस क्रम थाय / प्राणांथी जे विप्रयोग जिय मरण कहा य // 5 // धम्मा धम्म आगास तीनूंना त्रिण त्रिण नेद / काल दशम ग आगास पुग्गल च्यार विजेद / खंधा देश पएस परमाणु चवद अजीव / धम्मा धम्म पुग्गल नन्न काल ए पांच न जीव ॥६॥चलण सहाई धम्में / थिर संघाण अधम्म / अवगाहें पूरण गलणे नन पुग्गल धम्म / समया वलिय महुत्त दीह पख मासनें साल / पट्योपम सागर जस्सप्पणी सप्पणी काल // 7 // पम इग दो सग सग सग षम ग अंक गिणाय / एग महुत्तें आवलि संख्या सूत्रकहाय / तीन सात वलि सात तीन ऊसासें माण / केवल नाणी नणियो एह मदुत्त प्रमाण // 7 // साता उच्चगोय मणु सुर उग पंचिंदी जाय / पांच शरीर आदिम तिसरीर उवंग कहाय / आदिसंघेण संगण चौवर्ण अगुरु खदु होय / परघ ऊसास तेम वलि आतपर्ने उजोय // ए॥ सुन Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (16) खगई निम्माण तसादिदर्श्वनीमाल / सुरनर तिरिय आऊ तित्थंकर पुण्य बायाल / तस वादर पजात्त पत्तेय थिरं सुन सोय / सुलग सुसर आइज जसें त्रस दसको होय // 10 // नाणंतराय दसक नवबीजा नीच असाय / मिल थावर दश नारगत्रिक पचवीस कसाय। तिरयंच उंग एकिंजीबिति चौरिंजी तेय / कूखगई उपघा अपसत्थ वण चौनेय // 11 // पढम संघयण विना संघयण तेम संघाण / एम वयासी प्रकृति पापतत्वनी ए जाण / थावर सुहम अपऊ साहारण अथिरे गेय / असुल फुत्नग दूसर णाज अजस दसलेय // 12 // पण चौपण तिय इंदिकसाय अवय तिम जोग / बायालीस सेस पच्चीस क्रिया संयोग / काश्य अहिगरणीया पावसिया परिताप / प्राणातिपात आरंनकी परिगहियानो लाप // 13 // माया प्रत्यय मिला दंसणवत्ती तेम / अपचक्खाणकी दि पुलि पामुच्चिय जेम / सामंतोपनवणिय नेसत्थि साहत्थै जेह / आज्ञापनकी वेयारण अणनोगा तेह // 15 // श्रणवकंख पच्चयना उवांगी समुदाय / प्रेम पेष रियावही किरिया ए कहिवाय / सुमति गुपति परिसह जश्धम्म नावण चारित्त / पण तिग बावीस दस बारै पण संबर तत्त // 15 // इरिया-नाषा एषणा सुमतीना नेद होय / आदान नंम उच्चार निक्खेवण पांचे जोय / मणगुत्ती वयगुत्ती कायगुत्ती त्रिण जाण / हिव आगे बावीस परीसह कढुं हित आण // 16 // लूख पिपासा सीत ऊसन मांसा निरवत्थ / अरति जोषा चरिश्रा नैषिद्या सिज्जासत्त। श्रकोस वह जायण अलाल रोग त्रणफास / मल सकार पन्ना अन्नाण Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) समत्त समास // 17 // खंति मद्दव अजव मुत्ती तव संजम सम्म / सत्यं सौच अकिंचन बंजचेर जधम्म / पढमअनित्य अशरण संसार एग अनत्त / असुचि आश्रव संवर निजर नवि जावो नित्त // 10 // लोकसुनाव बोधपुरलल ग्यारम गाव / धरमसाधक अरिहंत ए बारे नावननाव / सामायक बेदोप स्थापन बीजो सोय / परिहारविसुछ सूखमसंपराय चउत्थो जोय // 15 ॥तिम अहक्खायचरित्त सर्वजियलोग प्रसिछ। जेह सुविधिआचरणे केशजिय पाम्यासिघ / बारेविध निर्जरतत्व बंधना च्यार प्रकार / प्रकृति लिई अनुनाग प्रदेश नेदें निरधार // 20 // अणसण नणोदर वृत्तिसंखेप रसनो त्याग / कायकलेस संलीनता बाहिरतपषनाग / पायनित विनय वेयावच्च तेम सज्काय / ध्यान कासग्ग अन्यंतर तप षमविध थाय // 1 // प्रकृतिस्वलाव कालअवधारण थिति निरबंच / अनुनागैरसतेमप्रदेसें दखनोंसंच / पट प्रतिहार धारतरवार मद्य वलितेम / निगम चित्रकर कुंजकार नंमारी जेम // 22 // अनुक्रम आउनानाम नाख्याजेजे जाव / तिम ज्ञानावरणादिक अमना एहसनाव / इमसंखेमें विवरण कीना आहे तत्त / प्रस्तावे पाम्यो वरणवस्युं हिव मोख तत्त // 23 // संतपदे परूवण अव्यनें देत्रप्रमाण / फरसना काल पांचमों बो अंतर जाण / नागसातमो नावान तिम अखपबदुत्त / ए नवजेदें नावन करस्युं नवमो तत्त॥२॥ मोक्ष एक पदयी जे जे पदे अविनानाव / व्योम कुसुम तिम ससिक शृंग जिम नहींय अनाव / एहवो जे पद मोक्ष तेहनों 10 स्त०२ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) मग्गणघार / विवरणकर वरणवस्युं सुणज्यो सुहम विचार // 25 // गति नर इंदिय पंचेंनी कायें त्रसकाय / नाणे जेहनें केवल संयमथी अहखाय / दंसणमें इक केवलदसण अवरन होय / जव्य अजव्ये जव्यपणो परिपाके जोय // 26 // संमत्ते दायक सन्नी असन्नीयें सन्नि / अणहारी आहारी श्रणहारी उप्पन्न / व्यप्रमाणे सिघजीवजव्यहोय अनंत / लोग असंखम नाग एगसिप होय अपंत // 27 // फरसना खेत्रथि अधिक काल इगसिद्ध प्रतीत / सादिअनंतीथिति जिनागमथी सुविदीत / प्रतिपाती नावे नहीं सिखां अंतर जोय / सरब जीवश्री नाग अनंतम सहु सिम्घहोय // 20 // दंसण नाण जेहनें बे ते दायकनाव / जीवत जेहनें वलि परिणामिक नाव समाव / सहुथी श्रोमा बेद नपुंसकथी जेसिद्ध, तेहथी श्री नर अनुक्रम संखगुणा सुपसिध // 2 // जे जाणे जीवादिक नवतत्त तस सम्मत्त / अण जाणंतानें हुय जे सरधानें रत्त / सरब-जिणेसर मुखथी जाख्या वयण जहत्य / ए बुद्धीजेहनें मन सम्मत निच्चलतत्थ // 30 // अंतरमहुरत एगमात्र फरस्यों संमत्त / अईपुग्गलपरियट्ट नियम संसार निमत्त / उस्सप्पणीयअणंत एगपुग्गलपरियह / अनंत अतीत अनागत तदगुणवयणप्रगट्ट // 31 // श्म नवतत्त लेद पमिलेदे विवरणकीध / श्रावकाग्रह कीन सहाय पूरण रसवीध / कोटिकगण सुनसदन प्रकास नदीउपमान / श्रीजिनलाल चंदकुल पूनमचंदसमान // 3 // अग्यानादिक करिवरसिंहें वयरीसाख / रत्नराजमुनि ते Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वम्साखानी पमिसाख / ग्यानसार ते पमिसाखानी सूखममाल / ए नवपद नवरयण विनाणे गूंथीमाल // 33 // संवचरनिश्चय नय विगई प्रवचनमाय / परम सिद्धपद वामग” ए अंक गिणाय / माघकिसन ससिवार मेरुतिथिपूरनकीध / च्यार कथा तजि तत्वकथा लज नर फल लीध // 35 // इति श्रीनवतत्वलाषागग्नित स्तवनं संपूर्ण // // अथदंडक भाषागर्भित स्तवनं लिख्यते // // * // ज्ञानादिकचौवीसनमि / तेहनो सूत्र विचार / दमक रचनाये स्तवं / संखेपे निरधार // 1 // नरक सात दंगक पढम / असुरा नाग सुवन्न / विजु अगनि दीवोदही / दिसि पवणे थणियन्न // 2 // पुढवी आऊ तेऊ वलि / वाऊ वणस्सईकाय / बिति चौरिंदी गानधर / तिरि नर तिहां मिलाय * // 3 // व्यंतर जोइस वेमाणिया / ए दंमक चौवीस / एहना घार कहुँ हिवे / गणनायें तेवीस // 4 // * // वीर जिणेसरनी देशी // * // सरीर ओगाहण संघयणे सन्ना संगण / कोहाई लेसिदिय दो समुग्घाय प्रमाण / दिछी दंसण नाण जोग तिम वलि उपयोग / उपपात वलिय चवण लिई पङत्ति प्रयोग॥१॥ के दिसिनो आहार सन्नि गइ आग वेय / दार गाहा सुगनो ए अरथ कह्यो संखेव / हिव चोवीस दारनो रचिस समय अनुसार / अलप रुची हुँ तेहथी कहिसु अलपविचार // // // सूरती महीनानी देशी // * // चौगनयतिरि वाऊकाये च्यार सरीर'। मनुष्यमें पांच दंमक इकवीस रह्या ति सरीर / Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) श्रावर च्यारने जहन्न उक्कोसें देह प्रमाण / नागअसंख्यातम गअंगुलनों परिमाण // 1 // सरबनो जघन्य स्वाजाविक अंगुल नाग असंदात / उक्कोसे पणसेंधणु नारगमें विक्षात / सुरनो सात हात गन्नयतिरि वणस्सईकाय / जोयणसहस साधिक इकसहस अनुक्रम थाय // 2 // नर तेइंदि तिगाऊ बेदी जोयणबार / एगजोयण चौरिंदी देह ऊंचे आकार / आरंनकाले वैक्रियदेहनो ए परिमाण / नागएक इक अंगुलनो संख्यातम जाण // 3 // सुर नरने साधिक इकलाख. जोयण गलाख / नवसेजोयण तिरजंचनें एसूत्रेसाख / स्वानाविकधी उगणो नारक वैक्रिय काय / एकमहूरत नारय नर तिरि च्यार कहाय // 4 // सुरने पढ़एग उक्कोस विजवण काल / विगर संघयणी श्रावर सुर नारकनी माल / गतय नर तिरिने षड् विगलने वह एक / सरव जीवनें च्यार दसे सन्नायें लेख // 5 // नर तिरिने षम सुरनें समचौरस संगण / ढुंमक ग नारग विगलेंदी सूत्र प्रमाण / नाणाविह धय सूर मसूरनी चंड आकार / वणस्स वान तेज नू बुदबुद अप्पाकार // 6 // सहुने च्यार कषाय गनय षम नर तिरि दोय / वेमाणिय नारग तेल वाज विगल त्रिक होय / जोयसि तेज लेसा सेस रह्यांने च्यार / दारइंजियनो सुगम तेहनो स्युं विसतार // 7 // समुदघात सग नरने पण गनय तिरि देव / नारक वायुनें च्यार सेसनें तीनुं जेव / दिनी दोय विगलमें श्राव रने मिथ्यात / सेसने तीन दिहि जिम प्रवचनमें विदात // 7 // श्रावर बि तिर्ने एक अचक्खूदंसण होय / चौरिंदी ते चक्खु Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) श्रचक्खूदंसण होय / मनुजनें च्यार सेस दंगमें दंसण तीन / नाण अनाण तीन सुर तिरि नारगर्ने सीन // ए॥ पावर दोय अनाण विगल दो नाण अनाण / गनयमणुने तीन अनाणनें पांचं नाण / सुर नारग एकादश तिरनें तेरेजोग / मनुजनें पनरे च्यार विगलने जोगप्रयोग // 10 // वाऊकायनें पांच तीन थावर संयोग / मनुजनें बार नरग तिरि देवनें नव उपयोग / विगल पुगे पण षडू चौरिंदी आवर तीन / उक्वाय ग चवण दार दोनुं समकीन // 11 // एगसमें संख्यात असंख्या चवणुपपात / गनयतिरि विगलेंदी नारय सुर विख्यात / मणुआ थावर वणस्सर संख असंख अणंत / मणुजअसन्नि असंख चवंत तेम उपजंत // 1 // बावीस सात तीन दस वरस सहस्स उकिक / वणस्सई च्यारने तीन दिवस तेऊनें जिछ / नर तिरि तीनपट्य सुर नारग अयर तेतीस / व्यंतर पट्य अधिक लखवरस पट्य जोई // 13 // असुरादिक दशनें कसागर अधिकोशाय / देसेंजणा दोय पश्यनो नवेय निकाय / विगलने बारबरस गुणचास दिवस उम्मास / अंतमत्त जहन्ने पुढवाई दसरास // 14 // नुवनपती नारग व्यंतर दसवरसहजार / पट्य तेना अमंस वैमाणिय जोइस धार / सुर नर तिरि नारगर्ने पट थावरनें च्यार / विगलने पंच पजत्ती ए श्रारम दार // 15 // सरब जीवनें होय बए दिसनो आहार / होय न होय पंचादिक दिस ए सूत्र मकार / दीह कालकी चौविह सुर नारग तिरजंच / विगलने देउवएशा सन्निरहितथिरपंच // 16 // Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (25) गनयमणुजनें दीहकालकीसन्नाहोय / केशक आचारज कहै दिग्विायकी दोय / निश्चय पजात्तापंचिंदी तिर नर जेह / चौविह देवां मांहे आवी ऊपजे तेह // 17 // संखाउ पजत्त पंचिंदी तिरि नर तेम / पजाता नू दग पत्तेय वणस्सई जेम / ए सर्वमें निश्चय सुरनी आगति हुँति / पजात्त संख गनय तिरि नर सग नरके जंति // 17 // नरक उदवरत्या नर तिरि उपजे नहुवे सेस / जू अप्प वणस्सईमें नारग विण उपजे असेस / पुढवाई दसपयमें जू आऊ वणजंति / पुढवाई दस पयसै तेऊ वाऊ उपजंत // 15 // तेन वाऊनो गमण पुढवी पद नवमें हुंत / पुढवाई दस पदमें विगल जावंत श्रावंत / सहुमें तिरि गति आगति मणुआ सहुमें जाय / तेज वाऊथी मरीने जीव मनुज नवि थाय // 20 // श्री पुरसे चौविद सुर तिरि नर तीनूं वेद / थावर विगल नारगनें एक नपुंसक नेद / पऊत्त मणु वादर अगनि वेमाणिक तेम / जवण नारग व्यंतर जोईस चौ पण तिरि एम // 21 // बेशी तेइंत्री पृथवीने अप्पकाय / वाऊ वणस्सई अधिक अनुक्रम करि कहिवाय / हे जिन ए सहु लव में पाम्या वारअनंत / तेहनो अनुक्रम गणितां किम ही न आवे अंत // 22 // नर सुर विण सहु दंगमें ते गति संयोग / लाधो नहीं तुह दंसण कीनो कम्म प्रयोग / सुरमे पिण दंसण लहि विरति नपामी मूल / ते सुर जात सहावे देस विरति प्रतिकूल // 23 // आरज देस आरजकुस शुछ सुगुरु उपदेश / तेहथी तुह दंसनो किंचित पाम्यो खेस / धारक तारक कारक वारक दंसण देव / बातम Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (23) . गुण संसारक सम्मत्त कम्म सयमेव // 4 // खरतरगच नट्टारक श्रीजिनलाजसूरिद / रत्नराजमुनि सीस तेहना पद अरविंद / रजमकरंदें लीयो ग्यानसार तसुसीस / तेण स्तव्या चौवीसदार दमक चौवीस // 25 // संवत शशिरसवारणतेम चंद निरधार / पोष मास पखऊजल सातमनें सोमवार / श्रावक आग्रहथी एकीनो अट्पविचार / अच्मचौमासो कर जैपुर नगर मकार ॥२६॥इति श्री चतुर्विंशतिदंमकस्तवनं संपूर्ण // 4 // // अथ श्री शीतलनाथ स्वामीनो स्तवनं लि०॥ मोरा साहिबहो श्रीशीतलनाथ कि / वीनतीसुणो इक मोरमी / मुखलांजेहो जगदीनदयालकि / बातसुणी में तोरमी // 1 // मो० // तिण तोरे हो हुँ आयो पास कि / मुझमन श्रास्या 3 घणी करजोमीहो कहुँ मननी बातकि / तुं सुणिजे त्रिनुवनधणी // 2 // मो० // हुँ नमियो हो जवसमुघमकारकि / उरकअनंता में सह्या / ते जाणे हो तुंहीज जिनराज कि / में किमजायें ते कह्या // 3 // मो० // नागजोगे हो तोरो श्रीनगवंत कि / दरसन नयणे निरखियो / मन मान्यो हो मोरे तुं अरिहंत कि / हियमो हे जे हरखियो॥४॥ मो० // एकनिश्चे हो में कीधो आज कि / तुज विण देव बीजो नहीं / चिंतामणि हो जो पायो रतन्नं कि / काच ग्रहै कहो कुण सही // मो० // 5 // पंचामृत हो जिण नोजन कीध कि / खल खायवा मन किम भीये / कंठतांश हो जो अमृत पीधतो / खारो जल कहो कुए Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) पिये // 6 // मो० // मोतीकोहो जोपहस्यो हारकि / चिरमपि कुण पहिरे हीये / जसु गांठे हो लाख कोमि गरत्थ कि / व्याज काढी दाम कुण लीये // 7 // मो० // घरमांहें हो जो प्रगट्यो निधान तो / देसदेसांतर कुणनमें / सोना नोहो जो पोरसो सीधतो / धातुरवादी कुण धमें // 7 // मो० // जिण कीधो हो जवहरव्यापार कि / मणिहारी मन किम गमें / जिण कीधो हो सदा हाल हुकम्म कि / ते तूंकारो किम खमें // ए॥ मो० // तूं साहिब हो मोरो जीवन प्राण कि / ढुं सेवक प्रनु ताहरो / मुझ जीवत हो आज जनम प्रमाण कि।जव मुख नागो माहरो // 10 // मो० // तुफ मूर्ति होदेखंता प्राय कि / समवसरण मुफ संजरे। जिन प्रतिमा हो जिन सरिखी जाण कि / मूरख जे सांसो करे॥११॥मो॥तुह्म दरसण हो मुफ आणंद पूर कि।जिम जग चंद चकोरमा, तुह्म नामें हो मोरा पाप पुलायकी। जिम दिन नगे चोरमा // 12 // मो० // तुह्म दरसण हो मुफ मन उरंग कि / मेह आगम जिम मोरमा। तुह्म नामें हो सुख संपत्ति थाय कि / मन वंछित फल मोरमा॥१३॥मोडं मांगुं हो हिव अविहम प्रेम कि।नित नित करूं निहोरमा / मुक देज्यो हो स्वामी नव जव सेवकि / चरण न तोरमा // 14 // मो० // कलश // इम अमरसरपुर संघसुखकर मातनंदा नंदनो / सकलाप शीतलनाथ स्वामी सकल जन श्रानंदनो। श्रीवनलंग्न वरणकंचन रूपसुंदर सोह ए / एतवन कीधो समयसुंदर सुणितजनमनमोह ए // 15 // * // इति श्री शीतलनाथजिनस्तवनम् // * // Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अथ 84 आसातनास्तवनं लि०॥ // ढाल // विलसै शधिनी // जय जय जिणपास जगत्र धण।। सोना ताहरी संसार सुणी / यो हुँ पिण धर आस घणी। करिवा सेवा तुम चरण तणी // 1 // धन धन जे न पके जंजाले / उपयोग सुं बैसै जिन आले / आसातना चपरासी टाले / सास्वता सुख तेहीज संजाले // 2 // जे नाखे श्लेखम जिनहरमें / कलहकरे गाली जूयरमें / धनुषादिकला सीखण इके / कुरलो तंबोल जखे थूके // 3 // सुरे वायवमी लघुनीत तणी / संज्ञा कुंगुलिया दोष सुणी / नख केस समारण रुधिर क्रिया / चांदीनी नाखे चांबमिया // 4 // दांतापने वमन पीये कावो / खावे धाणी फुली खावो / सूबे वेसामण विसरावे / अज गज पशुने दामण दावे // 5 // सिर नासा कान दसन आखे / नख गाल वपुषना मल नाखे / मिलणो लेखो करे मंत्रणो / विहचण अपणो करि धन धरणो // 6 // वेसे पग ऊपरि पग चढियां / थापे गंणा मे दृढणीयां / सूकवे कप्पम पप्पम वनियां। नासीय छिपे नृप जय पमियां // 7 // शोके रोवे विकथाज कहै / इहां संख्या बेतालीस खहै / हथियार घमेने पशु बांधे / तापें नांणों परखे रांधे॥॥ जांजी निसही जिनगृहपेसे / धरे उत्रनें मंझप में बेसे / पहिरे वस्त्र अनें पनही / चामर वीऊँ मनगम नहीं // ए॥ तनु तेल सचित्त फल फूल लीये / जूषण तजि आप कुरूप श्रीये / दरसणथी सिर अंजलि न धरे / इगसामे उत्तरा संग न करे // 10 // ग्रेगोसिरपेचमोमजोमे / दमियेरमनें Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (26) बेसे होमे / सयणां सुं जुहार करे मुजरो / करे नंमचेष्टा कहै वचन बुरो // 11 // धरेधरणो ऊगमे लवंगी। सिर गुंथे बांधे पालंठी / पसारे पग पहरेचाखमीयां / पगऊटक दिरावे पुरवमीयां // 12 // करदमलूहै मैथुनमंझे / जूओं वलि बैंतिहां बसे। उघामे गुऊकरे वायदां / काढे व्यापार तणा कायदा // 13 // जिनहरपरनालनो नीरधरे / अंघोले पीवा गमजरे / दूषण जिनजवनमें ए दाख्या / देववंदण जाष्यमें जे नाख्या // 14 // सुझानीश्रावक सगतिउतां / आसातनाटाले वारसतां / परमादवसे कोईथाये / आलोयां पापसहूजाये // 15 // तंबोलने जोजनपान जूया / मल मूत्र सयन स्त्री लोग दुआ। नूषण पनही ए जघन्य दसे / वरज्या जिनमंदिर मांहि वसे // 16 // व्यतर्ने जावत दोय पूजा / एहना हिज नेद कह्या दूजा। सेवा प्रजुनी मन सुखकरे / वंचितसुख लीला तेहवरे // 17 // * // कलश // * // श्म नव्यप्राणी नावाणी विवेकी शुन वातना / जिनबिंब अरचे परीवरजे चोरासीआसातना / ते गोत्र तीर्थकर उपार्जे नमें जेहनें केवली। जवज्काय श्री धर्मसीह वंदे जैन सासन ते वली // 10 // इति श्रीचोरासी श्रासातनास्तवनम् // // अथ 63 सिलाकापुरुषस्तवनं लि०॥ // * // ( ढाल 1) धरम महारथ सारथि सारं ए चाल // सद्गुरुचरणकमलमनधारं / त्रेसउत्तमनरअधिकारं / Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) पत्नणिसु श्रुत अनुसारं / जेहनें नाम लिये निसतारं / आपण सफल हुवे अवतारं / पामी जे नव पारं // 1 // पल अजित संजव अभिनंदन / सुमति पदमप्रनु नयना नंदन, सत्तम तेम सुपास / चं प्रनुनें सुविधि सीतल जिन / श्रेयांस वासपूज्य जिन सुरमणि, विमलगुणेकरिवास // 3 // अनंतधर्म श्रीशांति जिनेसर, कुंथुनाथ अरमनि सुहंकर / मुनिसुब्रत नमि नेम / पार्श्व वीर ए जिन चोवीस / जगवन्चल जगगुरु जगदीस / प्रणमी जे धर प्रेम // 3 // (ढाल २)प्रथम सुपन गज निरख्यो ए चाल // * // प्रथम नरत नर इंद / बीजो सगर सुरिंद / मघवा तीजो उदार / चोथो सनतकुमार // 4 // पांचम सांतिचक्कीस / बजे कुंथुगणीस / सातमो अरनरनाथ / आउम सुन्नुमसनाथ // 5 // नवमो पदमनरेस / हरिषेण दसमकहेस / ग्यारम जयताम / बारम ब्रह्मदत्त नाम // 6 // एह चक्की सर बार / खेत्र नरत सिणगार / मघवा सनतकुमार / पुहता स्वरग मकार // 7 // सुन्नुम अने ब्रह्मदत्त / सत्तम निरय निरत्त / आउ थया सिवगामी / ते प्रणमुं सिरनामी // 7 // // ( ढाल 3) // * // मुनिवर आर्य सुहस्ति एचाल ॥ॐ॥ पहिलो त्रिपृष्ट जाण / हिपृष्ट दूसरो, तीजो स्वयंप्रनु जाणीये ए। पुरुषोत्तम ए चोथो / पंचम परगमो / पुरुषसिंह प्रमाणिये ए, ॥ए॥ो पुरुषपुंमरीक / दत्त तिम सातमो। लक्ष्मण नामें आठमो ए, नवमो कृष्ण नरेस / ए नव केसवा / प्रहऊठी एपिण नमुं ए॥१०॥ तिहां पहिलो वासुदेव / Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्सर्पणार्थिकर होस्थे भरपणे प्रभु रहे। (27) नारकी सातमी / आगला पांच पी गया ए / सातमो पंचम नयर / चोथी आठमो, नवमो तीजी नारीयें ए // 11 // अचल विजयने नज। सुप्रनु सुदर्शन / आनंद नंदन सुनमती ए / रामचंद्र बलन / बलदेव ए नव / आवश्रया तिहां सिवगती ए // 1 // बलला ब्रह्मदेवलोक / काल उत्सर्पणी / जास्य सिव कृष्ण सासणे ए। अथवा निपुलाक नाम / तीर्थकर होस्ये / चवदमो इम बहु श्रुत नणे ए॥१३॥ (ढाल 4) कुमरपणे प्रभु रहतां काल सुखे गमें ए, ए चाल // * // अश्वग्रीवनें तारक मेरुक बली मधु तिसा ए। निशुंन वलय प्रल्हाद रावण जरासिंधु जिसा ए / ए नव प्रति वासुदेव नरक गति गामिया ए। ते पिण नावि जिणेस केई प्रणमुं मुदा ए // 14 // (ढाल 5) सफल संसारनी॥ * // सांतिने कुंथु अर एह नव एकही / चक्रधर तीर्थकर दोय पदवी सही / बीर वासुदेव अरिहंतलव जूजुआ / देह तिण साठ पिण जीव गुणसठ थया // 15 // वासुदेव बलीय बलदेव केरा पिता / एकहीज थाय नव एण लेखे उता। तीन चक्रधरतणा मिलिय बारे टट्या / एम त्रेस ना तात इकवनमिल्या // 16 // तीनचक्रधरतणी टालदीजे जिसे / माय सहुनी थई साठ लेखे इसे / एह नररयणनो ध्यान नित जे धरे / तेह सुर पद लही मोद पदवी वरे // 17 // (कलश)श्म शुण्या तीर्थकर चक्कीसर वासुदेव बलदेव ए। प्रतिवासुदेव सुसेव जेहनी करे सुर नर सेव ए। त्रेस Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (25) सिलाका पुरुष उत्तम जगें जयवंतो सदा / प्रहसमें तेहना चरणपंकज नमें मुनि वसतो मुदा // 17 // इति त्रेस सिलाका पुरुषस्तवनं // * // ॥ॐ॥अथ मुहपत्ती पडिलेहण स्तवनं लिख्यते // 4 // // * // ढाल कपूर हुवे अति ऊजलोरे ए चाल // * // वरधमान जिनवरतणाजी / चरण नमुं चित्तलाय / ग्यान क्रिया जिण उपदिसेजी / शिवसुखतणो उपाय // 1 // (नविकजन धर श्रीजिन उपदेश / बूटे कर्म किलेस न)॥ पनि लेहण मुहपति तणीजी। नाखीछे पचवीस / तिहां ए जाव विचारीयेजी / इम लाखे जगदीस // 2 // ज // प्रथम बे पास विलोकियेजी। सूत्र अर्थनी दृष्टि / ए पमिलेहण दृष्टिनीजी / करे धर्मनी पुष्टि ॥३॥न // समकित मिथ्या मिश्रनी जी, मोहनी तीननोत्याग / कामराग स्नेहरागर्ने जी। तज वलि तिम दृष्टिराग // 4 // न // सीपवधूटक गुरु थकी जी। वाम हाथ करनाउ / नव अखोमा आदरो जी / नव पखोमा गमाउ ॥५॥नम् // देवतत्व गुरुतत्व सुंजी। धर्मतत्व गृहसार / कुगुरु कुदेव कुधर्म नो जो। तीन तणो परिहार // ज० // 6 // ज्ञान दरसण चारित्रना जी। संग्रह तीन आचार / तजो विराधना तीनएजी। एह अर्थ अवधार // न // 7 // मन वचन कायानी सदा जी। गुपति ग्रही जे सुख / परिहरीये वलि जाणनें जी। तीने दंग विसुद्ध // ज० // 7 // पमिखेहण पचवीसएजी / मुहपत्तीनी सार / हिव पहिण अंगनीजी / ते पिण चतुर Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) विचार ॥नम् // ए॥ हास्य अरति रति तीननें जी। सुख करो बाम बांह / तजि जय शोक सुगंबना जी। दक्षिण पिण करे साह ॥नम् // 10 // धुरली लेश्या तीन ए जी। ते शिरथी-करि दूर / रिद्धि रस शाता गारवो जी / करि मुख थी चकचूर // ज० // 11 // काढसट्य तीन उरथकी जी। माया नियाण मिथ्यात / च्यार कसाय बे बगलथी जी। क्रोधादिक करि घात // न // 12 // तज षट् काय विराधना जी। चरण बेहुं शुद्ध होय / ए पनि खेहण अंगनी जी। पचवीसे तुं जोय ॥नम् // 13 // श्म पमिलेहण जे करे जी / धर मन ज्ञान विवेक / सकल कर्म दूरे करे जी। पामें सुक्ख अनेक // न० // 14 // कलश / श्म वीरजिणवर तणा मुख श्री अर्थ गणधर सांजली / कहे सूत्रवाणी मन सुहाणी सुणो नवियण मनरली / जवज्काय वर सिरिलचिकीरति मुख थकी ए संग्रही / मुहपत्ती पमिलेहण तणी विधि लचिवबन गणि कहि // 15 // इति श्री मुहपत्ती पमिलेहण स्तवनं // // अथ श्री महावीर वीनती लिख्यते // // * // वीर सुणो मोरी बीनती / कर जोमी हो कहुँ मन निवात / वालकनी परै वीनतुं / मोरासामी हो तूं त्रिनुवन तात // वी० // 1 // तुम दरसाणविण हुँ जम्यो / नवमाहें हो सामी समुज मकार / उरक अनंता में सह्या / ते कहितां हो किम आवे पार // वी० // 2 // पर उपगारी तुं प्रन्नु / मुख लांजे हो जगदीनदयाल / तिण तोरे चरणें हुं आवीयो / सामी मुछ्ने हो निज नयण निहाल // वी० // 3 // अपराधी Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पिण ऊधस्या / तें कीधी हो करूणा मोरासाम / हुतो परम जगत ताहरो। तिण तारो हो नहिं ढीलनो काम ॥वी // // शूलपाणि प्रतिबूकव्यो / जिण कीधा हो तुऊने उपसर्ग। मंक दीयो चमकोसीये / तें दीधो हो तसु पाठमो सर्ग // बी० // 5 // गोशालो गुनही घणुं / जिण बोट्या हो तोरा अवरण वाद / ते बलतो तें राखीयो / सीतल लेश्या हो मूकी सुप्रसाद // वी० // 6 // ए कुणने इंश जालीयो / श्म कहितां हो आयो तुम तीर / ते गोतमनें तें कीयो / पोतानो हो प्रनुता नो वजीर // वी० // 7 // वचन उत्थाप्या ताहरा / जे ऊगड्यो हो तुज साथ जमाल / तेहनें पिण पनरे नवे / सिवगामी हो तें कीध कृपाल // वी० // // श्रमत्तो रिषिजे रम्यो / जलमांहें हो बांधी माटीनी पाल / तिरती मूकी काचली। तें तास्यो हो तेहनें तत्काल // वी ॥मेघकुमर रिषि दूहव्यो / चित्त चूको हो चारित्रथी अपार / एकावतारी तेहनें / तें कीधो हो करुणा नंमार // वी० // 10 // बारे वरस वैश्या घरे / रह्यो मूकी हो संयमनोनार / नंदीषण पिण ऊधस्यो / सुरपदवी हो दीधी अतिसार ॥वी०॥ 11 // पंच महाबत परिहरी / गृहि वासे हो वसियो वरस चौवीस / ते पिण आज कुमारनें / तें ताखो हो तोरी एह जगीस।वी॥ // 12 // राय श्रेणिक राणीचेलणा / रूपदेखी हो चित्त चूका जेह / समवसरण साधु साधवी तें कीधा हो श्राराधक तेह // वी० // 13 // विरति नहीं नहीं आंखमी / नहीं पोहोसो नहीं आदरी दीख / ते पिण श्रेणिकरायनें / तें कीधो हो Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (32) स्वामी आप सरीख // वी० // 15 // श्म अनेक तें ऊधस्या / कहूं तोरा हो केता अवदात / सारकरो हिव माहरी। मनमाहें हो आणो मोरमी वात ॥वी // 15 // सूधो संजम नवि पले / नहीं तेहवो हो मुफ दरसण नाण / पिण आधार ने एतलो / इक तोरोहो धरु निश्चल ध्यान // वी० // 16 // मेह महीतल वरसतो / नवि जोवे हो समविषमी गम / गिरु आसहि जे गुण करे / स्वामी सारो हो मोरा वंटित काम // वी० // 17 // तुम नामें सुख संपदा / तुम नामें हो सुख जाये दूर / तुम नामें वंछित फले / तुम नामें हो मुझ आणंद पूर // वी० // 17 // कलश // * // श्म नगर जेशलमेरु मंमण तीर्थकर चौवीसमो / सासना धीसर सिंह लंग्न सेवतां / सुर तरु समो। जिनचंद त्रिशला मात नंदन सकलचंद कलानिलो वाचना चारिज समयसुंदर संथुण्यो त्रिनुवन तिलो // 15 // इति श्री महावीर स्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ चौवीस दंडकस्तवनं लिख्यते // // ढाल आदर जीव क्षमा गुण आदर ए चाल / // पूर मनोरथ पासजिनेसर / एह करूं अरदास जी। तारण तरण विरुद तुऊ सांजलि / आयो हुँ धरि आस जी // 1 // पू० ॥ण संसार समुज अथागे, नमियो नवजल मांहि जी। गिलगिचिया जिम आयो गिमतो। साहिब हाथे साहि जी // पू० // 2 // तुं ज्ञानी तो पिण तुफ आगे / बीतक कहिये बातजी / चौवीसेदमक हुँ नमियो / वरणुं तेह विख्यातजी // पू० // 3 // साते नरकतणो कदमक, Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (33) असुरादिकदसजाण जी। पांचथावरनें तीन विकलेंजी / जगणि इकबीसजी। व्यंतर ज्योतिषीने वैमानिक / श्मदंमकचौवीस जी॥ पू०॥५॥पंचेंजीतिर्यंच अनेनर / पर्याप्ता जे होय जी। ए चौविहदेवां मे उपजे / इमदेवां गतिदोयजी // पू० // 6 // असंख्याते आऊखे नरतिरि, निश्चे देवजथायजी / निजाऊखे समके श्रोडे / पिण अधिके नवि जायजी // पूरा // 7 // जवनपतीके व्यंतरतांई / समूर्बिमतियंचजी / सरगारमे तांई पुहचे / गरलज सुकृतसंचजी // पू०॥७॥ आऊ संख्याते जे गरजज / नर तिर्यंचविवेकजी। बादरपृथवीने वलि पाणी / वनस्पतीप्रत्येकजी // पू० // ए॥ परियाप्ता इण पांचें गमें / आवी उपजे देवजी / इणपांचेमाहें पिण आगे / अधि. काईकहुं हेवजी // पू० // 10 // तीजासरगथकी मांमीसुर / एकेंजी नवि थायजी / अच्मश्रीऊपरलासगला / मानवमाहें जायजी॥ पू० // 11 // // * // ढाल 2 आज निहेज्योरे दीसेनाहलो ए चाल // // नरकतणीगतिआगति इणपरें / जीवनमें संसार / दोय. गतिनें दोयागतिजाणीयें / वलीयविशेष विचार // 12 // नरक // संख्याते श्राऊ परयाप्ता / पंचेंजीतिर्यच / तिमहीज मनुष्य एहिजबेनरकमें / जायेपाप प्रपंच // न // 13 // प्रथम नेरफलगि जाय असन्नियो / गोहनकुलतिमबीय, गृध्रप्रमुख पंखीत्रीजीलगे। सीह प्रमुख चोश्रीय // नः // 15 // पंचमी बृ० स्त०३ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (34) नरके सीमा सापनी / बीलगि स्त्रीजाय / सातमीये माणस के माग्लो / ऊपजे गरजजाय // न० // 15 // नरकथकी आवे बिहुँ दमके / तिरयंच के नरथाय // तेपिणगरजजनें परयापता / संख्याती जसुत्राय // न // 16 // नारकियांने नरकथीनीसयां / जे फलप्राप्तिहोय / उत्कृष्टेनांगे करि ते कढुं। पिण निश्चेनहींकोय // न ॥१७॥प्रथमनरकथी चवि चक्रवर्ति दुवे / बीजी हरि बलदेव / तीजी लगि तीर्थकरपद लहै / चोथी केवल हेव // नः // 17 // पंचमीनरकनो सरब विरति लहै / उनी देसविरत्त / सातमी नरक नो समकितही // * // ढाल 3 करमपरीक्षाकरण कुमरचल्योरे // मानवगतिविण मुगतिदुवे नहीं रे / एहनो इम अधिकार / पाऊसंख्याते नर सहुदंगके रे / आवीलहै अवतार / मानव // 20 // तेऊ वाऊ दमक बेतजीरे / बीजा जेबावीस / तिहां थीयाथाये मानवीरे / सुख-दुःखकर्मसरीस // माग // 21 // नर तिरयंच असंखीआऊखेरे / सातमीनरकना तेम / तिहांश्रीमरिने मनुष्यहुवेनहीरे / अरिहंतजाख्योएम // मा० // // 22 // वासुदेवबलदेव तथा वलीरे / चक्रवर्तिने अरिहंत / सरग नगरना श्रआया एडुवेरे / नरतिरिश्री न दुवंत // मा० // 23 // चौविहदेवथकी चवि ऊपजेरे / चक्रवर्ति बखदेव / वासुदेव तीर्थकर ए बे दुवेरे / वैमानिकथकी बेक // मा० // 24 // Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (35) // * // ढाल 4 नाभि अने मरुदेवा ए चाल // // हिव तिरयंचतणी गति आगति कहीयेअशेष / जीवनमें इणपरनवमांहें करमविशेष / आऊ संख्याती जे नर तिर्यंच विचार / ते सगला तिरयंचांमाहें लहै अवतार // 25 // जिण तिरयंचांमाहें आवे नारक देव / तेकह्या पहिली तिण कारण न कहुँ हेव / पंचेंजीतिरयंचसंख्यातेआऊखे जेह / ते मरी चिढंगतिमांजावे इहां नहींसंदेह // 26 // थावर पांच तीने विकलेंजी आकहावे / तिहांथी आऊसंख्याता नर तिरयंचमें आवे / विकलचवी लहै सर्वविरतिपिण मुग ति न पावे / तेऊ वाऊथी आयो तेहनें समकितनावे // 27 // नारक वरजीने सगलाही जीवसंसार / पृथवी आउ वनस्पती माहें लहै अवतार / ए तीने हांथीचविश्रावे दसेगमें थावर विकल तिरीनरमाहें उत्पत्ति पामें // 27 // पृथवी कायआदिदेई दसदमके एह / तेऊ वाऊ माहेंावी उपजे तेह / मनुष्य विना नवमाहें तेऊ वाऊबें जावे / विकोछी ते दसमाहिंजावे पूाहीआवे // ए॥ एमअनादि तणोमिथ्याती जीवएकंत / वनस्पतीमाहें तिहारहीयो कालश्रनंत / पुढवी पाणी अग्नि अनें चोथोवलिवाय / कालचक्र असंख्याता ताई जीवरहाय // 30 // बेइंजी तेजी अनें चौरिजी मजारे।संख्यातावरसांलगे नमियो कर्मप्रकारे / सात श्राउ नव खगतां नर तिरयंचमें रहियो। हिवमानव जव लहिने साधुने वेषमें रहियो // 31 // रागष बूटे नहीं किम होवे छूटकवार पिणने मारे मन सुचता जीवरहाय ने चोयोवलितहारहीयो Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (36) हरो एकआधार / तारणतरण में त्रिकरणसुद्धे अरिहंत लाधो। हिव संसार घणोलमिवो तो पुद्गलाधो // 35 // तूं मनवंवितपूरण आपदचूरणसामी / ताहरी सेवलहीतो में नवनिध सिधपामी / अवर न कांईश्वं इणनव तुहीजदेव / सूधे मन एक होयजो नव नव ताहरीसेव // 33 // कलश / श्म सकलसुखकर नगरजेशलमेर महिमादिनदिनें / संवत्तसतरेजगणतीसे दिवसदीवालीतणें / गुणविमलचं समान वाचक विजयहरष सुसीसए / श्रीपासना गुण एमगावे धरमसी सुजगीस ए // 34 // इति श्रीचौवीसदंगकस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्री इरियावही मिच्छामिदुक्कड संख्या स्तवनं लिख्यते // // * प्रभु प्रणमुंरपासजिणेसरथंभणो ए देशी // पदपंकजरे प्रणमी वीरजिनंदना / त्रिकरणसुधरे करि मुनिवरपयवंदना / मत्तैरे पमिकमी जिमरियावही / श्रीवीरनी रे वाणी तहत्तकरि सरदही / उबालो / सरदहीवाणी मन सुहाणी चित्त आणी तेवली / मिलामिछक्कातणी संख्या कहि सुं जिमकही केवली / नूदगजलण तिम वान वणसई विगल पणइंशी तणी / करतांविराहण करमबंध्या दूर ते करिवाजणी // 1 // ढाल // पुढवीदगरे तेऊ वाऊ वणसई / पणयावर रे बादरसुहमदसेंथई / प्रत्येकजरे वणस्सईग्यारेंथया / वावीसरे पछत्तग अपऊत्तया // नबालो // पजात्त अपजात्तग वखाण्या विगलतिय नह नालए / जलथलखचरन्नुयंग Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (37). दुइ पणइंजिय तिरि अमयालए / घम्मादिसातेनरकपुढवी नारकी तिहां सातए / तेचवदनेदेकरीजाणो पजत्तय अपजत्तए // 2 // ढाल // पनरहविधरे सुरगणपरमाहम्मिया। किलविषियारेत्रिविधकरम ते निम्मिया / जनियदसरे नवलोकांतिकजाणिये / सोलह विधरे व्यंतरदेव वखाणिये // उहाखो॥ वखाणिये दसविध नुवनपतिना तार रवि शशि रिषिगाहा / चर थिरदसेविध जोसीसुर वखाण्या जिणवर जिहां / बारह वैमानिक पणअणुत्तर नवग्रेवेके नवजण्या / पात्त अपजात्तग अगऍअधिकसतसंख्यागिण्या // 3 // // ढाल 2 // मेघ आगम सही ए देशी॥ // पंचनरत वलि ऐरवतपंचए पंचविदेहवरमिका ए / खेत्र ए. पनरह करमनूमिजाणीये असिकसिमसिहि आजीविकाए / हेमवतखेत्र वलि हरिवर्ष, रम्यक, ऐर. एयवतसहीए / मेरु पिणपाखती चारि चारि खेत्रए दस कुरु अकरमकनूमि कहीए // 4 // हिमगिरि सिमरीय दाढ चिहुंधारित्र लवणसमुजमांहि विस्तरीए / सात सात अंतर दोयपासे दीपप्पन्न अंतरधरीए / दोश्सेजेद उर आगला जांणिये मणुय पजत्त अपजात्तयाए / एकसो एक समुर्छिम नेद ए / तीनसेतीन मणुश्रा श्रया ए // 5 // ॥ढाल३॥ हिव जनम्याजगगुरु जगत्र हुवो जयकार ए चाल॥ ॥पणसय तेसविध जीवसहू ने एह, अनियआदिक Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) दस गुणितकरीजे तेह / पणसहसबसे वलि तीसअधिकते जाण / ते रागे दोसे गुणा करीवखाण // 6 // दुइ सहस श्यारह पुश्सयसाचप्रमाण / ए प्रवचनवाणी जाणी हित जर आण / मनवच काया करि त्रिगुणा करि ते अंक / तेतीस सहस सतसात असी निःसंक // 7 // वलि करण करावण अनुमति त्रिगुणाकिछ / इकलक्ख सहसग तिसयचालीस प्रसिद्ध / अतीत अनागत वर्तमान वलि काल / जे अश्य विराधना तिणि त्रिगुणा संजाल // 7 // तीनलाख सहस च्यार बीसअधिक ते थाय / अरिहंत प्रमुख बहसाखे उ गुणा नाय / इम लाख अढारह वलि सहसचवीस / इकसो वीसोत्तर दुश् संख्या निसदीस // ए॥ // ढाल 4 // चोपईनी // ॥णपणि मिठामिठक्कम देई / नविकतस्या नवजलनिधि केई / तरे अरे वलि आगलतरसी / निरमलकेवललखमीवरसी // 10 // इरियावही धरमगंगाजल / स्नानकरि बातमकरे निरमल / सेंमुखलाषे वीरजिनेसर / सूत्रकरिगूंथे ते श्रुतधर // 11 // इमपमिकमी मुनिवरश्मतो / वीरसीस केवलपदपत्तो / त्रिकरणसुध तसु पयप्रणमीजे / मानवजमन मफल इमकीजे // 15 // कलश // श्म वीरजिणवर ज्ञानदिएयर सयललोयसुहंकरो / तियलोयसामी सिद्धिगामी सुघधरम धुरंधरो / उवज्काय लदमीकीर्ति सीसे जैनवाणी मनधरी / गणि लचिवबल स्तवनलण श्म संथुएयो नावे करी // 13 // इति श्रीहरियावहीस्तवनं संपूर्ण // Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (35) // * // चवदगुणठाणा स्तवनं लिख्यते // // थंभणपुर श्रीपासजिणंदो॥ ए चाल / // सुमतिजिणंद सुमतिदातार / वं मनसुधवारंवार / आणीनावअपार / चवदे गुणस्थानकसुविचार / कहिस्यु सूत्र अरथ मनधार / पामें जिम नवपार // 1 // प्रथम मिथ्यात कह्यो गुणगणो / बीजो सास्वादनमनायो / तीजो मिश्र वखाणुं / चोथो अविरतिनाम कहाणो / देशविरति पंच सलहीजे / अध्म अपूरबकरणकहीजे / अनिवृत्ति नाम नवम्म / सूखमलोन दसम सुविचार / उपशांतमोह नाम ग्यार / खीणमोहबारम्म // 3 // तेरम सयोगीगुणधाम / चजदम थयो अयोगीनाम / वरणुं प्रश्रमबिचार / कुगुरु कुदेव कुधर्म वखाणे / एहलक्षण मिथ्यागुणगणे / तेहनां पंचप्रकार // 4 // // ढाल 2 // सफल संसारनी चाल // // जेह एकांतनयपद थापी रहै, प्रथमएकांतमिथ्यामति ते कहे / ग्रंथ उत्थापि थापे कुमतिआपण / कहे विपरीत मिथ्यामती ते लणी // 5 // जैन शिवदेवगुरु सहुनमें सारिखा / तृतीय ते विनयमिथ्यामतिपारिखा / सूत्र नवि सरदहे रहे विकलपघणें / संसयीनाम मिथ्यातचोथोलणे // 6 // समऊनहींकाई निजधंध रातोरहे / एह अज्ञान मिथ्यात पंचम कहै / एह अनादि अनंत अजव्यने / करिय अनादिथिति अंत सुजव्यनें // 7 // जेम नर खीरघृतखमजीमनें वमें / Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (40) सरसरसपाय वलि स्वादकेहवोगमें / चौथ पंचम के गण चढिनेपझे। किणहिकषायवसि आय पहिले अमे // // रहे विच एकसमयादि षट् आवली / सहीय सासादने स्थिति इसी सांजली / हिव इहां मिश्र गुणगण बीजोकहे / जेह उत्कृष्ट अंतरमहुरतखहे // ए॥ // ढाल 3 // बेकर जोडीताम एहनी // // पहिलाचारकषाय / शमकरिसमकिती / केतो सादि मिथ्यामतीए / एबेहिजलहे मिश्र / सत्यअसत्य जिहां / सरदहणाबेजंबतीए // 10 // मिश्रगुणालयमांहि / मरणलहे नहीं / आउबंध न पके नवो ए / केतो लहे मिथ्यात / के समकित लहे / मति सरखी गतिपरनवे ए॥ 11 // च्यारश्रप्रत्याख्यान / उदयकरी लहे / मतिविण किहां समकितपणो ए। ते अविरतगुणगण / तेतीससागर / साधिकथिति एहनी जणो ए // 12 // दया उपशमसंवेग / निर्वेदासता / समकितगुणपांचेधरेए / सहुजिन वचनप्रमाण / जिन शासनतणी / अधिकअधिक उन्नति करे ए // 13 // केईक समकितपाय / पुद्गलअरधतां / उत्कृष्टाजवमेरहेए / केईकलेदीगंगि / अंतरमहुरतें / चढतें गुण सिवपदलहे ए // 14 // च्यारकषाय प्रथम्म / त्रिण वलि मोहनी / मिथ्यामिश्रसम्यक्तनी ए, सातेप्रकृति, जास / परही उपसमें / ते उपसमसमकितधणी ए // 15 // जिण साते यकीध / तेनर दायकी / तिणहीज Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (1) जव सिव अनुसरे ए / आगलबांध्यो. आउ / तातें तिहाथकी। तीजे चौथेनवतरेए // 16 // // ढाल 4 // इण पुर कंबल कोइ न लेसी ए चाल // // पंचम देसविरतिगुण गण / प्रगटे चलकमी प्रत्याख्यान / जेण तजे बावीस अनद / पाम्यो श्रावकपणो प्रत्यक्ष // 17 // गुण इकवीस तिके पिण धारे / साचा बारे ब्रत संजारे / पूजादिक षट्कारज साधे / ग्यारे प्रतिमाआराधे // 17 // भारत रोज ध्यान दुवे मंद / आयो मध्य धरमानंद / आठ वरस ऊणी पुबकोम, पंचमगुणगणे थितिजोम // 15 // हिव आगे साते गुणगण / इकश्क अंतरमहुरतमान / पंच प्रमाद वसे जिण गम / तेण प्रमत्तमोगुणधाम // 20 // थिवर कलप जिनकलपत्राचार / साधे षट्नावस्यकसार / उद्यतचोथा च्यारकषाय / तेण प्रमत्तगुणगणकहाय // 1 // सूधो राखे चित्तसमाधे / धरमध्यान एकांताराधे / जिहां प्रमाद क्रियाविध नासे / अपरमत्त सत्तमगुणनासे // 22 // // ढाल 5 // मी नदी यमुनाके तीर उडे दोय पंखीया ए चाल // // पहिलेअंसे अच्मगुणगणातणें / आरंले दोयश्रेणि संखेपे ते गिरें / उपशमश्रेणिचढे जे नरहुवे उपसमी। आपकश्रेणि दायकप्रकृतिदश क्यगमी // 53 // तिहां चढतापरिणाम अपूरबगुण खहे / अम नाम अपूरबकरण तिणें कहे / सुकलध्याननो पहिलो पायो आदरे / निरमल मनपरिणाम अभिगध्याने धरे // 2 // हिवअनिवृत्तिकरणनवमो गुण Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (42) जाणिये / जिहां नावथिररूप निवृत्ति न आणिये / क्रोध माननें माया संजलणाहणें / उदेनहीं जिहां वेद अवेदपणों तिणें // 25 // जिहांरहे सुखमलोन काईकशिवअनिलखे / ते सूखमसंपरायदशम पंमित दखे / संतमोह इण नाम ग्यारम गुणकहे / मोहप्रकृति जिणगम सहु उपसमलहे // 26 // श्रेणिचढ्यो जो कालकरे किणहीपरे / तो थाये अहमिंग अवर गतिनादरे / च्यारवारसमणि लहे संसारमें / एकनवे दोयश्रेणि अधिक न हुये किमें // 27 // चढि ग्यारम सीम समी पहिले पसे / मोहनदे उत्कृष्ट अरधपुदगल रमे। पक श्रेणि ग्यारम गुणगणो नहीं / दशम की बारम्मचढे ध्याने रही // 20 // // ढाल 6 // एकदिन कोई मागधआयो पुरंदर पास ए चाल // // खीणमोहनामें गुणगणो बारमजाण / मोहखपायो नेमो आयो केवलनाण / प्रगटपणे जिहां चारित अमल यथा आ ख्यात / हिवआगे तेरमगुणगणतणी कहे वात // ए॥ घातीय चौकमी दयगई रहीय अघातीय एम / प्रकृतिपच्यासी जेहनें जूनाकापम जेम / दरसणशानवीरजसुखचारित पंचअनंत / केबलझानप्रगटथयो विचरे श्रीनगवंत // 30 // देखे लोक अलोकनीगनी परगट वात / महिमावंतअढारे दूषण रहितविख्यात / आठेवरसे कणीकही इकपूरबकोमि / न. त्कृष्टी तेरमगुणगणे ए थितिजोमि // 31 // करशैलेसीकरण निरूध्या मनवचकाय / तेण अयोगी अंतसमे सदु प्रकृतिख Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (43) पाय / पांचे लघुश्रदरऊचरतां जेहनोमान / पंचमगति पामें सिवपद चउदमगुणथान // 3 // त्रीजे बारमें तेरमें माहें न मरे कोय / पहिलो बीजो चोथो परजव साहोय / नारक देवनी गति माहें लाले पहिलाच्यार / धुरला पांच तिरि माहिं मणु ए सर्व विचार // 33 // कलश // श्म नगरबाहममेरुमंझन सुमतिजिनसुपसाउले / गुणगणचवदविचार वरण्यो जेद आगमनेबले / संवत्तसतरेसे उत्तीसे श्रावणवदि एकादसी। वाचक विजय श्रीहरष सानिध कहे मुनि श्म धर्मसी // 34 // इति श्रीचतुर्दशगुणस्थान विचार स्तवनं संपूर्णम् // // * // // अथ अढाईद्वीप 20 विहरमान स्तवनं लिख्यते // // बंदु मनसुध विहरमाण जिणेसरवीस / दीपश्रढीमें दीपे जयवंताजगदीस / केवलज्ञानने धारे तारे करि उपगार / किण किणगमें कुणकुणजिन कहि स्युं सुविचार // 1 // ए पेंतालीस लक्ष्योजन मानुषदेत्रप्रमाण / बलया कारे श्राधे पुष्कर सीमाजाण / दोयसमुफे सोहे विपअढाई सार / तिणमें पनरे करमजूमीनो कई अधिकार // 2 // पहिलो जंबूदीप समे विचथाल आकार / लांबो पिडुलो इकलखजोयणनें विसतार / मोटो तेहनें मध्य सुदरशणनामें मेर / तिणथी दिसा विदिसानी गिणती च्यारे फेर // 3 // मेरुथकी दक्षण दिसि एह नरत सुत्नदेत्र / पांचसेबवीस जोयण उकला तेहनो वेत्र / उत्तरखंममें एहवो ऐरवतदेत्रकहाय / इण बिहुँ करमांनूमी श्रारा नई फिरताजाय // 4 // तेत्रीससहस बसे चौरासी जोयण Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (4) जाण / च्यारकला ए महाविदेह विखंजवखाण / बावीससे तेरे जोयण एक विजय पहुलाण / एहवि बत्तीसविजयविराजे जेहनें गण // 5 // मेरुविचेकर पूरब पश्चिम दोयविनाग / सोले सोले विजय तिहां विचरे श्रीवीतराग / सासते चोथे बारे तारे श्रीअरिहंत / एहवो महाविदेह करमनूमि त्रीजी तंत // 6 // पूरब विदेह विजयपुष्कलावतियाउमीगम / पुंगरीकणीनगरी तिहां श्रीसीमंधरस्वाम / वप्रविजयपचवीसमी विजयापुरनोनाम / पछिमविदेह बीजा युगमंधर कीजे प्रणाम // 7 // तिमहीज नवमीवविजय वलि पूरबविदेह / नयरि सुसीमा त्रीजाबाहु नमुं धरिनेह / नलिनावर्त्त चौवीसमी पश्चिमविदेह वखाण / वीतशोकानगरी तिहां चौथा सुबाहु जाण // 7 // एच्यारे जिणवर जंबुद्धीपमकार / महाविदेह सुदरशण मेरु तणे परकार / एहवो जंबुधीप महा गढ जेम गिरिंद / खाई रूपे दोयलखजोयण लवण समंद // ए॥ // ढाल दीवाली दिन आवीयौ ए चाल // // दीपे बीजो दीप ए। धनधनधातकीखंग / पिठुलो चिहुंलखजोयणे / मंगलरूपेमंग // 10 // दी० // दोय जरत दोयऐरवत, दोय वलि महाविदेह / करमजूमी षट् ने जिहां / जणहीज नामेंएह // 11 // दी० // पूरब पछिम धातकी। खमगिणीजे दोय / विजयमेरूपूरबदिसे / पछिम अचल जोय // 12 // दी० // इक इक मेरुनें अांतरे / करम नूमि तीन तीन / निजनिज मेरुथी मांमिनें / लेखो चिटुं दिसलीन Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (45) // 13 // श्रीसुजातजिनपांचमो / बो स्वयंप्रनस / रिषनाननजिन सातमो / समरीजे निसदीश // 14 ॥दी० // अनंत वीरजजिन आठमो। ए च्यारे जिनराय / पूरब धातकीखममें / महाविदेह रहाय // 15 // दी० // पहिली चिहुँ जिननी परे / विजय नगर दिशि गण / तिण हीज नामें अनुक्रमें / विजय मेरु अहिनाण // 16 // दी० // नवमो सूरमनु नमुं / दशमो देवविशाल / इम वज्रधर ग्यारमो / त्रिकरणनमुं त्रिदुंकाल // 17 // दी० // बारमो चंजाननजिन / पछिमधातकी मांहि / विचरे च्यारे जिणवरा / अचलमेरु नांहि ॥१०॥दी॥ एहवो धातकी खंमए / परदक्षणा परकार / अग्लखजोयणविंटीयो, समुज कालोदधि सार // 17 // दी० // // ढाल 3 // पहिलि प्रतिमा एकणमासनी० ए चाल / // कालोदधिने पेलेपारए / वीट्यो चूमी जेम विचालए / सोलहलख जोयण विसतारए / दीपपुष्करवर अतिसुखकार ए॥ नबालो // सुखकार पुष्करदीपत्रीजो तेहनें आधेपगे। विचपड्यो परबत मानुषोत्तर मनुष्यदेवतहांलगे / तिण अधिकार आठ लाख / जोयण अरधपुष्कर एमए / तिहाँ करमनूमी उए कहीजे धातकीखम जेमए // 20 // // ढाल // आधेपुष्करने पूरबदिसे / मंदरनामें मेरु तिहांवसे / पछिम विजुमाली मेरु ए। इहां किण इतरो नामें फेर ए॥ उबालो॥ फेर ए इतरो इहां नामें अवरगमें कोनहीं। एक एक मेरे तीन तीने करमजूमी तिहां कही। श्म नरत ऐरवत महावि. Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (46) देहे नाम सरिखो एह ए / तिणहीज नामें विजयसगली सासता धर्मक्षेत्र ए // 1 // ढाल // धातकीखंमे तिम पुष्कर सही / इहां खेत्रांनी रचनाविधकही / वारवारकहतां विसतार ए / पहिला पर लेज्यो सुविचार ए // // उहालो / सुविचार बाकी तेह सगलो नगर तिमहीज मनगमें / पूरबे पनिम जेह नीते तेह तिमहीज अनुक्रमें / श्रीचंजबाहु नुजंग ईसर नेम च्यार तीर्थकरा / पूरबे पुष्कर अरधमांहे सरब जीव सुखंकरा // 22 // ढाल // वैरसेन वं; जिन सतरमो,श्रीमहाजज अचारमनितनमो देवजसा जगणीसमजिनदेवए / अजितवीर्य वीसम जिणदेवए // उबालो॥ जिण च्यार पुष्कर अरध मांहि कह्या पश्चिमजागए / तिहां मेरु विद्युन्मालि चिहुँदिसि विचरता वीतराग ए / चौरासीपूरबलाख वरसां आउ इक इक जिनतणो / पांचसेधनुषसरीर सोहे सोवनवरण सुहामणो // 23 // ढाल // कालजघन्यै ए जिणवीसए / हिव उत्कृष्ट नेदकहीसए / एकसोसत्तरि तिहां जिणवर कहे / पांचे जरते जिम पांचे लहे // उबालो // जिणलहे पांचे तेम पांचे ऐरवत मिल दशदुवा / इक इक विदेहे बत्तीस विजयां तिहां पिण जे जूजू / एकसोसत्तरि एम जिनवर कोमिनवसय वलि केवली / नवसहसकोमी श्रवर मुनिवर वंदीये नित ते वली // 24 // ढाल // इहां जरतें ऐरवतें आज ए, पांचमें आरे नहीं जिनराजए / धनधन पांचे महाविदेह ए। विचरे वीसजिनगुणगेहए // नहालो // गुणगेह दोष Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (47) अढारवरजित अतिशया चौतीसए / चोसहिद नरिंद सेवित नमुं ते निसदीस ए / तिहां आज तारण तरण विचरे केवली दोयकोम ए / दोईसहसकोमि सुसाधु बीजा नमुं बेकरजोम ए // 25 // कलश // इमअढीदीपे पनरकरमानूमिखेत्रप्रमाण ए। सिद्धांतप्रकरणमाहिलाष्या वीसविहरमाणए / श्रीनगर जेशलमेरु संवत सतर गुणतीसे समे / सुखविजयहरष जिणंद सांनिध नेहधरि धर्मसीह नमें // 26 // इति श्रीमेरुपर्वत कर्मजूम्यादि विचार गर्जितं विंशति विहरमाण जिनानां वृद्धि स्तवनं / / जंबुद्धीप, धातकी खंम, आधो पुष्कर बीप, 3 एवं // वीपमें एजरत, ५ऐरवत, 5 महाविदेह,१५ कर्म नूमीमें विचरता सास्वता 20 विहर मानकों मेरा नमस्कार होवो // // अथ श्रीशीतल जिनचैत्यप्रतिष्ठा स्तवनं लिख्यते // // नविजनपूजोरे शीतलजिनपतीरे / नयनानंदन चंद / प्रजुजी विराजे रे सूरतविंदरे / नंदा देवीना नंद // 1 // न // जगहितकारीरे जिनजी अवतस्यारे / श्रीहढरथ नृपगेह / श्रीवचसोहेरे लांबनसूंदरूरे / कनकवर्ण प्रजुदेह // 2 // 0 // विषयनिवारी रे संयमसंग्रह्यो रे / लाधु केवल नाण। सघनघनाघनजिमधर्म वरसतारे। विचस्या त्रिनुवन नाण // 3 // नवि०॥ वेदनी प्रमुख जे शेष रह्या दुतारे / च्यार अघाती कर्म, दूर निवास्खा रे अनुक्रम तेहनें रे / पाम्युं शिव पदसर्म // ॥ज // संप्रतिकालेरे श्रीजिनराजनोरे / पूजीजेरे प्रतिबिंब / प्रतिदिनलहीयेरे प्रनुसुप्रसादथीरे वांछित Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (47) फल अविलंब // 5 // न // श्रीजिनवरनो बिंब विखोकतां रे / उकृतदूरपुलाय / इंजीयनिग्रह सुग्रहसंपजेरे / समकित पिण दृढथाय // ६॥न // श्रीसशुरुनामुखथी सांनट्यारे / एहवा वचनविलास / ते वहुमाने रे निजचित्तमें धस्यारे / नेमी सुत नाईदास // 7 // ज० // चैत्यकराव्युरे सुंदरसोजतोरे / मनधरिअधिकनवास / शीतलप्रनुनोरे विंबनरावियोरे / सहसफणा वलिपास // // ज० // वरस अचारह सत्तावीसमें रे / माधवमास मकार / नऊलवादसी दिवसे थापीयारे। बिंब अनेकजदार // ए॥ न० // एकसोश्क्यासीसहु मेले श्रया रे। बिबादिकसुविचार / कीध प्रतिष्ठा तेदिनतेहनीरे / विधि पूर्वकमनधार // 10 // न // श्रीजिनलानसूरीश्वरदीपतारे / श्रीखरतरगहनांण / तासपसायमें शीतलजिनथुण्यारे / विबुध क्षमाकट्याण // 11 // नवि० // इति श्री 10 शीतल जिन स्तवनम् // // अथ बयालीस दोस वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // दोहा // सासनपतिचौवीसमो / महावीरजगवंत / दोष बयांलीस दाखीया / टाले ते मतिमंत ॥१॥धारक दसविध धरमना / चाले जे इणचाल / निरदूषणथाहारस्ये / ते विरला इएकाल ॥॥सोले श्रावकथी टले / सोले साधु सरीर / बली दस फीरतां गोचरी / समजे तिके सधीर // 3 // मांगलना दूषण कह्या / पणधारीने पंच / माहें ते पिण मेलतां / सेंतालीसनो संच // 4 // Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (धए) // ढाल // 1 // कपूर हूवे अति ऊजलो रे // ए देशी // // उदगम नाम संज्ञाश्सीरे / श्रावकथीजेसोल / पहिली ते परिकासीयेरे / विवरोकरीयविरोल / मुनीसर समजीट्यो आहार / नालिकवचननिहालज्यो रे / आहारजिस्यो उदगार // मुनी० // 6 // मुनिनेंकाजेजेकरेरे। आधाकर्मी अबुध। कीधोमो ऊनोकरीरे / येतेपूर्व विसूच // मुनी० // 7 // एदोमुंमेलीदीयेरे / तेत्रिजोपूतिकर्म / अन्यमतिने आपतारे / येते मिश्रितमर्म // मुनी // // थाप्यो दूजे गममें रे / थापनादूषणजाण / प्रातिकादूषणको रे / अनीयनपीसुद्ये आंण / मुनी // ए॥ जालीगोखजोई दीयेरे / प्रामुक्करण ते प्राय / मोललेश्चै मुतिप्रतेरे / कीततीको कहिवाय // मुनी // 1 // ऊधारोले आपतां रे / नवमो प्रामित्यनेम / असनसटेलेश असनघेरे / ते परवर्तनप्रेम // मुनी० // 11 // अन्याहृतश्ग्यारमोरे / जेदे थानकाय / उन्निन्ननांमे बारमोरे / आपे जे उघमाय // मुनी // 15 // ऊपरथीउतारीधैरे / मालाहृततेमोस / बालकना करथी ग्रहिरे / देतेाविद्यदोस / मुनी० // 13 // पाकादिकपंचांतणोरे / अनपृष्ट दे जो एक / अधिकेरो ऊरे वलीरे / देखी साधुअनेक // मुनी० // 15 // अध्यवपूरक ते सोलमो रे / खेतांलागे पाप / सुविवेकी श्रावकहूवे रे / तो सहिजेटले संताप // मुनी // 15 // उहा // उत पादनसंज्ञातणा / दाखू सोले दोष / जयणाकरी टालीसजो / तो मुनिवरपामीसमोख // 16 // बृ० स्त०४ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (50) // ढाल 2 // सुगुण सोभागी हो साहिब माहारा एदेशी // // प्रथमखेलाबे बालकबहूपरे / ते धाईदूषणतंत / चतुरनर, दाखे संदेसा दूतितणा / ते दूतिदोषकहंत // चतु० // 17 // जिनवरनेवचनें चालेजिके / तेराखे एकतार // चतु ॥असनादिकलेतांअणसूझतां / भागेदोष अपार // चतु // 17 // जिन // निमित्तप्रकाशकरे नितनितनवो / निमितदूषण तेह नेम // चतु॥ जातवतांयां आपणीजनप्रते / आजीविकदोषएम // चतु० ॥१ए // जिन // शिवशासननीवातसुणावतां / वनीगमदोषविचार // चतु० // विविधआहारकरीट्य वैद्यगी। तेह चिकित्सानीतार // चतु॥ 20 // जिन० // असनादिक जे क्रोधेाचरे / क्रोध दूषण कहिवाय // चतु॥ मानतणे बस जेहग्रहें मुनि / ने मानपिंग कहिवाय // चतु॥ // 1 // जिन // केलवणा जे कपटतणी मिलें / तेतोमायाविनाम // चतु॥ लालसा दूषणरसलुब्धो लीयें / ते समजुनो नहिं काम // चतु० // // जिन // परसंसी दातव्यगुणपूरला / लेतांसंस्तवनो लाग // चतु // लेश्ने परसंसें लोकनें। ते परसंसा पिण त्याग // चतु० // 23 // मंत्रतणी लाघवताये मिले / तो मंत्रदूषणतास // चतु० // वसीकरणकरदेई वहिरतां, चूरणमिसरास // चतु० // 24 // अंजनादिकजोगे अहसीकरे / योगपिंमदूषणजाण, मूलकरमपिंमदूषणसोलमो, पातन गर्लप्रमाण // चतु // 25 // जिन // उहा // गौच Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (51) रीयें जातां गुरें / दाख्या दूषणदस्य ते टाली याने सिक संयम गुणें सरस्स // 16 // // ढाल श्रीसंखेसरपासजिणेसरभेटिये एदेशी // आधाकरमीआदिक सोलह जे कह्या, संकाकरतां संकित पिंझवसेफह्या। सचित्तजलादिकलागां मृक्षितपिंमए / प्रथवी प्रमुखमुकाणो निदितपिए // 27 // सचितप्रमुख फलस्पर्श असनग्रह्यां सदा / चोथोपिन्तिदोष हूवो परगट तदा / संहतदोष मोटाथी लघुमे मूकतां / दायकनांमे दोष देवालअसूजतां // 2 // ननमिश्रलागे जोग्य अजोग्य अजाणतां / अपरणित्तश्णनांम असीनो आणतां / कररेखाविणसूकां लिप्तदूषणलीयो / बर्दितदूषणजे लेतां धरति नांखीयो // 25 // ए दसदूषण एहनें संज्ञाएषणा, साधुजिकेसुविहांण चरति गवेषणा / जिनवरनेवचनेंएहबेतालीस जो टले, तोश्णपंचमेंयारे साधुपणोपले // 30 // मुनिवरने वली पांचदूषण मामल तणा। जे जाख्याजिनराज सुणो नवियणजणा / खीरखांमघृतमेट्यां संजोजनसुणो / अपरिमाण आहार लेतां दूजो गिणो // 31 // धूम दूषण इण नाम तेहिजकुवखाणतां / इंगालनांमे दूषणसखरवखांणतां / ग्लानिविनारसलेतां अनिमित्त आणीयें मांझलना ए दोष / सुगुरु मुखजाणीयें // 32 // पिण हूं संयमपाय नको टाली सक्यो / तिणकारण हिव स्वामि सरणताहरोतक्यो / मोटांने उलाजाने मिटवातणी / कारजपमियां काजसुधारे ते धणी // 33 // आगेपिण अपराधिताखानेश्ता। धूम दृपण / खानिविनाखजाणी // 32 खामि सरणत Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (52) सहूजाणे संसारकविदाखेकिता / इमजाणी मुजऊपरमहिर करी जीये / बांहग्रह्यांकीलाजनिवाजसदिजिये // 34 // तारण तरणजिहाज विरुद ने ताहरो / तो मानवनोअवतारसफल करमाहरो / नवजव ताहरीसेव चरणसेवकरहूं। तिम करज्यो जगवंत किसुवलिबलिकहूं // 35 // (कलश) श्मनगरदेसलसरनिरंतर विंबनेय्यासुनमनें / जिनवचने संजमशुपाले दोषटाले दिनदिने / सुविवेकविध पुहिवीराज श्रावक तासुआग्रहवहूपरे / रुघनाथमुनिये / कीधरचना अगरे अमोत्तरे // 36 // इति श्रीबेंयांलीस दोष विवरण स्तवनं संपूर्णम् // // अथ दश पञ्चक्खाण वृद्धस्तवनं लिख्यते // // दूहा // सिखारथनंदननमूं / महावीर नगवंत / त्रिगमे बेगा जिनबरू / परषदबारमिलंत // 1 // गणधरगौतम तिण समें / पूरे श्रीजिनराय / दश पच्चक्खाण किसाकह्या / कीयां कवणफलथाय // 2 // // ढाल पहली // सीमंधरकरज्यो मया एदेशी॥ // श्रीजिनवर इमउपदिशे / सांजल गोयमस्वाम / दश पञ्चक्खाणकियां थकां / बहिये अविचलगम // 3 // नवकारसी बीजी पोरसी / साढपोरसी पुरिमड्ड / एकासण नीवी कही / एकलवगण देवति॥४॥ श्री० // दात आंबिल उपवासही। एहीज दश पच्चक्खाण / एहना फलसुण गोयमा। जूजूवाकरूं वखाण // श्री० // 5 // रतनप्रजा शरकरप्रना। बालुकातीजीजांण / पंकप्रनातिमधूमप्रना / तमप्रजा तमतम Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (53) गम // श्री० // 6 // नरक सात कही ए सही। करम कठिन कर जोर / जीवकरमवस ते सही / उपजे तिणहीज गेर // श्री० // 7 // वेदनलेदनतामना / खत्रिषा वलि त्रास / रोमरोम पीमाकरे / परमाहम्मीतास // श्री // ॥रात दिवश खेत्रवेदना / तिलजरनहीं जिहांसुक्ख / किया करम जे जोगवे / पामें जीव वहु उक्ख // श्री० // ए॥ इक दिनरी नवकारसी / जे करे नाव विशुद्ध / सो वरस नरक नो आऊखो / दूर करे ज्ञान बुद्धि // श्री // 10 // नित्य करे नव कारसी / ते नर नरक न जाय / न रहे पाप वलि पाग्ला / निरमल होवे जी काय // श्री० // 11 // // ढाल // 2 // श्रीविमला चल सिरतिलो एदेशी // सुण गोतम पोरसी कियां महामोटोफलहोय, नावसुं जे पोरसीकरे / उरगति दे सोय। सु० // 12 // नरक मांहें जे नारकी / वर एक हजार / करमखपावे नरकमें / करता बहुत पुकार / सु // 13 // एकदिवशनीपोरसी / जीवकरे कर तार / करमहणे सहसएकना। निहचेसुं गणधार // सु० // 14 // उरगतिमाहें नारकी। दसहजारप्रमाण। नरक आयुखिणएकमें। साढपोरसीकरेहांण // सु० // 15 // पुरमड्ढकरे नित जीव जे / नरके ते नविजाय / लाखवरष करमनेंदहे / पुरमडकरमखपाय // सु // 16 // लाखवरषदशनारकी। पामें मुखअनंत, इतरा करमएकासणे / दूरकरे मनखंत // सु० // 17 // एककोमीवरसांलगे / करमखपावे जीव / नीवीयकरतांनावसुं। उरगति Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (54) हणे सदीव // सु० // 17 // दशकोमी जीव नरकमें / जितरो करे कर्मदूर / तितरोएकलगणही / करेसहीचकचूर // सुप ॥१ए॥ दातकरंतांप्राणीयो / सोकोमीपरमाण / इतरा वरष उरगतितणा / बेदे चतुरसुजाण // सु० // 20 // आंबिल नो फल बहुकह्यो / कोमीएक हजार, करम खपावे इणपरे / नाव आंबिलअधिकार // सु०॥२१॥ कोमिसहसदशबरसही। सहेमुःखनरकमकार / उपवासकरे कनावसुं / तो पामें मुगति // ढाल 3 // केकेइ वरलाधो एदेशी॥ // लाखकोमीवरसांलगे / नरकेकरतांरीवरे / गौतम गणधारी। उच्तपकरतांथकां / सहीनरकनिवारे जीवरे // गौ // // 13 // नरके वरसकोमलाखही, जीवलहें तिहांकुःखरे / तेऽख अमतपढुंती / दूरकरी पासुरकरे // गौ० // 24 // बेदन जेदन नारकी। कोमाकोमिवरसांवरे / कुगतिकुमतिनें परहरो / दशमें एतो फलहोरे // गौ // 25 // नितफासू जल पीवतां / कोमाकोमी वरसनो पापरे / दूरकरे खिण एकमें / निश्चै होय निःपापरे // गौ // 26 // वलिय विशेषे फलकह्यो। पांचमकरे उपवासरे / पामें ज्ञान पांचेजला / करता त्रिभुवन परकासरे // गौ // 27 // चवदश तप विधिसुंकरे चवदह पूरब होय धाररे / म अनेक फल तप तणा / कहितां वलि नावे पाररे // गौ० // 27 // मन वचने कायाकरी / तप करे जे नर नार रे / ग्यारे वरस एकादशी, करतां लहे जवपार रे // गौ // २ए // आग्मतप आराधतां / जीव न फिरे Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (55) संसार रे / अनंतनवानां पापथी। बूटे जीवनिरधाररे // गौ० // 30 // तपहुंती पापीतया / निसतरीयो अरजुनमाल रे // गौ // 31 // तपनाफल सूत्रेकह्या / पच्चक्खाण तणा दशजेदरे / अवरनेद पिण ले घणा / करतां दे त्रयवेद रे // गौ // 35 // (कलश) पञ्चक्खाणदशविधफलप्ररूप्या महावीरजिणदेवए / जे करे नवियणतपअखंमित तासु सुरपयसेवए / संवत्तनिधिगुणअश्वशशि वलि पोश सुददशमीदिने, पदमरंगवाचकसीसगणिवर रामचंद्र तप विधिनणे // गौ // // 33 // इतिदशपच्चक्खाणफलगनित वृक्ष स्तवनम् // ॥अथ श्रीऋषभजिनस्तवनलिख्यते // // ढाल // पाटोधरपाटीये पधारो एदेशी // सुणसुण सेजगिरिस्वामी / जगजीवनरंतरजामी / इंतो अरजकरुं सिरनामी / कृपानिधि वीनती अवधारो // 1 // जवसायरपारउतारो / निजसेवकवानवधारो / कृपानिधि विनतीअवधारो / प्रनुमूरतिमोहनगारी / निरख्यां हरखे नरनारी / जाउं वारी हुंवारहजारी // कृ० // // हिव किसियविमासणकीजे / मुझऊपरमहिरधरीजे / दिखरंजनदरसनदीजे // कृ० // 3 // आजसयलमनोरथ फलिया। नवनवना पातिकटलिया। प्रनु जो मुझसैंमुखमिलिया // कृ० // 4 // समस्यां संकटटलिजाये / नवनवनितमंगलथाये / मुख्यातमपुण्यनरायें // कृ०॥५॥ करजोमी वीनतिकीजे / केसरचंदनचरचीजे / दिन धन धन तेह गिणीजे // कृ०॥ ६॥प्रनु दरससरसलहि Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (56) तोरो / अतिहरखितहुवोचित्तमोरो। जिमदीगं चंदचकोरो॥ कृ० // 7 // परतिखप्रनु पंचमे आरे। विषमहालयसंकटबारे / सहुसेवककाजसुधारे // कृ० // // सेवोस्वामिसदा सुखदाई / कमणा न रहे घरकाई / बाधे संपतिसोनसवाई // कृ० // ए॥ नाजिरायकुलांबरचंदा / नविजनमननयणाणंदा / उलगे सुरसुरसुरिंदा // कृ० // 10 // जयकारी रिषनजिनंदा / प्रहसमधरपरमाणंदा / वंदे श्रीजिननक्तिसूरिंदा // कृ० // 11 // इति श्रीषनदेवजी स्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ श्रीअजितशांतिस्तवनं लिख्यते // // मंगलकमलाकंदए / सुखसागरपूनिमचंदए / जगगुरु अजियजिणंदए / शांतीसरनयणानंदए // 1 // बिहुँ जिनवर प्रणमेवए / बिहुं गुणगाश्ससंखेवए / पुण्यमारलरेसए / मानवनवसफलकरेसए // 2 // कोमहिलाखपचासए / सागर जिणसासणनास ए / रिषहजिणेसरबंसए / उवज्कायसरोवरहंसए // 3 // इण अवसर तिहां राजीयोए / राजा जितशत्रु जगगाजीयो ए / बिजयातसु घर नार ए / बिहुँ रमयति पासासारए // 4 // कूखहि जिनअवतारए / तिणरायमनाव्यो हारए / नयरवस्यो दसमास ए / प्रनुपूरी जणणीआसए // 5 // बिहुँ जण मन आणंदीयोए / सुत नाम अजियजिण तो दीयो ए। तिदुअणसयल उदाह ए / क्रम क्रमवधे जगनाहए // 6 // हंस धवल सारसतणी ए।गति सुललितनिजगति निरंजणी ए। मलपतिचालेगेलए / जाणें नयण श्रमीरसरेल ए // 7 // अवरन Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (57) समो संसार ए / बलि ज्ञानविवेक विचारए / गुणदेखी गजगहगह्योए / उनमिसि पगलागीरह्योए // // जोवनवय जब आवीयो ए। तब वररमणी परिणावियो ए। पीयसाधे सब काजए / प्रनुपालेपहुवीराज ए ए॥ हिव हत्थणाजर गमए / विश्वसेणनरेसर नाम ए / राणीअचिरादेवए / मनहरसुखमाणे बेवए // 10 // चवदहस्वप्नैपरिवस्योए / अचिराजयरे सुतअवतस्योए / मानवदेव वखाणीयोए / चक्कीसर जिनवर जाणीयो ए॥११॥ देसनयरदुश्संतए / तिण नामदीयो सिरिशांतए / जिणगुणकुणजाणेकही ए। तिहुँ नुवणे तसु उपमा नहीं ए // 12 // नयण सलूणो हिरणलोए / वनसिंघे वीहे एकलोए / नयणसमाधिनिरोधए / इणनयणे नारिनिरोध ए // 13 // गीतहीरागसुरंगए। पिण पजणे लोक कुरंगए / तो जग्योशशिसंकए / तिण पाम्यो नाम कलंकए // 14 ॥णपरमृगअतिखलजत्यो ए। जयनंजणस्वामीसांजस्योए / आणंदीयो मनापणो ए / पायसेवे मिस लांबणतणोए // 15 // लीलावति परणे घणीए / नवनवीय कुमरी रायांतणी ए / बलग्स अरियणजोगवे ए / पीयरायनलीपरजोगवेए // 16 // कुमरतणेमंगलसमें ए / पंचाससहसवरसां गमें ए / तोतेजे दिणयरजिसोए / ऊपन्नो चक्करयणतिसोए // 17 // साधीनरहउहखंम ए / वरतावीश्राणाअखंमए / चवदरयण नवनिहिसही ए / वसु सोलसहस जक्खे अहीए // 10 // सहसबहुत्तरपुरवराए / बत्तीस मोमबचनरवराए / पायकगामे कोमए / Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (57) बिन्नवे नमें बेकरजोडए // १ए॥ हयगयरहवर जूजुवाए। लखचौरासीमंदिरहुवाए / लाखत्रि वाजिन घमघमेए / बत्तीससहसनाटकरमेए // 20 // रूपजिसीसुरसुंदरीए / लदाणलावन्य लीलाजरीए / जंगम सोहगदेहमीए / इसीचौसठसहस अंतेजरीए // 1 // अबरजरिधिप्रकारए / मणिकंचणरयणजंमारए / ते कहिवा कुणजाणए / वपुवपुरे पुण्यप्रमाणए // 22 // श्म चक्कीसरपंचमोए / चौथो दूसमसुषमसमोए / वरससहस पचवीसए / सबपूरीमनह जगीसए // 23 // इणपरि बिहुँ तीर्थकराए / चिरपालीराज विविहपराए / जाणीअवसरसारए / बिहुँलीधो संजमन्नारए // // बिहुँ खमदम धीरमधीरए / बिहुँ मोहमयणमदपरिहरीए / बिहुँ जिणकाणसमाणए / बिडंपाम्यो केवलनाणए // 25 // बिदुं देवहिकोमहिम हिय / बिहुँ चौतीसेअतिसयसहिय / समवसरणबिहुँ गणए / बिहुँ जोयणवाणीवखाणए // 26 // नाचतरणकतनेजरीए / बिहुँ आगलि इंजअंतेजरीए / टिगमिग जोवे जग सहुए / रंगहि गुणगावे सुरवहुए // 27 // बिटुंसिरउत्रचमरविमल / बिहुँ पगतल नवसोवनकमल / बिहुँ जिनतणे विहारए / नवि रोग न सोग न मारि ए // 28 // बिहुँ उवयारनुवणनरीए / बिहुँ सिधिरमणिसयंवरीए / बिहुंनंजी नवकंदए / बिहुँ उदयो परमाणंदए // श्ए // श्म बीजोनें सोलमो ए, जाणे चिंतामणि सुरतरुसमोए / श्रुणि तिसंज्कविहाणए / तिहां इहपरजव नवि हाणए // 30 // बिहुँ उजवमंगलक Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (एए) रण / बिहुँ संघसयलऽरियहरण, बिहुं वरकमलवयणनयण / बिहुँ श्रीजिनरायन्नुवनरयण // 31 // श्मजगते जोखिमतपीए / श्रीअजियशांतिथु नपीए / सरण बिहुँ जिणपायए / सिरिमेरुनंदनउवजायए // 35 // इति श्रीअजितशांति जिनस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्रीसिद्धगिरि स्तवनं लिख्यते // // श्रीविमलाचल सिरतिलो / आदीसरअरिहंत / जुगला धरमनिवारणो / जयनंजणनगवंत ॥१॥श्री० // मुझमन ऊलट अतिघणो रे / सोदिनसफलगिणेस / स्वामीश्रीरिहेसरू / जब नयणे निरखेस // श्री० // // जंगमतीरथविहरता / साधुतणे परिवार / श्रादिजिएंदसमोसस्या / पूरब निवाणुंवार // श्री० // 3 // अचरा विजयानंदनें / जगबंधव जगतात / इणगिरिचनमासे रह्या / थिवरकहे ए वात // श्री // 4 // पामें शिवसुखसासता, गणधरश्रीपुंमरीक / पुंगरगिरितिणकारणें / जगति करो निरनीक // श्री० // 5 // नमिनें विनमि सहोदरू / विद्याधरबलवंत / से@जयशिखरसमोसस्या / जेगिरवागुणवंत // 6 // श्री० // थावच्चामुनिवरशुक, सहससहसपरिवार / पंथगवयणेजागीयो / सो सेवगणगार // श्री० // 7 // पांमवपांचमहाबली। सुणी जादवनिरवाण / ते सीधा सिमा चले / सुरनरकरे वखाण // श्री० // // श्मसीधा इणडूंगरे / मुनिवरकोमाकोमि / पाजचढंतां सांजरे / ते प्रपमुंकरजोमि // श्री० // ए॥ जेवाघणी प्रतिबूझवी / ते दरवाजे Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (60) जोय / गोमुखयदकवममिली / सानिधकारीहोय // 10 // श्री० // जेविधिसुं यात्राकरे / सुरनर सेवक तास / राजसमुज गुणगावतां, अविचललीलविलास // श्री० // 11 // इति सीसेgजय स्तवनं संपूर्णम् // // सुणजिनवर सेठेजाधणीजी / दासतणी अरदास / तुज आगल बालकपरेजी, ढुंतो करुं वेखासरे जिनजी मुजपापीने तार / तुंतो करुणारसन्नस्योजी / तुं सहुनोहितकाररे जिन जी // मुजम् // 1 // हुं अवगुणनोउरमोजी / गुण तो नहीं लवलेश / परगुणपेखी नवि शकुंजी / केमसंसारतरेसरे जिनजी। मुज // 2 // जीवतणावधमें कस्याजी। बोट्या मृषावाद / कपटकरी परधनहखाजी / सेव्या विषयसवादरे जिनजी॥ मुज // 3 // 9 लंपट ढुं लालचीजी / कर्मकीधां केई कोम / त्रणवनमां कोनहींजी। जे आवे मुजजोमरे जिन जी // मुज // 4 // विपरायां अहनिशेजी। जोतोरडं जगनाथ / कुगतितणी करणीकरीजी / जोड्यो तेहरों साथरे जिनजी // मुज // 5 // कुमतिकुटिल कदाग्रहीजी / वांकी गतिमतिमुक / वांकीकरणी माहरीजी / शीसंजला, तुकरे जिनजी // मुज // 6 // पुन्यविना मुजप्राणिजी / जाणे मेलुंरेयाथ / उचां तरुवरमोरीयांजी / त्याहीपसारे हाथरे जिनजी // मुज // 7 // विणखाधां विणलोगव्यां जी। फोगटकर्मबंधाय / आर्तध्यान मिटे नहींजी / कीजे कवणनपायरेजिनजी // मुज० // 7 // Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (61) काजलथीपण शामलाजी / मारा मनपरणाम / सोणामांहीं ताहरुंजी। संजालं नहींनामरे जिनजी // मुज // ए॥ मुग्धलोक उगवाजणी जी। करुं अनेकप्रपंच / कुमकपट बहु केलवीजी। पापतणो करुं संचरे जिनजी॥मुजः॥१॥ मनचंचलनरहेकिमे जी।राचे रमणीरेरूप। कामविटंबणशीकहुंजीपमीश हुँ उरगतिकूपरे जिनजी // मुज // 11 // किश्याकडं गुण महाराजी। किश्याकडं अपवाद / जेमजेमसंजारूं हीयेजी / तेमतेमवधे विखवादरे जिनजी // मुज // 12 // गिराते नविलेखवेजी। निगुणसेवकनीवात / नीचतणे पण मंदिरेजी। चंजनटालेजोतरे जिनजी // मुजम् // 13 // निगुणो तो पण ताहरोजी / नामधरावुरे दास / कृपाकरी संजारजोजी / पूरजो मुजमनासरे जिनजी॥ मुजम् // 14 // पापीजाणी मुजनपीजी / मत मूको विसार / विष हलाहल आदस्योजी। ईश्वर न तजे तासरे जिनजी॥ मुजम् // 15 // उत्तमगुणकारीहुवेजी / स्वार्थविनासुजाण / करसण चिंते सरनरेजी / मेह नमांगेदाणरे जिनजी॥ मुज० // 16 // तुं उपगारी गुणनिलोजी / तुं सेवकप्रतिपाल / तुं समरथसुखपूरवाजी / कर माहरीसंजालरे जिनजी // मुज // 17 // तुजने शुं कहीये घणोजी। तुं सहुवाते जाण, मुजने थाजो साहिवाजी / नवनवताहरी श्राणरे जिनजी / मुजः // 17 // नानिराया कुलचंदलोजी / मारुदेवीनोनंद / कहे जिनहरष निवाजज्यो जी। देजो परमानंदरे जिनजी / मुजपापीने तार // 15 // इति श्रीबालोयण आदिजिन स्तवनं // Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (65) // अथ नवपद वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // सुरमणीसम सहु मंत्रमां / नवपद अभिरामीरेलो // अहो नव / करुणासागर गुणनिधी / जगअंतरजामीरे लो // अहो जग० // 1 // त्रिनुवनजनपूजितसदा। लोकालोक प्रकासीरे लो। अहो लोका० // एहवा श्रीअरिहंतजी / नमुं चित्तनवासीरे लो // अहो नमुंम् // 2 // अष्टकरमदलक्ष्यकरी / श्रयासिघसरूपीरे लो। अहो थया / सिझनमो नविनावथी। जे अगमवरूपीरे लो // अहोजे // 3 // गुणवत्तीसे सोलता। सुंदरसुखकारीरेलो // अहो सुं० // आचारज तीजेपदे, वंडुअविकारीरेलो // अहो वं // 4 // आगमधारी उपशमी। तप मुविध अराधीरेलो // अहोत // चोथे पद पाठक नमो / संवेग समाधीरे लो॥ अहोसं० // 5 // पंचाचारपालणपरा पंचाश्रवत्यागीरे लो // अहो पं० // गुणरागीमुनि पांचमें / प्रणमुं वमनागीरे लो // अहो प्र० // 6 // निजपरगुणने उलखे / श्रुतश्राआवेरे लो // अहो श्रु० // बगुण दरशणनमो। आतम शुजनावरे लो // अहो आ // 7 // ज्ञान नमो गुण सातमें / जे पंचप्रकारेरेलो // अहो जे० स्वपर प्रकाशक दिनमणि / अज्ञाननिवारेरेलो // अहो अ० // // आपमें चारित्रपदनमो। परनावनिवारीरेलो // अहो प० // खांत्यादिकदसधर्मनो / जेह अने अधिकारीरेलो // अहो जे ए॥ नवमेवलितपपदनमो / बाह्याच्यंतर नेदेरे लो // अहो बा० // बांध्याकालअनंतना / जे कर्मउन्देरे लो // अहो जे // 10 // ए नवपदबहुमानथी / ध्यावे शुजन्नावरे लो // अहो ध्या० // Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (63) नृपश्रीपालतणीपरे / मनवंचितपावरे लो // अहो म // 11 // आसू चैत्रक मासमां, नवांबिलकरियेरे लो // अहो नव // नवली विधियुतकरी / शिवकमलावरियेरे लो ॥अहो शिप // 12 // सिद्धचक्रनी बहुपरे / वरमहिमाकीजेरे लो॥ अहो व० // श्रीजिनलालकहे सदा / अनुपमजशलीजेरे लो॥ अहो अ० // 13 // इति श्रीनवपदजीका वृद्ध स्तवनं // // अथ चैत्री पूनम वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // ढाल // पयप्रणमीरे जिनवरना सुपसाउले / पुंगरगिरिरे गाइस हुं सुजनाउले / मतिसुरगुरुरे सहसजीन जो मुखहुवे। किमते नररे विमलाचलना गुणस्तवे / उहालो / किमस्तवे गुणगणएहगिरिना जिहां मुनिसीधावदु / गिरि रायना गुण अनंता कहै जिनवर मुखसहु, निज जनम सकली करण कारण केटला गुणलाषिये ।तिरयंच नारक तणीगतिना फुःखदूरेराखिये // 1 // चाल // जिनराजारे पहिलो श्रादिजिनेसरू / तसु नंदनरे चक्रवर्तिजरतेसरू / तसुअंगजरे पुंमरीकगुणगणनिलो। शमदमरसरे विनयविवेक गुणेनलो। उबालो / गुणनलो अनुक्रम आदिजिनवरपास संयमसिवपुरी / पुंमरीकगणधरप्रथमविहरे सुमतिगुपतेसंचरी / पणकोमि साथे विमल गिरवर मुगतिपदवी पावए / सुदिचैत्रपूनिम तेण एगिरि घुमरीककहावए // 2 // चाल // हिवचैत्रीरे पूनिमपर्वसुहामणो / सेजेरे - राध्यां फलहुवेघणो / मनसुघरे आपणपे थानकरही / आराध्यारे यात्रपुन्यपामेसही / नसालो ते पुन्यपामें दानतपजप धर्मध्यानमनेधरे / बहु जावनत्तें त्रिविधपूजा आदिजिनवरनी Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (64) करे / नावनालावे तेणदिवसे पंचकोमि गुणोफले / अनुक्रमे ते नर मुगतिपामी सिद्धिसुंदरीने मिले // 3 // चाल // दश वीशरे तीश चालीश पूजाकही / पन्नासारे श्रावक निरती सरदही / चनथरे अन्म दशम सुवालसे / पूजाफलरे अनुक्रम ए मुझमन वसें / उहालो / मनवसे पूज कपूरधूपे मासखमणफलेवली / सामन्नधूवे पक्खनोफल जेकरेमननीरली। हिवपूजाविधि जेम गुरुमुखसुणीअडे परंपरा / तेमोहमाया कपटबंमी सुणो नवियण सादरा // 4 // ढाल // तंडुलराशि विमल गिरिथापी / तसुऊपरि पट्टादिकापी / प्रतिमाआदि जिणेसरकरी / पुमरीकनी पापी निवेरी // 5 // सेव॒जगिरिने मनचिंती जे / करमतणामलदूरकरीजे / मोती तंडुलकरीयवधावो / तीन प्रदक्षिणा पूजरचावो // 6 // मंगलीकपहिलातिहां आठ / करमबंधदूरेकरिआठ / प्रतिमामूल सनात्रकरेवाजिनवरनागुणहीयमेधरेवा // 7 // ऊनाथई नवकारगुणंता / दश दश जेती तिलककरंता / माला पुष्प पुंगीफलढोवो मेरु जरण वरधूपजखेवो ॥ढाल॥शक्रस्तवपांचे देवांदे / जघन्यनां बंदण पापदे / दशे नमस्कारकरंतजेती। राखी करीदृष्टिजिनेंजसेती // ए॥ आराधिवाकीजेकाउसग्ग। जिणे कीये नाजेकर्मवग्ग / लोगस्सनजोयदसे वखाणुं / वेलाप्रमाणे अहिं एगाणुं ॥१०॥णेप्रकारे धुरपूज एह / इसीपरे बीजी च्यार तेह। दशांतएणीवृद्धि तिहां गिणी जे। एकचित्तसूधे सुनपुन्यकीजे॥११॥धजातणोरोप तिहां करीजे। एकेकपुते अथवा गिणीजे / सहुत्तरेश्रारति Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (65) मंगलेवो / परे प्रनु श्रागलितेकरेवो // 12 // (कलश) श्म करियपूजा यायोगे संघपूजाआदरो। साहमीवचलकरो नविका जवसमुज लीलातरो / संपदासोहगतेहमानव रिधि वृद्धि बहुखहे / श्रीश्रमरमाणिकसीससुपरे साधुकीरति श्म कहे॥१३॥ // इति श्रीचैत्रीपूनिमवृध्वस्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ नंदीसरद्वीपस्तवनं लिख्यते // // नंदीसरबावन्नजिनालय / शाश्वताचौमुखसोहेरे / रुपनानन चंजाननवारिषेण / वरधमानमनमोहेरे // नंदी० // 1 // आठमोघीपनंदीसरअदनुत / वलयाकारविराजेरे / तेहनें मध्ये चिहुंदिशिशोनित / अंजनगिरिवरगजेरे // 2 // नंदी जोयणसहसचउरासीऊंचा / ऊंचपणे अनिरामारे / मूले पृथुल सहसदशजोयण / वरिसहसश्कश्यामारे // 3 // नंदी // ते उपर प्रासादप्रनुना / अतिउत्तंग उदारारे। साधुजंघा विद्याचारण, वांदे विविधप्रकारारे // 4 // नंदी० // चैत्येचैत्ये एकसोचोवीस / बिंबसंख्या सविदाखीरे / ध्यावो सेवोन. विजननक्तं / सुधागमकरि साखीरे // 5 // नंदी० // ऊंच. पणे सहु जोयणबदुत्तर / सोजोयण आयामारे / पिदुलपणे पंचासजोयणना / प्रनुप्रासाद सुगमा रे // 6 // नंदी० // धनुषपांचसे आयतप्रनुनी। विविधरतनमयकायारे / जिनकट्याएकनचवकरवा; सुरपति जगते आयारे // 7 // नंदी० // अंज: नअंजनचिटुंगिरी नवरे / चौमुखवाविशालारे / वाविवाविविच श्कश्क पर्वत / राजतरंगरसालारे // // नंदी० // चौसन्सहस जोयणउत्तंगे / दशसहस सम पिडुलारे / चिदुदिशि सोल बृ० स्त०५ Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (66) सोहे दधिमुखगिरि / तिहां प्रासादसुविमलारे // ए // नंदी० // वाविवाविनें अंतर विदिशे / रतिकरपर्वतरूमारे / दोयदोयसंख्याजगदीसे / कह्यानहींएकूमारे // 10 // नंदी० // जोयणसहसमानदशऊंचा / दशदशसहस विस्तारारे / ऊसरिसमसंगएणजगतगुरु / ए निश्चयनिरधारारे // 11 // नंदी० // ते ऊपर प्रासादसतोरण / अंजनगिरिपरिमाणेरे / जिनप्रतिमानीसंख्यातेहिज / श्रीजिनराजवखाणेरे // 12 // नंदी० // इमप्रासादप्र. जूनावावन / नंदीसरबरछीपेरे / अव्य नाव विधिपूजकरंतां / मोहमहानमजीपेरे // 13 // नंदी० // प्रवचनसारतमारप्रकरणें / जीवाजिगमें जाणोरे / इमअधिकारने ग्रंथअनेके / शहांसंका मताणोरे // 14 // नंदी० // जिमसुरपतिविरचेतिहां पूजां / ते अनुन्नव इहांट्यावोरे / ध्यावोजिमपावो परमातम / जैनचंगुणगावोरे // 15 // इतिश्रीनंदीसरदीपस्तवनं // ॥अथ निर्वाणकल्याणकस्तवनं लिख्यते // // मारगदेशकमोनोरे / केवलज्ञाननिधान / जावदयासागर प्ररे / परउपगारीप्रधानोरे // 1 // वीरप्रनु सिघथया / संघसकलाधारोरे / हिवश्णजरतमां / कुणकरस्ये नपगारोरे // 2 // वीर // नाथविहूणी सेन्यजूंरे / वीरविहूणोरे संघ / साधेकुण आधारथीरे / परमानंद अनंगोरे // 3 // वी० // मातविदुणा बालज्युरे / अरहोपरोअश्रमाय / बीरविहूणाजीवमारे / आकुलव्याकुलथायेरे // 4 // वी० // संशयछेदकवीरनोरे / विरहतेकेमखमाय / जेदी-सुखऊपजेरे / ते विण किमरहिवायोरे // 5 // वी० ॥निर्यामक जवसमुनोरे / नवअटवीस Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (67) त्यवाह / ते परमेशर विन मिट्यारे, किमवाधेजबाहोरे // 6 // वी० // वीरश्रकांपिण श्रुततणोरे, ढुंतोपरमआधार / हिवणां श्रुतआधाररे / एह जिनागमसारोरे // 7 // वी० ॥णकालेसहूजीवनेंरे / आगमथीबानंद / ध्यावोसेवोनविजनारे / जिनपमिमासुखकंदोरे // // वी० // गणधराचारजमुनिरे / सहुने इणपरिसीध / नवनव आगन संगधीरे / देवचंपदली. धरे // ए॥ वी० इति श्रीनिर्वाणकट्याणकस्तवनं संपूर्णम् // . // अथ श्रीसिद्धक्षेत्रपुंडरीकगिरिवृद्धस्तवनं लिरव्यते श्रीचंद्राप्रभूपाहूणोरे एदेशी // // नमोरेनमोशेचेंजगिरीरे / त्रिकरणशुचत्रिकालरे / पापपमलदूरेटलेरे / तूटे करमजंजालरे / नमो० // 1 // पूरब निनाएं समवसखारे / प्रथमजिनंदजगदीशरे।बावीसम जिनवर विनारे। समोसस्यातेवीसरे // नमो // // साधु अनंता अणशणग्रहीरे / सीधाएहीजगेमरे / कालागामी वलिसीजस्येरे / साधु अनंतीकोमिरे॥नमो॥शाअनंत कट्याणकनूमिकारे / महिमावंतमहंतरे / सासतोतीरथ ए सहीरे / अतिशयजासश्रनंतरे // नमो० // 4 // कोमिलवंतरे जेकियारे / पातिकविविधनपायरे। सेचुंजे सनमुखचालतांरे / पग पग ते सहूजायरे // नमो० // 5 // धनदिनतेहीजजाणसुरे / वहिस्युसेव्रुजकेरीवाटरे / उहरीयथा विधिपालस्यूंरे / संघसहितगहगाटरे // नमो० // 6 // पगपगउच्चवअतिघणारे / पगपगजाचकदानरे / प्रेमजगतिसाहमीतणारे / जीर्णोधारप्रधानरे // नमो० // 7 // धन ते गिरिरायनिरखसुंरे / वढतीमंगलमालरे / मणिमोतीयमे वधावस्युंरे / Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (67) रजतसोवनजरथालरे // नमो० // // धनदिन ते गिरिफ- . रसरयूंरे / करस्युंपावन मोरीकायरे / जगतिजुगतिजुहारसुंरे / नानिनंदनजिनरायरे // नमो // ए॥ व्यत्नावकरसुंमुदारे। पूजाविविधप्रकाररे / नावेनावनानावसुंरे / करसुंसफलअवताररे // नमो० // 10 // रतनत्रयी जमतीनलीतरे / देसुं ते धरिबुधिरे / नवनवन्त्रमणनिवारसुंरे / लहसुंश्रातमसुधिरे // नमो० // 11 // विधिफरसणमनमाहरोरे / मोहिरह्यो दिनरातरे / पुन्यप्रबलश्रीपामियोरे / उऊलगिरीकेरीजातरे // नमो // 12 // नाथधूलेवा सुपसायधीरे / कारजसगलासिघरे / कहेजिनहरखसूरि सदारे / होय जो मंगलवृधरे // नमो // 13 // इति श्रीसिहाचलवृध्वस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्रीगौडीपार्श्वनाथवृद्धस्तवनं लिख्यते // // मुहा // वाणी ब्राह्मावादनी। जागे जन विख्यात / पासतणागुणगावतां / मुऊमुखवसज्यो मात // 1 // नारंगे अणहिल. पुरे / अहमदावादेपास / गौमीनोधणीजागतो / सहूनीपुरेआस // // शुनबेला शुनदिनघमी / मदुरत एकममाण / प्रतिमा ते इह पासनी / थई प्रतिष्टाजाण // 3 // ढाल // 1 // गुणहि विशाला मंगलीकमाला / वामानोसुतसाचोजी / धणकर्णकंचणमणिमाणकदे / गौमीनोधणीजाचोजी // // गुण ॥अणहिलपुरपाटणमाहेंप्रतिमा / तुरकतणे घरहूंतीजी। अश्वनीनूमि अश्वनीपीमा / अश्वनी वाल विगुतीजी // 5 // गुण // जागंतोजद जेहनें कहिये / सुहणो तुरकनें आपेजी। पासजिनेसरकेरीग्रतिमा / सेवक तुझसंतापेजी // 6 // गुण // प्रहकठीने परग Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६ए) टकरजे / मेघागोठीने देजेजी / अधिकोमलेजे गोमलेजे / टक्का पांचसेंलेजेजी // 7 // गुण // नहिंसापिसतो मारीस मुरमीस / मोरबंध बंधास्येजी / पुत्रकलत्रधनहयहाथी तुऊ / साउघणी घरजास्येजी // // गुण // मारग पहिलो तुऊनेंमिलस्ये / सारथवाह जे गोपीजी। निलवटटीलो चोखाचेढ्या। वस्तुवहे तसु पोठीजी // ए॥ गुण // उहा // मनसुवीहनो तुरकमो / मानें वचन प्रमाण / बीबीने सुहणातणो / संजलावे सहिनाण // 10 // बीबीबोले तुरकनें वमादेवहे कोय / अबसताबपरगटकरो, नहींतर मारे सोय // 11 // पाउलीरात परोमीये / पहिलीबंधेपाज / सुहणामाहे सेग्नें / संनलावेयदराज // 12 // ढाल // एमकही यद आयोराते / सारथबाहनें सुहणेजी। पासतणीप्रतिमा तुं वेजे / खेतो शिरमतधुणेजी // 13 // एम० // पांचसेंटक्का तेहनेंआपे / अधिकोमापिसवारोजी। जतनकरी पुढचामे थानक / प्रतिमागुणसंजारोजी // 14 // एम० // तुजनेहोसी बहुफलदायक / लाई गोठी सुणजेजी। पूजीस प्रणमीस तेहनापाया / प्रहऊलीने थुणजेजी // 15 // एम० // सुहणो देइने सुरचाट्यो / अपने थानक पहुतोजी। पाटणमाहें सारथबाहू / हीमेतुरकनें जोतोजी // 16 // एम० // तुरके जातां दीगेगोगी। चोखातिलक लिलामेजी। संकेतपहुतो साचोजाणी / बोलावेबदुलामेजी // 17 // एम // मुजघरप्रतिमा तुंझनेंआपुं / पासजिणेसरकेरीजी / पांचसेंटक्का जोमुफआपे / मोलनमांगुं फेरीजी // 10 // एम० // नांणोदेई प्रतिमालेई / थानकपद्धतो रंगेजी। केशरचंदनमृगमदघोली, Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (70) विधिसुपूजारंगेजी // 15 // एम० // गादीरूमीरूनीकीधी / ते मांहि प्रतिमाराखेजी। अनुक्रमाव्या परिकरमांहे / श्रीसंघने सुरसाखेजी // 20 // एम० // उजवदिनदिन अधिकाथायें / सत्तरनेदसनानोजी। गमगमना दरशणकरवा / आवे लोकमनातोजी // 1 // एम० // उहा // इकदिनदेखेअवधिसुं / परिकर पुरनो नंग। जतनकरुं प्रतिमातणो / तीरथअवेअनंग // 22 // सुहणो आपे सेग्नें / थलअटवीउजाम / महिमा थास्ये अतिघण। / प्रतिमातिहांपुहचाम // 23 // कुशल खेमतिहांअ / तुऊने मुझनें जाणि / संकाओमीकामकर / करतो मकरिसंकाणि // 24 // ढाल // पासमनोरथपूरणकरे / वाहणएक वृषनजोतरे / परिकरथीपरियाणोकरे / कयलचढ बीजे ऊतरे // 25 // बारकोसाव्या जेतले / प्रतिमा नविचाले तेतले / गोठीमनह विमासणथई / पासजुवनमंमावूसही // 26 // आअटवी किमकरुंप्रयाण / कुटकोकोई नदीसेपाहाण / देवलपासजिनसरतणो, मंमा किमगरथेविणो // 27 // जलविन श्रीसंरहस्ये किहां / सिलावटो किमयावश्हां / चिंतातुरथयो निघालहे / यदराजाविनेकहे // 20 // गुंहलीऊपरनांणो जिहां / गरश्रघणो जाणिजे तिहां / स्वस्तिक सोपारीने गण / पाहणतणी उबटस्येखाण // 25 // श्रीफलसजलतिहां किलजु / अमृतजलनीसरसीकून / खाराकूयातणो इहसै. नांण / नूमिपड्यो नीलोगण // 30 // सिलावटो सीरोही. वसे / कोढपराजवियो किसमिसे / तिहांश्रकी तूं इहांआणजे / सत्यवचन माहरो मानजे // 31 // गोठीनोमनथिरथापियो / Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (71) सिलावटेने सुहणोदियो / रोगगमीनें पूरुश्रास / पासतणो ममे आवास // 32 // सुपनमांहे मान्यो ते वैण / हेमवरण देखाड्यो नैण / गोठीमनहमनोरथहुवा / सिहावटेने गयातेमवा // 33 // सिहावटो आवे सूरमो / जीमें खीरखांमधूतचूरमो। घमेघाट करेकोरणी लगननले पायारोपणी // 34 // धनधन कीधीपूतली। नाटककौतिककरतीरली रंगमंझपरलियामणोरसे / जोतां मानवनों मनवसे // 35 // नीपायो पूरोप्रासाद / स्वर्ग समो मंझे आवास / दिवसविचारी इको घड्यो / ततखिण देवलऊपरचड्यो // 36 // शुनलगन शुजवेलावास / पवासणवेग श्रीपास / महिमामोटी मेरुसमान / एकल मिल वगमेरहैवान // 37 // वातपुराण में सांजली / तवन माहिं सूधी सां. कली। गोठीतणागोतरियाअ / यात्र करीने परणेपने // 38 // // उहा // विघनविमारणयदजगि, तेहनो अकलसरूप / प्रीतकरे श्रीसंघनें / देखा निजरूप // 35 // गिर गौमीपासजिन / आपे अरथनमार / सांनिधकरे श्रीसंघनें / आस्यापूरणहार // 40 // नील पलाणे नीलहय / नीलोथईअसवार / मारगचूकामानवी / बाटदिखावणहार // 41 // ढाल // वरणअढारतणोलहे लोग / विघननिवारे टालेरोग, पवित्रथई समरेजेजाप / टाले सगला पापसंताप // 4 // निरधननेंघरि धननोसूत / आपे अपुत्रीयाने पुत्र, कायरनें सूरापणधरे / पारउतारे सन्जीवरे // 43 // दोनागीने दे सोनाग / पगविहूणानें आपेपग / गमनहीं तेहनें येगम / मनवंचितपूरे अजिराम // 4 // निरधास्यानें ये आधार / जवसायरऊतारेपार / भारतीयानी Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ () आरतजंग / धरेध्यानतेलहेसुरंग // 45 // समस्यांसाददीयेयदराज / तेहना मोटाने दिवाज / बुद्धिहीणनें बुद्धिप्रकास। गूंगानेंचे वचनविलास // 46 // मुखियांने सुखनोदातार / जयनंजणरंजणअवतार / बंधनतूटे वेमीतणा / श्रीपार्श्वनाम अदरसमरणा // 7 // दूहा // श्रीपार्श्वनाम अक्षरजपे / वि श्वानरविकराल / हस्तियूथदूरेटले। उधरसींह सियाल // 4 // चोरतणा लयचूकवे / विष अमृत ऊमकार / विषधरनो विषऊतरे / संग्रामें जयजयकार // ४ए // रोगसोगदालिषमुख / दोहग दूरपुलाय / परमेशरश्रीपासनो / महिमामंत्रजपाय॥५०॥ // कडखानी चाल 5 // उजितुं जितुं जि उपशम धरी / नबी श्री श्रीपार्श्व अदर जपते / नूतने प्रेत कोटिंगव्यंतरसुरा, उपसमे वारश्कवीश गुणते // 51 // 3 // बुद्धरा रोगसोगजराजतनें / ताव एकांतरा उत्तपते / गर्नबंधनब्रणं सर्प विनुविषं / चालिका बालमेवाऊखते // 55 // 5 // साणीमाश्णी रोहिणी रंकणी / फोटका मोटका दोष दुतें / दाढऊंदरतणी कोल नोलातणी। स्वानसीयालविकरालदंते // 23 // ॐ // धरणे पदमावती समरसोलावती / वाटाघाट अटवी अटते / लखमीलोऽमिले सुजशवेलावले / सयलास्या फले मनहसंते // 55 // 3 // अष्टमहानयहरे कानपीमाटले / ऊतरे सूल सीसगनणंते / वदतवरप्रीतसुं प्रीति विमलप्रनू / श्रीपार्श्वजिननामनिराममंते // 55 // इति श्रीगौमीपार्श्वनाथजी वृध्वस्तवनं संपूर्णम् // Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (73) // यह स्तवन // संध्यासमय निरंतर पवित्रहोकर गुणे या सुणे सुचअदरसे तो सर्वउपजवमिटे महामंगलहोवे // // अथ अट्ठाईसलब्धितपस्तवनं लिख्यते // ॥हा // प्रणमुं प्रथमजिनेसरु / शुधमनें सुखकार / खबधिअगवीसजिनकही / आगमनें अधिकार // 1 // प्रश्नव्याकरणेप्रगट, जगवतीसूत्रमकार / पन्नवणा श्रावस्यके / बारू लबधिविचार // 2 // आंबिलतपकरऊपजे / लवध्यां अचवीस / तेहिव परगटअरथसुं / सांजलज्यो सुजगीस // 3 // ढाल 1 सफलसंसारनी // अनुक्रमे हेव अधिकारगाथातणें / लबधिना नाम परिणामसरिखानणे / रोगसहुजाय जसु अंगफरस्यांसही। प्रथम ते लबधि नाम श्रामोसही // 4 // जासु मलमूत्र उषधसमाजाणीये / बीयविप्पोसहीलबधिवखाणीये। श्लेषमषधिसारिखो जेहनो / तीजीखेलोसही नाम तेहनो ॥५॥देहना मैलथी कोढदूरेहुवे / चोथीजबोसहीनामतेहनोउवे / केशनखरोमसदुअंगफरसेसही रहेनहींरोग सम्बोसहीतेकही॥६॥ एकइंजियकरी पांचजियतणा / नेदजाणे तिका नामसंजिन्नणा बस्तुरूपीसहूजाणिये जिणकरी / सातमीलबधिते अवधि ज्ञानेकरी // 7 // // ढाल 2 आव्यो तिहानरहर एचाल / ॥हिव आंगुलअढीये ऊपो मानुषक्षेत्र / संझीपंचेंजी तिहां जेवसयविचित्र / तसुमननो चिंतितजाणेथूल प्रकार / ते शजुमतिनांमें श्राठमीलबधिविचार // // संपूरणमानुषदेने संज्ञावंत / पंचेजियजे तसुमनवातां तंत / सूखमपरजायें जाणे सहु Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) परिणाम / एनवमीकहीये विपुलमती सुननाम // ए॥ जिणलबधिप्रनावे उमीजायआकाश / ते जंघा विद्याचारणलवधिप्रकाश / जसुवचनसरापे खिणमेंखेरुथाय / ए लब्धियारमी आसीविषयकहाय // 10 // सहसूखमवादर देखे लोकालोक / ते केवललबधि बारमिये सदुथोक / गणधरपद लहिये तेरमीलबधिप्रमाण / चवदमलबधेकरी चवदेपूरबजाण // 11 // तीर्थकरपदवीपामें पनरमीलबधि / सोलमसुखदाई चक्रवर्ति पदरिधि / बलदेवतणोपदलहिये सतरमीसार। अम्हारमी आखी वासुदेव विस्तार // 1 // मिसरीघृतखीरमेट्यां जेहसवाद / एहवीलहे वाणी जगणीसमीपरसाद / नणीयो नविनूले सूत्रअरथसुविचार / ते कुष्टिकबुद्धिवीशमी लवधिविचार // 13 // एकेपदनणातां आवे पद लखकोम / इकवीशमीलबधिपायाणुसारणीजोम / एकेअरथेकरी उपजे अरथअनेक / बावीसमीकहीये बीजबुधिसुविवेक // 14 // // ढाल // 3 // कपूरहुवे अतिऊजलोरे एचाल // // सोलहदेशतणी सही रे / दाहकसगतिवखाण / तेह लबधि तेवीसमी रे / तेजोलेश्याजाण // 15 // चतुरनर सुणज्यो एसुविचार / आगमनें अधिकार / वारूलवधि विचार // चतु० // चवदहपूरवधरमुनिवरू रे / उपजंतां संदेह / रूपनवोरचिमोकलेरे / लबधिआहारकएह // चतु० // 16 // तेजोलेश्या अनिनेंरे / उपशमवाजलधार / मोटीलबधिपचवीशमीरे / शीतोलेश्याजाण / चतु० // 17 // जेणसगतिसुंविकुरवेंरे / विविधप्र. काररूप / सजुरुकहे बावीसमी रे / वे क्रियलबधिअनूप // चतु Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (75) // 17 // एकणपात्रेआदमीरे / जीमावे केईलाख / तेह अदीएमहाणसीरे / सत्तावीसमीसाख // चतु० // 15 // चूरसेना चक्कीसनीरे / संघादिकनेकाज / तेहपुलाक खबधिकहीरे / अभावीशमीसाज // चतु० // 20 // तेजशीतलेश्याबिदुरे / तेम पुलाकविचार / जगवतीसूत्रमें नाखियोरे / एत्रिकुंनो अधिकार // चतु० // 21 // चक्रवर्ती बलदेवनीरे। वासुदेवत्रणएह / आवश्यकसूत्रे रे / नहिंइहांसंदेह // चतु० // 2 // पन्नवणा आहारनी रे / कल्पसूत्रगणधार / तीनतीन कश्क मिलीरे, वारूआविचार // चतु // 23 // प्रष्णब्याकरणें कहीरे / वाकी. खबध्यांबीश / सांजलतां सुखउपजेरे / दोलतदुवे निशिदीश // चतु // 2 // (कलश) संवत्त सतरेसेंबवीशे मेरुतेरसदिननले / श्रीनगरसुखकरवूणकरणसर आदिजिनसुपसावले / वाचनाचारज सुगुरु सांनिध विजयहरखविलासए। श्रीधर्मवनस्तवननणतां प्रगटज्ञानप्रकाशए // 15 // इति श्री 27 सब्धिस्तवनं // // अथ 14 पूर्वस्तवनं लिख्यते // // ढाल * बेकर जोडीताम ए चाल / ॥जिनवरश्रीवर्षमान / चरमतीर्थकर / प्रहऊठीप्रणमुं मु. दाए / श्रुतधरश्रीगणधार / सूरिशिरोमणी / नमतां नवविधिः संपदाए // 1 // चवदेपूरबनाम / सूत्रे जूजूवा / वीरजिणंदेजाखीयाए / तेहिव सुगुरुपसाय / वरणवस्युंश्हां / आगममेंजिम उपदिश्याए // 2 // पहिलोपूरबउत्पाद / दूजो आग्रायणी / वीर्यप्रवाद तीजोनमुंए / अस्तिनास्तिप्रवाद सत्ता जाणीये / नाप्रवादण पंचम गिणुंए // 3 // बनो सत्य Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (76) प्रवाद / सत्तमातम / कर्मप्रवाद अध्मगिणोए / प्रत्याख्यान प्रवाद / नामें नवम / विद्याप्रवाददशमो कह्योए ॥४॥ण्यारम नाम कल्याण / प्राणायाम बारमो / क्रियाविशाल तेरमनजोए / बिंसारश्णनाम / चवदे ए कह्या, सास्त्रथकी में संग्रह्याए // 5 // // ढाल // 2 // श्रीविमलाचलसिरतिलो एदेशी // उत्पादपूर्वसोहामणो / कोटीपदपरिमाण / पदनाव प्रगट तेजिहां / त्रिपदीनाव विमाण // 1 // सर्वव्यपर्यायतणो / जीवविशेषप्रमाण / दूजोपूर्वाग्रायणी। छिन्नूलखपदजाण॥॥ पदलखसित्तरजेहनी / संख्या परगटएह / वीर्यप्रबलताजीवनी। नाखीतीजेतेह // 3 // चोपूर्वे जेकह्यो / अस्तिनास्तिप्रवाद / पदसंख्या साठ लाखनी / सप्तनंगीस्याघाद // 4 // ज्ञानप्रवादपदपंचमो / सूत्रे आयोजोम / मत्यादिकपणनेदसुं / पदसंख्या इक कोम // 5 // सत्यप्रवादरचो कहुँ / नाखुं सत्यस्वरूप / संख्यापदश्गकोमनी / नाखी अगमअनूप // 6 // नित्यानित्यपणोश्हां / आतमजव्यसुनाव / बीसपदक्रोम जेहना / सूत्रे आण्यांनाव // 7 // कर्मप्रवादतणो हिवे / प्रगटपणे अधिकार। लाखअसीपदजेहना / कोमीग निरधार // 7 // नवमोपूर्व कढुंहिवे / नामें प्रत्याख्यान / लाखचौरासीजेहना / पदसंख्या चित्तान // ए॥ अतिसयगुणसंयुतजणी / साधनसाध्यनिदांन / विद्याअनुपम सातसें / कोमीदसलखजांन // 10 // कट्याणनामग्यारमो / उचीसकोमप्रमाण / ज्योतिषशास्त्रविचारणा / चौविहदेवकट्यांण // 11 // प्राणायुपदबारमो / Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उप्पन्नलख गकोम / प्राणनिरोधनजेक्रिया / शास्त्रेाण्यो जोक // 15 // कायिक्यादिकजेक्रिया / बंद क्रियासुविसाल / पदसंख्यानवकोमनी / तेरमो किरियाविशाल // 13 // लोकसारबिंडुचवदमो / नामें अरथनिहाल / पदसंख्या इगकोमनी। लाखपचवीशसंजाल // 14 // लोकप्रत्ययदेखणजणी / संख्या गजपरिमाण / सोलसहस अरुतीनशे / र तेंयांसीजाण // 15 // पूरबसंख्याएकही / गुणमालाथीदेख / आगे बुधजनसोधज्यो। बाकीदेश विशेष // 16 // // ढाल // 3 // वीरजीनेसर इम उपदिशे ए चाल // सूत्रेगूंथे गणधरा / अरथे श्रीअरिहंतनाखेरे। ते श्रुत ज्ञाननमुंसदा / पापतिमिरजिमनासेरे // 1 // वाणीरे वीरजिनं. दनी / सुपज्यो चितहिताणीरे / तत्वरमणता अनुसरे / संपूरणगुणखाणीरे // वा० // 2 // विषयकषायतजीकरी / झाननगति जरधारीरे / विधिसंयुत जिनमंदिरे / प्रनुमुखपासजुहारीरे // वा० // 3 // तपजपसंयमश्रादरी / श्रीश्रुतज्ञाननिधानोरे / सदगुरुचरण नमीकरी। संबरजोगप्रधानोरे ॥वा // 4 // अक्तलेई ऊजला / गुंहली सुंदरकीजेरे / नाणदसणचारित्रनी / ढिगली तीनधरीजेरे // वा // 5 // चवदपूर्व व्रत शणपरे / सुगुरुसंजोगेलेईरे / विधिसुंपुस्तकपूजीये / चितअति श्रादरदेईरे // वा० // 6 // श्म तपसंपूरणथयां / ऊजमणो हिवकीजेरे / घरसारूधनखरचनें / नरजव लाहोलीजेरे // वा० // 7 // पूग परत विटांगणा / पूरबनामप्रमाणोरे / नवकरवाली कोथली / लेखपवणीजाणोरे // 0 // देहरे देवजुहारनें। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ () आरतीमंगलकीजेरे / सनात्रपूजा वलि साचवी / तत्वसुधारसपीजेरे // वा // ए॥णपरतपाराधतां / पुरगतिकारण. देरे / चवदहरङ्गुसिरोमणि / जीवनदयगतिवेदेरे ॥१०॥वा॥ तपाराधनविधलणी / आगमवचनेजोईरे / जवियणपिण तुमे आदरो / ज्युं नवज्रमण न होईरे // 11 // वा // (कलश) इम सयलसुखकर गबखरतर तपे रविजिमकांतए / सोलाग्यसूरिमुणिंद इणपर कह्यो पूर्ववृत्तांतए / संवतअगरे वरशविन्न नयरश्रीबालूचरे / एस्तवनलणतां श्रवण सुणतां सयलमनवंलि. तफले // 15 // इति चवदेपूर्वस्तवनं संपूर्णम् // - // अथ तिलकतपस्तवनं लिख्यते // - दूहा * सासणदेवीसारदा / वाणीसुधारसवेल / बालक हितलणीबगसिये / सुबुधिसुरंगीरेल // 1 // नवअंगे जिनपूजतां / मनलहि सुलपरिणाम / तपतिलके फल पामियें / दवदंतीगुणधाम // 2 // ' // ढाल // 1 // वीरजिणेसरउपदिसे एदेशी // // कमलाजिमकुमणपुरे / नुजबलनरपतिजीमोरे / पदमनीपदमसुवासना / श्वेतगजस्वप्नीमोरे // पदम // 1 // परतख्यफल एपुन्यना / प्रसवीसुता पूरेमासेरे / दवदंतीनामदीपतो / गुणमणीबुद्धिप्रकाशेरे // पदम० // 2 // चौसठकलाविचक्षणा / रूपगुणेकरीरंजारे / देवगुरु धर्मदीपावती / व्रतधारी दृढबंना रे॥ पदम० // 3 // प्रतिमापूजे श्रीसांतीनी, देवेदीधी त्रिकालो रे। मातपिता प्रमोदसुं // स्वयंबर वरमालो रे // पदम // 4 // अकाधिपश्रीनिषदनो / नवलिखीयो निलामेरे / आनंदसुं Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) पंथ आवतां / पूरवपुन्यउघामेरे // पदम // 5 // मज्म रय. गीतमजरी / मधुरवकुंत इहां वनमेंरे / मणिनाले तेज दिनमणी / जाग्रतदेखी अहोमनमेंरे // पदम // 6 // ज्ञानधारी गुरुकोईमिले / पूीये एहप्रसन्नोरे / कर्मबले मुनि आवीया। परीसहजीतमदन्नोरे // पदम // 7 // पंचजीत पंचपालता / टालता उस्सहसवलारे / संजमशुध संन्नालता / उद्यमशिवसुखकमलारे // पदम // 7 // (उहा) मणितेजें मुनि तरुपये, रथथकी स्त्रीजरतार, देवेतीनप्रदक्षिणा, विधिसुं चरणजुहार ॥ए॥ देशनासुनपावनथया, ज्ञानसुधारसपाय, कोतपपरनवतिलकहै कहियै श्रीमुनिराय // 10 // // ढाल // 2 // भरतनृपभावसुं ए एचाल // // मधुरस्वरे मुनिवरकहेए, नाणीगुरु सुपसाय / दीपक सहूलोकनाए / कर्मसुलासुनपरनवेए / इहलवफलनिपजाय / करमगतिवांकमीए // 11 // हिनाणनव प्रागनोए / नृपसुणे निरमलनाव / समकितसाहीयोए / धर्मवती को नृपवधुए। जाण्योहैं तत्वप्रस्ताव / साची जिनवाचनाए // 15 // चौथप्रमुख नृप चुंपसुंए / किरिया शुष्करीएह / जले चित्तनावसुंए। नवअंगपूजे तिलकसुंए / चाढेजिनचौवीश / रयणकंचणजड्याए // 13 // तिलक तिलकसे पामियोए / समकितएहसतीस / जनम सफलोगिणेए / नगवन तपविधिलाखीयेए / नलकहे बोधवरीस / पीहरषटकायनाए // 15 // आदिनाथ अरिहंतनाए / षट्पवासकहीस / त्रिचौबीहारस्सुंए / चौथदोय जिनवीरनाए / अजितादिकबावीस / आणा गुरूशिरवहीए Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 7) // 15 // पौषधत्रीश त्रीश्रयाण / पूजनतिलक चढाय / तारकजगदीसनेंए / उद्यापन संघनक्तिसुंए / जन्मसफलनलराय / सूधेमनसाधीये ए // 16 // सुगवाणी समकितगहेए / पयप्रएमी गुरुवीर / चित्तउमाहीयोए।इणपरजेनविश्रादरेए / थाये चरमशरीर, मूलसुखशासतोए // 17 // (कलश) श्रीशांतिदाता त्रिजगत्राता नविक ध्याता सुखकरा / इमसतीयसाध्यो तपआराध्यो सुजसबांध्यो शिवघरां / आगमेश्राखे सुरीयसाखे सुगुरुनाखेसुणयथा / सुधध्यावे नविकनावे विजयविमलजिनवरकथा // 17 // इति तिलक तपस्यास्तवनं संपूर्णम् // ॥अथ शोलीयेको स्तवन लिख्यते // वीरजिनेसरलाखीयोरे लाल / सहुव्रतमें सिरताज / नविप्राणीरे / कषायगंजनतपादरोरे लाल / इणथी पातिकजाय जविप्राणीरे ॥वी० // 1 // कोमवरष तपादरेरे लाल / क्रोधगमावे फलतास नविप्राणीरे / मानकरे जे प्राणियारे लाल / ते जगमेंनसुहाय ॥नम् // वी० // 2 // ब्रतमें मायाआदरीरे लाल / स्त्रीपणोपायोमसिनाथ // न० // रूपपरावर्त्त च्यारकषायने मूलगारे लाल, उत्तमसोलेनेद ॥न // श्मनवनवनमतोयकोरे लाल / जीवपामेंबहुखेद // न // वी० // 4 // एकाशणव्रत जेकरेरे लाल / लाखवरष उखहाण ॥ज॥ नीवीब्रत दूजो कटोरे लाल / एधारो जिनवरवांण // // वी० // 5 // आंबिलनोफलवढुकह्योरे लाल / उपजे लवधिअपार // न // उपवासकरतां नावसुंरे लाल / पामेंनवनो Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (1) पार // ॥वी ॥६॥श्मदिनशोले तपकरेरे लाल / पूरण एबतथाय // न // देवगुरुपूजाकरेरे लाल / तिणथीपातिकजाय // नम् // वी० // 7 // एतप आदरथी करेरे लाल / मनवंचितफलथाय // // नरसुर रिद्धिपिणजोगवेरे लाल / निश्चैमुगति जाय // // वी॥७॥ इति 16 कषाय गंजन तप स्तवनं // // अथ 96 भगवानकास्तवनं लिख्यते // // वरतमानचोवीसी वंडं / मनसूधेनितमेवरीमाई / वन ? अजित संजव 3 अभिनंदन 4 सुमति 5 पदमप्रन्नु ६सेवरी माई // 1 // वर // श्रीसुपार्श्व 7 चंप्रन्नु - प्रणमुं / सुविधि ए शीतल 10 श्रेयांसरी 11 माई / वासपूज्य 12 विमल 13 अनंत 14 धरम 15 जिन, शांति 16 कुंथु 17 परसंसरी माई // वर० // // अरजिन 16 मसि 17 अनें मुनिसुव्रत 20 / नमि 21 नेमि 22 पास 23 जिणंदरी माई / चोवीसमा श्रीवीरजिणेसर 24, प्रणमुं परमाणंदरी माई // वर // 3 // // ढाल 2 प्रहशम सूधा साधु नमुं नित एदेशी // नितनितअतीतचोवीशीनमीये / जेहना नामप्रगट ए जाण। केवलज्ञानीने 1 निरवाणी 2 / सागर 3 महाजश 4 विमल 5 बखाण // नि॥४॥ सर्वानुनूंति 6 श्रीधर 7 दत्त जिनवर / दामोदर ए सुतेजा 10 श्रीस्वामि 11 / मुनिसुव्रत 12 सुमति 13 शिवगति 14 जिन / श्रीअस्ताग 15 नेमीसर 16 नाम // 5 // नि० // अनिल 17 यशोधर 17 // तेम कृतारथ १ए / श्रीजिनेसर 20 सुधमति 1 सुजगीस / शिवकर 22 स्यंदन 23 संपतिनामें श्व। वंदीजे जिनवरचौवीश॥६॥नि बृ० स्त०६ Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 2) // ढाल 3 सफल संसारनी देशी // // जे नविस्संति अनागएकालए / तेहचौवीशप्रणमीस त्रिहुंकालए प्रथममहाराजश्रेणिकतणोजीवए / श्रीपदमनान प्रणमीससदीवए // 7 // वीरनो पितरीयो नाम सुपासए / हुसीजिनवीय सूरदेव सुप्रकास ए / कोणिकसुतउदाई नरिंदए / तीसरो तेह सुपास जिणंदए // 2 // सिष्यश्रीवीरनो पोट्टलोसाधए / चोयोस्वयंप्रन्नुनामाराध ए / दृढायुषजीवसिद्धांतमेंजाणीये / पंचमसर्वानुनूतिप्रमाणीये // 3 // कीर्तणनामकजीवकहीजीये / देवश्रुत ते उचो स्वामि सखहीजीये / शंखश्रावकहुस्से उदयजिणसातमो आणंदनोजीव पेड्डाल जिणग्मो // 4 // सुनंदनोजीवते नवम पोट्टलजिणं / शतकश्रावक शतकीर्तिदशमोनणं देवकीजीवमुनिसुव्रतग्यारमो / सत्यकीजीवते अममजिणबारमो // 5 // वासुदेवजीव निकषायजिनतेरमो / बलदेवजीव निपुलाक चवदमनमो / पनरमो निरममदेव सुखसा कही। रोहिणीजीव चित्रगुप्तसोलमसही॥६॥समाधि जिन सतरमो श्राविकारेवती / अढारमो शद्दालजीव संबर जिनपति। दीपायनजीव यशोधरजगणीसमो। कृष्णकोई जीव ते विजयजिनवीशमो // 7 // मलिश्कवीशमो जीवनारदतणो / देव बावीशमो अंबमश्रावकनणो / तेवीशमो अमरजीव अनंतबीरजनमो / स्वातिबुधजीवते नजचौवीशमो // // एहआगामीचौवीशजिजाणीया / प्रवचनसार उझारथीआणीया / केई परसिझने केई अप्रसिद्धकह्या / शास्त्रअनुसारथी साचकरसरदह्या // ए॥ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (3) // ढाल 4 आजनिहेजोरेदीसे नाहलो० एदेशी // विहरमानजिणवीशेवंदीये / महाविदेहविख्यात / सीमंधर 1 युगमंधर 2 बाहुजी 3 श्रीसुबाहु / सुजात 5 // 6 // वि०॥ स्वयंप्रन्नु 6 रिषजानन 7 अनंतवीरजी / सूरप्रनु ए तेम विशाल 10 / वज्रधर 11 चंजानन 11 चंबाहुजी 13 / नुजंग 15 ईसर 15 नेम १६लाल // 7 // वि० // वैरसेन 17 महान 10 नमुंवली / देवयशा १ए यसोरिख 20 / अढी वीपमें विचरेबाजए / नामलीयेनवनिछ // // वि० // // ढाल 5 रेजीव जिनधर्मकीजीये० ए देशी // च्यारतीर्थकरशाश्वता / इणहीजअनिधान / षनानन चंजानन वारिषेण वर्धमान // ए॥ च्या // अकोमिनप्पन लाखसुं / सत्ता[हजार / चनसेछयासीदेहरा / त्रिकुंलोकमकार // 20 // च्यार // नवसेपणवीसकोमीया। बिंब त्रेपनलाख / सहसअगवीश च्यारसे / अठ्यासीनाख // 1 // च्यार // निजिणवरनामए / समस्यांसुखदाय / प्रणम्यां पापमिटेपरा / समकितसुध्याय // 22 // च्यार० // ( कलश ) मत्रिणचौवीशीवीशविहरमांनचौजिण शाशता / संथुण्यां सतरेसे यांले अधिकआणीसता / जिनरतनचिंतामणितणीपरिप्रघलवंचितपूरए / प्रहसमे त्रिकरणमुप्रणमें सदाजिनचंदसूरए // 23 // इति श्रीछिन्नलगवानका स्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्रीउपधानतप वृद्धस्तवनं लिख्यते // ' ॥श्रीमहाबीरधरमपरकासे / वेठी परषदबारजी / अमृतवचनसुणी अतिमीग / पामें हरषअपारजी // 1 // सुणो सुणो Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (4) रे श्रावक उपधानबह्यांविन / किमसूके नवकारजी। उत्तराध्ययनबहुश्रुतअध्ययनें। एहनएयो अधिकारजी // 2 // सुणो॥ महानिशीथसिद्धांत मांहेपिण / उपधान तपविस्तारजी। अनुक्रमसुधपरंपरदीसे / सुविहितगढ आचारजी // सुणो // 3 // तपनधानवह्यांविनकिरिया / तुअलपफल जाणजी / जे उपधानवह्या नरनारी / तेहनो जनमप्रमाणजी // 4 // सुणो॥ तपउपधानकह्यो सिमांते / जो नविमानेंजेहजी / अरिहंत देवनीयाणविराधे नमस्ये नवनवतेहजी // 5 // सुणो // अघड्याघाटसमां नरनारी। विणजपधाने होयजी / किरियाकरतां आदेश निरदेश / कामसरे नहीं कोजी // 6 // सुणो० // श्कघेवरने खांझेनरियो / अतिघणोमीठोथायजी / एकश्रावक उपधानवहेतो, धनधनते कहवायजी // 7 // सुणो // ढाल 2 // नवकार तणो तप पहिलो वीसमजाण / इरियावही नो तप बीजोवीसम आण / इण बिहुँ जपधाने निश्चे नाणमंमाण / वारेउपवासे गुरुमुख देबेवांणि // // त्रीसमत्रीजो एमोत्थुणं उपधांन / त्रिणवायण जगणीसतपउपवास प्रधांन / अरिहंतचे तप चोथो चोकमएह / उपवास अढाई वायण एकगुणगेह // ए॥ पांचमो लोगस्सतप अनावीसमनाम / साढापनरहजपवासे वायणत्रिणाम / पुरकरवरदीतप उचो बक्कमसार / साढात्रणउपवासे वायणएकसुविचार // 10 // सिवाणंवुघाणं सातमो उपधानमाल / उपवासकरेश्क चौविहारततकाल / एकवायण करे बलि गुरुमुख सरसरसाल / गबनायकपाशे पहरे माल विशाल // 11 // मालपहरणअवशर आणी Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 5) मनजरंग / घरसारूवारू खरचे धनबहुलंग / अतिउच्चवकीजे रातीजोगोदिलखोल / गीतगान गवावे पावेअतिरंगरोल // 12 // ढाल // 3 // एसातेउपधान / विधिसे जे वहे। ते सूधीकिरियाकरेए / खिणनकरे परमाद / जीवजतनकरे / पुंजि पुंजि पगलाजरेए // 13 // नकरे क्रोधकषाय / हम हम हसेनहीं / मरम केहनो नविकहेए / नाणे घरनोमोह / उत्कृष्टीक. रणी करे / साधुतणीरहणीरहेए // 15 // पडुरसीमसिकाय / करपोरसीजणी / उंचेस्वरबोलेनहींए / मनमानावेएम / धनधनएदिन / नरनव मांहिं सफलसहीए // 15 // जे साते उपधान / विधसेतीवहे / पहिरेमालसोहावणीए / तेहनी किरियाशुद्ध / बहुफलदायक / करम निरजरा अतिघणीए // 16 // परलव पामे रिछ / देवतणासुख / बत्रीस बघ्नाटक पमेए / लाने लील विलास / अनुक्रमशिवसुख / चढती पदवी जे चढे ए // 17 // (कलश) इमबीरजिणवरन्नुवण दिणयर मातत्रिशलानंदणो / उपधाननाफल कहे उत्तम नवियजण आणंदणो / जिणचंदजुगपरधानसदगुरु सकलचंद मुनीसरो / तसु शीश वाचक समयसुंदर लणे वंचित सुखकरो // 17 // इति श्रीसातउपधानगनितश्रीमहावीरस्वामी वृधस्तवनं संपूर्णम् // // अथ पक्खवासे तपका वृद्धस्तवनं लिख्यते // ॥सीमंधरकरजोमया एदेशी॥ // जंबुद्धीपसोहामणो / दक्षिणतरतजदार / राजग्रही नगरीनली / अलिकापुरअवतार ॥१॥श्रीमुनिसुव्रत स्वामीजी। समरंता सुखथाय / मनवंचितफलपामीये / दोहगदूरपुलाय Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (6) ॥॥श्री // राजकरे तिहां राजियो / सुमित्रनरेसरनाम / पटराणीपद्मावती / शीलगुणे अनिराम // श्री // 3 // श्रावपऊजलपूनमें / श्रीजिनवरहरिवंश / माताकुदिसरोवरे / अवतरीयोरायहंस // श्री // 4 // जेठपढमपदअच्मी / जायो श्रीजिनराय / जनममहोळव सुरकरे / त्रिनुवनहरखनमाय // श्री० // 5 // शामलवरण सोहामणो / निरुपमरूपनिधान / जिनवर लंउनकाउबो / वीशधनुष तनुमान // श्री० // 6 // परणीनार प्रत्नावती / नोगपुरंदरसाम / राजलीलासुख नोगवे पूरे वंचितकाम // श्री० // 7 // तव लोकांतिकदेवता / आविजंपे जयकार / प्रत्तु फागुणवदिवारसे लीधोसंयभन्नार // श्री // 7 // शुल फागुणवदिबारसे / मनधर निरमलध्यान / च्यारकरम प्रन्नु चूरिया / पाम्यो केवलज्ञान // श्री० // ए॥ // ढाल 2 सुखकारण भवियण समरो श्रीनवकार एदेशी॥ // ततखिणतिहांमिलिया चलिया सुरनरकोकि / प्रजुना पदपंकज प्रणमे वेकरजोमि / बेकरजोमी मबरनोमी समवसरएविरतंत / माणकहेम रूपमयनिगमो त्रत्रयफलकंत / सिंहासनवेग तिहांस्वामी चोविहधर्मप्रकासे / बारपरखदावेगी श्रागलि सुणे मनउल्हासे // 10 // तपने अधिकारे पखवासोतपसार / पभिवाथीकीजे पनरहतिथि ऊदार / पनरहतिथि कीजे गुरुमुखलीजे / जिस दिन दुवे उपवास / श्रीमुनिसुव्रतनामजपीजे वांदी देवनवास / तपऊजमणे रजतपालको सोवनपूतलीचंग / मोदकबाल देहरे मूंकी जिनवरस्नात्रसुरंग // 11 // तपकरिये निरंतर अदुरव दरशनीजेम / मनवंतिकेरा सुखपा Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (7) मीजेतेम, सुखपामीजे कारजसीजे तपकरतां सुखकार, पुत्र मित्रपरिवार परंपर अतिवबजनरताराजसकीरतसोनागवमाई महियल महिमाजांण / परनव मुगतिफल लहीये एतपनेंप्रमाण // 12 // थिरथापी चतुर्विधसंघतणो अधिकार / जरुवचप्रमुखनगरादिककरियविहार / विहारकरी प्रतिबोधे खंदक पंचसयांपरिवार / कार्तिकसेठ जितशत्रुतुरंगम सुव्रतनामकुमार / तीशसहसवरसाऊखो पाले जगदयासार / श्रीसम्मेतसिखरपरमेसर पोहतामुगति मकार // 13 // इमपंच कल्याणक थुणियात्रिनुवनताय / मुनिसुव्रतस्वामीवीशमो जिनवरराय / वीशमोजिनवर राय जगगुरु नयनंजणनगवंत / निराकार निरंजननिरुपमश्रजरामरअरिहंत / श्रीजिनचंदविनेयशिरोमणि सकलचंद गणिसीस / वाचक समयसुंदर इमपनणे पूरो मनहजगीस // 14 // इति श्रीपक्खवासातप वृध्वस्तवनं संपूर्णम् // // अथ वारेमासीतपस्तवनं लिख्यते // दाननबटधरीदीजीयै / ( एदेशी) त्रिन्नुवननायक तुं धणी, आदिजिणेसरदेवरे / चौसठकरेसदा / तुळपदपंकजसेवरे (त्रिन्नु०)॥१॥ प्रथमन्नूपालप्रनु तुं थयो / इणअवसरपणीकालरे / तुजसमअवरनको प्रनु / तुं प्रनु दीनदयालरे(त्रि.) // 2 // प्रथमतीर्थकर तुं सही / केवलग्यानदिनंदरे / धर्मप्रज्ञापकप्रथमतुं / तूंही है प्रथमजिनंदरे। (त्रि०) अंतरअरि जे आतमतणा / कालअनादिथिति जेहरे / ते तपशक्तिये तैहण्या / आत्मबीरजगुणगेहरे (त्रि०) // 4 // ताहरीशक्ति कुणकह शकै। जेहनो अंतनपाररे। घादश Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (1) माशनो तपकर्यो / तेह अपानकसाररे (त्रि०) // 5 // एहजत्कृष्टतपवरणव्यो / आगममे जिनराजरे / ते करवू अतिश्राकरूं / तपविना किमसरे काजरे (त्रि.)॥६॥ तीनशेसाठउपवासते / जेश्नपंचमकालरे / अवसरआदरै क्रमविना / ते पिण जवि सुविलासरे (त्रि ) // 7 // एतप गुरूमुखश्रादरै। शास्त्र तणे अनुसाररे / पमिकमणादिकलावथी / सुक्रिया मन धाररे (त्रि०)॥॥ चित्तसमाधि सुननावथी। धरे ताहरो ध्यानरे / ते नर उत्तमफललहे / बलि लहे उत्तमझानरे (त्रि०) ॥ए॥ कालअनादिसंसारमें / जन्ममरणतणा मुःख रे / ते लह्या धर्मपायांविनां, तपबिना किमहुवे सुक्खरे (त्रि // 1 // हिवलह्यो नरजवपुन्यथी। वलि लह्यो श्रीजिनधर्मरे / तत्वनीरुचिथहैं मुके। हिवमिव्यो मन तणोनमरे (त्रि०)॥११॥ जवजव एकजिनराजनो / सरणहोज्यो सुखकाररे. कुगुरु कुदेव कुधर्मनो / में कीधो हिवे परिहाररे (त्रि)॥१॥ दर्शनज्ञानचारित्रए / मोदमारगसुविसालरे / नवजवजे मुझसंपजे / तोफलेमंगलमालरे // त्रि० // 13 // श्रीजिनशासनतपकह्यो। ते तप सुरतरुकंदरे / धनधन जेनरश्रादरे / काटेते करमनो फंदरे // त्रि० // 14 // कलश // श्म नाजिनंदन जगतवंदनसकलजनआनंदनो। में श्रुण्यो धनदिनाजनोमुझ मात मरुदेवी. नंदनो। संवत सुनेत्राकाशनिधिशशि (1972) नयर श्रीवालूचरे। श्रीजिनसौलाग्यसूरिदके सुपशाय विजयविमलवरे॥१५॥ इति श्रीबारमाशीतपवृष्धस्तवनम् // Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) // अथ छम्मासीतपस्तवनं लिख्यते // // गौतमस्वामीरे बुध दो निरमली / आपो करिय पसाय, महावीरस्वामी जे जे तपकिया / तेहनोकहिसुविचार / वलिवलिवांडु वीरजीसुहामणा ॥१॥नावग्नंजण सेव्यां सुखकरे। गातां नवनिधिथाय / वारेवरसां वीरजी तपकियो / दूरकरे सहुअपाय // व० // // बेकरजोमी एहूं वीनवू / श्रीजिनशासनराय / नामलियांथी नवनिधि संपजे / दरिशणरितपुलाय // व० // 3 // नवचौमासा जिनजीरा जाणिये / एककीयो उम्मास / पांचेऊणा उ वलि जाणिये / बारेकेकोजीमाश // व // 4 // बहुत्तर माशखमण जगदीपता / उ दोमासीरेजाण / तीन अढाई दो दो कीया / दो दोढमाशीवखाण // व ॥५॥ना महाला शिवगतिजाणियें / उत्तमएहनाप्रकार / विचमें पारणो स्वामी नहिं कियो / नहिंकीयो चोथोत्राहार // व // 6 // तिढुंउपवासे प्रतिमाबारमी / कीधाबारेजीमाश / दोयसै बेला जिनजीराजाणिये / इणगुणतीसविलास // व०॥७॥ तीनसेपारणा जिनजीराजाणियें। तीन गुणतीसपचास / एहमें स्वामीकेवलपामिया / पाम्यामुगतिआवास // व० // // कलश // श्मवीरजिनवर सयलसुखकर अतिहि उक्करतपकरी / संयमसुपाली कर्मटाली स्वामी शिवरमणी वरी। // अथ रोहिणीतपवृद्धस्तवनं लिख्यते // // शाशणदेवतासामिणीए मुझ सांनिधकीजे / नूलो अक्षर Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) जगतजणी समझाईदीजे / मोटोतप रोहणीतणोए जिणरागुणगाउं / जिम सुखसोहग संपदाए वंचितफलपात्रं // 1 // ददिएनरते अंगदेस चंपानयरी। मघवाराजा राज्यकरेतिणजीत्यावयरी / पाटतणीराणी रूवमीए लखमीणनामें / आपूत्र जायाजिणेंए मनमें सुखपा // 2 // रोहणीनामे कन्यकाए सबकुं सुखकारी / आवां पुत्रां ऊपराए तिणलागेप्यारी / वाधेचंतणीकलाए / जिम पखजजवाले / तिमतेकुमरी धायमायपांचेप्रतिपाले // 3 // कुमरीरूपे रूवमीए घरअंगणवैठी / दीठी राजा खेलतीए तिण चिंतापै / तीनन्नुवन विचएहवीए नहिं दूजीनारी, रंना पनमा गवर गंग इणआगलहारी // 4 // पुरुष न दीसे कोसो जिपनेपरणालं / आंख्याशागल साल वधे तिण चयननपाउं / देशदेशना राजवीए ततखिण ते माया / सबलसजाई सायकरी नरपतिपिणआया // 5 // वीतशोकराजातणोए ने कुमरसोनागी / कन्याकेरी आंखमी ए तिणसेतीलागी / ऊनादेखे सकललोक चढिया केसाला / चित्रसेनरेकंठवी कुमरीवरमाला // 6 // देव अने दैवांगनाए जपेजयजयकार / रलियायतथयो देखने ए सारोसंसार / करजोमीकहे लोकवखतकन्यारोजामो / वीतशोकनो कुमरथयो सिरऊपरलामो ॥७॥श्मविवाह थयोनलोए / दीयादानअपार / घरायापरणीकरीए हरख्योपरिवार / वीतशोकनिज पूत्रनणी अपणोपाटदीधो / आपणसंजमश्रादरीए जगमें जसलीधो // // // ढाल 2 प्रभुप्रणमुंरे पासजिणेसरथंभणो एदेशी // तिणनगरीरे चित्रसेन राजाश्रयो / सुखमाहीरे केटलो काल Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वहीगयो / इणअवसररे पाठपूत्रहुवाजला / चढते पखरे चंडजिसीचढतीकला // उबालो // चढतीकला हिव रायवेगे पासबेठीरोहणी / सातमीनूमी कंतसेती करेकीमा अतिघणी। आठमो बालकगोदऊपररंगझू राणीलियो / पूत्रने प्रीतम अांखागलदेखतां हरखेहियो // ए // ढाल // इककामणीरे गोखचढी अष्टेपमी / शिर पीटेरे दीनस्वरे रोवेखमी। बूढापणेरे मनगमतो बालक मू / दुतो एकजरे तिणअधिकेरो उखदु॥ जहालो // उखहुवोदेखीरोहिणीकहेश्मप्रीतमन्नणी / एनार नाचे अनेकूदे कहो किम मोटाधणं / एहवोनाटक आजताई मेंकदे देख्योनहीं / मुझनेतमासो अनेहासो देखतां आवेसही // 10 // ढाल // इणवचनेरे रीसाणो राजाकहै / तूं पापणीरे परतणीपीमा नविलहै / एमुखणीरे पूत्रमुए तम फमकरे / जबवीतेरे वेदना जाणीजेतरे // नहालो // जाणीजेतरेतूं वात खनीगरबगहिलीकामीनी / श्मकही राजा हाथकाल्यो तेहनाबालकजए। सातमीनूंमीथी तले नाख्यो तिसेहाहारवथयो। रोहिणीहसती कहैप्रीतम पूत्र नीचेकिमगयो // 11 // ढाल // हिव राजारे पूत्रतणे शोके करी। थयोमुरबितरे रोवे अति आंख्यांजरी। पमतोसुतरे सासणदेवतजाणियो / कंचनमयरे सिंहासणबेसाणियो // ढाल // वेसाणियोकरजोमीआगे करेनाटकदेवता / गोदी खिलावे केइहसावे पायपंकजसेवता / ऊपनो नूपतिने अचंलो देखि ए कारण किसो / जो कोशानीगुरुपधारे पूछियेसांसो इसो // 15 // ढाल // चिंतवतारे चारित्रियाआया जिसे / राजापिएरे पुहतो वंदणनेतिसे / सुणिदेश Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) नारे पूरे प्रश्न सोहामणो / कहोस्वामीरे पूरबनव वालकतणो॥ नह्यालो // वालकतणोनव नूपपू कहै इणपरिकेवली / रोहिणीराणीनो नवांतर अने राजानोवली / श्रीसुगुरुपासे पागले. नवे रोहिणीतपादयो / तपतणेसगते साधुलगते तुम्हनवसायरतस्यो // 13 // ढाल // कहैराजारे किम रोहिणी तप कीजिये। विधिजाखोरे जिमतुमपासे लीजीये // तब मुनिवररे विधि रोहिपीरातपतण।। श्मजंपेरे चित्रसेन राजाजणी // जवालो॥राजा. नणी विधि एहजंपे चंज रोहणीजवाविये। उपवासकीजे खानलीजे जलीनावना नाविये / वारमाजिनवरतणीप्रतिमा पूजिये मनरंगसु / इम सातवरसांलगेकीजे तजी आलसअंगसुं // 1 // // ढाल // वीरसुणोमोरीवीनती एदेशी // // तपकरिये रोहिणीतणो / वलिकरियेहो ऊजमणो एम / तपकरतां पातिकटले / तिण कीजेहो तपसेतीप्रेम // 15 // तप० // देवजुहारीदेहरे / तिणआगेहो कीजे वृदअशोक / गुणनो बारमजिनतणो / जलानेवजहो धरिये सदुथोक // तप० // केशर चंदनचरचिये, कीजे आगे हो आमंगलीक / विधिसुं पुस्तकपूजिये / ते पामेहो शिवपुरतहतीक // तप० // // 17 // सेवाकीजेसाधूनी। वलिदीजे हो मुंहमाग्यादान / संतोषीजेसाहमी मनरंगे हो करकर पकवान // तप // 10 // पाटीपोश्रीपूचना / मिसलेखण हो जिलमिलसुजगीस / नवकरवाली वींटणा / गुरुयागे हो धरोसत्तावीस // तप० // १ए / चोपोबत पिण तिणदिने, इमपालेहो मनाणविवेक। इणविध रोहिणीआदरे / तेपामेहो आनंदअनेक // तप० // 20 // Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए३) // ढाल 4 धर्मकरो जिनवरतणो ए देशी // श्म महिमा रोहणीतणी / श्रीज्ञानीगुरुपरकाशेरे / चित्रसेननेरोहिणी / वासुपूज्य तीर्थकरपासेरे // इम ॥२१॥णपरि रोहिणी श्रादरी / ऊपरऊजमणोकीधोरे / चित्रसेनने रोहणी / मनसूधे संजमलीधो रे // श्म // 22 // आपूत्रे आदरी / दीदा बारमजिनआगेरे / वलि नाना विध तपतपे / धरमतणी मतिजागेरे // श्म० // 23 // करि अणसणाराधना / लहिकेवल शिवपदपायारे / जिन वाणीबाणीहिये / प्रनुचरणां चितलायारे // श्म // 25 // मनमोहन महिमानीलो / में स्तव्यो शिवपुरगामीरे / मन मान्या साहिबतण।। हिव पुन्ये सेवापामीरे // श्म // 25 // कलश ॥श्म गगनउगमुनि चंज वरसे (1720) चोथ श्रावण शुदिलली // में कही रोहिणीतणीमहिमा सुगुरुमुख जिम सांजली / वासुपूज्य अमने श्रया सुप्रशन चितनीचिंताटली / श्रीसार जिनगुण गावतां हिव सकलमनास्याफली // 26 // इति श्रीरोहिणीतप वृधस्तवनं संपूर्णम् // // अथ // तालीसआगमवृद्धस्तवनं लिख्यते // // दूहा // चोवीसे श्रीतीर्थपति / नमूं देवअरिहंत // अर्थप्रकाशेगणपपुर / घादशअंगमहंत // 1 // त्रिपदी लहि गणपतिरचे / सूत्रअर्थसंजोग / अदररूपे सारदा / प्रण त्रिकरणयोग // 2 // टीकाकतों जगतगुरु / सूत्रकरे गणधार // पंचांगी युतविस्तरे / नयनिदेप विचार // 3 // उषम काल मुर्लिदसें / भूले बारम अंग // कंठ पाठ लिखतकर / रचनारचीअनंग // 4 // Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) खंदिल अरु देवगिणि / आचारज सयपंच // चौरासीमागमलिखे / कोटिग्रंथ तजखंच // 5 // कालदोषसें अबमिले / आगमपैंतालीस // ताको मुनिविवरणकरे / मानेविसवावीस // 6 // ढाल // जगत गुरु त्रिशलानंदनजी एदेशी // आचारांगपहिलोकह्यो जी। मुनिआचारविचार // सुयगमांगदूजोत्र जी। पाषंमीनिरधार // जगतगुरु नाखे वीरजिनंद // 1 // दस गणागणांगमेंजी / समवायांगसंख्यात // सहसरत्तीस जला प्रश्ननोजी / जगवईअंगविदात // जग // 2 // धर्म कथा ज्ञातानणीजी / दसश्रावकव्रतधार // दसा उपासक सातमोजी। अंगकह्योनिरधार // जग // 3 // अंतगम केवलीजे. अयाजी / वरणनअष्टमअंग // पंचानुत्तरजे गयाजी / अणुत्तरोवाश्चंग // जग // 4 // अंगुष्टादिक प्रश्ननोजी। प्रश्नव्याकरणनाम // सुखऽखना फलनापिया जी / सूत्रविपाकेताम // जग // 5 // अढारसहस आचारांगमेंजी / पदसंख्यापरिमाण // वनसंख्यातेपदहुवेजी। गणगुण सबजाण // जग // 6 // जववाईपांगमेंजी। कोणिक अंबमरूप // वर्णन नगरी आदिदेजी / सांजल नविजनचूंप // जग // 7 // सूरियानपूजाकरीजी। जिन प्रतिमानवरंग // व्यत्नाव बिहुँनेदसूजी / रायप्रश्नी चितचंग // ज० // // जीवतणो अनिगमसहीजी / विजय देवप्रस्ताव // जीवानिगम तीजोकह्योजी सुरकृतबहुविधजाव // जग // ए॥ पन्नवणामें जाणज्योजी / जीवाजीव विचार // जंबुद्धीपनीवर्णनाजी / नामथकी गुणधार // जग // 10 // सूरचंडविग्रहगतीजी / पन्नत्ती बिहुंजाण // कप्पिय Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (एए) कप्पवमिंसियाजी / पुप्पिया नामेवखाण // जग // 11 // पुप्फचुलिया जाणीयेजी। वन्हिदशा इणनाम // नामश्रीअर्थपिगणज्यो जी। सांजलता सुखधाम // जग // 15 // // ढाल 2 ख्यालीलाल अणवटरंगलागो ए देशी // बेदतणा प्रायश्चित्तनाजी / बेदबए एजाण // वृहत्कटप ववहारमेंजी। नाख्यो नगवंतज्ञान // सुझानीलालणंसुं नितराचो // राचोराचोरे नविक दिलधार / इणसुनितराचो / सुज्ञा // 13 // महानिशीथे नाखियोजी / जिनपूजा बिहुँनेद // श्रावक व्यत्नावसुंजी / मुनिवरत्नाव उमेद // सु० // // 14 // जीतकटप वलि निसीथजी / उर दशाश्रुतस्कंध // दशपयन्नाजाणियेजी। चौसरण संथार प्रबंध // 15 // सु० // संडेलवयाली चंदाविजायाजी / गणिविजा अनिधान / देवविजाया वीरथुवोजी / गलाचारनिधान // सु० // 16 // ज्योतिषकरंग महापच्चरकाणजी। च्यारसूत्र ने मूल // आवश्यक दशवैकालिकजी / उत्तराध्ययनअमूल // सु० // 15 // च्यारे अनुयोगे करीजी / रचना सूत्रे जाण / तेह नय निदेपथीजी / अनुयोगघारप्रधान // सु० // 10 // व्यानुयोग गए प्रव्यनीजी। चर्चाविधिविस्तार // चरण करण अनुयोगमेंजी। मुनि श्रावकाचार // सु० // 15 // गणितानुयोगगणनाकरी जी / पृथ्वीनगविमाण // वर्ग मूल घनमूलश्रीजी / जाणो चतुरसुजाण // सु० // 20 // धर्मकथा अनुयोगमेंजी / धर्मकथा दृष्टांत // ए चारों विस्तारियाजी / पेंतालीससिद्धांतासु॥१॥ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए६) // ढाल 3 सांगानेरविराजे एदेशी॥ // सुण सुण गौतमवाण / श्म वीरवदेगुणखाणीरे / नवियां आगमसुं मनलावो // मनकल्पितवातमागावोरे // न // श्रा० // 22 // नंदीसूत्र चिरनंदो / यामें पंचज्ञाननेवंदोरे // झाननानेदवखाण्या। मतिअगवीसे आण्यारे // न // आप // 23 // श्रुतचवदेवीसांजेदे / एमिथ्यामतने देरे // न० // आ // अवधि असंख्यप्रकारे / मनपर्यवऽयनेदधारेरे // न // आ० // 24 // केवलएक प्रकासे / ए सबविधिनंदीनासेरे // एतो सहुआगमनी नूद / स्याघादगंगनीबूंदरे // ज० // श्रा० // 25 // अंग उपांगनीटीका / कर्त्तानेन निरनीकारे // प्रथम हरिना शीलांगाचारी / श्रीअजयदेवबलिहारीरे // नम् // श्रा० // 26 // मलयगिरी गुरुस्वामी / इत्यादिकने सिरनामीरे // सामान्य विशेषेनाख्यो / निश्चय व्यवहार साखीरे ॥नम् // आ // 27 // उत्सर्गवचनठेकेश् / अपवाद वचननेलेरे // न० // इकमनसुंआराधो / मनवंचित सगलासाधोरे // न // आ // 27 // // ढाल 4 मंगलकमलाकंदए एदेशी॥ पैंतालीसागमतणीए / हिव तपविधि सुणज्यो हित न. पीए / दूजपांचमएकादशीए / ज्ञानतिथितपथीकर्म जायखसीए // २ए // शक्तिवतेउपवासए / आंबिलनिवीथी उसासए। एकासण अथवा करेए / श्म पैंतालीस दिन आचरेए // 30 // जापकरे दोहजारए / देववंदनपूजनसारए / प्रतिक्रमणकरे दो-टंकए / आगमसुणे अर्थनिसंकए // 31 // ऊजमणो हित Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) चितकरेए / गुरुनक्ति चित्तसुंआदरेए / नक्ति करेसाहमीतपीए / जेपढेपढावे तेलणीए // 32 // अन्न वस्त्र पुस्तककरे दानए / तिणमनुष्यजनमपरिमाणए / ते पामे श्रुतज्ञानए / क्रमथीलहैपदनिर्वाणए // 33 // (कलश) शुन्न नंद शर निधि चंज वरषे माघसुदिपंचमीदिने / वर नयरवीकानेरसुंदर बृहत्खरतरगणघणे / गणधारकीर्ति सुरिंदपाठक रामगणि शधिसारए / इमकरियस्तवना सुय महोदय सदाजयजयकारए॥३॥ इति श्रीपैंतालीस आगमतपवृक्षस्तवनं // // अथ पंचसमवायस्तवनं लिख्यते // // सिद्धारथसुतवंदिये / जगदीपक जिनराज / वस्तुलाव सब जाणिये / जिनागमथी आज // 1 // स्यादवादथीसंप जे / सकलवस्तुविख्यात / सप्तनंगीरचनाविना / बंध न बेसे बात // 2 // वादवदे नय जूजुवा / आपापणेगम / पूरणवस्तुविचारतां / कोई न आवे काम // 3 // अंधप्ररूपे एकगज / ग्रहीअवयवएकेक / दृष्टिवंतलहे पूर्णगज / अवयवमिलीअनेक // 5 // संयुतसकलनयेकरी / जुगत जुगत सुधबोध / धन जिन सासन जगजयो / तिहां नहीं कोईविरोध // 5 // ढाल 1 आसाजरीराग // श्रीजिनसासन जगजयकारी / स्यादवाद शुधस्वरूपरे / नयएकांत मिथ्यात्वनिवारण / अकलअनंगअनूपरे // 6 // श्री // कोईकहे एकालतणेवस / सकलजगतगतहोयरे। काले उपजे विणसेकाले / अवर न कारनकोयरे // 7 // श्री॥ कालेगर्नधरे जगवनिता / काले जनमे पूतरे / कालेबोले काले चाले / कालेकाले घरसूतरे // // श्री० // काले दूधथकी बृ० स्त०७ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) दहीथाये / काले फलपरिपाकरे // विविधपदारथकालनपाये / अंतकरे बेवाकरे // ए॥श्री० // जिन चनवीसे बारेचक्कि / वासुदेवबलदेवरे / काले कवलित कोनदीसे / जसुकरतासुरसेव रे // 10 // श्री० // उत्सर्पणि अवसर्पणियारा / 3 जूजूय नांतरे / परितुकाल विशेषविचारो / निन्ननिन्नदिनरातरे // 11 // श्री० // काले वालविलासमनोहर // यौवनकालाकेश रे / बुढापणें हुयवलिवलिबल / सक्तिनहीं लवलेसरे // 12 // श्री० // // ढाल // 2 // गिरुआगुणश्रीवीरजीएचाल // // तव स्वनाववादिवदेजी। कालकिसुंकररंक / वस्तु स्वजावे नीपजेजी। विणसे तेमज निस्संक // 13 // विवेकी जुनजुन वस्तुस्वनाव / तेयोग जोवनवतीजी / वांऊणी न जणेबाल / मूंगनहीं महिलामुखेजी / करतल ऊगेनवाल // 15 // वि० // विणस्वन्नाव नविसंपजेजी। किमह पदारथकोय // अंवनलागे नींवझेजी / वागवसंते जोय // 15 // वि० // मोरपीउकुणचीतरेजी / कुणकरे संध्यारंग / अंगविविध सविजीवनाजी / सुंदरनयनकुरंग // 16 // वि० // कांटाबोर बंबूलनाजी / कुणे अणियाला कीध / रूपरंगगुण जूजूाजी / तस फलफूलप्रसिद्ध // 17 // वि० // विसहरमस्तके नितवसेजी / मणिहरे विस ततकाल / परबतथिर चलवायरोजी / उरध अगननीकाल // 17 // वि० // मन्नतुंब जलमांतरेजी / बूमे काग पाहाण / पंखजातिगयणे फिरेजी। इणपरेसहिज विनाण // 1 // वि० // वाय सूंगथी उपसमेंजी / हरमे करे विरेच / सीजे Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (एए) नहि कणकोरमुजी / सकलस्वनावअनेक // 20 // वि०॥ देशविशेषे कानोजी / नुयमां थाये पाखाण / संखअस्थिनो नीपजेजी। देवस्वनावप्रमाण // 21 // वि० // रबितातो शशिसीयलोजी / नव्यादिकबहुनाव / उएजव्य आप आपणाजी। नतजे कोश्स्वन्नाव // 22 // वि०॥ // ढाल 3 कपूरहुवे अतिऊजलोरे ए चाल // // काल किसुंकरे बापमोरे / वस्तुस्वनावअकऊ / जो न होइ नवतव्यताजी / तोकिमसीओकारे // 23 // प्राणी मकरो मनजंजाल / एतो नावीनावनिहालरे // प्रा० // जलधितरे जंगलफिरेजी। कोमियतनकरेकोय / अण नावीहोवे नहींजी। जावीहोयते होयरे // 24 // प्रा० // आंबे मोर वसंतमांजी। माले कोइ लाख / कस्या केई खांखटी जी / केईआंबा केईसाखरे // 25 // प्रा० // वांउलजिमजवतव्यताजी। जिण जिण दिशेउजाय / परवसमनमाणस तणोजी। तृणजिम पूधायरे // 26 // प्रा० // नियतवसे विण चिंतव्यूंजी / आवीमिले ततकाल / वरसां सोनुं चिंतव्योजी। नियमकरेविसरासरे // 27 // प्राण // आग्मो चक्रि सुजूम ते जी। समुडपड्यो विकराल / ब्रह्मदत्तचक्री तणाजी। नयनहरे गोवालरे // 2 // प्रा० // कोकूहा कोयलकरेजी। किम राखीसरेप्राण / आहेमी शरताकीयोजी / ऊपरलमेंसींचाणरे // प्रा० // ए॥आहेमीनागेंमस्योजी / बाणलग्योसींचाण / कोकूहोऊमीगयोजी / जोनियतपरमाणरे ॥३०॥प्रा०॥ सस्त्रहण्यासंग्राममां जीरानपड्यांजीवंत।मंदिरमांहें मानवीजी।राख्याही न रहंतरे॥३१॥प्रा॥ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (100) // ढाल 4 राग मारुणीमनोहरणी ए चाल // // कालस्वनावनियतमतिकूमी / करमकरे तेथाय / करमें नरय तिरिय नर सुरगति / जीवनवंतरेजाय // 35 // चेतन चेतज्योरे करमनबुटेकोय / करमें रामवस्या वनवासे / सीतापामीयाल / कम लंकापतिरावणर्नु / राज्य श्रयो विसराल // 33 // चेतः // कर्मे कीमी कम कुंजर / कर्मे नर गुणवंत / कम रोगसोगमुखपीमित / जनमजाये विलसंत // 34 // चेत॥ कर्मेवरसलगेरिसहेसर / उदकनपामें अन्न / कर्मे जिननें जोऊगिमारे / खीलारोंप्याकन्न // 35 // चेत // कम एकसुखपालबेसे / सेवकसेवेपाय / एक हयगयचढ्या चतुरनर / एकागलऊजाय // 36 // चेत० // उद्यममानी अंधतणीपरि / जगहीमे हाहूतो। कर्म वली तेलहे सकलफल / सुखजर सेजे सूतो // 37 // चेत // जंदरएके कीधोउद्यम / करंमीयोकरकोले / मांहे घणा दिवसनो नूखो / नागरह्योमममोले // 37 // चेतः // विवर करी मूषक तसुमुखमां / दीयेआपणुंदेह / मार्गलहि वन नागपधाखा, कर्ममर्मजोवोएह // 35 // चेत // // ढाल 5 मी तोचढियोघणमाणगजे ए चाल // // हिव उद्यमवादीजणेए / एच्यारे असमत्थतो / सकल पदारथसाधवाए / उद्यमएकसमरत्थतो // 40 // उद्यमकरतांमानवीए / स्युनविसीकेकाजतो / रामें रयणायर तणीए / खीयो लंकाराजतो // 41 // करमनियतिने अनुसरए / जेहमां सत्व न होयतो। देवलवाघसुखपंखियाए / पिउपैसंता जोयतो // 42 // विणउद्यम किम नींकलेए / तिलमाहेंथी तेलतो Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (101) उद्यमश्री ऊंचीचढेए / जोवो एकेंजियबेलतो // 43 // उद्यमकरतां इकसमेंए / जेह न सीके काजतो। तेफिर उद्यमश्रीदुवेए / जोनविआवेवाजतो // 45 // उद्यमकरि ऊस्यांविनाए। नविरंधाये अन्नतो / आव न पड़े कोलीयोए। मुखमांखेपेजतन्नतो // 45 // कर्मपूत उद्यमपिताए / उद्यमकीधा कर्मतो। उद्यमयी दूरेटलेए / जोकर्मनोमर्मतो // 46 // दृढप्रहारी हत्या करीए / कीधापाप अनंततो / उद्यमथी षट्मासमाए / आपथया अरिहंततो // 47 // टीपेटीपे सरवरनरेए / काकरे काकरे पालतो / गिरिजेहवा गढनीपजे ए / उद्यम सक्तिनिहालतो // 4 // उद्यमश्री जलबिंऽर्चए / करे पाहाणमांगमतो। उद्यमथी विद्यानणेए / उद्यमजोमे दामतो ॥४ए॥ // ढाल // 6 // एछिंडीकिहांराखी ए देशी॥ ॥एपांचेही वादकरता / श्रीजिनचरणेआवे / अमीयरसे जिनवयणसुणीनें / आणंद अंगनमावेरे // 20 // प्राणी // समकितमति मनश्राणो रे / नय एकांत मताणोरे / ते मिथ्या मतजाणोरे / आंकणी // एपांचे समुदायमित्यांविण / कोईकारज नसीके / अंगुलीजोगे कवलतणीपर / जेबूजे तेरीफेरे // 51 // प्राणी // आग्रहआणीकोईएकनें एहमां दियेबमाई / पिणसेनमिल सकलरणांगण / जीते सुनटलमारे // // प्रा० // तंतुसनावे पटनपजावे / कालक्रमें वणाई। नवितव्यता होय ते नीपजे / नहींतो विघनघणाई रे // 23 // प्राणीस० // तंतुवाय उद्यमनोक्तादिक / जाग्य सबल सहकारी / एपांचे मिलसकलपदारथ / उत्पत् जोवो विचारीरे // 54 // प्रा० // निय. Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (101) तिवसे हलुकर्मथईने / निगोदयकी नीकलियो / पुण्य मनुजनवादिकपामी / सदगुरुनें जईमिलियोरे // 55 // प्रा० // जवथितिनो परिपाक अयोतब / पंमितवीर्यजलसियो। नव्यस्वजावे शिवगतिगामी / शिवपुरजईनेवसियोरे // 56 // प्रा० // वर्षमानजिन इणपरिवीनवे / सासननायकगावो / संघसकलसुखदाई जेहथी / स्यादवादरसपावो रे // 57 // प्रा० // ( कलश ) श्म धर्म नायक मुगतिदायक वीरजिनवरसंथुण्यो। सयसतरसंवत बन्हिलोचन वर्षहर्षधरीघणो / श्रीविजयदेवसूरीद पटधर विजयप्रनु मुर्णिदए / कीर्तिविजयवाचकसीसापरिविनयकहैयाणंद ए // 27 // इति श्रीपंचसमवायवृध स्तवनं समाप्तम् // ॥अथ वैरागनी स्तवनं // // मोदनगरमारुंसासरुं अविचलसदासुखवासरे / आपणाजिनवरनेनेटिये, त्यां करो लीलबीलासरे मो० // 1 // ज्ञानदर्शनाणे आविया / करोकरो नक्तिश्रपाररे // शीतशिणगार पहेरो पदमणी, नगीनगी जिनसमरो साररे मो० // 2 // विवेकसोवन्टीलुं तपतपे, साचोसाचो वचनतंबोलरे // संतोषकाजलनयणे जयाँ, जीवदया कुंकुमघोलरे मो० // 3 // समकीतवाटसोहामणी, संजमवहेलनजमाल रे // तपजप बलदीया जोतर्या, नावना रासरसाल रे मो० // 4 // कारमो सासरोपरी हरो, चेतोचतो चतुरसुजाणरे // समयसुंदरमुनि एमजणे, त्यांचे नविनिर्वानरे, मो० // 5 // इति संपूर्ण // // श्रापरवारिहो जिनजी श्रीसिघाचल शिखरे शषजनले Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (103) लेटियाहो राज 20 न० ले० थां० पूर्वसंचितश्रशुलकरम सदु मेटियाहो राज थां० सोरठदेशमे शोलताहो राज थां दोय तीरथमनुहार जव्यजन तारताहो राज लम् श्रा० // 1 // प्रथम शेजयगिरिजयोहो राज थांग तीनन्नुवनशिरताज आजदरशणलह्योहो राज आप थां० // 2 // नेमिजिनेसरराजियोहो राज थां० श्यामसलूणोदीदार रेवतगिरिगाजियोहो राज // 3 // पांचकोममुनिपरिवर्याहो राज श्रांक पुंगरी कगणधार, चैत्री शिवसुखवर्या हो राज थां० // 4 // आदीश्वरअलवसरुहो राजा यां० पूर्वनिवाणुवार रायणपगलाठव्याहो राज राम थां // 5 // कातिपूनम दशकोमसुंहो राजा यां शिवसुखपाम्यासार, प्राविम्बारिखिवजीहो राज जा० // 6 // इनअनेकमुनि इहांहो राजा थां० सिद्धिवधुनरतार, श्रयागिरिफरशतांहो राजा थांग // 7 // पूरवपुन्यपसाजलेहो राज थां० सफलफलीसहु श्रास, जात्राविधिसुकरीहो राज जा० थां० // // रतनपुरीश्रीश्रावीयाहो राजा थां० आनंदकुंवरशुजन्नाव लानलिधोघणोहो राज ला थां चतुराचोमासो रह्याहो राजा थांग लगवतिसुण्यो जलेलाव, उपधांनतप आदर्यो हो राज जळ थांग // 10 // जनवरंगवधामणांहो राज थां० वरत्याजयजयकार, सुगुरुसुपसायश्रीहो राज सु थां० // 11 // खरतरवसी चिंपावसीहो राज श्रां साकरउजूम हेम, प्रेम वालावसीहो राज प्रे यां॥१॥ मोती विमलवसीआवीयाहो राज थां० उलकाकोल सिद्ध सिला, सिषबम्फरसीया हो राज सि० श्रां // 13 // सुनन Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (104) गणीसे सित्तरेहो राज यां० पोसदशमीसुविदीत, आनंद सुखपामीयाहो राज आं थां० 1 // नवनवचाडं चाकरीहो राज श्रां प्रनुचरणांरीनित्त, कृपाचंवीनवेहो राज कृ थां० श्रीसिघाचल शिखरे शपत्ननले नेटियाहो राज // 15 // इति सिघाचलस्तवनं संपूर्ण // ॥अथ वीशस्थानकतप वृद्धस्तवनं लिख्यते // ॥श्री सिद्धाचलभेटीये ए देशी // ॥वीशथांनकतपसेवीए / धरकरि सुनपरिणांम लालरे। तीजेनवसेव्योथको / बांधेतीर्थकरनाम लालरे // वी० // 1 // तपरचनाअधकीकही / ज्ञाताअंगमकार लालरे / सुणजो नवि तुमे नावसुं / चितसेंकरिएनच्चार लाखरे // 2 // सुविहितगुरुपासेग्रहे / वीशांनकतप एह लालरे / निरदूषण सुन्नमहुरते। जचरीजे ससनेह लालरे // वी // 3 // अरिहंत 1 सिम 2 प्रवचन नमुं॥ सूरि / थिवर 5 उवज्काय 6 / लालरे // साधु 7 नाण - देसण ए अरु // विनय 10 नमुं जलसाय लालरे / / वी // 4 // चारित्र 11 बंन 12 क्रियापदे 13 // तप 15 गोयम 15 जिण 16 ईस लालरे // चारित्र 17 // ज्ञानने 10 श्रुत 15 जणी नमुं तीर्थ 20 पद वीश लालरे // वी // 5 // वीशदिवशमेंएकही / पदगुणनो करमेव लालरे / अथवा दिन वीशांलगे / वीशेपद गुणमेव लालरे ॥वी // 6 // एक उलीषट्माशमें / पूरीजो नविहोय लालरे / फेरनवी करणीपमे। पिछली निष्फलजोय लालरे // 7 // वी० // अच्म उपवाससुं। अथवा देखीशक्ति लालरे / पोसहकराराधिये / देववादेनि Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (105) जनक्ति लालरे // वी० // // संपूरणपदसेवतां, पोसहरो नहींजोग लालरे / तोहीसातपदेसही / पोसहकरिएसंजोग लालरे // वी० ॥ए॥ सूरि थिवर पाठक पदे / साधु चारित्र सुजांण लालरे / गौतम तीर्थ पदे सही / सातश्रांनकमनमान लालरे // वी० // 10 // पदपददीउ करेसदा / दोयदोयजापहजार लालरे // पमिकमणो दोयटकही। करिएपूजासार लालरे // वी० // 11 // शक्तिमुजबतपकीजीए / एकलीकरोवीश लालरे / वीशावीशीच्यारसे / तपसंख्याएमकहीस / लालरे // वी० // 12 // जिस दिन जोपदतपकरे / तिसके गुण चितधार लालरे / काउसग्ग परदक्षणा / मुखनणियेनवकार लालरे // वी० // 13 // जिसपदकी स्तवनासुणे / कीजे जिनपदनक्ति, लालरे / पूजन शुनमनसाचवे / दिन दिनवढतीशक्ति लालरे // 15 // मृतकजननझतुकालमें / कबिधास्यो उपवास ला सो लेखे नहिं लेखवो / निकेवलतपजास लालरे ॥वी // 15 // सावऊत्यागपणो करे। सोकनधारेचित्त लालरे। शीलाजूषणादरे / मुखसुबोलेसत्य लालरे ॥वी // 16 // जेठासाढ वैशाखमें / मिगसर फागुणमाघ साखरे // एषट् मास मांहिनें / व्रतग्रहिए वमनाग लालरे // वी० // 17 // तपपूरणदुवां थकां / ऊजमणो निरधार लालरे / कीजेशक्तिविचारीनें / उन्चवविविधप्रकार लालरे // वी० // 10 // वीसवीसगिणती तणा / पुस्तकपूगादि लालरे / ज्ञानतणीपूजाकरे। मुंकीजे हव्वाद लालरे // वी० // 15 // फलवर्धिनगरनी श्राविका, कीधीविधि चितलाय लालरे / जनमसफलकरवा नणी Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (106) हिज मोदउपाय लालरे // वी० // 20 // (कलश) इम वीरजिनवरतणीआज्ञा धार चित्तमकार / सदुदेख आगमतणीरचना रची तपविधिसारए / वसु नंद सिद्धि चंज वरसे चैत्रमाससुहंकरू / मुनिकेशरीशशि गबखरतर जणीस्तवनामनहरू // 21 // इति वीस स्थानक तप वृषस्तवनं // ॥श्रीशांतिनाथजी भगवाननुं स्तवन // सेवा शांतिजिणंदकी / कीजे अतिसारीरे / अहोकीजे सा. रीरेलो। पदपंकजपूजेसदा / जेहना नरनारीरेलो // अहोग // 1 // एकवारसुरलोकमें / मेघरथराजारीरेलो // अहो // इंजे कीधीप्रसंसा / मोटोनपगारीरेलो // अहो // 2 // जाणवेला सुरवोलीयो / मिथ्यामतिधारीरेलो // अहो॥धानतणो एकीमलो / मलमूत्रमारीरेलो // अहो // 3 // तीणमांहे कहो क्यांश्रकी / एहवी इकतारीरेलो // अहो // उत्तरवैक्रीयरूपेंकरी / चाट्यो तिणवारीरेलो // अहो // 4 // कीधादोय पंखीतणा / रूपबुधिविचारी रेलो // अहो० // ध्यानधरी बेगतिहां / नरपतिनिरधारीरेलो // अहो० ॥५॥राखराख करतोपड्यो / पारेवो तिण वारीरेलो // अहो / राजारूमीरीतसुं / लीधो बुचकारीरेलो // अहो० // 6 // जयमतकररेबापमा / कोय न शके मारीरेलो // अहो // पापी. पुंठे वीयो / हुलवोहीलकारीरेलो // अहो // 7 // नदीजे नृपमाहरो। तिमखालं मारीरेलो // अहो ॥नोजना' तोजणी / मीगंसुखकारीरेलो // अहो // // मांसविना खानहि / नृपजात हमारीरेलो // अहो० // नदनहिद्योमा Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) हरो / तो हत्या हमारीरेलो // अहो॥ ए॥ दयापिण तुजनेहोसी / हत्या परिवारीरेलो // अहो० // राजा ॥राजाआपे तेहने / निजअंगविदारीरेलो // अहो० // 10 // तोपण नाएयोचित्तमे / रायमुःख लीगारीरेलो // अहो // तिणवेला सुर बोलीयो / सुरवाणी सारीरेलो // अहो० // 11 // परिक्षाका रणावीयो / हुंचं आशासारीरेलो // अहो // इंवखाण्यो तोहवो / जेहवो नपगारीरेलो // अहो // 12 // जीवदया. प्रतिपालने / निजकाजसुधारीरेलो // अहो // राजापहोतोमंदिरे / निज पोषोपारिरेलो // अहो // 13 // तेरमेजवलाधी नली। दोयपदवीसारीरेलो // अहो // तीर्थकरथयासोलमा / पंचमचक्रधारीरेलो // अहो // 14 // शांतिजिनेसरवीनति, चित्तमें अवधारीरेलो // अहो // नावसागरकहे थाय जो, संघमंगलकारीरेलो० // अहो // 15 // इति श्रीसांतिस्तवनं०॥ // अथ पंचकल्याणकस्तवनम् // 130 // नमियपदकमल शुजनावसविजिनतणा, पंचकल्याण दिन. नणिसुं जिनवरतणा / कसिणकत्तितणे परकपंचमिदिएँ, नाणसंनवतणे खयकरमतणे // 1 // नेमिजिणचवनसुरजवनश्रीबारसै, पनमपहजम्मवलिदिरकतसुतेरसै / वीरसिवमांवसैपरिकहिवनजलै, बाणसिरिसुविधिअरतीजबारसिमिलै // 2 // ढाल // मिगसरवदिरेसुविधि पंचमीजनमियो, सोश्वरै संयमधरसुरपणमियो, दशमीदिनरेवीरेसंयमादस्यौ, ग्यारसिरे पनमप्पहसिवसिरि वस्यौ // सिववस्खौ मिगरससुदिदशमी दिणरयणि अर जिनजामीयो, वति मुगतिपिण तिणदिवसपोतो व्रतश्यार. Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (107) सिपांमीयो। ग्यारसैं वलिमविजिणने जम्मदिरकसुनाएीया, वलि मलिदिरकाजाण अंगपोसिवखाणिया // 3 // इहां कारणरे लिखितदोषसंनाविय, कहैकोरे अवरहेतुपिणनावियै // तेपरिसवीरे गीतारथसदगुरुलहै, श्रुतकेवलीरे वचन सहुसमसद्दहे // सदहै सहूयै ते प्रमाणज वलि श्यारसि नमितणौ श्रीनाणकट्याणक चनदसि जनमसंनवनों पुणौ / पूनिमेंसंनवदिरकपामी दयाधरि जगजीवनी, हिवपोसवदिदसमीग्यारस जनमदिरका पासनी // 4 // बारसतिथिरे चंदप्पहजिजाश्यौ, वलि तेरसिरे संजमरंग सुणाश्यौ / चनदसदिनरे श्रीशीतलथयो केवली, पोससुदिरेच विमलनाणी वली, नाणीवलि श्रयो नवमिसंती अजितनाथ ग्यारसें, चन्दसेंत्रजिनंदनें केवल पूनिभँधम्मैवसें माहाश्बने पलम चवियो बारसैं शीतल थयौ, वलि तासुसंजमकसिणतेरसि रिसहजिणशिवपुर गयो // 5 // अम्मावसिरे दिवसैं नाणग्यारमें, जिनपामीरे माहसुदें हिव अनुक्रमें // सितबीजेरे अनिनंदन वासुपूजनों, कल्याणकरे जनमगंण अनुक्रममनों // अनुक्रमें मांनों बिहू त्रीजे विमलधर्मसुजामीया, श्रीविमलदिरका चलथिअनमि अजितउत्पत्ति पामिया // नवमियेदिकाअजितपामी बारसें अनिनंदने, श्रीधर्मनाथें सारसंयमसिरिवरितेरसिदिनें // 6 // ढाल // फागुणवदिग्- सुपासकेवलसिरिपत्तो, सत्तम वलि तसु मुगति चंद्रप्रन्नु नाणेजुत्तो // नवमिसुविह जिनचवण रिसहइग्यारसि केवल, बारससुबय नाण जन्म सेयंसहनिम्मल // 7 // तेरसिव्रत सिजंसतणो चनदसवसुपुज, जम्म दुई अम्मावसें ए Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०ए) तसु संजम रजा // सुकलबीज चनथि श्रमियें अर मलि संजव, चवणसुबारसि मविमुगतिसुवयवयउबव // // ( ढाल फागणी ) // चैत्रपढमपरिकचउथि नाण चवणं पासस्स पंचमि ससि पह चवण जम्म अनमि रिसहेस // वलि संजमपिणरिसहसांमिअमिश्रादरियो, धवलतीज हिव कुंथुनाथनें केवलफुरियो // ए॥ पंचमिअजित अनंत संजवने मुगति, नवमि इग्यारस मुगतिनांण बलिपांम्यो सुमति // त्रिसलादेवे वीरनाह तेरसनिसिजायो, पूनिमदिन श्रीपदमनाह केवलसिरिपायो // 10 // नास // हिव वैशाखवदिपमिवादिन कुंथुसिक, शीतलबीजे दिनपंचमीकुंथु चरित्र // बजे श्रीशीतलअवतरियो दशमैंनमिजिण सिवसिरिवरियो तेरसिजनमअनंत // 11 // चवदसदिरका नाण अणंतह जनम हुई श्रीकुंथुजिणंदह वंदह सिवपुर सत्थ / सेतचउथ अभिनंदनउत्तम धरमनाथचवियो वलि सत्तमि अमिसिचउथ // 12 // सुमतिनाथअमिये जायो नवमेंसंयमसांमे पायो गायोधरिआणंद, दशनाण वीरजिणपामी बार सिचव्यो विमलजगस्वामी तेरसिअजित जिणंद // 13 // ( ढाल ) // जेठकसिण परिकाहीचवियो सेयंस अहमीसुबयजनमियोए // नवमिमुगति संपत तेरस चवदसिसन्तिजम्म सिववयदुओए // धरमनाथसिवपत्त धवलीपंचमें नवमेंवसुपुजाअवतरियोए // श्रीसुपासजिण जम्मबारसि तेरसिजगगुरुसंयमसिरिवखोए // 15 // नास // हिवै आसढवदिचनश्रि रिसहेसचवण सत्तमिहि सिरिविमल // मुरकनवमिनमि वयगहण सेयग्वैचवण // वीरनो अनमिनेमिमुरक चवदसें श्रीवसु Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरिचंपापुर हव तीज मुगालामिय // नवमिणजम्म जणी (110) पुऊजिणंद उसय वरसाधुकरपरवस्योए // बहुतरवरसलख पुरिचंपापुरे कर्महणि मुगतिरमणीवस्योए // 15 // ( ढाल)॥ श्रावण वदि हिव तीज मुगति सेयंसहपामिय सत्तमि चविजेअणंत नाह अठमी नमिजामिय // नवमिकुंथुजिणचवणहुन अह निम्मलबीजै, सुमतिचवण पंचमिहनेमि जिणजम्म नणीजै // 16 // मुनिवरनेमि हुय अमिसीधोपास // मुनिसुबयपुनिम रयणिचवि: गुणमणिवास // 17 // नाववदि सत्तमें संति ससिचवणनवरकय अमिचविय सुपास नवमिसुदि सुविधसिवंगय // हिव आसु वदि तेरसि ए श्रीवीरजिणेसर गर्नहरण अम्मावसीए नांणी नेमीसर // 17 // पूनिमनमिजिणवरचविय इणपरबारह मासि // श्रीआवस्यकदाखवी जिणकड्याएणक रासी // 15 // जिणचवण जम्म चरित्त केवल नांण शिव प्रापति दिने अरिहंतनत्ते सुचचित्ते तपकरे जेश्कमनें॥कट्यांनी ते कोमी पांमी अनुक्रमें सिवसुखलहे, एहेतुजांणी सुगुरुवाणी एह कट्याणक कहे // 20 // इन पांचजरते ऐरवतकरि एकादिजिनवरतणा, दसकट्याणकहुवे इणदिन सुरकरे उनवघणा // जिमहूआ ते तिम वलि होस्ये पंचकल्याणकसदा, श्रीपुन्यसा. गरकहे खरतर एह आराहोमुदा // 21 // इति पंचकल्याण स्तवनं // // नेमनाथ लावणी // नेमकीजान वणीजारी देखनकुं आवै नरनारी॥ (ए आंखमी) अनंता घोमा रथहाथी / मनखकीगिणती नही आती // ऊंचपर धजा जो फरराती, धमकसेंफरती परराती (दोहा-) Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समुविजयकालामला, नेमजनोंका नाम // राजुलदेकुं आयापरणवा, उग्रसेनघरगम // प्रसननश् नगरीसबसारी // नेमकी० // 1 // कसुंबलवागातिलारी, काने कुंमलबवि हैन्यारी // किलंगीतुररा सुखकारी मालगले मोतियनकीमारी॥ (उहा-) कानेकुंमलजगमगे, शीशमुगटफलकार // कोमीनानुकी करुउपमा, शोना अधिक अपार // वाजरह्या वाजाटंक सारी // नेमकी // 2 // छूटरही उनकी बरराइ, व्याहमेंत्रायेवमेनाई॥ जरोखे राजुलदे आई जानकुं देखी सुखपाय॥ (उहा-साबी ) // उग्रसेनजीदेखके, मनमेंकरे विचार // बहोत जीवकरिएकग वामोजरयोअपार // करीसबनोजनकीत्यारी॥ नेमकी // 3 // नेमजीतोरणपराये, पशुजीव सबहीकुरलाये // नेमजी वचनपुरमाये, पशुजीव काहेकुंलाये // (उहा-साखी) याकोभोजनहोयसी जानवासतेएह // एहवचनसुणी नेमजी, अरपरकांपेदेह // नावसें चढगयेगिरनारि // नेमकी // 4 // पीनेसें राजुलदेवाइ, हाथ जब पकड्यो छिन मांही // कहांतुं जावै मेरीजाई उरवरहेरुं मुकता // (उहा-साखी ) मेरेतो वरएकही, होगयानेमकुमार // र नुवनमें वरनही, कोटीकरो विचार // दीदाजदराजुलने धारि // नेमकी // 5 // सहेट्यां सबहीसमकावे, हियै राजुलके नहिआवै // जगतसब झूगेदरसावै, मेरेमन नेमकुमर जावे // (उहा-साखी)॥ तोमयाकांकणदोरमा, तोड्यानवसरहार // काजलटीकी पानसुपारी, त्याग्यो सबसिणगार साहेट्यां सबविलखाणी // नेमकी० // 6 // तज्यासब शोले सिणगारा। आजूषणरत्नज Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (112) मितसारा // लगे मोहे सबहीसुख बारा बोझकरचालिनिरधारा // (उहा-साखी)॥ मात पितापरिवारकुं तजतां न लागीवार // वियोगकर चली आपसुं जायचढिगिरनार // तुरतिबोमिमाप्यारी // नेमकी० // // दया दिल पशुवन कियाइत्यागजबकीनो चिनमांहि // नेमिजिन गिरनारेजाइ, पशुवनके. बंधनबुम्वाइ // (मुहा-साखी ) // नेमराजुल गिरनारपें, लीनोसंजम दान, // नवलरामकरिलावणी उपज्योकेवलग्यान॥ जिनोकी किरियाबुधसारी // नेमकी // // इति पदं // // अथ पारणामहावीरस्वामीका // .. // दोहा // श्रीअरिहंतअनंतगुण / अतिसयपूरणगात्र // मुनिजे ज्ञानीसंजमी / ते कहिये उत्तमपात्र // 1 // पात्र तणी अनुमोदना / करतोजीरणसेठ / श्रावक अच्युयगतिलेह / नवग्रेवैकाहे // 2 // दसचउमासी वीरजी, विचरतसंजम। वास // वेशालापुर श्राविया, ग्यारमीचनमास // 3 // (ढाल) // एकघर घोमाहाथियाजी (देशी) चोमासीग्यारमीजी, विचरतसाहस धीर // वेसालापुरबाहिरेजी आव्या श्रीमहावीर // 1 // जगत गुरुत्रिशलानंदनजी नलेमें नेट्यां श्रीजिनराय // सखीरीचोक पूरावोत्राय, मेरेजाग्यअनोपममाय // ज० // 2 // बलदेवनो ने देहरोजी, तिहां प्रनुकाउसग्गलीध॥पच्चरकाणचोमासनो जी, स्वामीएतपकीध // ज // 3 // जीरणसेउतिहां वसे जी, पाले श्रावकधर्म // आकारे तिणलख्याजी, जाणेश्री जिनधर्म // ज० // 4 // आजअ उपवासीयाजी, स्वामी श्रीवर्षमान // कालेसही प्रनुजीमस्येजी, सेहयदेस्युंदान // ज० // Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (113) // 5 // सदासेश्मचिंतवेजी होसीसफलमुक श्रास // पक्षमासगिणतांथकांजी, पूरीथश्चोमास // ज० // 6 // सामग्रीश्राहारनीजी, जीरणकीध तश्यार // प्रनुनो मारगदेखतोजी, बेगे घरनेबार // ज० // 7 // घरावे पाहुणोजी, निदुत्यो एकणवार // प्रनुजी कां न पधारसीजी, में निहुत्यावारंवार // 7 // पीने करस्युं पारणोजी, हुं प्रजूने पमिलान // होय मनोरथ एहवोजी, तोयविनवरसे आन // ज० // ए॥ अवसरजठ्यागोचरीजी, श्रीसिद्धारथपूत // वेसालापुरावतांजी, पूरणघरेपछुत्त // 10 // मिथ्यात्वीजाणेनहीजी, जंगमतीरथएह // चेटीप्रते श्म कहेजी कांकनिदादेह // ज० ॥११॥चाटूलरनेबाकलाजी, प्रतुने आणीदीध // नीरागी तेहीलियाजी, तिहांप्रनू पारणोकीध॥ज॥१॥देववजावे मुनिजी, जैबोले करजोमि॥हेमवृष्टिहु तिहांजी, साढीबारेकोमि // ज० // 13 // कहोसेन्तुमे स्युंदियोजी, कियोपारणोवीर // लोकांप्रते श्मकहेजी, में पहिराश्दीर ॥१५॥राजादिक सहुश्मकहेजी, धनधन पूरणसेठ / उंचीकरणी तेंकरी जी, अवरसहू तुकहेठ // ज० // 15 // जीरणसेठसुणे तबेजी, वाजिनमुनिनाद // अन्यत्रकियो अनूपारणोजी, मनमें थयोविषवाद // 16 // हूंजगमें अनागि योजी, मेरे न श्रायासाम // कटपवृक्षाकिमपांमीयेजी, मारुमंगलगंम // ज० // 17 // जेता मनोरथमें कियाजी, तेता रह्या मन मांहि // निरधन जिमजिमचिंतवेजी तिमतिम निरफल थाय // ज० // 17 // स्वामीतिहांकियो पारणोजी, कियो अन्यत्र विहार // श्रायापाससंतानियाजी, तिहां मुनीकेवल धार // ज०. बृ० स्त०८ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (115) // 15 // वेशालापुरराजियोजी, लोकास्युं आणंद // रायप्रश्नपूजेश्स्योजी, सुगुरुचरणअरविंद // ज० // 20 // मेरेनगरमे कोअजी, जीवपुन्यजसवंत // कहे केवली आजतोजी, जीरणसेठमहंत // ज० ॥१॥राय कहेकिणकारणेजी, जीरणसेठमहंत // दांनदियो जिन वीरनेजी, पूरणसेठमहंत // ज० // 22 // रायप्रतेकहे केवलीजी, पूरणदीनो दान // हेमवृष्टिफल तेहनेजी, अवर न कोप्रमाण ॥ज॥२३॥देवलोकतिणबारमेंजी, जीरणघाट्योबंध // विनादानदियां बह्योजी, उत्तम फल संबंध // ज० // 25 // घडीएकसुरकुंडनिजी, जो न सुएंतो कान // सहितोजीरण तोसहीजी केवलअविचलगम // ज० // 25 // राजाजीरणनेदियोजी, अधिकमानसनमान // मुक्नगरमेथापियोजी, जोवोपुन्यप्रमाण // ज० // 26 // दानदियो सुपात्रनेजी, तेनिष्फलनविजाय // पात्रदानअनुमोदताजी, जीरणजिम फलथाय // ज० // 27 // श्मजांणीअनुमोदनाजी, दानसुपात्ररसाल // दांनदेवे सुपात्रनेजी, तेहनेनमेमुनीमाल // ज० // 20 // इति श्रीवीरप्रनुपारणोसंपूर्ण // - // अथ श्रीसीमंधरजीनो वृद्धस्तवनं लि० // मारीबीनतमी अवधारो साहिवसीमंधरमाहाराज / त्रिभुवन साहिब अरजसुणीजो अरजसुणीजो महिरकरीजो दरसणदीजोराज मारिवी० // 1 // आपवस्या महाविदेह खेतरमे / दुइएनरत मझार / ओमेलोकिमहोवे साहिब / एहीसबल विचार मा० वी० ॥२॥नरत विचाले परवत आमो / नामें वैताब्यसार / पचीशजोजनको उचोप्रनु / पचाशजोजन विस्तार Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (115) मा० वी० // 3 // गंगासिंधुदोनुनदीयां / आमीने किरतार / सहसअगवीसवीजी नदीयां / एवेऊ नो विस्तार मावी॥॥ इणी आगलपरवत आमो। नानोहिमवंत नाम / एकसहसवलिबावन जोजन बारकला अनिराम मा० वी० // 5 // खेतरहेमवंतवलि प्रनुश्रामो / जुगज्यांकेरोवास / इकवीससैवलिपांच योजन / पांचकलासुविलास मा० वी० // 6 // रोहितारोहितांसानाम / नदियाने असराल / उप्पन्नसहसवलिबीजीनदियां। आर्युकेम दयाल मावी॥॥महाहिमवंत परवत आमो। मोटो अतिविसतार / च्यारसहसदोयसैदसजोजन / दसकला मनुहार मावी ॥॥आउ सहस सतच्यारअनोपम। इकवीसजोजनतास / एककला बलिरूपानोपम / खेतर हरीवास।ए। मारीवीन० // हरिकंतानेहरिसलीला नदीया परतक्ख / बीजीनदीयां आमी प्रनु / सहसबार एकलक्ख // 10 // मारीबीन // परबतनिषध बलि आमो / जोयणबतिविसतार / सोलसहस सतआठबयालीस / दोयकलामनुहार // 11 // मारीवीन // खेतरने वलि जुगट्यांकरो / देवकुरु इणनाम / ते पिण जोयणबहुविस्तारे / पोलो सुणोस्वाम // 12 // मारीवीन // सीतानामे नदीवमेरी / सबनदीयांसीरदार / पांचलाख बलि बीजीनदीयां / अने वत्तीसहजार // 13 // मारी० // लाखजोजनको मेरूपरबत / नाम सुदरसणसार / गजदंता बलि च्यारवीचमे / आऊं केम कृपाल // 14 // मारी // वनगिरीने परबतबहुला / नदीयां ओघटघाट / किण विधि आसुगुणासाहिब / मारग विषमीवाट // 15 // मारी // कं Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (116) चन गिरी वखारापरबत, गजदंतागिरिराय ! नसालबन मारग विचमे / लागेकेमनपाय // 16 // मारी क्यांमुज देश ने जरतखेतर / क्यां पुखलावतीजिनराज / ओमेलोकिम होसीसाहिब / तारणतरणजिहाज // 17 // मारी० // निसदिनमारे तुही श्रालंबन / वसीयोहृदयमकार / नवमुख नंजन तुंहीनिरंजण / करुणाकलानंमार // 10 // मारी० // मनवंचित सुखसंपतिदाता, प्रनु शाहेवगे खास / मुजने सेवक साचो जाणी, पुरोमननीयास मावी ॥१ए। खरतर हरखगुरुसुपसाये। रूपचंद गुणगाय। अगरचंदको श्रीजिनबरजी। तारो दीन दयालाय॥२०॥ मारी० // संवत् अढारसे इकवीसे / पोसवदी सुन मास / बीज ना बुधवार अनोपम, जिनपदवंदननास // 1 // मारी बीन० // इति श्रीसीमंधरस्वामीवृधस्तवनं संपूर्णम् // अथ श्रीनवपदजीकी लावणी लिख्यते // जगतमें नवपदजयकारी / पूजतां रोगटलेजारी। प्रथमपदतीरथपतिराजे / दोषअष्टादशकूत्याजे / आउप्रातिहारजगजे / जगतप्रनु गुणबारेसाजै ॥दोहा // साखी // अष्टकरमदलजीतके / सकलसियते थाय / सिपअनंता नजो बीजेपद, एकसमयशिवजाय / प्रगटनयो निजस्वरूपनारी // जग // 1 // सूरिपदमें गौतमकेशी / उपमा चंजसूरजजेशी // उधास्यो राजापरदेशी। एकनवमांहे शिवलेशी ॥दोहा॥ साखी // चोथेपदपाठकनमूं / श्रुतधारीउवकाय सर्वसाहुपंचमपदे / धनधन्नोमुनिराय / वखाण्योवीरजिणंदनारी // जग॥२॥ व्यषट्की श्रद्धाभावे / समसंवेगादिकपावे / विनायहग्याननही Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (117) किरिया। जैनदरशनसें सबतिरिया // दोहा // साखी // ज्ञानपदारथसातमें / पदमें आतमराम / रमतारम्यश्रध्यातमें / निजपदसाधेकाम / देखतावस्तुजगतसारी // जग // 3 // जोगकीमहिमाबहुजाणी। चक्रधरगेमी सबराणी / यतिदशधरमकरी सोहे / मुनि श्रावक सब मनमोहे // उहा // साखी // करमनिकाचितकापवा / तपकुगरकरध्याय / क्षमायुतनवमापदधरे। कर्ममूलकटजाय / जजोतुम नवपदसुखकारी // जग // 4 // श्रीसिद्धचक्रनजोनाई। आचामलतपविधिसेंथाई / पापत्रिहुं. जोगेपरिहरजो / लावश्रीपालपरे करजो // हा // साखी // संवतजगणीस सतरसमें / जेपुर श्रीजिनपास / चैत्रधवलपूनिमदिने / सफलफली मुबास / बालकहे नवपदविप्यारी // जग // 5 // इतिश्रीनवपदजीनी लावणी संपूर्णा // ॥अथ श्री नेमनाथजीकी चतुरमासक लावणी लिख्यते॥ ॥गईघटागगनमेंकारि राजुलकुं विरहकुःखनारी // नग०॥ चौमासालग्या रसन्नीना / अलि अषाढरंगमहीना / च्यारंतरफसें वादलपीना / बिजलिने चमकणाकीना / दिल होत धमकतासीना / में अबलासखीपतिहीना / उमावनी // सररररर. चलतसमीर / थररररर करतसरीरं / मररररर मरतसमीर / अलि केसीकलं तदबीर बुरीतकदीर / पीया विनप्यारी // राजलकू // 1 // श्रावणमें श्यामघनघोर / जरजोरबोलते. मोर / दाउरमिल करतेदोर, पिनपिउ पपश्यासोर / ऊमलग्योबूंदकमजोर / बिचचमके दामनी कोर // उमावनी // खममममरु रवधनमाला / तममममम जलपरनाला / अममममम Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (117) नालाखाला / में मुखीदुश् बेहाल हीयेमेंसालदुइजलधारी // राजु ॥२॥नादवमें पवन प्राचीना / बादलमें धनुषरंगीना। जंगलमें नदीस्वरकीणा / ज्युं बाजे मनोहरबीणा / अब एसें कहो क्याजीना। प्रीतमनें मुके मुखदीना // उमावनी // युविलपतमुखमुरझाई / सखियनमिल दौमजगाई। यूं विलखतबचनसुनाई। सखि देखो पीयाकीरीत / तोमकेप्रीत / गयेगिरनारी ॥राजुं // 3 // आश्विनमेंजरानहींधीर / यमुचंदनये वेपीर / जनचली नेमकेतीर / काटनकू कर्मजंजीर / प्रीतमसें लियो अकसीर, व्रतसंजमसमकितहीर // उमावनी // शिवराजुल नेमसिधाए / इंसादिकजसुगुणगाये / नविजनमिल शीश नमाए / मुनिकहे कपूराचंद / प्रेमसें बंद / जालंबलिहारि // राजुल // 4 // इति श्रीनेमनाथजीकी लावणी संपूर्ण // // अथ श्रीकेसरियानाथजीकी महातम लावणी लिख्यते॥ // दोहा // आदिकरण आदिमजगत / श्रादिजिनंद जिनराज / धूलेवानाथजाचोधणी / वरणुं श्रीमहाराज // 1 // चाल लावणी // कास्यपगोत्रश्दवाकुवंशमें मरुदेवाजननी जायो,नानिनरेसरवंशउजालन / आदिधर्म जस प्रगटायो // 2 // चौसठसुरपति देवदेवीमिल / मंदिरगिरपे न्हवरायो / सोरिषन निधि प्रगटकटपतरु / सुरनरमुनिजननितध्यायो॥३॥ मेवामदेशमेंनगरधुलेवे / जास ददामाधुरताहे / जाकीमहिमा अपरंपारा / कविजनकीरत करताहे // 4 // आदौ मूरत कालसं. ख्यकी / पूजीसुरगण असुरिंदा। सुरपति नरपति वंदितपदयुग / वलि पूजतसूरज चंदा // 5 // लाखश्यार हजारपंचासी / वर Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (115) सपांचसें पचासा। इतनेवरसपर लंकागढमें / पूजितरावण गुणरासा // 6 // रामचंऽ शीता अरुलचमन / ए मूरतपूजनलाए। नयरी अयोध्या जाते अधविच / नयरनोपीठहराए // 7 // प्रजापालनरपतिकी तनया। सुंदरिमयणा धरमनकी / पापकरम अरु आपकरमकी / नईलमाईमरमनकी // // आपक रमके ऊपरनृपनें, कुष्टीवर परणाई // मयणाचिंतेकांई नवाई / करमलिखीसो वनाई ॥ए॥ इकदिन जिनपूजन गुरुवंदन / आई श्रीजिनमंदिर / वंदनपूजनकरके इकचित / ध्यानधरे मन कंदरपे // 10 // मोतीदाम बंद // तूंहि अरिहंत तूंहि जगवंत / तूंहि जिनराज तूंहि जगसंत / तूंहि जगनाथ तूंहि प्रतिपाल / तूंहि मनमोहन तूंही दयाल // 11 // तूंहि नवनंजन जावसरूप / तूंहि अरिगंजन रंजनजूप, तूंहि अविनासी तूंहि वीतराग / तूंहि माहाराज तूंहि वमनाग।११ तूंहि गुणधाम तूंहि विसराम / तूंहि नवनिक तूंहि वमनाम तूंही अघनाश तूंहि अविनाश / तूंही मतिवंत तूंही मतिवास // // 13 // तूंही गुणकेवलरूपअनंत / तूंही जगतरणतारण संत / तूंही जगध्येय तूंही जगध्यान / तूंही चिदरूप. तूंही लगवान // 14 // तूंही ममतात तूंही मममात तूंही मम ज्ञात तूंही ममगत // तूंही सरणागतराखणहार / तूंही मुख दोहगटालणहार // 15 // चाल लावण। // करूं अरजएक तोपें जिनपति / कंतकुष्टसें नहीमरते / पूरबकरमके लिखित लेखजे। किसकेटारेनहींटरते // 16 // पणतुझसासन जगतहेलना / जगत. ढंढेरावाजतहे / आपकर्म अरु जैन धर्मके / फलपाई यों Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (10) साजतहे // 17 // योमुख मोसे सह्यो जातनाही / आदिनाथ जगरखपाला करुणाकरके रोग निवारण / गुणकीजे जगप्रतिपाला // 17 // यक्षप्रसन्न हुय फलबीजोरो / हाथतणो फल तबदीनो / मयणा तब उदासनई / मनचिंते सबकारजसीनो // 15 // नौदिन नमणनीर तनुफरसें // कुष्टरोगसबनासतहे, कामदेव अरु अमरसमोवम / नृपश्रीपालसोहावतहे // 20 // या कीरत प्रनु तिहारीजूतल / प्रगटप्रबलहे जसतेरो / आसुचैत्र मासमें महिमा / देशदेशमेंप्रनुतेरो // 1 // फिरवागम देशवमोदनगरमें / जगपर प्रनुकरुणाकीनी। कितनेवरस लगमहिमेंमहिमा / अविचलनूतलऋधिदीनी // // दिल्लीपर तुरकान नयोतब / पातस्याह दमवाआयो / छूत जूतपत्थरकीमूरत जम्मुलांसेंउखरायो // 23 // बहुत दिनांलग कीविलमा। थाकोयों वाचाबोले / देवहिंदको वमोजागतो। यूं बोलतफिरफिरमोले // 24 // सुनोवात काजी मुबां तुम / एकवातसेंत्रासेगा। गौब्राह्मणप्रतिपाल कहाई / गोवधसें ये नासेगा // 25 // गोवध करण लगे जबनिजरे / देखसके क्यो प्रतिपाला / करणयुधजबनये महाबल / शस्त्र ऊमोऊमविकराला // 26 // हो // महायुद्ध करणे लगे। घाव चौरासीअंग / करी मलोखा गामली। आये धूलेवसुरंग // 27 // चाल लावणी // गांवधूसेवा वंशजालमें / गुप्तरहे हैं प्रनुधरती गायएककोई वनियनकी। आश् वाहां चरती चरती, सवे तिहा पयधारा शिरपर सांज्क समे फिर नहि दुजे // रीसकरी तब गोपालन पर / गोपाल थरहर धूजै / दूजे दिन गौलारे Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) आयो / लह्यो नेद कह्यो वनियन / शेव श्राय जब नजरे देख्यो / चकित नयो हे तन मनपें // 28 // मध्यरातमे सुपनोदीनो / ज्ञषननाथकी मूरतहे / बहिर निकासो करोलापसी। जीतर मूरतपूरतहे // श्ए // नवदिनमें सबघावमिलासी ।मतकाढे तूं नवदिनमें / कियो शेग्ने हुकमप्रमाणे / आये संघबहु वचले / केइ लोककू मुक्करबाधा / कब प्रनुकोदरशनमिले // 31 // यू सब लोकां दरसतरसकी / कहे लोकमूरति काढो। लाओ लाओ महाराजकीमूरत / संघसबे लीनोमो // 3 // जवर दस्तसें दिवससातमें / लापसीबाहिर तबकीने / अंसरंस जर व्रणरहाए / संघ लोकदर्शनदीने // 33 // फिर सुपनेमें जव्यदिखायो / संघे मिलदेवलकीनो। मध्ये विराजे ऋषनतखत तेसठे / नाज सदाशिवराय / कियोधगानो पुष्टने, नाखूवरणवनाय // 35 // मोतीदाम बंद // सदा शिवराय चिंतेमनएह, खूटे बहुधाम जमीपरजेह / निसांपति नाथ धूलेवकहाय, खखोलगप्रव्य नंमारसुणाय // 36 // जावांअबलूंटण गामधू. खेव / ग्रहुँसबमाल जईततखेव / आया निजफोजलेई दखगाज तोपांदोयसाथ खियां बहुसाज // 37 // तंबुदोयलार लियेफिरं राज / नही इहकारण कृत्यअकाज // 30 // एतो वह जाजल देव कहाय / रहेनहींलाज तिहारियकाय / तबांफिरबोले सदाशिवजूप / ग्रहांसबमाल अबां चढीचूप ॥३ए। इसोकहिा Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 122) वत मुष्टकरूर / कीयो नजराणहनाथ हजूर / राख्यो नही नाथ तबेनजराण / नयोमन चकितमानगिलाण // 40 // तवां मनचिंतनंमारीबुलाय / मीठेवचनबोलसबेललचाय / सईसंगायमुकाममकार / कियो तब कूचलसबलार // 41 // करे तब गामपुकारपुकार। नंमारीसबेश्पुकार पुकार / करो अबबाहर नाथदयाल / गयोकिहांआज गरीब निवाज / चढोअबबाहर राखणलाज // 4 // पुहा // जण समें कोउसेठको, वाहणतारणकाज / गये अधिष्टायक नाथजी / नेरंगये वहांगाज // 43 // सुणोअरजपृथ्वीनाथजी, सहेरधूलेवमकार / कियोअकारजउष्टने / शीघ्र चले जनतार // 4 // आये तुरत महाराजजी / करवाजनसंजाल ।दो घोमे दोउंचढे / जेरुअरुप्रतिपाल // 45 // निसकोप आपेकियो। दशदिशि फौजहजार / मारमारचोतरफते / नई लमाईत्यार // 46 // नुजंगप्रयातबंद कूकूकुकूकुकू वहे कोकवाणं, सणएणं सणएणं तीरतरकस्स वाणं / धुंवाके धमाके वहे नालगोला। जिसा कर्कसाजम्मरा नयनमोला // 45 // किते अंग शस्त्रराघावलागे। कितेमारतेंकंपते दूरलागे, किते दंततिरणलेवेवराका / कितें थरथरेत्रास होवेतिराका // 47 // किते रसुसाइलबापुकारे / किते दीन होकेखुदासंजारे / कितें नाथपेंकेसरा खूनमाणे / किते नाथकू जागतीज्योतजाणे ॥४ए // सदाशिवनें घावलागो अटारो / पुनी जाउजसवंत दोनुंसंहारो / वमोकोपजाणी सबे फोज नाजी। हुई केशरीयानाथकीजीतवाजी // 50 // सदाशिवनें आंखमी अटकलीनो। सवापांचसें, रुकमरोखून दीनो। Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (13) इसोधूलेवरोमगाजी / सदा केशरानाथरीजीतवाजी // 11 // उहा // याविधकलियुगजगजणा / तास्याकेश जिनराज / दीप विजयकविराजकू / महेरकरोमहाराज // 55 // मोतीदाम बंद ॥तूंही नवनिघ तूंही अमसिझतूंही मनवंति वंग्तिऋचातूंही सिरदार तूंही किरतार / तूंही सरणागत दीनदयाल // 53 // तूंही कामकुंल तूंही कामधेनु / तूंही सुरवृक्ष तूंही ममसेन / तूंही दाणावर्तदायक देव / तूंही विसराम तूंही वमसेव ॥५॥तूंही ममप्राण आधारजरूर / तूंही ममचितदायकनूर / तूंही ममनूप तूंही पतसाह तूंही मम ऋपनंमारश्रगाह // 55 // तूंही मममंत्र तूंही ममयंत्र तूंही ममसत्य तूंही ममतंत्र / तूंही गबनायक तूंही श्रीपूज्य / तूंही ममपूज्य तूंही जगपूज्य // 26 // चाल लावणी // नाथधूलेवाकीरतसुणके / देशदेशनृप आवतहे / केशरमें गरकाबरहतेहे / केशरनाथकहावतहे // 27 // सहर परगणे देशदिशावर / फिरेउहाई नाथनकी हिंमूसलवमराणाहाजर / पूरे चितसबमनकी // 5 // जलवटथलवटवाटघाटमें / रणरावलपुखदूरहरे / इक चितध्याने जे नितसमरे / अखयखजानाअजरजरे // एए // धिधिमप धिधिमप धपमप धपमप / तालपखावतराजत हे। गमगमगम दौगमगमदौगम धोंधों नोवत वाजतहे // 6 // हिंदुपतिपतसाहऊदेपुर / नीमसिंहकेराजनमें एहलावणी खूबवणाई। सकलसंघकेसागनमें // 61 // संवत अढारपच्चोत्तरवरषै / फागुणसुदितेरशदिवस / मंगलके दिन दीपविजयकू दरशन परशन दोलसे // 65 // कलश // उप्पय बंद // समवशरण जगश Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (124) रन / तीनलोक कलिमलहरन / धुनि वरसत जलधरन / नरएपौषपावन करन // जुगलधर्मनीतिहरन / सब करमउँघघनजरन / मोहमय अरिदरन / सुकनुवरन शुधचरन / इंजचंड पद जुगलसेवन / जगतविरुद तारनतरन / दीपविजयकविराजबाहामुर / झषजनाथअसरनशरन ॥६३॥रिषजनाथ महाराज सवे मुखदालिषनंजन / रिषजनाथमहाराज / सबे जूपमनरंजन। रिपननाथपृथ्वीनाथ।मंगलनामगवाये॥दीप विजयकविराजबाहकुर // खलकमुलकहाजरहे // कलिजुगजयो देवतुं / सुरनरसब कीरतकहै ॥६॥इति श्री केसरयाजीकी लावणी संपूर्ण // // अथ वीसनगर कल्याण पार्श्वनाथजीकी लावणी लिख्यते // अगम अगमडु वाजे चोंघमा / सवाझकासाहेबका // बननं उननं अवाजहोता / महेलबनायागगनोका // कट्याण पार्श्वनाथनामका / नितनितवाजेचोधमा // तीनलोकमें सच्चा. साहिब / पार्श्वनाथश्रवतारवमा // 1 // वणारसीनगरी में तेराजनमहे / मातावामाकनंदा // अश्वसेनकेकुलमें शोले / जेसा सरदपूनमचंदा // स्वर्गलोकमेंदुवाश्रानंदा / इंशाणीमंगलगावे / तेत्रीसकोमदेवतामिलकर / श्रोउव करणेकुं श्रावे // 2 // कोइ आवता कोश्गावता / कोश्नाम लेतादेवा // चोसइंड अरजकरता। चंपसूरजकरता सेवा / केश्सुरनर साहेबके आगे। अरजकरंता खमाखमा // जिनकेसरूपको पारनपावे / जिनका. गुणहे सबसेंबमा // 3 // दूरदेससें आयाजोगी। वझेजोरतप. स्याकरता / नीचेखगाता ज्वालाजोगी / वमेव कोकेखाता। Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (125) बारे वरसकी उमरप्रनुकी। गेटेपनमें बहोतकला // बरोबरीके लियेसोबती / तपशीकू देखणचला // 4 // ज्ञानदेखकेबोले जोगीसें / एसी तपस्याकू करता, ओ जोगी तेरेवमेलकम्में वमा नागश्क अधजलता // पारसनाथजोगीसुं कहता / तोबीजोगीनहिंसुणता / लकमेदिये फेंकजंगल में लोकतमासादेखता // 5 // क्या कीया बे जोगीतुमने / बमानागकुंजला दिया / दियासार नवकारनागडूं। धरणीधरपदवीपाया। वमीउमेदसे आयासाहिब / संवत्सरीका दानदिया। मातपिताकीआज्ञालेकर / महाराजनेजोगलिया // 6 // राज गेमके चखेजंगलमें। जुगतीसें काउसग्गकिया / वमेधीर गंजीरप्रजुनें / तीन लोकमें नामकिया। उष्णकालकीवमी धूपमें नीरंजननिराकाराखमा / कमगसुरने कियाकमाका / ननमंमलवादलचमा // 7 // उसी दिन्नको कमगसुरने / पिलादावाजगवाया / मेघमालीकी सेनालेकर। जलकू जलदीबुलवाया / वमाकिया घनघोरजोरसें। पवनचलाया मतवाला / कममकम कर दुआकमाका / चमक वीजका उजवाला // // मूसलधारा मेघवरसता / गगनगाजता चौताला / सातखूटकी वीऊमीमें / प्रनु खमा हे मतवाला॥नाकबरोबरपायापाणी नाथ निरंजनधीरवमा पराजय नहिं होय जिनूंका / एसाप्रनुका ध्यानचढा // ए॥ संकटसें सिंहासाणमोला / हुवा घंटकाआवाजा / अवधिज्ञानसें इंदर देखा // धा धा धरणीराजा // धरणीधरजलदीसेंधाया। पदमावतीकू संगलिया। पदमावतीने लियेशीसपर / शेषना. गनेत्रकिया // 10 // कोमल पायतो कियाकमठने / कुब्बी Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (126) श्लाजनहिंचलता / तरणेवालासाहिबननकू / लणेवाला क्याकरता / जीतेश्रीजिनराजहारके कम हाथदोजोमखमा // धरणीधरसाहिबकेआगे / अरजी करताखमाखमा // 11 // केवलपाय शिवपदकूपहुंचे / पार्श्वनाथ शुभ मतवाला / लगी ज्योतमेंज्योतिदीपकी तपे तेजकाअजुवाला // वीसनगरमें पार्श्वनाथका / देवलबनाया तेंताला // वझे देवलमें इंदरसोहे। घंटावाजताचोताला // 12 // वमीजुगतसे सिंहासणकर / कोट बनायादेवलका // जगों जगोंपर शिखरचढाया / दरवाजाशुल केवलका / नामंगलकेआगेशोनता / मूलगुनाराारसका // पीछे पच्चीसदेरियांसोजित / सिरेकामसिंघासणका // 13 // मूल नायकके ऊपरसोहै / सहसफणा प्रनुपारसका / चौमुखकी चतुराश्वणी है / बहूकामहै सारसका / अढारसेंपैंसठ सवाई। सुदुर्त फागण मासजला / सुदीतीजकू तखतेबेठे / जगोजगोपर नामचला // 14 // देश देशके संघ बहु मिलकर / तेरेदर्शनकुंआया / जगतगुरु जिनराजजगतमें / वमी तेरी अक्कलमाया // धर्मचंदजोमतासवाईने / वमासाहमीवात्सद्यकिया। सकलसंघकीआझालेकर / वमाशिखर निशानदीया // 15 // करमचंद ने देवचंद ने खेमचंद ने खुबकिया // पारसनाथकू तखतबैगकर / जगोजगो पर नाम किया // कीर्तिविजयगुरुराजकूप्रणमूं / पायगुरुका राजवमा // गुलाबचंद साहेब केआगे // जिनसासनका कामवमा // 16 // तेजागाता चंगरंगमें / ज्ञानध्यानसेंखमाखमा हाथजोमके अरजीकरता / पारसनाथजीतूंहीबमा / वमा काम तेरे है साहिब / मुखसेंनहिं कहणे. Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) आता // शिवरमणीकुं वरी है जिनजी / नविजनकुं सुखकेदाता // 17 // इति श्रीकट्याणपार्श्वनाथजीकी लावणी संपूर्णा // ॥श्रीनेमिराजीमतिनो बारमासो लि०॥ सीयालैखाटुनलीरे लाल एदेशी // तोरणथी रथफेरीयोरे लाल नितुर नेमकुमार / प्रेमविलूधी पदमणीरे ला वीनवेरा जुलनारहोरंगीला नेमसुणमाहरी अरदाश 1 // सहेट्यासुंरा जुलकरे ला // मगसिरनाव्योपीव / प्रीतम विनहिव माहरोरे ला० धीरजनधरे जीव होण्॥पोसमहीनो आविवोहो ला आयोमो मुखदैण / तो सुरतने सांवला हो० ला० देखण तरसैनेण हो 3 // माहमहीनेसीपमेहो ला पीनसंग पोढेनारी / प्रीतमविणहूं एकलीरे ला केमरहूं निरधारी हो 4 // होलीखेले हेतसुंदो ला० फागुणमें नरनार / ढुं किण सुं खेलु हिवेहो ला पासनहींजरतार हो० 5 // चेतमहीने चांदणीरे ला० संजोगण सुखदैण / विरहणने वालमविनारे ला रोवत जावैरेण हो०६॥ वनहरिया वैशाखमेरे ला मांजररहीमहकाय / अरजसुणी अवलातणीहो ला तपतमिटावो श्राय हो० // जेतपेलू आकरोहो ला दाके कोमल गात / ससनेहीसाहिवविनाहो ला कुणपूरे मुरूवात होना आषाढे काली घटाहो ला ऊनमि आयोमेह / कंतमिट्या निजनारसुंरे लाग्धरती मिलिया मेह हो / श्रावण चमके दामनीहो ला० घनवरसै ऊमलाइ / इणझतुसूतांएकलीहो लाल / क्यूंकररैणविहाई॥ हो 10 // कालीकलायणमिलिहो लाल / नावमे वर संत / अरजसुणीनेसाहिबाहो लाल / पूरोमोमन Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (10) खंत // हो // 11 // आसोजे आंसूंफरेहो लाल / नाहविना निस दीस / सारनपूलीसाहिबेहो लाल / राखिरह्योमनरीस // हो // 12 // कातीदृढगतीकरीहो साल // जायमिली गिरनार / देखीमुखनिजनाहनोहो लाल / सफलगिणे अवतार // हो // 13 // संयमले पिडसेंहथेहो लाल / पामेजवनोपार / इणपरपाले प्रीतमीहो लाल / धनधन ते नरनारि // हो // 15 // जेकीधी पशुऊपरे हो लाल / मोपरकरज्योदेव चंदजणीद्यो करिदयाहो लाल / प्रनुचरणारीसेवहो // 15 // इतिश्रीनेमराजीमतीनो बारमास संपूर्ण // // अथ श्रीपार्श्वनाथजीकी घग्घरनीसाणी लिख्यते // // सुखसंपतिदायक सुरनरनायक / परतिख पासजिनंदा हे। जाकीरविकांति अनोपमपित / दीपत जाण दिणंदा हे / मुखज्योतिक्रिगामिग किग मिग / पूरण पूनमचंदा हे / सबरूपसरूप वखाणहिजूपत / तूंही त्रिनुवन नंदा हे // 1 // करुणासागर लोकसबेमिल / जाकाजस्सथुणंदाहे / तेरी खिजमत्त. करे इकचित्तसुं तो सेवकधरणिंदाहे / तेंजलता भाग निकाट्या नाग / किया वमनाग सुरिंदाहे / तो चरणां श्राय रह्या लपटाय / कलाप्रतिकेलिकरंदाहे // 2 // इक दिन महारनवनपंचागनि / तापसतापतपंदाहे / फल फूल आहारी उछाधारी। अस्पथाहारलियंदाहे / सबनेष सन्यासी रहेनदासी / अविनासीध्यावंदाहे / दिसीच्यारां दिछी बलेरंगीनी / सूरजतापतपंदाहे // 3 // महिमा वधारी सबनरनारी / जाकू शायनमंदाहे। एसी सुणवत्तां धरिय उकत्तां / पुत्तां पासजिनंदा हे / वामादे Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२ए) अरके कुणतोपरके / मेरा हूंसपूरंदाहे / तिहांचालोपुत्तां जिहां श्रवधुत्तां / जोगारंजजगंदाहे // 4 // जननीमनासापूरणपासा / ऐरापत्तिसकंदाहे / गलघुग्घरमाला जाणहेमाला / दत्ताला उपंदाहे / वरवीरघंटाला मदमतवाला / कोलालीफलकंदा हे / पंचरंगीपरकर सकीसखर / ढालांसुं ढलकंदा हे // 5 // धतकारेधत्तामत्ताअंकुस / मावतशीसदियंदाहे / गंगातटाये खमेरहाए / प्रनुज्ञानीआरकंदा हे।रे रे अनिमानी तपअज्ञानी / पावकजीवजलंदा हे / तिहां फाम उफामदिखालेलकम / वमफणधरनागंदाहे // 6 // नवकार सुणाया सुरपदपाया / तापसजसघटंदाहे / तिण किया नियाणा तपखजाणा / कोमीसहेवेचिंदाहे / हुयके क्रोधातुरआतुरसो कमगसुरधुरउपजंदा हे / अश्वसेन सुतन महाराजविषयसुख / जाणत आपतजंदा हे // 7 // पंचमुखी लोचकिया आलोच / मनसुं सोच अफंदा हे / प्रनु अप्रतिबंध विहार कियो तब / रनबन वासवसंदाहे / उपशम अणगारे कानसग्ग मकारे कमग सुरदावलहंदाहे / वमा असुराणा वली हेराणा पिगणवि लोकधुखंदाहे // // करियातसक्रोध विचारविरोध / महा अनिमानधरंदाहे / वाउलमतवाली नीलीकाली / वायुमहावाजिंदाहे / रविकिरणा कोट रही रजट / दिवाकर तेज विपंदाहे / करघोरघटाचिकटाउमटी / अरुबीजूगाजंदाहे ॥ए॥ गरमाटा वाटा सुणियाथाटा। ऐरापतिलाजंदा हे / हुआअकाला धुरवरसाला / बीजलियां खिवंदाहे।मोटीधारांसुं आराबांसु / यों अंबु वरसंदा हे / चल्ने जलखाला नदियांनाला / बृ० स्त०९ Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (130) हेमालाहालंदा हे // 10 // दरियावउलट्टां केतोफुटा। पाणीन हिमावंदाहे। दिगपालदहबांधरियनत्थयां / खोणीपतिखिसंदा। वझेपाहामां ऊंगीकामां / सकामांढाहंदाहे / समदाहंदी रेलवहंदी / जाणकजगरेवंदा हे // 11 // बहुवासरवून जाण किरुजा / जूगमनअसुरेंदाहे / तेवीशमराया वनमें पाया। कासग्गकहाकरंदा हे / उवसग्गाहंदी कोलकरंदी / पाठानहिंमुझंदाहे / धरिमनमेंध्यानाक्रोधनमाना। निश्चलध्यानधरंदाहे // 12 // प्रनु नासांताई नदीआई तोही नांहि खुनंदाहे। देवाचलजेसा धीरपएसा पावसपीमसहंदाहे। तिणअवसरवरदां धरणीधरदां / श्रासणवेग चलंदाहे / तिण अवधिप्रयुंजी दीप्रनुजी / तनमनअति उलसंदाहे // 13 // तिहां पदमावती देव सकत्ती सुमिल वेगवहंदा हे / पयकेहेराना वैठवि माना / पावां आयलगंदाहे फणनागहजारां करविसतारा। बगत्तर ज्यूंगवंदाहे / ले आपणखंधे प्रेमनिबंधे / पूरबप्रीत सुखंदाहे॥१॥ इंशाणीनारी सबसिणगारी / जोबनअंग फिलकंदाहे / राकापति वयणी मिरगानयणी / सुंदररूपसोहंदा हे। अणियाला कळाल फलके विजाल / खूबवणाववणंदाहे / नकवेसरनत्यां लालमुकत्यां / विच मोतीफलकंदाहे / उढणपाटंबर // 15 // जीणीअंबर / आजूषणफलकंदा हे जर कंचुकसिया तननलसिया / कामघटा गहरंदादे / पहिरणतनखूवा हरिया दूवा / सोलेहीसोहंदाहे / कटिमेखल कमियां सोनेमियां / हीरावीचहलकंदाहे // 16 // घमके घुग्घरियां पाए धरियां पगनेवररणकंदाहे / लोकांफरतालातालकं Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (131) साला / पखावज वाजंदाहे / कुहके करनाला वीचरसाला / जंगी ढोल घुरंदाहे / वाजे. सरणाई सखरीघाई / नगारा रोमदाहे // 17 // पचमा वैरूट्टा आण उलट्टां / नाटिक मिखना. चंदाहे।तता थश्तत्ताथश्तानतमंमा। रसलेदरमंदाहे। दिनतीन वितीता तोहि न वीता। पावसजलपसरंदा हे।धरणी धरजाण्या ग्यानपिगण्या / कमगसुरकोपंदाहे // 17 // नागाधिपति आंख्यारत्ती / कित्ती रीसावंदा हे / रे मूढाधिक्ष चित्तविणा / क्यूं नांहि समऊंदाहे / साहिबवलवंता जोर अनंता / तूंतो नहि जाणंदाहे / ए क्षमासागर गुणके आगर / तीनूं लोकनमंदाहे // 15 // असमांनखमाई रीसनराई / हिक्काई बजरंदा हे / कित्ती बहुगहां पमै दहबां धमहमदेह धूजंदा हे / धरणे मराया तब ते आया / पावां श्रायलगंदा हे / करजोमिखमाया सीसनमाया। जगनायक जिनचंदाहे // 20 // तूं साहिबसच्चा तोगुण रच्चा / मेरा दिल खुलंदा हे। तें रीसनधरियां विणहीविरियां / तूं ही अचल गिरंदा हे / कमगसुरकित्ती बहुविनत्ती / निजअपराध खमंदाहे सुरपतिसिधाये निजघराये / प्रनुके गुणसमरंदाहे // 21 // सुधसंजमपाले दोष निहाके / तब केवल उपजंदा हे / सम्मेतशिखरपर चढके ऊपर। सिझपुरीपोहचंदा है / तेरी कीरत्ती जग ऊपत्ती / पार न को पावंदा हे / तूं सच्चारके नेदपररके / गुमानी मोमंदाहे // 22 // तूं अंतरजामी तूं बहुनामी / सुरनरसेवकरंदा हे / तूं दीवाणा तूं खूमाणा / तूं मोजी मकरंदा हे / तूं असापीर फकीर मुसाफर / तूं जोगी तूं जिंदाहे / तूं काजीमुहां Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (135) मरदअटलां। तूं ही शेष फरीदाहे // 23 // तें ऊपाया धंदेवाया। मायामें मुलकंदाहे / तूं बूढाबाला मदमतवाला / तूं पक्कावाजंदा है। तूं कच्चा कवला सबतेंसबला / सच्चामऊरहंदा है। बाबा गोसांई नेद न पाई। नीमपढ्यां आवंदाहे // 24 // तूं नारायण जोगपरायण / माधव तूं ही मुकंदाहे / तूं कवलाधारी तूं अवतारी / तूं देवांदेवंदाहे / तूं एकांथप्पे एकजथप्पे / थितिनिजसुधथापंदा हे। तोदेवलमकां लोक तिसंका। सीरणियां वाटंदाहे // 25 // गुणगीतपयासे कीरतनासे / जीणे स्वरगावंदाहे / काला गुरुअगरसुंमलयागर / धूपेमा धुखंदाहे / कुंकुमकसतूरी केसरपूरी / चंदनसुंचरचंदाहे / मरुयामचकुंदा फूलाहंदा / टोमरकंठरवंदाहे // 26 // चंपागुलाबां जरीयगवां / परमल तिहां वासंदाहे / कसवोई चंगी। रचीये अंगी फूलां वीचफावंदा हे / आजूषण धरियां तन ऊपरियां। कुंमलकानतिगंदाहे / सूरतसोहंदी मूरतहंदी / दीगं नेणरंदाहे // 27 // तेरी बलि जाउं मोजांपाउं / वीनती तूं हि सुणं दाहे / क्याकत्यूंगवां दुकम अदयां / समकितमन जलसंदाहे / सिद्धांदावासा तिहारहासा / तुमसेवकविलसंदा है। घग्घरनीसांणी पासवखाणी गुणजिनहर्षकहंदा हे // 2 // इतिश्रीपार्श्वजिनघग्घर निसाणी संपूर्णा // // अथ श्रीपार्श्वजिन स्तवनं लिख्यते // तूंमेरेमनमें प्रनु तूं मेरे दिल में ध्यानधरूं पलपलमें / पासजिनेसरअंतरजामी / सेवाकरूं बिनबिनमें // तूं // 1 // काहूकोमन तरुणीसेंराच्यो / कार्कोचित्तधनमें / मेरो मन प्रचतु Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (133) महीसें राच्यो / ज्युं चात्रकचित्तघनमें // तूं // 2 // जोगी सरतेरी गतिजांणे / अलख निरंजनजिनमें। कनककीरतिसुखसागर तूंही / साहिबतीननुवनमें / तूं मेरे मनमे तूं मेरे दिखमे // 3 // इति श्रीपार्श्वनाथजीरो स्तवन संपूर्णम् // // अथ श्रीचिंतामणी पार्श्वनाथजीका लघुस्तवनं लिख्यते // // जिनजी महिरकरीने राज / दरसणवहिलोदीजे / दीजे दीजे जी माहाराज / कारजसगलासीके / ए आंकणी / मुफ मननमरतणीपरमोह्यो / बगेमायोनविछूटे / प्रेमरागबंधाणो पूरण, तेतो कदियनखूटे // जि // 1 // अलगथकां पिण हूं प्रनुतुमने / नहिय विसारं दिलसुं / रातदिवस एहवी मनवरते। जाणुं जमिळुतुमसुं॥ जिः // 2 // पूरबपुन्यथकी मेंपायो / ए अवसराजूणो / मिलियोतूं प्रनुपासचिंतामण / साहिबसहजसलूणो // जि // 3 // थारेतो सेवक बहुला / मो सरिखा लखग्याने / माहरेतो इण जगमे जोतां / थारे नहीं कोश्टाणे // जि० // // आसहीये इक ताहरी राखुं / बीजोमुखनही नाखू // अमृतजेमलही तुफ गुणरस, खारोजल किमचाखू // जि० // 5 // मोहन ए मुजानी महिमा / कहतां पारनावे // सायरलहरमालानेंगिणतां, कहोकुणमतिउपजावे // जि॥६॥ जगतपणे किंचित गुणनाखू, हूं मारी मतिसारू॥ निरुपमअनुपमप तुझगुण लायक, त्रिजुवनजीवनसारू // जिप // // वरसअढारवली इकताले, मिगसरपखउजवाले ॥इग्यारसदिन अधिक सनेहे, यात्रकरीविशाले // जि // 7 // जेसलगिरिश्रीसंघ जुगतसुं, मेलो तिहां मंमायो / लाजउदय Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (135) जिनचंदनेप्रनुजी, वाध्योप्रेमसवायो॥ जि // ए॥ इतिश्रीपा. ईजिन स्तवनं संपूर्णम् // // अथ सिद्धाचल स्तवनं लिख्यते // आजा चालोसहीयां सिहाचलगिरिजश्ये // सिघाचलगिरिजश्ये बहेनी विमलाचलगिरिजश्येरे // आ० // सुणबहेनी ए गिरिनीमहिमा / आदिजिनंदश्मनाखी // जरतादिकनरपतिनेश्रागल शादिकसहसाखीरे // आ // 1 // इणगिरिवरिये कालअनंते / साधुअनंतासीधा // जन्ममरणनां मुःखगेमीने / अमलअखयगुणलीधारे // आप ॥२॥णगिरिसन्मुखपगलाजरतां / आतमशुद्धसुनावे // कोमिनवांरां पातककीधा / जोतां लागेमीगे॥ तीनन्नुवनमें इणगिरितोले / बीजोकोइनदीगरे // श्रा०॥४॥नीरंजनशुं नेहधरीने / आगे उलगकरस्यां ॥अद्भुत आदिजिनेसर निरखी / प्रेमसुधारसपीस्यारे // आप // 5 // पुष्पसुगंधालेऽपंचरंगा / हारसुगंधागूंथी // पहिरावी अनुकंलहिस्यां / शिवमारगनीसूधीरे ॥आ॥६॥गहिरस्वरे जिनवरगुणगातां / जात्र नवाणूं करिये // मनगमती जमतीविचनमतां / जवसायरनिसतरियरे // आ० // 7 // पूरवनवाएं वारप्रथमजिन, रायणरूंखेाया // एतीरथ शुननावेंफरसी। करियेनिरमलकायारे // आ // // लाजलदेएगिरिवरलहिये / कहेश्मकेवलनाणी // श्रीजिनचंद सदाहितवत्सला, प्रेमघणे चित्तआणीरे // आ // ए॥ इतिसिघाचलस्तवन संपूर्णम् // Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (135) // अथ श्री तीरथमालास्तवनं लिख्यते // शत्रुजय ज्ञषन समोसस्या जला गुणनस्यारे सीधासाधु अनंत / तीरथते नमुरे // तीनकट्याणक तिहांथयां / मुगतें गयारे // नेमीसरगिरनार // ती० ॥१॥अष्टापद एक देहरो। गिरिसेहरोरे // जरतेजराव्याबिंब ॥ती॥ आबुचौमुख अतिजलो / त्रिनुवनतिलोरे // विमलवसश्वस्तुपाल // ती // 2 // समेतशिखरसोहामणो / रलियामणोरे // सिमा तीर्थकरवीश // ती० // नयरीचंपा निरखीये / हीये हरखीयेरे // सीधाश्रीवासुपुज्य // ती // 3 // पूर्व दिशेपावापुरी शके जरीरे // मुक्तिगयामहावीर // ती० // जेसलमेरजुहारीये / सुखवारीयेरे // अरिहंतबिंबअनेक // ती ॥४॥वीकानेरजवंदीये / चिरनंदीयेरे ॥अरिहंतदेहराआठ // ती // सोरिसरो संखेसरो। पंचासरोरे // फलोधी थंजणपास // ती० // 5 // अंतरिकत्रजावरो, अमीरोरे // जीरावलोजगनाथ // ती० // त्रैलो क्यदीपकदेहरो, जात्राकरोरे // राणपुरेरिसहेस // ती० // 6 // श्रीनामुलाईजादवो, गोमीस्तवो रे ॥श्रीवरकांणोपास // ती०॥ नंदीश्वरनांदेहरां, बावन नलारे // रुचक कुंमल चारचार / / ती० // 7 // शाश्वती अशाश्वती / प्रतिमाउतीरे // स्वर्ग मृत्युपाताल // ती० // तीरथजात्रा फलतिहां, होजो मुक इहारे / समयसुंदर कहेएम // ती // // इति तीरश्रमाला स्तवनं सपूर्णम् // // अथ नवकारतप स्तवनं लिख्यते // // दूहा // चोवीसे जिनवरनमी / पंचपरमेष्टिसार // परम Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (136) मंत्रनवकारनी महिमाजणूजदार // 1 // ढाल 1 ली // मुनिवर आर्यसुहस्ति // ए देशी // समरोश्रीनवकार / सार पूरवतणो / नवविधिसिद्धि श्रापेसदाए // महिमामोटी जास / संकट सबटले / मिले मनोरथसंपदाए // 1 // अमसठ वरणविख्यात / सातगुरुअदर / नवपदावेसंपदाए // सातसागरनांपाप / जायेअदरे / संपूरणपांचसयमुदाए // 2 // पुष्करव. रखीपार्छ / सिजावटगाम / पासेपरबत कंदराए // चोमासीपच्चरकाण / करनेतिहारह्या / दमसार नामे मुनीसराए // 3 // नीलनीलणीबेथ / मनसुधनावसुं / नवकार मुनिपासेनणीए। बीजेनवराजसिंह / रतनवतीरांणी / शिवसुखपांम्याकर्महणीए॥४॥ रतनपुरीवसोना / सेठतणोसुत / शिवनामा विसनीघाए // अति आदरसुंतात / नवकारसीखव्यो / महामंत्रगुण बहुलाए // 5 // एकदा योगीएक / समसानेलेगयो। शिव कुमार मनमेंधखोए // नवकारने परनाव, सबलसंकटटट्यो / सोनापुरसो तिणकस्योए // 6 // ढाल 2 जी // चरणकरणधर मुनिवरवंदिये ॥ए देशी // श्रीनवकारतणी महिमासुणो / पोतनपुरसुनगमो जी // सेठ सुनतणी सुताश्रीमति / श्राविका धर्मनोकामो जी // श्री० // 1 // मिथ्यामतेकिणएकबिवहारिये / परणी मनधररागोजी॥धरमन के हियेमनधरी। कलशमें मूंक्यो नागोजी // श्री० // 2 // सापफीटीने फूलमालाई / महियलमहिमाएहोजी // पिउने कुटुंबसहूप्रतिबूकव्यो / साचोधर्मसनेहोजी // श्री // 3 // वितिप्रतिष्ठितबखराजातिहां / इकदिनबूगे मेहोजी // नदीपूरबीजोरोआवि. Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (137) यो // नृपने दीधोतेहोजी // श्री // 4 // स्वादखहीचिठी राजाकरी / बीजोराने कामोजी // व्यंतरजनकरे नरनेतिहां येबीजोरोतामोजी ॥श्री ॥५॥चिठीभावी जिनदाससेउनी। श्रावकशुभविवेकोजी // नमस्कारजणबीजोरो ग्रह्यो / बूझव्यो व्यंतरछेको जी॥ श्री० // 6 // ढाल 3 जी // नमणीखमणीने मनगमणी // ए देशी // श्रीवसंतपुरजितशत्रुराया // नानामें नारिसुहाया // चंपिंगल चोखोनृपहारा / गणिकाने दीधोमनुहारा // 1 // गणिका पहस्योहारते जाण।। सूतीदीधोचोरतेआणी // निजप्रमादगणिकापरतावे / चोरसमीपेगनी आवे // 2 // नमस्कारपिंगलनेदीधो / तास प्रनावे वंचितसीधो नृपनेघरजश् अवतरियो / पापीचोर एणेऊधरियो // 3 // मथुरानगरी करतां काट्यो / राजा हुकमें सूलीघाट्यो // 4 // ढुंमकचोरते प्यासेगाढो / सेठकने जलमाग्यो गढो // नवकारदीधो उपगारांणी / सुरथयो ततखिण धर्मसहिनाणी // 5 // चंपानगरीमेंकी॥ सुननासती निकलंकप्रसीधुं // श्रीनवकार प्रसादतेजांगो / मनमेंएहनीआसतित्राणो॥६॥ ढाल 4 श्री॥ जरतनृप नावसुंए // ए देशी // अमावसि पूनिमकरीए / वीजलीबांधी आकास / नमुनवकारने ए // 1 // वृक्षलपामीचलावियोए // अनुपममहिमाजास // न // // वागरूवा एकचारतोए / नदियप्रबाडोबाल / नमस्कारमनचिंतव्योए / जलफाटोततकाल // न // 3 // हत्या चारकरीहवेए / वली कस्यापापअनेक / बुटकवारो एहथीए // आवेचित्तविवके Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (137) // न // 4 // मंत्रमांहेमोटो कह्योए / लाखगुणेमनरंग / तीर्थकरपदतेलहेए // श्रीनवकारनेसंग // न० // 5 // दिनदिन अधिकीसंपदाए / मनबंबितसुखथाय // दयाकुशलवाचकवरूए। धर्ममंदिरगुणगाय // न० // 6 // इतिश्रीनवकारतपाधिकारे / ढाल नो वृद्ध स्तवन संपूर्णम् // 1 ____2 // अथ श्रीनवकार छंद लिख्यते // सुखकारणनवियणसमरोनितनवकार // जिनशासन आगम चवदेपूरबसार // इणमंत्रनीमहिमा कहितानलहुंपार, सुरतरु जिमचिंतित वंचितफलदातार // 1 // सुरदानव मानव सेवकरे करजोग / नूमंगल विचरे तारे नवियणकोम // सुरचंदे विलसे अतिसय जासअनंत / पहिलेपदनमिये अरिगंजन अरिहंत // // जेपनरेनेदेसिपथयाजगवंत / पंचमि गति पुहता अष्टकर्म करिअंत // कलअकलसरूपी पंचानंतक जेह / सिमनापायप्रणमुं बीजे पदवलिएह // 3 // गबजार धुरंधर सुंदर शशिहरसोम / करशारणवारना गुणवत्तीसे थोन // श्रुतजाण शिरोमण सागरजेमगंजीर / तीजेपदनमिये आचारज गुणधीर // 4 // श्रुतधर गुण आगम सूत्रलणावे सार / तपविधिसंयोगे नाखेअरथविचार // मुनिवर गुणयुत्ताते कहियेउवज्काय / चोथेपदनमिये अहनिशतेहनापाय॥५॥पंचाश्रवटालेपाले पंचाचार। तपसीगुणधारी वारी विषयविकार // त्रसथावरपीहरलोकमांहि ते साध // त्रिविधे ते प्रणमुं परमारथजिलाध // 6 // अरिहरिकरिसारण माश्ण नूतवेताल / सबपापपणासे विलसेमंगलमाख ॥ण समस्यां Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३ए) संकट दूरटलेततकाल / जंपे जिणगुणश्म सुरवरसीसरसाल // 7 // इति श्रीनवकारनो बंद संपूर्ण // // अथ श्रीबृहत् नमस्कार स्तवनं लिख्यते // किंकप्पत्तरु रे श्रयाण चिंतनमणजितरि / किंचिंतामणि कामधेनु आराहो बहुपरि॥ चित्तावेली काजकिसे देसांतर लंघन / रयणरासि कारण किसे सायरनवंघउ // चवदे पूरबसार युगे सघनएनवकार / सयलकाज महियलसरे उत्तरतरेसंसार // 1 // केवलीनासिय रीतिजिके नवकार बाराहै / जोगविसुरकअनंत अंत परम पय साहै // इणकाणे सुररिधि पुत्तसुहविलसेबहुपरि। श्णकाणे देवलोक इंदपयपामेसुंदरि॥ एहमंत्रसास्वतोजपे अचिंतचिंतामणि एह / समरणपापसवेटले रिद्धिसिधिनियगेह // 2 // निय सिरऊपरकाण मज्जचिंतवेकमलनर / कंचनमयअन्दल सहित तिहां मांहे कनकवर // तिहांबेग अरिहंतदेव पनमासणफिटकमणि / सेयवत्थपहरेवि पढमपयचिंतेनियमणि // निवारय चनगगमण पामियसासयसुरक / अरिहंतकाणे तुमलहो जिम अजरामरमुरक // 3 // पनरलेय तिहां सिम बीयपद जे आराहे / रातेविदुमतऐवन्न नियसोहगसाहे // रातीधोतीपहरजपे सिझहिं पुवदिसि / सयललोय तिहां नरहहोश ततखिणसेवसि // मूलमंत्रवशीकरणअवरसहू जगधंछ / मणिमूली औषधकरे बुद्धि हीण जाचंध // 4 // दक्षिण दिसिपंखमी जपे नमोबायरिआणं / सोवन वन्नहसीससहितउवएसहनाणं // रिद्धिसिधिकारणे लान ऊपर जेध्यावे / पहरिपीलावत्थ तेह मनवंछियपावे ॥ण काणे नवनिधिदुवे रोगकदे नविहो / Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 5 // नीला यदेवविमा खसी कमलकाराहि (140) गजरथहयवर पालखी चामरउत्त सिरजोइ // 5 // नीलवन्नजवज्कायसीस पाढंतापछिमाारा हिजो अंगपुवधारंतमणोरम॥ पश्चिम दिसिपंखमी कमलऊपर सुहकाणं / जोवोपरमानंदतासु गयदेव विमाणं // गुरुलघुजेलरके विपुर तिहां नरबहुफल हो। मनसूधेविणजेजपेतिहां फलसिद्धि नहोस् // 6 // सर्वसाधु उत्तरविनाग सामलावश्का / जिणधम्म लोय पयासंत चारितगुणजिघा / मणवयण काएहिंजपे जेएके काणे / पंचवन्नतिहांनाणकाण गुण एहपमाणे // अनंत चोवीसीजगदुइएहोसी अवरअनंत / आदिकोजाणेनहीं इणनवकारहमंत // 7 // एसोपंचनमोकारो पददिसिगनिहिं / सबपावप्पणासणो पदजपनेरोहिं // वायवदिसिकाएह मंगलाणंचससि / पढमहवश्मंगवं ईसाणपएसि // चिहुं दिसि चिटुंबिदिसे मिलिय अदलकमलम्वेश् / जो गुरु लघु जाणीजपे सोघणपापखवेश् // 7 // इणप्रनावधरणिंदहुन पायालहसामी / समलीकुंवर उपन्न निबसुरलोयहनामी // संबलकम्बलबेबलद पहुता देवांकप्पे / सूली दीधोचोरदेवथयो नवकारं हिजप्पे // शिवकुंमार मनवंचिय करे जोगीलियोमसाण / सोनापुरसोसीधलो इणनवकार प्रमाण // ए॥ीकेबेगमेचोरएक आकासेगामी / अहि फिट्टिदुई फूलमाल नवकारहनामी // वागरूआ चारंत बाल जलनदीप्रवाहे / बींध्योकंटही उयरमंत जपियोमनमांहे // चिंत्याकाजसबेसरे इतपरतविमास // पालितसूरितणी परे विद्यासिद्धआकास // 10 // चौर धाम संकटटले राजा वसिहोवे / तित्थंकरसोहोर लाखगुणै विधिसुंजोवे // साश्णमाश्णनूतप्रेत Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (151) वेताल न पुहवश् / आधिव्याधि ग्रहतणी पामते किमहिनहोवे / कुजलोदर रोगसबे नासेएणही मंत // मयणासुंदरितणीपरे नवपयकाणकरंत // 11 // एकजीह इणमंत्रतणा गुणकितावखाणुं / नाणहीण उनमत्थएहगुण पार नजाणू // जिमसतुंजयतित्थराज महिमाउदयवंतो // सयलमंत्रधुरि एह मंत्रराजाजयवंतो / तित्थंकरगणहरनणिय चवदहपूरबसार / इणगुणअंत नकोलहे गुणगिरनवकार // 12 // अमसंपय नवपय सहित इगस बहुअक्खर / गुरुअक्खरसत्तेव इह जाणो परमाक्खर, गुरुजिणवबहसूरिजणे सिवसुरकहकारण, नस्य तिरियगइ रोगसोग बहुउरकनिवारण / जलथलमहियल वनगहण स्मरणहुवे इकचित्त, पंचपरमेष्ठिमंत्रतणीसेवा देन्योनित्त // 13 // इतिपंचपरमेष्ठीमहिमास्तवनं संपूर्णम् ॥अथ सत्तरसोजिनको स्तवन // ॥हा // स्वस्तिश्रीदायकसदा त्रैसलेयजिनचंद // तत्पद नामीकंधरा, कारण सिवसुखकंद // 1 // वायंका सारदा तणो, उरधरिसमरणशक्ति / सप्तत्युत्तरसतजिनतणी, रचस्युंनुतिसुचिनक्ति // 2 // जेवीपसमस्तनै, मध्यमेरू कनकाल / पूर्वापरलवितेहने, विजयनामकोलान // 3 // मूल विजयवसुप्रतिदिशा, कथनामेंयुगतीस / शीतोदा तरणीतणो, कारणविश्वावीस // 4 // अंकधातकीदूसरो, दीपमनोहरतेह / कंचनगिरियुग तिहां, मनधारो धर नेह // 5 // त्रयतमपुष्करजांणिये, दीपसकलगुणखांण / अर्धनागजसुउत्तमें, गिरियुग जलदसमांन // 6 // नोजवि संख्याविजयनी, प्रतिमेरौबत्तीस / Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (155) धारो गणित अनुक्रमें, षष्टयुत्तरशतहींस // 7 // एहसाढाइछीपना विजयतणोपरिमाण / कालचतुर्थ तिहांसदा, नाष्योश्रीजिनजाण // 7 // जिणतीर्थकरवारके, विचर्याजेजिनराय / तेहूं प्रति विजयेन), आगमसुं चितलाय // ए // (ढाल पारणेकी)॥ तिणकाले ने तिणसमेजी, तीर्थकरमहाराज ।अजितजिनेसरराजताजी, तारणतरणजिहाज / नविकजन धारज्योधर्मसनेह // टेर // 1 // अतिशयचौतीस संजुभाजी, वाणी गुणतीस // लोकालोकप्रकाशताजी, प्रणमतनरसुरईस ॥ल // 2 // एहवाश्रीजिनवारकेजी, एकसोसाजिनंद / बिचर्या महियल बोधताजी विजय मकार सजंद॥ज॥३॥पंच पंचनरतैरवसैंजी, दशमित श्रीजिनराय // विचरैजगजनतारताजी, समोसंपतिथाय ॥न // 4 // एसत्तरसोजिनवरुजी, अतुलसकलगुण खांण। श्यामवरणसोलेकह्याजी,अकलकलाद्युतिवांन ॥न॥५॥ रक्ताकृति त्रिंशतकह्याजी, नीलवरणवसुतीस, रविजिमकलहसनाधरुजी कनकवरणउत्तीस // // 6 // रजतमुक्तवय जलकणाजी, समसितावमलप्रकाश / नविक चकोरप्रमोदताजी, शशिजिमजिनपच्चास // ज०॥७॥प्रतिजिन व्रत उपवासथीजी, वीसप्रमितजपमाल / त्यक्त कषाय शुनातमांजी, धरिये नावविशाल // न // 7 // श्म एतप पूरणहुयांजी, उजमणे निजशक्ति। कीजे श्रीजिन शाशनेजी,संघसहूनीनक्ति // न // ए॥ एतपविधि जवि जे करेजी, प्रेमसहितजिनधर्म / साधनगुणअनुमोदताजी, तेलहे दिव शिवशर्म // ज० // 10 // कलश // संवत मुनिसर लोक नारद चंग ज्येष्ट (1937) पमुरए, Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (143) वदिसप्तमी रविदिने हितवनकथनधरजूरए / गुरु खरतरांबर तरणि सनिल जैनचंप्रसनुरए, एतवनकीधोजीमगंजे श्रमण चंदकपूरए // 11 // इतिश्रीसत्तरसोजिनस्तवनं संपूर्णम् // .. // अथ कम्मपयडीस्तवनं // // उहा // सेनामाता जितारिसुत, श्रीसंजवजिनराज // मूलकरम उत्तरपगइ, हणीचंढेसिवपाज // 1 // अष्टकरमकुं क्षयकरी, गुणअष्टकनिष्पन्न // सादिअनंत स्थिति सही, चिदानंदचिदघन्न // 2 // तासुचरणप्रणमीकरी कम्म पयमिविस्तार // वरणू नविजनहितनणी, प्रवचननेअनुसार // 3 // ढाल रामचंजकेबाग ए देशी // अष्टकर्म तीर्थेश, नांमे जिन्नकह्यारी // हेयवस्तुपरित्यज्य, आतमगुणग्रह्यारी // 1 // नाणदंशणावर्ण वैदनीमोहबूरोरी। आउखो नाम गोत्र, कर्मातरायचूरोरी॥२॥ ज्ञानावरण कर्म, दर्शना वर्णतणोरी / वेदनीय अंतराय, तीसकोमाकोसी नणोरी // 3 // नामकर्म गोत्रकर्म वीशकोमाकोमीहवेरी आयु सागरतेतीस हिव मोहनीयथुवेरी // 4 // सत्तीरी कोमाकोमी, सागर माननएयोरी ॥ए उत्कृष्टस्थितिजोम, केवलीकाल गण्योरी // ५॥जघन्य स्थितिपंचकर्म, अंतरमुहुर्तपणोरी // नामगोत्रदोयकर्म आठमुहुर्तगणोरी // 6 // अकषायवेदनीवर्ण्य, वेदनीकर्मवदेरी ।बारेमुहुर्त मांन, शास्त्रानुसारमुदैरी // 7 // नाणावरण अंतराय, पंचपंचनेदजुदारी / वेदनीयगोत्रकर्मदोदोजेदउदारी॥॥दर्शनावरण नवनेद,आयुच्यारविधेरी। मोहकर्म अमवीस, सौत्रिकनामसधेरी // ए॥ एकसो अवेन्न Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) उत्तर प्रकृतिकहीरी // अष्टकर्मनाजांण, सर्व विकटप सहीरी // 10 // ढाल // नणदलचुमले जोवनकिलरह्यो ए देशी। पाटेसम ज्ञानावरण, दर्शनावरणप्रतीहार नवियण कर्मविवेचन कीजिये / मधुलिप्तासिधारानीपरे, वेदनीकर्ममुदार / नविय // 1 // मदिरागक समान, मोहसुलटमहराण // नवि० // खोमेबंधीखानेसारखो, आयुकर्मप्रमाण ॥न क॥२॥ चीतारेसम नामकहीजे, गोत्रकुंजारसमान // // श्रीधरज़मारीसम दाख्यो, अंतरायकुध्यान // ज क // 3 // अष्टकर्म ए जावना, वीरवदे व्याख्यान // न० // कर्मसंसारस्वरूप, अकरमसिधिसुथान // न क // 4 // मित्रसासादनमिश्राविरति, देसविरतिप्रमत्त // न अप्रमत्त गुण अंतसवीमे, करमवंध असत्त ज क // 5 // अपूरब अनुवृत्ति गुणमें, आयुवरंजसप्तबंध // ज०॥ सुकुमसंपरायदशमगणेविनमोहायु षबंध // ज क // 6 // उपसम खीण सजो। गमें, वेदनीबंधउदार // 10 // अयोगीगुण चजदमें, नहीबंधत कर्मधार // ज० क० // 7 // कर्मबंधहेतुकह्या, मिथ्यातअविरतजोय न // क्रोध प्रमुखकषायथी, योगयुगतच्यारहोय ॥न० कम् // // पन्नवणाजपांगमें, कर्मस्थितिपदलेय // ज० // कर्मवेद पणवीसमें, कर्मप्रकृतिवेदज्ञेय // ज० का // // कम्म पयमीकर्मग्रंथमें, कर्मतणोनिरधार // // बंध सत्ता उदीरणा, उदयप्रमुखपरकार // न क० // 10 // एकसो अच्वनश्रया, चउत्थानत्ततप सार // ज० // तप उद्यापन मकरो, पूजअष्टप्रकार // न क० // 11 // अष्टझानो पगरणजला, Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (145) अष्टमंगल वृधथाल // न० // वात्सहयचौविद संघनी, यथाशक्तिसुविलास // ज क // 12 // श्रोधन तपकरे, कर्म प्रकृतिनोसार // ज० // सुरनरसुखअनुक्रमलही, शिवरमणीजरतार // ज० क० // 13 // कटश // जिनचंदसूरिमुर्णिदखरतरगण खशशिसमयुगवरा, तासुवचने स्तवनकीधो नयर श्रीवालूचरा। चंञानुयोगनिध्येकवरषे विशदफालगुनबादशी जवळायतत्वप्रधानगणिने अमृतगतिचित नितवशी // 14 // इति श्री कम्मपयमी स्तवनं संपूर्णम् // अथ श्रीशांतिनाथजीनो वृद्धस्तवन लिख्यते // श्रीसारदमातनमुं सिरनामी, हुँ गाउं त्रिनुवनकेस्वामी / संतहिसंतजपे सबकोई।जांघरशांति सदासुखहोई॥१॥सांतिजपीने कीजे कामा।सोईकामदुवै अनिरामा / सांतिजपी परदेशसिधावे / तेकुशले कमलालेावे ॥२॥गर्नथकीप्रन्नु मारि. निवारी / शांतिहि नाम दियोमहतारी / जे नर शांतितणा. गुणगावे / ऋषिअर्चिति ते नर पावे // 3 // जानरकुं प्रनु शांतिसहाई / तानरकुं कुछारतिनांहि / जो कबुवंने सोही, पूरे / दारित्रदोष मिथ्यामतचूरे॥४॥ अलख निरंजन ज्योतिप्रकासी / घटघटके नीतरप्रनुवासी / स्वामिसरूपकह्यो नवि. जावे / कहितां मोमनअचरिजावे // 5 // मार दिया सबही. हथियारा / जीतामोहतणादलसारा।नारितजीसिवसुं रंगराचौ। राजतज्योपिण साहिबसाचो // 6 // महाबलवंतकहीजे देवा, कुंजरकुंथु न एकहणेवा।ऋधिसहू प्रनुपासवहिजे, निक्षाहारी नामकहीजे // 7 // निंदक पूजक हे समजायक, पिणसेवगकुं बृ० स्त० 10 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (146) सदासुखदायक / तजीपरिग्रह नएजगनायक, नामअतीतसर्वेविधलायक // // शत्रुमित्रसमचित्तगुणिजे, नामदेव अरिहंत जणीजे / सयलजीव हितवंतकहीजे, सेवक जाण महापददीजे // ए // सायरजेसा होय गंजीरा, दूषणनहिं इकमाहिं सरीरा, मेरुअचल जिम अंतरजामी, पिणनरहे प्रनुएकणगंमी // 10 // लोककहे प्रभुजी सबदेखे, पिणसुपनोकबहु नविपेखे / रीसविना बावीसपरीसह, सैन्याजीती जगदीसह // 11 // मानविनाजग आंणमनावे, मायाविनासबसुं मनलावे / खोजविना गुणरासग्रहीजे, निकुनये त्रिगमोसेविजे // 1 // निग्रंथपणेसिरत्रधरावे, नामजतिपिणचमरदुलावे / अजयदान दातासुखकारण, आगेचक्रचले अरिदारण // 13 // श्रीजिनराजदयालजणीजे, कर्म सबीको मूलखणीजे / चौविहसंघ जे तीरथथापे, खलीघणीदेखी नविश्रापे // 14 // विनयवंतजगवंतकहावे, नाकिसहीकू सीसनमावे / अकिंचनकोबिरुदधरावे, पिण सोवन पंकजपगगवे // 15 // तजिआरंन निजआतमध्यावे, शिवरमणीकुं साथचलावे, रागनहीं सेवगपिणतारे, वेषनहीं निगुणासंगवारे // 16 // तेरीमहिमाअदनुत कहिये, तेरेगुणांको पारनलहिये / तुंप्रनुसमरथसाहिब मोरा, हुँ मनमोहन सेवकतोरा // 17 // तूंत्रिहुंलोकतणो प्रतिपाला। मेहूंअनाथ तूं दीनदयाला / तुं सरणागतराखणधीरा, तुंप्रनु चढ्योसवायो। करजोमीप्रनु वीनq तोसुं / करोकृपा जिनवरजीमोसुं // 15 // जनममरणनिवारोतारो / नवसागरथी Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (147) पारउतारो / श्रीहश्रणापुरमंमणसोहे। तिहां जिनशांतिसदा मनमोहे // 20 // पद्मसुरिगुरूराजपसाये, श्रीगुणसागरकेमननाये / जेनरनारि कचितगावे, मनवंचितफल निश्चैपावे॥२१॥ इति श्रीशांतिजिनवृवस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्री 12 मा वासुपूज्य भगवाननो स्तवनं लिख्यते // ॥वीरजीआयारे चंपावनकेमेदान // ए देशी // नवियण ध्यावोरे / वासुपूज्य गुणखाण, वंचितपावोरे। जिनवरचतुरसुजाण // ज० ॥ए आंकणी // अंगदेशचंपानयरिसोहंत / जयदेवीनाजातकहंत, वसुपुज्यराजाकुलदीवंत / चउदेसुप. नारे देखेमातसुजाण / गर्नमांधेरेपूज्या जिनवर जाण // 0 // // 1 // एहथी वासुपूज्यदियोनाम / मातापितानावितकाम, सहुजनगावेगुणअनिराम / योवनवयमारे संयमलीनोसुजाण / चारित्रपालिरे पाम्योकेवलनाण // नवि० // 2 // संघचतुरविधथाप्यो मुनीश, नविजनतास्या विचरिजगीश / बोधबीजविस्तारिश / चंपापुरिश्राव्यारे / कीघोषणशणजाण / मुक्तिपदपायारे / सासनकेसुलतान // भवि० // 3 // देरासरत्रण नूमि मनुहार / नुयरेमांआदिनाथजुहार / मध्यमांबारमजिनसुखकार / ऊपरमजलेरे शीतलजिनवरजाण / नमिजिनस्वा. मीरे पारसनाथकहाण // नवि० // 4 // मूलनायकबारमजिनचंद / बिंबावलीसोहेअतिचंग / वुहारि नगरमा अतिउरंग, कृपाचं सूरिरे। चउमासोकीनोजाण / जगणीसे चमोत्तरेरे / Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) गायाजिनगुणगान // नवि० // 5 // इति श्री 12 मा वासुपूज्य जगवाननो स्तवनं संपूर्णम् // // अथ बीजनोवृद्ध स्तवनं लिख्यते // // दूहा // वर्द्धमानजिनवंदिये त्रिशलानंदनदेव / सिंह खंउनसेवितसदा / सुरपतिसारेसेव // 1 // जन्मसमेथीजगगुरु / अतुलवलीवमवीर / तपउत्तमविधियुतकह्यो जलनिधिजिमगंजीर // 2 // ढाल 1 ली // कृपानाथ मुजवीनतिअवधार ॥ए देशी॥ धर्मकरो जिनराजनोजी। आणी उबटनाव, दोयनेदे श्राराधतांजी।पामो आतम स्वजाव / नविकजन सेवो श्रीजिनवाणि निजगुणमणिनीखाण // ज०॥१॥तिथीभाराधनफलतणोजी। शास्त्रमांहे अधिकार, बीजभाराधोनविजनाजी। तपकरिया विधिसार // न० // // दोयमासलघुदूजनेजी।जावजीवउत्कृष्ट, दोपवरस दोयमासमांजी। करोबीजसुजष्ट ल० // 3 // पमिकमणादोय टंकनाजी / देववंदननिरधार, विधिसेतीफलनीपजेजी / पामेजवनो पार // 0 // 5 // बीजदिवसनो सहुजुवेजी। चंयोदयसुप्रसिद्ध / वधतिकलातिमजाणबोजी / धर्मथी वंगितसिद्ध // ज० // 5 // सुविधधर्म जिनघरकह्योजी। देशने सर्वविरत्त / धर्मशुक्ल दोयध्यानमांजी। होवेसदा निरत्त // // 6 // अर्थप्रकाशे जिनवरूजी। सूत्ररचे गणधार / बिहूं सेवे वाचंयमीजी / बादसशंगविचार // ज०॥७॥ // ढाल 2 जी // नमोरे नमो सेजेज गिरिरे // एदेशी॥ बीजदिवसमां जाणीयेरे / कट्याणक सुविशालरे / श्रावण Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४ए) सुदिबीजेचव्यारे / सुमतिनाथदयालरे / नमोरेनमो जिनचंचनेरे // 1 // माघमासनीउजलीरे / बीजदिवसमांजाणरे / अभिनंदनजनम्याप्ररे / त्रिहूंजगनामहिराणरे // नमो॥॥ एहिजतिथीवासपूज्यजीरे / पाम्योकेवलज्ञानरे / फागुणसुदि. बीज जाणीयेजी। धरनाथ चवणसुजाणरे // नमो // 3 // समेतशिखरपरसिववस्वारे / शीतलजिनवरनागरे / चेतवदिबीज सुंदररे / अविचलसुख मनाणरे // नमो० // 4 // श्मकट्याणक इणतिथीरे / कालअनंतेहोयरे / अनंतकट्याणक जाणजोरे / एह आगमविधिजोयरे // नमो० // 5 // तपपूरण हूंवां थकारे / उजमणोसुविवेकरे / रत्नत्रयी आराधवारे / धनखरचो बहुकरे // नमो // 6 // सीमंधरादि जिनवरारे विहरमाणजिनवीसरे / मनमंदिरमांथावजोरे / कृपाचं सूरीशरे // नमो० // 7 // इतिबीजनो वृध्वस्तवन संपूर्णम् // // अथ आठमनो वृद्धस्तवनं लिख्यते // दुहा // वर्षमानजिनवरनमुं। समरिसारदमाय / अष्टमी तपविधिवरणदुं / आगमयुतसंप्रदाय // 1 // आउमतिथी अराधवा / भाखेत्रिजगजाण // विधिसेतितपकीजिये / पामे उत्तमनाण // 3 // // ढाल 1 ली शंभवजिनवरवीनती // एदेशी॥ आपमतप आराधिये / अष्टमीगतिदातारोरे // प्रवचनमाताआग्ने / पालो निसदिनसारोरे // आग्म // 1 // अष्टसिद्धिकारक सदा / बाग्मतपउजमंतारे // सामायक पोसहकरि / पर्वतिथीसेवंतारे // आ॥२॥पर्वतिथीमां बंधाय। प्रायें Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवपारोरे // 6 // विधिया पण मानेनहि। / (150) परलवायुरे // तिणकारणतिथीतपकरो / आगममांहि गवायुरे // श्रा० // 3 // बृहदावश्यकवृत्तिमा / हरिजपसूरिबोलेरे॥ तिमचूर्णिलघुवृत्तिमा / योगशास्त्रमांखोलेरे // 4 // नवपदप्रकरणवृत्तिमां। दिनकृत्यदेवेंप्रसूरिरे॥विधिप्रपा पंचाशकवलि / श्म अधिकारनूरिरे ॥श्रा० // 5 // सामायक पहिलाकह्यो। पागल इरियानो पारे // जाणेपण मानेनहिं। एहकर्मनो गवरे // श्रा०॥६॥ विधियी सामायककरो / जिमपामो जवपारोरे // अविधियीकिरियाकरि / नविछूटे नवनो खारोरे // श्रा० // 7 // // ढाल 2 जी // यतनी // परवतिथीये पोषधकरिये / शुधवागमनेअनुसरिये / वली श्रापकर्मनेहरिये / सलूणा नावानलेवाराधो / एतो आराधि सिवसुखसाधो / सलूणा आवमतिथी आराधो॥१॥श्राम दोय चउदसकहिये / अमावस पूनिमलहिये। एह अतिथीचारित्रवहिये // सपना॥॥॥वती कल्याणकतिथीजाणो। पजुषणमनमांश्राणो। इत्यादिकपर्वपिनगणो // स ॥ला // // 3 // बीजेअंगे पांचमेअंगे / उपाशकदशासुखसंगे। श्रावश्यकटीकाउमंगे // स० // ना // 4 // इत्यादिकागमसाखे। परवतिथीये पोषधलाखे / विधियुतकरतां फलचाखे // स० // नाम् // 5 // जे नित्यपोषधने ताणे / श्रागमविधि ते नबिजाणे / हरिल वचनपरमाणे // स० // ना०॥६॥ // दाल 3 जी // जइने कहेजो माराबालाजीरे // एदेशी // श्राम परवतिथीकही / माराबालाजीरे / आराधो गुण Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (151) गेह / जगगुरुवंदिये / माराबालाजीरे / एहतिथी कल्याणकघणा / मारावालाजीरे, त्रिहुंकाबनागिणोतेह / जगगुरु वं० // मारावालाजीरे ॥१॥श्राचारंगमांजाखिया // मा० ॥वा॥ नावनाअध्ययनसार // ज० // मा० // गणांगगणेपांचमे // मा० // वा० // कल्पसूत्र मनुहार // ज० // // // गम प्रकरणचरित्रघणा // मा० // वा // एमांप्रकटपणेतूंजोय // जम् // 50 // उकल्याणक वीरना // मा० // वा // श्रागममांहेहोय // ज० // वं० // 3 // पजूसणकटपेकह्यो // मा० // वा० // पचास दिवसप्रमाण / तेह नवि मानेमानथी॥ मा० // वा // जिनआज्ञा सुखखाण // ज० // वं॥४॥श्मअनेक. कल्पनाकरि // मा० // वा // मनमान्योमानेतेह // ज० // वं॥ तुजआगममुजमनवस्यो / मा० // वा० // एहज नवनवहोय // ज० // // 5 // विसंवादघणोपड्यो // मा // वा // केहनेकहियेजाय // ज० // वं० // अतिशयज्ञानीतयोपड्यो // मा० // वा // विरहते केमखमाय // ज० // वं० // 6 // पुःखम कालमांऊपनो // मा० // वा // दक्षिणरतमकार // ज० // // प्रजूनोसरणो मेग्रह्यो / मा० ॥वा // प्रनुबगे प्राणाधार // ज० // // 7 // तारकतारोतातजी॥ मा० // वा // इंसेवकतुज्क // ज० // 50 // अपराधिघणातारिया // मा // वा० // केमविसारसोमुज // ज० // वं // // कलस श्रीवीरजिनवरत्नविकसुखकर मात त्रिशखानंदनो / मेंथुण्यो आगमनक्तिसंयुत उरितकर्मनिकंदनो / शुजवरसङगणीसेचमोत्तर जाप्रवसुदियाउमसमें, कृपाचंघसूरि Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (155) स्तवनकीधो अनुलवज्ञानप्रकाशमें // ए॥ इति श्रष्टमीवृक्ष स्तवनं संपूर्णम् // // अथ इग्यारसनो वृद्धस्तवनं लिख्यते // समवसरणबेग जगवंत / धरमप्रकाशे श्रीअरिहंत // बारे परषदावेगीजुमी / मिगशिरशुदि ग्यारसवमी // 1 // मलि नाथनातीनकल्याण / जनमदीदाने केवलज्ञान // अरदीक्षासीधी रूवमी // मि० // // नमिने उपर्नु केवलज्ञान / पांचकट्याणकअतिपरधान // एतिथीनी महिमाएवमी // मि // 3 // पांचजरत ऐरवतश्महीज / पांचकल्याणकहुवेतिमहीज // पचासनीसंख्यापरगमी // मि // 5 // अतीत अनागत गिणताएम। दोढसेकट्याणक थायेतेम // कुणतिथी एतिथीजेवमी // मि० // 5 // अनंतचोवीशी इणपरगिणो। खानअनंत उपवासांतणो // एतिथी सहुतिथी शिरराखमी॥ मि० // 6 // मौनपणे रह्या श्रीमबिनाथ / एकदिवस संयमव्रतसाथ, मौनतणीपरिव्रतश्मपमी // मि // 7 // अग्पुहरी पोसोलीजियें / चोविहारविधिशुं कीजियें // पणपरमादनकीजेंघमी // मि० // // वरस ग्यारे कीजेंउपवास / जावजीवपण अधिकउटहास // ए तिथी मोक्तणी पावमी // मिण ॥ए॥ऊजमणुं कीजें श्रीकार / ज्ञाननाउपगरण ग्यारेश्ग्यार॥ करोकाउसग्गं गुरुपायेपमी // मि० // 10 // देहरेस्नातकरीजेंबसी / पोथीपूजीजें मनरली // मुगतिपुरी कीजेंडूकमी ॥मि // 11 // मौन ग्यारसमहोटुंपर्व / आराध्यांसुखलहियें सर्व॥ व्रतपच्चरकणकरोषांखमी // मि० // 15 // जेशलसोलक्या Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (153) सीसमें / कीधुंस्तवनसहूमनगमे // समयसुंदर कहेकरोध्यावमी। मि० // 13 // इति एकादशीवृध स्तवनंसंपूर्णम् // ॥अथ पंचमी वृद्धस्तवनं लिख्यते // प्रणमुं श्रीगुरुपाय / निर्मलज्ञानउपाय // पंचमीतपनपुंए / जन्मसफलगिणुंए // 1 // चोवीसमोजिनचंद / केवलज्ञानदिणंद // त्रिगझे गहगह्योए / नवियणने कह्योए // // ज्ञानवको संसार / ज्ञानमुगतिदातार // शानदीवोकह्योए साचो सर्दह्योए // 3 // ज्ञानलोचनसुविलास / लोकालोकप्रकाश // ज्ञानविना पशुए / नरजाणे किशुंए // 4 // अधिक श्राराधकजाण / जगवतीसूत्र प्रमाण // ज्ञानीसर्वतुए। किरियादेशतुए॥ ॥५॥ज्ञानीश्वासोश्वास / करमकरेजेनास // नारकीनेसहीए। कोमवरसकहीए // 6 // ज्ञानतणो अधिकार / बोट्यासूत्रमकार // किरियासहीए // 7 // पण पाकहीए // किरियासहित जो ज्ञान / हुवे तोति परधान // सोनोने सूरोए / शंखदूधेनखोए // // महानिशीथमकार / पंचमीअदरसार॥ नगवंतलाखीयोए गणधरसाखियोए // ए॥ // ढाल 2 जी // कालहरानी एदेशी॥ पंचमीतपविधिसांनलो। जिमपामो नवपारोरे। श्रीअरिहंतश्मउपदिशे / नवियणने हितकारोरे // पंच० // 1 // मिगसरमाहफागुणनला। जेठ आषाढवैशाखोरे // इण षटमासेलीजियें / शुनदिन सशुरुसाखोरे // पंच० // 2 // देवजुहारीदेहरें / गीतार्थगुरुवंदीरे // पोश्रीपूजोशाननी, सगतिदुवेतोनंदीरे // पंच० // 3 // बेकरजोमीनावशुं / गुरूमुखकरो Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (155) उपवासोरे // पंचमीपमिकमणोकरो / पढोपंमितगुरुपासोरे॥४॥ जिणदिन पंचमीतपकरो। तिणदिन आरंजटालोरे // पंचमी स्तवनथुईकहो / ब्रह्मचारिज पिणपालोरे // 5 // पंचमास लघुपंचमी / जावजीव उत्कृष्टीरे // पांचवरसपंचमासनी। पंचमी करो शुनदृष्टिरे // 6 // // ढाल 3 जी॥ हिव नवियणरे पंचमीऊजमणोसुणो / घरसारूरे बारूधनखरचोघणो // एअवसररे आवंतांवलि दोहिलो / पुण्यजोगेरे धनपामंतांसोहिलो // उबालो // सोहिलो वलिय धनपामंतां पण धर्मकाजकिहांवली / पंचमीदिन गुरुपास आवी कीजिये काउसग्गरली॥त्रणशान दरसन चरणटीकीदे पुस्तकपूजिये। थापनापहिलीपूजकेशरसुगुरुसेवा कीजियें॥१॥ढाल॥सिमांतनी रेपांचपरतवीटांगणा। पांचपूगरे मुखमल सूत्र प्रमुखतणा॥पांचमोरारे लेखण पांचमजीसणा / वासकूपारे कांबीवारू वरतणा।। उहालो / / वरतणावारू वलीय कमली पांचकिलमिल अति. नवी / स्थापनाचारिज पांचठवणी मुहपत्तीपमपाटली॥ पटसूत्रपाटी पंचकोथल पंचनवकरवालियां।णपरेंश्रावककरे पांचमीऊजमगुंजवालियां // 2 // ढाल // वलिदेहरेरे स्नात्रमहोत्सवकीजियें // घरसारूरे दान वलितिहांदीजियें // प्रतिमाजीनेरे आगलढोवणुंढोयें। पूजानारेजेजेउपगरणजोश्य।।नहालो। जोश्यउपगरण देवपूजा काचकलश गारए / श्रारतिमंगल थालदीवो धूपधाणुंसारए // धनसार केशर अगर सूकम अंगलूहणोदीसए / पंचपंचसघली वस्तुढोवो सगतिशुपचवी Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 155) शए // 3 // ढाल // पांचमीतारे साहम्मीसर्वजिमामियें / रात्रिजोगेंरेंगीतरसालगवानिये // इणकरणीरे करतां ज्ञानथाराधियें / ज्ञानदरिसणरे उत्तम मारगसाधिये // उबालो // साधियेंमारग एहकरणीज्ञानलहियें निरमलो / सुरलोकने नरलोकमांहिज्ञानवंतते आगलो // अनुक्रमें केवलज्ञानपामी सासतासुख जेलहे / जेकरे पंचमीतपअखंमित वीरजिनवरश्मकहे // 4 // कलश // श्म पंचमीतपफलप्ररूपक वर्षमानजिनेसरो // में थूएयो श्रीअरिहंतनगवंत / अतुलबखअलवेसरो // जयवंतश्रीजिनचंदसूरिज सकलचंदनमंसियो / वाचनाचारिजसमयसुंदर नक्ति नावप्रशंसियो ।वारित्नक्तिनाव प्रशंसियो॥ 24 // इतिपंचमीवृधस्तवनं संपूर्ण // // अथ श्रीगौतमाष्टकं लिख्यते // श्रीइंजनूतिं वसुन्नूतिपुत्रं / पृथ्वीनवं गौतमगोत्ररत्तं // स्तुवंति देवासुरमानवेंजाः / स गौतमो यन्तु वांछितमे // 1 // श्रीवर्धमानात् त्रिपदीमवाप्य / मुहूर्त्तमात्रेण कृतानि येन // अंगानि पूर्वाणि चतुर्दशापि / स गौतमो यन्तु वांछितं मे॥शा श्रीवीरनाथेन पुराप्रणीतं / मंत्रं महानंदसुखाय यस्य // ध्यायंत्यमी सूरिवराः समग्राः / स गौतमो यन्तु वाजितं मे // 3 // यस्यानिधानं मुनयोपि सर्वे / गृएहंति निक्षानमणस्य काले // मिष्टान्नपानांबरपूर्णकामाः / स गौतमो यवतु वांछित मे // 4 // अष्टापदाघौ गगने स्वशक्त्या / ययौ जिनानां पदवंदनाय // निशम्य तीर्थातिशयं सुरेन्यः / स गौतमो यन्तु वांगितं मे ॥५॥त्रिपंचसंख्याशततापसानां / तपःकृपानामपुनर्नवाय / Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (156) श्रदीपलब्ध्या परमान्नदाता / स गौतमो यन्तु वांछितं मे // 6 // सदक्षणं जोजनमेव देयं / साधर्मिकं संघसपर्ययेव // केवट्यवस्त्रं प्रददौ मुनीनां / सगौतमो यन्तु वांवितं मे // 7 // शिवंगते जतरिवीरनाथे / युगप्रधानत्वमिहैव मत्वा // पट्टाभिषेको. विदधे सुरः / स गौतमो यन्तु वांछितं मे // // श्रीगौतमस्याष्टकमादरेण प्रबोधकाले मुनिपुंगवाये // पति ते सूरिपदं सदैवानंदं बनते नितरां क्रमेण // ए॥ इतिश्रीगौतमस्याष्टकम् // ॥ॐ नमः पार्श्वनाथाय विश्वचिंतामणीयते , झी धर ऐवैरोट्या पद्मादेवीयुतायते // 1 // शांतितुष्टि महापुष्टि, घृतिकीर्तिविधायिने, झी दृष्टव्यालवेत्तालसर्वाधिव्याधिनाशने ॥॥जयाजिताख्या विजयाख्या पराजितयान्विते, दिकूपालैःग्रहैर्यदै, विद्यादेवी निरन्विते ॥३॥ॐ असि आउसाय, नमः त्रैलोक्यनाथतां, चतुषष्टि सुरेंप्रास्ते, जासंते त्रचामरैः // 4 // श्रीसंखेश्वरमंमन पार्श्वजिनप्रणत कल्पतरु कटपः, चूरयविघ्नवातं, पूरय मे वांबितं नाथ // 5 // इति त्रयोविंशतिजिनस्तोत्रम् // ॥अथ पंचषष्टियंत्रगर्भित श्रीचतुर्विशति जिनस्तोत्रं लिख्यते // // श्रादौ नेमिजिनं स्तौमि / संनवं सुविधिस्तथा ॥धर्मनाथं महादेवं / शांति शांतिकरं सदा // 1 // अनंतं सुव्रतं नक्त्या ने. मिनाथं जिनोत्तमं // अजितं जितकंदर्प / चं चंसमप्रनं // // आदिनाथ महादेवं / सुपार्श्व विमलं जिनं // महिनाणं गुणोपेतं धनुषां पंचविंशति // 3 // अरनाथं महावीरं / सुमतिं Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (157) चजगद्गुरुं॥ श्रीपद्मप्रजनामानं / वासुपूज्यं सुरैर्नतं // 4 // शीतदं शीतलं लोके / श्रेयांसं श्रेयसे सदा // कुंथुनाथं च वामेयं / श्रीश्रजिनंदनं वितुं // 5 // जिनानां नामनिर्बद्धः पंचषष्टिसमुन्नवः // यंत्रोयं राजते यत्र / तत्र सौख्यं निरंतरं // 6 // यस्मिन् गृहे महानतया / यंत्रोयं पूज्यते बुधैः // नूतप्रेतपि. शाचादि / जयं तत्र नविद्यते // 7 // सकलगुणनिधानं यंत्रमेनं विशुद्धं // हृदयकमलकोशे धीमतां ध्येयरूपं / जय तिलकगुरोः श्रीसूरिराजस्य शिष्यो, वदति सुख निदानं मोक्षलक्ष्मीनिवास // // इति चतुर्विंशतिजिनानां अष्टकं संपूर्णम् // // अथ आत्मरक्षास्तोत्रं लिख्यते // // परमेष्ठिनमस्कारं / सारं नवपदात्मकं // आत्मरक्षाकरं वज्र / पंजरानं स्मराम्यहं // 1 // नमो अरिहंताएं // शिरस्कं शिरसि स्थितं / उनमो सबसिझाएं / मुखे मुखपटंबरं // // नमो आयरिआणं / अंगरक्षातिशायिनी // नमो उवज्कायाणं / आयुधं हस्तयोदृढं // 3 // उनमो लोएसबसाहूणं / मोचके पादयोः सुने // एसोपंचनमुक्कारो शिलावज्रमही तसे // 4 // सबपावप्पणासणो / वप्रोवज्रमयोवहि / / मंगलाणंचसवेसि / खादिरंगारखातिका // 5 // स्वाहांतंच पदं शेयं / पढमंहवश्मंगलं // वोपरिवज्रमयं पिधानं देहरक्षणे // 6 // महाप्रनावारदेयं / कुञोपत्रवनाशनी // परमेष्ठिपदोद्भूता, कथितापूर्वसूरिभिः // 7 // यश्चैवं कुरुते रक्षां / परमेष्ठिपदैःसदा // तस्य न स्यानयं व्याधिराधिश्चापि कदाचन // // इति आत्मरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् // Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (150) // श्री थंभणापार्श्वनाथजीनो स्त० लि. // ढाल // प्रनु प्रणमुरे पास जिनेसरथंजणो / गुणगाश्वारे मुझमनऊखट अतिघणो / शानिविणरे एहनी आदिनकोलहै / तोहिपिणरे गीतारथगुरु श्मकहै / बेवक // श्मकहे शास्त्रतणे प्रमाणे रामदशरथनंदनें। बांधवापाजे सीतकाजे समुजतट एकणवने / तिहारह्या बांधव रामबउमणसाथिसेना अतिघणी प्रासाद गुंजारेपासनी / मनवंबितरे प्रासापूरे श्रासनी रामराजारे दिन प्रतिपूजासाचवे। करजोमिरे बेबांधव श्मवीनवे ऊन्वीनवेस्वामी तुह्म प्रसादे जलथि जलथलेकिमें।तोपाजबांधुं लंकसाधुं श्मकही प्रनुपायनामें / बहुपूज करतांध्यान धरतां सातमासगया जिसे / नव दिवसअधिकाथया ऊपरिजललिजलथंन्यो तिसे शाढाल॥ ए अतिशयरे अचरिजपेख्यो प्रनुतणो / तिणकारणरे नामदीयो तसुधेनणो / जलऊपरिरे पाजकरीपत्थरतणी, गढलंकारे साधेवा सीताजणी // त्रूटक गढलंकसाधी सीताणी तेण वनश्राब्यावली / दिनाउअगश्महोचवकीया मनपूगी रखी। श्रीरामराजा शुषश्रावक विनीतानगरीवसे / वीशमाजिनवर तणेवारे श्मथया गुरूउपदिसे // 3 // ढाख // इणअनुक्रमरे केतलोकालगयोवही / ते प्रतिमारे तिणवनमें निश्चलरही / शणअवसररे इंजतणे आएसकरी / सायरतटरे सोवनमेघारापुरी। त्रुटक पारिकानगरी कृष्णराजा अर्चनरततणोधणी / तिहांवसै यादवकोमिलप्पन वहै भाग्या जिणतणी / तिण काल तिणवन तेह तीरथतेहनीमहिमासुणी / सारंगपाणी नावाणी पाव्या Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९ए) तिहां यात्राणी // 4 // ढाल 2 जी॥ आव्योतिहां नरहरि जिणहरमनजलास ।मनमेंशाणंदे वंदे थंजणपास। पेखेअतिनवलीपूजाप्रनुजीनेंदेह / एकेणेकीधी इममनथयो संदेह / संदेहथयो अटवीचिहुंपासे नहीं मानवसंचार / केणकरी विद्याधर सुरवर पूजासतर प्रकार ।इसोविमासी मंम्पअंतर रह्यागँगुपतेगम। मध्यरातपातालेश्रावीवासग विसहरसाम॥५॥तिहांावी प्रणमें चैनाटिकादेस / मिलिनागकुंमारी विरचेअदनुतवेस / शक्रस्तवपनणे जाण्याश्रावकएह / हरिप्रगट्यो ततखिण साहमीतणेससनेह // ससनेहवासग कृष्णनरेसर बेग बिंबवखाणे / ए श्रीजिणवरपासजिणेसरआदि न कोई जाणे / असीसहसवरससो मेपूज्या जेहुंतापायाले / धरण एक प्रासादकराव्यौ थाप्याएहजिनावै // 6 // सदुवातकहीनें वासगगयोपायाले / श्रीकृष्णनरेसरमनचिंते ततकालै // जो एहवो तीरथ दुवेवारिकामकार / तोजाणुं नरजवसफलथयोअवतार / सफलजनमकरिवानेकाजे तेह बिंब तिहांथाणे / श्रीधारिकाहेममें जिणवरथाप्याप्रगट प्रमाणे / घणे कालपूजा तिहांपामी करमनिकाचितजाणी। श्रावकनेसुपनांतरावी देववदेश्मवाणी // 7 // प्रनु प्रतिमा वाहणलेश समुषमकारि / मुंके ज्योनगरी थास्ये अवरप्रकार / तिणसागर अंतर कालगयो बहुजाम / दक्खिण दिसिनत्तम कुंतीनगरीगम / कुंतीनगरीजैनवसै जिहां श्रावकसागरदत्त / वाहणसातवहैव्यापारे पोते परघल वित्त / अन्यदिवससायरविचवहतां / जिहां ने थंजणपाश / ऊपरि आव्या धन्यावाहण ते सविथयाउदास // 7 // ढाल 3 जी। Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (160) मासदिवसवाणीथई अंबरसुरराय / प्रतिमाशंजणपासनी सायरजलमांय / सुरप्रगव्यो जिणसासणे // सुरकहेवाणी एहप्रतिमा नावसुं प्रगटकरो / जई जैनकुंतीनगरी जिणहर मूलनायकएहधरो। तेबिंबकुंतीमांहिंथाप्यो कहैबहु श्रावकतिहां / ए सकलतीरथनाथ समरथ पुन्यजोगमिट्यो इहां // ए॥ इणित्रवसर दसगरपुरे पालत्तश्सूर / विद्याबल अंबर जमें श्रतिसयजरपूर / तीरथजायजिणहरनमें / ते नमें सेजेजप्रमुखगिरिवर सदा पाखीपारणे, पालीयतांणे रह्यां थांणे नागारजुनजोगीपणें / ते धातुसोवनकाजधमतां मासबके रसकरे / करिकोप नैरववीर नाखे रूपपंखीनो धरे // 10 // तिण पालत्तै सूरिने जाण्यो एहमहंत / पूजे को सुरदाखवो अतिसयगुणवंत / कृपाकरी मुजजाखवो।गुरु तेह लाखेजेह, थंने उपजव सुरनरतणों। तिण कह्यो कुंतीने प्रसादें पास प्रनुर्थनणों / कुणयह वीरवेतालव्यंतर सहू तसु सेवाकरे / तेहनीदृष्टे साधविद्या जेमतुमवंगित सरे // 11 // विद्यापिणआकर्षणी / दुती जोगीनपास / ते प्रतिमाआणीतिहां थापी निजावास / सोवनरससीधो जिहां / रस तिहां सीधो सुजस लीधो नदी सेढीने तटे।गुरुनें जणाव्यो तिणाकहाव्यो बिंबर्णमास्योघटे / इणकाल धरमसुथानथोमा हुसीमबाणशहां / खाखरातले सेढिकातीरे / बिंबजमायो. तिहां // 12 // ढाल 4 श्री // मेघागमसही नदीऊलटिवही वेलुकाबिंबऊपरवक्षए / तेणचुंधणचरे खीर सुरहीरे चीकपीमि खाखरतले ए / केतलादिनपत्रे सुगुरुखरतरगछे / श्रीअजयदेवसूरी सरूए / षटविगयपरिहरी उग्रतपश्रादरी / Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (161) रगत्तपित्ती यामुनिवरूए / तेरगत्तपित्तीगलतकाया चित्तमेंचिंताकरे / अधरात सासणदेवीश्रावी कोकमा नवकरधरे / ए सूत्रतूं सुलकासुपरे ताम गुरुजपेसो / जोथायसी मुफ नीरोगकाया तो सही नखेलतुं // 13 // तामदेवीकहै नदीय सेढीवहै / तैणतट वृदखाखरतलेए / तिहां तुझेजाश्वो तवनकरिवो नवो प्रगटथासी प्रनुशंजणोए / तेहनें स्नात्रजले रोगसवि जायटले / इमकहीयगई सासणसुरीए / संघसगलोमिली तिहां जाइमनरली / ताम धरणिंदध्याने धरीए / तिहांकरी जयतिहुणवत्तीसीपासप्रगट्याततखिणें / तसु सनातनीरे सुखसरीरे धन्यधन्य सहुकोजणें // तिहां श्रानथाप्यो सुजसव्याप्यो थयो परचोअतिघणो / तेहनेंनामें तेणठामें गामवास्योथंजणो॥१४॥थईयमहिमा घणी पाशर्थनणतणी सुगुरुकाया नवपशवीए / संघआवेघणा करेवधावणा महियलकीरतविस्तरीए / सुपनजे देवता कोकमानवहुतासूत्रते सूत्रसिधांतनामें / वृत्ति नव अंगनीनेदनवनंगनी रची आचारज तेणगमें। ते तेण गमें सहुयपामें आसकरजोत्रावए।बहुलावजत्ते एकचित्ते सेवतां सुखपावए। एकदागुरु धरणिंदध्याने प्रगटथई पदमावती|श्रीश्रजयदेवसुरिंदभागलि ।इम कहै सांजलयती॥१५॥स्तबन जे तुह्मकस्यो मंत्रअतिशयनयोअंतितसु गाहाजे बेकहीए / तेहगुणी ये जिहां इंसावे तिहां कष्ट विणतेह गुणविनहीएतेह नंमारवीकाजसंजारवी / अवरश्ण तवन महिमाघणीए। समरतां संपदा रोगनावे कदा सदा आवश्यक धुरिजणीए / पमिक्कमणा नितानणेधु. रि एह विधिखरतरतणीए।इमकही सासणिदेवसामणि गई निज बृ० स्त० 11 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (162) थानकनपीए / केतले दिवसे देसगुजर सयलमलेबायण अयो। जडो गमजाणी बिंबाणी। नयरश्रीखंजायते व्यो // 16 // खंजनयर सिरिपासजिणेसरू / दिनदिन दीपे अतीअलवेसरू / जात्रकरेवा मुझकुंतीरली। प्रनुमें नेव्यो आससहूफली।मुख्यास सफली थईयसांमी जाम नेव्याजगपत।सोनागसुंदर करोउन्नति करुं एतीवीनती / अश्वसेन वामादेवीअंगजध्यानमनतोराधरूं। करिकृपा सामी सीसनामी सदा तुमसेवाकरं // 17 // कलश // इम स्तव्यो थंजणपाससामी नगरश्रीखंनाश्तै / जिम सुगुरुश्री मुखसुणीवांणी सास्त्रागमसंमते / ए आदिमूरति सकल सूरति सेवतां सुखसंपए / मननावाणी लालजाणी कुशल खानपयंपए // 10 // इतिश्रीधनणपार्श्वनाथजीरो स्तवन संपूर्णम् // * // .. // अथ बटभयनिवारणछंदलिख्यते // - // ॥हा // सरसवचनदे सरसती // एहअरज अवधार // प्रारथियापहमैनहीं // उत्तमएआचार // 1 // हितकरजे मोसुंहिवे // दीजेवयणपुरस्स // कवियणपिण शुण कहे / / सखरो घणुंसरस्स // 2 // गुणगिर गौमी धणी, पारसनाथप्रगट्ट // मनसुबे मोटांतणां // गुणगातां गहगट्ट // 3 // बंद नाराच // // प्रसिधिबुद्धिसिद्धिनिधि रिधि वृधिपूरए // कलतपुत्त कित्तिवित्ति वचतेसनूरये // वियोगसोगरोगलोग विग्ध सिग्घघायकं // प्रगट्टदेव नित्तमेव सेवो पासनायकं // 4 // गुमांनमोम हत्थजोमदेवकोमिवग्गये ॥अनूपनूपचूंपधारिआइपायलम्गये // पहुबहु सुकित्तनित्त सबसोजलायकं // 30 // 5 // Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (163) कुबोहलोह जोहकोहमोहमाणवङियं // अनंतकांत शांतदांत रूपमैंण लजियं ॥अशेष शुद्धतत्तजुत्तसोनयेअमायकं // // 6 // विसालनालसुविसाल अपचंदनकियं // रउद्दथी रिसाइ जाणएथ आरक्रियं / सुनैणकंद गंधकांतकार्जनोरा रायकं // // // कपूरपूर कस्सतूरकुंकमातुरंगए / अरग्गजाअथग्गमें रहेगरक्कअंगए / अबेहगेहमुत्तिदेह सबहीसुहायकं // प्र॥ // मृदंगदोंदोंदों धप्पमप्प वऊये / नफेरलेरकवरी नीसाण मेघगए। तटक्कतांन थेई थेई लक्खसुक्खदायकं // // ए॥ हा॥ करि 1 केहरि 2 दव 3 कुचाहि 4 रामि 5 समुद्दह 6 रोग 7 अतिबंधण नय अफ टले / सांमनांमसंयोग // 10 // बंदलुजंगी // बदुरित्त गकोफुकंतोफुकोला / लपक्कैविलग्गीयलीमाललोला / वलेटे वलाकावली सुंदोला, फरेनिज्करां जेममदैकपोला // 11 // पहुचालतो जाणपाहामतोला। ऊलकैललकावतो लालमोला / इसौ दूठपूर्व पताअकोला / जपं. तांकरे नांचिनीमातचौला // 12 // इतिहस्तिनयनिवारणं // महा सद्दसीहं अबीहं अदंग, नरेफाल आफालतो पुचछु / निगै फाममाचौ वमंवजमुंमं / महातिरकनक्खं रखरोखर // 13 // फुरकावतो मुंब फामंततुंमं / ललकंतलोलाविकदृ वि। धणीपासचौनाम ध्यानंधरं / टवेश्याल ज्युं सींह होएअहं // 14 // इतिसिंघजयनिवारणं // जलांजंगलांमै जटाजूटजाला / घणांकामउजाममै अग्गकाला। बहु मिग्गवग्गं पशुपंखिवाला / बलंताकमेकाचिमाजतिजाला // 15 // धुरै धूमलग्गो कीयानग्गकाला, ऊलोकालरूंखै टट्या नांहिटाखा / Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (164) वसंकटे एणायां विचाला / प्रनु नामनीरे बुकै तत्तकाला ॥१६॥इतिअग्निनयनिवारणं ॥कलूकालरूपि महाविकरालं / फणाटोपरोपै महाकोप जालं / वलकैवलंतो चलंतोकरालं / जिणेफूंकसूकै तरुम्मालमालं // 17 // हलाहालसंलोलियं विक्खलालं / रहै लाललोचन्न दोजीहवालं / धरंताप्रजूनामरिदेविचादं / सही सावहोवै जिसीफुबमालं // 17 ॥इतिसर्पजयनिवारणं // निमेनूपपे अधिक्केबटक्के / खलां हामतूटै खमग्गां षटक्कै / परांहैवरां पामनाखैपटक्कै / धुरां सिंधुरांकंधरा जूधटक्कै // 15 // पमैप्राणसंधाणवांणेबटक्कै / हुक्कै केश हावालरोसेहटक्कै / जलाफालगोले हु नालैचटक्कै / तुटै तुंममुंमा प्रचंमातटक्कै // 20 // गोहासलोहापमंता बिटक्कै / फुकैसूरऊफेड नांखैफटक्कै / प्रजुनामलेतां सही अटक्कै / कदे बालवांको नहोवैकटक्कै // 1 // इतियुघनयनिवारणं // जतन्नघणे 'कोईवैसे जिहांजै / अथग्गेजले आश्कुवायवाजै / घटाटोप मेघा. घमंतिगाजै / दुवकै तरंगा विरंगाहुवाजै ॥२॥लिचापिच्चलागी ऊमीताललाजै / अहोकोइराखैअवैअम्मकाजै / इसेसंकटे जेजपे जैन राजै / सही पारपामें तिके सुरकसाजै // 23 // इतिजखनय निवारणं // गगुंबलं गोलकंहीयहोमी / हरस्सं खसं उध्रसं गांठफोमी। टलेगोमथीकोढ अड्डाररोमी // महातापसंतापआतंककोमी // 24 // नहोवैकदे कायमें कांखोमी / सहुआधिव्याधि सही जागेगी। जिनंदं नमैंमन्नमैं मान मोमी। है सो सदासुरकसंपत्तिजोमी // 25 // इतिरोग जयनिवारणं // श्रमुंग बलेग वलेमन्नखोटा / जियां चक्खं चुंचीलुट्या गाल Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (165) खोटा / वलेपाघवांकी लपेटालंगोटा / सहेव्यासह्यासबला हाथसोटा // 26 // दीयैकोरमादेह दोलादवोटा / वदैवोलवांका ऊतकोटा / पड्याबंदिखांन महाकुःखमोटा / प्रन्नुनामश्री वेग श्रायविछूटा // 27 // इति दिनयनिवारणं // नमंता जिणेसं सदामनरागै / सहीये महापुजयअनागै / रली. लोकलरकं खुली पायलागै / दिसोदिस्समांहै / जसोजस्सजागै॥२०॥ कलश // परतिखजिनवरपास / आस जबासहअप्पण / विविधजासगुणवाददासचा दालदकप्पण / चैणदैण जसुचरण / इति अतिनीतिनिवारण / लीलला लखगान विमलकीरत्ति वधारण / दिणपति जेम दीपंति इति / विमलचंदमुखनविकरण / दौलत्तिविजय हरखांदीयण / धरमसीह ध्यानहधरण // २ए // इति अष्टनयनिवारणश्रीगौमीपार्श्वनाथजीकोबंद संपूर्ण // // अथ दादाजीकीगगरनिसानि॥ सरस्वतीमाता जगतविख्याता कवियणमातकहंदाहे, कास्मीरांमंगण सुखविहंमण करवीणासोहंदाहे, सदगुरुगुणगावं वंगितपालं खरतरगच्छ सोहंदाहे, मंत्रि जिल्हागर बुधनो आगर सदगुरु तात कहंदाहे, 1 माताजैतश्री रंजाजिसमि तस कुखे गुरु उपजंदाहे, संवततेरेसेवरसेतीसे जन्म्या सुषहो वंदाहै, सेंतालेवरसे दीक्षाहरसे गुरुजिनचंद दियंदाहे, सितो होतरेपाटे श्रीसंघबाटे धोंधोंढोलघुरंदाहे, 2 नियासिवरसे सखरेदिवसे सुरगपुरीपोचंदाहे, पुनमसोमवारे हरखअपारे मेला खूब मिलंदाहे, घसकेसररोलि नरीकचोलिकस्तुरीचरचं Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (166) दाहे, लोबानसिलारसबरअगरधूपसुगंध धुकंदाहे, 3 गुरुच. रणे आवे पूजा रचावे मनवंचितसुखपावंदाहे, गुलाबचंमेलि राश्वेलि गुरुचरणेचाहँदाहे, नारेख पतासा खुरमाखासा सिरणीयां वाटंदाहे नरनारीश्रावे बहुगुणगावे वीणाताल वाजंदाहे 4 वाजे मृदंगा जुगलजंजा जेरी बुकमधुरंदाहे, नाचेतिहां पातर आवे जातर मुनिवरबहोतमिलंदाहे, सहुमनसापूरे नवलेनूरे एकमनाध्यावंदाहे, मांगेसोपावे मनमेध्यावे आसातासपूरंदाहे। पुरपट्टणगमे बहुते गामे धुंलनलाबजंदाहे, देरावलदीपे उस्मनजीपे जूनापिठकहंदाहे, मुनतानमरोटे सोहेकोटे गुरुविकाणे गजंदाहे, नागोरजोधाणे तिवरीयाणे सोजत सुखदियंदाहे, 6 जेसांण वीलामे सुखदेसारे मेमतेमनमोहंदाहे, जालोरखना, यत वमिविगयत सदगुरुनितसोहंदाहे, पाटणनेसुरत बहुजनपूजत नित महिमाबाधंदाहे अहमदावादे श्रीसंघसाधे सदगुरुदरस दियंदाहे, 7 नुजनयरसाचोरे बहुतेजोरे उदेपुरे सोहंदाहे, झरगढमंगण मुख विहंगणसबजनमनमोहंदाहे, इत्यादिक गमे नवनवगामे देसपरदेस दिपंदाहे गुरुविषमीवाटे पुस्मनदाटे चोरधामनखगंदाहे,हस्तिमदमातानाहरचीता सींघस्यालहोवंदाहे, प्पासांजलपावे ऽरितगमावे अपणा विरुदवहंदाहे, आपे निरधनियां बहुतलिबमियां मणिमाणक दियंदाहे, अपुत्यांपूतदिएघरसूतसद्गुरुदरसदियंदाहे, ए श्म एकणजिहां कहुँ गुणकेहां पार• नकोपावंदाहे,संवतअढारेसे वरसपेतीसे जेठमासजाएंदाहे सातमजवालीसोम सवारी दोखतजतीकहंदाहे, सदगुरुसुपसायां Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (167) एगुणगायां कोटमरोटवसंदाहे, नरनारीगावे वंचितगावे शनिसिद्धिनितवाधंदाहे, 10 इति दादाजीगगरनिसानी संपूर्णम् // // इग्यारसनो दोयढालनोस्तवन लि०॥ // हा // स्वस्तिश्रीमंगलकरण / हरणतापजिणचंद / वीरजिनेंददिनेदसम / प्रणमुंधरियानंद 1 गौतमत्रादिगणधरा / श्रुतकेवलि सुविहाण / त्रिकरणयोगेवंदता / पामेकोमकल्याण 2 एकादशी तिथि वर्णदुं / शास्त्रतणे अनुसार / विधिपूर्वक श्राराधतां / पामेनवनोपार 3 ढालपहली पणियारी नी / / नेमिजिनेसरउपदिशै, सुखकारिरलोय सांजले कृष्णराजान बालागे घारिकानगरीसमवसस्या सु रेवताचलगद्यान वा० 4 // पर्वाराधन फलकह्यो सु० सांजलेपरषदा वार वा० पर्युषणचनमासानला सु० नवपद लीसार वा० 5 // पंचमी बीज आठमकही // सु० // जिनकल्याणकजाण ॥वा // एकादशी मजाणियै // सु० // पर्वाधिकमनबाण // वा० // 6 // मगसरसुदिएकादशी // सु० // पर्वमाहिश्रीकार // वा // अरनाश्रदीदाग्रही // सु० // पाम्यानवनोपार // वा // 7 // माविजन्मसंजमलियो / सु० // पाम्योकेवलज्ञान // वा // नभिनाथनेऊपनो ॥सु०॥ केवलनाण प्रधान // वा ॥॥पांचक-- ट्याणकअतिजला // सु०॥ श्रया इणनरतमकार // वा० // तिमहिज ऐरवतक्षेत्रमा // सु॥नाखेजगदाधार // वाए॥ पांचजरत ऐरवतवति // सु // पांचकल्याणकजाण // वा // दशखेत्रना इमजाणियै / / सु // पचाशकट्याणकाण // वाण // 10 // तीनकाल गिणतांथकां ॥सु० // दोसे कल्याणक Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (167) थाय // वा० // तिथीमांहि सिरोमणी // सु० // इग्यारससुखदाय // वा०॥ 11 // अनंतकट्याणकश्णपरे। सु // अनंतचोवीसीजोय // वा // मौनकरीआराधिये // सु० // एहथी सिवसुखहोय वाला ॥१२॥चोविहारउपवासथी // सु०॥ पोसहकरिनेसार // वा // सुगुरुचरणसे विकरी // सु० // काठसग्गदिलधार // वा // 13 // मोनकरीमतिनाथजी // सु० // एकदिवस सुखकार // वा० // मौनप्रथा इणपस्थिर // सु // लह्यो केवलश्रीकार // वा० // 14 // (ढाल बीजी) माता त्रिशला फुलावे पुत्रपालणे // ए देशी सुखकर देवनिरंजननेमजिनंद श्मनपदिसै // ए आंकमी // नविजन नावधरिने सांजले श्रीजिनवाण / अमीरसवयणे श्रवणअंजलीजरपीवतां, एतोजायै जव जवनिर्मितकर्मनिवाण // सुख० // 15 // जवियण अंगग्यारेश्राराधवा तपविधि एकही, जेहथीपामे अनुपम महिमा अतुलअपार, वरसग्यारेने मासएकादश तपकरो, संपूरणतपहुवा होवे मंगलकार // सु०॥१६॥०॥ अंग अग्यारे लिखावे सुवरणथदरे पुस्तकपूगठवणीनवकरवाली सार, कवली किलमिल पाटीने वलि पाटली, वीटणामखमलरेसम वरतणा मनुहार // सु० // 17 // // मोरा लेखण काबी वासकुंपावलि कोथली, बटवा मिजासणाने चंदरवा अधिकार, पूरीया चोपम रुमाल नानानातिना, पाटा पाटलाने निगमोरचै सुखकार // सु० // 10 // ज० // केसर सूखम खसकूचीने वाटकी, प्यालाने कलसा अंगलूहणादिलधार, चामर बत्र त्रयने आनुषण रत्नेजड्या, रचिय, वासखेपा Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६ए) दिपूजा विविधिप्रकार // सु० // 15 // ज० // देवपूजा तिमगुरुपूजा विधिश्रादरो, करियै साहमीवरल धरियैनाव विसाल, रात्रिजागोकरिजिनगुणगावैप्रीतसुं, अधिकोंधनखरचीने लहिये रंगरसाल // सु०॥२०॥ // ग्यारसनो तपसेवो. विनावसुं, सुव्रतसेवै पौषधश्रीचितलाय, चौरअग्नीना उपवथी ते ऊगर्यो, एतिश्री सेव्यांशिवमारगमांसुखेजवाय // सु०॥२१॥ कलश // श्म नेमिजिनवर स्यामसुखकर सिवादेवीनंदनो। एकादशीतप फलप्रकास्यो नविकजन आनंदनो, सर, नय निधि, नूविक्रमवरसैपोषवदिएकादशी, जिनकृपाचंजसूरिपनणे सुगुरुसेवोजकसी // सु० // 22 // इति ग्यारसवृष स्तवनम् // ॥अथ नवपदवृद्धस्तवनं // (उहा) अरिहंतादिकपदतणो / ध्यानधरि मनमांहि, सिखचक्रगुणवरणवु, त्रिकरणधरिउगहि // 1 // राजग्रही नयरीनली। समवसर्यागणधार // सिखचक्रगुणवरणव्या ते सुणजोअधिकार // 2 // ( ढाल पहली) जगजीवन जगबाखहो // एदेशी श्रीगौतमगणेसरु / पत्नणेजवि सुखकारलालरे / श्रेणकपमुहासांनले / उत्तमधर्मविचार ला० श्री० // 3 // पुर्खनमानुष्यनवलही / सेवोश्रीजिनधर्म ला दानादिकचउन्नेदथी। श्राराधिलहोशर्म ला श्री० // 4 // नाव विना जे दान / सिवसुखतेहथी न थाय ला सील ते निष्फललो.. कमां, नाव विनाकहिवाय ला० श्री० // 5 // लाववीहूणोतपसही। नववित्थारणहेतु ला० दानादिक लावेमिट्या / नवसायरनासेतु ला श्री० // 6 // जावमनो विषयिकह्यो, सावं Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (170) बन मनाण ला आलंबन बहु जातिना / नवपदमनमााण साखरे दर्शन ज्ञान चारित्रवलि / तप ए नवपदजाण ला श्री ॥॥ढाल दूसरी ॥जरतरीनी॥देशी॥नवपदध्यावोजविजना। सारजी॥नाए। अगरदोष दूरेटट्या। केवल ज्ञानप्रकाशजी॥ देवदानवपति प्रणमता / प्रगटकरे तत्वखासजी न० // 10 // एवा श्रीअरिहंतने।ध्यावोचतुरसुजाणजी॥नावसहित आराधतां / सिवसुखलहोमहिराण जी न० // 11 // पनरोदप्रसिद्ध / कर्मरहितसुखदायजी // सिघअनंतचतुष्कता। ध्यावोसिघलयसायजी नः // 12 // पंचाचारने पालता, परउपगारप्रधानजी // शुचसिद्धांतवखाणता, आचारजश्रुतखानजी न०॥१३॥ गणतृप्तिकरता जसा / सूत्रअर्थनो दानजी / शिष्यादिकनेश्रापता, नमोनवशायसुजानजी // 15 // कर्मचूमिमांविचरता। सुविचारजी न० // 15 // जिनप्रणीतजे सास्त्रमा / तत्वसद्दहपास्वरूपजी // दरशनरयणप्रदीपने। धारोचितमांअनूपजीन० // 16 // जीवादिक पदार्थनो, बोधस्वरूपविचारजी // विनय. करिसीखोसदा / नाणने सर्वाधारजी न०॥ 17 // श्रशुलक्रियानोत्याग / सुजकिरिया अप्रमादजी // उत्तरगुणनिरुकथी। सहोचरणनो स्वादजी न // 17 // सघनकरमतमहरणकुं / नानुसमोतप जाणजी // कषायरहितबारनेद / तपपदमनमांआणजी न० // 15 // (ढाल)३ जी कपूरहुवे Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (171) अतिउजलोजी ए देशी / एनवपदजिनधर्मनोजी, सारनूतकहिवाय, सिवसुखनो कारकसहीजी, आराधोगुरुसंहाय, नविकजन सेवोजिनउपदेश, पनणे प्रथमगणेश लग सेना०॥ ए नवपदथी नीपजैजी, सिघचक्रयंत्रराज // आराधीने सुलखह्योजी, जिमश्रीपालमहाराज ज से० // 21 // तबपूरे मंगधेसरुजी, कुणश्रीपालनरेश, किमाराधिसुखपामीयोजी, कर णाकरो गणेश ज० से० // 21 // गौतमस्वामिउपदिशेजी. निसुणो श्रेणिकराजान, चंपानगरीनोराजीयोजो,श्रीपालनामसुजाण न से // 23 // जंबररोगेपीमीयोजी,परणिराजकुमारि, उजयणीमाजूहारियाजी, रीषनेश्वरमनुहारि ज से // 24 // मुनिचंगुरुउपदेशश्रीजी,आराध्यो सिद्धचक्र, रोगगयोबलिसुखलह्योजी, संपदापामीजिमशक न. से० // 25 // नव पदउँलीबिलतणीजी, नवराणीनेसाथ, उज्जमणोपूरणदुवांजी, करिखरच्यो घणोआथ न से० // 26 // नवपमिमादेरासरुजी, नवजीरणउघार, पहिलोपदाराधियोजी, नवपूजामनुहार न से // 27 // इमनवपद विस्तारथीजी, पूजीबह्योसुखसार, श्रायुपूरणकरिध्यानथीजी, नवमेस्वर्गअवतार न० से० ॥२०॥श्मश्रीपालनानव थकीजी, नवमेजवसहुसार, निरुपम शिवसुखपामसेजी, कहेगौतमगणधार न से // 2 // श्रेणिकसुणिहर खित श्रयोजी, प्रनुजीनावांद्यापाय / वीरजिनेसरश्मनणेजी, सुणश्रेणिकनरराय न० स० // 30 // एकएक पदयाराधतांजी, केई पाम्यानवअंत, नवपदते निजातमाजी, ध्याताध्येयलहंत ना से० // 31 // तीर्थकरपदपामस्येजी, Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (172) तुंणजरतमकार, इमसांनलिनृपयानंदियोजी, निज घरपोतोसुखकार न से० // 35 // कलश // श्मवीर जिनवर नुवनदिनयर नवपदमहिमावरणव्यो, सुरतवंदर रहि चोमासो सिखचक्रगुणगणस्तव्यो, संवत उगणीसै पचोत्तर आश्विनशुदिसातमदिने, जिनकृपाचंजसूरिपत्नणे वर्तोमंगल प्रतिदिने // 33 // इतिनवपदवृश्चस्तवनम् // ॥महावीरस्तवनं लिख्यते // कर्मतणीकथनीरे कीहांजश्नेकडें // ए देशी // वीरजिनेसरसलवेसरप्रनुसांजलो, सुनिजरधरिसेवकनी ए अरदासजो,, वालेसरविन केहनेकरीयेवीनती, इमजाणीने श्राव्योतुमारीपासजो // वी० // 1 // कालअनादि रफड्यो हुँ संसारमां, नवनवनमतां दुःखसह्यापारजो / वीतरागतमें तारकजाणो. तातजी, तोपवीतकवातकडं निरधारजो // वी० // 2 // कालश्रनंतरहियो सूक्ष्म निगोदमां, व्यवहारेतरराशी दोयकहंतजो, श्वासोश्वासमांअधिकासतरेलवकर्या, इमकरते नविपाम्यो नवनोअंतजो // वी० // 3 // काललब्धिपामीने परित्तपणोंबह्यो, पृथिव्यादिकव्यवहारमांश्राव्योतेणजो / कर्मउदयश्री. फरिपमियोनिगोदमां, पुजलपरियदृअसंख्यरह्यो उहणजो // वी० // 4 // व्यवहारराशिकहवाणों इंतिहां, एजाएं तुकआगमथीजगतातजो, एकेजियमां वसतांकालघणो गयो, तेहनीकेटलीकडं तुमआगलवातजो // वी० // 5 // विकलेंपियनां जवसंख्याता. मैं कीया, मुःखतणो नहीआवे कहतापारजो, Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (173) मुखकारजो // वी० // 6 // शीतताप नयनूखतृषासहीघणी, कूरकर्मकरी उपनोनरकमकार जो, वेदनानेदन तामनतर्जनादिक सह्या, पर्माधादि कृत कष्टअसारजो // वी० // 7 // नरकश्रकी निकलीनेंतीर्यच वलि थयो, अकामनिर्जराकरतां वदुली वारजो, देवगतिमा उपजी सुखलंपटथयो, तेथी सुकृतकीनों नहींलगारजो // वी० // // कर्मसंयोगे एकेजियमेंऊपनो, श्मनवज्रमण करंता अनंतावेसजो, लजतांक्रमथी मनुष्यपणोमेंपामियों, त्यांपण नलह्योधर्मतणोंलवलेशजो // वी० // ए॥ इम नवनाटककरतांकालबहुगयो, पुन्यसंयोगेपाम्योप्रन्नु दीदारजो, स्वामीशासनलागोमुसनेमीचमो, हिवप्रनु करुणाकरीमुजकरोनिस्तारजो // वी० // 10 // तुम सरिखासाहिबनी सेवामैलही, हिवप्रन्नुमुजनेंजाणों सेवकखासजो, तुमगुणजाएं एटलीसुनिजरकीजीये कृपाचंजप्रनुपूरो मनमेनी आसजो ॥वी // 11 // गुर्जरदेशेपानसरे प्रनु नेटिया, वरषजगणीसे जगणोत्तरे शुलदीसजो, मौनग्यारस मनमोहनप्रनुजीमिल्या, आनंददायकजयकारीजगदीश जो // वी० // इति पदम् // ॥अथ पंचमिकाबृद्धस्तवनलिख्यते // . .. उहा // सिझारथकुखदिनमणि / त्रिसलादेवि सुजात // वर्षमानजिनचंदकुं / नमनकरिपरजात // 1 // गुरुदरियो नरियोगुणें / तरियोकिण विधिजाय // बलिहारि गुरुदेवनी / मोमनरह्योलोजाय // 2 // जिनवाणीपीयूषरस, पानकरो निशिदीश // पांमोनाणसुहंकरु लाखैजगनाईश ॥३॥हाल।। कपूरहुवे अतिऊजलोजी // ए देशी // ज्ञानवारोधों अविज Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (174) नाजी / श्राणिजक्तिअपार, पांचज्ञानप्रगटायवाजी // पंचमीसेवोडदाररे, प्राणि जिनवाणिमनश्राण अनुपमसुखनीखाणरे ॥प्रा० // जिन // 1 // नाणबमो संसारमाजी, ज्ञानश्रीमुगतिथाय, ज्ञानदीपकसमजाणियेजी, सर्वलोक प्रगटायरे // प्राण // जिनः // 2 // दिव्यज्ञान लोचनकडोजी,लोकालोकदेखाय, ज्ञानविनापशुसारिखोजी, जाणेनही नर कांयरे ॥प्राजिण // 3 // ज्ञानश्राराधकसर्वधीजी // किरियादेशविचार, नगवतिसूत्रमांनाखियोजी, आपमें शतकमकाररे // प्रा०॥ जि० // 4 // अज्ञानीकोमवरसमांजी, तपकरि निर्जराजेह, ज्ञानिस्वासोस्वासमांजी, कर्मदयकरतेहरे // प्रा० // जि // 5 // ज्ञानतणो अधिकारजी नंदिसूत्रमकार, क्रियासहितज्ञानसुंदरंजी, मोक्षतणोदाताररे ॥प्रा० // जि० // 6 // जिमसोनो सुगंधीजी रत्न मुंदरीयेजाण, संखसोहे दूधेनखोजी, तिमकिरियायुत नाणरे // प्राण // जि॥७॥ महानिसीथमाहैकडोजी, पंचमी विधिविस्तार, वीरजिनंदैदाखियोजी, सूत्रेश्रीगणधाररे // प्रा० // जि // // ( ढाल ब्रीज़ी) सखि आजअनोपम ए सुखकारी, सखिनाणसुहंकारगुणकारी // ए॥ पंचमीतपविधियुत जवि करकै, नाणनेसेवोश्कतारी // स ॥ना॥१०॥ मगसर माह फागुण वैसाखे, जेठ आषाढने दिलधारी // स० ॥ना // 11 // एषट्मासे विधियुतलीजै, शुजदिनगुरुमुख पोलीभूजीसुविचारी // स० // ना० // 13 // गीतारथगुरुचर Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (175) णनमीने, नंदिविधिकरिहितकारी // स० // ना // 14 // गुरुमुखउपवास नावे करीने पमिकमिटातो अतिचारि // स० // ना० // 15 // शास्त्रजणो श्रीसदगुरु पास, पंचमीदिनारं. जटारी // स // ना० // 16 ॥पांचवरस पांचमासनेउत्कृष्ट, जावजीवकरेश्कतारी // स० // ना० // 17 // पांचमास लघुपंचमीकीजै, स्तवनथुश्कहे ब्रह्मचारी ॥स० // ना० // 10 // ( ढाल 3 जी) पहलो अंग सुहामणोरे // ए देशी // ज्ञाननमोगुण नविजनारे, नाणप्रकाशकजाणरे, सुगुणनर, पंचमीतपविधियुतकरीरे, लाल पामोअविचलनाणरे // सु० // ज्ञान // 15 // दोयन्नेदे नाण जाणीयेरे, निश्चयने व्यवहाररे ॥मु०॥ त्रणअनुयोगव्यवहारमारे // ला० // व्यनिश्चयसुखकाररे // सु॥ज्ञा // 20 // पांचज्ञाननाजेदरे, कावनसुविशेषरे // सु० // जिन्ननिन्न ते दाखव्यारे // ला० // तेहकहुं लवलेशरे // सु // ज्ञा० // 1 // मतिज्ञानना जाणियेरे, अगवीशप्रकाररे, ॥सु०॥ श्रुतना चवदेनेवीशजेरे, अदरादिकसुविचाररे // सु० ॥ज्ञा // 22 // अवधि व असंखजेदोरे, मनपर्वयाग जाणरे // सु०॥ लोकालोकप्रकाशकोरे ॥ला // केवल मनमें आणरे ॥सु ॥ज्ञा // 23 ॥तीतज्ञानप्रदत्यबैरे, देश सर्वसुजगीशरे // सु०॥ अवधि मनपर्य बसिरे ॥ला // देशप्रत्यदकह्याईशरे // सु॥ज्ञा० // 24 // केवलसर्वप्रत्यक्षनेरे, ध्यावोपरमपवित्ररे सु० ॥दोयपरोक्षपिगणियरे ॥ला॥ मतिश्रुतजेदविचित्ररे // सु ॥ज्ञा० // 25 // च्यारज्ञान उप्पाकह्यारे श्रुतअनुयोगविचाररे सु०॥उद्देशादिकजाणियेरे, अनु Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (176) योगबारमकाररे // सु० ॥ज्ञा॥२६॥ उपगारिश्रुतनाणथीरे, जाणेयाजत्रिकालरे // सु० // परबौधक श्रुतसैवियेरे, सद्गु, रुचरणनिहालरे // सु ॥ज्ञा ॥२७॥वायणप्रचनापरावर्तनारे. अनुपेहादिलधाररे // सु० // धर्मकथाकहीकीजीयेरे // ला // सज्कायपांच प्रकाररे॥ सु०॥ज्ञा० // 20 // अंगण्यार बारपांगरे, दशपयन्ना नंदीशरे // सु० // बेद चमूल दिलधरोरे // ला० // अनुयोगवारपैतालीशरे // सु० // ज्ञा० ॥२ए॥ // ढाल चोथी // गरवेनी स्वामीशरीरसोसाश्गयो॥ ए देशी॥ ज्ञानलजो जविप्राणीया,वंछितफलदातार, ज्ञानी दीपकसमकह्यो, सूत्रेश्रीगणधार // ज्ञा० // 30 // सुरतरु सुरमणि सुरगवि, कटपलता अनुकार, एहथी अधिकोजाणिये, महिमाअगमत्रपार // ज्ञा० // 31 // कालअनादिलगे जम्यो, मिथ्यामति // 35 // समकितगुणप्रगटायवा, त्रणकरण करेजीव, समकित ज्ञानएकणसमे, लहैसुरकअतीव // ज्ञा० // 33 // देशविरति, पामें तदा, पट्यपहुत्तस्थितिजाय, संख्यातसागर गयां चरणधरझानादिकचितलाय ॥ज्ञा // 34 // घातिकरमनो क्ष्यकरी, केवलज्ञानप्रकाश, जव्यकमलप्रतिबोधता, विचरे जगवंतखास // ज्ञा० // 35 // ज्ञानचरणदोयनेद, मुक्तिकारणजाण, तपसंजमबिहुँदाखिया, नावए मनमांत्राण ॥ज्ञा // 36 // पांचमिश्राराधनकरी, ज्ञानजगतिकरोसार। तपपूरणथयां कीजिये। उजमणो सुविचार ॥ज्ञागा३७॥पांचपांचज्ञानादिना। उपगरणकरोसार धनखरचोशुजलावधी लहो पुन्यसंचार ॥ज्ञा० // 3 // Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (177) देवोदानसुपात्रने / साहमी वलसार॥नगतिकरोसाहमीतणी। रात्रिजागोजदार // ज्ञा० // ३ए // वरदत्तनेगुणमंजरी / ज्ञान बाराधिने सुख // पामी अविचलपदवह्या / मेटीने नवमुःख ॥ज्ञा०॥४०॥ कलश // संवत् जगणीसै पिचत्तर पोषवदि एकमजलै / सुरतबंदरनविकसुखकरसीतलजिनसुपसाजलै / श्रीवीरजिनवर पंचमितपविधिप्रकाश्यो शुलमणे / सुविहित परंपरगबखरतरजिनकृपाचंजसूरिजणे // 1 // इतिपांचम वृषस्तवनम् // // अथ दीवालीको स्तवन लिख्यते // उहा // वर्षमानजिनचंदकुं / नमनकरीकरजोम / कट्याणकविधिवर्णवू / मानमांत्राणिकोम // 1 // वीरजिणंद दिणंदसम समवसस्यागुणखाण // जव्यकमलप्रतिबोधता, त्रिनुव. नजनमहिराण // 2 // // ढाल 1 // प्रथम जिनेसर प्रणमीयै // ए देशी // वर्षमानजिनराजजी / गुणगणनगमअपार // चौवीशम जिनचंद / जगतसुहंकरु / सर्वजीवसुखकार // व० // 3 // समकितपामीनप्रनु / नवसत्तावीसकीधा / वीसथानक तपसेवी जिननामबांधियो / स्वर्गतणा सुखसीधा ॥व० // 4 // अषाढशुदिषष्ठिदिने / चविया स्वर्गथीसार / देवानंदाने उदरे उपन्या जगधण।। सहुजगमे हितकार // व० // 5 // चउदे. सुपनानिशिलह्या / उपनो हरखअपार / दिवसवैयांसीरह्या माहणअवतारमा / कर्मतणे अनुसार ॥व०॥६॥ श्रादेशथी श्राश्विन वदित्रयोदशीदीश / हरणेगमेसीसंक्रमणकस्या बु० स्त० 12 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (170) प्रनुजतिथी / त्रिशलाकूखैजगीश // व०॥७॥ चउदसुपनत्रिशला जुवै / कल्याणकफलएह / वृद्धिपाम्या नरेशर सर्वप्रकारथी / जाग्रतथयोअतिस्नेह // व० // 7 // चैत्रशुदितेरस समे / जन्मथयो सुप्रसिद्ध / दिगकुंवरी तिहां तक्षिणसूतिकारजकरे / इंजावे बदुरिच // व०॥ ए॥ पंचरूपकरी प्रनुग्रही। मेरुशिखर लेजाय / चौसठ सुरपति श्रावि जनमोत्सवकरी। मातापासेगय // व० // 10 // नंदीसरजलवकरी / देवगयानिजगम / सर्वसंपदवधितेहथी प्रजुनोथापीयो / वर्धमानशुननाम // व // 11 // सिझारथ राजाघरे / वरते मंगलमाल / इंघाणि उरंगरमामे प्रनुनणी / कर तिरंगरसाल ॥व०॥१॥ आमलकी क्रीमाकरे / देवपरिक्षाकाज हारिगयो देवबालक प्रन्नु नामपामीयो / महावीर माहाराज // 20 // 13 // जोवनवयजिनराजजी / परण्यारमणि मनुहार संसारिकसुखजाणि कृत्रिमजगनाथजी / कृपाचं सुखकार // व० // 15 // // ढाल 2 // तीसवरस घरमारह्या // मनमोहनजी // दीधो वरसीदानरे। जगसोहनजी / मातपिता स्वर्गेगया // मन // प्रतिज्ञा पूरण जानरे // जग // 15 // च्यारनिकायना देवमसि // मन // दीख्याउनवकीधरे // जग // मिगसरवदिदशमी. विनु // मन // सुखकरसंजमलीधरे // जग // 16 // मनपयव ज्ञानऊपनो // मन // चजनाणी जगवंतरे // जग॥ एकाकी प्रनु विचरता // मन // करुणानिधिबलवंतरे // जग // 17 // परिषहरिपुने जीतता // मन // पराक्रमे Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७ए) वमवीररे // जग // तपकरता अतिआकरो ॥मन॥पाम्योनवजलतीररे // जगः // 10 // बारबरस उद्मस्थरह्या ॥मन॥ ऊपर सार्ध उमासरे // जग // वैशाखसुदिदशमीये ॥मन॥ उपनो केवलखासरे // जग // 15 // लोकालोकनेजाणता // मन // पावापुरि जिनराजरे // जग // संघचतुर्विध थापिने // मन // सीधासगलाकाजरे // जग // 20 // समवसरणमांविराजता // मन // परजपगारिमहंतरे // जग // देशना देता नव्यने // मन // प्राप्तकरे सुखसंतरे // जग // 1 // गौतमादिगणधरा // मन // श्यारह मनुहाररे // जग // चन्दसहस मुनिवरहुवा // मन // श्रमणीतीसहजाररे // जग० // 22 // एकलाखगुणसठसहस // मन // श्रावकनो परिवाररे ॥जग॥त्रणलाख अढारहजार ॥मनः // श्राविका सुविचार रे // जगण् // 23 // इत्यादिकपरिवारथी // मन // परवरिया गुणसाररे // जग // अंतिमचोमासो रह्या / मन // पावापुरी महाररे // जग // 2 // सोलपहर लगदेशना // मन ॥दीधीपरपगाररे // जग ॥पुन्य पालराजातणा॥मन ॥प्रश्ननो उत्तरसाररे॥जगण॥२॥पंचमारेना जावकह्या // मन० // सवजीवने हितकाररे // जग // पुन्यपापना फलतणा॥मन ॥अध्ययन पचावनसाररे॥जग॥२६॥ उत्रीशवलि उत्तर कह्या॥मन०॥मरुदेवीअधिकाररे॥जग०॥ बहोतर वरसनो श्रावुखो॥मन॥पूरणकरिहितकाररे // जग ॥२७॥कातिवदिअमावसै // मनः॥ मुगतिसिधाया वीररे / / जग॥सादिअनंत स्थिति खही ॥मन // तोड्या कर्मजंजीररे॥ Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (100) // जग // 2 // कासीकोसलनाराजवी // मन // पोसहकसो सुखकाररे // जग // नावउद्योतगयां थकां // मन // रत्नमुंक्या सुविचाररे // जग // ए॥ देव देवी आव्याघणा // मन // प्रनुनीनक्तिविशेषरे // जग // दीवालीयश्लोकमा // मन // लह्योगौतमज्ञान अशेष रे // जग // 30 // बीजने जाश्जमामीयो // मन // जगनीये नाश्बीजरे // जग // बकरीपोषहकरे // मन // गुणनातीनलहीजरे // जग // 31 // कल्याणक वीरनाम् // मन // गायानक्तिविशालरे // जग // जिन कृपाचंजसूरिनणै // मन // वर्तो मंगलमाबरे // जग // 35 // इति दीवालीको स्तवन संपूर्ण // . ॥श्रुतश्नतहिनलोसंघसकलनाधारनमें त्रिनुवनतिलो श्रुत शरर्थेश्रीवीर जिनेंज श्राख्यो। सूत्रेश्रीगणधरगुरुनाष्यो / त3जयथीजें मुनिवरराख्यो श्रु० // 1 // जेहथी जगन्नावसकलजाणे / नयएकांतमुनिजननविताणे / निश्चयव्यवहारतेमन आणे श्रु० // // जिहांअंग उपाणअतिरूमा, बछेदपयन्नानहि कूमा, मूलसूत्रनंदीअनुयोगचूमा श्रु॥३॥जिहांनियुक्तिसूत्रसंगी, बखिलाष्यचूरणी टीकाचंगी, पंचमअंगेकहीपंचांगी श्रु० // 4 // जिहांसाधुश्रावक मारगलहिये, संवेगपखीवलिसरदहियै, ए प्रणविननवमारग कहियै श्रु० // 5 // जेहनीअनुपेहानितकरिये, उपचरैदूषणपरिहरियै, आराध्या निजअनुलववरिये, श्रु॥६॥ जिनश्रागमना जे गुणगावै, शुचाशय जे मनमें घ्यावै, तेक्षमाकट्याण सदा पावै श्रु० // 7 // इतिज्ञानस्त० Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) ॥रागठुमरी॥ // मेरे रेमनमानीज्ञानजरी मे० // परनपगारीसुगुरुवताइ,, पांचुनेदेंकरी, मतिश्रुतअवधिवरमनपर्यव, केवलबोधवरी मे ॥१॥तपकरिअग्नि मूसदंसनकी, कर्मेधनलकरी, सक्रियसंजमकरतांसुमिल, सिद्धिरसानधरी मे ॥२॥पूरणपुन्य मिलीमो. हिसजनी, सकलानंददरी, बालकहै अबविसरत नाही, पलनि नएकघरी मे // 3 // इतिपदम् थां परवारी हो जिनजी,श्रीधुलेवागढपत्ति,रिषजसोहावणाहोराज, एआकमी देशमेवाम्मे सोलताहोराज, प्यां० श्रादिकरण आदिनाथ, नेव्याजलेनावसुंहोराज, न ॥१॥थां० श्री० परचा जगमे परगमा हो राज, थांगावसंघअपार, सरस दरसलहे होराज, सम्॥॥थां० श्री स्यामवरणशुजसुंदरुहोराज, थापअद्भूतप्रनुदीदार, देख्यांवांछितफले होराज दे॥३॥ थां० श्री आसहतीघणादिवसनीहोराज थां० तेसफलीथइआज, पूरवसंचितफल्याहो राज, पू०॥॥थां० श्री नवनवचरणारी चाकरीहोराज, थां मुजनेहितसुखकंद, सदाप्रनुदी, जीयेहोराज, स॥॥थां श्री मालवदेशथी यावीयाहोराज, थां० विषमनबंधीवाट, आजदरसणलह्योहोराज, श्रा० // 6 // थां श्री जगणी सेसीसमेहोराज, श्रां फागुणशुदिहितकार, सदासंपत्तिकरुहोराज, स०॥७॥ श्रां श्री अव्यावाधसुहकरुहोराज, थांग अनुनवअमृतपान, सदामुऊदीजीयेहोराज, स थां० श्री० // // साहिबनीसुनिजरबतांहोराज, थां० सहज्ञफलेसहुकाज, कृतारथकीजीयेहोराज, कृ० ॥ए॥ थां० श्री० Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 172) आजमनोरथसहुफट्याहोराज, थां० प्रनुदरसणमनरंग, सदाजयजयकरुहोराज स॥१॥थां० श्री रिसहेसरजगजयोहोराज थां श्रीजिनकृपाचंऽसूरि, प्रजुमुझमनवस्याहोराज,प्र० // 11 // यां० श्री० इति // // कृपानिधिवीनतीअवधारोरे, एदेशी // श्रीरिषनजिनेसरस्वामीरे, त्रिन्नुवनजनमनविसरामीरे, जगतारण अंतरेजामी नविकजन श्रीजिनवराराधोरे, एतोबाराधि शिवफलसाधो, नवि० // 1 // मनमोहनदिनकरसोहेरे, देख्याजव्यकमलप्रतिबोहेरे, जिमचंदचकोरनिशिमोहे,ना॥ गढधूलेवाजिनपतिवंदोरे, प्रनुदरसणकरिचिरनंदोरे, एतोनिजगुणसुरतरुकंदो, न श्री० // 3 // गढलंकामें प्रनुवसियारे, रावएनृपमनमेंनलसियारे, सहुथयासेवानारसिया, न 4 // नजयणीमे, प्रनुहोवेरे, श्रीपालनी व्याधिखोवेरे, सुखसंपदाकरिजनजोवे, ना ५॥वागमदेशवमोदगांममा हिरे, जिहांवसियाजगतनासोहिरे, प्रचनावजगतिमनलांहि, न० 6 // तिहांथीधूखेवेश्रावेरे, घणाजात्रीनामननावरे, गौरी मिलमंगलगावे, न 7 // परचापरतिखजगगजेरे, अतिसयगुणअंबरगाजेरे, प्रनुदीगलवनयलाजे, नवि०॥देशमेवामदेख्योनगीनोरे, करेमापरसनाथमनलीनोरे, देलवाझेदरशणकीनो, न ए॥ सांतीसरश्रद्भुतमूत्तीरे, उदयापुरजिनालयस्फूतरे पद्मनाजसेवासुख. पूर्ती, नवि० १०॥वनेमेादीसरराजेरे,श्मचैत्यअनेकविराजेरे, राजनगरमांअधिकदीवाजे, न 11 // उगणीसेअसीवरसेरे, Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ य॥३॥ मपिपुलाय, नविजयणखेत // 2 // (173) फागुणशुदिाउमफरसेरे, जिनकृपाचंजसूरिमनहरसे, नवि०१२ इति स्तवनसंपूरणम् // // 9 ढालका // // अथ श्रीसम्मेतशिखरजीको रास लिख्यते // वांदीवीसजिनेसरू, रचस्युं रास विशाल, तीरथशिखरसमेतनी, महिमावझीविशाल // 1 // मोटोतीरथ महियले प्रगट्यो शिखरसमेत, कोमाकोमीमुनिवरु, सिद्धिगयेणखेत // 2 // तीरथसिखरसमेतए, फरस्यां पापपुलाय, नविजन नेटो नावसुं, ज्युसुखसंपदथाय // 3 // महिमासिखरसमेतनी, कहिनसकेकविकोय, गुणअनंतनगवंतना, तिमएतीरथहोय // 4 // // ढाल 1 // चौपईंनी // गिरवरशिखरसमोनहींकोय, एहनी महिमा सबजगहोय, वीस जिनेसरमुगतेगया, मुनिजनध्यानधरीनेरह्या // 1 // प्रथमअयोध्यानगरीनली, तिहांजितशत्रुनरेसरबली, विजयाराणीने सुतजाण, अजितकुमरसढुगुणनीखाण // // जसुइंसादिक सेवाकरे, इंशाणीअतिनन्नवधरे, तीर्थकरनीपदवीलही, अंतरअरिजिणसाध्यासही // 3 // अनुक्रमश्मनोगवतांनोग, पुण्यप्रसाद मिट्योसदुजोग, अवसर, संवरीदान, संजमलीनो आपसुंजान, // 4 // कर्मखपावीपाम्योज्ञान, केवलदर्शनलह्योप्रधान, विचरेपुहवीमंझलमांहि, जव्यजीवप्रतिबोधनतांहि // 5 // सिंहसेनादिक गणधरजया, पंचाणवेसंख्या सहुथया, एकलाख मुनिवरपरिवस्या, श्रावक श्रावकणी बहुकस्या, // 6 // तीनलाख वलितीसहजार, साधवीयांजाणो सुविचार, श्रावक Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) सहस अणुंसही, दोयलाखसंख्या गहगही, // 7 // पांचलाख पेंतालीसहजार, श्रावकणीसंख्या सुविचार, बहुत्तरलाख पूरबनोवाय, कंचनवरणसरीरसुहाय // 7 // साढाच्यारसे धनुषसरीर, मानलह्यो प्रनुगुणगंजीर, गजलांउन प्रनुजीनोजांण अमृतसमजसुमीठीवाण // ए॥ अनुक्रमप्रनुजी शिखरसमेत, गिरिवरपर श्राव्यानिजहेत, सहस मुनीसरनेपरिवार, मासखमण अणसणकरसार // 10 // चैत्रीसुदिपांचमनें दिने, मुक्तिगएप्रनुतीरथणे, नूचरखेचर किन्नरसुरी, इंसादिक सहुजलवकरी // 11 // थाप्यो तीरथमोटोमही, अहाश्महोवकियोसही, ए तीरथनीजात्राकरे, ते नवियणअक्षयसुखलहे // 12 // ॥दोहा॥ - श्रीसंजवजिनराजजी, गएश्हांनिर्वाण, शिखरसमेतसुहामणो, प्रगव्योतीरथजाण // 1 // ॥सुगुणसनेहीसाजन श्रीसीमंधरखाम ए चाल // // ढाल 2 // __ सावजीनगरीनरी, धनसंपदसहुथोक, जितारिनृपराजकरे, सुखियासबलोक, सेनाराणीमागीवाणीगुणनीखाण, जेहनेंसुतश्रीसंजवजनम्यासकलसुजाण // 1 // कंचनबरणसरीरमनोहर प्रजुनोजाण, खंउनश्रश्वतणोसोहे प्रजुनोपरधान, साउलाखपूरबनो प्रनुनोत्रायुप्रमाण, धनुषच्यारसेउंचपणे प्रनुदेहव. खाण // 2 // एकसोदोयसंख्यायें प्रनुनेंगणधरहोय, दोयलाख मुनिजेहनेंगुणवंताजगजोय, तीनलाखश्रमणीवली ऊपरसहस. Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (185) बत्तीस, जूमंगल विचरे प्रनुश्रीसंजवजगदीस // 3 // तीनलाखवलिसहसत्रया|श्रावकलोक, षलखसहसउत्तीस श्रावकणीसंख्याथोक, त्रिमुखयअरु सुरितादेवीसानिधकार, वि चरंतां प्रन्नुसकलसंघमें जयजयकार // 4 // सहसश्रमणपरिवारे प्रनुजीशिखरसमेत, एकमास संलेखणकीनीनिजपदहेत, इणगिरिऊपरपायो प्रन्नुजीपदनिरबाण, तीरथमहिमामहियलमोटी अश्यसुजाण // 5 // ॥दोहा॥ अभिनंदनजिनवंदिये, पायोपदनिरवाण, शिखरसमेतसुहा. मणो, जेटोतीर्थसुजाण // 1 // // ढाल 3 // सहसश्रमणसुं शुकसंजमधरो ए चाल // _ नगरीअजोध्या सुरपुरीसमनली, संबरराजासोहै मनरली, सिद्धार्था राणीतसुनंदए,अभिनंदनजिनप्रगट्याचंदए, नहालो, चंदएसोवनवरणसोहै धनुषसाढीतीनसै, सुंदरशरीरप्रमाण द्युतिकरकपिलंछनतेनितवसे, पूर्वलाखपचासआयुगणधरश्कसो सोलए, तीनलाखमुनिबलाख आर्यासहसत्रिंशत्सोलए // 1 // चाल // सहसवठ्यासी दोलख श्राधनी, संख्या चौलखसत्तावीसनी, श्रावकण्यारी संख्या जाणए, नायकयक्षकालि. कागणए न गणएशिखरसमेत ऊपरमासएक संलेखणा, इकसहससाधूपरवस्याप्रन्नु मुक्तिपहुचेपेखणा,श्मही अयोध्यामेघनरवरदेवी मातसुमंगला, श्रीसुमतिजिनवरजएनंदन सदाहोतसुमंगला, // // चाल // सोवनवर्ण धनुषतनुतीनसें, Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (156) गणधरगुणगणनाउए, (न) लाजएमुनित्रणलाखसोहे सहस वीसप्रमाणए, पणलक्ष्त्रीसहजारसाध्वी श्रावकदोयलदजाणए, संख्या इक्याप्तीसहसऊपर श्राविकाश्मानीये, पणलाखसोलेसहस तुंबरुमहाकालीमांनीये, श्रीशिखरऊपर सातसंख्या सहस साधुसुरंगए, करमासकीसंलेखणा प्रत्तुमुक्तिपुहताचंगए // 3 // चाल ॥इमकोसंबीनगरीतातए, धरनृपतातसुसीमामातए, पदमप्रनु तसुअंगजनाथए,लंबनकमलतणोशुजहाथए,(न)हाथएधनुषप्रमाणपूरा अढाईसेतनुकहो, तीनलाखपूरबथितकहावै एकसोगणधरलहो, लखतीनतीसहजारसाधू वीससहसलखच्यारए, साधवी दोयलखसहसछिहतरश्रावकसंख्यासारए॥धा चाल // पांचलाखबलिपांचहजारए, श्रावकण्यांरी संख्यासारए, कुसुमदेवस्यामादेवीकही, लालवरणतनुसोहै प्रनुसही, (ज.) सोहएशिखरसमेतऊपर आरसेत्रिणमुनिवरा, करमास संलेखन प्रनुनी सेवकरे सुरवरा श्रीपदमप्रनुजी मुक्तिपहुतागिरिशिखरम. हिमालई, तसुचरणपंकजवालवंदे हृदय आनंदगहगही // 5 // ॥दुहा // श्रीसुपासजिणंदना, पदपंकजाराम, नविजननमरसुसेवतां, पामेवंगितकाम // 1 // // श्रीसीमंधरसाहिबा एचाल ढाल 4 // नगरवणारसीसोजता, राजातातप्रतिष्टलालरे, देवीपृथवीमातजी, स्वस्तिकलंउनसिष्टलालरे, // 1 // श्रीसुपार्श्वजिनंदजी, वीसपूरबलखश्रायु वा धनुषदोयसैदेहनो, कंचनवरणसुहाय खाशाश्री॥पंचाणवेगणधरकह्या,साधू त्रिणलाखहो Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (187) यला च्यारलाखतीसऊपरे,सहससाधवियांजोयला॥३॥श्री सहससत्तावनलदनी, श्रावकसंख्याथायला० च्यारलाखवलीबैणवे, सहसश्रावकणीनायलालरे, 4 श्री०॥ मातंगयवसांतासुरी, पांचसेमुनिपरिवारला, करिअणसणमुगतैगया, नामलियांनिस्तारलालरे, श्रीसु० // 5 // नगरचंत्रपुरश्णपरे, राजातातमहसेनला, देवीमातालदमणा, सुतचंजाप्रजुवेशला०, 6, श्रीचंजापनुवंदिये / चंवरणतनुदेहलाउनचंतणोजलो। धनुषदोढसैदेहला ॥७॥श्री॥जविककमलप्रतिबोधता। सेवे. सुरनरयदला। दसलाखपूरवाजखो / तेणवेगणधरददला // 7 // श्रीचं // दोयलखसहसपचाणवे / मुनिश्रमणीतीनखहला / असीसहससंख्याकही / श्रावकवलिदोयलदखा ॥ए॥ लाखपचासऊपरवली / श्राविकाचउलधारला / सहसइकाणऊपरे / प्रनुजीनोपरिवारला० // 10 // श्रीचं० // विजयदेवनृकुटीसुरी / सहससाधुपरिवारला० / संलेखनश्कमासनी / पुहतामुक्तिमकारला० // 11 // श्रीचं // ॥दोहा॥ जयश्रीसुविधिजिनेसरू / जगपतिदीनदयाल / समेतशिखरमुगतेगया / नविजनकेप्रतिपाल // ॥ढाल 5 // - श्रीविमलाचलसिरतिलोएचाल // नयरिकाकंदीनरपति / एमपितासुग्रीव / देवीरामामातसुत / नएसुविधिशुनजीव // 1 // रजतवरणसमतनुसत।धनुषएकपरिमाण / दोयलाखपूरबकह्यो। प्रनुनोआयुसुजाण // 2 // अठ्यासीसंख्याजये / गणधरपरम Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) प्रधान / लखदोमुनिविंशतिसहस / इकलखश्रमणीजाण // 3 // दोयलक्षश्रावककह्या / श्ररुगुणतीसहजार / एकत्तरचौलखसहस / श्रावकणीसुविचार // 4 // सुरीसुतारासुरअजित / श्रीसंघसांनिधकार / सहससाधुपरिवारसुं / आएशिखरसुविचार // 5 // माससंलेखणकरप्रनु / मुक्तिगएश्हगेर / तीरथमहिमामहियले, प्रगटीच्यारुकोर॥६॥श्महीजशीतलनाथनो। हिवसुणज्योअधिकार / नदिलपुरदृढरथपिता / मातनंदासुखकार // 9 // लंबनशुलश्रीवचनो / श्रीशीतलजिनचंद / कंचनवरण नेऊधनुष ।मानसरीरमंद // 7 // एकलाखपूरवकह्यो। जाण // ए॥ एकलाखचालीससहस / श्रमणीसंख्यार / सहसतयांसीदोयलख / श्रावकसंख्याजोर // 10 // सहसबगवनलचौ / श्रावकणीसुविचार / देवीअशोकाब्रह्मयद / सदुसंघसांनिधकार // 11 // सिखरसमेतसहस्रएक / साधूनेंपरिवार / मुक्तिगएप्रन्नुमासकी। संलेखनकरसार // 12 // // ढाल 6 // धनधनसंप्रतिसाचौराजाएहनी॥ यांसप्रनुजी। उपज्याविष्णुसुमातजी // 1 // नमोरेनमो-श्रीत्रिनुवनराजा / खमगिलंबनप्रनुपायजी।धनुषअसीदेहमान-चोरासी। साखवरस नोवायुजन // गणधरबदुत्तरसहसचौरासी मुनिश्रमणीतीनलदजीतीनसहसबलिसहसगुण्यासी श्रावकपुणदोयवरकजीन०३ अमतामीससहसबलिचौलख।श्राविकाजाणो. सारजी, जदयमरसुरीमानवीजाणो,श्रीसंघसांनिधकारजी // 4 // Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) न० // सहसमुनीसरनेपरिवारे, प्रनुजीसिखरसमेतजी, माससंलेखनकरप्रनुपहुता, मुक्तिमहिलसुखहेतजी // 5 // न // हिवकंपिलपुरतातनूपति,श्रीकृतवर्मसुमातजी, स्यामादेवीअंगजउपना, विमलनाथजगतातजी // ६॥न॥ सूकरलंबनसोवनकाया, साउधनुषदेहीमानजी, साग्लाखवचरनोश्रायु, शिष्यसतावनजानजी, // 7 // न // साउसहसमुनिश्रमसयश्कलख, श्रमणीश्रावकजांणजी आठसहसदोयलदश्राविका, चौलदासंख्याणजी // 7 // न // षण्मुखसुरवरविदितादेवी, प्रन्नुजीसिखरसमेतजी, षहजारसाधुपरिवारे, मुक्तिगएसुखहे. तजी // ए॥ न // नगरीनामअयोध्यानरवर, सिंहसेनजगसारजी, सुजसामाततिणेसुतजायो, प्रनुजीअनंतकुमारजी। न // 10 // लंबनश्येनसोवनसमकाया, धनुषपचासप्रमाणजी, तीसलाखवचरनोआयु, गणधरपचवीसांणजी // 11 // न // गसठसहसमुनीसरसोहे, बासवश्रमणीहजारजी, बहजारलाखदोयश्रावक, श्रावकणीश्मधारजी // 1 // न // च्यारलाखबलिचवदहजारए, अंकुशादेवीहोयजी, पातालयदश्रीसंघकेसानिध, कारीनितप्रतिजोयजी // 13 // न०॥ श्रा सैमुनिवरनेपरिवारे, शिखरसमेतप्रधानजी, माससंलेखनकरगिरिऊपर, पुहतापदनिर्वाणजी // 14 // न० // ॥दुहा // पैसेंधर्मजिणेसरू पुड्तापदनिर्वाण, शिखरसमेतगिरिंदपर नमोनमो जगलांण // 1 // Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (10) // ढाल 7 // जगतगुरू त्रिशलानंदनजी ए चाल // रत्नपुरीनगरीधणीजी, लानुरायसुजाण, राणीसुव्रतामात. नेजी, धर्मनाथगुणखाण // 1 // जगपतिधर्मजिनेसरसार, धनुषपैतालीसतनुकडोजी, वज्रलंउनसुखकार // 2 // ज० // चोतीसगणधरमुनिकह्याजी, चोसठसहसप्रमाण, श्रमणीबासठसहसस्युंजी, श्रावकदोयलक्ष्मान // 3 // जग // च्यारसहसवलिउपरांजी, चौलाखएकहजार, श्रावकणीसंख्याकहीजी, दसवायुविचार // 5 // ज० // किंनरसुरयत्नासुरीजी, एकसहसपरिवार, समेतशिखरमुगतेंगयाजी, बांदूबारहजार // 5 // जण् // हथणापुर विश्वसेननाजी, अचिरामातनदार, शान्तिजिनेसरजनमियाजी, त्रिनुवनजयजयकार // 6 // जगतपति शान्तिजिनेसरसार॥मृगलांबनसोवनसमोजी, देहीधनुषचालीस, आयुवरषश्कलाखनोजी, उत्तीसगणधरसीस // 7 // ज० // बासठसहसमुनिसैजी, इकसठश्रमण हजार, दोयलाखश्रावककह्याजी, ऊपरनेऊहजार // // ज // सहसत्रयांणुंश्रावि. काजी, तीनलाखपरिवार, गरुमयददेवीसुरीजी, श्रीसंघसांनिधकार // ए॥ ज० // नवसैमुनिपरिवारस्युंजी, आयाशिखरसमेत, मासखमणकरमुक्तिमजी, पुहतानिजपदहेत // 10 // जा ऐसेंहथिणापुरजलोजी, राजासूरसुतात, कुंथुनाथजिनजनमियाजी, कंचनतनुश्रीमात // 11 // जगपतिकुंथुजिनेसरसार, गगलंबनतालीसनोजी, धनुषदेहनोमान, सहसपचाणवेचरषनोजी, आयुप्रनुनोजाण // 12 // ज // पेंतीसगणधरदीपताजी, साउसहसमुनिजाण, उसैसाउसहसवखिजी,श्रमणी. Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (151) संख्यामान // 13 // ज० // सहसगुणियासीलदनीजी, श्रावक संख्याहोय, सहसक्यासीतीनलाखनीजी, श्राविकासंख्याजोय // 15 // ज० // सातसैसाधुपरिवस्खाजी, देवीबक्षागंधर्व, कुंथुनाथमुगतेंगयाजी, माससंलेखणसर्व // 15 // ज०॥ . श्रीअरनाथ जिनंदनो, कहस्युंअवअधिकार, श्रोतासुणज्योप्रेमधर, भास्यैतालअपार // 1 // . // देशीविछियानी // ढाल 8 // हारेलालाश्रीजिनकुशलसूरीसरूएचाल // हारेलालाश्रीश्ररनाथ जिनेसरू / जिहांनगरीअयोध्याचंदरेलाला / तातसुदर्शनमातजी। नंदादेवीनानंदरेलाला ॥२॥श्रीअर // संबननंद्यावर्त्तनो / वीसधनुदेहीनोमानरेला / कंचनवरणसुहामणो। श्रायुसहसचोरासीप्रमापरेला // 3 // श्रीश्र० // इकलाख श्रावकऊपरे / वलीसंख्याअधिकीजाणरेला / सहसबहुत्तरतीननी / लक्षश्राविकासंख्याआणरेला० ॥४॥श्रीअ० // देवदेवीसानिधकरे / इकसहसमुनिपरिवाररेला / मुक्तिगयाश्णगिरिप्रनु / करमाससंलेखनसाररेखा // 5 // श्रीअ० // मिथिलानगरी प्रत्नावती / मातपिताश्रीकुंजरायरेखा० / संबनकलसपचीसनो / वपुधनुषसोवनसमकायरेला // 6 // श्रीमद्विनाथ जिनेसरू / सहसपचावनवर्षनी / थितिगणधरअभावीसरेला / नविककमलप्रतिबोधता, जगनायकश्रीजग. दीसरेखा // 7 // श्रीम॥ चालीससहसमुनीसरू / श्रमणी. पचावनसहसरेखा / सहसत्रयासीबदनी / श्रावकनीसंख्या Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (192) साररेखाम्॥॥श्रीम० // श्राविकासित्तरसहसनो / लक्षती. नसंख्यासुविचाररेला ।सहसमुनिपरिवारसुं / गएमुक्तिसंलेखण धाररेला श्रीम० ॥ए॥राजग्रहीराजापिता / सुग्रीवपद्मावती मातरेला / स्यामवरणतनुशोलतो / जेकलपलंननविख्यातरे। ला // 10 ॥श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजी // धनुषवीसदेहीतणो / आयुवच्छरतीसहजाररेला अष्टादशगणधरथया। तीससहसमुनीसरसाररेला // 11 // श्रीमु०॥ श्रमणीसहसपचीसनी / संख्याबहुत्तरहजाररेखा / इकलदऊपरे श्राविका / तीनलरुपचासहजाररेला // 12 // श्रीमु० // वरुणयददेवी जली नरदत्तासांनिधकाररेला० / सहसमुनिपरिवारसें / गएमुक्तिमहलसुखकाररेला० // 13 // श्रीमु० // विजयपितावप्रामा. तजी / सोवनसमश्रीनमिनावरेला / नीलकमललंउनकह्यो. वपुधनुषपनरायुसारखा० // 14 // श्रीनमिनाथ जिनेसरू / दसहजारवरसतणो / गणधरसत्तरपरमाणरेला / वीसएकता। बीससहसक्रम, साधुसाधवी संख्याजानरेला० // 15 // श्रीन:॥श्कलखसित्तरसहसनी, तीनलदसहसवलिहोयरेला॥ श्रावकसंख्याशाविका, / अनुक्रमकरि संख्याजोयरेला॥१६॥ श्रीन॥विरचरंता नूमंमले, आयासिखरसमेतरेला नृकुटीयद गंधारीसुरी, श्कसहसमुनिपरिवाररेला // 17 // श्रीनः // ॥दोहा॥ परमेसर श्रीपासनी, महिमा जगतिविख्यात / शिखरसिरोमणि सहसपरण, जगजीवनजगतात // 1 // Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (193) // ढाल 9 // आदरजीवक्षमागुण आदरएहनी // . - जयजयपरमपुरुष पुरुषोत्तम, पारसपारसनाथजी, सांव रियासाहिब जगनायक, नामअनेकविख्यातजी ॥जय॥२॥ जयजयशिखरसमेतसिरोमणि, श्रीसांवरियापासजी, ध्यावे सेवे जे नर तेहनी, पूरेवंचितासजी // जय० // 3 // कासीदेसवपारसीनगरी, श्रीअश्वसेननरिंदजी, वामामाता जगविख्याता तेहनासुतसुखकंदजी // जय० // 4 // पन्नगलंबननीलवरण वि, देहिशुजनवहाथजी, आयुएकसोवरसप्रमाणे, गणधरदशप्रनुसाथजी // जय० // 5 // सोलसहसमुनिवरश्ररुश्रमणी, कही अमतीसहजारजी नूमंमलविचरेनविजनकुं / बोधबीजदातारजी // जय० // 6 // चोसठसहसलाखक श्रावक, गुणचालीसहजारजी, तीनलाखश्रावकणीसंख्या, पार्श्वयनसुरसारजी // ज० // 7 // बीसजिनेसरमुगते पोहता, महिमाथश्यअपारजी, तिणएतीरथप्रगट्योजगमें, मुगतितणो दातारजी // ज० // 7 // हरीपाले जेनरलावै नेटें सिखरगिरींदजी, ते नर मनवांछितफलपामे, एसुरतरुनोकंदजी, ज० // ए॥ बहुविधसंघतणीकरेनक्ति, संघपतिनामधरायजी, सफलकरसंपदानिजपामी, जेहनोसुजससवायजी // 10 // ज० ॥परजवसुरनरसंपदापामें, जात्राकरेगहगाटजी, साधरमीवत्सलमुनिन्नक्ति, पूजाउद्यमगठजी जय० // 11 // टुकटुकपरचरणप्रजुना, पूजोनविजननावजी, ध्यानधरोजिनवरनो मनमें, आनंदअधिकउबावजी // ज० // 12 // रासरच्योश्रीसिखरगिरिनो, सुणतांनवनिधियायजी, तिणएनविजन बृ० स्त० 13 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) लावधरिने, सुणज्योमनथिरलायजी // जय० // 13 // खरतरगन्नपतिमहिमाधारी, कीर्तिजगविख्यातजी, जयश्रीजिनसौजाग्यसूरीश्वर, अमृतवचनसुगातजी // ज० // 14 // तासुपसायेरासरच्योए, अमृतसमुत्रनेसीसजी, बालचंधनिजमति. अनुसारे, सोधोविबुधजगीशजी ज० // 15 // संवतजगणीसैसतमोतरे, (1907) सुदिबैशाखसुढालजी, राशअजीमगं. जमांहिकीनो, नणतामंगलमालजी // जय० // 16 // // इति श्री सिखरजीको राश संपूर्णम् / सर्वगाथा 201 // . ॥अथ मुनिमालिका // ऋषनप्रमुख जिणपाययुगपणमुं, शिवसुखदायकमनहनवास, पुंगरी कश्रीगौतमश्रादिक, गणधरगुरुमनकमलविकास // 1 // प्रहसमेसूधासाधुनमुंनित, जावेश्रमणसुगुरुजगवंत, नामग्रहणकरिपापपखालूं। परमानंदसुमति विकसंत // ॥जरतमहामुनिप्रथमचक्कीसर, बाहूबलीउपसममार, सूरयसादिक. श्रामुनीसर, पाम्या विमलाचलनवपार ॥३॥प्र०॥ रिष. जवंसजेअनुक्रमहुवा, मुनिवरकोमीलाखअसंख, श्रीसेनुंजैशिवपुरसीधा, कलमलकालकमुकीसंक // 4 // 0 // सगरप्रमुखनिरुपमनवचक्रवर्ति, साधुमहाबलसंयमसींह, अचलादिकबलदेवश्रष्टमुनि, रामरिषीसरनवमश्रबीह॥५॥॥ श्रीप्रतिबुद्धिपमुहम्हसुंदर,श्रीमद्विनाथपूरवनवमित्र,पहुतापरमयतीसर शिवपुर, पालीश्रीजिनाणपवित्र // 6 // प्र० // बंधु 'विष्णुकुमारखबधिनिधि, खंदगसूरिनासीससयपंच, कार्तिकसेठसुसाधुकीर्तिधर, श्रमणसुकोसलब्रतनिरबंच // 7 // प्र० // Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (155) श्रीयध्वंसदोजसुसागर, प्रमुखबाग्मणगारप्रधान, श्रीरहनेमिनेमिजिनबंधव, निरमलगुणगणरयणनिधान // // // जालीमयालीनेउवयाली, पुरससेणबारिसेणप्रजुन्न, संबअने. अनिरुघरिषीसर, सत्यनेमिदृढनेमिसुधन्न // ए॥ प्र० // कुमरजनीकजसादिकषमुनि, गुणगिरुवोश्रीगजसुकमाल, ढंढणरिषीश्रीथावच्चासुत, सहससाधुसंजमसुकृपाल // 10 // प्र० // (रागधन्याश्री) सहसश्रमणसुंसुकसंयमधरो, पंचसयांसुसेलगमुनिवरो, सिपथयाश्रीपुंमरगिरिवरो, करुणाकरप्रणमुंसंपदकरो // नवा // संपदकरोशमदमरिखीसरसाधुसारणासोहए, अंतरप्रकासतिमिरनासै,नविकजनमनमोहए, प्रत्येकबुद्धप्रबुधनारदमुनिप्रमुखपैंतालए, दमदंतमहा रिषीकुंजवारै साधुनमुंत्रिहुं कालए // 11 // चाल // रंगरिषनदत्तरतनत्रयमुणी, समरूंदेवानंदासाहुणी, पांचेपांमवप्रणमुंमुनिपती, केशीपएशीबोधकजिनमती, उ० जिनमतीकालकपुत्रमेहलथिवरआनंदरक्खियो॥ अणगारकासवधर्मनाष्यो, साधिशिवपुरसक्खि, कालासबेसीपुत्रातमश्ररथसाधकउपसमी, श्रीपुंमरीकमहामुनीसरप्रणमीयेसुनसंयमी // 12 // चाल // बंमुबलकलचीरी केवली,श्रीऐमत्तोमुनिवरमनरली, श्रीकरकंडुजुमहनमिनग्गया, निज 2 देसे नरवरश्रीजुवा // ज० // श्रीजुवाएवृषनादिदेखीश्रयावमवइरागीया, संयमसिरिनजिमोह निजातजीयजोगैजागीया, प्रत्येकबुद्धाच्यारसिघासिपथयाएकणसमें, सुप्रसन्नचंद. मुनिंदनिरममप्रेमप्रणमुंप्रहसमें // 13 // चाल // खंतेखुबकुमारसुध्याईये, लोहच्चामुनिचरणेलयलाश्य, कालउदाईप्रमुखमहा Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (196) मुणी, संजमशुधजयंतिसाहुणी॥ ॥साहुणी जाणीजग वखाणीपरमपदसुखपामीया, श्रीश्रमणजसुजनसुंदरअचलातमरामीया, श्रीसुप्रतिष्टयतीससुब्रतसाधुसुव्रतसेहरो, चारित्ररिषिगुणवंतगोजगरुागरिमासागरो // 15 // चाल // सिरीसिवरायरिषीसरवंदीये, दशारणलपनमुंमुखळंदीयै, अर्जुनमाली. सुखसंजमधरो, सुदृढप्रहारीशिवरमणीवरोज॥शिवरमणीव. रोश्रीकुरगडूदमावंतप्रसिधवलिच्यारजग्रविहारतपसीसहित सुविहितसिघर्ड ॥कोमिन्नदिनअनेसेवालीपनरशतकतिमोत्तरा, गोतमप्रबोधितसिद्धिपुहतान{चरणकरणाधरा // 15 // चाल / गिरआश्रीगुणसागरगाईयें, पृथवीचंतप्रणम्यासुखपाईये, खंदकुमारसदाअजिनंदी, नमिहारह मित्रमनाणंदीयै॥ न०॥ आणंदीयमेतार्यमुनिवरजगतिसुंसमरीकरी, ऋषिश्लापुत्रचिला. पुत्रमृगापुत्रहीयैधरी,श्रीजनामनिग्रंथनिर्ममधर्मरुचिधर्मागरो, तेतलीपुत्रसुबुद्धिबोधितसुजितशत्रुमुनीसरो // 16 // चाल // उदय 2 करजगि 2 जसतणो, श्रमणसुंदशणशीलसुहावणो, श्रीअन्नयसुताकुमारए, चित्तचतुरनरचित्तचमकारएन॥ चमकारसारसुजातरिषीवरदेवसांनिधजशधणी, गांगेयगिरुवो. गुणेगाजैसुजिनपालितहितधणी, श्रीधर्मघोषसुसीसधर्मरुचिसाधुश्रीजिनदेवए, श्रीकपिलरिषिहरिकेशवलिमुनिनितनमुंनिरले. पए // 17 ॥चाल // जतिजयघोषविजयघोषजुलं, सेव॒श्रुतधरश्रीदेवलसु, श्रीश्खुकारनृपतिकमलावती, राणीनृगुसुतप्रो. हितसुनमती // // सुनमतीजेहनीजशालार्यापुत्रदोयव. खाणीये, एबहुँलेश्चारुचारित्रमुगतिपुहताजाणीये, क्षत्रियमु Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) निसरसाधुसंजमधर्मरुचिसुमहाब्रति, निग्रंथनाथअनाथबंधुसमुपालसुसंयती // 10 ॥चाल॥ कुम्मापुत्रनमुंकेवलकट्यो, विधिसुंशीतलशिवकमलामिट्यो, धन 2 धन्नोसुरगिरिधीरए, वीरप्रशंश्यौतपगुणवीरए // ज // श्रीवीरदिख्खितश्रीसुबाहुभनंदकुमारए, आदिकदसे रिषिचरियजेहनासुखविपाकलदारए, श्रीचंमजसुशीसखंदगखिमानिधिकहीयैश्णकलै, कुरुदत्त सुततीसगसरोरुहरिषिनम्यांास्याफलै // १ए // चाल // अंगप्रमुखरिषिच्यारेादरी, विधिसुंसंजमसिधिवधूबरी, अनयकुमारमुनिश्रनयंकरो, हविहबसुआतमहितकरो // ज० // हितकरोदयाधरमेघमुनिवरनंदीषेणाराधीयै, सुनक्षत्रनेसर्वानुनूतीशमर शिवसुखसाधीय, श्रीसिंहसाधुअनेउदायनचरमराजरिखीसरो,श्रीशालनजसुधन्नमुनिवरसमरतांमंगलकरो॥२०॥ रागधन्यासरी // वर्मवैरागीवरनमुं, जुगवरजंबूसामि, प्रजवसिव्यंजवपरगमौ, सुजशयसोजमस्वामि // 1 // महामुनीसरनितनमुंजी, नामेंघरनवनिक, वाधैरिछसमृद्ध // 22 // म // जगसंनूतिविजयजयौ, जवाहुकृतलज, जगजोगीसरजागतो, मुनिवरश्रीथूलना // 23 // महा० // जजबाहुस्वामीतणा, च्यारशिष्यमुनिराय, शीतपरिसहजिणेसह्या, सार्या 2 आतमकाज // 24 // महा० // अङमहागिरिजांणिय, अजासुहत्थिविशाल, संप्रतिनृपपमिबोहियो, श्रीऐवंतीसुकमाल ॥२५॥म०॥ आरिजसांमिप्रसंसीयो, अझसुनद्दमुनीस, अऊमंगुमहिमानिलो, सींहगिरीसमुणीस // 26 // म॥ धनगिरिथिवरमहामुनी श्रीवयरस्वामीमुनिराय, अरहदिएणमुनिअपहस्यो, न Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) गुप्तनिरमाय // 27 // म॥ वयरसेन विद्यावरू, श्रीरक्षितगुरुदह, पूसमित्रगुणगहगहै, प्रन्नुपुरबलिकापद // // म०॥ विऊसाधुसुविधश्नयो, श्रीयंमिलसुमहिल, सूत्रभरथरतनें। जियो, हमाश्रमणदेवहि॥२ए। म // पंचमकाखचरममुनी, श्रीउपसैसूरिदयाल, शुक्रियाखरतरसही, जिनभाग्याप्रति. पाल // 30 // म० // श्मपन्नरकर्मनूमीजिके, हुवाहोस्यैअनंत, वर्तमानश्रीसाधुजी, रतनत्रगुणवंत // 31 // म० // ब्राह्मी. सुंदरीरायिमई, साहुणीचंदनवाल, आदिकशीलवतीसती, त्रिकरणसुचत्रिकाल // 35 // म // संवतसोलगत्तीसए, श्रीविमलनाथसुरसाल, दिदाकट्याणकदिने, गुंथीश्रीमुनिमाल // // 33 // म०॥ रिणीपुरैरलीयामणो, श्रीशीतलजिणचंद, सूरिविजैराजेसदा, संघअधिकाणंद // 34 ॥म० // श्रीमतिलजसुगुरूतणे, सुपसायसुखकार, चारितसंघवखाणीय, सदा 5 जयकार // 35 // म // मनोहरश्रीमुनिमालिका गुणगणपरमलपूर, कंठरवश्चत्तमजिके, पामेंसुखजरपूर ॥३६॥म० // महामुनीसरगावतां,सुरतरुसफलसमान, अष्टमहासिधिघरफलै, सदासदाकट्याण // 37 // इतिमुनिमालिकासंपूर्णम् // ॥अथ पापआलोयणास्तवनलिख्यते // बेकरजोमीवीनवूजी, सुणिस्वामिसुविदीत, कूमकपटमूंकीकरीजी, बातकहुंआपबीत // 1 // कृपानाथमुवीनतीवधार, तुसमरथ त्रिन्नुवनधणीजी, मुझनेत्तरतार // कृ०॥२॥ जवसायरनमतांथकांजी, दीगःखअनन्त, नागसंयोगेजेटी. योजी, जयनंजननगवंत // कृ० // 3 // जेकुःखजांजेश्राप Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१एए) णोजी-तेहनेंकहीयेफुःख, परदुःखनंजणतूंसुण्योजी, सेवकनेंद्योसुख // कृ० // 4 // आलोयणलीधांपखेजी, जीवरलैसंसार, रूपीलदमणामहासतीजी, एहसुण्योअधिकार // कृ० // 5 // दूषमकालेदोहिलोजी, सूधोगुरुसंयोग, परमारथपीनहिंजी, गमरप्रवाहीलोक // कृ० // 6 // तिणतुमागलिश्रापणाजी, पापालोऊंआज, मायबापागलिबोलतांजी, बालककेहीलाज॥कृ०॥७॥जिनधर्मजिनधर्मसहूकहेजी, थापेापणीवात, सामाचारीजूईजईजी, संसयपड्योमिथ्यात // कृ० // // जाणअजाणपणेकरीजी, बोल्याउत्सूत्रवोल, रतनेकागजमावतांजी, हासोजन्मनिटोलम् // कृ० // ए॥ जगवंतनाष्योते किहांजी, किहांमुझकरण एह, गजपाखरखर किमसहेजी, सबलविमासएतेह // कृ०॥ 10 // श्रापपरू' आकरोजी, जाणेलोकमहंत, पिणनकरुं परमादीयोजी, मासाहसदृष्टान्त // कृ॥११॥ कालअनन्ते लह्याजी, तीनरतनश्रीकार, पिणपरमादेपामियाजी, किहांजईकरुपुकार // कृ० // 1 // जाणुंजत्कृष्टीकरंजी, उद्यतकरुंरेविहार, धीरजजीवधरैनहीजी, पोतेबहुसंसार // कृ // 13 // सहजपड्योमुजाकरोजी, नगमेहमीवात, परनिंदाकरताथकांजी, जायैदिननेरात // कृ० // 14 // किरियाकरतांदोहिलीजी, बालसाजीव, धर्मपधंधेपड्योजी, नरकेकरसैरीव // कृ // 15 // अणदुंतागुणकोकहेजी, तोहरखुनिशिदीश, कोहितसीखनलिकहेजी, तोमन आणुंरीश // कृ० // 16 // वादलणीविद्यालणीजी, पररंजनउपदेश, मनसंबेगधयोनहीजी, किमसंसारतरेश // कृ॥१॥ Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (200) सूत्रसिधांतवखाणतांजी, सुणतांकर्मविपाक, खिणएकमनमाहि ऊपजैजी, मुजमरकटवैराग // कृ०॥ 17 // त्रिविधत्रिविधकरीकचरुंजी, जगवंततूह्महजूर, बारबारलांजुंबखिजी, छूटकवारोदूर // कृ० // 15 // आपकाजसुखराचतांजी, कीधा आरंजकोम, जयणानकरीजीवनीजी, देवदयापरबगेम // कृ०॥ // 20 // वचनदोषव्यापककह्याजी, दाख्याअनरथदंग, कूमकपटबहुकेलवीजी, ब्रतकीधाशतखम // कृ० // 1 // श्रणदीधोलीजैतिणोजी, तोहिअदत्तादान, तेझूषणलागाघणाजी, गिणतानावेज्ञान // कृ० // 22 // चंचलजीवरहैनहींजी, राचैरमणीरूप, कामविटंबनसिकढुंजी, तेतुंजाणेस्वरूप // कृ० // // 23 // मायाममतामेंपड्योजी, कीधोअधिकोलोल, परिग्रहमेट्योकारमोजी, नचढिसंयमसोन // कृ० // 24 // लागामुजनेलालचेजी, रात्रिनोजनदोष, मेंमनमुंक्योमांहरोजी, नधयोधर्मसंतोष // कृण् // 25 // इणनवपरनवदूहव्याजी, जीवचोरासीलाख, तेमुजमिलामिछक्कमंजी, नगवंततोरीसाख // कृ // 26 // कर्मादानपनरैकह्याजी, प्रगटअढारेपाप, जेमेंकीधातेसडुजी, वगशवगशमाश्वाप // कृ० // 27 // मुजाधारएतलोजी, सरदहणाजेशुद्ध, जिनधर्ममीठोजगतमेंजी, जिमसाकरनेदूध // कृ० // 20 // रिषनदेवतूंराजियोजी, सेठेजगिरिसिणगार, पापसालोयाआपणाजी, करप्रनुमोरीसार // कृ०॥ए // मर्मएह जिनधर्मनोजी, पापआलोयाजाय, मनसुंमिनामिछक्कमंजी, देतादूरपुलाय // कृ० // 30 // तुंगतितुं. मतितुंधणीजी, तुसाहिबतुंदेव, आणधरंसिरताहरीजी, जव Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (201) नवताहरिसेव // कृ० // 31 // कलश श्मचढीयसेजचरणप्लेट्यानाविनंदनजिनतणा, करजोमियादिजिणेंद, आगेपाप. आलोयाआपणा, श्रीपूज्यजिनचंदसूरिसद्गुरुप्रथमशिष्यसुजशघणे, गणिसकलचंदसुसीसवाचक, समयसुंदरगणिनणै // 3 // इतिघालोयणस्तवनं // // अथ आलोयणवृद्धस्तवनंलिख्यते // .. ॥उहा // सकलसिद्धिदायकसदा, चौवीशेजिनराय, सजुरुसामिनीसरसती, प्रेमेंप्रणमुंपाय // 1 // त्रिजुवनपतित्रिशलातणो, नंदनगुणगंजीर, शासननायकजगजयो, वर्षमानवमवीर // 2 // एकदिनवीरजिणंदनें, चरणेकरीपरिणाम, नविकजीवनाहितजणी, पूजेगौतमस्वामि // 3 // मुगतिमारगाराधिये, कहोकिणिपरिअरिहंत, सुधासरसतववचनरस, लाखेंश्रीनगवंत // // अतिचार 1 आलोश्वे, व्रतधरीयेगुरुशाखिश जीवखमावोसयलजे, योनिचोरासीलाख 3 // 5 // विधिमुं. वलिवोसराविये, पापस्थानकअढार 4, च्यारशरणनितअनुसरे 5, निंदोऽरितआचार 6 // 6 // शुनकरणीअनुमोदिये , जावनलोमनाण , अणशणअवसरादरी ए, नवपदजपो. सुजाण 10, // 7 // शुन्नगतिआराधनतणा, एचैदशअधिकार, चित्तआणीने श्रादरो, जिमपामोलवपार // 7 // // ढाल 1 // // एछिंडीकिहांराखी // इसचालमे // ज्ञानदरिशणचारित्रतपवीरज, ए पांचेआचार, एहतणाश्हजवपरजवना, आलोश्येअतीचाररे // 1 // प्राणीशाननणो Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (202) गुणखाणी, वीरवदेश्मवाणीरे // प्रा०॥ गुरुऊलवीयेनहीगुरुविनये, काखैधरीबहुमान, सूत्रअर्थतन्नयकरीसूधा, नणीये. वहीउपधानरे // 2 // प्रा०॥ज्ञानोपगरणपाटीपोथी, उवणीनोकरवाली, एहतणीकीधीपाशातना, ज्ञाननक्तिनसंजालीरे // 3 // प्रा० // इत्यादिकविपरीतपणाथी, ज्ञानविराध्युंजेह, समकितट्योशुजाणी, जिनवचनें शंकानविकीजें, नविपरमतश्रमिलाष, साधुतणीनिंदापरिहरजो, फलसंदेहनराखिरे, ॥प्रा०॥५॥समकित // मूढपणुंमोपरशंसा, गुणवंतनेादरीये, साहमी धर्मेकरीथिरता, जगतिप्रजावनाकरीयैरे, प्राण // // 6 // सम // संघचैत्यप्रासादतणोजे, अवर्णवादमनलेख्यो, अव्यदेवकोजेहविणास्यो, विणसंताग्वेख्योरे, ॥प्रा०॥समः॥ // 7 // इत्यादिकविपरीतपणाथी, समकितखंड्युंजेह, थानव०॥ प्रा० // // चारित्रयोचितप्राणी पांचसुमतित्रिणगुपतिवि. राधी, आवेप्रवचनमाय, साधुतणेधरमेंप्रमादें, अशुधवचनमनकायरे // प्रा० // ए॥ चारि० // श्रावकनेंधर्मेसामायक, पोसहमांमनवाली, जेजयणापूर्वकजेश्रा, प्रवचनमायनपालीरे, // प्रा० // 10 // चारि० // इत्यादिविपरीतपणाश्री, चारित्रखंड्युजेद, आजव०॥ मिलामि // 11 // चारि // बारेनेदेंतपनविकीधो, बतेंयोगेनिजशकतें, धर्मेमनवचकायावीरज, नविफोरविनगतेरे ॥प्रा० // 15 // चारि० // तपवीरज आचारें इणपरें, विविधविराध्याजेह, आजव० // मिना // प्रा० // 13 // चारि० // वलियविशेषे चारित्रकेरा, अतिचार Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (203) आलोइये, वीरजिणेसरवयणसुणीने, पापमयखसविधोइयरे॥ // प्रा० // 15 // // ढाल 2 // पृथवीपाणी तेज, वाजवनस्पती, एपांचेथावरकह्याए, करीकरसणारंज, खेत्रजेखेमीया, कूवातलावखणावीयाए // 1 // घरआरंजअनेक, टांकांनोरा, मेमीमालचिणावियाए, दिपणगुंपणकाज, एणिपरेपरंपरें, पृथवीकायविराधीयाए // 2 // धोयणनाहणपाणी, कोलणअपकाय, नोतिधोतिकरिदूहव्याए, नापीकरकुंभार, लोहसोवनगरा, नामनुंजालिहालागराए॥३॥ तापणसेकणकाजें, वस्त्रनिखारण, रंगणरांधणरसवतीए, इणिपरेंकर्मादान, परिपरेंकेलवी, तेजवाजविराधीयाए // 4 // वामीवनाराम, वावी वनस्पती, पानफूलफलचूंटीयाए, पौहँकपापमशाक, सेक्यांसूकव्यां, बेद्यांबूंघासाथीयांए, ॥५॥अलसी, नेएरंग, घाणीघालीने, घाणातिलादिकपीलीयाए, घालीकोलुमांहिं, पीलीशेखमी, कंदमूलफलवेचीयाए ॥६॥एमएकेंजीजीव, हएया हणावीया, हणतांजे अनुमोदीयाए, आजवपरनवजेह वलीय० // तेमुकमि // 7 // क्रमीसरमीयाकीमी, गामरगंमोला, श्यलपूराबलशीयाए, वालाजलोकचूमेल, विचलितरस, वलीअथांणांप्रमुखनाए // // इमबेइंजीजीव, जेमेंदूहव्याए, तेमु० // उद्देही—लीख, मांकममक्कोमा, चांचमकीमीकुंथुआए // ए॥ गद्दहीयाघीमेल, कांनखजूरमा, गीमोलाधनेरीयाए, श्मतेइंशीजीव, जेमेंदूहव्यांएतेमुझ० // 10 // माखीमन्चरमांस, मसापतंगीया, कंशारीको खियावमाए, ढींकण Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (204) वीच्छूतीम, जमरानमरीय, कौंताबंगखममांकमीए॥११॥इमचौरिजीजीव, जेमेातेमुझण्जलमांनांखीजालाजलचरदूहव्या, वनमांमृगसंतापीयाए // 15 // पीड्यापंखीजीव, पामीपासमां, पोपटघाट्यापांजरेंए, इमपंचेंत्रीजीव, जेमे // तेमुरु० // 13 // // ढाल 3 // ॥प्राणीवाणीहितकारीजी // एचाल // ___ क्रोधलोजनयहासथीजी, बोट्यावचनअसत्य, कूमकरीधनपारकाजी, लीधांजेहश्रदत्तरे // 1 // जिनजीमिवामिछक्कम आज, तुझसाखेंमहाराजरे, जिनजी, देईसारूंकाजरे // जि०॥ // मि० // ए आंकणी // देवमनुजतियंचनाजी, मैथुनसेव्यांजेह, विषयरस लंपटपणेजी, घjविटंव्योदेहरे // जि // 5 // ॥मि // परिग्रहनीममताकरीजी, जवनवमेलीयाथ, जेजिहांनीतेतिहारहीजी, कोश्नावीसाअरे // जि ॥३॥मि // रयणीलोजनजेकस्यांजी, कीधानअनद // रसनारसनी लालजी, पापकस्यांप्रत्यक्षरे // जि० // 4 // मि० // ब्रतलेई विसारीयांजी, वलीलाग्यापच्चखाण, कपटहेतुकिरियाकरीजी, कीधाआपवखाणरे // 5 // जि // मि० // त्रणढालाहेजी, आलोयाअतिचार, सिवगतिश्राराधनतणोजी, एपहिलोअधिकाररे // जि // मि० // 6 // // ढाल 4 // साहेलडीरेदेशी॥ '' पंचमहाव्रतआदरो अथवाट्योत्तबारतो, यथाशक्तिव्रतश्रादरी, सा॥ पालोनिरतिचारतो // 1 // ब्रतलीधांसंनारीये // सा० // हियोधरीयविचारतो, शिवगतिआराधना Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (205) तणो // सा // एबीजोअधिकारतो ॥२॥जीवसवेखमाविये, // सा // योनिचोरासीलाखतो, मनशुधेकरोखामणा ॥सा॥ कोश्शुंरोषनराखतो // 3 // सर्वमित्रकरीचिंतवो // सा // कोश्नजाणोशत्रुतो, रागषेषएमपरिहरों // सा // कीजेजन्मपवित्रतो // 4 // साहम्मीसंघखमाविये // सा // जेउपनीप्रीतितो, सजानकुटुंबकरीखामणा // सा० // एजिनशासनरीतितो // 5 // खमियेनेखमावियें ॥सा०॥ एहजधर्मनोसारतो, शिवगतियाराधनतणो // सा // एत्रीजोअधिकारतो // 6 // मृषावादहिंसाचोरी // सा // धनमूर्नामेहुन्नतो, क्रोधमानमायातृष्णा, // सा० ॥प्रेमवेषपैशुन्यतो // 7 // निंदाकलहनकी जीयें // सा // कूमांनदीजेथालतो, रतिभरतिमिथ्यातजो // सा० // मायामोहजंजालतो // // त्रिविधत्रिविधवोसिराविये // सा // पापस्थानअढारतो, शिवगतिसाधनतको // सा // एचोथोअधिकारतो // ए॥ ॥ढाल 5 // ॥हवेनिसुणोइहांआवियाए॥ एदेशी॥ . - जनमजरामरणेकरीए, एसंसारपसारतो, कस्यांकर्मसदुशनुनवेए, कोश्नराखणहारतो // 1 // शरणएकअरिहंतनुए, शरणसिघनगवंततो, शरणधर्मश्रीजैननोए,साधुशरणगुणवंततो // 2 // अवरमोहसविपरहरीए, चारशरणचित्तधारतो, शिवगतिआराधनतणोए, ए पांचमोअधिकारतो // 3 // आजवपरजवजेकस्यांए, पापकर्मकेईलाखतो, आत्मसाखंतेनिंदीयेए, पमिक्कमियेगुरुसाखतो॥४॥मिथ्यामतिवर्तीवियांए, जेनाख्या Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (206) उत्सूत्रतो, कुमतिकदाग्रहनेवशेए, वलीयाप्योउत्सूत्रतो // 5 // घड्यांघमाव्यांजेघणांए, घरटीहलहथीयारतो, नवनवमेली. मूकीयांए, करताजीवसंहारतो // 6 // पापकरीनेपोषियाए, जनमजनमपरिवारतो, जनमान्तरपहोतापलीए, कोइनकीधीसारतो // 7 // आलवपरजवजेकरयांए, एमअधिकरणअनेकतो, त्रिविधत्रिविधवोसिरावियेंए, आणिहृदयविवेकतो॥७॥ मुष्कृतनिंदाएमकरीए, पापकस्यांपरिहार, शिवगतिआराधना तणोए, एबोअधिकारतो॥ ए॥ // ढाल 6 // ॥आदरतुंजोइनेंआपणीएदेशी॥ धन्यधन्यतेदिनमाहरो, जिहांकीधोधर्म, दानशीयसतपत्राचरी, टाट्यांपुष्कर्म // ध // 1 // शत्रुजयादिकतीर्थनी, जे. कीधीयात्र, युगतेंजिनवरपूजीया, वलीपोख्यांपात्र // // // पुस्तकज्ञानलखावियां, जिणहर जिणचैत्य, संघचतुर्विधसाचव्या, एसातेखेत्र ॥ध० // 3 // पमिक्कमणासुपरेकस्यां, अनुकंपादान // साधुसूरिजवळायनें, दीधांबहुमान ॥ध // 4 // धर्मकारजचनुमोदिये, एमवारंवार, शिवगतियाराधनतणो, एसातमोअधिकार // ध० // 5 // नावजलोमनाणी, चित्तश्राणीगम, समतानावेंनावीयें; ए आतमराम // 6 // ध० // सुखकुःखकारणजीवनें, कोशवरनहोय, कर्मापजेबाचस्यां, जोगवियेसोय // ध० // 7 // समताविणजेशनुसरे, प्राणीपुण्यनांकाम, गरऊपरलीपणुं, छांखरचित्राम // ध० // 7 // Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (207) जाव जलीपरें नावीय, एधर्मनोसार, शिवगतिधाराधनतणो, एवाग्मो अधिकार // ध० // ए॥ // ढाल 7 // ॥रेवतगिरिउपरे / एदेशी // हवेअवसरजाणी, करीयेसंलेषणसार, अणसणादरीयें, पचरकीचारआहार, लघुतासविमूकी, बांकीममतासंगए आतमखेले, समताज्ञानतरंग // 1 // गतिचारेंकीधा, आहारअनंतनिशंक, पणतृप्तिनपाम्यो, जीवलालचीयोरंक, फुलहोएवलीवली, अणसणनोपरिणाम // एथीपामीजे, सिवपदसुरपदगम // 2 // धनधन्नाशालिनत्र, खंधोमेघकुमार, अणसणाराधी, पाम्यालवनोपार, शिवमंदिरजाशे, करीएकअवतार, आराधनकेरो, ए नवमोअधिकार // 3 // दशमेश्रधिकार, महामंत्रनवकार, मनश्रीनविमूको, शिवसुखफलसहकार, ए जपतांजाये, मुर्गतिदोषविकार, सुपरेंएसमरो, चउदेपूरवनो. सार // // जन्मांतरेजातां, जोपामेनवकार, तो पातकगाली, पामेसुरअवतार, एनवपदसरिखो, मंत्रनकोसंसार, इहलवनेपरनवे, सुखसंपत्तिदातार // 5 // जुनोनीलनेनीलमी राजाराणीथाय, नवपदमहिमाश्री, राजसिंहमहाराय, राणीरतनवतीबेडु, पाम्यानेसुरजोग, एकनवथीलेशे, सिधिवधूसंयोग, ॥६॥श्रीमतीनेएवली, मंत्रफट्योततकाल, फणिधरफीटीने प्रगटथश्फूलमाल, शिवकुमरेयोगी, सोवनपुरिसोकोध, एम एणेमंत्रे, काजघणानासि // 7 // एदशअधिकारे, वीरजिणे. सरजाख्यो, आराधनकेरो, विधिजेणेचित्तमांराख्यो, तेणेपाप Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (200) पखाली, जवजयदूरनाख्यो, जिनविनयकरंतां, सुमतिश्रमृतरसचाख्यो // 7 // // ढाल आठमी॥ सिद्धारथरायकुलतिलोए, त्रिशलामातमटहारतो, अवनीतलेतुमेअवतस्याए, करवाश्रमउपगार // 1 // जयोजिनवीर. जीए, एकापी // मेंअपराधकस्याघणाए, कहेतांनलहुंपारतो, तुमचरणेश्राव्या जणीए, जोतारेतोतार // // जयो० // आशकरीने भावीयोए, तुमचरणेमाहाराजतो,आव्यानेनवेखशोए, तोकिमरहसेलाज ॥३॥ज०॥ कर्मथलुजणाकराए, जन्ममरणजंजालतो, कुंqएहथीननयोए, ओमावोदेवदयाल // 4 // ज० // आजमनोरथमुजफट्याए, नागपुःखदंदोलतो, तुगेजिनचोवीसमोए, प्रगट्यापुण्यकबोल, // 5 // ज० // लवनवविनयएतुमारमोए, जावनक्तितुमपायतो, देवदयाकरीदीजियेएबोधबीजसुपसाय // 6 // ज० // इति आराधना // . . ॥द० राग प्रभाति // . स्वामीरिसहेसरु दीढोंमेंसुरतरु सुनिजरकरी प्रनुसुजस लीजैस्वामी // 1 // आत्मगुण तुमतणो प्रगटसोहामणो सादि अनंत स्थिति सुखलहीजै स्वामी ॥शा ध्येयनाध्यानथी ध्यातानिजगुणलहे नावजलासथी कर्मजीजै स्वा०॥३॥ साध्यसाध कदशा अनुजवीश्रातमा बाध्य बाधक पणोदूरकीजै स्वा ॥धा एकप्रदेशमा अनंतसुखतेलह्यो तेहनोअंश अनुमोयदीब स्वा० // 5 // त्रजगतनाथतूं सेवकांसुखकर अवरदूजोनही Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०ए) कोयदीसै स्वा० // 6 // वीनतीमानजौ सुजसमुजापजो, जिनकृपाचंत्रसूरि जयबरीजै स्वा० // 7 // इति // ___दरसणकीयो आजादीसरको दर धूलेवागढमें आपविराजो, नाजिरायनंदननीको दर // 1 // व्यत्नावविधदरशण जाणो, नावविनादरसाणफीको दर० // 5 // दरसण करि नविनिजगुणपावे, वीतरागपदजिनवरको दरस // 3 // जिनवरदरसणनिमित्तलहिने, उपादानातमहीको दर // 4 // कारणताग्रही कार्यअनूपम, सिधपणो निरुपमटीको दन ॥५॥झानगुलालप्रेमपिचकारी, क्षमाअवीरखेले हिलमिलको द // 6 // सीहोरी नविजनखेले, सूरिकृपाचं सुखवरको द॥ // इति // // कृपानिधिवीनतिअवधारो रे एदेशी // श्रीरिषनजिनेसरस्वामीरे,त्रिनुवनजनमनविसरामीरे,जगतारण अंतरजामी, नविकजनश्रीजिनवर आराधोरे एतो आराधि शिवफलसाधो नविण ॥१॥मनमोहनदिनकरसोहेरे, देख्याजव्यकमलप्रतिवोहेरे, जिमचंद चकोर निशिमोहे ल॥२॥ गढधूलेवाजिनपति वंदोरे, प्रनुदरसणकरिचिरनंदोरे, एतोनिज गुणसुरतरुकंदो जम् // 3 // गढलंकामे प्रनुव सियारे, रावणनृपमनमेजलसियारे, सदुथयासेवानारसियान // 4 // उजायणी में प्रन्नुहोवेरे, श्रीपालनीव्याधिखोवेरे, सुखसंपदाकरिजनजोवे नम् // 5 // वागमदेशबमोदगांममां हिरे जिहांवसियाजगतनासां हिरे, प्रनुनावलगतिमनलांहि नः // 6 // तिहांथी धूलेवेआवेरे, घणाजातीनामननावरे, गौरी मिलमंगलगावे ल वृ० स्त० 14 Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (210) // 7 // परचापरतिखजगगजेरे, अतिसयगुणअंबरगाजेरे, प्रनुदीगलवलय नाजे ल० // // देशमेवामदेख्योनगी. नोरे, करेमा पारसनाथमनलीनोरे, देववादरसणकीनो न // ए // आदीसरअद्भुतमूर्तिरे, उदयापुरजिनालयस्फूतिरे, पद्मनालसेव्यासुखपूर्ति नः // 10 // वनेमेादीसरराजेरे, इम चेत्यअनेकविराजेरे, राजनगरमांअधिकदीवाजे न॥११॥ गणीसे असीवरसेरे, फागुणशुदि आगम फरसेरे, जिनकृपाचंदसूरिमनहरसे ज० // 12 // इति // // मोरादेमइया आदिकरणतेराजइया एदेशी॥ श्रीसंनवजिनराया त्रजगनाथकहवाया श्रीसंन नगरी अयोध्याजन्म लियो है, जितारिकुलननचंदा, सेनामातसुजात सोवनद्युति, अश्वलंउनसोहाया संजः // 1 // फागुणसुदियाउमअवतरिया, मगसरशुदिचवदशजाया, मगसर पूनिमदीदाधारी, कातिबदि पांचमनाणपाया संनव // 2 // चैत्रशुक्लपंचमीनिर्वाण, सवजीवनेंसुखदाया, साउलाखपूरवनोआयु, धनुषच्यारसै काया संन्न // 3 // महागोपमहामाहण प्रनुजी, जवअटवी सत्यवाह, जवजलधिनिर्यामकतुमही, एओपमामननाया संज० // // गणधरदोयअधिकशतजाणो, सिवरमणीकोराया जिनकृपाचं सूरि सुखखाणी, सेवामे मनलायासंजः // 5 // इति // __ थांपरवारीहोजिनजी श्रीधुलेवागढपतिरिषजसोहावणाहो. राज रिष ए श्रांकणी देशमेवाममेसोलताहोराज थां० आदिकरणादिनाथ नेटया नखे नावसुंहोराज ने प्रांग Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (11) श्री // 1 // परचा जगमेपरगमाहोराज यां० आवेसंघापार स रसदरसणलहेहोराज सर० प्र० श्री० // 5 // स्यामवरण शुनसुंदरुहोराज थांअद्भुतप्रनुदीदार देख्यावांवितफलेहोराज देख्या थां० श्री० // 3 // श्रासहती घणादिवसनीहोराजयां तेसफलीश्रश्वाज, पूरवसंचितफट्याहोराज पूरव श्रां श्री ॥॥जवनवचरणारी चाकरीहोराज थांग मुजनेहितसुखकंद सदा प्रतुदीजीयेहो राज सदा श्रां श्री० // 5 // मालवदेशथी आवीयाहोराज थां विषमनवंघीवाट आजदरसणलह्योहोराज आ थां० श्री० // 6 // उगणीसेअसीसमेहोराज थांग फागणशुदिः हितकार, सदासंपतिकरुहोरा सदा यां० श्री० ॥७॥अव्यावाधसुहंकर होराज थां० अनुलवामृतपान, सदा मुऊदीजीयहोराज सदा थां० श्री० // 7 // साहिबनीसुनिजरउताहोराज थां सहजफलेसदुकाज कृतारथकीजिये होराज कृता० थां० श्रीधु ॥ए // आजमनोरथ सहु फस्या होराज थां० प्रनुदरसणमनरंग सदाजयजयकरुहोराज सदा श्रां श्रीन ॥१०॥श्रीरिसहेसरजगजयोहोराज श्रां श्रीजिनकृपाचं सूरि प्रन्नुमुजमनवस्याहोराज प्रजु था श्री० // 11 // इति // वारीजाउरेसांवरियातोपरवारणारे तो एदेशी सुणोसुणोजी जिनवरजीह्मांनेतारजोजी एआंकमी अश्वसेननरेसरनंदन, वामादेवीकेसुतवंदन, नीलवरण विमोह निकंदन, कर्मरिपुवारजोजी सु० // 1 // परम पुरुस परमेसर कहिये, परमात्मापरमगुरुदहिये, परपुजलसंगदूरेगमिये, सुगुणसुधार जोजी सु० // 2 // कालअनादिपरपरणतिमे, नानामुखसह्याच्यारगतिमें Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , घाणीपशुदियाम (212.) अबप्रजुदरसणपायोरतिमें, अनुन्नवसंजारजोजी सु० // 3 // देशमेवाममेतीरथहोवे, करेमापारसनाथ प्रनुसोहे, प्रनुदरसण नविजनमनमोहे, सुखसंपतिकारजोजी सु० // 4 // जगणीसे शुलअसीवरसे,मेरुतेरसदरसणसरसे, श्रीजिनकृपाचंजसूरिफरसेआवागमननिवारजोजी सु० // 5 // इतिसंपू०॥ श्री अजितनाथजगनाथ नविजनकाजसुधारन वाले जितशत्रुराजाकेनंद विजयामातामनानंद वैशाखशुदितेरसजिन चंद मातुनदरअवतरणे वाले श्री० // 1 // माघशुदिाउमजनुजाण सुरपतिसेवासारेमनाण, जाणीकेप्राणसमान, सवजनतारणवाले श्रीअ॥२॥ माहशुदिनवमीसंयमलीनो, नव्यमनोरथकीनो पोषशुक्नग्यारसनीनो केवलज्ञानपानेवाले श्रीअजि॥३॥चेतशुदितीजनिर्वाण, .सुखअनंतपायोपरधान, सादिअनंत स्थिति महिराण,लव्यमनोरथपूरणवाले श्रीअजि०॥४॥ गजलंउनप्रजुनोपहिचान बहुतरलाखपूरवायुजाण साढाच्यारशतधनुषप्रमाण देहमानधराणेवाले श्री० // 5 // सोवनवरण सरीरसोहंत पंचाणुगणधरमहंत चनविहसंघसेवासारंत कृपाचंदसूरिजयकरणेवाले श्रीअजि० // 6 // इति शांतिजिनंदनेसेवोरेमनवा शांतिजिनंदनेसेवो मनवांछितफललेवोरेमनवा इतिजि एकमि नयरह स्थिणापुरदक्षिण जरते, विश्वसेनमहाराजा, अचिराराणीगुणमणीखाणी,बाजेजगजसबाजारे मा शां० // 1 // सर्वारश्रसिद्धथीचबियास्त्रामी, मातुनदरअवतरिया, जाज्ववदिसातम नरणीये, सहुजनकारजसरीयारे मशां० ॥२॥रयणीयेसुखसेजेसूति चलदेसुपना मनारथकीनो Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (213) देखे, सुकुलीनीततखिणजागृतथई, जनमकृतारश्रलेखेरे मण्शां // 3 // जेठवदीतेरस प्रनुजनम्या, त्रीनुवनमेन्द्योत, मात्र महोत्सवमेरु शिखरपर, इंधकरे सुश्रोतरे मशां ॥४॥राजा घरमंगलजयकारी, पुत्रजनमनचरंग,गर्नमांहि प्रन्नुमारिनिवारी, तिण शांतिनामसुखसंगरे म शां० // 5 // कुमरपणेपचवीस सहस, वरसवस्यासुखवास, मंगलीकचक्रीपदपाली, एटलावरससहुखासरे म० शां० // 6 // जेठवदिचउदसशुलवारे संजम प्रनुजीलीनो, एकसहसराजापरिवारे, चोथो शानमननीनोरे म शां० // 7 // करमशत्रुनेजीपवाकारण विचरेपरमदयाल, पोषसुदिनवमीनंदीवृदतले, केवलपाम्योरसालरे म शां० // 7 // समवसरणमे चऊमुख जिनवर, देशनादेंमनुहार, संघ चतुरविधथापीजगतगुरु, कीनोजगतनपगाररे म शां // ए॥ मृगलंचनविराजितप्रनुजी,गरुमयसेवासारे,शासनसुरी निर्वाणी अनुपम, वांगितदेनिरधाररे म शां० // 10 // लाखवरसप्रनु आयुसपाली,समेतशिखर शिववरिया श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवी, निजगुणनिरमलकरियारे मन शां // 11 // इति / सुनोशीवपुरस्वामी अंतरजामी सारोअमारोकाज अन्सोलम जिन अचिराजीकेनंदा, विश्वसेननरराज,सुखस्वरूपधारकसुखकारक, तीनन्नुवनसिरताजरे सुनो॥१॥ जनमसमय प्रनुमारिनिवारी,शांतिनामसुखसाज,जगतजीवजीवनसुखकारण,प्रगटेगरिबनिवाजरे सु० // // महागोपमहामाहणजगपति, नीरया मकजिनराज, नवअटविसत्यवाहसुहंकर, प्रजुदरसणलह्यो Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (15) आजरे सु०॥३॥ मांझवगढपतिशांतिजिनेसर,श्रीसुपार्श्वमहाराज, जगणीसगुणयासीमेरु तेरसदिनसुसमाजरे // 4 // सुप नावनले प्रनु नेटियारे, इंदोरसंघकेसाज, जिनकृपाचंसूरिसदा प्रनु सेवाश्री शिवराजरे // 5 // सु० इति अट्ठाइनो छढालियो। वीरजिणिंददिणेदसम / प्रणमुं धरिने नेह / पर्युषण विधिवर्णदुं / सांजलो नविजन तेह ॥१॥त्रणचोमासी अतिनली। उली बे कहेवाय / पर्युषण बहीनली / अाई सुखदाय // 2 // इन्जादिक सुरवर मिली। बीपनंदीसरजाय / व्यत्नाव पूजा करै / तन मनथी लयलाय // 3 // ढाल पहिली गरबो। सुणो प्रीतमजी प्रीतकी रीत अनीततजी चितधारिये / ए देशी। सुणसाहेली ? पर्वपजुसण पुण्ये आव्या जाणिये, सखि ? वीरजिनेसरसासन जै, जयवंतो जगमा लासन छ। त्रणजगमां एज सुखासन जै, सुणसा // 4 // सखि ? पर्वपजुसणाव्याचे, जविजनने मनमा जाव्या, सहुसंघने अधिकसुहाव्याचे, सुणसा० // 5 // सखि० ? इंसादिकदेवमतीसंगे नंदीसरजावै मनरंगे, प्रजुन्नक्तिकरै अतिउमंगे सुणसा० // 6 // नंदीसरपाठमो दीपजाणो, वलयाकारमनमां बाणो, बाबनदेरासरजिनजाणो, सुणसा // 7 // अंजनगिरीच्यारे जिहांराजे, चोरासीसहस ऊंचा गजे, अंजनवरणा ते विराजे, सुणसा // // च्यार दिशि तेहने सोहे, वावच्यारेंदधिमुखहोहे, दधिवों नविनां मनमोहे, सुणसा॥ ए॥विदिशिमां रतिकर कहिये, दोय दोय संख्या लहिये, लालवरणविसरदहिये, Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (15) सुणसा // 10 // एकदिशि तेरहजाणो, चिर्दू दिसिनां बावनमाणो, जिनचैत्यजुहारे सुरराणो, सुणसा० // 11 // पर्युषण पर्व आव्यांजाणी, जिनवरनीनक्तिमनाणी, करेश्रावक अतिनवटाणी, सुणसा // 1 // जिमनंदीसर सुरपतिसेवै,तिमश्राबक सुविधि लेवै, कृपाचन्प्रसूरिनिजगुणवै सुणसा॥१३॥ // ढाल बीजी // ॥ज्ञानादिकगुण संपदारे ए देशी // आस्रबपांचनिवारजोरे, पर्वपजुसणजान, कषायशत्रुदल वारजोरे, धारज्यो जिनवरध्यान सुझानी धारज्योरे, धारज्योपरवप्रधान // 14 // प्रथमअहिंसकपणोधरोरे, जीवरक्षाकरो सार, अमारीपमहवजमायनेरे, सासनसोनवधार, सुधा // 15 // मृषावाद बोलो नहीरे, अदत्तनोकरोत्याग, मैथुनविरति आदरोरे, जिनधरमेंदृढराग सुधा० // 16 // परिग्रहपरिमाणकीजियेरे, तृष्णासेतुसमान, एपांचेआस्रवतजोरे, यथाशक्तिसुखखान, सुधा० // 17 // कषायच्यारनिवारिनेरे, दमाप्रमुख दिलधार, अंतररिपुनेजीतवारे, पर्वसेवोनिरधार, सुधा० // 17 // सामायक पोसहकरोरे, दानादिकयोसार, पर्युषण पुण्येावियारे, आराधोसुखकार, सु० धा० // 15 // अजयदानअरिदमनोरे, सुणो कथानकसार, सूरिकृपाचन्छसेवतारे, पामे लवनो, पार सु० धा० // 20 // // ढाल तीजी॥ // कपुरहुवेअति ऊजलोरे ए देशी॥ परव पजुसण सेवियेरे, शुचिकर मनपरिणाम, देवगुरुवा Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (16) राधिनेरे, साधो धर्मनाकाम, चतुरनर, पर्वपजूसणजाण, अनुपमसुखनी खाण चतुर० पर्व // 21 // अव्यन्नावपूजाकरोरे, श्रीजिनलक्ति उदार, प्रनुपदपंकजनेटियैरे, त्रिकरणकरि एकतार, चतुर० // 22 // अव्यपूजाजिनराजनीरे, करतांपरित्तसंसार, सामग्री अग्ते करोरे, जिनदरसन दिलधार, चतुर // 23 // प्रनुदरसण पातकहरेरे, वन्दतांवांछितथाय, पूजतां हिमाकहीरे, आर्डकुमारनेजाण, सूरिकृपाचन्न सेवियेरे आख्यानकमनशाण, चतुर० // 25 // // ढाल चोथी॥ // प्रभुपासनोमुखडोजोवा ए देशी // आदेशमाहेनगीनो, आरदनगरसोहै सुखसीनो, आर्षकराजानेराणी, आर्षकुमर गुणखाणी, सुणो नविकजनप्राणी, जिनदरसण महिमावखाणी // 26 // मगधदेशराजगृह गजै, जिहांश्रेणिकराजाबिराजे, अजयकुमारमंत्रीश, च्यारबुद्धितणो चै ईश, सुणो० // 27 // आर्षकश्रेणिकनेप्रीत, परंपराये विदीत, मंत्री तिहांआवैजावै, आपकुमारनेटणोपगवे, सुणो० // 27 // अजयकुमारबुद्धिप्रकाशै, जिनप्रतिमाजेलबासे, जिनमुत्राअलुतजोवे, जातिस्मरणानेहोवे, सुणो // 2 // कुमर वाहणमांबेसी, आर्यदेशाव्योमनहर्षी, दीवालीधीमनचंगे, श्रया प्रत्येकवुघनमंगे, सुणो० // 30 // खड्गधारासमब्रतपाले, अतिचारपंकपखाले, श्रीमतिनेपूर्वनवसंगे, रह्या चोवीसवर्षऊमंगे, सुणो० // 31 // पश्चात्ताप करीनेब्रतलीनो, Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) शुधधर्मे दृढमनकीनो, राजग्रहसाहमांजावै, बिचबौधादिकने हावे, सुणो० // 32 // बिचगोशालेने हरावी, हस्तीतापस समजावी, श्रेणिकने अन्नयकुमार, वन्दनाव्यादिलधार, सुणो० // 33 // श्रीवीरनाचरणसेवीने, मुनिजन्मकृतारथकीन,जिनकृपाचन्जसूरिसैवे, नवियणजगमां जसलेवे सुण // 34 // ढाल पांचमी // // मनडोमोडोरेमनमोहनजी ए देशी॥ पर्वपजसणावियानविप्राणीजी, एतो आराधोगुणखाण, पर्वआराधोरे न० // 35 // बच्श्रमादितपकरो, न पह मासखमणसुखकार, पर्व ज० // 36 // अमारिपमहवजमाविने, जवि सर्वजीव प्रतिपाल, पर्व० ला // 37 // सूर्ययशाराजापरे, न सेवो तप दृढचितलाय पर्व० ज० // 30 // अयोध्यानगरीनोराजियो न लरतपुत्र त्रिखंमप्रतिपाल, प० न० // 35 // इंऽ प्रशंस्यो तिणसमे, न उर्वशीरंजाइहांआत, प० न० // 40 // विद्याधर कुमरीबनीन परणीराजायेचित्तचाह, पर्व० ल॥४१॥ लोगविलासललीपरे, ज० कालवीत्योनविजाएंत, प० न० // 52 // पमहसांजलीवीनव्यो, जा राजानैकारणतेह, प० लम् // 13 // पर्वाराधनफलकह्यो, न चूकाव्योनविचूक्योएह, प० ज० // 45 // तपनहिंलोप्योजावधीना सूर्ययशामहाराज, प० ज० // 45 // प्रतिज्ञा चूकीउरवसी न इंआव्योसुखसाज, प० नम् // 6 // मुकुटादिकजूषणदेई, न स्तवनाकरीमनोहार, प० न॥॥ इं गयो स्वर्गतदा न वोजयजयकार, प० न० // 4 // Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) पारीसा-जवनमेंऊपनो, न केवलज्ञानउदार, प० न ॥४ए॥ लव्यकमलप्रतिबोधिने, न पाम्योशिवसुखसार, प० ज० // 50 // पर्वपजूसणवर्णव्यो, ज. जिनकृपाचंसूरीश, प० ज० // 51 // ॥ढाल छट्ठी॥ // कलश धनाश्री देशी॥ गायोगायोरेनविपर्वपजूसणगायो, तीर्थोमांशत्रुजयमहिमा, नवकारमंत्र सवायो, दानमांप्राणिदयादिलधारो, पर्वमाहिकहवायोरेन प॥५॥ लौकिक लोकोत्तर बहु नेदे, पर्वघणाचित्तलायो, सहुमांचिन्तामणिसमजाणो, एहमांमनहरायोरे ना प० // 53 // शुक्ल प्रोगणीसेनहोत्तरवरसे, श्रावणसुदि मन. जायो, पारसनाथ निर्वाण दिवसे, पर्वमहातमगायोरे जा प० // 55 // खरतरगढ जिनआणाधारक, जिनकृपाचनप्रसू. रिरायो, सुरतबन्दररहिचोमासो, एअधिकारबनायोरे ल. प० // 55 // अगहि स्तवनम् सं० श्रीमहावीर स्वामीना कल्याणकनुं स्तवन // सिधारथकुलदिनमणि, त्रिशलामातसुजात / महावीरगुण वर्णवं, त्रिजुवनमें विख्यात // 1 // कट्याणक वर्णनकरं, शास्वतणेअनुसार सावधानथई सांजलो, श्रोताजनसुखकार // 2 // श्णश्रवसर्पिणीकालमां, तीर्थकरचोवीस, जव्यकमलप्रतिबोधता, विचर्याजगना ईश // 3 // Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवतर्या, सावनेनु, आषातकरवासकारे वादातसु (२१ए) // ढाल 1 ली॥ // संभवजिनवरवीनती ए देशी // जंबुद्धीपनाजरतमां, माहणकुंमगामजाणोरे / रिषनदत्त ब्राह्मण वसे, कोमालगोत्र कहवाणोरे // 4 // सुणो नविक जिनचरित्रने, सुणतांपापपुलायरे, निजगुण निर्मलकारणे, एहिज प्रथम उपायरे सु० // 5 // रिधिवंतजगपरगमो, देवानंदातसुजजारे, जालंधरगोत्र धारणी, सुकृतकरवासजारे // 6 // प्राणतथीचविनेप्रनु, आषाढसुदिउदिवसेरे, माताजयरेअवतर्या, सुहणा लाधा रलसेरे सु०॥ 7 // जाग्रतथई सुहवाग्रहै, सैजयीऊठीआवैरे, प्रीतमपासैविनयकरी, चवदेसुहपासुनावैरे सु० // 7 // माहाण सुणी हरषित अयो, अरथकहेशुनचित्तैरे, पुत्ररत्नहोस्येसही, पामशोबहुविधवित्तरे, सुन ॥ए // निसुणीअति प्रमुदितथई, देवानंदासुकुलिनीरे, सूरिकृपाचश्मवदे, सहजस्वनावमां नीनीरे, सु० // 10 // // ढाल बीजी॥ ॥जिमजिमएगिरिभेटीयेरे ए देशी॥ पहिलेदेवलोकनोधणीरे, शक नाम सुरराज, सनेही, अव. धिज्ञानश्रीजाणीनेरे, चोवीसमजिनराज, स० // 11 // लावधरीनेलविजनारे, निसुणोएअधिकार स० देखेअबधिदर्शनेरे, आनंदपाम्यो अपार, स० // 12 // उठ्योसुरपतिबेगधीरे, सात आठपगसाहमोजाय, स० नमनकरेत्रिकरणकरीरे, शुधनावचित्तलाय स ना० // 13 // नमोत्थुणंकहीवांदिनेरे, बैठोसिंहासणाय, स सुरपतिनेमनऊपनोरे, विकटपएह Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) कहिवाय साला॥१४॥ तीनकालमेंनहिडुवेरे, एहवोएहबनाव स. अंतादिककुलमाहिनैरे, तित्थयरादिनाव सना॥१५॥ नीचगोत्रना उदयधीरे, एहबन्योअधिकार स उग्रादिक कुलमां सहीरे, संक्रमा जिनसार,सना॥१६॥ श्मचिन्तवीसुरेश्वरुरे, हरिणेगमेषीबुलाय, स० दशअनेरासुणायनेरे, आझादे सुखदाय, स० ला // 17 // हरिणेगमेसीइहांआई नेरे, बेईमनुने हितकार, स० सिघारथ राजाघरेरे, त्रिशलाकूखैअवतार, स० ला // 17 // आसोजवदि त्रयोदशीरे, उत्तराफाल्गुनीजाण, स तयासी मेंदीन नाथजीरे, संक्रमाव्या हित आण, सः // 15 // कल्याणक बीजो स्तव्योरे, कहपसूत्रमनधार, स० जिनकृपाचन्छसूरिशास्त्रमारे, एहकह्योअधिकार, // ढाल त्रीजी // // हारेमारे ठाम धरमना० ए देशी // हारे मारे क्षत्रियकुंम नगर नगीनो जाएजो, राजारे तिहां सिधारणक्षत्रियवसेरे, लो हां त्रिशलाराणी गुणमणिखाणी एहजो, रयणीये सुखसेजमां सूतीतिणसमेरे, लो० // 21 // हा० चवदे सुहणा देखीजागीतामजो, राजानेजश् पूलै निपुणाअर्थनेरे लोक हां० राजाताजा थया इणवयणै जोरजो, निजबुधिअनुसारे नाषे शुलअर्थनेरे, लो॥२२॥ हां जिण दिन श्राव्याकूखेजगनानाथजो, तेदिनीघणी वृद्धिथई राजा. Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (221) हां त्रिशलाराणी मनअकुलाणी त्यारजो, शोकातुरई मूर्चितश्रावे तेहवेरे, लो० हां हानथीजाण्यो मातातणो विक हपजो, प्रनुजी चाट्या एकदेशीजेहवेरे, लो॥२४॥ हा हर्षितथश्ने राणीकहे सुहेणजो, पारसनाप्रप्रसादे मुजवंचित मावित्र जीवतां दीदानविलेवीमयारे, लो० // 25 // हां, संपूरण गर्नस्थितिसुखकारजो चैत्र सुदीतेरसने जन्म्यानाथजीरे, लोप हा त्रणजगमांहि वरत्यामंगलमालजो, श्रीजिनकृपाचनप्रसूरि शिवपुरसाथजीरे लो० // 26 // // ढाल चोथी॥ // दशमे देशावगासीकारे ए देशी // जन्मसमय जिनराजनेरे, दिशि कुमरी आवंत, सूतिकरम. करैलावधीरे, इन्सासन चालंत, सुणोजवियणजणारे, सुणतां. अधिक आनंद, सु० // 27 // अवधि प्रयुंजे सुरपतिरे, जिन जन्मोत्सवजाण, आवेशद्धिविस्तारीनेरे, नाव अधिकदिला . सु० // 20 // सिघारघर आवीनेरे, जिन जननी प्रणमंत पांचारूपकरी अनुग्रहीरे इन्जमेरुपोहचंत, सुध // 25 // चोप सुरपति तिहांमध्यारे, स्नात्रकरणने काज, तीर्थोदक कला जरीरे, नवरावेजिनराज, सु० // 30 // अष्टप्रकारीपूजाकीरे मातापासेलाय, रत्नवृष्टिकरीसुरपतिरे, दीप नंदीसरजाय. सुध // 31 // राजाघर अोचव घणोरे, प्रनुजन्म्यासुखकार, वृद्धिथई नाम थापियोरे, वर्धमानहितकार, सु० // 32 // कुमरपणेप्रजुगुणनिधीरे, चारअतिशय सुखदाय, श्रामलकी क्रीमा Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (222) समेरे, महावीरनाम श्राय, सु० // 33 // नेसालेजश्श्रावियारे, परण्याराजकुमारी, मातपिता स्वर्गेगयारे, दीक्षाथीदिखधारी, सु० // 34 // लोकान्तिक सुरवचनश्रीरे, देवेवरसीदान, मागसरवदी दशमीदिनेरे, ज्ञातवनषंमउद्यान, सु० // 35 // चोस इन् उत्सवकरेरे, दीदालेवेजिनराज, सूरिकृपाचन्ज सेवियेरे, तुर्यकत्र्याण सुखसाज सु० // 36 // // ढाल पांचमी // // अजितजिणंदमुं प्रीतडी ए देशी॥ प्रनुजीसंजमलेश्ने, बमनागीहो विचर्याजगनाथके, परिस. हसहताश्कमने, दमाधारैहो सहुजीवनेसायके, प्र० // 37 // बारेबरसम्मासबलि, एकपदनोहो बदमस्थनोकालके, रहीनेप्रनु केवललह्यो वैशाखनी हो दशमीनजवालके, प्र०॥३०॥ वैशाखसुदी अगियारसे, पावापुरी हो आव्या सुरसायके, समवसरणसुरवररच्यो, तिहां वेगहोत्रणजगनानाथके, प्र० // 35 // इन्धनूत्यादिकगणधरु, एकादशहो थाप्या गुणगेहके, संघचतुर्विध जगजयो, जिनवाणी हो बूगेअमीरसमेहके, प्र० // 40 // चौत्रीसअतिशयशोलता, नूमंमलहो विचरे जगलाणके, नव्यकमलप्रतिबोधता, शिवंकर हो सहु जीवना त्राणके, प्र० // 41 // तीस गृहिकेवलिपणे, बेतालीस हो श्रमणपर्यायके, बहुतरवरसनोआखो, पालीनेहो पावापुरीआयके प्रनु० // 42 // कातिवदिअमावसे, स्वातिनदत्रहो चन्नोसंयोगके, पाउलीराजेशिववर्या, सादिश्रनंतहो लह्योसुखनो नोगके प्र० // 43 // इनविधप्रनुना वरणव्या, Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (23) कट्याणक हो षट,अतिहि उदारके, श्रीजिनकृपाचनजसूरिजणे, मुजहोज्यो हो आगमनो आधारके, प्र० // 4 // कलश सुनप्रव्यमुनिनिधिचन्यवरसे नाव शुदि एकमसमे, श्रीवी. रजिनवरत्नविकसुखकर, कट्याणक शुलसंगमे, शीतलजिनेसर चन्जानुवर सुरतबन्दरसुखवरु, जिनकृपाचन्नसुरीन्जसेवो धर्ममंगल हितकरु // 45 // इति उक० सं०॥ ॥श्रीमहावीरस्वामीना सत्तावीसभवनुं स्तवन // स्वस्तिश्री संपदकरण, हरणताप पुःखदंद, प्रणमिपास जिणंदने, जिनगुण गाउं अमंद, // 1 // वीरजिणंद दिणंदसम, शासनके सिरदार, अलियविघन दूरेहरे, नमिये वारंवार // 2 // गौतमस्वामीआदिने, त्रिकरण करुं प्रणाम, लब्धिसिद्धिदायक सदा, सारेवांचित काम // 3 // सुयदेवीसुपसायले, वर[वि. विध प्रकार; वर्धमान जिनचंदना, नव सत्तावीस सार // 4 // ढाल पहेली-जगजीवनजगवालहो ए देशी / वीरजिनेश्वर वंदिये, शासनपति सुखकार, लालरे, माहणकुंम नाम नयरमां, शषनदत्त गुणसार, लालरे, वीर० // 5 // माहणकोमालगोत्रनो, देवानंदा सुजाण, लालरे, पत्नी शीलगुणेकरी, शोजितगुणमहिराण, लालरे, वीर // 6 // आषाढसुदि बनी दिने, चविया स्वर्गथी ईश, ला० उत्तराफाल्गुनी तिणसमे, ऊपनाकूखे जगीश, ला० वी० // 7 // चवदेस्वप्ना देखीया, देवानंदासुप्रधान, ला जाग्रतथईपतिने कयां, अर्थग्रहेसुजान, ला० वी० // // पत्नदत्त ब्राह्मणलणे, सुतहोस्ये गुणखाण, ला सर्वकला ग्रहशे मुदा, सूरवीरमनप्राण ला Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (25) वी० // ए॥ चनवीसमजिनऊपना, नवसत्तावीसकीध, ला तेवर[संखेपथी सुणतांकारजसिझ, ला० वी० // 10 // जंबू दीपमांजाणीये, पश्चिम विदेहमकार, ला प्रतिष्ठानपुरमावसे, नयसारनामजदार ला० वी० // 11 // कणवारियो गामालेई, काष्टलेवा वनजाय, लाम् साधुकेई तिहां आविया, वांदि जने, धर्मसुण्यो चित्तलाय, ला समकितपामिने मुदा, मार्गे मुनिपोहचाय, ला० वी० // 13 // कालअनादि नमतांथकां, नवसंख्या न लहंत, ला० समकितथी नवजाणिये, तेह कई देवलोक जाय, ला जिनकृपाचन्मसूरि कहे, बीजो नव कहिवाय, ला० वी० // 15 // // ढाल बीजी॥-श्रीयुगमंधरजीनेकहेजो ए देशी॥ सांजलो नविजन मनरंगे, वीरप्रनुना नव उमंगे, सां० जंबुद्धीपमां है गजे, जरतक्षेत्र दक्षिण राजे, नगरीअयोध्यादीवाजे, सांग // 16 // रिषनदेव राजा सोहे, जरतादिक शतसुत होवे, लोकस्थिति जगजनबोहे, सां // 17 // नरतने विनीतानो राजदेवे, पुत्रनामांकित देश होवे, आदीसरदीदालेवे, सां० // 17 // सहसवरस संजमपाली, केवलपाम्यो करमटाली, समवसरणस्थिति नीहाली, सांग // 15 // जरतगया वन्दनकाज, मरुदेवीपाम्यो शिवराज, चन विह संघ थाप्यो शुजकाज, सांग // 20 // जरतनो पूत्र मरीचिजाणो, त्रीजो. नवए कहेवाणो दीवानोआव्यो टाणो, सां० // 21 // Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (225) संजमश्री चुक्यो तेणे, त्रिदंमीवेसे एणे, समवसरण बाहिर खेणे, सां० // // नरत पूरे प्रन्नुनेवारु, केटला थासे जगतारु, अवसरपिणिमां सुखाकारु सांग // 23 // तीर्थकर चोबीसहोवे, बारचक्री पमुहाजोवे, नविजननां संशयखोवे, // 2 // समवसरण जिनजीव कोई, प्रनुजी कहै मरीचि होई, जरत श्राव्यो वंदनसोई, सां० // 25 // मरीचिने वन्दना करीने, वासुदेव चक्री सरीने, तीर्थकर थासे नवतरीने, सां० // 26 // तीनकाल जिनवरगमिये, सरीखाथी तुजने नमिये, नरत कही निजघरगमिये, सां० // 27 // चक्रीपिता माहरो आजै, पितामह जिनपति गजै, वासुदेवअधिको राजै, सां० // // माहरोकुल अधिकोसोहे, गोत्रमद कर्यों मनमोहे, नीचगोत्र बांध्यो होहे, सां० // ए॥ पंचमदेवलोके जावै, चोथो नव ए कहवावै, जिनकृपाचन्दसूरिगावै, सा०३०॥ // ढाल त्रीजी // स्वामी शरीर सोसाई गयो ए देशी // __ पांचमेजवब्राह्मणकुले, तापसथईने स्वाम, देवजव पामी करी, ब्राह्मणनवथयो आम, // 31 // कर्मतणीगतिजाणीये, कीधाकर्म प्रमाण, ब्राह्मण व देवना, सोलेसर्व ए जाण // 3 // बहुसंसार भ्रमणको, राजगृहनगरमकार, चित्रनंदी राजा तिहां, प्रियंगुराणी मनुहार, क० // 33 // विशाखजूति युव. राजने, धारणी कूखे सूजाण, विश्वजूतिनामऊपना, सतरमेंनवमन आण, क० // 34 // राजकुमरने कारणे, दीक्षामें चित्तसाय, नियाण करिने अढारमें, देवनवमां जाय, क० // 35 // तिहांथी चवि पोतनपुरे, प्रजापतिराजन, मृगावतीकूखे उपनो, बृ० स्त० 15 . Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (126) सातस्वप्न प्रमाण, कम् // 36 // त्रिपिष्ट' नाम कुंवर थयो, जगणी सम जव एह,त्रणखंनो राज्य लोगवी, सातमी नरके तेह कप // 37 // इकवीसमें नव सिंहथयो, बावीसमें नरके जाय, नाना नवकरी तेवीसमें, चक्रीपदनेपाय, क // 30 // देव जव चोवीसमें, पचीसमेंनंदनराय, दीदालेई सेवन करी, वीस थानक सुखदाय, क // 35 // तीर्थकर नामबांधिने, देवलोक दशमें मांहि, वीसमें नव ऊपना, कृपाचन्मसूरि सांहिं क० // 40 // // ढाल चोथी यतनी॥ देवलोकथी चविनेस्वामी, देवानंदाने मनरामी, ऊपना सदुने हितकामी, सलूणा, वीर जिनेसरगावो, एतोमणिमोतियमेवधावो, सलूणा, वीर० // 41 // सुखसेजे सुपना देखे अनुक्रमथी तेसुविशेषे, निजजन्मगणे तब लेखे, स० वी० // 4 // निज प्रीतमपासेजावे, फलपूठीने हरखावे, पाठी निज सेजमें आवे, स० वी० // 43 // देवानंदाहरख जराणी, धर्मजागरिका गुणखाणी, करे सखियो सहित जलसाणी, सण वी० // 4 // तिणसमे सौधर्मइंद, अवधिथी जोवेजिणंद, शक्रस्तवकरेसुखकंद, स० वी० ॥४५॥श्म वांदी सिंहासण वेसे, चिंतवतां संशयपेसे, जिनन्नक्तिकरी शुखलेसे, स० वी० // 46 // हरणेगमेसीने बोलावे, दश अछेरा समजावे, शुन गर्नसंहरण करावे स० वी० // 7 // हरिणेगमेषी वैक्रियकरीने, तिर लोकमां आव्यो सरीने, अशुल पुजल सब हरीने, स० वी० // // आश्विन वदि तेरसराते, उत्तराफाल्गुनी चविख्याते, संक्रमाव्या देवनिजहाथे, स० वी० ॥धए॥ Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (17) क्षत्रियकू नगर नगीनो, सिद्धार्थ राजासुखजीनो, त्रिसला. राणीमनलीनो, स० वी० // 50 // त्रिसला माता मनरंगे, चवदे स्वपना चितचंगे, देखे मनधरीय उमंगे, स० वी // 51 // सिंह हाथी वृषन लबी माल, चंज सूर्य ध्वज कलस विलास, सर समुज विमान रसाल स० वी० // 5 // रत्नराशी अग्निशिखाहोवै, चवदे स्वप्ना माता जोवे, देखीनेजाग्रतहोवै, स० वी० // 53 // अर्थ पूरे त्रिशला राणी, सुतरत्नहोस्ये गुणखाणी, जिनकृपाचन्मसूरिवखाणी, सवी // 4 // // ढाल पांचमी // साहिब शिव वसीया ए देशी॥ सिधारथ राजाघरेरे, आव्याजगनानाथ, प्रनुमुजमनवसिया, मनवसीयामुजदिलवस्यारे, शिवपुरकेरासाथ, प्रा // 55 // बीजो कट्याणक थयोरे, दिवस बयासी बाद, प्र० त्रिशला उदरेआवियारे, शास्त्रघणासंवाद, प्र० // 56 // आचारांग गणांगमारे कट्पसूत्रमांपाउ, प्र० जो नहींमानेमोहथीरे, एह कर्मनोगत, प्र० // 57 // गर्नमें प्रनु निश्चलरह्यारे, माता शोककरंत, प्र० एकप्रदेशे चालतारे, माता घणीहरखंत, प्र॥५॥ मातापिताजीतां थकारे, नलेवं संजमनार, प्र० अनिग्रह लेश्ने, प्रतुरे, वृद्धिपाम्याजयकार, प्र० // 55 // चैत्रसुदितेरसदिनेरे, जन्म्याजगतदयाल, प्र० जिनकृपाचप्रसूरिजणेरे, वयोजयजयकार प्र॥ 60 // . ॥ढाल छड़ी॥. . // माने संसार सेरी वीसरीरेलोल ए देशी॥ म्हारे जगतसुहंकर नाथजीरे, लोय, दिशिकुमरीआवेतत. Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) खेवजो, जन्मोत्सवकरे सुरपतिरेलोय, मातापासे लावेसुहेजो म्हां // 61 // वृद्धिथतिणकारणेरेलोय, वर्षमान नामदीयोतेजो, अनुक्रमे दीदाबादरीरे लोय, चारित्र पाट्यो शिव बेजो, म्हां // 6 // वैशाखसुदि दशमी दिनेरेलोय, सह्यो केवलज्ञानदिणिन्दजो, लोकालोकने जाणतारे लोय, विचरेजगनाथ जिनंदजो, म्हां // 63 // अनूत्यादि गणधरूरे लो थयाएकादशगुणखाणजो चनविहसंघसुपरिवर्यारेलोय, नविकमलना बोधकजाणजो, म्हां // 6 // // कार्तिकवदि अमावसेरेलोय, प्रनुपाम्यामुगति सुखकारजो, कट्याणक उचो अयोरेलोय, जिनकृपाचन्प्रसूरि जयकारजो म्हां // 65 // कलश / शुनवरसरस 6, मुनि , निधि ए, चन् 1 (१ए७६) श्रावणसुदितेरसदिने, सुखकर जिनेसरना वखाण्या गुणगण आणंदित मने, खरतरगणेसर नविक हितकर सुरतबन्दरे गाइयो, जिनकृपाचन्मसूरि थुएयो हरखे नविकजनमननावियो // 66 // इति सत्तावीसनवनो बढालियो समाप्त // // ऋषभदेव स्वामीना तेर भवतुं स्तवन // . श्रादिजिणिन्द दिणेन्दसम, नविककमल विकसात / प्रणमुं पदपंकजसदा, सहुजगमें विख्यात // 1 // समकित पामिने प्रनु, नव तेरे जेकीध, ते सुणजो नवि इकमना, मनवांछित फल लीध // 2 // धन्नो 1, मिथुन 2, सुर 3, मह, ब्बल 4, ललितांग 5, वज्रजङ्गजाण 6, जुगल 7, सोहम प, वैद ए, अच्युत 10, चक्री 11, सब 12, जिनजाण Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२ए) 13, // 3 // नाममात्र ए नवकह्या, विस्तारथी कहुएम / सुणतांसमकितसंपजे, मनमाधरिने प्रेम // 5 // // ढाल पहेली चोपाईनी // जंबुद्धीपखेत्रपहिचान, महाविदेह पश्चिम प्रतिष्ठान, नगरे प्रियंकरराजान, धन्नो सार्थपति अनिधान, // 5 // वसंतपुरजावानेकाज, उद्घोषण करे दिनसाज, सहुनो निर्वाह होस्ये सही, आवोसाथ मनमांगहगही // 6 // धर्मघोष सूरि तिहां आवै, पंचसया मुनिवर सुहावै, सार्थपतीने धर्मलाल देश, वसंतपुरजावा अनुमति लेइ // 7 // सश्रवामोचाट्यो तिणसमे, मार्ग श्रोमो थोमो कापे गमे, टाटवीमांश्राव्या तिण काल, तेटलेप्रकव्योवर्षाकाल // // हरिततृण प्रकट्या त्यांघणा, पंकाकुल मारगजूतणा, नदीयां पर्वतथी उतरीने, मार्ग रोक्या नहिजाय तरीने // ए॥ सार्थपति पटवासके मांहि, सथवामो श्राप्यो तिण गहि, पर्वतनी गुफा फासु जाण, आचारज रह्या गुणमणिखाण // 10 // वंदी वचने गुरुसंजाल, घृतनो दानदेश् सुविसाल, समकितपाम्योरंगरसाल, वसंतपुर पहोंच्या ततकाल // 11 // सार्थपति समकित अनुसरी, तिहांथी चवि जुगलदेहधरी, त्रीजेनव सौधर्मेजाय, तिहांथी चविमहाविदेहै आय ॥१२॥पश्चिमगंधलावतीय होय, सतबल नर पति तिहांजोय, चन्जकान्ताराणीमनरळी, महाबल पुत्र थयो सुखकली॥१३॥ चोथो नव ए कहुँ चितलाय, महाबल विसयी घणो कहवाय, उदयशस्त पणजाणे नहीं, सुखमां मग्न सदातेरही // 15 // इकदिननाटक निरखेराय, सुबुधिमंत्रीगाथासं Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (230) जलाय, प्रतिबोधपामी संजमलियो, अणसण करी निजकारजकियो // 15 // ईशान देवलोक पंचमनवे, ललितांगदेवश्रयो त्यांहवे, स्वयंपना देवीत्यां जाण, धर्मिणी पूरवनव प्रमाण // 16 // बनवपूर्व विदेहमकार, लोहार्गलनयरे सुखकार, सुव जंघनृप लदमीवती, राणी पुत्रवज्रजंघसती // 17 // चक्रीपुत्री स्वयंप्रनाजीव, श्रीमतिनामे पुत्री सदीव, वनजंघ परण्यो स्वयंवरे, पुत्र प्रयोगे तिहां बिहुँमरे // 17 // सातमे जुगलिकउत्तरकुरु, आग्मे सौधर्मे सुरवरु, नवमें नवविदेहमकार, जीवानंद वैद्य सुखकार // 17 // श्रीजिनकृपाचन्छसूरि लणे, श्रोताजननिसुणो कमने, पांचमित्र तिहां बीजामट्या, सुखथीसहुना वांछित फट्या // 20 // ढाल बीजी। सुण बहिनी पियुडो परदेशी-ए देशी. ' एकदिनवैद्यना घरमांबैग, क्रीमाकरे सुखमांपेगरे, कोढीसाधु आव्योवरिता, वैद्यने निंदे हिलारे ॥२१॥सुणो नवियण सुगुणा जिनवाणी, शास्त्रमा एह गवाणीरे, साकरथी पण मीठी जाणी, अनुजव रसनी खाणी रे // 2 // वैद्यकहेदोय. औषधजोवे, तोही चिकित्साहोवैरे, अढीलाखसोनैयालश्ने, सेठनेहाटे जश्नेरे, सु० // 23 // गोशीर्षचन्दनने रत्नकंबल, वेश्नेमुनिपासपहुंतारे, खदपाकतैलनाप्रयोगे, मुनिनेकीधी सातारे सु० // 24 // सोवनवरण सरीर मुनीनो, करीने निजघर आयारे, सातक्षेत्रमा धनखरचीने, दीदाश्री मन लायारे सु // 25 // निरतिचार चारित्र पालीने, बारमें देवलोक Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (231) उपनारे, विदेहघुमरीकणी वनसेन, धारिणीदेखे चवदसुपनारे सु० // 26 // वैद्यजीव चक्रोग्यारमें, वज्रनालथयोराणोरे, बाहुसुबाहू पी महापीठ, पांचमो नृपपुत्र जाणो रे सु० // 17 // चक्रवर्तीतीर्थकरपासे, दीक्षा लेवे मित्रसंगेरे, वीसस्थानक आराध्योजावे, जिनकृपाचनप्रसूरि रंगेरे // 20 // // ढाल त्रीजी // संजमपाली ज्येजणाजी, सर्वार्थसिधे जायजी, बारमोनवएजाणीयेजी, तेत्रीस सागरनोआयजी // ए॥ सुणो नवि. जिनचरित्रनेजी, सुणतां पापपलायजी, जिनचरित्र वखाणतांजी, जवनवसुकृतथायजी सु० // 30 // जंबुद्धीपमा ददिणेजी, लरतक्षेत्र मनुहारजी, मध्यखंम श्वाकु नूमिकाजी, कुलगर सातसुखकारजी, सुप् // 31 // नानि कुलगर सातमोजी, मरुदेवाजसुनारजी, आषाढवदिचोथऊपनाजी, मरुदेवाजदरमांसारजी // 32 // उत्तराषाढाच जाणीयेजी, कल्याणक सुखकारजी, चवदेसुपनादेखियाजी, नानि राजा अरथ विचा दयालजी, सुरगिरे स्नात्रमहोत्सवेजी, करी लाया सुरपति वालजी // 34 // नाम दीधो ऋषनेसरूजी, सुरपतिकरे विधि जोरजी, क्रमथी राज्यपाम्यो मुदाजी, लोकस्थिति सुखसोरजी सु० // 35 // नगरी अयोध्या वसायनेजी, इन्जे आपी तेणजी, राज्य करे प्रनु तिणसमेंजी, कृपाचन्मसूरि सुखलेणजी सु॥३६॥ Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (235) // ढाल चोथी-श्रीसंभव जिनराजजीरे ए देशी॥ आदीसर जिनवरतणोरे, चरित्र कहुँ चितलाय, सुणो रंग रसीया, कला बहुतर शीखवीरे जरतादिकने सहाय सु० // 37 // सुणो सुणोरे नविक चितलाय, जिनपतिना गुणगाय, सु ब्राह्मी प्रमुख पुत्री जणीरे, कलासीखवीसर्व सु० जरतने राज्यलोलायनेंरे, दीवालीधी अगर्व, सु० // 30 // चैत्रवदीअष्टमी दिनेरे, कल्याणक त्रीजोजाण, बारमासीनो पारणोरे, श्रेयांस कराव्यो सुजाण सु० // 35 // अखात्रीज तेथी थईरे, लोकमांहि सुखखान सु० सहसवरस संजम पालीनेरे, सकटमुखउद्यान सु // 40 // घाति कर्मनो दय करीरे, केवल पाम्यो ईश सु चनविहसंघ थापीकरीरे, विचयों जगमां जगीश सु० // 41 // फागणवदिएकादशीरे, चोथो कट्याणक जाण सु० शत्रुजयशिखर समवसर्यारे, गणधरचोरासीमान सु० // 42 // पूर्वनवाणु जगनाथजीरे, समवसर्या इण गम सु० नूमंगल प्रनु विचरतारे, सार्यावांछित काम सु० // 43 // माघ. वदितेरसदिनेरे, अष्टापद सुखकार सु० दशसहसमुनि परिवयोरे, मोदगया दिलधार सु० // 4 // कट्याणकए पांचमोरे, गावो मंगल काज सु जिनकृपाचन्न सूरि लणेरे, पाम्यो शिवपुर राज सु०॥४५॥ कलश // संवत जगणीसे बिहुतर नाव वदि तृतीया दिने, सुरत बंदर रही चोमासो जिनगुणगाया शुलमने, शीतलवामी गुणप्रवामी सुपसायै शीतलजिन, जिनकृपाचन्जसूरि दाखे वत्तॊ मंगल प्रतिदिने // 46 // // इति ऋषल देवस्वामीना तेर नवनुं स्तवन / Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (233) / अथ श्री महावीर स्वामीनो पाळणो। सहियर वीरप्रन्नुनो जन्मोत्सव गावू रंगसुं, एतोगातां नवनवकेरापातकजाय, जगगुरु जिनवर जन्म जाणी जावे तिहां, प्रणमी माता नंदनलेश् हरखाय स० वी० // 1 // जगगुरु मेरु शिखरपर स्नात्रकरे सुरपति मलि, गावे इन्त्राणीमिल प्रनु गुणग्रामरसाल, वाजिनवाजै नाटिकहोवे नानानातिना, देवदेवीमिल स्तुतिकरै सुविशाल स० ॥२॥ज स्नानकरीने माता पासे लाविया, पालणेमें पधराव्या हरखी जगनानाथ, त्रिशला माता आनंद जरी दुलरावती, सुतगुणगाती निसदिनसहियरसाथ, स० // 3 // प्रनुजी पालणियेमें रमतां सुर सेवाकरे, इन्त्राणीमिल मोतियनचोक पुराय, ज० सुरकुमरी अतिरंगे नाटकनाचती, ढुंबना लेती उम उम पग उमकाय स० // 4 // जा जगजीवन जगपालक प्रनु जीवो सदा, एतो क्रोमदिवाली रहसो दीन दयाल, मारा प्राणजीवन प्रनु प्यारा तमने वीन,, नंदन वसजो मारा मनमामां चितलाय, स० ॥५॥ज माता त्रिशलाराणी नंदननो मुखजोवती, करती चुंबन वारणा निज हियझेमांलगाय, नंदन तारा गुणथी हुँ जगमां मोटीथई, माहरे तुहिज त्राता ताहरो सरणलेवाय स० ॥६॥नंदन मोसालेथी सुंखमीले आवसे, तेतो तुज मुख जोई थासे परम पवित्र, एतो चेमो राजा मनमां आनंदधारतो, तुज नानमीया मामी मलसे मित्र, स० // 7 // नंदन तुजगुण गाऊं रंगे रमाउँ हेजथी, तुतो इन्जाणीने वाहलो घणो सनाथ, नंदन ताहरापितातो सदु जगमां परसिया , जेनो नाम सिधारथ थयो तुज थी Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (234) सार्थ स० // // नंदन जगजन तारसो वारसों कर्मसंतापनें, शिव. रमणीने परणसो हाथो हाथ, नंदन चोवीसमजिनवर शिवसु. खकर जो तुमे, नंदन समवसरणमां बेससोपरषदासाथ स० ॥ए॥ नंदन चोसम इन्ज मलि तुम सेवा सारसे, नंदन प्रातिहारज आठ असे अधिकार, नंदन चनविह संघ थापीने विच रसो जूतले, तुमसेवाथासे नविजनने सुखकार स० // 10 // मातात्रिसला श्म गुण गावै रंगसु, जेनवि वीरप्रनुनो पालो गावे रसाल, श्रीजिनकृपाचंसूरि प्रणमें जिन चोविसमो, गातांसंघने निशदिन वर्ते मंगलमाल सु० // 11 // कलश // त्रण जगत सुखकर महिमसुंदर तीर्थकरचोविसमो, तास गुण वर हर्ष निरजर गावो नवि नव नहि जमो, शुनगनखरतर मुनिपुरंदर कृपाचनप्रसूरीश्वर, रसरिषि अंक चंज (1976) वर्षे नगर सूरत गुणवरु, // 12 // ॥इति चोविसमा जिननो पालणो संपूर्ण // // अथ श्रीपजुसणपर्वनी थुइ लिख्यते // वीरजिनेसर, जगअलवेसर राजग्रही समोसरियाजी। पर्वपजु सण श्ण परिलाखे / चनविह संघ परिवरियाजी, आषाढ चोमा. साथी पच्चासदिननी संख्याजाणोजी। संवरी पमिकमणो करिने आतमनिजघराणोजी॥१॥ दोय राता दोय धोला जिनपति। दोय काला दोय नीलाजी, लांउनवरणप्रमाण सुसोनित / सोले जिनवरपीलाजी। सतरे नेदीपूजाकरीने चैत्यपरवामीकरिजेजी। परव पजुसण पूरवपुन्ये / पाम्या लाल जाणीजेजी // 2 // कटपसूत्र निजघरपधरावी। रात्रि जागो तिहां कीजेजी। वरघोमो Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (235) सजि संघ मलीने / सद्गुरुने आणी दीजेजी / नव ग्यारे तेरे वायण / सुपिने पुरगति वारोजी / पूजा प्रनावना सद्गुरुनक्ति करिने जन्म सुधारोजी // 3 // साहमीवचल करिये नावे / वारंवार उजमंताजी / के शीयल तप संयम पाले ! नाव अधिक जलसंताजी। श्राप दिवस पजुसणसेवो।जिमसेवे सुरईदाजी / सुयदेवीसुपसायेजाखे जिनकृपाचन्न सूरींदाजी // 4 // // इति श्रीपजुसणपर्वनी थुइ संपूर्ण // पर्युषण स्तवन / पर्वपजूसण पुन्ये पामीयारे / आराधो सुमनावे सुजाणरे // जिनशासनमां पर्व वखाणियेरे लोकोत्तरगुणखाणरे / पर्व // 1 // अग महोव करे नंदीसरेरे / सहु इन्जादिक मनुहाररे / तिमन्नवि लावललेथी इहां करोरे। जिनपूजन सुखकाररे / पर्व० // 2 // पहिलेदिन उपवास नलिपरेरे / सांजलो श्राकुमार चरित्ररे / रात्री जागो करो पुस्तक तणोरे / ज्ञान नक्ति करो पवित्ररे / पर्व // 3 // दूजेदिन सहुसंघमिली जलोरे / वाजित्र हय गय रथ परिवाररे // पुस्तक उबवकरी गुरु पासमारे / आणीबापो सुखकाररे // पर्व // 4 // त्रीजेदिन सदु पुस्तक पूजिनेरे, सांजलो कटपसूत्र 'जिन' वाणरे // आश्रव पांच निवरो नविजनारे। पालो जिनवर केरी आपरे / पर्व // 5 // चोथे दिन चतुर चित्तमां धरोरे / जिन जक्ति विविध प्रकाररे / पूजा परजावना करी सासनतणीरे / सोना वधारो सुविचाररे / पर्व // 6 // पांचमे दिवस महोत्सव जन्मनोरे / वरते धवल मंगलसुप्रसिघरे / पालणो वीर प्रनुनो गाइनेरे / जिनवरत्नक्ति Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (136) करी जस लीधरे / पर्व // 7 // वीरचरित्र सुणो बछे दिनेरे / मध्याने पारस नेमि वखाणरे // आंतरा काल सांजली नावसुंरे। पञ्चानुपूर्वी करी सुजाणरे / पर्व० // // दिनसातमें आदि चरित्र वखाणतारे। निसुणो थविर तणो चरित्ररे / आउमे दिन समाचारी साधु तणीरे / सांजलो नवि कटपसूत्ररे / पर्व // ए॥ चैत्यप्रवामी संघ मिली करोरे / बूगे सुकृत केरो मेहरे // संवचरी पमिक्कमणामें खमावियेरे / उप श्रम करो गुण गेहरे / पर्व० // 10 // अमारी पलावी जीव यतना नणीरे / सासनउन्नति करो सुविनीतरे // इण परे पर्व आराधो नवि जनारे / कृपाचन्न शासननी ए रीतरे / पर्व // 11 // ॥इति पर्युषण स्तवनानि समाप्तानि // ।रोहिणीतप स्तवनं / // ढाल पहेली // ___ वर्षमानजिनवर नमी, सुयदेवी सुपसाय / रोहिणी तप विधीवर्ण, शास्त्रथकी चितलाय, // 1 // कट्याणक ओली जली, पंचम्यादि तपजाण / श्म बहुविध तपवर्णव्यो, तिम रोहिणी मन श्राण // 2 // हारे मारा गमधर्मना साढा पचवीसदेशजो // ऐदेशी // हारेसारे जंबूदीपमां नरतक्षेत्रमा नुहारजो, अंगदेशनगीनो सोहे अतिललोरेलोय // हां // चंपा नामें सुंदर नवली नयरीजो, वासुपुज्यनन्दन जगवन्दन नृपतिखोरे लोय // 3 // हां० // मघवाराजा जगतदिवाजा तत्थजो, कमला राणी सीयल सुहाणी रायने रे लो // हांग // सुखलो Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (237) गवतां पुन्यतणे परत्नावजो, बाउ पुत्र थया राणीमनमा नायनेरे लो० // 4 // हां० // तेजने ऊपर रोहणी नामे पुत्रीजो, मातपिता ने वाहली घणी ते ऊपनी रे लो० // हां // चंत्रकलाजिम पुत्री वधे सुदेणजो, पांचधाय करिपावतां योवनवयनीपनीरे लो॥५॥हां // सुरकुंवरी सम देखी राजा पुत्रीजो, वरचिन्तामनपेठीरायनेतिणसमेंरेलो० // हां० // स्वयम्बरामएमपमांड्यो पुहवीनाथ जो, देशदेशना भूपति तेड्या सुख समेरे लोय // 6 // हां वीतसोकराजानो नन्दन नाम जो, सोनागी गुणरागी कन्याये वयोरे लोग हां पूरवनवनापुन्यथी थयो विवाहजो, बहुली सम्पदा पामी कुंवर कारज सर्योरे लो० // 7 // हां // रङ्गरली श्रइ सदुपहोता निज गम जो, चित्रसेनने राज्यदेश संजम लीयोरे लो० // हां // बीत सोक नो नन्दन पामी राज्य जो, रोहिणी राणी साये सुख सम्पदपीयोरे लोग // // हां रोहिणीराणीने आठपुत्र चार पुत्री जो, पूरव जवना सम्बन्धथी आवी अवतर्या रे लो॥हा॥आउमापुत्रनो नाम दियो लोकपालजो, खोले मालशायराणी गोखे वारे लोग॥ए॥ हां क्रीमाकरें दम्पति नाना प्रकार जो, तिण समे एक नारी ने दीठी रोवतीरे लोग हां० दीनथ सिरपीटे नाना विलापजो, देखी ने अचरज पामी रोहिणी सतीरे लो० // 10 // हां राजाने कहे राणी नाटक जोरजो, एहवो तो मै कदिय नदीगे नाथजीरे लो, हां कहोनी मुछ्ने नाटकनो स्वामी नाम जो, जिन कृपाचं सूरि एहने सुकृत साथजीरे लो० // 11 // Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (230) ढाल दुसरी॥ देशी यतनी- तब राजाकहे सुणराणी, मदमांहीघणी जराणी, ए पुत्रमरे गलराणी, रोवे नेत्र नरापी, सलूणी बोलबिचारीबोलो एतो सहु जगने सम तोलो, सलूणी बो० // 15 // जब वीते तब जो कीजै, इमकहीने राजाखीजे, खोलेथी हाथमालीजे, खे कुंवरने नीचो नाखीजे सलूणी बो० // 13 // तब रोहिणी हसती बोले बालक किम नीचे होले, राजा मनमा मुख मोले, रोवे अति चिन्ता गेले, // सलूणीबो० // 15 // पमतो सुत सासणदेवे, सुकोमल हाथे लेवे, सिंहासन ऊपर सेवे, नाटक करि लुबना लेवे, सलूणी बो० // 15 // ए अचरिज सहुजन निरखे, राजाराणीमनहरखे, विस्मयलहि नरपति सरखे; सुत पूरबपुण्यने परखे, सलूणी बो० // 16 // राजा इण परि विचारे, कोई हानि गुरुपानधारे, तो एहसंदेह निवारे, जिन कृपाचप्रसूरि सुखसारे, // 17 // // ढाल तीजी // ।रंग रसीया रंग रसवन्यो मनमोहनजी ए देशी। - इकदिन ज्ञानि पधारिया, सुणो सुगुणाजी, वासुपूज्य स्वामीना अणगार, गवपतिश्राव्यारे सुणो सुगुणाजी, रूपकुंज स्वर्णकूलजी, सु० चउनाणीकरे उपगार, गढ० // 10 // राजा. दिक वंदन गया, सु० देसनादीधी उदार, ग० करजोमी राजा नणे, सु० रोहिणीनो अधिकार, गसु० // 15 // मुझमनश्रचरज अतिघणो सु कृपाकरी कहो सुविचार गठसु० पूरवः Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३ए) जव मुनिवर कह्यो, सु तेहसुएयो दिलधार, गब सु॥२०॥ जंबुषीपना जरतमांसु सिधपुरनगरकहवाय, ग सु० पुहवी. पाल राजा तिहां सु० सिधमती राणी सुहाय, ग सु० // 21 // श्कदिन क्रीमा कारणे, सु० चन्उद्यान में जाय, ग सुम् क्रीमा करता पधारिया, सु० गुणसागर मुनि महाराय, ग सु० // // मुनिने बांदी राजा कहे, सु राणी मुनिनेदेवोदान, ग सुविषयनी अन्तराय मानती, सु० कमवीतुंबी देश कीधो हेरान, ग सु० // 23 // कालधर्म पाम्यो मुनिवरु सु० राणीने काढी राय // ग सु० // सातमे दिन कोढ ऊपनो, मरी बनी नरकते जाय, ग सु० // 2 // नरकतीयंचना लवकर्या ॥सु० // श्म काल अनन्तो जाण ग सु० // श्रीजिनकृपाचन्प्रसूरि लणे // सु०॥तुमे न करो पाप सुजाण, ॥ग सु०२५॥ ॥ढाल चोथी॥ जिम 2 गिरिवर नेटियैरे तिम 2 पाप पुलाय सलुणा // एदेशी // ते राणीनव चक्रमारे, दुःख सह्या अनन्त, सलुणा तारापुरमाहे वसेरे, धनमित्रसेपमहन्त, // स // 26 // कर्म तणी गति जाणजोरे, कर्म करो नहिं कोय, स धनवती कूखे ऊपनीरे, बुगंधा नामहोय, स० // 27 // एक वणिकना पुत्रनेरे, परणावी सुरसाल, // स // पतिसंयोगे ऊबलीरे पुगंधता तत्काल, स० // 28 // त्रास पामीतेहनो धणीरे, परदेशे गयो नाश // स // ज्ञानि ने पूरे पितारे, फुगंधानो त्रास० // 25 // शानि पूर्वनवकहेरे, प्रतिकारपूखास, स०॥गुरु कहे रोहिणी तप करोरे, सातवरस सातमास, स० // 30 // रोहिणी नक्षत्रने Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (240) दिनेरे, चोविदारउपवास, स० // अम्पोहरी पोषध करोरे, वासुपूज्य पूजो खास, स५ ॥३१॥श्म रोहिणी तप आदरीरे, सेविविधि युत सार, स० ए ताहरी राणी अरे, रोहिणी नामे नार, स० // 32 // पूर्वलव रोहिणी तणोरे, हरखित थया सूणि तेह, स० // जिनकृपाचजसूरि सेवजोरे, धर्म धरि ससनेह, स० // 33 // ॥ढाल पांचमी। जश्ने कहजो झारा वालाजी रे ए देशी। राजा कहे मुनिराजने मारा वालाजीरे, रोहिणीतप विधिसार, गुणनिधिवंदिये, मा० तब मुनिवर तपविधिकहे, मा० चित्रसेनने रोहिणी नार, बिहुँ तप विधि सुणे, मा० // 34 // चन्ड रोहिणी दिन तपकरो, माग बारमा जिनवर सेव, करिये नावसु, मा० गुणनो करो गुरुमुख सुणी, मा० पांचसक्रस्तव देव, त्रिहुँ काल बांदिये, मा० // 35 // देवजुहारो देहरे, मा० प्रनुआगल वृदयशोक, करिये नावशुं मा नैवद्य नाना जांतिना, मा० प्रनुसन्मुख ढोवे थोक, चढते नावशुं, मा० // 36 // केशर चन्दन मृग मदा, मा पूजो प्रनु उन्चरङ्ग, नाना लांतशुं, मा० शाउमङ्गल प्रनु आगलै, मा० रचियें तन्मुल उजालचङ्ग, मुरित निवारणो // मा० // 37 // पुस्तकपूजो लावशुं, मा साधुसेवा करो सार, जवसागरतरो, मा देवो दान सुपात्र ने, मा० साहमीवत्सल अधिकार, करे मन रंगशुं॥ मा० // 30 // उजवणो कीजै नसो, मा० ज्ञानादिउपगरणकरे सार, नाना नातिना, मा० सत्तावीससंख्याकही मा० अथवा शक्ति तणे Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (241) अनुसार, धनखरचे घणो मा० // ३ए // ब्रह्मचर्य पालो मुदा मा० उत्सव विविधप्रकार, करिये उमङ्गसुं मा० शासण सोजवधारिने मा रथयात्रा सुखकार, चनविधसंघ मिली मा० // 40 // इणपरे रोहिणी विधि कही मा राजा राणी तीर्थकर पास, विधिसुं तपग्रहे मा० श्री जिन कृपाचन्मसूरि नणे मा० नव नव धर्म सेवो नवि खास, सर्वसुख संपजै मा० // 1 // // ढाल छठी॥ राग धन्यासरि , रोहिणी तप सेविने राजादिक, उजवणो कियो नावै, वासुपुज्य स्वामीने पास, दीक्षाथी चित्तलावैरे, नवि लावधरिने सेवो एतोसेविसिवसुख लेवो रे, नवि० // 42 // चीत्रसेनराय रोहिणीराणी, दीवालीधिगुणखाणी, आपुत्रे संजमलीनो, वरवासिवपटराणीरे नवि० // 43 // संजम सेवीने राजादिक, आतम तत्वनिहाली, तप तपिने कर्म क्ष्य कीनो, बुध्धर अणसण पालीरे नविण // 4 // केवलीयश्ने राजादिक सङ, सिद्धि वधूकरकाली, सादिअनंत स्थिति सुख पायो, वरती जगमें खुसालीरे // नवि०॥४५॥ मनमोहन महिमानो बागर, में थुणियो सिवगामी, जगणीसे श्वन्तरवरसे, वीरजन्म अनिरामीरे // नवि० // 46 // आदीसर जिनवर सुपसाय, काबुवा नगरे अधिकारी, श्रीजिनकृपाचन्त्रसूरि सेवो, जिनशाशन जयकारीरे नवि० // 7 // ॥इति रोहिणीस्तवन बढालियो / बृ० स्त०१६ Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (22) अथ पूर्णिमा बृहत्स्तवनम् // ॥दोहा॥ स्वस्तिश्रीसुखसंपदा,कारणजिनवरदेव, आदीश्वरअरिहंतजी, सारेसुरनरसेव ॥१॥पूनिमतिथिआराधवा, तपकरियेसुविशेष / बारेमासपूनिमतको, चरित्रकहुं लवलेश // 2 // // ढाल 1 // ॥जिमजिम गिरवर भेटियेरे-एदेशि // श्रीजिनधर्मसुहंकरोरे, आराधोगुणखांण ‘सनेही, पूनिमपर्व मोटो कह्योरे, मास वारेमनर्माण स० // 3 // "जिमजिम पर्व धाराधियेरे, तिमतिम लहिये सुक्ख स / जिनशासन जगमें जयोरे, मेटे नवनवमुक्ख स०॥४॥" श्रावणमासमें जांणियेरे, 'वदितीज श्रेयांशनिर्वाण सम्। अनंतनाथ सातम चव्यारे, श्राम नमि जन्मजांण स०॥५॥ कुंथुनाथनवमीचव्यारे, 'शुदिदू. जसुमति एह स० / पांचमनेमी जनमियारे, बन्दीहाथीनेह स० // 6 // आठमपासजी सिवलह्योरे, पूनिमसुव्रतचव्या ईश, स। उपवासकरि आराधियेरे, कट्याणकसुजगीश स० // 7 // इति श्रावण मास नाव 'वदिसातमचव्यारे, सान्तिनाथ जगनाथ स / एहिजतिथि चंप्रनूरे, काट्यो सिववधुहाथ स० // 7 // सुपार्श्व श्राम चव्यारे, 'सुविधि नवमशुदि जाण स ।मुक्ति महिलमें विराजियारे, पर्युषण सुप्रमाण, स० // ए॥ इति नाव मास Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (243) ' 'असोजवदि तेरस थयोरे, गर्लापहार ( वीरनो बीजो) कट्याण सम् / नेमीज्ञान अमावसेरे, 'पूनिम नमिचव्या जाण स० // 10 // इति अस्विन मास कार्तिकवदि पांचम समेरे, संजव पांम्यो नाण सपद्मप्रन्नु बारसजनमियारे, नेमि चव्या जगजाण स० // 11 // तेरस पद्म दिदाग्रहीरे, वीर दरस (अमावश ) निर्वाण स० / 'सुविधी सुदितीज अर घादशी रे, केवलनांण सुखखांण स० // 1 // पर्युषण ओली नली रे, ज्ञान पंचमिपर्वजांण, स / “जिनकपाचं सूरिसदारे, पर्वसेवोगुणखांण स० // 13 // इति कार्तिक मास // ढाल 2 // "आज आपे चालो सहियां-सिहाचलगिरिजश्येरे" ए देशि // मिगसर वदिपंचमि सुविधि जनु, उदीकालीनी / दशम वीर संजम एकादशी, पद्म मुक्तिगति कीनीरे // 14 // "सुनो सुगुणा जिनशासन सुंदर, पर्व घणा जयकारी"। 'सुदि दसमी अरनाथजी जाया, पाम्या सिवसुखलारीरे सु० // 15 // इग्यारस अरनाथनी दीक्षा, महीजन्म व्रत लीनो / केवल मबी नमी सुहंकर, पांमी जगत जस कोनोरे सु // 16 // चवदश संजव जन्म लियो हैं, पूनिम दीदाधारी / पूनिमतिथि सेवीने सुनो सुगनायजी जाना, मीनार सुमतिथि दसभी अनायना जगत जनताबाधा ... इति मार्गशीर्ष मास Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (244) 'पोषदशमि पार्श्व प्रनु जन्म्या, ग्यारस संजम बीधो / चंजजन्म बारसनेदिवसे, तेरस व्रतमनकीधोरे सु० // 10 // चउदश शीतलज्ञानग्रह्योहे, 'सुदिप विमखनाण पायो / नवमी सांति नाण सुखदाई, ग्यारस अजित नाण आयोरे सु० // 15 // अजिनंदन चबदशदिनसुंदर, केवलज्ञानकहाई। धर्मजिनेश्वरपोषीपूनिम, केवलवह्यो वरदाई रे सु० // 20 // इति पोष मास - ' पद्मप्रन्नु चवनकट्याणक, बारस शीतलजन्मजांण / शीतलनाथनी वादशि दीदा, तेरस रिषननिर्वाणरे सु॥१॥ अमावश श्रेयांश केवल पायो, सुदि बीज अजिनंदन जाया। वासुपुज्य नाण धर्म विमल जिन, तीज जनमकहवायारे सुस // 22 // चोथ बिमल जिन संजम धारी, आठम अजित जन्मसीनो। नवमी दीदा अजित अभिनंदन, वादशि संजमलीनो रे सु०॥२३॥ त्रयोदशि धर्म जिन दीक्षा, माघ मास में जाणो। 'श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवो परमारथ पहिचाणोरे सु० // 24 // इति माघ मास // ढाल 3 // “यात्रीडा यात्रा नवाणुं कारियेरे"-एदेशि॥ .. सुज्ञानी ! कल्याणक तप करियेरे, एतो करिये तो नवजनतरियै सु० / टेर / बारे पूनिमपर्व वखाणोरे, कट्याणकतपमनर्माणोंरे / फागुन मासमांहेतुमेजाणोसुज्ञानी ! कल्याणकतप करियेरे // 25 // 'वदि सुपार्श्व ज्ञानपायोरे, सातमनिर्वापकहायोरे, सातम चंज ज्ञान सुहायो, सुझानी ! कट्याणक तप Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (245) करियरे // 26 // नवमी सुविधि चव्या नगीनोरे, एकादशी, रिषनशाननीनोरे, श्रेयांश बारस जन्म लीनो, सुशानी ! कट्याएकतपकरियेरे // 27 // मुनिसुव्रतनाण बलिहारीरे,श्रेयांशतेरशदीदाधारीरे, वासुपूज्यचउदसजन्मसारीसुझानी क० // 20 // अमावस संजम लीजेरे, 'बरनाथ चव्यासुदिबीजेरे, मनि जिनचोथ लहीजे, सुझानी क० ॥२ए॥ श्राम संजव चव्या सुविहांगरे, मलि बारस निर्वाणरे, मुनिसुव्रत दीदा जाण, सुझानी क० // 30 // फागुन चौमासो सेवोरे, नाव होली करि फल लेवोरे, वासुपूज्य ज्ञानफलबेवो सुज्ञानी क० // 31 // इति फागुन मास / 'वदि चोथ पार्श्व चव्या नांगरे, पंचमि चंद्र चवन मन आणरे, श्राम रिषजजनम चरणजांण, सुशानी क० // 3 // 'तीज धवल कुंथनाथ नाणरे, अजितनाथ पंचमि निर्वाणरे, संजव अनंत सिवपुर गण, सुझानी का // 33 // सुमति नवम निर्वाणलहीजेरे, ग्यारस ज्ञान कहिजैरे, तेरसवीरजन्म ग्रहीजे, सुझानी का // 34 // चैत्री पद्मप्रनु ज्ञान मासेरे, अष्टापद भोली नासेरे, कृपाचंद सूरि सुविलासे, सुझानी क० // 35 // इति चैत्र मास // ढाल 4 // "विमलगिरि यात्रा नवाणुं करिये"-एदेशी॥ नविजन ! पूनीमपर्खने सेवो, सेवी शिवसुख लेवोरे जा / टेर / वैशाखवदि पमिवा कुंथु सिव, दूज शीतल निर्वाण / पांचम कुंथु संजमलीनो, उस शीतलचवनजांण रेज० पू०॥३६॥ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (246) नमि दशमी शिवमंदिर पाम्यो, अनंत तेरस जन्म जाणो / चवदश चरण ज्ञान कुंथु जन्म्या" 'सुदि चोथ चतुर्थ ( अनिनंदन) चवाणो रे जो पू० // ३७॥धर्मच्यवन सातमअनिनंदन,-श्राम शिवपुरराणो, सुमतिजन्म नवमीदिनदीक्षा, वीर दसमी दिन नाणो रे न० पू० // 30 // बारस विमल च्यवन अजित जिन, तेरस संजम प्रमाणो, / इति वैशाष मास जेठ वदी श्रेयांश चविया, आठम सुव्रत जन्म कहापोरे ज० पू० // 35 // नवमी दिन निर्वाणसुव्रतनो, तेरससांतीजन्म कहिये,एहिजदिन निर्वाण एप्रनुनो, चवदस संजम ग्रहिये रे ज० पू० // 40 ॥'सुदि पंचमि धर्म शिवसुखलहियो, नवमी वासुपूज्य चविया / सुपार्श्व वारस दिन जनम्या, तेरस संजम उवियारे न० पू० // 41 // इति जेठ मास आषाढवदि चोथ रिषन चविया, विमल सातम निर्वाण / नमिदीदा नवमी दिनलीधी, अनुपमसुखनीखाणरे जपू॥४॥ 'वर्धमान सुदि च्यवनशुचि, नेमि आम शिववरिया / चवदस वासुपूज्य शिवपायो, सुखसंपतिनादरिया,रेन पू०॥३॥ इति अषाढ मास बारे मास कल्याणकानुना, वरणव्या सास्त्रप्रमाणं / बारेपूनिम पर्ववखाण्या, सेवोजविकसुखखारेज० पू० ॥४॥चैत्री. दिन उपवास करीजे, पूजा विविध प्रकार / दश वीश तीश चालीश पचाश, तिलक करे सुखकार रे ज० पू० // 45 ॥श्म. Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (27) हिज फूल फलादिक ढोवे, प्रन्नु आगे सुविशाल / देववंदन पमिकमणोगुणनो, करिलहेसुरकरसालरेजा पू०॥४६॥ बोलीदोय ने तीनचौमासा, पर्युषण सुखकार / दीवाली नाणपंचमी जाणो, मोनश्यारशदिलधाररे ना पू०॥४७॥ पोषदसमी मेरूतेरस वली; आखातीज अधिकारी / चैत्रीकार्तिकी, पर्वइत्यादिकसेवो सदा सुखकारी रे जा पू०॥४॥ ॥कलश // संवत्तगणीसेश्वंतर-अक्षयत्रितीया दिनजले, काबुवानगरे स्तवनकीधो. आदिजिनसुपसानले, श्रीगबखरतर गुणपुरंदर जिनवराणानोरसी, श्रीजिनकृपाचंदसूरिसेवो धर्ममनमें नबसी // 4 // इति पूर्णिमा बृहत्स्तवनम् // जयकरि जिनराज पुरसादाणीरे // वामासुत वरदाय निरमल नाणीरे // 1 // पांचकमलप्रनुअंग, निरुपम निरख्यारे // तीनकमल मुजसंग, आतमहरख्यारे॥॥वदनमहोदयदेख, चंद लजाणुरे॥ गगननमें निसदीस, श्ममनाए॒रे // 3 // सुरमणिज्युं सुखकार, नयणविराजेर // हृदयकमल सुविलास, थालज्युंगजेरे // 4 // प्रनुकरचरण विलोक, पंकजहास्योरे॥ ततखिण निजसंवास जलमें धाखोरे ॥५॥श्मसरवंगनदार, श्रीजिनरायारे // साचेपुन्यसंयोग साहिवपायोरे // 6 // प्रनुगुण अनुजवनीर, सांगसुरंगेरे // टाट्यो पातिकपंक, आतमसंगेरे // 7 // वरस अढार चोतीस, वदिवैशाखैरे // मनुहर पांचमदीस सहुसंघसाखेरे // // नगरमहेवामांहि, पासजुहास्यारे // श्रीजिनचंदमुणिंद, वंचितसास्यारे॥ए। इति / Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2 ) अपनेघरवेग लीखकरो ,निजपुत्रकलत्रसैप्रेमधरो // देशदेशांतरकांकोलो,नितनामजपोश्रीनाकोमो // 1 // मनवंचितसगति आसफले, सिरऊपर चामरत्रढले // आगलचाले फिलमिबघोमो, नित नामजपो श्रीनाकोमो॥२॥नृतप्रेत वैतालवली, मायणने सायण जेहटली // बलविजनलागेकाश्जोमो नित // 3 // एकांतरतावसीओदाहु, औषधविनजायथयोमाहु, नविदूखे माथोपगगोमो नितम् // 4 // कंठमाल अनेगुम्मम सबला, वलिउपसमेरोगटलेसबला, पीमानकरे फुन गल फोमो नितम् // 5 // नपमे मुर्जिदकाल कदा, सुवृष्टिहोय सुकालसदा, ततखिणअशुजकरम तोमो नितम् // 6 // जागंतो तीरथपासपहु, जिहांजात्रीआवेजगतसदु मुजने नव मुःखथकी गेमो नित०॥७॥श्रीपार्श्वप्रन्नुमहेवानगरे, मेंनेट्या जिनवरहरषनरे // समयसुंदरकहै गुणजोमो नितम् // // इतिपदम् // ॥जगतमें नवपद जयकारी // एचाल // नाकोमापारस प्रनुधारी / आवेदरसणकों नरनारी। आंकमी महेवानगरमाहै गजै / चिंतामणी तीरथपतिराजै / स्यामविसुंदर विराजै / दरससै सहु उखमालाजै / उमावणी अश्वसेन केलामला / वामादेवीकेनंद / प्रनावतीके कंत प्रनुजी / मुखको पूनिमचंद / दरस श्राज सरस कीयो जारी। आवे // 1 // जनमवाणारसी में जाणो / धन्यते दिवस कहवाणो / कमउमद दूर करणटाणो / विषधरने कस्यो नागरायो / ज० संयमपाली निरमलो। कर्मनिर्जराहेतु / केवललही संघथापीयो / कांश जवसागरनोसेतु / जयेप्रनु निरुपम सुखधारी आवे ॥२॥राण Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ए) पुरे रिसहेसरवंदे / घाणेराव महावीरचंदे / नारदपुरि सिद्धा. चलनंदे / गिरनारगिरि नेमिजिणंदे / न नामोलमे प्रद्मप्रन्नु / वरकाणे श्रीपास / पंचती यात्राकरी कां / सफलहुइ सदु आस / केसरीयाखीमेलअधीकारी। आवे ॥३॥कोरटे रिपन वीरवंदे / आहोर गोमीचा आनंदे। जालोरगढनेट्या जिनचंदे। महावीर सेवासुखकंदे / उ० इमअनेक ग्रामनगरमें / लेटे श्रीजिनराज / विषम नबंधी वाटने / जले पारसनाथसुखकाज / दरसण कस्यो मननचरंगसारी। आवै // 4 // सोलमासांति जिनराज / नेमीसर नेटे महाराज। सूरिजिन कीर्तिरतनाज / दरसण लह्यो श्रमणसंघसाज / नगणीसै इक्यासीये / आम्म फागुणशुदिदीश / जिनकृपाचंदसूरि नावसुं नले / नेय्याजग. नाईश सदा होवे संघमें जयकारी / आवे // 5 // इतिपदम् // श्रीचिंतामणिपासजी दरसणपायो आज प्रनुजी / मनविसरामी साहिवा, सेवाश्री शिवराज प्र० श्रीचिंग // 1 // आतमगुण प्रगटायवा, निमित्तकारण जिनसेव प्रण उपादान आतमसही, पु. ष्टालंबन देव प्र० श्रीचिं०॥२॥ कारण कार्य पणोलहै, करतातणे शुभयोग प्रतिममुज आतमनिस्तरे,लहिजिनवरसंयोग प्र० श्री. ॥३॥अव्याबाध अनंतनो,पाम्योनिजगुणनोग ।प्र० ज्ञानादिकजे संपदा,तेहनोनलहोवियोग प्र० श्री॥॥सादिअनंत स्थितिवरी, अरूपीअरिहंत / प्र० अगुरुलघु अक्षयपणो निरंजनसुखसंत प्र० श्री॥५॥श्मअनंतगुणनोधणी, शेयअनंतनोजाण / प्र० समयांतर उपयोगमां, वरतोगे सुणखाण प्र० श्री०॥६॥ तुं परमेश्वर बालहो, परमपुरुष परमाण / प्र० परमातम पदतेंदह्यो, प्रनुगे जीवनप्राण Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (10) प्र० श्री॥७॥ सांतिसुधारसचंदलो, सांतिकरण सुखकार ॥प्र० सोलमजिनवर सेवना, पामीलहै नवपार // प्र० श्री // 7 // अरिष्ट निवारण नाथजी, वावीसम जिनराज // प्र० प्रबलपुण्य संयोगथी, दरसण लह्यो संघसाज प्र० श्री०॥ ए॥ नगरमहेवा सुखकर, नाकोमा जगदीशप्रा नव्यकमल प्रतिबोधवा,दिनकर चैत्रमास // प्रजिनकृपाचंद सूरितणी, सफलफली मनास प्र० श्रीचिं०॥११॥ इतिपदम् // देशीपणिहारी // श्रीचिंतामणिपासजी माराप्रनुजी होराज॥ लोवपुरराजान बालागे अश्वसेन अंगजमुदा मा० वामामात सुजान वा श्रीचिंता ॥१॥श्रातम गुणनाजूपगे मा निजसत्ता रखवाल // बा० सादिअनंत स्थितिवरी मा० जव्यतणा प्रतिपाल वा श्री० ॥२॥रिषन अजित संनवनमुंमा समवसरण सुखदाय // बाळ चत्तारिअन्दश दोयनमुं मा० सहसफणा जिनराय बा० श्री० ॥३॥जेसाणगढमें दीपता मा महावीर नगवान वा॥ आदीसर अरिहंतजी मा० चंदाप्रनु गुणखाण वा श्री // 4 // देरासर त्रणनुवननो मा० चोमुख प्रतिमासार // बा अष्टापद सांतिनाथजी मा दूजीजूमी सुखकार वा श्री० // 5 // संनवजिनपतिसुखकर मा० शीतल जिनवरईश // वा सीमंधरादि तीर्थकरा मा विहरमानजिनवीस वा० श्री०॥६॥ तेवीसमा प्रनुजगधणी मा चिंतामणिमहाराज॥बा बावन देहरिदीपति माण् देरासरसुखकाज बा० श्री० ॥७॥अद्भुत देहरा सोजता मा इंजवन अनुकार ॥बा बिंबअनुपम निरखिया मा० हजार अधिकार Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (351) बा श्री ॥॥हरखघणै प्रजुनेटिया मा वाहममेर संघसाथ। वा० चनविहसंघपरिवारसुं माण यात्राकरि सुखसाथ बा० श्री // ए॥ जगणीसे बयासीये मा० माघवदि दिलधार // बा० कृपाचंद सूरिनावसुं मा० नेव्यो प्रजुदीदार बा श्री० // 1 // // इतिपदम् // अथ श्रीसिद्धाचलजी स्तवनं // जात्रीमा लाइआबूजीनी जात्राकरेजोएदेशी यात्रिमा नाश् श्रीसिघाचल नेटो, चिरसंचित उकृतमेटोरे, यात्रीमा नाइश्रीसिघाचल नेटो॥ एआंकमी एमहिमावंतविराजे, निरखंता पातिकलाजैरेया // 1 // श्रीवीरजिनेश्वर नाखै, शत्रुजयनी महिमा दाखैरेया० // 2 // पुंमरीक गणधारी, हांसीधाकर्म गणवारीरेया // 3 // पांमवप्रमुखजे सीधा, एगिरि फरसी सुखलीधारेया॥॥श्रीऋषनजिनेश्वरवंदो, चितधरी अधिक आनंदोरेया ॥५॥रायणतल पगलावारु, प्रजुवंदीवंचितसारुरेया० // 6 // पुंमरीक अतिदीपे, निरखतां पातिकजीपैरेया॥७॥ चोमुख जिनवरसोहे, देखता नविमनमोहेरेया // // अद्भुत बिंबविगजै, लेटैनविसिवसुखकाजैरेया // ए॥ पाजैचढतां जावे, गुणगातां वंचितपावैरेया // 10 // शेव्रुजयनदीअतिरुमी, एहनी महिमा नही कूमीरेया // 11 // नलकाकोलचेलणातलाइ, सिवम सिमसिलावरदाञया // 12 // एगिरि वरपूजैजावे, ते नरकनिगोद न जावैरेया० // 13 // दरसणरी आसघणेरी, ते सफली सुकृतसेरीरेया // 1 // अनुभव अमृत पीजै, कृपाचंद सदामुजदीजैरेया० // 15 // इतिपदम् // Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (252) // अथनेमिनाथजीको स्तवन // आजभनंद बहाररे प्रनुबेठे मगनमे // एदेशी // नेमिजिनंद दयालरे / सेवोस्यामसलुणा, सेवोस्या आ // समुपविजयनं. दन जगबंदन, सिवादेवी मातमहाररे॥ सेवोस्यामसलुणा // 1 // अपराजित अनुत्तरथी चविया / मातुउदर मकाररे // सेवो. स्याम // 3 // कातिवदि बारस प्रनुउपना / चित्रानदत्र शुनवाररे // सेवो॥३॥ चनदे स्वपनादेखेराणी / तीर्थकर सूचनाररे // सेवोस्याम // 4 // सावणशुदि पंचमी जिनजनम्या। त्रिनुवनमें सुखकाररे // सेवो // 5 // मेरुसिखरपर. जन्म महोत्सव / इंज्ञकरे अधिकाररे सेवो // 6 // समुपविजय राजाघरउन्नब, बरत्यो जयजयकाररे // सेवोस्याम // 7 // शुदिनसिविनुनये व्रतधारी, ब्रह्मचारि सुविचाररे // सेवो॥॥ सोरिपुरमे जन्मजयोहै, घारिकासंजमसाररे // सेवोस्याम॥॥ गिरनार गिरिके सहसा बनमे, चोथोनाण दिलधाररे // सेवोस्याम // 10 // पांचसुमतिधर तीनगुप्तिवर // विचरेप्रनु मनुहाररे // सेवोस्याम० // 11 // मुक्करतपकरि कर्मशत्रुहणि, घातिकर्मखयकाररे // सेवो // 15 // रेवतगिरि विचरंता आया। शुक्लध्यान ध्यानाररे // सेवोस्याम // 13 // श्रासो. जनी अमावस दिवसे / केवल ज्ञानश्रीकाररे // सेवो० // 14 // समवसरणमे चोमुखप्रनुजी, देशनादेवे सुखसाररे // सेवोन // 15 // चनबिह धर्मप्रकासे जगगुरु / संघथाप्यो सुरसासररे / सेवो // 16 // अढार सहससाधुनी संपदा, श्रमणी चालीसहजाररे // सेवो // 17 // एकलाख गुणत्तरसहस, श्रावक अमान चोमुकासे Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (353) समकितधाररे सेवो // 17 // तीनलाख उत्तीशहजार / श्रावकणी सुविचाररे // सेवो // 15 // सहसबरस प्रनुश्रायुपाली, मुक्तिबधु जरताररे // सेवो // 20 // रथनेमीराजिमतिबेलं / मोक्षगया निरधाररे // सेवो // 1 // पांचसेंउत्तीस मुनिवर साथें, सादिअनंत स्थितिकाररे // सेवो // 12 // आषाढशुदि श्रामने दिवसे / सिद्धि सौधमकाररे // सेवो० // 13 // गोमुख यक्षबांतिपूरे / अंबिकाकरे सुखसाररे // सेवो० // 24 // श्रीजिनकृपाचंजसुरि सेवो, तीरथ जयजयकाररे॥सेवो // 25 // ॥इतिपदम् // // अथ श्रीभद्रेश्वर महावीरजी स्तवन प्रारंभ // बीरजिनेसरसांनखोरे लाल सेवकनी अरदास सुखकारीरे, तारकविरुद सुहामणोरे लाल सुणियायो तुमपास उपगारीरे // वीर // 1 // साहिबसुनिजर कीजियेरे लाल, मुजपर गरिब निवाज // सुख // मनमोहन महिमा निलोरे लाल // तुमसेवा सुखकाज // ज० वी० // 2 // काल अनादि लगे लम्योरे लाल, नवअटबी विषमअगाध // सुख क्रोधादिक स्वापदजिहारे ॥ला॥ प्रतिप्राणिने देंवाध // ज० // वी० // 3 // इंजियविषय कंटकतिहारे॥ला दुर्धरशालसमान॥सु० चनगश्मारग चालतारे ला० मोहकरे हेरान न वीर // 4 // काल आहेकी केमे पड्योरे // खा लताके निशदीश सुख० ए आपदयी उघरोरे लाल, तुममोटा जगदीश // ज०॥ वीर // 5 // प्रेसर जलेजावसुरे लाल // लेव्या श्रीनगवंत // सुख० तेवीसमजिन सुखकररे लाल // महिमावंत महंत // ज०॥ वीर० // 6 // बावनदेहरी Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (254) मांदीपतारे लाल // मनोहर श्रीजिनराज // सुख० अदनुतदीगे देहरोरे लाल // मानवीनरच्यो आज // उ // वीर // 7 // दमकलस सोहे सदारे लाल // धजापताका खहकंत सुख० मांमणीजोतां एहनीरे लाल // जवि मनमांदरखंत॥ // वीर० // 7 // पुरवपुन्यथी पामीयोरे लाल // अनुपम जिनमुखचंद सु० कलमंझन श्रीजगधणीरे लाल // वंदेनित कृपाचंद // ज०॥ वीर० // ए॥ इति // // अथ श्रीपार्श्वनाथजीनुं स्तवनप्रारंभः॥ राग देसी-जीवनम्हारातेवीसमाजिणचंद // वामानंदननेव्यारे साहिवाम्हारा नावसुंरे म्हाराराजजीवन॥१॥अश्वसेनकुलचंद, पापकरमसहुमेव्यारे सा अनादिनारे म्हा० ॥जी मूरतमोहनबेल, नीलवरणतनुगजैरे // सा सोहामणीरे म्हा० ॥३॥जी. मुखबिअगमपार, पूनमनिसिजिमराजैरे ॥सा रजनीकरूरे म्हा० ॥४॥जी नयनअमीरसरेल, कामणगारा प्यारारे सा० म्हारा, मनहरूरे म्हा० // 5 // जी० लालविसाखरसाल, अष्टमीससिसुखकारारे॥सा नव्यचकोरनर म्हाग // 6 // जी चिंतामणिप्रनुपास, लोवपुरमें विराजैरे सा सुखकरूरे, म्हा॥७॥ जी सहसफणामहाराज, दरिसणवांगितकाजैरे, सा० मुःखहरूरे म्हा० // // जी संघमिट्योबदुथाट, हेजैघणेगहगाटेरे सा हरखसुरे म्हा // ए॥ जी० अष्टदिवसनबरंग, रथयात्राबहुरंगेरे सा उमंगसुंरे म्हा॥१०॥ जी० दीगेतुम्हदीदार, हिवप्रनुमुजनैतारोरे साहितधरीरे // 11 // जी तुमसमअवरनदेव, दीगेनहीसुखकारोरे सा० बावसउचरंग, रस, हिवप्रजमुजावोनहीसुखक Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (255) जगतमांरे म्हा // 12 // जी तुमपदपंकजसेव, नवनवमुजनेमिलज्योरे सा० सुहंकरूरे म्हा० // 13 // जी० एहीजसुणीअरदास, वांतिपूरणकरज्योरे साफ कृपाकरीरे म्हा० // // 14 // इति पदम् // ॥श्रीचंद्रप्रभुजीनुं स्तवन // श्रीचंप्रनुसहिबा, सिववासीसुरनामीरे॥ अरजकरूकरजोमीने, निसुणोविन्नुवनस्वामीरे. श्री० // 1 // कालअनादिलगेसही, साधारणतरूपामीरे // पृथव्यादिकमांहेलह्यो, संख्यातीतमुःखधामीरे ॥श्री० // 2 // कालसंख्यातेबितिचट, पंचेंजिपणोपामीरे // नानागतिनापुःखसह्या, तेजाणोसिवगामीरे. श्री. // 3 // नवोदधितापनिवारवा, मेंसुण्योतुंहीजकामीरे॥ तिणतुजचरणकमलतणी, सेवाअविचलधामीरे. श्री० // 4 // तुत्रातासंसारनो, तुंहीजदीननधारीरे // मुजवबनतुंमुजधणी, ओरनकोसंसारीरे. श्री० // 5 // ज्ञायकज्ञेयानंतनो, लोकालोकप्रकासीरे // सुखघनमंदिरतेंलह्यो, तुहितगेसिववासीरे. श्री // 6 // जगणीसेपैतालीसमें, वरधापुरेहितकारीरे॥ फागणसुदितृतीयादिने, प्रतिष्ट्यासुजसवधारीरे. श्री० // 7 // युक्तिअमृतगुरूराजनी, युक्तिप्रवरसुविचारीरे // कृपाचं प्रनुकीजिय, संघसकलसुखकारीरे. श्री० // // इतिपदम् // // अथ श्रीआवुजीस्तवन प्रारंभः // श्रीआदिजिनेश्वरनेटीया, आबुगिरिसिणगारहोमरुदेवीनानंदन ॥तुमदरसणमुजमनवस्यो,जिनमनचंदचकोरहो।म तु०॥ जिमदेखीजलधारने, मोरकरेझंकारहो // मग तु० // 1 // कुमु Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (256) दनीरजनीकरखही, कमलनीजेमदिनंद, हो ॥म॥ सायरजिमबधेचंथी, तिममुजमनानंदहो।म तु॥शा नेमीसरजिनराजजी, सांतिसुधारसचंद, पारस जिनपतिसुखकरु, बंद्याकुश. लमुनींदहो // म तु // 3 // अचलगढैअतिदीपता, सुवरणमयजिनदेवहो / म० // चनगश्संकटचूरवा, सुरनरकरेजसुसे. वहो // मग तु // 4 // नवोदधिज्रमणनीवातमी, केहनेकहियैजायहो // म॥रागादिकरिपुगणनणी, दूरकरोजिनरायहो। म तु० // 5 // आसहतीघणादिवसनी, सफसथश्तेयाजहो / म॥जनमकृतारश्रमाहरो,सीधावांछितकाजहो॥मातु०॥६॥ तुपरमेश्वरबालहो, जीवनप्राणआधारहो // म० // नवनवचरणनीचाकरी, मुजनेदेज्योहितकारहो // म तु // 7 // नगणीसैअगवनसमें, सुदिफागणरविवारहो // म० // सातमदिनेयात्राकरी, कृपाचंदसुखकारहो॥ मग तु०॥॥इतिपदम् // आजबानन्दघनजमव्योरे, बुगेअमृतधार, मीगेमिसरीश्रीघणोरेवाला, मिलीयापासकुमार, आजनलैनेट्याहो, जग. नायकलायकश्रीरेचिंतामणीपास // आज // 1 // मोतीयमेऊडमांमीयोरे, घरआश्वहगंग, हिवमोहेजेगहगयो, मारेबाजहुवोउबरंग // आज // 2 // पूरबनवजेसंचियोरे, सुकृततणोनंमार,आजनदेवायोललो, मैंतोदीगेप्रजूदीदार // आज // 3 // संतसुधामयसांजलीरे, सूरतअजबअनूप, तिणीमनडोमाहरोरेस्वामि, मोहिरह्योधरचूप // आज // 4 // मोयोमानसरोवरेरे, बांधीनवलीप्रीत, बिलरीयेटूकेनहींस्वामि, हंसााहीजरीत // आज // 5 // देखी मुशताहरीरे, Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (257) स्वामी मिलगईतारोतार / दीनांहीहिवनही रुचेरे देवश्रवरसविकार // आज // 6 // जेहवोहितमाहरोरे, प्रनुजीसुंसपराण / तिमजेप्रनूतुमराखसोतो, थासेकोमीकट्याण // आज // 7 // सगलोमिलवोसोहिलोरे, राजरमणधनरंग / पिणविनस्वारथनही मिलेमाने, साहिबजीरोसंग // आज // // संवतअगरेसतोतरेरे, पोसदशमीशुलदीस,विनयघणेप्रनुवीनवेरे, श्रीजिनलालसूरीस // आज // इतीपदम् // ॥राग सोरठ // दीगलोयणीगाममकारा, एतोमबीजिनंदमनुहारा // दी० // मुक्ताफलसमद्युतिप्रनुजीकी, मुरतिमोहनगारारे // दी० // 1 // चरण कमलकंचनकपसम, मानुजगदाधारा, जानुअनोपमजिननानिरखी, मोहराजगयोहारारे // दी० // 2 // करसरोरुहअद्भुतजाणी, पङ्कजजलधिमकारा, कटीसुरंगीजिननीप्रेखी, केसरीअरन्यविहारारे // दी० // 3 // प्रनुवक्षस्थलधीरजथीलजि, मेरुअचलाधारा, जिनगंजीरताजाणीचर्मोदधि, लोकांत. कीनविहारारे // दी // 4 // निरलांउनप्रनुमुखजोश्ने, शशधरनित्यविहारा, नासिकादीपशिखासमजाणी, दीपकचंचलकारारे // दी० // 5 // नयणअमीरसपूरणप्रजुना, कुरंगअटवीआधारा, जालविसालअनोपमराजें, अष्टमीशशीसमकारारे॥ दी० // 6 // देशविदेसकाजात्रीआवें, बेटेपनुदीदारा, विविधोत्सवपूजाकरेप्रनुजीनी, जावधरीसुविचारारे // दी // 7 // घणादिवसथीभाशाधरीने, आयोजगदाधारा, कृपाचं निजसेवकजाणी, सुनिजरकरोसुखकारारे // दी० // // सुजनगणी बृ० स्त०१७ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म्हामधपारजजेरे सहा // (257) सेगुणत्तरवरसें, वैसाखसुदिसुविचारा, आठमदिनप्रनुपदकजनेव्या, आनंदअधिकपारारे // दी० // ए // इतिपदम् // ॥देसीतमाकुरी // : जीवनमारातेवीसमाजिणचंद, वामानंदननेव्यारे, साहिबाम्हाराजावसुंरेम्हाराराज // जी० अश्वसेनकुलचंद, पापकरमसहुमेट्यारे // साहि अनादिनारे // म्हा० // 1 // जी० मुरतिमोहनवेल, नीलवरणतनुगजेरे सा० सोहामणीरे म्हां० जी० मुखनविअगमअपार, पूनिमनिशिजिमराजेरे सा० रजनीकरे म्हा // 2 // जी० नयन अमीरसरेल, कांमणगाराप्यारारे सा मनहरुरे म्हां० जी० नालविसाखरसाल, अष्टमीशशिसुखकारारे सा० नव्यचकोरनेरे म्हां // 3 // जी० चितामणिप्रजूपास, लोअवपुरमें विराजेरे सा० सुखकरुरे म्हां० जी० सहसफणाम्हाराज, दरसणवंतिकाजैरे सा० मुखहरुरे म्हा // 4 // जी. संघमिट्योबहुथाट, हेजैघणेगहगाटेरे सा हरखसुरे म्हा जी० अष्टदिवसउरंग, रथयात्राबदुरंगेरे सा० उमंगसुरे म्हां० // 5 // जी० दीगोतुमदीदार, हिवप्रनुमुजनेतारोरे सा० हितधरीरे म्हां० जी० तुमसमअवरनदेव, दीगेनही सुखकारोरे सा जगतमेंरे म्हां // 6 // जी तुमपदपंकजसेव, जवनवमुजनेमिलज्योरे, सा० सुईकरुरे म्हा० जी० एहीज. सुणिअरदास, वंतिपूरणकरज्योरे सा० कृपाकरीरे म्हा०॥७॥ इतिपदम् // ॥देसीजिल्लानी // जगगुरुनीसंखेसरमंझनपासजिनंदाहो सुखकारीमहाराज Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५ए) नवनयवारण शिवसुखतरुनोकंदाहो. दयाल // जप श्रीअस्वसेननरेश्वरकुलननचंदाहो. सुए वामामातसुजातजगतानंदाहो. // दण् // 1 // सुंदरनीलवरणवीअनुतगजेहो. सुख देहप्रमाणअनोपमनवकरराजेहो. द० ज० रूपअधिकतुमदेखीरतिपतिलाजैहो. सु सहुसुरनर मिलसेवेवांछितकाजेहो. द० // 2 // ज० प्रजावतीनाप्राणेसरप्रनु प्याराहो. सुण मोहकंपनीलीलाथकीतुमन्याराहो. दाज कमठमहासठमानविमारणहाराहो. सु० तारणनागनागेंजवणावणहाराहो. दम् // 3 // जग जोवनवयमें दिवालिनीसुविचारीहो. सु० मेघमालीउपसर्गकरीगयोहारीहो. दज केवलपांमीजगतजीवउपगारीहो. सु संघचतुर्विधथापीवासिवनारीहो. द॥४॥ ज तुममोटात्रिन्नुवननानाथकहावोहो. सु० दीगंजविनेंदिलमांअधिकसोहावोहो. द ज तारणतरणतुमेंएवमोविरुदधरावोहो. सुप तोमुजतारतांवारहवें नविलावोहो. द० // 5 // ज देवलबहुलाजगदेवतादीगहो. सु० मुजमनमेमांतेनविलागामीगाहो. दज सरागीपणोपामीथयातेधीगहो. सु वीतरागप्रनुमुजादीठीवतीनहो. जम् // 6 // कालअनादिथीपरपरणतिमा रमियोहो. सु पुजलसंगेच्यारगतिमांनमीयोहो. दज हिवप्रमुरतिजोतांपातिकगमीयोहो. सु० प्रनुजीप्रसादेंमोहराजनपसमीयोहो. द० // 7 // सांतिसुधामयनवलोजिनदीदारहो. सु० निरख्योआजआनंदलरीसुखकारहो. दज पुण्यप्रबलथयोअधिकदिवसश्रीकारहो. सु नगतवत्सलनलैनेट्याप्रनुमनुहारहो. द० // // ज वढियारदेसमें श्रीसंखेश्वर जीववीजही पणोपामीथया सजमनमाना जा Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (260) स्वामीहो. सु सुगुरुपसायेहिवप्रनुसेवापांमीहो. द गणोत्तरेजगणीसै वेसापनामीहो. सु० कृपाचं विलुपदकजमनविसरांमीहो. द० जम् // ए॥ इतिपदम् // नवीयांनावधरिनेनेटोजगवाननेरे, प्रनुजीतारेसारेवंचित देव, रसीयाधर्मजीनेसरगुणगावोरंगसुंरे, एनीसुरनरपतिकरसेव नम् // 1 // पनरमजिनवरसेविये, धर्मधुरंधरस्वाम, धर्मनाथजिनराजजी, पुरेवंगितकाम, गोमीपारसनाथप्रणमोसोहामणारे एतोबीजीनूमीबिंबविशेष न // 2 // नेमजिनेसरवालहो, ब्रह्मचारीसिरदार, श्यामवरणविसुंदरु, नविजननेसुखकार, प्रनूनोपरचोचिहुंदिसपरगमोरे, वखिवारमावासुपुज्यजाण न // 3 // शांतिजीनेसरसोलमां, शांतितणाकरनार, नेमनाथच. वरीनली, संनवचोमुखच्यार, एतोदेरासरदीगदोयसोहामणारे, दीपेबावनदेहरी विसाल न // 4 // बारमजिनवरसेविये, वासुपुज्यमाहाराज, बीजोदेहरोशांतिनाथनो, मानुनवीनरच्योआज, श्रादीसरनोदीगेअद्जुतदेहरोरे, वलिचंबाप्रनुचेत्यनवीन ज० // 5 // अजितजिनंदजुहारिये, अलियविधनसहुजाय, मुनिसुव्रतजिनवीसमा, दादादेहरीकहाय, बंमाहिप्रथमजिननेटियारे, एतोत्रप्रवामीमनउबरंग न॥६॥समवसरणमेंशोलता, चोमुखश्रीजिनचन्द, नविजननामनमोहता, सेवेसुरनरइंद, जामनगरमेंउठवरंगवधामणारे, हरखे मिलनेनरनारीगुणगाय, न० ॥७॥जगवतीनावेसांजली, उपधानवह्योचितचंग कस्तुर परमुखनविकजना, पहरिमालमनरंग, देशविदेसनाआवेबहुजा तरीरे, बरत्योकृपाचंद आनंदजयजयकार ज॥॥इतिपदम् // Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (261) // भरथरीनीदेसीः॥ धर्मजनेसरजगधणी, त्रिनुवनपतिमनुहारजी, जव्यहृदयकजदिनमणी, सुव्रतामातमहारजी // धर्म // 1 // जानुकुलननचंजमा, सुरतरुसमजिनराजजी, करुणाकरसदुजीवना, सारेवंचितकाजजी॥ धर्म // 2 // नवअटवीनमतांथका, मिलियोनहीकोईसाथजी, अनंतकालसंसारमां, तेथीरऊमयोनाथजी // धर्मः॥३॥ हिवमुजनेप्रनुजीमट्या पूरवपुन्यप्रमाणजी, मननामनोरथसहुफट्या, साहिबचतुरसुजाणजी // धर्म // 4 // नगवतिअंगनविकजना, निसुण्योजावविसालजी, उपधानतपपूरणथयो, पहरिमालरसालजी // धर्म // 5 // समवसरणरचनारची, नविमनहरखअपारजी, जामनगरजुगतेवण्यो, उबवविविधप्रकारजी // धर्म // 6 // उगणीसेसमसठसमे, माघमाससुविचारजी, सुदिपांचमजिनसेवना, कृपाचंजसुखका. रजी, // धर्म // 7 // इतिस्तवनं // राधासोचकरेमनमेरे एदेशीश्रीसिघाचलनेटोरे, नविका अशुनकरमसदुन्नेटोरे श्री० आं० पूरव निवाणुं श्रीआदीश्वर, इण गिरिवरपरायारे, पुमरी कपमुहाचैत्रीदिन, सिद्धिबधूलयलायारे श्री० // 1 // कातीपूनिमपरवकहीजे, सावमवारिखिम्वसीधारे, श्मअनेकएतीरथफरसी, मुगतितणासुखलीधारे श्री० // 2 // तीनजवनमेंतीरथबहुला, यात्राफलक्रमजाणोरे, नगरग्रामादिच्यैत्यजुहास्यां एफलमनमांशाणोरे, श्री० // 3 // जिनकल्याणकनूमीफरस्यां, दशगुणोफलतुमेपामोरे, जंबुवृदनोचैत्यवंदिने, शतगुणोफलसुखकामोरे श्री // 4 // धातकी Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (165) खमेपुस्करचीपे, रुचकअंजनगिरिकहियैरे, जिनवंदनन्हवणादिकरतां, सहसगुणोफललहियैरे श्री० // 5 // अष्टमनंदीसरनाजिनालय, कुंभलनाचैत्यवंदोरे, क्रमथीदशगुणोफलपांमीजै, मानुषोत्तरचिरनंदोरे श्री० // 6 // वैनारगिरिपरवीरजिनेसर, समेतसिखरजिनवीशरे, वैताब्यनेबलिमेरु सिखरना, सास्वता. चैत्यजगीशरे श्री० // 7 // गिरनारमंझननेमिजिनेसर, अष्टापदचोवीशरे, कोटिगुणोफलषट्नोक्रमथी वंदोविसवावीशरे, श्री० // 7 // एहथीशत्रुजयगिरिलेट्यां, अनंतगुणोफलजाणोरे, एकारणथीनवियणलावै, यात्राकरणमनाणोरे, श्री० // ए॥ बहरीपालीजेनरनेदे, तेएशुलफलपावरे, कुमतिकदाग्रहदूरनिवारी, निजबातमघरावैरे श्री० // 10 // उगणीसैपांसठ. फागुणशुदि, बीजदिवसप्रनुवंदेरे, नाथाबजपालसंघसहितशुल, कृपाचंदचिरनंदेरे श्री० // 11 // इति श्रीसकलतीर्थफलक्रमस्तवनम् // // पोसह स्तवन // ॥दोहा॥ जेशलमेरनगरनलो, जिहाँ श्रीपार्श्वजिनन्द,प्रहनतीने प्रणमतां, आपे परमानन्द // 1 // तासु चरण प्रणमीकरी, पौषध विधिविस्तार / पणिस श्रावक हितगणी आगमने अनुसार // 2 // पौषध पौषध सहकरे, पौषध करे सहुकोय / पण पौषधविधि सांजलो, जिम निस्तारो होय // 3 // // ढाल // प्रनु प्रणमुंरे पार्श्वजिनेश्वर स्थम्नाणो एदेशी पहिलेदिनरे, Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (263) सांक समयउपकरणसहु / पमीलेंहीरे, रूमीपरे राखे बहु / पालिरातेरे, साधुसमीप आवीकरी / राइप्रायश्चित्तरे, प्रथमकरे मनसंवरी / उबालो सम्बरि श्रावककरे पौषधअष्टप्रहरि गुरुमुखे, ऊचरे दमकतीनबेला सामायिक पण तिणरुखे / पळे करे प्रतिक्रमणो आंतरणी साधुवन्दे तिहांकिणे / कर्मजूमी अवयं मङ्गलीक कुलकलणे // 4 // प्रतिलेखनारे अंग ही सगलीकरे / उपास्रयरे, पुंजीकाजोउरे / ईरीयावहीरे, स्थापनाआगे पमीक्कमे, करे स्वाध्यायरे, साधु सहुने पायनमे // // चाल // पायनमे सगलासाधुकेरा, सुणै सुगुरुवखाणए, ध्यानकरे अथवागुणेप्रकरणकहै अर्थसुजाणए / पूणपहरपमिलेहणकरिने मातरोपमिलेहए, जलघमालौटा वाटकापमिलेवा वलितेहए // 5 // गुरुसारे चैत्यप्रवामी करेखरी, देववन्देरे शक्रस्तवपांचेकरी / उपाश्रयरे आवी ईरियापमीकमे, भागमणोरे आलोहीनीचानमे // चाल // नीचानमे बैसाणे बैसे मिबामिछक्कम देहिने। तिविहार होतोपाणियारे मुहपत्तिपमि. लेहिने, नवकार गुणतां पाठ जणतां प्रहरतीजे दिनरहै / पमिकमी रीयावही पहली, बली, बेल प्रतिलेखना करे // 6 // धर्मशालारे पूजी इरियापमिकमे, थे पालोरे स्थापना पमीलेहे. समे, मुहपत्तिरे पमीलेही उत्नोथश, करे गुरुमुखरे, पच्चरकाण. मनगहग // चाल // गहगही आठे देश खमासण वस्त्र सगलां आपणां / पमिलेहवा मात्रा तिणपरी चरवले पूजणतणां / देहनीचिन्ताकाजजातो. करे लगवन आवस्सही। मारगे झरीया समती सोधे श्रावतो कहे नीस्सिही // 7 // Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (265) // ढाल // बेकर जोमि विनवूजीसुण स्वामी शुलदीस ए देशी / हिव नवियण तुमे सांजलोजी, गुरुने नमावो शीस / सामायिक पौषध तणांजी, दूषण टाळो बत्रीश // चाल // बत्री शदूषणवार तनुना मार वेसे पाली अतिअथिराशन // दृष्टिचंचल 3 करे काया एकठी 4 / करे कामसावध 5 / खेउठींगण 6 / बालस 7 करमका मोमए / खणेखाज ए। वीसामणकरावे 10 / संघकरे 11 / मलोमए 12 / // ढाल ॥वचन तणां दूषण दशेजी,जाणो इणप्रकार / कुवचनबोले 1 लोकनेजी, दे दूषण सहसात् कार॥चाल // सहसात कूम कलंकदे 3 वलि आपलंदे बोलए 4 / संदेपसुत्र करे आलायो 5 कलहकरें नीटोलए 6 उपहासकरिने 7 करे वि. कथा मांमी न राखे पदसंपदा ए। श्रावो बैगे उगे एहवि कहे नाषा सर्वदा 10 // ए॥ // ढाल // दश दूषण हिवमनतणाजी, सांजलजो मनएक / न्यून अधिक न लहै क्रियाजी, मनमे नही विवेक 1 // चाल // सुविवेक जसु 2 धन लाल 3 बांछे करे पौषध बीहतो / / पौषध करीने करे नियाणो पुत्र प्रमुखने ईहतो 5 अनीमान 6 रीसे करे पौषध धरे फल संदेहए / वली विनयट विवेक ए (जगति ) लगार न करे 10 मन दूषण दशएहए // 10 // ॥ढाल। काया वचन मन तणाजी,दूषण एह बत्रीस / टाले दूषण तेहनाजी, पौषध विश्वाबीस॥चाल ॥विश्वावीश बोले नहि बलि उघामे मुख आपणे / बुटाग्रहीसुबातनकरे पांच दूषण परिहरे। उपवास करीने दिवस पौषध कीधो नहीं तो निशि Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (265) करे / इक पर बोमे नही उतराध्ययन अदर अनुसरै // 11 // // ढाल // चपरवी पौषध कडोजी, सुत्रसिधांतविचार। हरितप्रसूरि विवरो कह्योजी, बावीससहस्रीसार // चाल // बावीससहस्रीसारबोले दिवसप्रति करवो नही / पौषध अतिथी संविनाग वलि पर्व दीवसकरवासही / जद्दिष्ठशब्द तणो अर्थ शैलंगाचारिज करै / पौषध पर्युषण पर्व कट्याणक तिथी पणैए आदरे // 1 // // ढाल // उपधाने पौषध कह्योजी, सुत्र महानिशीथप्रमाण / तिविहार चनविहार जीमणोजी / एकविगय घृतजाण ॥चाल॥ घ्रत जाण आचरणापरंपरापूर्वाचार्ये एकही। नगवंतनाष्योसत्य तेहिज खेचाताण करवी नही / तिविहार पौषध चार प्रहरी अष्ट प्रहरी सीमाकरी / तीनगवतणी आचरणा अविधी बे पिण आदरी // 13 // // ढाल त्रीजी॥ कपूर हुवे अतिउजलोरे-एदेशी // सांजसमय स्थं मिला करेरे / वार वारमाहिवार / ईरीयावहीश्म पमीकमेरे / जयतिदुअण करे सार // 14 // संवेगीश्रावकसाचो पौषध एह, एतो जगवंत नाष्यो तेह / त्रिकरण शुधकरो तुमेरे / जिम पामोलवलेह सं० // 15 // आंकणी / अर्धविंबरवि आथमेरे / सूत्र कहो सुविचार // स्तवन करे तिणहीज समयरे, तारादीसेदोचार // 16 // सं० कालबेला इम पमीकमेरे / लांबी दमासणदेश, शुक्रियानी खपकरेरे / मनसंवेग धरे // 17 // सं० जिनदत्तकुशल कास्सग्ग करेरे। प्रतिक्रमणाने नेह / प्रतिक्रमण पुरो थयोरे। खरतरनी विधि Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (266) एह // 17 // सं० मधुरस्वरे राते करेरे / प्रहरसीमसहाय / गीतगावे वैरागनारे / पातक दूर पलाय // संबे // 15 // ... // ढाल 4 // मारगदेशकमोक्षनोरे-एह // ... बहुपमिपुन्नापोरसीरे / वान्दे देवनवास, संथारागाथा जणेरे / खामे जीवनीरासोरे // 20 // ते नरनारीया / सफल करे अवतारोरे / निशीपौषध करे। नावे नावना बारो रे // 21 // ते पाप अगरे परीहरेरे / चित्तधरे सरणाचार / माल संधारो संथरेरे / ध्यानधरे सुविचारोरे // 22 // ते० धर्मजागरीयाजागतोरे / करे मनोरथएह / संयमले जिनदिनेरे। धन्य दिवसमुज तेहोरे // 23 // ते संखश्रावक पौषधकस्योरे। वीरवखाएयोरे तेह / तिणपरि तुमे पौषधकरोरे / जिमपामोसिवगेहोरे // 24 // ते वीतजयपाटणनो धणीरे, नामे उदायन राय / तिण राते पौषधकीयोरे / वीरबन्दन चितलायोरे // 25 // ते तुंगीयानगरी तणारे, श्रावक शुष अनेक / जिण विधि ते पौषध कियोरे / तिम करजोसुविवेकरे // 26 // ते० बलि श्रावक पौषधकियोरे / आनन्दने काममेव / वलिदृष्टान्त सुवाहुनोरे / मनधरज्योनितमवोरे // 27 // ते // ॥ढाल 5 मी॥महामुनीश्वर नितनमुंजी एराह पाउलिराते ऊपीनेहो,श्रावक होय सावधान,राईप्रायश्चित्त काउसग्गकरेहो, देववन्दे सुविधान // 20 // संवेगी श्रावकहो पौषधनी विधिएह, मिलती सूत्र सिद्धान्तनेहो, मति मनकरज्यो सन्देह // 3 // सं उच्चस्वर बोले नही हो, दोष कह्या जगवन्त / बलि सा. Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (267) मायिक लेख्नेहो, प्रतिक्रमण करे तंत // 30 // सं० प्रतिलेखन क्रिया करे हो, सगली पूरवरीत, सहुसफायकिया पके हो, सुगुरु वन्दे धरिप्रीत // 31 // सं पहिली पौषधपारिने हो, सामायिक पणपार, प्रतिलाले अणगारनेहो, अतिथिसंवि. जागविचार // 35 // सं० विधिसेति पौषधकरहो, बहुफलदायकहोय / अविधिसंघाते कीजतांहो, काजसरे नही कोय // 33 // सं० पिणविधिनी खपकीजता हो, अविधि दुवे जे काय, मिचामिछक्कम दीजतांहो, बुटक बारो श्राय // 3 // सं० पौषध औषध कर्मनोहो, टाले जुर्गति दुःख, अशुनकर्म सहु क्यकरेहो, आपे शास्वतासुख // 35 // सं० उत्कृष्ट पौषधतणीहो, यह विहि कही विस्तार, जेशलमेरी संघनेहो, आग्रहकरी सुविचार // 36 // सं० सौलेसेसिमसठ समय हो, नगर मरोट मझार, मृगसिर सुदि एकमदिनेहो, शुभदिन सुरगुरुवार // 37 // सं० श्रीजिनचन्मसूरीश्वरूहो, श्रीजिनसिंहसूरीश, सकचन्दसुपसायलेहो, समयसुन्दरलणे शीस // 30 // सं० // इति स्तवनम्. ॥द्वितीया स्तवनम् // चान्दलियाका // चान्दलिया सन्देसो जिनवरने कहेरे। श्तरो कामकरे श्र विशालरे / बारे पर्खदा जिनवर उलगेरे / पोरे / मोहन मूर्ति महिमावन्तरे / जगमें सुशयघणो सहुकोज पेरे / नेटिस ते दिन धन्य नगवन्तरे // // चां साहिब मुःख अनन्ता म्है सह्यारे / हूं लमियो गमिड बुं नव आलरे / शरणश Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (260) खिजो निज सेवकारे / तो बिना कोई न दीनदयालरे ॥३॥चां० इतरा दिवस लग चूलोथकोरे / सेव्यो तो होसी सुरकश्यकरे। ते अपराध कमीजो माहरारे / मोटा तो बगसे खूनअनेकरे // // 4 // चां० // हिवेश्कतारी किधी एहवीरे / तोविण अवरु नमवा झूसरे / सुरतरुफल गेमीने तुलनारे / खावानी केम आवे ढुसरे // 5 // चां० इसमो तो नेह घणोहि जालवोरे। जावे आवे ने करवा प्रीतरे / समविखमी पणनगणे वाटमारे। नवला स्नेही नवलीरीतरे // 6 // चां० मनमो चंचल युक्ततनु खसेरे / कर्म कठिन सबलि अन्तरायरे / पापकीया कई नव पाउलारे / मनमैलुं किम मेलु थायरे // 7 // चां० वालेश्वर सांजलमुक विनतीरे / म्हारे तो तुहीज सऊनसयनरे / हियमा नीतर तु सऊन वसेरे / ध्यान धरूं मलं दिनरेणरे // // चां० कोइ कहे मन तन माहरोरे / कोई कहै जीवन प्राणरे / म्हारे तो तो बिन को नहीरे / जिनजी नावेजाण मजाणरे // ए॥ चां० नयणे निरखिस मूर्ति तहारीरे / ते दिन सफल गणीसमहारायरे / सनमुख करसुं प्रमुख वात. मीरे / मेंमीपरनिजमनची लाजरे // 10 // चां० देवोंन दिधि मुफपाखमीरे / नमी मिलु जिजी तुझ आयरे / मनरा मनोरथ मनमे रह्यारे / किण आगल कहु चितलायरे // 11 // चां० तारे तो मुक्त पाखे सहीरे / पण म्हारेतो तुऊबिन नही सरन्तरे / जलधर सारो मोरा वायरारे / मेहबिन मोरकिम रहन्तरे // 12 // चां० चान्दो गगन सरोवर प्राहुणोरे / दूरथकी करे विकाशरे / जेहजीणोकेमनमेंवसेरे / तेह सदाहि Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६ए) तेने पासरे // 13 // चां० दूरथकी जानजोवन्दनारे / मोरी प्रहजगमते सूररे / महिरकरीजो सेवकउपरेरे / मुछ्ने राखिजोराज हजुररे // 14 // चांग कैश्प्रपंच हो साहबसुं करेरे / कहतां न आवे मनमें कापरे / श्रीसीमन्धर तुम जाणोसहीरे। श्रीसोहम गणि जिनहर्ष सुजाणरे ॥१५॥चांग॥इति सम्पूर्णम् // // अथ अइमत्तामुनिनी सझाय // ॥श्रीअश्मत्ता मुनिवरजूके / करणीकीबलिहारीवे / षट वर्षनके संजमलीनो / वीरवचनचित्तधारीवे // श्री // 1 // विजयनृपतिश्रीदेवीनंदन / पोलासपुरअवतारीवे / अंगण्यारपढे गुणागर / त्रिविधत्रिविधयविकारीवे // श्री // 2 // तपगुणरयणसंवत्सरादिक / करकें कायउधारीवे / प्रनुश्रादेशे विपुलाचलगिरि करीअणसण अतिनारीवे // श्री // 3 // केवलपायमुक्तिगये मुनिवर / कर्मकलंकनिवारीवे / अढारअमतालेतहिगिरिऊपर / कीनीथापनासारीवे // श्री // 4 // वाचक अमृतधर्मसुगुरुके / सुपसायेंसुविचारीवे / शिष्यदमाकट्याणहरखधर // गुणगावे अतिजयकारीवे // श्री० // 5 // इति श्रीअश्मत्तामुनिनीसकाय // // अथ करकंडूप्रथमप्रत्येकबुद्धनीसझाय // // चंपानगरी अतिनली / कुंवारीलाल / दधिवाहनपाखर / ढुंवारीलाल / पद्मावतीकूखें ऊपनो // हुँ० // कर्मेकीधो चंमालरे // ढुं० // 1 // करकंडूने करूं वंदणा॥ ढुं० ॥पहिलो प्रत्येकबुधरे // हुं० // गिरवानागुणगावतां // ढुं० // सम Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (270) कितथायेशुधरे // हुँ का // 2 // लाधीवांशनीलाकमी // हुँ० // श्रयोकंचनपुररायरे // ढुं० // बापसुं संग्राममांमीयो हुं० साधवीलीयो समजायरे // हुँ० क० // 3 // वृषनरूपदेखीकरी // हुं // प्रतिबोधपाम्यो नरेशरे // ढुं० // उमत्त. संजमादयो // दु० // देवतादीधोवेषरे // ढुं० का // 4 // कर्मखपाय मुक्तंगया // हुं० // करकंडूरिषिरायरे // 90 // समयसुंदरकहे साधुने // ढुंग // प्रणम्यां पातिकजायरे ॥ई का // 5 // इति प्रथमप्रत्येकबुधनी // स // // अथ भरतचक्रवर्तीभावमुनिनी सझाय // मन / सहसबत्तीसमुगटबञ्चराजा / सेवाकरे वमनागी। चौससहस अंतेवरिजाके / तोही न दुवा अनुरागी / नरतजी मनहीमें वैरागी // 1 // लाखचोरासी तुरंगमजाके / बन्नुकोमहैपागी / लाख चोराशी गजरथसोहै / सुरताधरमसुं लागी // जरत // // च्यारक्रोम मण अन्नजऊपमे। खूण दशलाख मणलागे / तीनकोमगोकुलनितदूजे / एककोमी हलसागी॥ जर० // 3 // सहसबत्तीसदेसवमनागी। नए सरबकेत्यागी। उन्नुकोम गांमके अधिपति / तोही न हुवा अनुरागी // जर॥४॥ नवनिध रतन चजगमावाजें / मन चिंतासवलागी / कनककीरतमुनिवरवंदतहै / दीजो मुगति में मांगी // जर // 5 // इति जरतजीकास्वाध्याय // // अथ शीतासतीनी सझाय / / ... // जलजलती मिलतीघणारे / कालोकालअपाररे / सुजाण Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (271) शीता / जाणे केसूफूलियारे लाल राताखैरअंगाररे / / सु० // ॥१॥धीजकरे सीतासतीरे लाल सीलतणे परिमाणरे ॥सु॥ खखमणरामखुशीयारे लाल / निरखे राणोराणरे // सु०॥ धी० // स्नानकरी निरमलजलेंरे लाल / पावकपासें थायरे // सु० // उत्तीजाणे सुरांगनारे लाल / अनुपमरूप दिखायरे // सुधी० // 3 // नरनारी मिलीयाघणारे लाल / उलाकरे हायहायरे ॥सु०॥जस्मदुसीणागमेंरे लाल / रामकरेअन्यायरे ॥सुधी॥॥ राघवविनवांब्योहुवेरेलाल / सुपर्नेही मनकोयरे // सु०॥ तोमुझ अगनिप्रजालज्योरे लाल / नहींतो पाणीहोयरे // सु० धी० // ५॥श्मकहिपैठी आगमेंरे लाल / तुरतथयो अगनिनीररे ॥सु०॥ जाणे प्रहजलसुं नखोरे लाल / जीलेधरमसुधीररे॥सुधी // 6 // देवकुशमवरषाकरेरे लाल / एहसतीसिरदाररे // सु० // शीताधीजेउतरीरे लाल / साखजरे संसाररे // सु० धी० // 7 // रलियायतसहुकोथयारे लाल / सगलेश्रयाचबरंगरे // सु० // लखमणरामखुशीथयारे लाल / शीताशीलसुरंगरे॥सुधी॥॥ जगमांहें जसजेहनोरे लाल / अविचलशीलकहायरे // सु // कहे जिनहरष सतीतणारे लाल / नितप्रणमी जे पायरे // सु० धी०॥ ए॥ इति शीतासतीसकायसंपूर्ण // ॥अथ उपदेससझायलिख्यते // दमका नांहिलरोसा सांहै / करले चलनेकासामान / तन पिंजरसें निकशजागा / जिनमेंपंनी प्राण // द // 1 // लख चौरासी जोनीमें नटक्यो / उपनों गरजाधान / सवानवमास Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (73) वश्योअंधकूपमें / मनुष्यरूपसनमान ॥द // 2 // उत्तम कुलमें जनमलियोहै / सुखमें खाणश्ररुपाण / नीमपड्यां तेरे कोश्नसाथी। साथीदानबरुध्यान // द० // 3 // आशात्रिशनाविकथानिता कुमतारूपनिधान / दिनदिनवधे पापकीसंगत / यामें क्रोधअरुमान // द // 4 // चलतेफिरते सोवत जागत / करतखाणश्ररुपाण / बिनविनायुघटतहैतेरे / होतदेहकीहाण // द० // 5 // माल मुलक अरु सुखसंपतमें / होयरह्या गुलतान, देखतदेखत विनसजायगा / मतकर मानगुमान // द // 6 // झूगसब यह जगतपसारा / नारी विषकी खान / मायाममताआदिके वैरी / इनसे कहापहचान // द० // 7 // पाचूंचोरमूंसें घरतेरो / इनकीखोटीवाण / आठवैरी तेरे संगफिरतुहै / मोहवमासुलतान // द० // // को रहणेपावे नहींजगमें / यह तुं निहच्चैजान / अज ढुं गंमि समफिकुटलाई / मूरखतरअज्ञान ॥द० ॥ए॥ नाबंध अरु सजनसंबंधी। राखे तेरामान / अंतसमें कोईकामनावे। किसपेमानगुमान // द // 10 // जपतपशीलपालो सुजसंगत / देवसुपात्रेदान / सुविहितसाधुचरणचितट्यावो / प्रजुनज तज अनिमान // द० // 11 // इति उपदेस सझाय संपूर्णम् // जं जं विहिणा लिहिशं / तं तं परिणमइ सयललोयस्स / इह जाणेवि णु धीरा / विदुरेवि न कायरा हुँति // 1 // // अथ बाहूबलजीनी सष्झाय लिख्यते // ईडर आंबा आंबलीरे // ए चाल // बाहूबलि चारित्रलीयोरे।साचोधरिवैराग / जरतेसरश्मवीन Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (273) ...... वेरे / वारवारपायलाग / हरषनरमुझसुं बोलज्योरे। थानें बाबाजीरीण थानें रीषनदेवजीरीआण।तो मकरो खेंचाताण / थेतो माहरे जीवनप्राण // हरष॥ मुझसुबोणआंकमी॥१॥दुतो जाईताहरोरे / जेकीधोदोस / तोपिण खमज्योजाईमारे / गरुवानकरे रोस // ह० // // आवो बांहदेई मिलारे / जोवो आंखनघाम / बोलो मीगबोलमारे / पूरो मननोलाम // हन ॥३॥खीलोना तोमनेरे / जिएकुल जाईवेढ / नायो आयुध सालमेरे / ज्युं बांजणघरढेढ // ह // 4 // नानीनालंजमारे / किम संजलाये कान / जातां पांववहेनहींरे / तुमनेंमुंकी रान // ह // 5 // तूंजीत्यो हूं हारीयोरे / देवनरेने साख / तुफसरिखो जगकोनहींरें / मुऊसरिखा लाख // हा // 6 // माथे सूरजभावीयोरे / पसीनोसारोगात / वैसोजोजन जीमियरे / खारकदाखनिवात // ह० // 7 // निन्नांणू एकणमतेरे / मुफनें लोजीजाण / ते सहूमुझनेपरिहस्योरे। ज्यु बरसाले गण // ह // // तूं माहरे जीवन आतमारे / तुंहीज मांहरेबांह / दिससूनीलाई विनारे / आवोनेंघरजांह // हन // ए // बोलघणाईबोलियारे / भरतेसर महाराज। हाथीनादांत जे नीकल्यारे / तेपागनवीजाय // ह // 10 // अनिमानी सिरसेहरोरे / बाहूबली रिषिराय / सीधाकरमखपायनेंरे / विमलकीरति गुणगाय // ह // 11 // इति श्रीबाहूबजिजी सिकाय संपूर्णम् // // अथ सचित्तअचित्तनीसझाय // // ढाल चौपईनी // प्रवचनअमरीसमरीसदा / गुरुपद बृ० स्त०१८ Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (27) पंकजप्रणमीमुदा / वस्तुतणाकहूंकालप्रमाण / सचित्त अचित्तविधिलहै जिममाण // 1 // बिहुँझतुमिलीचौमासा मांन / पटऋतुमिलीने वरिसप्रमाण / वर्षाशीतजष्ण त्रिण काल / त्रिहूंचौमासें वरसरसाल // 2 // श्रावणनावासू मास / काती श्मवरसालावास / मागसिरपोसमाहनेंफाग / ए च्यारे सीयालालाग // 3 // चैत्रवैशाखने ज्येष्टआसाढ / उष्णकाल ए च्यारअगाढ / वर्षा शरद शिशिर हेमंत / वसंत ग्रीष्मषटझतुश्मतंत // // रांध्युविदलरहैच-याम / उदन आठपुदुरनिराम / प्रहरसोल दधि कांजी गठ / परहेतो जीवनिवास // 5 // पापमलोइया वटकप्रमाण / च्यारपदुर तिम पोलीमांन / पनर दिवस वर्षापकवान / त्रीसदिवससीयालामांन // 6 // वीस दिवस उन्हालेरहे / पछे अनाथाये जिनकहै / मातरप्रमुख नीवी पकवान / चलित रसे तसकालप्रमाण // 7 // धांनधोवण एकप्रहरप्रमाण दोयधमीजरवाणीजाण / फलधोवण एक प्रहरप्रमाण / त्रिफलाजल उघमीनुमांन // // त्रिणवारे ऊकलिजंजेह / सुखनष्णजल कहियेतेह / प्रहरतीन चल पंचप्रमाण / वर्षाशीतउन्हालेजांण // ए॥श्रावणलाव दिनपंच / मिश्रलोट अणचालितसंच / मिगसरपोसे त्रिणदिनजाण / श्रासूकाती चनदिनमांन // 10 // माहफागुणेकह्यो पण याम / चैत्रवैशाख चनप्रमाण / जेवासाढ प्रहर त्रिणजोय / तिणउपरांत सच्चित्ततेहोय // 11 // गोहूं शालि षम धांन कपास / जव त्रिणवरसें अचित्तहोय. खास / क्दिल सर्व तिलतूंवरदाल / पांचवरसे होश् अचित्तवि Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (275) शाल // 12 // अलसी कोजव कांगनें ज्वार / सातेवरसें अचित्तविचार / शीततापवर्षादिकजोय / सचित्तजोनि अचिततेहोय // 13 // हरमे पीपर मिरच विदाम / खारक प्राख एला अलिराम / जोयणशत जलवटमांवहे / साधिजोयणथसमांहें रहे // 15 // सचित्तवस्तुप्रवहणनीजेह / थाई अचित्त प्रवचनकहैएह / धूमअगनि परीयापणेकरी / अचित्त योनितस थायेखरी // 15 // बारपहूररहे जगलीराब / सोलपहुर राईतां अजाब / कमाह विगयपरि सेक्योधांन / पहिरचौवीस गोमूत्रनुमान // 16 // अतिखारु घृत कालातिल / पलटाई वर्णादिकरील / काचो दूध रहे बहुवार / एह अनदकहैमुनिसार // 17 // ढुंढणीयादिक विदलनीदाल / सेक्या धांनपरें तसकाल / च्यारपदुर सीरोलापसी / विदल परतेप्रवचनवसी // 17 // प्रथमदिवसप्रारंजी गिण्यो। कालप्रमाणसविकेहनो. लण्यो, चलितरस जेहनो जिहांथाय / तिहां ते वस्तुअनदकहिवाय // 15 // धवलो सेंधव कह्यो अचित्त / श्राविधे अख्यरांप्रतीत / ए कालादिकचहरांजेथाय / तेहअचित्त थापना न थाय // 20 // गीतारथनेंवयणेंजोय / श्राचीरणअनाचारणहोय, आई धांनअंकुरनीकले / तबतेवस्तु अन्न मां जिले // 21 // गेरू मणसिल लवणहरियाल / श्रावेजलवट माहिरसाल / तेह अचित्त होइ प्रवचनसाखि / पिण लेवानी नहींतसुजाखि // 22 // इमबोट्यो जबलेशविचार / विस्तारप्रवचनसारोबार / धीरविमलपंमितसुपसाय, कवि नयविमलकहेसजाय॥२३॥ इतिसचित्तचित्तवस्तु स्वरूपसकाय॥ Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (176) // अथ काउसग्गना 19 दोसनीसझाय // सकलदेवसमरीअरिहंत, प्रणमीसदगुरुगुणेमहंत / उग. पीसदोषकाउसग्गतणा / बोलुं श्रुतअनुसारेसुण्या // 1 // घोटकदोष कह्यो वलिएह / वांकोपगराखे वलि जेह / लत्तादोष बीजो हवेसुणो / मीलहलावेजेअतिघणो // 2 // उठींगणलेई जेरहे / अंजदोष ते तीजोकहै / मालदोषचोथोकह्योएह / मस्तकअटकावी रहेजेह // 3 // पगअंगूगमेलीरहे। उघिदोष ते पंचमकहे / बेऊंपगलाकरेजेह / नजलदोष बोकह्योएह // 4 // गुह्यगमि राखे निजहाथ / शबरीदोष कह्यो जगनाथ / मुखचलनाकरे अतिघण। / खलितदोष अहमतेसुणी // 5 // घूघटताणी ने जेरहे / बहुदोष ते नवमोलहे, समयमा पहिरे पहिरणूं / दशमेदोष लंबोत्तरजणूं // 6 // हृदयस्थल आगदितरहे। ते अणदोष ग्यारमो लहे / वस्त्रांसु ढाक्यो सवि देह / संयतिदोष बारसमोएह // 7 // जांमणचालो करे अतिघणुं / नमुहदोस तेरसमोनणुं / अंगुलीहलावे संख्याकाज / चवदमोदोष कह्यो जिनराज // 7 // नेत्रतणा चाला जेकरे / वायसदोष पनरमोधरे / पहिया वस्त्र संकोमीरहे / कपित्थदोष सोलसमोसहे // ए॥ मस्तकधूणावे अतिघणुं / ते सिरकंपसतरमोजणुं / महिरानीपरि जे वझवझे। वारुणी दोषअगरमोचमे // 10 // मूकदोषकह्यो जगणीसमो। तेहकरी काउसग्गमतगमो। त्रिदोष ए माहिलाटले / सोलदोषसाधवीने मिले // 11 // लंबुत्तरथणसंयती / दोषएह बोड्याजगपती / बहूदोष चौथो जबमिले / च्यारदोषश्रावि Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (277) कानेंटले // 12 // काऊसग्गश्री समतासुखथाय / कग्निकमैनी कोमिपुलाय / काउसगकरतां सवि सुखहोई / काउसगसम तपनकह्योकोय // 13 // दोषरहित काउसग्गकीजीये। जिमसहिजे शिवफललीजीये / पंमितधीर विमलनोसीस / कविनयविमलकहै निशिदीश // 15 // इति काउसग्गना १ए दोषनी सकाय संपूर्णम् // ॥श्री नारकीनी सात ढाल // // दोहा // त्रिसलानंदनप्रणमीये / शासननायकवीर / सिघारथनृपकुलतीलो / बलवंतसाहसधीर // 1 // चरण अंगुठेचांपीयो / जेणे मेरुगिरींद / सवीसुरसंशयऊपनो। जाएयात्रिनुवनचंद // 2 // बाललीला सुखलोगवी / पके लीये संयमनार / केवलज्ञानपामीकरी / करे नविनेउपकार // 3 // समवसरणबेसीकरी / गौतमबागलवीर / नरकतणां मुखव वे / सांजलेवीरवजीर // 4 // विविधप्रकारनीवेदना / सहतां नारकीजीव / सांजलतांहीयोथरथरे, नाषे शासनवीर // 5 // ॥प्रथम ढाल // देशी त्रीपदीनी॥ पहेलीनरके जाणरे, सागरएकनुं / आयुनाषे वीरजीए. // 1 // बीजीनरके जोयरे / सागरत्रणर्नु / श्राउएटलुं जाणीयेए // 2 // सागरसातनुआयुरे / त्रीजीएकडं / केवलीवचन ते सर्दह्योए // 3 // चोथी दससागरजाणरे / गुणवंतसाललो। एवचनश्रीवीरनाए // 4 // गणधरलाषेतासरे / पांचमी नरकनो / सत्तरसागर आउषोए // 5 // बहीनरके गुणवंतरे। Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (27) सागरबावीशनों / इणीपरे गुरुमुखसांजस्योए // 6 // सातमीये जाणोसंतरे / सागरतेतीसनो / आयुवीरजी प्ररूपताए // 7 // एसातेनरकेआयुरे / जाणोशास्त्रथी। नरक वेदनाअतिआकरी ए॥७॥ कहेमुक्तिवीरजीणंदरे / कीमसमेवेदना। धर्मे मुक्ति जसलहेए // ए॥ // दोहा // रत्नप्रनापहिलीकहि / सकरप्रना तुं जाण / वालुकप्रना त्रीजीसुणी / सांजलो चतुरसुजाण // 1 // चोथी पंकप्रनासुणो / धुमप्रला पांचमीजेह / तमप्रना उनीकही। तमःतमा सातमीतेह // 2 // // द्वितीय ढाल // मनमुंमारु मोकळुमारावालाजीरे / कालअनंतीवेदना गुणवंताजीरे / घणुंशुंनाडुंएह, सुगुणनरसांनलो गुणवंताजीरे / शोरबकोरनारकीकरे // गु० // केवली. जाणतेह // सु० गु० // 1 // पंदरलेदनादेवता // गु० // वेदनाउपजावेप्रचंग // सु० गुण // खंमोखंग तेप्राणना // गु० // ऊपरमुजरदंग // सु० गु० // 2 // एहवाशब्दकुण सांजले // गु० // एकसानले श्रीजिनराज // सु० गु० // पापकरीने प्राणीयो // गु० // जश्वेसे नारकीपाज // सु० गुण // 3 // कर्कशनाषाबोलता // गु०॥ वर्णकुवर्ण तुं जाण // सु०॥ मांहोमांहेसांजले // गु० // सहेलली मुःखनीखाण // सु० गुण // 4 // शीतलजोनीयेउपजे // गु० // रहेतां तेणजगम // सु // गु० // रुधिरमांसचाममां // गु० // तस घोरअंधार // सु० गु० // 5 // कीचनदणकीकरे // गु० // घणानरकमांमुःख // सु गु० // मननीवात मनमारहे // गुण // परवश Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (27) नारक न सुख // सु गु० ॥६॥दीवसनवि सूजेतेहने // गु० // परमाधामी उलाजेह // सु० गुण // नासीने जायकीहां // गु० // एवोथानकनहिजेह // सु० गुण // 7 // सांजलीहैमो कमकमे // गु० // एहवा नारकीःख // सु० गुण // जीवजंतमारेप्राणीयो // गु० // किमलहेमुक्ति सुख // सुप गु० // 7 // // दोहा // दसप्रकारनी वेदना / सहेता नारकीजीव / अन्यो अन्ये जुजतां / सहतांदुःखसदीव // 1 // अशुनबंधन अशुन गति / अशुन संस्थान जेहुं / दनदन अशुलवर्ण / सहेतां मुःखप्रचंग // // अशुनगंधने जाणवो / अशुजरस वलीनेद / मागेफरस वलीकह्यो / मागेअगुरुलघुवेद // 3 // मागेशब्द वलीलह्यो / वेदना दसे प्रकार / त्रैलोक्यदीपकथीजाणजो। नाषीसूत्रमकार // 4 // तृतीय ढाल // मनडोअडेररह्योअभिमाने // साते नरकमां जाणे वेदना / श्रीवीरवखाणेरे मारा नरक तणांरे / दुःखसुणजो एआंकणी / नहिसूरज नहिचंछ / नहिपाणीपवनप्रचंमारे // मारा० // 1 // माहाघोर अंधकार / थानकपणनहिसारे // मारा // बिहामणीनूमि जाणो / तसफरसखंमाधाररे // मारा // 2 // साते नरके जाणो / तस वेदनाकहिनविजावेरे // मारा // माहाक्रोध धरीने तिहां / हथीआरधरीनेावेरे // मारा // 3 // कातरणी जेसीकरे. देहं / एमचरणकरतांतेहरे // मारा० // माहारौरवशब्दने जाणो / केवलीजाणेतेहरे // मारा // 4 // परमाधामीपचावेरे / वली ऊंधेमस्तकेअंगेरे // मारा // देहने क्षणमांमरोमे। Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) वली तेहनीपूंछेदोमेरे // मारा // 5 // वैतरणीनदीमा लई. आवे / वली पाणीमांजबकांवेरे // मारा // ए कर्मतणांविपाक माहेमांहे मलीजावेरे // मारा० // 6 // करे कुहामाराखे। वली वचन बिहामनाजाखि // मारा // दनदनकरतां / वली पापनीराशे वतारे // मारा // 7 // समलीने रूपे आवे / वली वायसरूपसुहावरे // मारा // वाघसीहनारूप जेकरतां / यश् चीतारूपेतामुकेरे // मारा // // श्मअनेक हिंसारीजीव / म परमाधामीरूपरे // मारा // वीरलाषे पन्नरेनेदे / करेमुक्ति धर्मश्रीसुख वेदेरे // मारा // ए॥ // दोहा // श्म दसप्रकारनीवेदना / कहिनरके जिनराय / शीतनपणनी वेदना / केवलीसे कहि न जाय ॥१॥जुख तृषातसें वेदना / परज वेदनाअत्यंत / परवशताज्वरतापणुं / दाघज्वरपामेअनंत ॥शालय शोक तेहने घणो / श्म ते नारकी जाम / वीर जिन इणीपरेलासता / सुणतां गौयमस्वाम // 3 // // ढाल चोथी // सुणसाहेबजी परमातमपुजार्नु फल मुजआपो-एदेशी // होसुणगौतमजी।वीरपयंपे नरकतणांमुःखनिवारता,परनारीतणी जे संगकरता। वली पापथकीप्राणीनवी मरता।जमरायनीसंकानविधरता सुणश्रोताजी। नरक तणांमुःखसांजलतां हमुंकमकमे॥१॥गुणवंताजी।वीरतणीवाणी सांजलतां धर्म खजानो तेनरे। ए आंकणी लोहतणीपुतलीतपावे। अतिअग्निमयकरावे / तस आलिंगनतेहकरावे ने सुण गु॥२॥ पांचसेजोजन जंचाउगलेगे / तेहने ते गुंमपगमे / फरीतेदनीवाहे ते Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (21) बालेने // सुण गुण // 3 // श्वान ते रूपे करमे / काली नारकी अंगने मरमेडे / वली तेहनीपूठे दोमे // सुण गुरु // 4 // मृगलाजेमपासमांपामे / कलीरी करवतेकरी फामेजे। इम उंचापकमी नमामे // सुण गुण // 5 // वली तस शूलीशाये। वदी कामनाक तसकापे / वीरुवातस तेहनाविपाकेले // सुण गु० // 6 // वली तातातेलमाघाले / जासममा तेहनेवाले ने वली खालउतारी जाले // सुण गु० // 7 // अनलिष्टाहारकरावे / म नारकीमुखनेपावे / बहुशब्द करतांकालगुमावे // सुण गुण // // वली तनुमांखारमीवाले / परमाधामी सुःखदेखावे / प्रन्नु वीरवाणी शीतलथावे // सुण गु०॥ ए॥ // दोहा // नुमि तीहां याकरी / वन जे शीतलजाण / आवीबसे तरुगहमी / पमतांनाजेप्राण // 1 // वीरुआ विषय विलासतस / सुखथोमो मुखबहुजाण / नरकतणां दुःखसांजलो / नाषे वीरवर्धमान // 2 // // ढाल पांचमी मनेसंभवजिनसुप्रीत ए देशी // . कुंजीमां करतापाक / देहतेजाणोरे / तेलघाणीमांतेह घाले जमराणोरे॥१॥महेरनआवेतास / गलग्रही जावेरे / रसकढे तसतंतुथी / वली नसबालेरे // 2 // नावा जायेतेह / मन जयनांतरे / परमाधामीतेह / कालेकांतरे // 3 // सूलीपरोवेजेह दांतमा लेवेरे / वली मारीकरे शतखंम, घणु दुःखदेवेरे // 4 // फीरीफीरी लागेपाय / वेदनासहेतारे / एमकालअनंतोत्याह / सहे दुःख मरतारे // 5 // हवे तो सही नजाय / Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (22) नारकीबुःखमारे / कोइ न पूजेसार / नारकीसुखमारे // 6 // नहिशरणुं तीहांकोइ / असरणमरतारे / परमाधामीजेह, बहु दुःखदेतारे // 7 // सांजली परहरेदेह / थायेप्राणीरे / कहे मुक्ति महाराज कहे प्रनुनाणीरे // 7 // ॥दोहा // पापकरम कीधाघणा / बहुजीवसंहार / पीमा न जाणेपरतणी / जीवमोवमोगमार // 1 // अलीकवचतमुख नापीआ / पारकाचोर्यामाल / सेवीपरनारीनिःशंकपणे / आरंजकीधाअपार // 2 // बहुपरिग्रहमेलव्यो / निशीलोजनअंधार / बहुजीवविणास्यातिहांकणे / अजद अथाणुंनहिपार // 3 // कगेलमांगसनेमेलवी / जम्यो आहारनिःशंक / लालजोगे बहुजीवमा / उपजे तेनदीसंत // 4 // अखगीथाए नारतस / श्रानम बेटनिवार / गणांगे प्रगटपाए / जाणो. तुमेनिरधार // 5 // // ढाल छट्ठी विसारिमी ए देशी // मातपितागुरुलव्या गुणरागीरे / किधा क्रोधअपार / सुणोतुमेरागीरे / मानमायालोलथी // गु० // बुधिनहि रही. कां // सुणो० // 1 // नरकतणां जेबारणां // गुण // पापेजघाड्या तेह // सुणो० // श्म परमाधामीनीवेदना // गु० // शूलीकूटी वज्र // सु० // 2 // उदीरी उदीरी देहने / गु०॥ पपगमेतेह // सु० // तरसवसेंकरी तेहने // गु० // उकाली कथीर तेपाय // सु० // 3 // मुखमां नाखे तेहने // गु० // वदन वली जाय // सु०॥ बहु कीमापदेहमां // गु० // वली आव्याकरे शतखंम, सु०॥४॥ निशीलोजनतस बारj // Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (23) गु० // जाणे पापअखंक, ॥सु० // उनोने वलीश्राकरो / // गु० // नीराणेप्रचंग // सुण // 5 // तेघाले निज आंखमां / श्रवणमा नरेकथीर ॥सु०॥ महाकासबीहामता // गु० // महाबीनत्सचित्तधार // 6 // दीनदयामणांजाणवां // गु० // नरकनाजीवअतीव, // सु० // वीरजीणंद श्म देशना // गुण // सुणो ते मुक्ति सदीव // सु०॥७॥ - // दोहा // नरकतणां मुःखसांजली / कंपेतासशरीर / तव गोयम ते श्मकहे / सांजल गुणगंजीर // 1 // प्रनुचरणे शीर नामीने / पूरे गौतमस्वामि / अंतरजामीमाहरो / सरसकहो सिरनामी // 2 // ए वेदना में बहु सही / वसीयो कालअनंत / कोइकपुन्यकबोलथी। मुजमील्यालगवंत // 3 // पंच माहाव्रत जे धरे / पाले पंचाचार / पांचसुमति जे आदरे / ते लेशेजवनोपार // 4 // // ढाल 7 मी // आसणरा योगी ए देशी // इणीपरे बहुवेदना अहिआसी / हवेव्यो चरणे निवासीरे। वीरजी गुणवंता / वसतां नरकमांहें जिनराज / गयो कालअनंत माहाराजरे ॥वी // 1 // ज्ञानीविनाकुणजाणेप्राणी। कहेतांनावेपाररे / सुघसंयमरागी / दशे दृष्टांते दोहीलो जाख्यो नरजव पुन्यसंयोगेरे // वी० // 2 // शुसंयमनो खपकरशे / टाली विषयविकाररे // सु० // पंचे इंजियने वशकरसोजो। तो शिवरमणीनेवरशोरे॥ सु० ॥३॥निता विकथा दूरनिवारो / श्रीजिनधर्मचित्तधारोरे ॥सु०॥ समकितरत्नहियेमेधारो। नरकतणां मुःखवारोरे // सु० // 4 // नांजे सर्वे itili Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (24) मिथ्याधर्म / एवो जिनशासनधर्मरे॥ सु० // श्रीचिंतामणीचर• एपसाये। संकट विकट तेजायरे॥सु॥५॥ नुजपुरसहेर गुरूनी महिरे // कस्यो चोमासनबासरे // सु० // संवतजगणीस सतो. तरेवरसे / पोसतणीसुददस मिरे // सु० // 6 // अंचलगन् पूज्यपटोधर / श्रीपुण्यसिंधुसूरिरायारे // सु०॥ संघनी साखे मिलामिठक्कम / होज्यो अधिक सवायारे ॥सु०॥७॥ जोको लणशे श्रवणेसांजलशे / तसघरमंगल मालरे // सु० // नरकसणांकुःख वीरेलाख्यां / वीरवचन रसचाख्यारे // सु॥७॥ कहे मुक्ति कमला तसवरजो / सईहजो वीरजीवाणीरे // सु // मिथ्यात्वप्रमादतजोसीलाइ जिनआणा चितलारे // सु० ॥ए॥ इति // ॥अथ सिद्धपदवर्णन सशाय // // श्रीगौतमस्वामी पूजाकरे, विनयकरि शीसनमाय प्रनुजी, अविचल थानकमें सुण्यो, कृपाकरी मोयवताय प्र० सिवपुर. नगरसोहामणुं 1 आठकर्मअलगाकरी, सास्याआतमकाज प्रा बूटा संसारनाफुःखथकी, रहवारोतिहांगम प्र शि०३ वीरकहेज लोकमां, सिमशिलातणो गम हो गोतम स्वर्गपुरिनेक परे, तेहनावारे नामहो गो शि० 3 लाखपिस्तालीस जोयणा, लावीपोली जाणहो गो० आजोजनजामीविचै, मे मांखीपांखमाणहो गो शि० 5 नज्वलहार मोतितणा, गोऽध संख प्रमाणहो गो० तेथकीउजलीअतिघणी, उलटी बत्रसंगणहो गो सि० 5 अर्जुनस्वर्ण समदीपती, घगरीमगरीजाणहो गो फटकरतनथकीनिरमली, सुआली अत्यंत Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (25) वखाणहो गो शि 6 सिघसिला उबंधीगया, अधररह्या सिघ राजहो गो० अलोकसुजाश्अड्या, सास्याआतमकाजहो गो शि० 7 जनमनही मरणनही, नहिजरानहि रोगहो गो वैरीनहीं मित्रोनही, नहीसंजोगवियोगहो गो शि. नूखनहीं तिरखानहीं, हरखनहीं नहीसोकहो गो० करमनहीं. कायानहीं, विषयरस नहींयोगहो गोशि ए शब्दरूपर• सगंधनही फरसनहीं नहींवेदहो गो० // बोलेनही चाले. नही, मोनपणुं नहीखेदहो गो० शि० 10 गामनगरएकोनहीं, वसतीनही उजामहो गो० // कालतिहांवरतेनहीं, नहीं रातदिवस तिथिवारहो गो शि० 11 राजानहीं परजानहीं, नहीगकुर नहींदासहो गो० // मुक्तिमें गुरुचेलोनहीं, नहींलघु वमाश्वासहो गो०शि० 15 अनंतसुखमें कीलरह्या, अरूपीज्योतप्रकाशहो गो० // सहुकोइने सुखसारिखा, सगलाने अविचलराजहो गो शि० 13 अनंतासिद्ध मुगतेगया, वलीअनंताजायहो गो // अवरजग्या रुंधेनहीं, जोतमांजोतसमायहो गो शि 14 केवलज्ञानेसहित, केवलदर्शन खासहो गो० // दायकसमकितदीपता, कदयनहोवै उदासहो गो शि० 15 सिघस्वरूपजेलखे, आणीमनवैरागहो गो॥ शिवरमणीवेगेवली, नयकहे सुखअथागहो गो शि० 16 // इति सिछिपदवर्णन सकाय संपूर्ण // ॥प्रथम आचारांरागसज्झाय लिख्यते // // ढाल हठीलानी // - पहिलोअंगसुहामणोरे, अनुपमआचारंगरे // सुगुणनर // Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (26) वीरजिनंदेलाषियोरेलाल, उववाईजासजवंगरे // सु० // 1 // बलिहारी ए अंगनीरे, ढुं जावं वारंवाररे // सु॥ विनये गोचरीश्रादरेरेलाल, जिहांसाधुतणोआचाररे // सुब० // 2 // सुयखंधदोय जेहनारे,प्रवरअध्ययनपचवीसरे // सु० // उद्दे शादिकजाणियेरे लाल, पिच्यासीसुजगीसरे // सु० ब० // 3 // हेतुजुगतकर सोजतारे पदअढारहजाररे // सु०॥ अदरपदने हमे रे लाल, संख्याताश्रीकाररे // सु० ब० ॥४॥गमाअनंता जेहमारे, वलिअनंतपर्यायरे // सु० // सपरित्तो नै हारे वाल, थावरअनंतकहायरे // सु० ब० // 5 // निवजनिकाचितसासतारे, जिनप्रणीतएलावरे // सु० // सुणतांआतमन बसेरे, खाल, प्रगटेसहजस्वनावरे // सु० // ब० // 6 // सुगुणश्रावक वारूश्राविकारे, अंगेधरियनवास रे // सु० // विधिपूर्वकतुमेसांजलोरे लाल, गीतारथगुरु पासरे॥ सु० ब० // 7 // एसिद्धांतमहिमानिलोरे, ऊतारे नवपाररे // सु० // विनयचंकहेमाहरेरे लाल, एहिज अंगआधाररे // सु० ब० // // इतिआचारांग स // .... // अथ 2 सुयगडांगसूत्रसज्झाय लिख्यते // // ढाल रसियानी // बीजोरेअंग तुमेसांनलो, मनोहर श्रीसु. यगमांग // मोरासाजन // त्रणसेतेसम्पाखंमीतणो, मतखंड्यो धररंग // मो॥१॥ मीठीरेलागे वाणी जिनतणी, जागेजेहश्रीरेग्यान // मो० // एवाणीमननणीमाहरै, मानु सुधारसमान // मो० // मी० // 2 // रायपसेणी उपांग ने जेहनो, एतो सूत्रगंजीर // मो० // बहूश्रुतअरथजाणे सहू, दीरनीर धनुतीर Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (27) // मो० मी० // 3 // एहनारे सुयखंधदोय, वलि अध्ययनतेवीस // मो // उद्देसासमुदेसा जिहांलला, संख्यायेरेतेत्रीस // मो० मी // 4 // नय निदेपप्रमाणलखा, पदबत्तीसहजार // मो० // संख्याता अदरपदमांहे, कुणलहे तेहनोरेपार // मो० मी॥५॥गमाअनंता पर्यायवली, जेदअनंतजिणमांहि॥मो॥ गुणअनंत त्रसपरित्तकह्या, थावरअनंतजेमांहि // मो० मी० // 6 // निबनिकाचित्त जे सासयकमा, जिनपणत्तारे नाव // मो०॥ नाषीरे सुंदर एह प्ररूपणा, चरणकरणनोरे जाव॥मोग मीठी० // 7 // करियेजगतजुगतएसूत्रनी, निश्चैलहियेरे मुक्ति // मो० // विनयचंकहे प्रगटेएहथी, आतमगुणनीरे शक्ति // मो० मी० // // इतिसूयगमांग सज्झाय // 2 // // अथ 3 ठाणांगसूत्रसज्झाय लिख्यते // // ढाल // आउटके कंकणलियोरी // एचाल // त्रीजो अंगनलोकह्योरे जिनजी, नामे श्रीगणांग // मोरोमनमगन थयो // हारे देखी 5 नाव, हारे जीवाजीवस्वन्नाव // मो० // सबलजुगतकरीगजतोरे जिए, जीवानिगमलपांग॥मो० // 1 // एहसंगमुक मनवस्योरे जिनजी, जिमकोकिल दलअंब॥मो॥ गुहिरनावकरि जागतोरेजिए, आज तो एहआलंब ॥मो॥२॥ कूटशैलसिखरीशिलारे जि०, काननमेंबलिकुंग // मो० // गह्वरआगरजहनदीरे जि०, जेहमेंअरेजदंग // मो॥३॥ दसगणाअति दीपतारे जि०, गुणपर्यायप्रयोग // मो॥परित्तजेहनी वाचनारे जि०, संख्याताअनुयोग // मो० // 4 // वेष्टसिलोकनिजुत्तसुं रे जिए, संग्रहण पमिचित्त // मो० // एसडु संख्यातां. Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) जिहांरे जि०, सुणतांजलसेचित्त // मो० // 5 // सुयखंधश्क राजतोरे जि०, दशश्रध्ययननदार // मो० // उद्देशादिकवीसबैरे जि०, पद बहुत्तरहजार // मो० // 6 // रागीजिनशासनतणारे जि०, सुणे सिद्धांतवखाण / मो० // विनयचंकहैते हुवेरे जि०, परमारथराजाण // मो० // 7 // इति श्री गण सं० // // अथ 4 // समवायांगसूत्रसझाय लिख्यते // - // ढाल // थारामहिलांऊपर मेहकरोखेबीजली // एचाल / चोथो समवायांग सुणो श्रोतागुणी, हो लाल सुणो श्रो, पन्नवणाउपांगकरी सोनावणी, हो लाल करी सो० // अरधमागधीलाषा साखासुरतणी, हो लाल साखा सु०, समकित नाव कुसुम परिमलव्यापी घणी, हो लाल परि० // 1 // जीव अजीवने जीवाजीव समासथी, हो लाल जी, लहीयैएहथि नाव विरोधकांनथी, हो लाल वि० // नांगातीन स्वसमया वखाणीये, हो लाल लो॥२॥एकथकी सतसमवायपरूपणा, हो लाल सम, कोमाकोमि प्रमाणकजीव निरूपणा, हो लाल जी० // वारसविहगणी पिकटतणीसंख्या कही, हो लाल तण, सासताअरथअनंतकि चै एहनासही, हो लाल बै० // 3 // सुयखंध अध्ययन उद्देसादिके जला, हो लाल ज०, संख्यायें एकएकप्रत्येके गुण निला, हो० प्रत्येक // पद एकलाखचौमालसहसतेउत्तरा, हो स०, पदनेंअग्रउदग्र संख्याताअकरा, हो सं०॥४॥ नाष्यचूर्णिनियुक्ती करीसोहेसदा, हो० करी, सुणतांदगंजीर त्रिपत न होयकदा, हो त्रि० // जेहनमावै. Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०ए) अंगकि अन्तरगतिहसी, हो अन्त०, जलवरसंतेजोर कुण न दुवेखुसी, हो कु० // 5 // जाग्योधरमसनेह जिणंदसुमाहरो, हो जि०, तजिया शास्त्रमिथ्यात सुत्रजाण्योखरो हो सू० // जिममालतीलहे लूंग करीर नविरहे, हो कर, ईश्वर शिरसुरगंग तजी परिन विवहे, हो त ॥६॥ए प्रवचन निग्रंथतणो जुगतेवमो, हो० त०, साकरसेलमीत्राखथकीपिणमीठमो, हो थ०॥ स्युं कहियेबहुवातविनयचं इमकहै, हो, वि० एहनासुणने जाव श्रोताअतिगहगहै, श्रो॥७॥इति समवायांग स० सं० // अथ 5 // भगवतीसूत्र सज्झायलिख्यते // // ढाल पंथीमानी // पंचमअंगे लगवतीजाणियेरे जिहां जिनवरनावचनअथाहरे // हिमवंतपरवतसेती नीकट्यारे,मानु परतिखगंगप्रवाहरे // पं० // 1 // सूरपन्नत्तीनामे परगमोरे, जेहनोचै उद्दामनवांग रे॥ सूत्रतणीरचना दरियाजिसीरे, मांहिलाअरथ ते सजलतरंगरे // 50 // 2 // इहांतो सुयखंध एकतिजलोरे, एकसोएकअध्ययन उदाररे // दशहजारउद्देसा जेहनारे, जिहां किण प्रश्न उत्तीसहजार रे // 50 // पदतो दोयलाखअरथे नखारे, ऊपरसहसअठ्यासीजाणरे // लोकालोकस्वरूपनीवर्णनारे, विवाहपन्नत्तीअधिकप्रमाणरे // 50 // 4 // करियेपूजा अने परनावनारे, धरिये सद्गुरुऊपररागरे // सुणिये सूत्रनगवतीरागसूरे, तोहोय नवसागरनोत्याग रे // 50 // 5 // गौतमनामे प्रव्यचढाश्यैरे, सम्यकूझान उदयहोय जेमरे // कीजै साधु तथा साहमीतणीरे, जगति युगतिमनाणीप्रेमरे // पं० // 6 // इण विधसुं एसूत्र आराधतारे, इणनव सीवंचितका बृ० स्त० 19 Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) जरे // परनवविनयचंजकहे तेलहेरे, मोहनमुगतिपुरीनोराजरे॥ पंच० // 7 // इति श्रीनगवतीसूत्रसज्काय सं०॥ // अथ 6 // ज्ञातासूत्र सज्झायलिख्यते / // ढाल // कितलखलागाराजाजीरमालियै ॥ए देशी // उद्योअंग ते ज्ञातासूत्रवखाणियैजी, जेहना अरश्रअनेक उदंमहो // म्हारा सुणज्योधरिनेह सिद्धांतनीवातमीजी // श्रवणे सुणतां गाढोरसऊपजेजी, मधुरतातर्जितजिममधुखंग हो॥म्हा // 1 // जंबुद्दीवपन्नत्तीउपांग जेहनोजी, इण माहे जिनपूजानीविधिजोरहो // म्हा० // अर्चिकमणि परम शांतिरसअनुनवेजी, चर्चिकमणिकरै समसोरहो // म्हा० // // नगरउद्यानचैत्यवनखंम्सोहामणाजी, समवसरण राजाना मातनेतातहो॥म्हा॥ धरमाचारजधर्मकथा तिहां दाखवीजी, इहलोकपरलोकशुधिविशेषसुहातहो // म्हा० // 3 // लोगपरित्यागप्रव्रज्यापर्षदाजी, सूत्र परिग्रह वारू तपउपधानहो // म्हा० // संलेहणपच्चरकाण पादपोपगमनताजी,स्वर्गगमन शुलकुलमतपत्तानहो॥ म्हा॥४॥ बोधिलाजवलितंतते अंतकृत्यकहीजी,धर्मकथानादोयले सुयखंधहो // म्हा० // पहिलाना उगणीसअध्ययन ते आजबैजी, बीजाना दसवर्गमहाअनुबंधहो। म्हा // 5 // ऊंउकोमितिहा सकलकथानकनाषियाजी, नाष्या वलि जगणीसउद्देसहो // म्हा० // संख्याताहजार नला पदएहनाजी, एहथकीजायै कुमतिकलेशहो // म्हा० // 6 // विनयकरे जे गुरुनोबहुपरैजी, तेहने श्रुत सुणतां बहुफलहोयहो॥म्हा॥ते रसियामनवसिया Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (21) विनयचंजनेजी, सोमांहेमिलै जोया एककैदोयहो॥म्हा॥७॥ इति ज्ञाताधर्मकथांग स० // // अथ 7 // उपासकदशा सूत्रसज्झाय लिख्यते // // ढाल विजियानी // हिवैसातमोअंग ते सांललो, उपासगदशा नामेचंगरे // श्रमणोपासकनीवर्णना, जसुचंदपन्नत्तीनपांग रे // 1 // मनलागो मोरोसूत्रथी, एतो नव वैरागतरंगरे // रसराताझाता गुणलहै, परमारथसुविहित संगरे // म॥२॥णअंगे सुयखंधएक, अध्ययन उद्देस विचाररे॥ दस 2 संख्यायेंदाखव्या, पदपिण संख्यात हजाररे // म // 3 // आनंदादिकश्रावकतणो, सुणतां अधिकाररसालरे // रसलागेजागेमोहनी, श्रोताजनने ततकालरे // म० // 4 // श्रोताआगलतो वांचतां, गीतारश्रपामेरीकरे // जे अर्थदग्धसमजैनही, तेहसंतो करवी धीजरे // म० // 5 // दसश्रावक तो इहांनाषिया, पिण सूत्र जण्योनहीकोयरे // ते माटे शुधश्रावकजणी, एकअरथनीधारणाहोयरे // म० // 6 // साचोहोयतेप्ररूपियै, निस्संकपणे सुजगीसरे // कविविनयचंकहै स्युंथयो, जो कुमतीकरस्यैरीसरे // म // 7 // इति उपाशकदशांगसज्जायः॥ // अथ 8 // अंतगडदशांगसज्झाय लिख्यते // // ढाल // वीरवखाणीराणी चेलणाजी // ए देशी // आठमोअंग अंतगमदशाजी, सुणीकरो कानपवित्र // अंतगमकेवली जे थयाजी, तेहना रे इहां अच्छेचरित्र // आठ // 1 // कर्मकग्निदलचूरतांजी, पूरताजगतनीयास // जिनवरदेव इहां जासताजी, सासताअर्थसुविलास // श्राप // 2 // सकल Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) निदेपनयनंगधीजी, अंगनानावअनंग // सहिजसुखरंगनीतस्पिकाजी, कहिपकाजासउवांग // आ० // 3 // एकसुयखंध इण अंगनोजी, वर्ग आग्अनिराम // श्राग्नद्देसा वलीजी, संख्यातासहसपदगम ॥श्रा०॥४॥ आठमाअंगनापाउमेंजी, एहवोअरेमीगस // सरसअनुन्नवरसऊपजैजी, संपजैपुण्यनीरास // श्रा० // 5 // विषयलंपटनरजेहुवेजी, निरविषयी. सुण्यांबाय, जिममाहाविषविषधरतणोजी, नागमंत्रेसुण्याजाय॥ आ० // 6 // अमृतवचनमुखवरसतीजी, सरस्वतीकरोरेपसाय // जिमविनयचंच इण सूत्रनाजी, तुरतलहैअभिप्राय // आ० // 7 // इति श्रीअंतगमदशासूत्र स० // // अथ 9 // अणुत्तरोवाई अंग सज्झाय लिख्यते / / // ढाल // नणदलविंदलीलै // ए चाल // नवमोअंगअणुत्तरोवाई, एहनीरुची मुझनेआईहो // श्रावकसूत्रसुणो / सूत्रसूणो हितवाणी, एतो वीतरागनीवाणीहो ॥श्रा // 1 // जसुकटपावतंसिकानामै, सोहे उपांगप्रकामेहो ॥श्रा // एतो आगमनेअनुकूला, मानु मेरुसिखरनीचूलाहो // श्राप // 2 // एतो सूत्रनोनामसुणीजै, तिम 2 अंतरगतिनीजैहो / श्रा // प्रगटैनवलसनेहा, एहथीनलसेमोरीदेहाहो // श्राप // 3 // अणुत्तरसुरपदपाया, तेहनागुण इणमेंगायाहो॥श्रा॥ नगरादिकलाववखाएया, तेतौ अंगेण्याहो // श्रा० // इहाएकसुयखंधवारू, त्रणवर्गवलीमनुहारूरे // श्राप // उद्देसात्रिणेसनूरा, संख्यातसहसपदपूराहो // श्रा० // 5 // सूत्रसुणावू अमेतेहनें, साचीश्रमाहुय जेहनेहो // श्रा० // श्रोता. Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (श्ए३) श्रीप्रीतलगावू, निंदकने मुंहनलगाउंहो // श्रा० // 6 // जे सुणतांकरैबकोर, तेतोमाणसनहीपिणढोरहो // श्रा॥ कवि विनयचंजकहेसाचो, श्रुतरंग सहुकोराचोहो // श्रा० // 7 // इति श्रीअणुत्तरोवाई सज्जायः॥ // अथ 10 // प्रष्णव्याकरणसज्झाय लिख्यते // // ढाल // आघाआमपधारोपूज // एदेसी // दशमो अंगसुरंगसुहावै, प्रष्णव्याकरणश्ननामें, सूत्रकल्पतरुसेवे तेतो, चिदानंदफलपामे // आवो 5 गुणनाजाणतुमनेसूत्रसुणाचं॥ पुष्पकलीज्यूं परिमलमहकै, गुरुपरागनेरागै // तिम उपांगपुष्पिकाएहनो, जोरजुगतिकरिजागै // आवो // 2 // अंगुष्टादिकजहांप्रकास्या, प्रष्णादिकअतिरूमा // ते 3 अष्टोत्तरसतएतो, सूत्रमध्यमणिचूमा // // 3 // श्रावधारपांचशहांआण्या, पांचेसंबरधारा // महामंत्रवाणीमांलहिये, सबधिनेदसुखकारा // श्रा० // 4 // सुयखंधएक दसमेअंगे, पणयालीसज्जयणा // पणयालीसउद्देसवलिपद, सहससंख्यातनीरयणा // श्रा० // 5 // जेनरसूत्रसुणैनहीकाने, केवलपोषेकाया // मायामांहिरदैलपटाणा, तेनरश्म हिजाया // आ० // 6 // सूत्रमांहितो मारगदोय, निश्चयनयव्यवहारा॥ विनयचंकहै ते आदरियै, तजमनमदनविकारा॥ श्रावो० // // 7 // इति // // अथ 11 विपाकसूत्र सज्झाय लिख्यते // // ढाल कमखानी // सुणोरे विपाकश्रुत अंगण्यारमो, बजोविकथावृथाजेअनेरी // ललितउपांगजसुप्रवर पुप्फचू. Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (श्एच) लिका, मूलिका पापातंकरी // सु० // 1 // अशुल किपाक सम उकृतफलनोगवी, नरकमें गरकथयाजेहप्राणी // सुकृतफलनोगवीस्वर्गमांजेगया, तासवक्तव्यताश्हांआणी // सु // 2 // दोयश्रुतखंधने वीशश्रध्ययनवलि, वीसनदेस इहां जिनप्रयुंजे // सहससंख्यातपद कुंदमचकुंदजिम, बहुलपरिमलज्रमरचित्तगुंजै // सु० // 3 // सरसचंपकलता सुरजिसहुनेरुचे, अन्य उपगारनीबुद्धिमाटै // सूत्रनपगार तेहथी सबलजाणिय, जेहथीपुरुषसुखअचलखाटै // सु० // 4 // बंधने मोदना बेलं कारण, उकृतने सुकृत जोवो विचारी॥ उकृतनेपरिहरी सुकृतनेादरी, जिनवचनधारियै गुणसंजारी ॥सु // 5 // मकररे मकरनिंद्या निगुणपारकी, नारकी तणीगति कांबांधै // नारकी प्रकृतितज सहजसंतोषनज, सागश्रुतसांजलीधरमधंधै // सु० // 6 // सुरकने सुःख विपाकफलदाखव्या, अंगग्यारमें वीतरागे // चिरजयो वीरशासन जिहां सूत्रथी, कवि विनयचंगुणज्योतिजागे // सु० // 7 // ॥अथ इग्यारै अंगकी वर्णना लिख्यते // // ढाल वधावाकी // अंगग्यारे मेंशुण्या, सहेलीए॥ आजथयारंगरोलकि // स // नंदीसूत्रमांहि एहनो, स० // नाष्यो सर्वनिचोलकि // 1 // सहेलीए आजवधामणा // आंकणी // पसरीअंगग्यारनी, स० // मुझमनमंम्पवेलकि // सींचूते हरखेकरी, स० // अनुनवरसनीरेल कि // // हेजधरी जेसांजलै, स० // कुणबूढा कुणबालकि // तोते फललहे फूटरा, स० // स्वादेंअतिहिरसालकि // स० // 3 // हरखअपारधरी Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (शएए) हियै, स० // अहम्मदावादमकारकि // जासकरीए अंगनीस० // वरत्या जय 5 कारकि / / स // 4 // संवतसतरपचा वनें, स० // वर्षारितुनलमासकि // दसमीदिनसुदिपक्षमां, स // पूरणथई मनासकि // स // 5 // श्रीजिनधर्मसूरीपाटवी, स० // श्रीजिनचंसूरीसकि // खरतरगबनाराजिया, स० // तसुराजै सुजगीसकि // 6 // पाठकहरखनिधानजी ज्ञानतिलकसुपसायकि // विनयचंकहे मेंकरी, स० // अंगग्यारसज्कायकि // स० // 7 // इति श्रीग्यारे अंग सज्काय // // ढंढणरिषीनी सज्झाय // // ढंढणरिषिजीनेवंदना हूंवारी, उत्कृष्टोअणगाररे दुवारीसाल, अनिग्रहलीधोएहवो ढुं० // खेस्युंशुषाहाररे // हु // 1 // ढंग // नितप्रतिकठेगोचरी टुं० // न मिलै शुष आहाररे // ढुंवा० मूलनलै अणसूऊतो दु० // पंजरकीधोगातरे ढुं० // 2 // ढं // हरिपू श्रीनेमीने हूं, मुनिवरसहसअढाररे // हुँ वा० // उत्कृष्टोकुणएहमें हुं० // मुज.कहो विचाररे // हुंवा० // 3 // ढं० // ढंढणअधिको दाखियो हुँ॥ श्रीमुखनेमजिनंदरे ढुंवा० // कृष्णजमाटोवांदवा हुं० // धनजादवकुलचंदरे हुंवा० // 4 // ढं० // गलियारे मुनिवरमिट्या हुँ०, बांद्याकृष्णनरेसरे दुवा // किणही मिथ्यात्वी. देखने 90, आएयोनाव बिसेसरे 90 // 5 // ढं० // मुरुघरभावोसाधुजी हुँ, स्योमोदक शुधरे हुं० // मुनिवरविहनेपांगुस्सा ढुं०, आयाप्रजुजीनेपासरे ढुं० // 6 // ढं० // Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (26) मुफलब्धै मोदकमिट्या हुँ०, कहोनेतुम्हे किरपालरे ढुं० // लब्धिनही वचताहरी हुँ०, श्रीपतिलबधिनिहालरे ढुं० // 7 // ढं // एलेवो जुगतोनहीं हूं, च्यात्या परवनकाजरे हुं० // इंटनिवाहेजायने हुं० चूरे करमसमाजरे ढुं० // // ढं० // आणीचढती लावना हुंग, पांम्योकेवलनाणरे हुँ // ढंढणशषि मुगतेगया दु०, कहे जिनहीं सुजाणरे हुं // ए॥ ढं॥ इतिढंढणशषिसज्काय संपूर्ण // // अथ धन्नाऋषी सज्झाय // श्रीजिनवाणीरेधन्ना, अमियसमाणी मोरानंदन, मनमोतो मानीरे नंदनताहरै // 1 // तूं अतहिवैरागीरे धन्ना, धरमनोरागी मोरानंदन माहरोतो मनमोरे किमपरचावसुं // 5 // दसदिसीदीसेरे धन्ना, तोविनसूनी मोरानंदन, अनुमतिदेतारे जीववहेनही // 3 // बत्तीसैनारीहो धन्ना, अतहिपियारी मो० // वाणीतो बोलेरे मधुरसुहामणी // 4 // बालकतो कामणीरे धन्ना, वयपिणतरुणी मो० // गजगतिचालेरे चालसुहावणी // 5 // एघरमंदिरहो धन्ना, एसुखसज्या मो० // कोमबत्तीसे धननोतूंधणी // 6 // एधनमाणोरे धन्ना, वयपिण जांणो मो० // नोगविलेज्योरे लोगसुहामणो // 7 // व्रतअतिदोहिलोरे धन्ना, नहियसुहेलो मो० // सुगमनही रे साधुकहावणो // 7 // घर निदाहो धन्ना, गुरुतणी शिक्षा मो० // कहणीरे रहणीनहीनेसारखी // ए॥श्कवारे सुणीयेहो धन्ना, आगमजणीये मो० // जिनवरजांणेहो मुक्करजोगवै // 10 // वनवासैरहणो हो धन्ना, परीसहसहणो मो० // कोमलकेसारे Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (शए) लोचकरावणो // 11 // साचोतें लाख्योहे अम्मा, झूठ न दाख्यो मोरी अम्मा // मुक्करमारग जननीदाखियो // 1 // सुखअनिलाषीहे अम्मा, कूटनआखी मोरी अम्मा // कायरमारगजननीदाखियो // 13 // एजगस्वारथीहे अम्मा नहीपरमारथि मोरी अम्मा, वीरवखाण्योपरखदासहुसुण्यो // 14 // मेंश्मजाण्योहें अम्मा, वीरवखाण्यो मोरी अम्मा, एधनजोबन आयुथिरनही // 15 // अनुमतिदीजेहे अम्मा, ढीलनकीजै मोरी अम्मा, जोखिणजावेसो फिरआवेनही // 16 // अनुमतिापी हो अम्मा, जीवसुखपायो मोरी अम्मा, संजमलीधोरे मनमांगहगही // 17 // 5 पारणोहे अम्मा, विगयनिबारणो मोरी अम्मा,वीरवखाण्योसुरनरआगलै // 1 // सुखसंजमपाले हे अम्मा, दूषणटाले मोरी अम्मा, अंगश्यारे अरथरूमानणे // 15 // संजमपाट्यो हे अम्मा, अढारपखवामे मोरी अम्मा, माससंथारे सरबारथसिघलह्यो // 20 // इति धन्नाशषि सज्जाय संपूर्ण // ॥अथ कर्मसज्झाय लिख्यते // देवदाणवतीर्थकरगणधर, हरिहरनरवरसबला // करमप्रमाणे सुखऽखपाया, सबलहुआमहानिबलारे प्राणी, कर्मसमोनहिकोई // 1 // आदीसरजीनेकरमअटास्या, वरसदिवस रह्यानूखा // वीरनेबारेवरसमुखदीग, ऊपनाब्राह्मणी कूखैरे प्राणी // क० // 2 // साउसहससुतमास्या एकणदिन, जोधजुवाननरजैसा // सगरहुमहापूत्रनोऽखियो, कर्मतणाफलएसारे // प्रा०॥ क. // 3 // बत्रीससहसदेसांरो साहिब, Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) चक्रीसनतकुमार // सातरोगसरीरमेऊपना, कर्मेकीयो तनुगररे // प्रा० // 4 // कर्महवाल कियाहरिचंदने, वेची सुताराराणी // बारेवरसलग माथेश्राएयो, नीचतणे घरपाणीरे // प्रा० // क० // 5 // दधिवाहनराजारीबेटी, चावीचंदनवाला॥ चौपदज्यूंचढुटामेवेची, करमतणाएचालारे // प्रा०॥क०॥६॥ संजूमनांमे आग्मोचक्री, कर्मेसायरनाख्यो। सोलेसहसजदऊनादेखे, पिण किणहीनहिराख्योरे // प्रा० // क० // 7 // ब्रह्मदत्तनामे बारमोचक्री, कर्मेकीधोबांधो // श्मजाणीने अहो नविप्राणी, कर्मकोइ मत बांधोरे ॥प्रा० // क // 7 // उपन्नकोमजादवरो साहिव, कृष्णमहाबलजांणी // अटवी माहिमूनएकलमो, विल 2 तोविनपाणीरे॥प्रा॥क० // ए॥ पांमवपांच महाफूफारा, हारीघोपदानारी // बारे बरसलगबनरमवमिया, जमिया जेमनिख्यारीरे // प्रा० // क० // 1 // बीसनुजा दसमस्तकहूंता, लखमणरावणमाखो // एकलमै जगसहुनरजीत्या, तेपिण कर्मसुंहास्योरे // प्रा० ॥क० // 11 // लखमणराम महाबलवंता, अरुसतवंतीसीता // कर्माप्रमाणे सुखसुखपांम्या, वीतकबहुतसवीतारे // प्रा० // कः // 15 // समकितधारीश्रेणिकराजा, बेटे बांध्यो मुसकै // धरमीनरने कर्मधकाया // करमसुंजोरनकिसकारे // प्रा० कम् // 13 // सतियसिरोमणी चौपदिकहिये, जिनसम अवरनकोई // पांच. पुरुषनीहु तेनारी, पूरबकर्मकमाईरे // प्रा० // का // 14 // आनागरीनो जेस्वामी, साचो राजाचंद // मांश्कीधो पंखी. कूकमो, कम्मनाख्यो तेफंदरे // प्रा० // क० // 15 // ईश्वर Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (शएए) देवने पारवतीनारी, करतापुरुषकहावै // अहनिसमहिलमसां. णमेवासो, निहालोजनखावेरे // प्रा० // क० // 16 // सहसकिरणसूरजपरतापी, रातदिवसरहे अटतो, सोलकलाससीधर जगचावो, दिन 2 जायेघटतोरे // प्रा० // कः // 17 // श्मअनेक खंड्यानरकरमें, नांज्या ते पिणसाजा // इन्धिहरषकरजोमीनेविनवै, नमो 2 कर्ममहाराजारे॥प्रा०॥क० // 10 // इतिकर्मसकाय संपूर्णम् // // अथ सातविसनकीसज्झाय लिख्यते // सातविसननारे संगमतकरो, सुणतेहनोसुविचार विवेकी // सातनरकनारे लाइसातेई, आपैऽरकअपार विवेकी // सा० // 1 // प्रथमजूवानेरे विसनपड्यांथकां, पांमवपांचप्रसिद्ध विवेकी // नलराजापिण इणविसने पड्यो, खोइसहूराजरिख वि० // सा // 2 // दूसरेमांसलक्षण अवगुणघणा, करै परजीवसंहार विवेकी // महासतकनीनारीरेवती, नरकगइनिरधार विवेकी वि०॥ सा // 3 // तीजेमदिरापानविसनतजी, चितधरीवलिचाह वि०॥दीपायणरिषि दूहव्योजादवे, धारकानो, थयोदाह वि०॥ सा० // 4 // चोथेविसने वेस्याघरवसैलोकमेंनरहेलाज वि०॥ कयवन्नादिकनोगयोकायदो, कुवि सनेरे काज वि० // साम् // 5 // पापाहे कुविसनसाचवैप्राणीहणियेप्रहार वि० // मारीमृगली श्रेणिकनृपगयो, पहलीनरकमकार वि०॥ सा० // 6 // बच्चोरीने विसनेकरी, जीवलहेमुरकजोर वि० // मुंजदेवराजायेंमारियो, चावोढुंमकचोर // वि०॥ सा // 7 // परस्त्रीसंगत कुविसनसातमें, Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (300) हाणिकुजसबहुहोय वि०॥राणोरावण सीताअपहरी, नासलंकानोरे जोय वि० // सा // // मजांणीने नव्यतुमेआदरो, सीखसुगुरुनीरेसार वि० // इणनवपरजवानंदअतिघणा, कहे-मसीसुखकार // वि० // सा // ए॥ इतिसातविसनकीसज्कायसंपूर्ण // // अथ चेलणासतीनीसज्झाय लिख्यते // वीरवांदीवलतांथकांजी, चेलणादीगोरेनिग्रंथ // रातिवनमांहि काजसग्गरह्योजी, साधतो मुगतिनोपंथ // 1 // वीरवखाणीराणीचेलणाजी, सतिय सिरोमणिजाण // चेमाराजानीसातेसुताजी, श्रेणिकसीयलपरिमाण // वी // 2 // सीत;गरसबलोपमेजी, चेलणाप्रीतमसाथ // चारत्रियो चितमेवस्योजी // सौवमिबहिररह्योहाथ // वी० // 3 // ऊबकजागीकहेचेलणाजी, किमकरतोहुस्यैतेह // कुसतीमनमाहि ए कुणवस्योजी // श्रेणिकपड्योरेसंदेह // वी // 4 // अंतेजरपरो जालज्योजी, श्रेणिकदियोरेआदेस // जगवंतसांसो नांजियोजी, चमकियोचित्तनरेस // वी० // 5 // वीरवांदीवलतांथकांजी, पैसतां नगरमकार // धुंआनोघोरदेखीकरीजी, जाजारे अजयकुमार // वी० // 6 // तातनोवचनपालीकरीजी, व्रतलियो अजयकुमार // समयसुंदरकहे चेलणाजी, पामियो जवतणोपार // वी० // 7 // इति चेलणामहासतीसज्काय संपूर्णम् // ॥अथ वैराग्य सज्झाय // // नूलोमननमरा कांइनमै, नमियोदिवसतेरात // मायारो Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (301) खोलीप्राणियो, नमियोपरिमलजात // 1 // जू० // कुंजकाचो कायाकारमी, जेहनाकरोरे जतन्न // विणसतां वारलागेनही, निरमलराखोरेमन्न // 2 // 0 // केहनागेरू केहनावारू, केहना मायनैबाप // उजीवजासी एकलो, साथे पुन्यनेपाप // // 3 // नू० // आस्यातो डूंगरजेवमी, मरवोपगलारेहे // धनसंची संचकांकरो, करवीदेवनीवेठ // // नू० // लखपति उत्रपती सबगए, गए लाखोकेलाख // गरबकरी गोखैबैठता, लइ जलबलराख // 5 // नू // जवसायरजलमुखजस्यो, तिरवोरेजेह // वीचमेंबीह सबलोअठ, करमें वायनेमेह // 6 // नू // उलट नहि मारगचालवो, जायवोपहिलेरे पार // आगलनहि हटवांणियो // संबललेज्योरेलार // 7 // जू० // मूरखकहे धनमाहरो, धनकेहनो हतो न थाय // वस्त्रविनाजाय पोढवो, लखपतिलाकममाय // 7 // // महमंदकहै वस्तुवोरीये, जे कुरआवेरेसाथ // अपणो लालनवारियै, ॥अथ बाहूबलिसज्झाय // ॥राजतणा अतिलोनिया, जरतबाहूबली फूफेरे // मूंठी नपामिमारिवा, बाहूबलिप्रतिबूफेरे // 1 // वीराम्हारागजश्रकीतिरो, ब्राह्मीसुंदरीनासरे // षनजिनेसरमोकली, बाहूबली नेपासरे // वी० // गजचढ्यां केवलनहोरे॥ वी // 2 // लोचकरी चारित्रलियो, वलिश्रायो अनिमानोरे // लघुवांधववांदूनही, काउसग्गरह्यो शुलध्यानोरे // 3 // वी० // वरसदिवस काउसग्गरह्यो, वेलमियांवींटाणोरे // पंखीमालामां Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (302) मियां, सीततापसूकाणोरे // वी० // 4 // साधवीवचनसुण्याइसा, चमक्योचित्तमकारोरे // हयगयरथमें परिहस्या, नविमूक्योअहंकारोरे // वी० // 5 // वैरागै मनवालियो, मुक्यो निजअनिमांनोरे // पांवउपामीवांदिवा, ऊपनोकेवलज्ञानोरे // वी० // 6 // पहुँतो केवलीपरखदा, बाहुबलशषिरायारे // अजरअमरपदवीलही, समयसुंदरबंदेपायारे॥७॥वी॥इति // // अथ अरणकमुनि सज्झाय // // अरणकमुनिवर चाट्यागोचरी, तमके दाके सीसोजी॥ पायउजराणारे वेलूपरजलै, तनसुकमालमुनीसोजी // अर // 1 // मुखकमलाणोरे मालतीफूलज्यूं , जनोगोखने हेगेजी। खरैछपहरैरे दीगोएकलो, मोहीमाननीमीगेजी // 2 // वयणरंगीलीरे नयणेविधियो, शषिर्थव्योतिणवारोजी // दासीनेकहे जायऊतावली, रिषितेमीणोजी // 3 // अण पावनकीजे शषिघरांगणो, वहिरो मोदकसारोजी // नवजोवनरसकायाकांइदहो, सफलकरोअवतारोजी // 4 // अ० // चंजावदनीरे चारितचूकव्यो, सुखविलसै दिनरातोजी // इकदिनगोखैरमतोसोग, तवदीनी निजमातोजी // 5 // अ० // अरणक 5 करतीमायफिरे, गलियै 2 मकारोजी // किणहिकदीगेरे माहरोअरणलो, पूलोकहजारोजी // 6 // अ॥ उतरतिहाथीरे जननीरेपायनमे, मनमेंलाज्योतिवारोजी // धिग् 2 पापीरे माहाराजीवने, एहमें अकारजधास्खोजी // 7 // अ० // अगनधुखंती रे सिवा ऊपरै, अरणक अणसण Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (303) कीधोजी // समयसुंदरकहे धनतेमुनिवरू, मनवंचितफलसीधोजी // // अ० // इति अकरणमुनिसज्जायसंपूर्णम् // ॥अथ इलापुत्रसज्झाय लिख्यते // नामश्लापुत्रजांणिय, धनदत्तसेवनोपूत // नटवीदेखीरे मोहियो, नहिराख्योघरसूत // 1 // करम न छूटेरे प्राणिया, पूरबनेह विकार // निजकुलबंमीरे नटथयो, नाणीसरमतिगार // कम् // 5 // इकपुरायोरे नाचवा, उंचोवंसविशेष // तिहां रायजोवारे आवियो, मिलियालोकअशेष // क० // 3 // दोयपगपहरीरे पावमी, वंसचढ्योगजगेल // निरधाराऊपर नाचतो, खेलेनवनवाखेल // क // 4 // ढोलबजावेरे नाटवी. गावे किन्नरसाद // पायतलघूघरा घमघमें, गाजैअंबरनाद // क० // 5 // तवतिहांचिंतेरे राजियौ, लुलध्योनटवीरे साथ // जोनटपमैरेनाचतो, तोनटवीमुजहाथ // क० // 6 // दांननआपैरेनूपती, नटजांणीनृपवात // हूंधनवंबरे रायनो, रायवंडे मुख्घात // कण् // 7 // तिहांइक मुनिवरपेखियो, धन 2 साधु नीराग // धिक् 2 विषयारेजीवने, मनाएयोवैराग // कम् // // संबरनावैरे केवली, ततखिणकर्मखपाय // केवलि महिमारेसुरकरै, समयसुंदरगुणगाय // क० // ए // इति // // अथ मेघकुमारमुनिसज्झाय लिख्यते // वीर जिनंदसमोसयाजी, वंदेमेघकुमार // सुणीदेशनावैरागीयौजी, एसंसारअसाररे मायमी // अनुमतिद्यो मुजाज॥ संयमविषमअपाररे // मा // अ० // 1 // वळतूंकणे जोलव्यौरे, श्रेणिकतातनरेस // कांऊपौ किणदूहव्योरे, हूनविद्यु Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (304) आदेशरे जाया // संयमविष॥किमनिरबाहिसनाररे जाया॥ हूं न // 2 // आदिनिगोदेहूं रुट्योजी, सहियाउरकणंत // सासोश्वासें लवपूरीयाजी, तेह नजाणुअंतहे // मा० // अप // 3 // हिवणातूंबालक अग्रेजी, जोबननस्योरे कुमार॥ आठरमणिपरणावियोरे लोगविसुरकअपाररे जाया॥हूं नवि०॥४॥ जनममरण निरयातणौजी, उरकनसहियोजान ॥वीरजिणंदवखाणियोजी, ते मैसुणियोकांनहे मायमी // अ॥५॥वकांचलीयैजीमणोजी // अरसविरसाहार // नुंपाला नितहींमणोजी, जाणसीतळकुमाररे जाया // हूं न० // ६॥नमतांजीवअनंतनम्योजी, धर्मउहेलो होय ॥जराव्यापे जोवनखिसेजी, तबकिमकरणोहोयरे मायमी // 10 // 7 // मृगनयणीाठे रमेजी, तो नवसरहार // जोवनजर गेरूनहीजी, कांइमूकोनिरधारकुमरजी // हूं न // 7 // हंसतूलिका सेजमीजी, रूपरमणि रसन्नोग // अतहि सुंहाली देहमीजी, किम हुयसंजम जोग रे जाया // हूं न // ए॥ स्वारथनोसहूएसगोजी, अरथपखेसहुकोय // विषयविषममदुराकह्याजी, किमनोगविये सोयहे मायमी // 10 // 10 // खमि 2 माजपसायकरी जी, मेंदीधुं तुफरक // दिउँआदेस जिम हुँसुखीजी, वीरचरणेंट्यु. दीरकहे // मां // 10 // 11 // तनफाटे लोयणकरेजी, सुख न सहणाजा // वनसुखीदुवो तिमकरोजी, मेंदीधोश्रादेसरे जाया // संयम वि० // 12 // मणिमाणकमोतीतज्याजी, तोड्यो नवसरहार // मृगनयणी श्रावैरमेजी, हिवअह्मकवणआधार नरेसर // संयम // 13 // कुमरजणे सुकुलीप्रियाजी, बहुमुख Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (305) एसंसार // नेहतुमारोजांणियोजी, जो व्यो संयमन्नाररे नारी // संय० // 14 // रथसिविका तब समीकरीजी, कुंवरधारणीमाय ॥श्रेणिकरायनचवकरैजी, चारित्रलियो रिषिरायरे जाया। सं० // 15 // श्मजाणीवैरागियौजी, वरजैजेनरनारि // करजोमी पूनोलणेजी, ते तरस्यैसंसारहे मा० // 10 // 16 // इति मेघकुमार सि // // अथ असिज्झाई निर्णय सज्झाय // श्रावणकातीमिगसरमास, पहिलीपमवा तीनविमास // चौश्रीपमवा वदिवैशाख, च्यारपुहर असिकाइलाख // 1 // जांलगिधूलीऊमेवार, धुंवरपमतीहुवै जिवार // जां परचक्रनो नयनविजाय, तांलग असिज्जाईकहिवाय // 2 // धूलवृष्टि ने केसपाखांण, वरसैतालग असिज्काईजाण // जैमलमांहोमांहिजाम, तांलग असिन्काईतिणगंम // 3 // नूपति परजवपोहतोहोय, जांलग पाटनबसेको // तांलग वोलीने असिकाइ, सहुकोसरदहज्यो मनमांहि // 4 // उलकापात अने दिगदाह, एकपोहर असिज्काईथाय // निबल मेह तिम जाणोसही, आठपहोरसबलजलकही // 5 // चैत्रसुदिपांचमदिनथकी, पमिवालग असिफाश्वकी // पमिवाबीजतीजचांदणी, समीसांज असिकाईगिणी // 6 // आजानक्षत्र न लागैजांम, गाज. वीजसिकाश्ताम // गाजवीजजोहुवेअकाल, असिज्जाश्वेपुहरसंन्नाल ॥७॥चंऽग्रहणअसिज्माईलणी, बारह पोहर उत्कृष्टीगिणी // जघन्य प्रकार आविचार, सूर्यग्रहण पोहर जघन्यैबार // // सोलप्रहरउत्कृष्टीकही, सुगुरुमुखै नवियणसर बृ० स्त० 20 Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (386) दही // नगरप्रधांन मरेजोकोइ, पाठपुहरअसिज्काईहोय ॥ए। वसतीकी सातांघरमांहि, नरविह+अहोरतियसिकाई // पुरुष पड्योहोयमृतकअनाथ, तां असिकायकही सोहाथ॥१०॥ पुत्रतणे प्रसवै दिनसात, बेटीआउदिवस विदात ॥सोकर मांहि कहीअसिकाई, नारीस्तु दिनतीनकहा // 11 // इमोफूटै प्रसवैगा, जांजररुधिरपमै तिनगइ // असिज्काइ साठकरमांहि, त्रिएहपोहर के ऊपरनांही // 12 // आसाढेचौमासैदिने, पमिकमणागयांधीगिणे // बारपोहर असिकाईकही, कातीचौमासैश्णपरिसही // 13 ॥ण परसिकाईबहू, गीतारथगुरुजाणैसहू // सांत्नलिए में कहीसंखेवि, हरखैपयप्रजूकीजैहेवि // 15 // अंतवर्ग अंतरजे, च्यारमात्रदीजेतेह // सत्तमवर्गवीअअदरै, तबकविनांमकहियोणपरै // 15 // इति असिकाइ सिकाय संपूर्णम् // // अथ बावीसअभक्षसज्झाय लिख्यते // जिनशासनरे सूधीसरदहिणाधरो, श्रीगुरुमुखरे नवतत्व ए निरताकरो // मिथ्यामतरे कुमतिकदाग्रहपरिहरौ, सहि पालोरे तेनर समकितमनखरो॥ 1 // तूटक // मनखरौ समकितशुधपालौ, टालोदोष दयापरो // धुरिपंचअणुव्रत तीनगुणव्रत, च्यारसिदाव्रतधरौ // इमदेशविरती क्रियानिरती, सुणो नवि. यणमनरली // दाखविएगुणपरह केरा, दोषममकाढौवली // 2 // ममकाढोरे लोनीनर कूमौकरौ, जांणीसावघरे अन्नदबावीसेपरिहरौ // व पीपलरेपिलखणनेंकतुंबरो, ऊंवरफलरे रखेतुमें, नदण करो // 3 // उबालो // रखेतुमेंनवणकरौ मांखण, Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (307) मद्यमधु आमिषतणो // विषहेमकरहामिपरहा, दोषमूलमाटी घणो // परिहरोसजन रयणीनोजन, प्रथमउरगतिबारणौ // मतकरौव्यालू अतिअसूरौ, रविउदयविनपारणो॥॥ अथाणोरे अनंतकायसबनिमिये, काचागोरसरे मांहि कगेलनजिमिये // एहवेंगणरे तुचफलासविगंमए, आपणपूरे व्रतलीधोनविखंमए // 5 // तूटक // नविखंमए व्रतनियमलेश, बेइफलतलंगनौ // अज्ञातफलबहुबीज लोजन, चलितरस होयजेहनो // संबराणी अनजानी, तजोए बावीसए / गुरुवयणविगत वलीपूज्यौ, अनंतकाय बत्तीसए // 6 // अनंतीरे कंदजाति जाणोसहू, जसुलक्षण रे पातिकबोट्याबहू // कचूरौरे हलदनीआदूंबली // वजचूरणरे कंदबहूंकुंवलीफली // 7 // तूटक // कुंमली फली कुंवलीबीजपाखै, चाखैचतुरनरविली // रतालु पिंडालु गयोहर, सतावरीलसणकुली। गाजरमूला गिलौ रीगण विरहालीटुकवत्थुलो, पट्यंकसूरणवालवाली मौथ नीलीसांजलौ // // वंसकारेलारे कूपलकवलातरुतणा, अंकूरारे लोटाते जलपोयणा // कुमारीरे लमरवृदनीगलमी, जेकहियेरे लोकेअमृतबेलझी // ए॥ वेलमीतानुताजा खिलोमा ने खरसुवा, नूयजूंफोमा बत्राकार जाणौ नीलफल सेवेजूआ // बत्तीसबोलप्रसिघबोट्या लदमीरतनसूरिश्म कहे, परिहरेजे नर दोषजांणी प्राणी ते सविसुखलहे // 10 ॥इति बावीस अन्नद सफाय सं०॥ // अथ गजसुकमाल सज्झाय // . // संवेगरसमेकीलता, मनसुकरेआलोच // देखीनेदोहग Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (307) टलै, तासुसाध्योरे मेंकरिलोच // 1 // यादवरायधन 2 गजसुकमाल, तेहने करूंरे प्रणामत्रिकाल // या० // आंकण // प्रभूपासेसंयमआदस्यौ, तेहनोएपरिणाम // मनवच कायावसिकरी, जोहूंपारे केवलज्ञान // // या० // मुनिमुगतिजायवाअलजयो, पषैन दिनदसवीस // साहसीकश्मउच्चरतो, पिण दिनजावेरे तो बेहदीस // या० // 3 // समसणजायकासग्गरह्यौ, तिणसांकि प्रनुने पू॥ मुनिवरअवरश्मचिं. तवै, एहनैं साचीरे मुंहमूं // या० // 4 // मुकसुताविनअवगुणतजी, सौमिल अगनि प्रजाल // सिगमीरचि सिरऊपरै, चिहुँदिसिबांधीरे माटीनी पाल // या // 5 // वेदनाजिम अधिकवधै, तिमवधै मन परिणाम // चवदमेंगुणगणेंचढ्यो, मुनिवरपांम्योरे केवलग्यांन // या०॥६॥ देवकीजांमणनेथई, तेरयणवरस हजार // वांदवाावी प्रहसमें, पिण नविदेखेरे. प्राणाधार // या // 7 // पूतां प्रनु मांमींकरी, रातिनीवीतग वात // हरिदेखीहियमोफूटसी, तेणेंकीधोरे झपिजीनो घात // या // // उपसमसुधारससेवतां, पांमियो अविचलराज // मनरंगसाधुमहंतना, गुणगावेरे श्रीजिनराज // या // ए॥ गज० सं० // // अथ प्रष्णचंद्र सज्झाय // // राजमारलियामणोरे, जांणीअथिरसंसार // वैरागै मनवालियो, काइलीधोसंजमन्नार // प्रष्णचंद प्रण तुमारा पाय, तुमेमोटामुनिराय // प्र० // 1 // वनमांहेकाउसग्ग रह्योरे, पगऊपरपगगय // बांहबेजं जंचीकरी, सूरज सांमी दृष्टिलगाय Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०ए) ॥२॥प्र० // श्रेणिकवंदननीसखोरे, वीरजीने वंदनजाय // देश्तीनप्रदक्षिणा, त्रिविध 2 खमाय // प्र० // 3 // उरमुखदूतवचनसुणीरे, कोपचढ्योततकाल // मनसुंसंग्राममांमियो, जीव पड्योजंजाल // प्र॥ 4 // श्रेणिक प्रश्नपूछियोरे, एहनी सीगतियाय // जगवंतकहे हिवणांमरेतो, सातमीनरकेजाय // प्र० // 5 // खिणश्कअंते पूछियोरे सर्वार्थसिझविमान // वाजी देवनी कुंकुनी, मुनिपाम्याकेवलज्ञान // प्र॥६॥ प्रष्णचंद मुनिमुगतेगयारे, श्रीमहावीरनाशिष्य // रिघहरखकहे धन्यते, जिणदीगरेपरतद // प्र० // 7 // इति // // अथ पंडितश्रीजेतसी मुनिकृत दशवैकालिक सज्झाय लिख्यते // // मुनिवृषन श्रीमनक मुनयेनमः // श्रीदशवैकालिकसूत्रकृत चतुर्दशपूर्वधर श्रीशय्यंजवसूरिं वंदे // // तत्र प्रथमाध्ययन सझाय लिख्यते // // धर्ममंगलमहिमानिलो / धरमसमोनहींकोय / धर्म सूधे नमेंदेवता / धरमें शिवसुखहोय // 1 // "धर्म" जीवदयानितपालीये / संयमसतरप्रकार / बारेनेदें तपतपें / धर्मतणो ए सार // // धर्म ॥जिम तरुवरने फूलमे / जमरोरसलेजाय / तिम संतोषे साधुआतमा / फूलपीमानविथाय // 3 // धर्म॥ इणविधिविचरे गोचरी / वहिरेशुषाहार / ऊंचनीच मध्यमकुले / धन धन तेअणगार // 4 // धर्म // मुनिवरमधुकर समकह्या / नहिंनिश्रानहिलोल / लाधेलामोयेंदेहीनें / अणखाधे संतोष // 5 // धर्म० // अध्ययनपहिलोदुमपुष्फीने / Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (310) सखरा अरथविचार / पुन्यकलसशिष्यजैतसी / धर्मेजयजय. कार // 6 // धर्म // इति श्रीप्रथमाध्ययन सफाय सं० // ॥अथ द्वितीयाध्ययनसशाय लिख्यते // दीक्षादोहिलीआदरीजी / कामनोगफलगंग / संकल्पवसें मुखपगपगेजी। वैरागेरंगमांम॥१॥मुनीसर धनधनतेअणगार। जोगतजी जोगादरेजी / तेहनें दुं बलिहार मुनीसर धनधनतेश्रणगार // 2 // मनवालेनूलो चूकतोजी / नकरे ढीललगार / जाणे न को जगकेहनोजी कुंण्डं कुंणतेनारि॥ मुनी० // 3 // करिआतपनायाकरी जी / कोमलमकरेदेह / रागोष. तजीपाडूछाजी। जिम सुखपामेअलेह // मुनी // 4 // अग्निकुंमजलतेपमेजी। अगंधनकुलसाप / वम्युनवांने विषवलिजी। तिम पणेकुलचाप // मुनी० // 5 // धिगधिगतुं जसवांबतो जी / वांवम्युंआहार / जीवाश्रीमरवोनलोजी / निर्लज नलाजेलिगार // 6 // मुनी० // नारिसारिपारकीजी। देखी देखी मतजूल / वाऊऊकोल्यातरूपरेजी / अथिरदुइसमुलीर // 7 // मुनी० // जिमहाथीअंकुशवशेजी। थिरगमआवेतेम, राजीमतीसती बुझव्योजी। स्थिरगमाव्यो रहनेम // 7 // मुनी // अध्ययनसाममपुफियाजी / सखरा अरविचार / पुन्यकलशशिष्यजैतसीजी / प्रणमेसूत्र सुखकार // ए॥ मुनी० // इति श्रीवितीयाध्ययनसहाय संपूर्णम् // // अथ तृतीयाध्ययन सझाय लिख्यते // // सूधासाधुनिग्रंथ / साधे मुक्तिनोपंथ / आतमसंवस्यो ए। Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संबरादस्योए // 1 // दूषणटालेदीख तेहनेंएहवी शीख / वीरजिनवरकहेए / मुनिवरसरदहेए // 2 // उद्देशकश्रादि. देय / एहवापिम नलेय / कृतकमजाणियेए / साम्होत्राणियेए // 3 // लेवेन राईलत्त / न जीमे गृहिने पत्त। रायपिंकन आदरे ए / सज्यातरपरिहरेए // 4 // राखे न संनिधिराय / दानशाला नविजाय / वाय न वींजणों ए / राग नरीजणोंए // 5 // चोवाचंदनचंपेल / तन न लगामेतेल / जोवे नहिं पारशीए / तेगुरु तारसीए // 6 // खेले न पासासार / तेकिम बोलेमार / बननवि शिरधरे ए / गृहीसंगति परिहरेए // 7 // मांचांखाटपलंग / तजे चिकित्साअंग / जूतीनवि पगतलेए / जीवदयापलेए // // आदरेतीनरतन्न / मेमे तीनजतन्न / कोमकोम मोलनाए / अगनिजलअंगनाए // ए॥ मूलाआदिकंद मूल / सचित्तबीजफलफूल / तजेतिम सेलमीए / खूण धूपन वमीए // 10 // वमन विरेचनकर्म / करी नगमावे धर्म / दांतेदांतण नघसए / नलगामेमिसिए // 11 // पहिरे नहीं हीरचीर / सोनानकरेशरीर / पीठी न मंजणि ए / आंखिनांजणिए // 12 // सूत्रमेंबावनबोल / वरजे साधुअमोल / तपकिरियाकरीए / पहुचे शिवपुरीए // 13 / / नामे एखुड्डीयार / अजयपतीजोसार / अरथअनेक आए / जैतसी मनरूचेए // 14 // इतितृतीयाध्ययन सकायसंपूर्णम् // // अथ चतुर्थाध्ययन सझाय लिख्यते // महावीरनाख्योएम / सामिसुधरमाजपदिसे / जीहो मुनिवर महावीरनाख्योएम / सुणसुणजंबुतेम / चोश्रो अजयण Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 315) जीवनीजीहो मुनिवर महावीरनाख्यो एम // 1 // सुणसुणजबूतेम / पृथवीपतेऊ वाऊ वनस्पतित्रस जांगिये। जीहो मुनिवर / पृथवीपतेऊ वाऊ वनस्पति त्रस जांगिये। एह एजीवनिकाय / हिंसाटालीदयापाली ये। जीहो मुनिवर महा॥२॥ महाव्रतपांचसदैव / वलीको व्रत पालीये / जीहो मुनिवर / महाव्रतपांचसदैव / वलीउचो व्रत पालीये / त्रिबिधे त्रिबिधे जावजीव / गरहीनिंदीपमिकमि / जीहो मुनिवर // त्रिबिधे त्रिबिधे जाव जीव गरही निंदी पमिक्कमि म॥३॥ शिष्यपूने लेदीख / किमचालुं बोलुंकिमरहुं / जीहो मुनिवर / शिष्यपूजे लेईदीख / किमचालु बोलुंकिम रहुं / समजावेगुरुशीख / जयणायेंचालेबोलजेरे / जीहो मुनिवर // समजावेगुरुशीख / जयणायेंचालेबोलजेरे म॥॥एजिनसासनसार प्रथमज्ञान पनि दयापालजोरे। जीहो मुनिवर // एजिन / जीवाजीवविचार / जाणेअनुक्रमझानथी / जीहो मुनिवर म०॥५॥जाणे॥केवलदसणझान / पामे कर्मखपायने / जीहो मुनिवर // केवल॥ हमे लहे सिस्थान / अजरअमरसुखसासता / जीहो मुनिवर म० // 6 // हमे॥अजयणजीवणियानाम। सुणतां तनमन जबसें / जीहो मुनिवर / सरदहे सुष्परिणाम / पुण्यकलश शिष्यजैतसी जीहो मुनिवर // 7 // महावीरलाख्योएम। इतिचतुर्थाध्ययनसकाय संपूर्णम् // // अथ पंचमाध्ययन सझाय लिख्यते // // तुंगीयागिरि शिखरसोहे // ए देशी // // पंचमपिछेषणअजयणे / उद्देशा वे साररे / विधिसुंआंणी Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (313) जातपाणी। करोतरो संसाररे // 1 // दीखपालो दोषटालो। धरोध्यानसमाधिरे / सूत्रसाचो अरथागे लपोवाचो साधरे // 2 // संचरेमुनि गोचरीने / नगरगाममहाररे। जीव निहाले दयापाले / बोले हसे न लिगाररे // 3 // दी० // अशनपाणी खादिमस्वादिम / सूझता हये जेहरे / असूझते मुनि दोषजाणी / कहे न कलपे तेहरे // 4 // दी० ॥कायमरदी साधुअरथे / कीयानोजनजेहरे / तेह नगर जे जतिवरजे / सूआवम आदिदेरे // 5 // पिमनिषेध्या कुल निषेध्या। तजे जे निरदोषरे। मुधादाई मुधाजीवी, बेऊंजावे मोखरे // 6 // दी० // विधिलेवे विधियालोवे, विधिकरेआहाररे / लूखोसूखो अरसनीरस, हीलेनहीं लिगाररे // 7 // दी॥काले आवे कालेजावे / विचरेनहीं अकालरे / काले कालसमाचरेजे / बांबु साधुत्रिकालरे // // दी० // जातपाणी सयणासण। उता न देवेजेहरे / जती रतीतसु रोषनकरे / निंदे वंदे सम एहरे // ए॥दी // तपचोरने वयचोरादिक / दुवेकिलवीषी देवरे / उनतिर्लनबोधजांणी / धरममारगसेवरे // 10 // दी० // शिष्य शिक्षा ग्रहेंनिदा / ते लहे सिवलोयरे / जैतसी. कहे शास्त्रमांहे, बोलबहुठे जोयरे // 11 // दी० // इतिपंचमाध्ययनसज्काय संपूर्णम् // // अथ षष्ठाध्ययनसझाय लिख्यते // // वैरागीनीरागीहो सूधासाधुजी / दसणनाणसंपन्न, वनवामीमांहीआविसमोसस्या / सुमतिगुपति प्रतिपन्न // 1 // वैरा // मिस मिलराजाहो राजानामुंहता / ब्राह्मणक्षत्रिय Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (315) लोक / साधूनें पूरे हो किमडे ताहरो / आचारगोचरलोग // 2 // वैरा० // मुनिवरपत्नणे हो मारगसाधुनो / कठिन आचारविचार / हुयोनहुस्ये हो धरमकोई इणसमो / मुगति तणोदातार // 3 // वैराण // षव्रतपालेहो कायराखतो / नहीं नाहणसिंणगार / पखंगनिषेध्याहो गृहीलाजन तज्या, अकटपथानअढार // 4 // वैरा० // तेललूणगुलथीहो संनि. धिजेकरे / तेगृही नहींणगार, नित्यतपन्नाख्योहो एकवार नोजने / बरजे विसनविकार // 5 // वैरा // वस्त्र पात्रराखे हो संयमराखवा / नधरेममताप्रेम / विषण करतां हो करे बंधचीकणो / अकल्पकटपेकेम // 6 // वैरा // जीवदयापाले हो / पगपगदिनसमे / वरजे रातविहार / एककायहणतां हो त्रसथावरहणे / लहेतुर्गति अवतार // 7 // वैरा // तपजप करणीहों पुःखहरण करे / निरमम निरहंकार / संवेगीसोजागी हो चंदसमनिरमलो / पुहचे मुगतिमकार // // वैरा॥ गोअतिमीगेहो लागे बाचतां / नलोधरमारथकाम / नामें सुखपामेंहो जैतसी आतमा, जलसेमनपरिणाम // वैरा // 5 // इतिषष्ठाध्ययन सफाय संपूर्णम् // // अथ सप्तमाध्ययनसझाय लिख्यते // ॥साधुबूकोरे / नाषासुमतिविचार / नाषाचिंहुँनेदे करी // सा० // सच्च असच्चा मीसा, असच्चमोसाचोथीकही // 1 // सा // बोले निरवद्यवाणी, सच्च असञ्चामोसाबलि // सा // नापोलाष न वेय / बीजीने त्रीजीवलि // // सा० // निहचे कठिनकगेर, संकितसावद्यसंलवे // Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (315) सा // जिणथीलागेपाप / तेहवीवाणी नसंचवे // 3 // सा॥ चोरनें न कहेचोर / न कहेकांणोकांणानणी // सा // परपीमाहुवेजेण / वाणीतेहवी नबोलणी // 4 // सा // असाधुनेनकहेसाधु / साधुनें साधुबोलावज्यो // सा // सुरनर पसु. हारजीत, कहि दोषनलावज्यो // 5 // सा // वक्कसुधिअफयण / बोलघणाने सातमे // सा // लागे जिणथीपाप / मपमतूं इणवातमे // 6 // सा // दस विधबोलोसाच / श्रीअरिहंताज्ञानेश्सी // सा // पुण्यकलश गणिसीस / सूत्ररागीजणेजैतसी // ७॥सा // इतिश्रीसत्तमाध्ययनसकायसंपूर्णम् // // अथाष्टमाध्ययन सझाय लिख्यते // // जिनवरगणधरमुनिवर.कहेरे / हिंसाटालीने दया पालरे। जूजूवाजीव जांणी बक्कायनारे / पगपगजयणाकरतो चालरे // जिन // 1 // टालेसूदमाउविराधनारे / गेमी मदमत्सर परमादरे / तपजपखपकरीकाया सुखवीरे / जीते इंत्रियविषयसवादरे // // जिन // जरा न करे देहा जाजरीरे, नवधे रोगपीमाघटमाहिरे / इंजीही एपमेनहीं जांलगरे, तांलगि धरम करमनोनत्साहरे // 3 // जिन // क्रोधै वैरवढे घटेप्रीतमीरे / माने विघटे विनयआचाररे / माया बाटहेसरनीगमेरे / लोने विणसे सहु संसागरे // 4 // जिन // ज्योतिष निमित्त सुहना फल कहेरे / मंत्र जंत्र कामा कूमा देरे / कांमणटूमण ओषध केलवेरे / किमतरस्येने तारस्ये केमरे // 5 // जिन // चीत जीत नजोवी नारीचीतरीरे।वाले लोचन रविजिमतेजरे। हीणी खीणी वली सो वरसनी रे / तिहांपण व्रतधर नकरेहेजरे॥६॥ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (316) जिन // कुकमी वनमामरे बिहीयकारे / मरेब्रह्मचारिनारीशु तेमरे / सिणगार सोना षटरसखायवोरे / तालपुट जहर हला. हलजेमरे // 7 // जिन // वसही सयणासणपायपूरणोजी। पहिलेही लेज्यो लेवाजोगरे / धन धन मुनि ते चंदसूहमसमारे / लहेसुख इहलोगरे // 7 // जिन // आचारपणहीनाम अफेणमे रे / आपमे सखरा आचाररे / सिद्धांतरीसाखे नाखे जैतसीरे / सूत्रधीयाज्यो मुजनिस्ताररे // ए // जिनवर० // इति अष्टमाध्ययनसकायसंपूर्णम् // ॥अथ नवमाध्ययन सझाय लिख्यते // // उलगमी उलगमीकरिये गीतारथगुरुतणारे / मानमोमी मदगेमी / आसातना असातनाटाली नमियें पूजीयें / वंदिये करजोम / उलगमी० // 1 // सिमांतसिद्धांतसुणावे सखरावांचनेरे / बूझवेअरथविचार / इंजचंचंजसूर जिम सद्गुरूसेवीयेरे / विनयकरी वारंवार / ॐ // // नवमे विनयसमाहिअफेणमेरे / नव नवा अरविचार / उद्देसे उसे चोथे. शिवरवरणव्यारे / समाधि थानकच्यार / // 3 // पहिली पहिली विनयसमाधिविधिजलीरे / बीजीसूत्रसमाधि / त्रीजी तपश् चोश्रीआचारनीरे। च्यारजेदवाराधि॥॥॥समाधी समाधीआराधे ते सुखसिघिलहेरे / अजर अमरपददेव / बेकर. जोमी बेकरजोमी वांदे जेतसीरे / गुणवंतश्रीगुरूदेव // 5 // // इति नवमाध्ययनसकायसंपूर्णम् // // अथ दशमाध्ययन सझाय लिख्यते // // ढाल // अरिहंतवचने दीदादरीजी / निरूपम रस . Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (317) जाण / दसम निकुनामऊयणमेंजी, वम्यु न वांद्रे सुजाण // अरि // 1 // प्रथवी न खणे खणावे नहीं जी / पीवे न पावे सीतलनीर / जाले न जलावेतेऊकायने जी / वींजे न वीजावे समीर / अरि० // 2 // बेदे न बेदावे तरू हरीकायनें जी। वरजेबीजसचित्त / पचे न पचावे नोजनरसवतीजी / तस थावर विधचित्त // अरि० // 3 // पांचेव्रतपाले पांचेइंची दमे जी। गामकंटक सहेधीर / रहेसमसांणे पमिमा पविजेजी। तजे प्रतिबंधसरीर // अरि० // 4 // रागषमदमत्सरमाया परिहरेजी / नकरे विणजव्यापार / तजे तमासा हासा मसकरीजी / वांडे नहीं सतकार // अरि० // 5 // मरम न लाखे धरमलाखेजलोजी / पामे परमपद सादिअनंत / आतमध्याने श्रातमनरेजी / वाचे सूत्रसिधांत // अरि॥६॥ श्रीसिद्धांनवगणधररच्योजी / दसवैकालिकसूत्र / सखरो आचारप्ररूप्यो साधुनोजी / मनकतास्यो निजपूत // 7 // संवतसतर सतोतर समेंजी। बीकानेर मकार, पाठकपुण्यकलसगणी शिष्य जैतसीजी, सिकायरचिसुखकार // 7 // अरि // इति दसमाध्य. यन सफाय संपूर्णम् // // अथ कलस लिख्यते // // दसवैकालिक सूत्रसुहामणोरे / रच्यो सिजंलवस्वाम / अफेण व्यालुवेलादसेढुवाजी / तिण दीयो एहवोनाम // 1 // दसवैकालिकसूत्रसुहामणोरे / ऊपरचूलिका बेरलीयामणी रे / जिममेरूसिरचूल / सीमंधरस्वामीनणीजवणी नणारे / सखरीने वातसमूल // दस // 2 // अढारेणा हो पहिलीचूलि. Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (317) कारे / जाणों चतुरसुजाण / हयगयवाहण रसी अंकुशसढेरे / घसीहुवे मुनितिमगण // दस // 3 // अरतीने वारे विरतीश्रादरेजी / लोपेनहीं जिनलीक / तपजपखप किरियाकरे / ते वंदनीकपूजनीक // दस // 4 // चूलिकाबीजी बोधबीजसंपजेरे / बीजी तीजी वात / मुनिवर समतानरसंबररमेरे / धर मेनीनी सातधात // दस // 5 // संवेगी सोनागी वैरागीजतीरे / पाले निरमलसील / केवलदसणपामी लवजलतरीजी पामे अविचललील // दस // 6 // सुणतांलणतां सिद्धांतवाचतांजी / ऊलसे अंगोअंग / नव नव मंगल पुण्यकलससदा जी / जयतसी जयजयरंग // दस 7 // इति श्रीदसवैकालिक सूत्र सकाय पंमितजयतसीजीकृत संपूर्णम् // // अथ श्रीद्विमुखराजानी सझाय लिख्यते // // नयरी कपिलानोधणीरे // जयराज गुणखाणी / न्याये नितपाले प्रजारे / गुणमालापटराणी // 1 // उमूहराय बीजो प्रत्येकबुझ / वैरागे मनवासियोरे / समकितपालेसुज // 50 // धरतीखणतां नीसखोरे / मुगट एकअनिराम, मुख बीजो प्रति बिंबीयोरे तिण निमुखहुवोनाम // 5 // 2 // मुगटलेवा नणी मांमीयोरे / चंम्प्रद्योतसंग्राम / पिण अन्यायकूशीलीयोरे / किम सरे तेहनांकाम // 5 // 3 // इंजधज अति सिणगारीयोरे / जोतां त्रिपत नथाय / सकललोक खेलेरमेरे / महोत्सव मांड्योराय // 5 // 4 // तिहांजा इंजधजदेखीयोरे / पड्यो मलमूत्रमकार / हा हा शोलाकारमीरे / ए सहुअथिर संसार // 5 // 5 // बैरागे मनवालियोरे लीधो संजमन्नार / तप Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३१ए) संजमकीधा आकरा रे / पाम्या नवनोपार // 5 // 6 // बीजो प्रत्येक बुझब्योरे / मुमूहनामेरिषिराय / समयसुंदर कहे साधुनारे / नितनित प्रणमुंपाय // 5 // इति चिमुखराजानी सहाय संपूर्णम् // // अथ नमीराजानी सझाय लिख्यते // // नयरसुदरसणराय / होजी मणिरअराजकरेतिहां। कीधो सबलअन्याय / होजी जुगबाहुबंधवमारीयो // 1 // मयणरेहा गइ नाश, होजी जायोपुत्रउद्यानमें / पमीय विद्याधरपास / पण शीलराख्योसाबतो / पदमरथनूपाल // 2 // होजी घोमे अपहोआवीयो। तेणेतेलीधोवाल / होजी पुत्रपाली मोटोकीयो। शत्रुनम्या सहुताम // 3 // होजी नमीएहवं नामश्रापीयुं / यो मिशिलानोराय हो जी सहसअंतेजरसुंरमे / दाघज्वरचढ्योदेह // // होजी करमथकी छूटेनही / अथिरसहु रिधिएह / होजी नमीराजा संजमलियो / इंजपरख्योआय // 5 // होजी चढते परिणामेचढ्यो / प्रणम्या सुरनरराय / होजी समयसुंदरकहे साधुना / नित्यनित्य प्रणमुंपाय // 6 // इति नमीराजानी सहाय सपूर्णम् // ॥अथ नभगति राजानी सज्झाय लिख्यते // // पुंड्रवर्धनपुरराजीयो / म्हांकीसहीयर सिंहरथनाम नरिंदरे / इकदिनघोमेअपहर्यो म्हांकी / पमीयो अटवी मांहीरे // 1 // परवतऊपरपेखीयो // म्हांकी // सतनूमि आवासरे / कनकमालाविद्याधरी // म्हांकी० // प्रणमीप्रेम उसासरे // 2 // नगरीनणी राजा निसर्यो // म्हांकी० // नलगइनाम Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (320) कहायरे / मारगमेंशांबोमियो // म्हांकी - // सुंदरफलफूलपानरे // 3 // कोयलकरे टहुकमा // म्हाकी // मांजररही महकायरे / राजा इक मांजरग्रही // म्हाकी ॥तिम मंत्रीप्रधानरे // 4 // वलतो राजा ते बढ्यो // म्हांकी० // वृक्ष दीगेवीगयरे / शोलासघलीकारमी // म्हांकी // खीणमें खेरुथायरे // 5 // जातिस्मरणपामीयो // म्हांकी // संयमपालेसूघरे / समयसुंदरकहेसाधुने // म्हांकी // चोयाप्रत्येकबु. हो // 6 // इति च्यार प्रत्येकबुद्धसकाय नजगतिराजानी सकाय संपूर्ण // // अथ श्रीजिनकृपाचंद्रसूरिरचित प्रथमकषाय सझाय लिख्यते // क्रोध मकरसो लोलाप्राणियारे / क्रोधश्रीपाये कोमकले. सरे / आधिव्याधिवधे घणीरे / धर्मनोरहेनहिं लवलेसरे // 1 // बहुकाले जे तपजपादरेरे / क्रोधथी खिणमांखेरु थायरे / कुणाला नगरीना मुनिजाणियेरे / क्रोधथी उरगतिमां ते जायरे // 2 // क्षणक्षणमां जे क्रोध करे मुनिरे। पाप श्रमण ते कहिवाय रे। शिष्यनाऊपरक्रोधकरीथयोरे / चमकोशियो कह्यो जिनरायरे // 3 // पोताना आत्मगुणबालेसहिरे / पठे परनोघरबासंतरे / अग्निसमानजाणोतुमे क्रोधनेरे / जेत्यागेते मोटाकहंतरे // 4 // अनंतानुबंध्यादिक चउन्नेदश्रीरे / न लहे दरशनादिसमृधिरे / सूरिकृपाचं कहे धारज्योरे / दमाथीपामे अविचलरिधिरे / इति संपूर्ण // Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (31) // अथ द्वितीय कषाय लिख्यते // मानवनवपामी करीजी / विनयकरो निशिदीस / मान महागजटालवाजी / नाखेश्रीजगदीस / चतुरनर मेलो माननीवात / जिमथायें सुखसात / च मे // 1 // मोह महाराजा. तणोजी / मान श्रे अंगजजाण / जातिमदादिक एहनाजी। परि. करजाणोसुजाण // च // मे // 2 // मानतणे वस जेपड्याजी। तेरफड्यासंसार / मानत्यागथी बाहूबलीजी / पायो केवलसार // च० // मे // 3 // विनयश्री विद्या संपजेजी। समकितलहेसुखकार / चारित्र पाली निरमलोजी / पोहचे मुक्तिमकार // च // मे // 4 // रावणराजगमावीयोजी / सुर्योधन मुखलीन / प्रतिविष्णु नरकेगयाजी / माननी संगतिकीन // च०॥ मे॥५॥ विनयमूल जिनधर्मनोजी / नाख्योश्रीजिनराज, सूरिकृपाचंगुणस्तवेजी। विनयजाणो सिरताज // च // मे० // 6 // इति मानसहाय // ॥अथ मायानी सझाय लिख्यते // ॥माया विषवेली विषवेली एतो दे उरगतिमा ठेली / माया विषवेली ॥ए आंकमी ॥मायावेलमीमनमांगी।आर्यव कीलेउखेली // 1 // मायाविण // मायाकायाजगमेंठी, ममतामांहिकहेली // 2 // माया // कपटदपटकरि लोकने धूते / बहूरूपे जरमेलीमाया०॥३॥आषाढजूतिये मायाकी / लही सिवपदनीसेली // माया // // मद्विजिनेश्वरपूरवनवमे, मित्रश्रीमायाकरेली // माया // 5 // स्त्रीतीर्थकरपाम्यातेहथी / उत्तमगुएणगणमेली // माया // 6 // धूतारां बहुमाया करके, धूत बृ०स्त०२१ Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (362) जगजनहेली // माया // 7 // मायात्यागकरो गुरुसंगे। कृपाचंसुखबरेली // माया० // // इतिमायानीसकाय // // अथ लोभनी सज्झाय लिख्यते // ॥राग नर्तरि // लोजतजो नविप्राणिया, लोने सवगुण जावे, लोनेसुखनहिहूवेकदा, तोकिम निजगुण पावे लो॥१॥ सागरसेठ बहुलोनीयो, नरकगयोनिरधार, मम्मण तिमवहूलाजना, थयाउरगतिनाजरतार // लो० // 2 // सुनुमचक्री साधननणी, लोलपिशाचग्रहाणो, मध्यसमुत्रमा बूमीयो, अयोनरकनोराणो // लो० // 3 // सुखमलोजजिहां लगे, शिवसुखजिलाषा, लोनशत्रुदूरेकरी केवलज्ञान प्रकाशा // लो० // 4 // च्यारनेदलोजनाकह्या, जिणगणधरदेवे, तेहतजी लहेक्रमथकी, निजगुणनेसेवे // लो० // 5 // च्यारकषायनिवारवा, कषायगंजगतपकीजे, कृपाचंसूरि इमनणे, वंचितफललीजे // लोग // 6 // इति लोन सकाय // ॥अथ दीवालीनी सज्झाय लिख्यते // // हारेमारे गमधर्मना साढा पचवीशदेशजो // ए देशी // हारेमारे दीवालीदिनाव्यो सजनीजाणजो / वीरजिनेश्वर अंतिमचनमासीरह्यारे लोय // 1 // हारेमारे पावापुरीमांवसिया त्रिनुवननाथजो / सोलेपहेरलगे देशना दीधी सुखकरेलो० // // हारेमारे पुन्यपालराजापूने सुहणानो अर्थजो / जावी. फलकह्योपंचमारानोसहीरे लो० // 3 // हारेमारे गौतमस्वामीने मुक्या बोधनकाजजो / अमावसनीरजनीये प्रसि. ववर्योरे लो० // 4 // हारेमारे चोसठसुरपतिश्राव्या तत Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (353) खिणतामजो / कट्याणकनिर्वाणनो चवसोकशुरे लो० // 5 // हारेमारे पागवलता गौतम जाएयोनिर्वाणजो / वजाहतपरे मुर्चितथई जागृतथयारे लो० // 6 // हारेमारे विविधविलापकरेश्रीगौतमस्वामी जो / वीतरागथईकेवललचिपामीयारे लोग // 7 // हरिमारे काशीकोसलदेशतणा गणरायजो / अढारेमिलि पोसह विधिशुंआदखोरे लो० // 7 // हरिमारे जावउद्योत गयांथकां अव्यग्द्योतजो। रयणमुकीने दीवालीकरी तिन समेरे लो॥ ए॥ हारेमारे गोतमकेवल महिमाकरेइंचजो। जाश्वीजजमाड्यो बेहनीये नाइनेंरे लो० // 10 // हरिमारे दीवालीनो बकरीचौवीहारजो / सोलपहोरनो पोसहतपाराधियेरे लो० // 11 // हारेमारे गुणनोकरी परनाते मंगलकाजजो / गौतमस्वामीन एकासकोकरे लावशुंरे लो० // 12 // दीवालीपर्व लोकोत्तर लोकीकजो / परसिधथयो कारतिकवदिअमावसेरे लोग॥१३॥ हारेमारे पर्वाराधनकरो नवि मनउ. बरंगजो / जिनकृपाचंजसूरिकहे सुखसंपति वरोरे लो० // 14 // हारे मारे // इति दीवालीसकाय // // अथ श्रीपर्युषणपर्वनी सज्झाय लिख्यते // // देशी यतनी // सखी पर्वपजुषणाव्या / नविजनना मनमांजाव्या / एमां आश्रवपांचहटाव्या, एतो सर्वजीवसुखपाव्या सनेही पर्व पजुषण सेवो / एतो सेवी शिवसुख लवो / सनेही पर्व० // 1 // श्रीवीरजिनेश्वरलाखे / एपर्वसेवो श्रुतसाखे / श्रीनप्रबाहुस्वामीदाखे / एतोकटपसूत्रश्म श्राखे / स० // पर्व० // 2 // आउदीवसअमरपलावे / जिनचैत्ये Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (324) पूजारचावे / कट्पसूत्रघरे पधरावे / देवेरात्रिजागो नले नावे // स० // पर्व० // 3 // रथहयवरगजसणगारे / साशननीशोनावधारे / वाजिनध्वनिमनुहारे / वरघोमोसजे दिलसारे // स // पर्व // // आमंबरकरीने लावे / श्रीकल्पसूत्र शुजलावे / सदगुरुने हाथे गवे / सुहव मिल मंगलगावे // स० // 5 // सदगुरुनीमीनीवाणी / सुणो चनविहसंघ गुण खाणी, मनमाअतिनबटआणी / संसारतरे नविप्राणी // स० // पर्व० // 6 // इकवीशवार सुणीजे / पूजापरतावना कीजे / उ अच्म चौथकरीजे / सुणीवीरजन्म जसलीजे // स० // पर्व० // 7 // आषाढ चोमासेथी जाणो / पचास दिव. स परमाणो / संवरीपर्व कहाणो / नाखे श्रीजिनवरलाणो // स० // पर्व // // इमपर्वआराधनकरीये / पंचकारणमनमां धरी / श्रीजिनवाणीअनुसरीयें / कृपाचंसूरि जसवरीये // स० // पर्व // ए // इति श्रीपजुषणपर्वनी सकाय संपूर्ण // अथ रांदेर श्रीऋषभ जीर्णचैत्य प्रतिष्ठा स्तवनं लिख्यते // (राग) सारंग // षनचरणकजध्यावो मनजमरा // 20 // परमानंदरसपावो // मन न // 10 // 1 // अपरकमलतुहिन संयोगे / मुजितहोयकमलावे // म० // 2 // प्रनुपदपंकज अहनिशिविकसे / तेहथीचित्तललचावे // मनन // 3 // चंद्रविकासीकुमुदकुमुदनी / दिनमे ते मुरकावे // म // 20 // जिनपादांबुजनिरुपमदेखी / अंतरज्योतिजगावे // म० // 30 // 5 // तनमनथिरकर जिनकजध्यावे / रूपातीत सुखपावे // Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (325) म // 20 // 6 // प्रथमजिनेसर प्रश्रमधराधिप, प्रश्रममुनि जगगावे ॥म ॥२०॥७॥प्रश्रमजगतगुरुजिनउपगारि। प्रजापतिनाम धरावे ॥म०॥ // // महागोप महामाहनप्रनुजी। नवअटवीसत्यवाहे ॥म०॥ 20 // ए॥ जवजलधिनिर्यामकजगपति / सुजश सदासुकहावे ॥म०॥३०॥१॥ उगणी सेंचमोत्तर बरसे माघशुदिमन नावे ॥म०॥०॥११॥ शुक्ल दशमी रांदेरनगरमां / जिनचैत्येपधरावे ॥म ॥२०॥१२॥श्रीजिनकृपाचंजसूरिजक्तें / संतसुयशमिलगावे॥म // 20 // 13 // इतिरांदेरमध्ये जीर्णचैत्योचारे श्रीरिषनजिनबिंबप्रतिष्ठास्तवनंसंपूर्ण // ॥अथ बीजनी थुइ लिख्यते // // वासपूजजिनअंतरजामी / मनविसरामीस्वामीजी, नविजन तारण सिवसुखकारण, निजगुणनाप्रनुकामीजी, बीजदिवस जिनवर शिवसुखकर / चंविमानेपामीजी, नगरबुहारिमांमनुहारि सेवोजिनसुखधामीजी // 1 // वासुपूज्य पद्मप्रनुराता चंजसुविधिजिनधवलाजी मविपासदोयनीलाजाणो मुनिसुव्रतनेमीकालाजी, आवधिगुणजगनायकलायक सोवनवरणसुहायाजी बीजदिवश नव नव चनदिकजिनवंडं अहनिशिपायाजी॥॥ सुविधधर्मजिनवरप्रकाश्यो अर्थअधिकसुखकारिजी। सूत्रेकरिगणधरगुरुनाख्यो नविजननाउपगारिजी। दोय शिक्षा दोयनयनिदेपा चग्नंगीमनाणोजी, बीजाराधिसंपदासाधि परमारथपहिचाणोजी // 3 // बीजदिवस उपवासकरीजे / पमिकमणादिकसारोजी / एतपसुरतरुसरिखोजाणो निरुपमसुखदातारोजी, कुमारयद तिम शासनदेवी चंमासानिधनूरिजी। Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (326) शुल फलदायकसंघनेहोज्यो श्रीजिनकृपाचंसूरीजी // 4 // इतिबीजनी शुश् संपूर्णा // // अथ श्रीपजुषणपर्वनी थुइ लिख्यते // // वीरजिनेसरजगअलवेसरराजग्रहीसमोसरियाजी, पर्वपजु. षणणपरिजाखे चनविहसंघपरिवरियाजी, आषाढचोमासाथीपञ्चाशदिननीसंख्याजाणोजी / संबचरीपमिकमणो करिने आतमनिजघराणोजी // 1 // दोयरातादोयधोलाजिनपति / दोयकाला दोयनीलाजी, लांउनवरणप्रमाणसुसोनितसोलेजिनवरपीलाजी / सतरेनेदीपूजाकरिने चैत्यपरवामीकरीजे जी। परवपजुषण पुरवपुन्ये पाम्या लालजाणीजेजी // 2 // कल्पसूत्रनिज घरेपधरावी रात्रिजागोतिहांकीजेजी / वरघोमोसजिसंघमलिने सद्गुरुने आणीदीजेजी / नव ग्यारे तेरे वायण सुणिनेऽरगतिवारोजी / पूजाप्रनावनासद्गुरुत्नक्ति करिने जन्मसुधारोजी // 3 // साहमीवडलकरियेनावे वारंवारजजमंताजी। केशीयलतपसंयमपाले नाव अधिकलसंता जी। आउदिवस पजुषणसेवो जिमसेवे सुरइंदाजी / सुयदेवीसुपसाये लाखे जिनकृपाचंजसूरिंदाजी // 4 // इतिश्रीपजुष. पर्वनीथुश्संपूर्ण // // अथ छींक विचार सज्झाय लिख्यते // ॥ींकशुकननो कहुं विचार / सुगुरुसमीपसुण्यो में सार / आगलमांजो बींकजहोय / अशुजतणीजाणेजो कोय // 1 // पहेलाशुकनहुवा शुनघणा / बींकहुवां निरफलतेतणां / बींकजहुवांपली जोजाण / शुकनहुवांते करो प्रमाण // 2 // मावी Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (337) बीकहोय अर्धफलकहे / जमणी बींक बूरीसडकहे / पूंजीकसु. खदायकसही / घणी नींकते निरफलकही // 3 // हांसेनयनपाधीयेकरी / हरायणो मनमांहेधरी / एकीक ते निरफलजाण / कूतरीकतो निःखरजाण // 4 // मंजारींकते मरणजकरे / इसीक कष्टकारीसरे / वस्तुवेचतां गंकजहोय, आ. एयु किरियाणुं मोघु होय // 5 // वस्तु लेतां बींकजो होय / बमणो लाल सघलानो जोय / गश्वस्तुजो जोवाजाय / बींकहोयतो लाल न श्राय // 6 // नवांवस्त्रवली पहेरतां / गैंकहोये आगल अणतां / जोजनहोमपूजार्नुकाम / मंगलिकधमसुगम // 7 // कामएटलां कीधानीअंत / वली क्रियाकरावे. खंत / रतिस्नानकरीनेरहे / बीकहोयतो पुत्रजलहे // 7 // शतुवंतीने दीधेदान / पनीहोवे पुत्रनिदान / वैरीजीती जाशुं जोय / बीकेवैरीसबलोहोय // ए॥ रोगीकाज वैद्यतेमवा / जातांठींके जोनवनवा, ते रोगीने मृत्युजाणीये / कामविना वैद्य नाणीये // 10 // वैद्यरोगीने घरेावतां / बींक होये औषध आपतां / रोगीतको रोगते समे / आहार लेते जमवुगमे // 11 // व्यापारेलिधेव्यापार / बींकहोयतोवृद्धिअपार / खेऱ्या शुध्दीधुंरायने / कफोकथायेतेहने // 15 // पाणी पीतांअथ विसंवाद / नींकदृष्टिदोषअनिवाद / नवघरे वसवाआवीये / बींकहोयेते उचालीये // 13 // व्याजे अव्य केहनेआपतां, वली पृथ्विमांधनदाटतां / कर्षजोवाजातां वली / वृष्टिहोयपुहवीमनरली // 14 ॥ींकशुकन नर जाणेजेह / Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (327) पगपगसंपदपामेतेह / बींकविचारजाणे जोकोइ / अधिवृद्धिकट्याणजहोय // 15 // इति बीकविचारसज्जाय // // अथ श्रीअइमत्ता मुनिनी सज्झाय लिख्यते // // ढाल 1 ली // वीरजीआव्यारे चंपावनकेउद्यान एदेशी॥ शासनस्वामिरे निरमलनामि / शिवगतिगामिरे / वीरजिनेसरु // 1 // नगरपोटहासेरे नविकलबासे / श्रीवनउद्यानेरे स्वामिसमोसया // 2 // राजातिहांराजेरे / चढतदिवाजे // राजसमाजे रे विजयनरेसरु // 3 // गुण मणिखाणीरे श्रीदेवीराणी। अश्मत्तोनामेनंदनतेहने // 4 // कुंमरकुमारीरे बहुसुकुमारी। तेहसंघा रे निज जनरंगशुं // 5 // इंअध्वजगमेरे कौतुककामे / कुमरअश्मत्तोरे / रमतो आवीयो // 6 // प्राणापामी रे गौतम स्वामि / गोचरीश्राव्यारे / तिहांकणेतेसमे॥७॥ कुमर अश्मत्तेरे निरमलचित्ते / गौतमपासेरे वीइमकडं // // कुणतुमेनामेरे फरो किणकामे / तवकहेगौतमरे / वाणीअतिनली // ए // साधुआचारीरे / अमे ब्रह्मचारी / गोचरीमियेरे देवाणुप्पिया // 10 // मुजघरआवोरे / निदापावो / श्मकहीांगुलि रे / कालीगुरुतणी // 11 // निजघर लावेरे / दिलसुखपावे / श्रीदेवी निरखीरे / हरखि अतिघणी // 12 // आसनगेमीरे / बेकरजोमी / वांदी पमिलानीरे / गुरुवोलावीया // 13 // ढाल 2 जी // आवीरे पनोतीजरासिंधने एदेशी। तबकहे कुंमर गौतमन्नणी ।किहां वसोगेतुमे. स्वामरे / गौतमकहे पुरपरिसरे / जिहां श्रम गुरुगुणधामरे / वीरजिनवरत्रिनुवनधणी // 15 // ए आंकणी // कुंमरकहेहूं Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३२ए) पणप्रनुजीने / वांदिशुंआजतुम सारे / जिमसुखतिमकरोगुरुकहे / आवते जिहां जगनाथरे वीर० // 15 // विनयकरी कुंमरवेसेतिहां / सेवतो प्रनुतणापायरे / धर्मदेशनाजिनवरदिये / सांजली हरखितथायरे // वीर० // 16 // कुमरकहेमाताजणी पूती लेशुं संयमनाररे। प्रनुकहे जिमसुखतिमकरो, मकरो प्रतिबंधलगाररे ॥वीर० // 17 // कुमरघरयावीमातजी। तातजीकरीकृपासाररे / अनुमतिदीजिये मुजजणी / लेश्श हूं संयमनाररे // वीर० // 17 // मातकहे पुत्रतुं बालने / शुसमजे ब्रतवातरे / कुमरकहे जेहजाणुंअg, ते नवि जाणुंकुंमातरे // वीर // 15 // जेहवलि हुँ नविजाणुं अबु / जाणुंवं मातजीतेहरे / श्मसुणी मातापितालणे / कहे किम बालकएहरे // वीर // 20 // ढाल 3 // धनना लोनीवाणिया एदेशी // कुमरकहे जाणुसही / जायेजीव मरेवोरे / नविजाणुं किणकासमें / किणगमे वलीकेवोरे / मातसुणोमुजवातमी // 21 // ए आंकणी // नविजाणुं किणकर्मथी। जीवनमे संसारोरे // पणजाणुं निजकर्मथी। जीवनमे संसारोरे // मात // 22 // तिणकारणसंयम जणी, अनुमतिमुजनेदीजेरे। आतमकारजसाधतां / सुजने विलंबनकीजेरे // मात // 23 // विविधवचनेकरी जोलव्यो / पणनिजलाव न मेरे / मातपिता तववेगशु / अोलवकरवाममेरे // मात // 24 // कुंमरअश्मत्ते आदरी / प्रनुपासेजश्दीकारे / गुणरयणादिक तपकस्यां / अंग ग्यारेशीख्यारे // मात // 25 // सिद्धथयाविपुलाचले / अश्मत्तो मुनिरायारे / अच्मअंगथीनघरी / खेशेमुनिगुण Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (330) गायारे / मात // 26 // एहवाश्रीमुनिरायनो / अमृतधर्म जदारोरे। शिष्यदमाकट्याणनी वंदनावारंवारोरे / मात सुणो मुजवातमी // 27 // इति एमत्ताजी स० // // अथ श्रीउपाध्याय समयसुंदरजी कृत मायानी सझाय लिख्यते // - // मायाकारमीरे / माया मकरोचतुरसुजाण // मा ॥ए आंकणी // मायावाह्या जगतविलुछा / मुखीयाथाये अजाण // मा० // 1 // न्हानामहोटानरनेमाया / नारीने अधिकरी / वली विशेष अतिघणीव्यापे / गरमामेकाफेरी ॥मा // 2 // योगी जंगम यती संन्यासी / नग्नश्रश् परवरिया। बंधेमस्तकअगनीधुखंती, मायाथी नविमरिया // मा० // 3 // मायामे. सीकरी बहुलेली / लोनेलाणजाय / चोरमरे धरतीमांघाले। ऊपर विसहरथाय // मा० // 4 // मायाकारदूरदेशांतर / अटवीवनमांजाय / प्रवहण बेसी बीपछीपांतर / सायरमांपाय // मा० // 5 // शिवनूतिस रिखा सत्यवादी / समगोषकहावे / रतनदेखी मनतेहy चलि / मरीनेमुर्गतिजावे // मा॥६॥लब्धिदत्तमायायें नमीयो / पमीयोसमुमकाररे। मुख मा खणी थश्ने मरीयो / पमीयो नरकवार // मा॥9॥ इंजे तो सिंहासने थापी। संजय माया राखी / नेमीसर तो मायामेली / मुगतीमां श्रयासाखी // // मा० // मनवचनका. यायें माया / महेलीवनमांजाय / धन्य धन्य तेह मुनिसरजेहना / तीन जवनगुणगाय // मा० // ए॥ एवुजाणीने नविपाण।। मायामूकोअलगी / समयसुंदर कहे सारखे जगमा / Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (331) धर्मरंगशुं वलगी // मा० // 10 // इति श्रीसमयसुंदरोपाध्यायकृत मायानी सकाय संपूर्णा // // अथ श्रीपंडितजिनहर्षजीविरचितसम कितनी वृद्ध सज्झाय लिख्यते // ____ ढाल पहेली // तेमुजमिचामिछक्कम // ऐ देशी // सांजलरे तुं प्राणीया / सशुरुउपदेशो / मानवनवदोहिलो लह्यो / उत्तमकुलएसो // 1 // सां० // देवतत्त्वनविलख्यो / गुरुतत्त्वनजाण्यो / धर्मतत्त्वनविसर्दह्यो / हियझेशान न आण्यो // // सी० // मिथ्यात्वीसुरजिनप्रत्यें / सरखाकरी जाण्या, गुणअवगुणनविउँलख्या / वयणेकरीवखाण्या // 3 // सां० // देवश्रया मोहेंग्रह्या / पासेंरहेनारी / कामतणेवरों जेपड्या / अवगुणअधिकारी // 4 // सां० // के क्रोधीदेवता / वली क्रोधनावाह्या / केशकोईथीबीहता। हश्रीयारसंवाह्या // 5 // सां०॥ क्रूरनजर जेहनीषणी / देखतांमरीयें / मुबाजेहनीएहवी / तेहथी शुतरीयें // 6 // सांग // आपकरमसांकलजड्यां। नमेजवहीमकारो। जनममरण नवदेखीयें / पाम्यानहींपारो॥७॥ सां०॥ देवथ नाटककरे / नाचेजणजणांगें / वेषकरी राधा कृष्णनो / वली जिदामांगे // 7 // सां०॥ मुखेंकरी वाये वांसली। पेहेरे तनवागा / लावतानोजनकरे / एहवाम सागा ॥ए॥ सांग // देखोदैत्यसंहारवा / श्रयोउद्यमवंतो / हरि हरणांकुशमारीयो / नरसिंहबलवंतो // 10 // सां०॥ मन्चकवअवतारले / सदु असुरविदास्या / दशअवतारें जूजूश्रा। दशदैत्यसंहास्या // 11 // सां०॥ मानेमूढमिथ्यामति / Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (332) एहवापणदेवो / फरीफरी अवतारले / देखी कर्मनीटेवो॥१॥ सां० // स्वामीसोहेजेहवो / तेहवो परिवारो / एमजाणीनेपरिहरो। जिनहर्षविचारो // 13 // सां० // इति // ढाल बीजी॥ उधवमाधवनेकेहेजो // ए देशी // जगनायकजिनराजने / दाखवियें सहीदेव / मूकाणाजेकर्मथी / सारे सुरपतिसेव // 14 // ज० // क्रोधमानमायानहीं / नहीं लोनअज्ञान / रतिअरति वेदेनहीं / गंड्या मदधान // 15 // ज० // निजा शोक चोरी नहीं / नहीं वयणअलीक / मन्चर जय वधप्राणनो। नकरे तहकीक // 16 // ज० // प्रेम क्रीमा न करेकदी / नहीं नारीप्रसंग / हास्यादिकअढारए / नहींजेहनेअंग // 17 // ज० // पद्मासनपूरी करी / वेग अरिहंत / निश्चललोयणतेहना / नासाग्ररहंत // 17 // ज० // जिनमुना जिनराजनी। दीगपरमनदास / समकितथाये निर्मल / तपे ज्ञानउजास // 15 // ज० // गतिआगति सहु जीवनी / देखेलोकालोक / मनःपर्यायसवीतणा / केवल ज्ञानालोक // 20 // ज० // मूर्तिश्रीजिनराजनी। समता नंमार / शीतलनयणसुहामणां / नहींवांकलगार // 21 // ज० // हसतवदन हरखेहैयुं / देखीश्रीजिनराय / सुंदरउबि प्रजुदेहनी / शोलावरणी नजाय // 22 // ज० // अवरतणी एहवीउवि / किहांएनदीसंत / देवतत्व एजापीये। जिनहर्षकहंत // 23 ॥ज ढाल 3 जी॥ यतणीनी देशी // श्रीजिनवरप्रवचननाख्या / जेकुगुरुतणागुण दाख्या। पासत्थादिकपांचे। पापश्रमण कह्यासाचे // 2 // गृहीनामंदिरथीबाणी / आहारकरे नातपाणी / सुए जंघेनि Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (333) शदीस / परमादीवीशवावीश // 25 // किरिया न करे किणिवार / पमिक्कमपुंसांऊसवार / नकरेपच्चरकाण सकाय / विकयाकरंतांदिनजाय // 26 // घृत दूध दहीं अप्रमाण / खाए नकरेपच्चरकाण / ज्ञानदर्शननेंचारित्र / मूकीदीधांसुपवित्र // 27 // सुविहितमुनिसामाचारी / पालेनहिं तेश्रणगारी / श्राहारनादोषबायाल / टालेनहीं किणहीकाल // 2 // धबधबधसमसतो चाले / काचेजलें देहपखाले, अर्चारचनावंदावे। वस्त्रादिकशोलाबनावे // ए // परिग्रहवली काकाराखे / क्लीवली अधिकानेधाखे / माठीकरणी जेकहियें / ते सघली. जिणमेलहियें // 30 // एहवाजे कुगुरुआरंजी। मुनि साधुकहेवायेदंनी / किश् कम्मप्रशंसाकरीये / नवनवगृहमांश्रवतरिये // 31 // लोहानीनावातोले / जवसायरमां जेबोले, जिनहर्षजले अहिकालो / पणकुगुरुनीसंगतिटालो // 32 // ढाल चोथी // करजोमीभागवरही // ए देशी // गुणगिरुआ गुरु उलखो। हियमे सुमति विचारीरे / गुरु सुपरीक्षादोहिली / जूलपमे नरनारीरे // 33 // गुण // पांचे इंजियवशकरे / पांचमहाव्रतपालेरे / चारकषायतजीजेणें / पांचे किरिया टालेरे // 34 // गुण // पांचसमिति सुमतारहे / तीन गुपति जे धारे रे। दोषवेंतालीशटालीने / पाणी नात आहारेरे // 35 // गु०॥ ममतांगंमीदेहनी / निर्लोजीनिर्मायीरे / नवविध परि. ग्रहपरिहरे / चित्तचिंत्ते नकारे // 36 // गु० // धर्मतणाउपगरणधरे / संजम पालवाकाजेंरे / नूमिजोई पगला गरे / शोकविरुधथीलाजे रे // 37 // गुण // पमिलेहण निरतिविधे। Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (334) // 30 // गु० // वस्त्रादिकशुद्धएषणी / लेदेखीसुविशेषेरे / कालप्रमाणे खपकरे / दूषणटलतां देखे रे // 35 // गुण॥ कुखी संबल जे कह्यां / संनिधिकेमही न राखेरे / दे उपदेशयथास्थितें / सत्य वचन मुखलारे // 40 // गुण // तनमेहेला मनमजला / तपकरी खीणीदेहीरे / बंधन वे बेदीकरी / विचरे जननिःस्नेहीरे // 41 // गु० // एहवा गुरु जोईकरी / आदरीये शुलना रे / बीजुतत्त्व सुगुरुतणुं / ए जिनहर्ष कहावेरे // 42 // गु० // ढाल 5 मी // कर्म न छूटेरेप्राणीआ // ए देशी // जवसायरतरवाजणी धर्मकरे हो सारंल / पत्थरनावरे वेसीने / तरवोसमुन उर्लन // 43 // ज० // आपे गोकुलगायनां / आपे कन्यारे दान / आपे खेत्रपुण्यार्थे / ब्राह्मणने देश्मान // // न // लूटावेघाणीवली / पृथिवीदानसुप्रेम। गोलाकलशारे मोरीया / आपेहल तिलहेम // 45 // ज० // वलीखणावेरे खांतशुं / कूआ सुंदरबाव / पुष्करिणी करणी नणी / सरवर सखरतलाव // 46 // ज० // कंद मूल मूके. नहीं। ग्यारसने हो दीस / आरंनते दिनअतिघणो / धर्मकीहांजगदीस // 4 // // यागकरे होमेतिहां / घोमानरनेरेगग। होमे जलचरमीमकां / धर्म कहांवीतराग // 4 // न // करे सदाएरे नोरतां / जीवतणाारंन / हणे महिषनेंबोकमा / जेहथी नरकसुलंन ॥४ए॥न०॥ सारेसरावेबाह्मण कने / पूर्वजनांरे सराध / तेमीपोषेरेकागमा / देखोएहउपाध // 50 // // तीरथजाए गोदावरी / गंगागयाप्र Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (335) याग / नाये अणगलनीरमें / धर्मतणो नहींलाग // 51 // जः // इत्यादिक करणीकरे / परनवेंसुखनेरेकाज / कहेजिनहर्ष मिलेनहीं / एहथीशिवपुरराज // 55 // // ढाल 6 ही॥रे जाया तुऊविनघमीरेउमास // एदेशी // धर्मखरो जिनवरतणोजी, शिवसुखनोदातार / श्रीजिनराजेंप्रकाशी. योजी / जेहनाचारप्रकार // 53 // नविकजन ज्ञानविचारी रेजोय / बुर्गतिपमतां जीवनेजी। धारेते धर्महोय // न // ए आंकणी // पंचमहाव्रतसाधुनांजी / दशविध धर्म विचार / हितकरीनेजिनवरकह्यांजी। श्रावकनाव्रतवार // 55 // // पंचुंबर चारेविगयजी / विषसहु माटीरहीम / रात्रिनोजनने कह्यांजी / बहुबीजनोनीम // 55 // // घोलवमावली रौंगणांजी। अनंतकायवतीश / अणजाएयां फल फूलमांजी। संधाणांनिशदीस // 56 // चलित अन्नवाशीथयुंजी। तुलसहु. फलदछ / धर्मीनरखाये नहींजी / एवावीशअनदय // 57 // ज० // नकरेनिधंसपणेजी / घरनापणारंन / जीवतणीजयणाघणीजी / नपीये अणगलशंज // // ज० // घृतपरेपाणी वावरे जी / बीये करतो पाप / सामायिकवत पोषधेजी / टाखे जवना पाप // एए॥ ज० // सुगुरु सुदेव सुधर्मनीजी / सेवा. जक्ति सदीव / धर्मशास्त्र सुणतांथकां जी / समजेकोमलजीव // 60 // ज० // मास मासने आंतरेंजी / कुशअग्रलुंजेबाल / कदा न पोहोंचे शोलमीजी / श्रीजिनधर्मविशाल // 61 // ज०॥ जिनधर्म मुक्तिपुरीदीयेजी / चगतिन्त्रमणमिथ्यात्व / एम जिनहर्षप्रकाशियेंजी / त्रीजुंतत्त्वविख्यात // 6 // ज० // Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (336) // ढाल मी // मधुकराजरहोरे मतचलो // ए देशी // श्रीजिनधर्मश्राराधियेंजी। करी निज समकित शुख नवियण। तपजपकिरिया कीधलीजी / लेखेपमेविशुद्ध // 63 // ज० // श्री० // कंचनकशीकशी लीजीयेंजी / नाणुंलीजेंपरीख // नम्॥ देवधर्मगुरुजोइनेंजी / आदरीयेसुणीशीख // 6 // ज० // श्री० // कुगुरु सुदेव कुधर्मनेंजी / परहरिये विषजेम // न // सुगुरु सुदेव सुधर्मनेंजी / ग्रहियें अमृत तेम // 65 // न // श्री० // मूलधर्म तो जिनकडोजी / समकितसुरतरुएह॥न०॥ नवनवसुखसंपतिथकीजी / समकितशुं धरीनेह // 66 // ज० // श्री० // सत्तरसेंग्त्रीशसमेजी / ननशुदि दशमीदीस // न // समकितसीत्तरी ए रचीजी / पुरपाटणसुजगीश // 6 // जम् // श्री // लणजो गुणजो नावशुंजी / तो लेशो अविचलश्रेय // ज० // शांतिहर्ष वाचकतणोजी / कहे जिनहर्प वि. नेय // 6 // // श्री० // इति श्रीसमकितसीत्तरी संपूर्णा // सजाय रूप // // अथ समकितनी सझाय लिख्यते // // देशी चोपानी // धुरप्रणमुं जिनवरचोवीश / सविगणधरने नामुंशीश / तेहनांवयणसुणेंजेकान / मनराखे समकितनोध्यान ॥१॥साचोदेव एकवीतराग। धर्मतणो जेणे दाख्योमाग / तेजिनवरनि पालुंआंण / जे होये साचा सुगुरुसुजांण // 2 // पंचमहाव्रत मनमांधरे / रागधेष पेहेलुंपरिहरे / चारि. त्रपालेटालेदोष / लीयेाहारथोमे संतोष // 3 // दोषमाहे जे आधाकर्म। टालेते त्रोमेआठ कर्म / आधा कर्म करेनरनार, तेपण Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (337) घणं रुलेसंसार // 4 // मूकी देहतणा सुखवास / सहेपरीसहबारेमास / तपें करिने जेणेजसलिछ / वंदनीक ते त्रिनुवनसिद्ध // 5 // एक संयमने बीजीदमा / शत्रुमित्र जेहनेबेढुंसमा / दृष्टिरागर्ने तरीऊतरी / ते जाशे नवसायरतरी // 6 // एकआपणुं करीमनगम / लणे गुणे सिद्धांतप्रमाण / सजुरुनो उपदेश आचार / जोइ समजो हैयेविचार // 7 // एकपहेरे मुनिवरनोवेश / पण साचो न दीये उपदेश / जेह उत्थापे जिनवरवयण / तेहने किहां हियानानयण // 7 // घरमूकीने श्रयामहातमा / ममता जश् लागाआतमा / महारुमहारं एम कहेघणुं / तेह मूरखवचनतापणुं // ए॥ एकतजी दीसे इस्या / लोलेशिष्यकरे अणकस्या / पंचमहाव्रतकहे जच्चरे / उपशमरस ते कहो किमरे // 10 // श्राधाकर्मी वहोरेघणुं / धर्मविगोवे जिनवरतणो / यंत्र तंत्र मूली करी करी। चूरण आपे घरघरफरी // 11 // कुगुरु तणाजाणी अहिनाण / सेवा न करे जे होयेजाण / जिनवाणी सांजलीयें इसी / सोनुं गुरु बे लीजेंकसी // 12 // सोनाश्रीहोय एक नवहांण / कुगुरुकरे नवन वनीहांण / सोने घागपणते मले / कुगुरु पसायें नवजवरले // 13 // सर्पमसेंदुवे जवनोअंत / कुगुरु करे संसारअनंत / एमजाणी वली लीजे साप / कुगुरुनमि नवि बोलिये आप // 15 // एकवहे जिनवरनीआण / वैरवहे तिहां एकअजाण। एहशापणा नहींगुरुएम / बोलीलीये वदंतुंतेम // 15 // एकजणे महारा गुरुदेव / मेंकरवी एहिजनीसेव / परतणास्वामीने मान / अवरपक्ने देअपमान // 16 // एकसगाजाणी माहा बृ० स्त०२२ Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (330) तमा / गुणपाखें तारेतमा। पात्रनणी पूजेतेहनें / कहो समकित केम ने तेहने // 17 // देखीपरखी गुरुगुणवंत / श्रावकनें मनसंयमवंत / एहापणा नहीं श्मनणे / दानमानसघलेअवगणे // 17 // एकानेंगठनोअनुराग / पण न लहे साचोजिनमाग / वीरवचन लेग्नेंपाधलं / कुगुरु सुगुरु जो आदरं // 15 // जेहने आगमनुंबहुमान / तेहना उघमेएणे कान / ए साधारण गुरुनीवात / जोश्नेलेजो मुक्तिमात // 20 // हृदयनयनतमे जूसुजाण / मो कुगुरु ए जिनआण / सशुरुतणा चरण आदरो / जेम नवसायरलीलायेंतरो // 21 // जेजिनाणवहेनिशदीश / ते ऊपर जे नाणेरीश / नवेतत्त्व निरतासदहै / सूधुं समकित तेकन्हे // 22 // एहqसमकितसूर्बुजाण / धर्मकाजनुं मकरीशहांण / जिनवरपूजा सशुरुजक्ति / नावें करवी आतमशक्ति // 23 // पमिकमणुने फासुंनीर / कीजें धर्म कह्युजेवीर / धर्मे शद्धि सिद्धि घरहुंत / धर्मेसंकट सवि लाजंत // 24 // धर्मेसूर्य निरतोतपे / धर्मे पापकरमसवि खपे / धर्मेहोये रूपनोयोग / धर्मपसायें संपत्तिलोग // 25 // लणे गुणेने बहुतपकरे / पण समकित सूधुंनादरे / समकित विण ते सहुएफोक / समकितआदर करवूरोक॥२६॥ समकित माय वाप संसार / समकित सुखसंपत्तिसार / समकित एह धर्मनुमूल / समकितथीसदुएअनुकूल // 27 // समकित द्धिसिछि घरघणी / समकित लगें होयसुरधणी / समकित सीके सघलांकाज / समकित लगेंत्रिनुवननुराज // 20 // समकित सहितनुं सुणो प्रमाण, कृष्णराय, जुममाण / तप Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (337) विण श्रेणिकराजग्रहधणी / शेपदवी अरिहंततणी // २ए॥ समकितपाले जेनरनार / वली न यावे तेसंसार / एम जाणी सम कितश्रादरो। सिधिरमणी जेम लीलावरो // 30 // इति श्रीसमकितनी सकाय संपूर्णा // // अथ सद्गुरुपरीक्षारूप श्रीसुगुरुपचीशी लिख्यते // // सुगुरु पीगणो एणे आचारें / समकित जेह-शुजी // // ए आंकणी // कणीकरणी एकजसरखी / अहर्निशधर्म विलुजी // सु॥१॥ निरतिचार महाव्रतपाले / टाले सगलादोषजी / चारित्रशुं लयबीनरहेनित्य / चित्तमां सदासं. तोषजी // सु० // 2 // जीवसहुना जेपीयर / पीछे नहीं खटकायजी। आपवेदन परवेदनसरखी / नहणे न करे घायजी // सु० // 3 // मोहकर्मनें जेवश नपमे / नीरागीनिरमायजी / जयणाकरतो हलुयेचाले / पूंजी मूके पायजी // सु०॥ // 4 // अरहोपरहो दृष्टि न देखे / न करे चालत वातजी। दूषणरहितसूजतोदेखे / तो लिये पाणी नातजी // सु॥ 5 // जूखतृषापीड्या फुःखपीमे / बुटे जो निजप्राणजी / तोपणशुद्ध आहार न लेवे / जिनवराणप्रमाणजी // सु० // 6 // अरसनिरस आहार गवेषे / सरसतणी नहींचाहजी / श्मकरतां जो सरस मले तो / हरखनहीं मनमांहजी // सु० // 7 // शीतकालेंशीतें तनुसूके / उनाले रवि तापजी / विकटपरिसहघटअहीयासे / नाणे मन संतापजी // सु० // // मारे कूटे करे उपत्रव / को कलंकदे शीशजी / कर्मतणा फलजाणीचदीरे / पण नाणे मन रीशजी० // सु० ॥ए // मन वच Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (340) काया जे नविदं / बुझे पांचप्रमादजी / पंचप्रमादसंसारवधारे। जाणे तेनिःस्वादजी // सु० // 10 // सरलस्वन्नाव लावमनरूको / नकरे वाद विवादजी / चारकषाय कर्मनाकारण / वरजेमदजनमादजी // सु० // 11 // पापस्थानअढारे वरजे / न करे तास प्रसंगजी / विकथामुखथी चार निवारे / समिति गुपति शुं रंगजी // सु० // 12 // अंग उपांग सिद्धांत वखाणे। ये सूधो उपदेशजी / सूधेमारगे चालेचलावे / पंचाचारविशेषजी // सु० // 13 // दशविधयतिधर्म जिन नाख्यो। तेहना धारणहारजी। धरमथकी जे किमही न चूके / जो होये कोमिप्रकारजी // सु॥ 15 // जीवतणी हिंसा जे न करे / नवदे मिरषावादजी / तृणमात्रअणदीधुं नलीये / सेवे नहीं अब्रह्मजी // सु० // 15 // नवविध परिग्रहमूल नराखे / निशिनोजनपरिहारजी / क्रोधमान मायाने ममता, न करे लोनलगारजी // सु० // 16 // ज्योतिष आगमनिमित्त न जाखें / नकरावे आरंनजी / औषध न करे नामीनजूवे / सदारहे निरारंनजी // सु० // 17 // माकिणी शाकिणी चूत न काढे / न करे हलवोहाथजी / मंत्र यंत्रने राखमीकरी ते / नवी आपे परमार्थजी // सु०॥ 17 // विचरे गाम नगर पुर सघले / न रहे एकण गमजी / चोमासाऊपरचौमासुं / नकरे एकणग्रामजी // सु॥ 15 // चाकर फरमासेंनविराखे / नकरावे कोश्काजजी / न्हावण धोवण वेसवनावण / न करेशरीरनीसाजजी // सु० // 20 // व्याजवटानुं नाम नजाणे / नकरे वजणव्यापार जी। धर्महाटमांमीनेबेग / वणिजचे परन. Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 341) पगारजी // सु // 21 // ते गुरु तरे अवरांनेतारे / सायरमांजिम जिहाजजी। काष्ट प्रसंगें लोहतरेजिम / तेम सुगुरु संगते नव्य जी // सु // 22 // सुगुरुप्रकाशक लोचनसरिखा। झानतणादातारजी / सुगुरुदीपक घटअंतरकेरा / दूरकरे अंधकारजी // सु० // 23 // सुगुरु अमृतसरिखाशीला / दीये अमरगतिवासजी / सुगुरुतणीसेवा नित्यकरतां / चूटे करमनापासजी // सु॥२४॥ सुगुरुपचीशी श्रवण सुणीने / कर. जो सुगुरु प्रसंगजी / कहे जिनहरख सुगुरु सुपसायें / ज्ञानहरख उरंगजी // सु० // 25 // इति श्रीसुगुरु पच्चशी समाप्ता॥ ॥अथ खार्थउपर सज्झाय // ॥स्वारथकीसवहैरेसगाई। कुणमाताकुणवेनरुलाई स्वा॥१॥ स्वारथलोजननुक्तसगाई / स्वारथविणकोइ पाणीनपाई स्वा० // 2 // स्वारथमावापसेउवमाई / स्वारथविननहुदेत सहाई स्वा० // 3 // स्वारथनारीदासीकहाई। स्वारथविनलाग्लेिधाई स्वा // 4 // स्वारथचेलागुरुगुरुलाई / स्वारथविननितहोतसमाई स्वा० // 5 // समयसुंदरकहे सुणोलोकलुगाई। स्वारथ है लाइ परमसगाई स्वा० // 6 // इति // // पद्मावती राणीनी सज्झाय लिख्यते // हिवरांणीपद्मावती / जीवरासखमावे / जाणपणोजग दोहिलो / इणवेलाआवे तेमुफ मिवामिठक्कम // 1 // अरिहंतनीसाख / जेमेंजीवविराधिया / चोरासीलाख // तेमु० // 5 // सातलाख पृथवीतणा / सातेअप्पकाय। सातलाख तेऊकायना, सातेवलिवाय // तेमु० // 3 // दसप्रत्येकवनस्पती / चवदेला Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (342) खसाधारण / विति चनरिजीजीवना / बेबे लाख विचारण // तेमु० // 4 // देवता तिर्यंच नारकी, च्यार च्यार लाख प्रकाशी। चवदे लाख मनुष्यना / ए लाखचोरासी // तेमु० // // 5 // इणनव परनवसेविया / जेपापअढार / त्रिविध त्रिविधकर वोसरूं। उरगतिदातार // तेमु० // 6 // हिंसा कीधीजीवनी / बोट्यामृषावाद / दोष अदत्तादांनना / मैथुन जनमाद // तेमु // 7 // परिग्रहमेट्योकारमो कीधो क्रोध विशेष। मांन माया लोनमेंकीया वलि रागनेष // तेमु० // // कलहकरी जीवदूहव्या / दीधाकूमाकलंक / निंद्या कीधीपारकी / रति अरतिनिस्संक // तेमु०॥ ए // चामी कीधीचोतरे / कीधो श्रांपणमोसो / कुगुरु कुदेवकुधर्मनो / नलोआयोजरोसो // तेमु० // 10 // खाटकीनेनव जे कीया, जीवनावधघात / चिमीमारनवचिमकला / माया दिननेरात // तेमु० // // 11 // माजीगरलवमाउला / काट्या जलवास / धीवर नील कोलीनवे / मृग मायापास // तेमु० // 15 // काजी मुझानेजवे / पढीमंत्रकोर / जीवअनेक जबेकीया। कीधा पापश्नघोर // तेमु० // 13 // कोटवाल नवमेंकीया / आकराकरदंग / बंदीवानमराविया / कोरमा बमी दंग // तेमु० // 14 // परमाधामीनेनवे / दीधा नारकीरक / बेदनदनवेदना / तामनाअतितिक्ख // तेमु० // 15 // कुंजारनेलवमें किया। निवाहपचाया। तेलीनवतिल पिलिया।पापपेटनराया॥ तेमु० // 16 // हालीनेनव हलखड्या, फाड्या पृथवीपेट / सूमनिदानकीयाघणा / दीधा बलधचपेट // तेमु // 17 // माली. Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (343) नेनवरोपिया / नाना विधवृद / मूलपत्र फलफूलना / लागापापतेलद // तेमु०॥ 10 // आधोवाही आगमी / जवाबधिकालार / पोठी ऊंठ कीमा पड्या / दया नावी लिगार // तेमु० // 15 ॥ींपानेनवतखो / कीधारांगणपास / अगनि आरंल कीयाघणा / धातुरवादअन्यास // तेमु॥२०॥ सूरपणे रणज्जतां / मायामाणसवृंद / मदिरामांस माखणनख्या खाधामूलनेकंद // तेमु० // 21 // खाणखिणा धातुनी। पाणीउलंच्या / आरंजकीधा अतिघणा / पोते पापतेसंच्या // तेमु० // 22 // अंगारकर्म कियावली / धर्मे दवदीधा / सूंसलेश वीतरागना कूमासुंसजकीधा // तेमु० // 23 // बिसी नव ऊंदर गिट्या। गिलोइ हत्यारी / मूढगिमार तणे नवे, में जूं खीख मारी // तेमु० // 24 // जमजूंजातणे नवे / एकैति जीव / ज्वार चिणा गहुँ से किया / पातारीव // तेमु॥२५॥ खांमणपीसण गारना / आरंज अनेक / रांधण इंधणअगनिना, कीया पाप अपार // तेमु०॥२६॥ विकथाच्यारकीधी. वलि / सेव्यापंचप्रमाद / इष्टवियोगपमामिया। रोदनविखवाद // तेमु० // 27 // साधुअने श्रावकतणा / ब्रतलेश्नेनागा / मूलअनेउत्तरतणा। मुफदूषण लागा // तेमु०॥ 2 // साप विब सिंहचीतरा / सिकराने समली। हिंसक जीवतणेलवे / हिंसाकीधी सबली // तेमु० ॥२ए // सूवावमे दूषण घणा / बलिगरजगलाया / जीवाणीढोट्याघणा / शीलबतनंजाया // तेमु०॥ 30 // जवअनंतनमतांथकां। कीयाकुटुंब संबंध / त्रिविध त्रिविध करिबोसरूं / तिणसुं प्रतिबंध // तेमु० // 31 // Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (344) इणलवपरजवणिपरे / कीधापापश्रखत्र / त्रिविधपरे करिबोसरूं / करुंजनमपवित्र // तेमु // 3 // रागवेरामीजेसुणे / एतीजी ढाल // समयसुंदर कहे पापथी। बूटे ततकाल // तेमु० // 33 // इति आलोयण पद्मावती सझाय // // श्रीउपाध्यायक्षमाकल्याणजीकृत श्रीथूलभद्रजीनी सझाय लिख्यते // तीरथतेनमूरे ए देशी // श्रीमहावीरजिनेसरु / त्रिन्नुवनगु. रुजी। तसुअच्मपटधार। श्रीश्रूलिनजनमो॥१॥ पामलीपुरसोहामणुं / महिमंमगुंजी। तिहांपायोअवतार। श्रीथूलि // 2 // नंदनरिंदमंत्रीश्वरु / गुणागरुजी। श्रीसकमालसुपुत्र // श्रीन // 3 // लाउनदेनंदननलो // मुनिगुणनिलोजी / नागरविजकुलदीप // श्री० // 4 // श्रीसंनूतिविजयगुरु / पूरवधरुजी। ब्रतलीधातसुपास // श्री // 5 // कोश्यावेश्याप्रतिबोधवे / सशुरुतवेजी / मुक्कर मुक्करकार // श्री० // 6 // चौदपूरवशिष्यो. वली / श्रुतकेवलीजी / श्रीलप्रबाहुसमीप // श्री० // 7 // संयमपाड्यो निर्मलो / त्रिविधेनलोजी / जंगमयुगप्रधान // श्री० // 7 // पंचमासपंचदिनसही / ऊपरकहीजी। वरसनवाणुयाय // श्री० // ए॥ करि अणसणाराधना / शुलवासनाजी / पहोतास्वर्गमकार // श्री० // 10 // चुलसीचोवीशीखगें / जसजगमगेजी // रहेशेजेनुनाम // श्री० // 11 // वसु युगवसु चंवत्सरे ( 1727) पामलीपुरेजी / जसुपदथापना कीध // श्री० // 1 // वाचकअमृतधर्मनो।थुणेशुलमनोजी॥ Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (345) शिष्यक्षमाकट्याण // श्री // इतिश्रीथूलिजजजीनीसकाय संपूर्णा // // अथ श्रीदेवचंद्रजीकृतअष्टप्रवचनमातानी . सझाय लिख्यते .. // दोहा // सुकृतकट्पतरुश्रेणिनी / वरउत्तरकुरुनोमि / अध्यातम रस शशिकला / श्रीजिनवाणी नौमि // 1 // दीपचंदपाठकसुगुरु / पदवंदीअवदात / सारश्रमणगुणनावना गाशें प्रवचनमात // 2 // जननीपुत्र जिमशुनकारी / तिम ए पवयणमाय / चारित्रगुणगणवर्धिनी / निर्मल शिव सुखदाय // 3 // नावअयोगी करणरुचि / मुनिवरगुप्ति धरंत / यदिगुप्तिजो न रहिशके / तो समितिविचरंत // 4 // गुप्तिएक संबरमयी। औरंगिक परिणाम // संवर निर्जर समितिथी / अपवादे गुणधाम // 5 // अव्ये व्यत चरणता, नावे नाव चरित्त // नावदृष्टिव्यतक्रिया / करतां शिवसंपत्त // ६॥आतमगुएप्राग्नावथी। जेसाधकपरिणाम / समिति गुप्ति ते जिनकहे। साध्यसिद्धिशिवगम // 7 // निश्चयकरणरुचियश् / समिति गुप्तिधरसाधि // परमअहिंसकनावश्री / आराधेनिरुपाधि // // परममहोदय साधवा / जेहथया उजमाल // श्रमणनि कुमाहण यति / गाउं तस गुणमाल // ए॥ // अथ प्रथमा समिति सझाय लिख्यते // ... प्रथम गोवालतणे नवेंजी // एदेशी // प्रथमअहिंसक व्रततणीजी / उत्तमनावनाएह // संवरकारणउपदिशी जी / समतारसगुणगेह // मुनीश्वर / र्यासमितिसंचार // आश्रवकरत Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (346) नुयोगश्रीजी। दुष्टचपलतावार // मुनी // // ए आंकणी // 1 // कायगुप्तिउत्सर्गनोजी / प्रथम समितिअपवाद // श्या ते जेचालवुजी / धरिआगम विधिवाद // मु० // 0 // 2 // झानध्यानसशायमेजी। स्थिरवेग मुनिराज // शाने चपलपणुं करेजी // अनुलव रससुखराज // मु०॥ या // 3 // मुनिऊठे वसहीअकीजी / पामी कारणचार // जिनवंदन ग्रामांतरे जी / के आहार निहार // मुनि // ईयर्या // 4 // परमचर. णसंवरधरुंजी। सर्वजाणजिनदिक // शुचिसमतारुचि ऊपजे जी / तिणे सुनिने एइ० // मु० // या // 5 // रागवधे स्थिरलावधीजी / ज्ञानविना परमाद // वीतरागता ईहताजी। विचरे मुनिसाहहाद // मु० // // 6 // एशरीरनवमूलने जी / तसुपोषकआहार // जावअयोगी नवि हुवेजी / तां अनादियाचार // मुनी // // 7 // कवलाहारे निहार. जी // एह अंगव्यवहार // धन्य अतनुपरमातमाजी। जिहां निश्चलतासार // मु० ॥ईया // // परपरिणतिकृत चपलताजी। केममूकशेएह // एमविचारीकारणे जी // करे गोचरी. तेह // मु० // // ए॥ क्षमावंतदयालुआजी / निःस्पृहतनुगीराग // निरविषे गजगतिपरेंजी / विचरे मुनिमहानाग॥ मुनी // यो० // 10 // परमानंद रसअनुनव्याजी / निजगुणरमताधीर // देवचंत्रमुनि वंदतांजी। लहीयें नवजलतीर // मु०॥ या // 11 // इति प्रथमसमितिसकायसंपूर्णा // // अथ द्वितीय भाषासमितिसज्झाय लिख्यते // // नावना मालतीचूशीयें ॥ए देशी॥साधुजी समिति बीजी Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (37) श्रादरो। वचन निर्दोषप्रकाशरे / गुप्तिउत्सर्गनो समिति ते / मार्गअपवादसुविलासरे // सा० // 1 // ए आंकणी // नावनाबीजी महाव्रततणी / जिनजणी सत्यता मूलरे // नावहिंसकतावधे / सर्वसंवर अनुकूलरे // सा // 2 // मौनधारी मुनि नविहुवे / वचनजेआश्रव गेहरे // आचरणाननें ध्याननो / साधकलपदिशे तेहरे // सा // 3 // उदितपर्याप्ति जे वचननी / तेकरिश्रुतअनुसाररे / बोधप्राग्नावसज्जायथी। वलिकरेजगतउपकाररे // सा // 4 // साधु निजवीर्यथी परतणो / नविकरे ग्रहणनें त्यागरे / तेलणी वचनगुप्तिरहे / एहउत्सर्ग मुनि मार्गरे // सा०॥ 5 // योगजे आश्रवपदहतो। ते कखो निर्जरारूपरे ॥लोहथीकंचन मुनिकरे, साधता साध्यचिद्रूप रे // सा // 6 // आत्महितपरहितकारणे / श्रादरे पांच सशायरे // तेजणी अशनवसनादिका। आश्रयसर्वश्रववायरे॥ सा० // 7 // जिनगुणस्तवननिजतत्त्वने / जोश्वा करे अविरोधरे // देशना नव्यप्रतिबोधवा / वायणाकरण निजबोधरे // सा // 7 // नय गम नंग निदेपथी। स्वहित स्याहादयुतवा. णिरे // शोलदशचार गुणशुमलि / कहे अनुयोग सुपहाण रे // सा // ए॥ सूत्रने अर्थ अनुयोगए / बीयनियुक्तिसंजुत्तरे॥ तीयलाष्ये नयें लावियो / मुनिवदे वचन एम तंतरे // सा // // 10 // ज्ञानसमुषसमताजस्या / संबरी दयानंमाररे // तत्त्वआनंदस्वादता, वंदियें चरण गुणधाररे // सा // मोहजदयें अमोहीजेहवा / शुफ निजसाध्य खयलीनरे // देवचंदेतह Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (34) मुनिवंदियें / ज्ञानअमृतरसपीनरे // सा // 15 // इति नापा समिति सकाय // // अथ तृतीय एषणासमिति सझाय लिख्यते // कांजरीया मुनिवर धनधन 0 // ए देशी // समितितीसरी एषणाजी / पांचमाहाव्रतमूल // अनाहारी उत्सर्गनोजी / एअपवादीअमूल // 1 // मनमोहनमुनिवर / समितिसदा चित्तधार // ए आंकणी // चेतनता चेतनतणीजी / नवि पर संगीतेह // तिण परसनमुख नवि करेजी। आतमरतिवती जेह // म० // स // 2 // काययोगपुद्गलग्रहेजी। एह न आतमधर्म // जाणंग करतानोगताजी। हुँ माहरोएमम // म // स० // 3 // अननिसंधिचतवीर्यनोजीरोधक शक्ति अनाव // पणअलिसंधि जे वीर्यश्रीजी / केमग्रहे परलाव // म // स० ॥४॥श्मपरत्यागीसंवरीजी / न ग्रहे पुद्गलखंध // साधक कारण राखवाजी। अशनादिक संबंध // म // स // 5 // आतमतत्त्वअनंतताजी / ज्ञान विना न जपाय // तेहप्रगटकरवानणी जी। श्रुतसद्याय उपाय // म // स० // 6 // तेह देहश्री देहरहेजी / आहारें बलवान // साध्यअधूरे हेतुनेजी। केम तजे गुणवान॥म॥स०॥७॥ तनुअनुयायी वीर्यनोजी। वर्तनअशनसंजोग // वृक्ष्यष्टिसमजाणीनेजी। अशनादिकउपनोग // म० // स // 7 // ज्यां साधकता नवि अमेजी। तो न ग्रहे आहार // बाधकपरिणतिवारवाजी / अशनादिक उपचार // म // स // ए॥ सुमतालीशे व्यनाजी। दोषतजी नीराग // असंत्रांत मूर्नाविनाजी / जमरपरें वमनाग // म० Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३४ए) // स // 10 // तत्त्वरुचि तत्त्वाश्रयीजी / तत्त्वरसी निर्गथ // कर्मनदयें आहारताजी / मुनिमानेपलिमंत्र // म० // स // // 11 // लालयकी पण घनलहेजी। अतिनिर्जराकरंत // पाम्ये अणव्यापकपणेजी / निर्मल संतमहंत // म० // स० // // 12 // अणाहारता साधता जी / समताअमृतकंद // नितु श्रमण वाचंयमीजी / तेवंदे देवचंद // म० // स० // 13 // इति तृतीय एषणा समिति सशाय संपूर्ण // // अथ चतुर्थआदाननिक्षेपणासमिति सज्झाय लिख्यते // // नोलिमा हंसारे विषय न राचियें एदेशी ॥समिति चोथी रे / चजगतिवारणी / नाखी श्रीजिनराज // राखी परम अहिंसकमुनिवरे / चाखी ज्ञानसमाज // 1 // सहजसंवेगीरे समतिपरिणमे // ए आंकणी॥ साधनातमकाज ॥आराधनएसंवरनावनो / नवजलतारणजहाज // स० // // अलिलाषी निजातमतत्त्वना / साखीकरि सिद्धांत // नाखी सर्वपरिग्रहसंगने / ध्यानाकाशीरे संत // स० // 3 // संवरपंचतणीएनावना / निरुपाधिक अप्रमाद॥ सर्वपरिग्रहत्याग असंगता। तेहनो ए अपवाद // स० // 4 // शाने मुनिवर उपकरणसं ग्रहे / जेपर लावविरत्त // देहअमोही नवि लोहीकदा / रत्नत्रयीसंपत्त // स० // 5 // नावअहिंसकता कारणलणी / अव्य अहिंसकसाधि // रजोहरण मुखवस्त्रादिकधरे / वरवा योगसमाधि // स // 6 // शिव साधन-रे मूल ते ज्ञान, तेहनो हेतुसशाय // ते आहारे ते बलि पात्रथी / जयणायें ग्रहेवाय Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (350) // स० // 7 // बालतरुण नरनारीजंतुनें / नग्न मुगंगहेतु / तिण चोलपटग्रही मुनि उपदिसे / शुधधर्मसंकेत // स // // मंश मशक शीतादि परिसह सहे / न रहे ध्यानसमाधि // कहपादिकनिर्मो हिपणे। धारे मुनिनिर्बाध ॥साए॥लेपत्रलेप नदीना छाननो / कारणदंग्रहंत // दशवकालिक लगवर साखथी / तनुस्थिरताने तंत // स // 10 // लघु सजीव सचित्त रजादिनो, वारण मुःखसंघट्ट // देखी पुंजेरे मुनिवरतेहथी। ए पूरव मुनिवदृ // स // 11 // पुजलखंधग्रहणनिदेपणा / अव्ये जयणातास ॥नावे आत्म परिणतिनवनवी / ग्रहतांसमितिप्रकाश // स 0 ॥१२॥बाधकनावअष पणे तजे। साधक ले गतराग // पूरवगुण रक्षकपोषकपणे, निपजते शिवमार्ग // स० // 13 // संयमश्रेणेरे संचरता मुनि / हरे कर्मकलंक // धरता समतारस एकत्वता / तत्त्वरमणिनिःशंक // स० // 15 // जगजपगारी रे तारकनव्यना। लायकपूर्णानंद // देवचंद एहवा ते मुनिराजना / वंदेपद अरविंद // स० // 15 // इतिचतुर्थश्रादान निदेपणा समिति सकाय सपूर्ण // // अथ पंचम पारिट्ठावणिया समिति सज्झाय लिख्यते // // चेतन चेतजो रे // ए देशी // पंचमीसमिति कहिअति सुंदरु रे, पारिजावणीयानाम // परमअहिंसकधर्मवधारणी / मृकुकरुणापरिणाम / मुनिवर सेवजोरे / समिति सदा सुखदाय / थिरतानावे संयमसोहाय / धरे निर्मलसंवरथाय // मु॥ ए आंकणी // 1 // देहनेहथी चंचलतावधे रे / विकसे मुष्टकषाय // तिण तनुरागध्यानेरमेजी। ज्ञानचरण सुपसाय // Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (351) मु० // 2 // जिहांशरीरतिहां मलऊपजेरे / तेहतणो परिहार // करेजंतु चरस्थिरअणदूहव्यारे / सकल गंगवार // मु० // 3 // संयमबाधक आत्मविराधनारे / आणाघातकजाणि // उपधि अशन शिष्यादिकपरग्वेरे / आयति सानपिगणि ॥मु॥४॥ वध्या आहारे तपीया परिवेरे / निजकोठे अप्रमाद / देहअरागीनातअव्यापतारे / धीरनोएहअपवाद // मु० // 5 // संलोकादिकदूषण परिहरीरे / व रागनेदेष // श्रागमरीतेपरउवणीकरे / लाघवहेतु विशेष // मु०॥ 6 // कल्पातीत आहालंदीदमी रे / जिनकट्पादि मुनीश / तेहने परमवणा एकमलतणी रे / तेहअटप वलि दीस // मु० // 7 // रात्रे प्रश्रवणादिक परग्वेरे / विधिकृतमंमलगम // शिविरकटपनो प्रति अपवादरे / ग्लानादिकनहिंकाम // मु० // // वलिएह अव्यश्री लावमारे / बाधक जे परिणाम // षनिवारी मादक ताविनारे / सर्व विनावविराम // मु० // ए॥ अंतःपरिणति तत्त्वमयी करेरे / परिहारता परनाव // व्यसमिति पणनाव जणीधरेरे / मुनिनो एहस्वलाव // मु॥ 10 // पंचसमिति समतापरिणामथीरे / हमाकोष गतरोष // लावन पावनसंयम साधतारे / करता गुणगणपोष // मु०॥ 11 // साध्यरसी निजतत्त्वे तन्मयारे / जरंगी निर्माय / योगक्रियाफल लाव अवंचतारे / शुचिअनुनवसुखदाय // मु०॥ 12 // आणा. जीतजुआ नाणी रसीरे / निश्चयनिग्रहयुत्त // देवचंड एहवा निग्रंथजेरे / ते माहरूं गुरुतत्त्व // मु० // 13 // इति पंचम पारिष्ठापनिका समिति सझाय // Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (352) // अथ षष्ठ मनोगुप्ति सज्झाय लिख्यते॥ // वैरागी अयोरे // एदेशी // मुनिमनवशकरोरे // मन ए आश्रवगेहो रे // मन ममता ऋषि मन्नथीरे // टालो यतिवर तेहोरे ।मु० // 1 // पुष्टतुरगचित्ततेकह्युरे। सो मोहनृपतिप्रधान। आर्त रोज्नुं देत्रएहरे / रोक तुं ज्ञान निधानोरे // मु० // 2 // गुप्तिप्रथम ए साधुनेरे / धर्म शुक्लनोकंद / वस्तुधर्मचिंतनरम्या रे / साधेपूर्णानंदोरे // मु० // 3 // योगते पुजलजोगरे / पांच अभिनव कर्म / योगवरगणाने कंपनारे / नवि ए आतमधर्म // मु०॥ // वीर्यचपलपरसंगमीरे / एह न साध. कपद / शान चरणसहकारनारे / वरतावे मनददरे / मु० // 5 // स विकटपकगुण साधुनारे / ध्यानीने न सुहाय / निर्विकटप अनुलवरसीरे / आत्मानंदीश्रायोरे // मु० // 6 // रत्नत्रयनी दतारे / एह समलव्यवहार // त्रिगुणवीर्यएकत्वतारे। निर्मलयात्माचारोरे // मु० // // शुक्लध्यान श्रुतलंबनी रे / एपण साधनदाव / वस्तुधर्म उरंगरे / गुणगुणी एकस्वनावोरे // मु० // // परसहायगुणवर्त्तनारे / वस्तुधर्म न कहाय // साध्यरसी तो किमग्रहेरे / साधु चित्त सहायो रे // मु० // ए॥ आत्मरुचि आत्मालयीरे / ध्याता तत्त्वअनंत // स्याहादज्ञानीमुनिरे / तत्त्वरमण उपशांतो रे ॥मु० // 10 // नवि अपवादरुचिकदारे / शिवरसिया अणगार // शक्तियथागमसेवतांरे / निंदे कर्मप्रचारोरे // मु० // 11 // शुद्ध सिघ निजतत्त्वतारे / पूर्णानंदसमाज, देवचं पर साधतारे / नमिये ते मुनिराजोरे // मु०॥१२॥इति षष्ठ मनोगुप्तिसहाय // Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (353) // अथ सप्तमवचनगुप्ति सज्झाय लिख्यते // समिति सदा ए दीलमेंधरो // एदेशी // अथवा // हमी रियानी देशी // वचनगुप्ति सूधीधरो, वचन ते कर्मसहाय सलूणे // उदयाश्रितजेचेतना, निश्चेतेहअपाय ॥स // वचनगुप्ति सूधीधरो // 1 // ए आंकणी // वचनअगोचर श्रातमा। सिझते वचनातीत // स० // सत्ता अस्तिस्वनावमें / नाषक नावअनीत // स० // व // 2 // अनुजव रसास्वादता / करता आतमध्यान // स० // वचन ते बाधकनावने / न वदे मुनित्रज्ञान // स० // व // 3 // वचनावपलटायवा। मुनिसाधेस्वाध्याय // स० // तेह सर्वथागोपवो / परममहारसथाय // स० // व // 4 // नाषापुजलवर्गणा / ग्रहणानिसर्गउपाधि // स० // करवा आतमवीर्यने / शानेप्रेरेसाधि // सन् ॥व० // 5 // यावत् वीरजचेतना / आतमगुणसंपत्त ॥स०॥ तावत सरवे निर्जरो। आश्रवपर आयत्त // स० // व // 6 // श्म जाणी स्थिरसंयमी / न करे वलि पविमंथ // स // श्रात्मानंद आराधतां / आज्ञार्थी निग्रंथ // स // व० // 7 // साध्यशुध परमातमा / तसु साधनउत्सर्ग // स० // बारनेर्दे तप दिविधे / सकलश्रेष्ठ व्युत्सर्ग // स० // व० // // समकितगुणगणे कस्यो / साध्यअयोगीनाव० // स० // उपादानतातेहनी / गुप्तिरूपस्थिरत्नाव // स० // व० // ए // गुप्तिरुचि गुप्ते रम्या / कारणसमितिप्रपंच // स० // करता स्थिरता ईहता / ग्रहेतत्व गुणसंच // स० // व० // 10 // अपवादे उत्सगनी / दृष्टि न चूकेजेह // स // प्रणमे नित्यप्रत्येन्नावशें / बृ० स्त० 23 Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (354) देवचंद मुनितेह // स० // व // 11 // इतिसप्तमवचनगुप्ति सकाय संपूर्ण // // अथाष्टम कायगुप्ति सज्झाय लिख्यते // फूलनाचोसरप्रनुजीने शिरचढे // एदेशी // गुप्तिसंचारोरे त्रीजी मुनिवरु / जेहथी परमानंदोजी // मोहटले घन घातिपरगले / प्रगटेज्ञानअमंदोजी // गु० // 1 // करीय शुन्न अशुननबजे जेजे / तिणतजि तनव्यापारोजी // चंचलनाव ते श्राश्रवमूलचे / जीव अचल अविकारोजी // गु० // 2 // इंडियविषयसकलनुं धारए / बंधहेतु दृढएहो जी // अनिनवकर्मग्रहे तनुयोगथी / तिण भिरकरीयें देहो जी // गु० // 3 // आतमवीर्यफुरे परसंगजे / ते कहीयें तनुयोगोजी // चेतनासत्तारे परमअयोगी। निर्मल स्थिर उपयोगोजी / / गु० // 4 // जावतकंपन तावतबंधके / नाख्युं लगवश् अंगेजी। तेमाटे ध्रुवतत्वरसेंरमे / माहण ध्यान प्रसंगेजी // गुण // 5 // वीर्यसहायीरे आतमधर्मनो अचल सहज अप्रयासोजी। ते परजावसहाया किम करे / मुनिवर गुणावासोजी // गुण // 6 // खंति मुक्ति युक्ति अकिंचनी / शौच ब्रह्मधरधीरोजी // विषयपरिसहसैन्यविदारवा / वीर परमशौंमीरोजी // गु० // 7 // कर्मपाल दल क्यकरवारसी / आतमझद्धि समृखोजी // देवचंज जिन आणापालतां / वंडं गुरु गुणवृद्धोजी // गु० // 7 // इति अष्टमकायगुप्तिसकाय संपूर्ण // // अथ नवम साधुस्वरूपवर्णनसज्झाय लिख्यते // रसीयानी देशी // धर्मधुरंधर मुनिवरसुलही / नाण चरण Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (355) संपन्न // सुगुणनर // इंजियनोगतजी निजसुखजजी / जवचारक उदविन्न // सु० // 1 // व्यत्नावसाचीसरधा धरी। परि. हरी शंकादिदोष // सु० // कारणकारज साधन श्रादरी घरी ध्यानसंतोष // सु०॥ध०॥२॥गुण पर्यायें वस्तुपरिखतां। शीखउजयजमार // सु०॥ परिणतिशक्तिस्वरूप में परिणमी। करता तसुव्यवहार // सु० ॥ध० // 3 // लोकसन्न वितिगिला वारता। करता संयमवृद्धि // सु० // मूल उत्तर गुण सर्वसंजारता / धरताआतमशुद्धि // सु० ध०॥४॥ श्रुतधारी श्रुतधरनिश्रारसी। वशकस्खा त्रिक जोग // सु० // श्रन्यासी अनिनवश्रुतसारना / अविनाशी उपयोग // सु० ॥ध // 5 // जव्यनावाश्रवमलटालता / पालता संयमसार ॥सु०॥साची जैनक्रियासंन्नालता / गालता कमविकार // सु० // ध० // 6 // सामायिकथादिक गुणश्रेणिमें / रमता चढतेरे नाव // सु० // तीनलोकथी जिन्नत्रिलोकमें / पूजनीयजसुपाव // सु० ॥ध० // 7 // अधिकगुणी निजतुट्यगुणीयकी / मलता ते मुनिराज // सु० // परमसमाधिनिधि लवजलधिना / तारणतरण जहाज // सु० // ध० // // समकितवंत संयमगुणईहता। ते धरवासमरथ / संवेगपक्षी नावें शोलता / कहेतासाचोरे अर्थ // सु० ॥ध ए॥ आपप्रशंसायें नविमाचता। राचता मुनिगुएरंग // सु० // अप्रमत्तमुनिश्रुततत्त्व पूबवा, सेवे जासुअनंग // सु० ॥ध० // 10 // सईहणा श्रागमअनुमोदता / गुणकर संयमचाल // सु० // विवहारें साची ते साचवे // आयतिलालपिगण // सु० // ध० // 11 // 5क्करकारीथीअधिकाकहे। Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (356) बृहत्कल्प व्यवहार // सु० // उपदेशमाला नगवश्अंगमे / गीतारथअधिकार // सु० ॥ध // 12 // नाव चरणस्थानक फरस्याविना / न हुवे संयम धर्म // सु० // ते शाने जूठ ते उच्चरे / जे जाणे प्रवचनमर्म // सु० // धम् // 13 // जसलानें निजसंस्मृतथायवा / परजनरंजनकाज // सु० // ज्ञानक्रिया जव्यतविधिसाचवे / तेह नहि मुनिराज // सु० ॥ध // 14 // बाह्य दया एकांतें उपदिसे श्रुताम्नायविहीन // सु० // बगपरेंगगता मूरखलोकने / बहुलमशे तेहदीन / सु० ॥ध // 15 // अध्यातमपरिणति साधनग्रही / उचित वहे आचार // सु० // जिन आणा अविराधकपुरुषजे / धन्यतेहनो अवतार // सु० // ध० // 16 // प्रव्य क्रियानैमित्तिकहेतुने / नावधर्म लयलीन // सु० // नैरुपाधिक तो जे निजअंशनी / माने लालनवीन // सु० ॥ध // 17 // परिणतिदोष नणीजेनिदता, कहेता परिणतिधर्म // सु० // योगग्रंथना नावप्रकाशता / तेह विदारे होकर्म // सु० ॥ध // 17 // अट्पक्रिया पण उपकारीपणे / ज्ञानी साधेहो सिघ // सु० // देवचंड सुविहित मुनि वृंदने। प्रणम्यां सयलसमृद्धि // सु०॥ ध० १ए इति नवमसाधुस्वरूपवर्णनसकाय संपूर्णम् // .. // अथ कलश // राग धन्याश्री // ते तरिया रे नाश्ते तरिया, जे जिनशासनअनुसरियाजी॥ जेहकहे सुविहित मुनिकिरिया / ज्ञानामृतरसदरिया जी // ते // ए आंकणी // 1 // विषयकषायसहूपरहरिया / उत्तम समतावरियाजी // शीलसन्नाथकीपाखरिया। नवसमुज्जल Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (357) तरियाजी // ते // 2 // समिति गुप्ति शुं जे परवरिया / आत्मानंदेतरियाजी॥आश्रवधारसकल आवरिया // वरसंवर. संवरियाजी // ते० // 3 // खरतरमुनिआचरणाचरिया / राजसार गुणगरियाजी॥ ज्ञानधर्म तपध्याने वसिया / श्रुतरहस्यनारसीयाजी // ते // 4 // दीपचंदपाठकपदधरिया। विनयरयणसागरियाजी // देवचंजमुनिगुण उच्चरिया / कर्मपरिनिऊरियाजी // ते // 5 // सुरगिरिसुंदर जिनवरमंदिर / शोजित नगरसवाईजी // नवानगर चोमासुंकरीने / मुनिवर गुणथुति गाईजी // ते ॥६॥अरिहंतनो यश जगमें विचस्यो / विस्तरी जससंपदाजी // निग्रंथ वंदन स्तवन करतां / परममंगल सुखसदाजी॥ 7 // इत्यष्टप्रवचनमाता सफाय संपूर्णम् // // अथ पंडित श्रीदेवचंद्रजीकृत पंचभावना लिख्यते // // स्वस्तिश्रीमंदिरपरम / धर्मधाम सुखगम / स्यादवाद परिणामधरी / प्रणमुंचेतनराम // 1 // महावीरजिनवर नमुं / जप्रबाहु सूरीश / वंदीश्रीजिनजनगण।। श्रीदेमें मुनीश // 5 // सदगुरु शासनदेवनमी / बृहत्कटपअनुसार / शुचनावनासाधुनी / जाविसपंचप्रकार // 3 // इंजिय योगकषायने / जीपे मुनिनिशंक / इणजीते कुध्यानजय / जाए चित्ततरंग // 4 // प्रथमन्नावनाश्रुततणी। बीजीतप तीयसत्त्व / तुरियएकत्वनावना / पंचमन्नाव सुतत्त्व // 5 // श्रुतनावना मनस्थिरकरे / टाले जवनोखेद / तपनावना कायादमे / वमे वेदनमेद // 6 // सत्वनाव निर्जयदशा / निज लघुता एकनाव / तत्त्वनावना आत्मगुण / सिद्धि साधनादाव // 7 // ढाल पहली Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (357) लोकस्वरूपविचारो आतमारे ए देशी // श्रुतअभ्यास करो मुनिवरसदारे, अतिचार सहुटाल॥ हीणअधिकअदर मतउच्चरोरे / शब्द अर्थ संजाल // श्रु० // 1 // सूक्ष्मअर्थ अगोचरदृष्टीधीरे / रूपी रूप विहीण / जेह अतीतअनागत वर्त्ततारे। जाणे ज्ञानीलीन // श्रु० // 2 // नित्य अनित्य एक अनेकता रे / सद सद नावस्वरूप // उएलाव एकाव्यपरिणम्यारे // एकसमयमांअनूप // 3 // उत्सर्गे अपवाद पदेकरीरे / जाणे बहु श्रुतचाल / वचनविरोध निवारे युक्तिथीरे / थापे दूषण टाल // श्रु॥४॥ व्यार्थिक पर्यार्थिकधरेरे / नय गम जंगअनेक / नय सामान्य विशेषे बहुग्रहेरे / लोकालोकविवेक // श्रु० // 5 // नंदीसूत्रे उपगारीकह्योरे / वली असुच्चागम / अव्य श्रुतने वांद्योगणधरेरे / लगव अंगे नाम // श्रु० // 6 // श्रुत अन्यासे जिनपदपामियेरे / उठे अंगे साख / श्रुतनाणी केवलनाणीसमोरे / पन्नवणिके नाख // श्रुतम् // 7 // श्रुतधारी आराधकसर्वनोरे / जाणे अर्थस्वन्नाव / निजातम परमातमसमग्रहेरे / ध्यावे ते नयदाव // श्रु० // // संयमदरशनते ज्ञानेवधेरे। ध्याने शिवसाधंत / नवस्वरूप चउगतिनो ते लखेरे / तेणे संसार तजंत // श्रु०॥ ए॥ इंजियसुखचंचखजाणी तजेरे / नव नव अर्थतरंग / जिम जिमपामे तिम मनउबसेरे / वसे न चित्तअनंग // श्रु० // 10 // काल असंख्याताना जवलखे रे / उपदेशक पणतेह / परनवसायीबालंबनखरो रे // चरण विना शिवगेह // श्रु॥११॥ पंचमकाले Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५ए) श्रुतबलपण घट्यो रे / तोपण एहआधार / देवचंद जिनमतनो तत्त्व एहरे / श्रुतस्युं धरजोप्यार // श्रुतम् // 12 // // ढाल 2 जी अनुमतिदीधीमाये रोवती ए देशी // // रयणावली कनकावली / मुक्तावली गुणरयण / वज्र मध्यने जवमध्यए / तपकरीने हो जीपोरिपुमयण // 1 // नवियण तपगुणादरो / तपतेजेरे जीजे सहुकर्म / विषय विकारसहुटले / मनगंजेरे जंजे नवमर्म // नवि० // 2 // जोगजय ईजियजय तदा / तपजाणो कर्म सूमणसार // उवहाणे योगहाकरी। शिवसाधेरे शुधाअणगार // नवि० // 3 // जिमजिम प्रतिज्ञापढथको / वैरागी तपसी मुनिराय / तिमतिम अशुलदलजीजवे / रवितेजेरे जिम शीतविलाय // नवि०॥॥ जे निकुपमिमायादरे / आसनअकंपसुधीर / अतितीनसमतानावमां / तृणनीपेरे हो जाएंतशरीर // नवि० // 5 // जिएसाधु तपतरवारथी / सूड्यो के हो अरिमोहगयंद / तिण साधुनो हुँदासबुं / नित्यवंडेरे तसपयअरविंद // नवि० // 6 // आचारसूयगमांगअंगमां / तिमकह्यो नगवईअंग / उत्तराध्ययनगुणतीसमें / तपसंगे हो सहुकर्मनोनंग // नवि०॥७॥ ते मुविध उक्करतपतपे / नवपासासविरक्त, धनसाधु मुनिढंढणसमा / शषिखंधकहो तीसगकुरुदत्त // जवि० // ॥निजआतमकंचनजणी / तपअग्निकरी सोधंत / नवनविलब्धि बल बते / उपसर्गेहो तेसहंत महंत // नवि०॥ ए॥ धन्यतेह जेधनगृहतजी। तनस्नेहनो करीनेह / निसंगवनवासे वसे / तपधारीहो ते अनिग्रहगेह // नवि० // 10 // धन्यतेह गबगु Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (360 ) फातजी। जिनकटपन्नावअफंद / परिहार विशुद्धि तपतपे / तेवं. देहो देवचंदमुनींद // नवि० // 11 // // ढाल 3 जी हिव राणी पदमावती // एदेशी // रेजीव साहसआदरो / मतथा दीन / सुखमुःख संपदापदा / पूरवकर्माधीन ॥रे जीव०॥१॥ क्रोधादिकवशे रणसमे / सह्यामुःखअनेक / तेजोसमतामां सहे / तोतुज खरोविवेक ॥रे जीव० // 2 // सर्वअनित्य अशाश्वतो / जेहदीसेएह / धनतनसयणसगासढु / तिणस्युं श्योनेह // रे जीव० // 3 // जिमबालक वेलूतणा / घरकरीयरमंत / तेहबते अथवाढहे / निजनिजग्रह जंत ॥रे जीव ॥४॥पंथी जेमसराहमां / नदीनावनी रीति / तिमए परियणतोमिल्यो / तिणथीशीप्रीति ॥रे जीव० // 5 // ज्यांस्वार्थ त्यांसहुसगा / विणस्वार्थदूर / परकाजे पापेनले / तुंकेमहोयसूर ॥रे जीव०॥६॥ तजि बाहिरमेलावमो / मिलियोबहुवार / जेपूरवमिलियो नहि / तिणस्युं धरप्यार // रेजीव० // 7 // चक्रीहरिवल प्रतिहरी, तसविनवअमान / तेपणकालेसंहस्या / तुज धनश्योमान // रेजीव० // 7 // हाहाहुंतो तुंफिरे / परियणनी चिंत! नरकपड्यां कहे ताहरी / कोणकरसे चिंत ॥रे जीव० // ए॥ रोगादिकःखऊपने / मनअरतिमधरेव / पूरवनिजकृतकर्मनो। एअनुनवहेव / रेजीव० // 10 // एहशरीरअशाश्वतो। खिणमेंसीजंत / प्रीतिकिसितेऊपरे / जेस्वारथवंत / रेजीव // 11 // ज्यांलगे तुज इणदेहथी / पूरवसंग / त्यांलगेकोटीनपायथी। नवि थायनंग ॥रे जीव० // 12 // आगलपाग्लचिंहुँदिने, Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (361) जे विणसीजाय / रोगादिकथी नविरहे / कीधेकोटीउपाय // रेजीव // 13 // अंतेपण एनेतज्यां / थायशिवसुख / तेजोलूटे आपथी। तोतुजने स्योकुःखः॥ रेजीव // 14 // एतनविणसे ताहरे नविकांइहाण / जोज्ञानादिकगुणतणो / तुजश्रावेजाण // रेजीव० // 15 // तुंअजरामर आतमा / अविचलगुणराण / क्षणभंगुरआदेहथी।तुज कीहां पिगण॥रे जीवन // 16 // दनदनतामना / वधबंधनदाह / पुद्गलने पुजलकरे / तो अमरगाह ॥रेजीव० // 17 // पूर्वकर्म उदयेसही / जे वेदनाथाय / ध्यावेत्रातम तिणसमे / तेध्यानीराय॥ रेजीव०॥१०॥ ज्ञानध्याननीवातमी / करणीआसान / अंतसमे आपद पड्यां / विरलाकरेध्यान // रेजीव० // 15 // अर. तिकरी सुःखलोगवे / परवसजेमकीर / तोतुजजाणपणातणो / गुणकेवोधीर // रेजीव० // 20 // शुधनिरंजननिरमलो निजश्रातमन्नाव / तेविणसे कहे मुखकिश्यो / जेमिलियो दाव / रेजीव० // 21 // देहगेह लामातणो / एआपणो नाहिं / तुज गृहातमझानए / तिणमाहेसमाहि // रेजीव० // 22 // मेता. रजसुकोसलो / वलिगजसुकुमाल / सनतकुमारचक्रीपरे / तनममताटाल ॥रे जीव // 23 // कष्टपड्यां समतारमे / निज आतमध्याय / देवचंड तिण मुनितणा / नितवंउपाय // रे जीव० // 24 // // ढाल 4 थी प्राणी धरीये संवेग विचार // ए देशी // ॥ज्ञानध्यानचारित्रनेरे / जोहढकरवाचाहे / तो एकाकी विहरतारे / जिनकटपादिसाहेरे / प्राणी एकलनावना लाव / Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (365) शिवमारगसाधनदावरे // प्राणी // 1 // साधुलणी गृहवासनीरे / बूटीममतातेह / तोपणगबवासीपणोरे / गणगुरुपर ने नेहरे // प्राणी // 2 // वनमृगनीपेरे तेहथीरे। बोमीसकलप्रतिबंध / तुंएकाकीअनादिनोरे / किणथीतुजसंबंधरे॥प्राणी // 3 // शत्रुमित्रतासर्वधीरे / पांमीवारअनंत / कोणसऊनस्मन किस्योरे / काले सहुनोअंतरे // प्राणी // 4 // वांधेकरमजीवएकलोरे / नोगवेपण तेएक / किणऊपर किणवातनी. रे / रागषनी टेकरे // प्राणी // 5 // जोनिजएकपणुंग्रहेरे / गेमी सकलपरनाव। शुघातमझानादिशुरे। एकस्वरूपेंनावरे // प्राणी // 6 // आव्योतुं एकलोरे / जाइसपण तुं एक / तोए सर्वकुटुंबधीरे / प्रीतिकीसीअविवेकरे // प्राणी // 7 // वनमाहे-गजसिंहादिधीरे / विहरतां न टले जेह / जिणासनरविथमेरे / तिणयासननिशिहरे // प्राणी // 7 // आहारग्रहे तपपारणेरे / करमा लेप विहीन / एकवारपाणीपीवतारे / वनचारीचित्तअदीनरे // प्राणी // ए // एहदोषपरग्रहणधीरे / परसंगेगुणहाण, परधनग्राहीचोरतेरे / एक पणो सुखगणरे // प्राणी // 10 // परसंयोगथीबंधनेरे। परवियोगथीमोद / तेणे तजीपरमेलावमोरे / एकपणो निजपोषरे // प्राणी // 11 // जन्म न पाम्यो साथकोरे। साथनमरसेकोय / दुःख वेचान को नहिरे / हणनंगुर सहु लोयरे // प्राणी // 12 // परिजनमरतो देखीनेरे / शोगकरे जनमूढ / अवसरेवारो आपणोरे / सहुजननीए रूढरे // प्राणी // 13 // सुरपति चक्री हरिबलीरे / एकला परनवजाय / तन धन परि Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रातमा माहाप्राणी० // बीनारे / वंदु अ. (363) जनसहुमिलिरे / कोईसखाश्नथायरे // प्राणी // 14 // एक आतमा माहरोरे / ज्ञानादिकगुणवंत / बाह्ययोगसहुअवररे। पांम्योवारअनंतरे // प्राणी // 15 // करकंडू नमी नहगरे / उम्मुह प्रमुखकषिराय / मृगापुत्रहरिकेषीनारे / वंजुडं नितपायरे // प्राणी // 16 // साधु चिलातीसुतजलोरे / वली अ. नाश्रीतेम / एममुनिगुण अनुमोदतारे / देवचंड सुखखेमरे // प्राणी // 17 // // ढाल 5 मी एणीपरेचंचलआउखो॥ एदेशी // // चेतनए तनकारिमो / तुमेध्यावोरे / शुचनिरंजनदेव / नविक तुमे // शुधस्वरूपअनूप // नविकतुमे // 1 // नरजव श्रावककुललह्यो तुमे / लाधोसमकितसार नवि। जिन आगमरुचिशंसुणो तुमे / आलसनींदनिवार // नवि० // 2 // समयांतरसहलावनो तुमे० // दर्शनज्ञान अनंत नवि० // आतमन्नावे थिरसदा / तुमे // अक्षय चरणमहंत // नविन // 3 // तीनलोक त्रिहुंकालनी तुमे // परिणतितीनप्रकार नवि० // एकसमये जाणेतिणे / तुमे // नाणअनंतअपार // नविण // 4 // सकलदोपहर शाश्वतो तुमे // वीरजपरमअदीन नविकम् // सूक्ष्मतनुबंधन विना तुमे // अवगाहनास्वाधीन // नवि०॥ 5 // पुजल सकलविवेकथी तुमे / शुद्धअमूर्तिरूप नवि० // इंजिय सुखनिस्पृहथर तुमे // अकथअबाहस्वरूप // नवि० // 6 // व्यतणापरिणामथी तुमे // अगुरुलघुत्व अनित्य नवि० // सत्यस्वनावमयीसदा तुमे // गेमीलावअसत्य // नवि०॥७॥ निजगुणरमतोरामए तुमे॥ Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (364) सकलअकलगुणखाण नविण // परमातम परज्योतिए तुमे० // अलखअलेप वखाण // नवि० // 7 // पंचपूज्यथीपूज्यए तुमे० // सर्वध्येयथी ध्येय नवि० // ध्याताध्यानरु ध्येयए तुमे // निश्चे एकअनेय // नविण // ए॥ अनुलवकरतांएहनो तुमे // श्राय परमप्रमोद नवि० // एकस्वरूपअन्यासहूं तुमे // शिवसुखये तसगोद // नवि० // 10 // बंध प्रबंध ए आतमा तुमे // करता अकरताएह नवि० // एहनोगता अनोगता तुमे // स्यादवाद गुणगेह // नवि० // 11 // एक अनेक स्वरूपए तुमे // नित्यअनित्य अनादि नविण // सदसदनावे परिणम्या तुमे० // मुक्तसकलउन्माद // नवि॥१॥ तपजप किरियाखपथकी तुमे०॥ अष्टकरम न विलाय नविते सहु आतमध्यानश्री तुमे // खिणमे खेरुथाय // नवि०॥१३॥ शुझातमअनुनवविना तुमे ॥बंधहेतु शुलचाल नवि०॥आतमपरिणामे रम्या तुमे // एहज आश्रवपाल // नवि० // 14 // श्मजाणी निजातमा तुमे // वरजी सकलउपाध नविण // उपादेय अलंबने तुमे // परम महोदयसाध // नवि० // 15 // जरत इलासुत तेतली तुमे॥इत्यादिक मुनिवृंद नवि०॥आतमध्यानश्री ए तर्या नवि० // प्रणमे ते देवचंद // नविण // 16 // // ढाल 6 ही शेलग सेचुंजे सिद्धथया // एदेशी // नावना मुक्तिनिशाणीजाणी / नावो आशतित्राणीजी। योगकषाय कपटनीहाणी / थाये निर्मलजाणीजी // नावना // 1 // पंचनावना ए मुनि मनने // संवरखाणीवखाणीजी / बृहत्कट्पसूत्रनीवाणी दीगीतेमकहाणीजी // नावना // 2 // Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (365) कर्मकतरणी शिव नीशरणी।जाण गणअनुसरणीजी।चेतनराम तणीएघरणी। जवसमुःखहरणीजी ॥नव०॥३॥जयवंतापाउकगुणधारी राजसार सुविचारीजी / निर्मल ज्ञानधर्मसंजाली। पाठक सहितकारीजी // नावना // 4 // राजहंससुगुरु सुपसाये / देवचं गुणगावेजी / नविक जीव जे लावननावे। तेह अमित सुखपावेजी / जावना० // 5 // जेसलमेर साह सुत्यागी / वर्षमान वमनागीजी / पुत्रकलत्रसकलसुनागी / साधु गुणना रागीजी // नाव // 6 // तसाग्रहथीनावना. नाश् / ढाल बंधमां गाइजी। लणसे गुणसे जेएह ज्ञाता / लहेसे ते सुख साताजी // नाव // 7 // मनशुधे पंचे नावनानावो, पावन निजगुणपावोजी / मनमुनिवर गुणसंगवसावो / सुख संपति ग्रहथावोजी॥ नावना० // // इति श्रीपंमितदेवचंजीकृतसाधुनी पंच नावना संपूर्णा // // अथ पंडित श्रीदेवचंद्रजीकृत प्रभंजना महासतीनीसझाय लिख्यते॥ // नाटकीयानी देशी // गिरिवैताब्यनेऊपरे / चक्रांका नयरीरे लो। अहोचका० // चक्रायुधराजातिहां / जीत्या सवीवयरीरे लो // अहो० // 1 // मदनलता तससुंदरी / गुणशील अचंनारे लो॥ अहो० // पुत्रीतासप्रनंजना / रूपे रतिरंजारे लो // अहो // 2 // विद्याधरजूचरसुता, बहुमली एकपंतेरे खो॥ अहो // राधा वेधे मंमाविठं / वरवरवा खंतेरे लो॥ अहो // 3 // कन्याएकहजारथी / प्रनंजना चालीरे लो॥ अहो // आर्यखममां श्रावतां, वनखंमविचालीरे लो॥ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (366) अहो // 4 // निग्रंथी सुप्रतिष्ठिता / बहुमुणणी संगेरे लो / / अहो // साधुविहारे विचरती / वंदे मनरंगेरे लो // अहो // 5 // आर्या पूरे एवमो / उमा स्योरे लो // अहो // विनये कन्यावीनवे / वरवरवाश्चरे लो // अहो व० // 6 // एश्योहितजाणोतु / एहथी नविसिद्धिरे लो // अहो ए॥ विषयहलाहल विषतिहां / सीअमृतबुधिरे लो // अहो० // सी० // 7 // नोगसंगकारमाकह्या / जिनराजसदारे लो। अहो जि० // रागदेष संगेवधे, नवज्रमण सदारे लो। अहो न० // // राजसुताकहेसाचए / जे नाखोवाणीरे लो // अहो जे // पणएनूलअनादिनी, किम जाएमाणीरे लो // अहो कि० // ए // जेहतजे तेहधन्य / सेवक जिनजीनारे लो // अहो से० // अमेतस पुद्गल रसरम्या / मोहे लयलीनारे लो // अहो मो० // 10 // अध्यातमरसपानथी। पीनामुनिरायारे लो // अहो पी० // ते परपरिणतिरतीतजी। निजतत्त्वसमायारे लो // अहो नि // 11 // अमनेपणकरवो घटे / कारणसंयोगेरे लो // अहो का // पणचेतनतापरिणमे, जम पुद्गल जोगेरे लो // अहो जम् // 15 // अवरकन्यापएऊच्चरे / चिंतित हवेकीजेरे लो॥ अहो चि // पठी परमपदसाधवा / उद्यमसाधीजेरे लो // अहो उ० // 13 // प्रनंजनाकहे हे सखी / ए कायरप्राणी रे लो // अहो एम् // धर्मप्रथमकरवोसदा / देवचंनीवाणीरे लो // अहो दे० // 14 // // ढाल 2 जी // कहेसाहुणी सुणकन्यकारे / धन्या ए संसारकलेश। एहनेजेहितकरीघणेरे / धन्या ते मिथ्याआदेशरे। Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (367) कहे // कीजेतसुआदेशरे // सुझा // 1 // सां० // खरमीनेंवली धोयQरे क० // तेह न शिष्टाचार / रतनत्रयी साधनकरोरे // क० // मोहाधीनता वार रे // सु० // सां० // ॥जेह पुरुषवरवातणीरे क० // श्छेने ते जीव / स्येसंबंधपणेनणोरे क० // धारीकालसदीवरे // सु० // सां० // 3 // तवप्रनंजना. चिंतवेरे अप्पा // तुं ने अनादिअनंत / तेपणमुज सिम्झसत्तासमोरे अ० // सहज अकृतमहंतरे // सु० सां० // 4 // नवनमता सवी जीवधीरे अप्पा / पाम्योसर्वसंबंध / मातपिताज्रातासुतारे अप्पा / पुत्रवधूप्रतिबंध रे // सु० // सांग // 5 // स्युंसंबंधकईश्हारे अप्पा / शत्रु मित्रपणथाय। मित्रशत्रुता वलीलहेरे अप्पा / एमसंसरणस्वनावरे // सु० // सां० // 6 // सत्तासमसविजीवजेरे अप्पा / जोतांवस्तुस्वन्नाव / एमाहरो एहपारको रे अप्पा / सविधारोपितलावरे // सु० // सां०॥॥ गुरुणीआगल एहवूरे अप्पा / फुलुकिमकहेवाय / स्वपरविवेचनकीजतारे अप्पा / माहरोकोइ नथायरे // सु० // सां०॥॥ नोग्यपणुं पण जूलथीरे अप्पा / माने पुद्गल खंध / दुनोगी निजनावनो रे अप्पा / परथीनहिं प्रतिबंधरे // सु // सां॥ // ए॥ सम्यक्ज्ञाने वहेचतारे अप्पा / हूं अमूर्त चिद्रूप // कर्त्तालोक्तातत्त्वनोरे अप्पा / अक्ष्यअक्रिय अरूपरे // सु०॥ सां० // 10 // जुदो सर्व विनावधीरे अप्पा। निश्चय निजअनुनूत / पूर्णानंदी परमएहरे अप्पा / नहिं परपरिणतिरीतरे / / सु० // सां० // 11 // सिघसमो एसंग्रहेरे अप्पा / पररंगेपल Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (367) टाय, संगांगीलावेकरीरे अप्पा / अशुद्धविनावअपायरे // सुप // सां० // 12 // शुचनिश्चय नयेकरीये अप्पा / आतमन्नावअनंत / तेहअशुछ नयेकरीरे अप्पा / इष्टविनावमहंतरे // सु० // सांग // 13 ॥व्यकर्मकर्ताथयोरे अप्पा / नयअशुधव्यवहार / तेह नीवारोस्वपदेरे अप्पा / रमतांशुधव्यवहाररे // सु० // सां० // 14 // व्यवहारेसमरेथकीरे अप्पा / समरे निश्चयाचार / प्रवृत्तिसमारे विकल्पनेरे अप्पा / तेहस्थिरपरिणती सार रे // सु० // सां० // 15 // पुजलने परजीवीरे अप्पा / कीधो नेदविज्ञान, वाधकता दूरेटलीरे अप्पा / हवे. कुण रोकेशानरे // सु० // सांग // 16 // आलंबननावनवसेरे अप्पा / धरमध्यानप्रगटाय / देवचंदपदसाधवारे अप्पा / एहजशुधउपाय रे // सु० // सां० // 17 // // ढाल 3 जी // राग धन्याश्री // आयोबायोरे / अनुनवातमचोभायो / शुचनिमित्तआलंवनन्नजतां, आत्मा संबनपायोरे // आ० // 1 // आतमखेत्रे गुणपर्याय विधि / तिहांउपयोगरमायो / परपरिणति पररीतेजाणी / तास विकल्पसमायोरे // आ० // 2 // प्रथकत्ववितर्कसकलशारोही / गुणगुणी एकसमायो / परजयव्य वितर्क एकता / पुरधरमोहखपायोरे // // 3 // अनंतानुबंधीसुलटनेकाढी / दर्शनमो. हगमायोरे / तिरिगतिहेतुप्रकृतिदयकीधी थयोआतमरसरायो रे // आ॥४॥ द्वितीयतृतीयचोकमीखपावी / वेदयुगलक्ष्यथायो / हास्यादिकसत्ताथीध्वंसी / उदयवेदमिटायोरे // आ० // 5 // अवेदीने अविकारी। हण्योसंजलनोकसायो। मार्यो Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३६ए) मोहचरणदायककरी / पूरणसमतासमायोरे // आ॥६॥धन घातित्रिकयोधालमीया / ध्यानएकत्वनेधायो / ज्ञानावरणादिकनटपमिया / जीतनिशाणघूरायोरे // आ॥ 7 // केवलज्ञानदर्शनगुणप्रगव्यो / महाराजपद पायो / शेषअघातिकर्म क्षीण दल, उदयअबाधदिखायोरे // आ // // सयोगीकेवलीश्रयाप्रनंजना, लोकालोक जणायो / तीनकालनी त्रिविधवरतना / एकसमय जलखायो रे // आ // ए॥ सर्वसाधवीयें बंदनाकीधी। गुणी विनय उपजायो। देव देवीतवस्तवेगुणस्तुति। जगजयपमह वजायोरे // आ॥१०॥ सहसकन्यकानें दीक्षादीधी / आस्रवसर्वतजायो / जगलपकारी देशविहारी / शुम धर्म दीपायोरे // आ॥ 11 // कारणयोगे कारजसाधे / तेह चतुरगाजे / आतमसाधननिरमलसाधे / परमानंदपाश्जेरे // आ० // 12 // एहअधिकारकह्योगुणरागे। वैरागे मन जावी / वसुदेवहिंमतणेअनुसारे, मुनिगुणनावनानावीरे ॥श्रा॥१३॥ मुनिगुणश्रुणतां नावविशुभे, नावविच्छेद न श्रावे। पूर्णानंदइहां. श्रीनलसे / साधनशक्तिजमावेरे // आ० // 14 // मुनिगुणगावो नावनानावो / ध्यावो सहजसमाधि / रत्नत्रयीएकत्वेखेलो। मेटीउपाधिअनादिरे // आ० // 15 // राजसारपाठक उपगारी / ज्ञानधर्मदातारी / दीपचंड पाठक खरतरवर, देवचंडसुखकारीरे // आ० // 16 // नयरलीबमीमाहेरहीने / वाचंयमस्तुतिगा। आतम रसीकश्रोताजनमनने, साधनरुचि उपजारे // आम् // 17 // श्मउत्तमगुणमालागावो / पावोह बृ० स्त०२४ Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (370) र्षवधाइ / जैनधर्म मारगरुचिकरतां, मंगललीलसदारे // आ॥ 17 // श्रीपंमितदेवचंजीकृतप्रनंजनामहासतीसज्कायसंपूर्ण // // अथ नवपद सज्झाय // कृपानाथमुजविनतिअवधार // एदेशी // सिद्धचक्रफलदाखव्योजी, श्रीगौतमगणधार, नृपश्रीपालाराधिनेजी, पामशेजवनोपार, सुझानि नवपदमनमांधार, जिमलहोसुख अपार // सुज्ञानिन०॥१॥तीनतत्वआराधसोजी, देवगुरुनेधर्म, दोयतीनचऊनेदजी, जाणो नवपदमर्म // सुझानिन ॥२॥अरिहंत सिम दोयदेवनाजी, नेदलहो सुजाण, आचारज पाठकवलिजी, मुनि त्रण गुरुतत्वजाण // सुका // 3 // दर्शनशानचारित्रजी, तपचोयोधर्मजेद, एत्रणतत्वनाजाणजोजी, नवपदसेवो उमेद // सु० // // कालअतीतजेसिजथयाजी, वर्तमानमांथाय, अनागतमांशिवपामसैजी, ते नवपदसुपसाय // सु० // 5 // नवपदनापरलावधीजी, नवनिधिप्रगटेसार, आ. धिव्याधिदूरेटलेजी, कहेश्रीजगदाधार // सु० // 6 // नवां. बिलोलीकरीजी, जपतां नवपदजाप, त्राणटंकदेववंदनकरोजी, कासग्गथी जायपाप // सु० // 7 // नवोली विधि. युतकरीजी, नऊमणो निरधार, गुरु मुखथी विधिजाणिनेजी, संघनगतिसुखकार, सु० // 8 // नवपदध्याता आतमाजी, ते नवपदकहिवाय, जिनकृपाचंजसूरिसेवतांजी, निरुपाधिकसुखवाय // सु० // ए // इतिनवपद स० // Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (371) // अथ बीजनीसज्झाय लिख्यते // // पणिहारीनी देशी // बीजआराधोलविजना म्हारावालाजी, जिम पामो नवपार। वालाजी // दोयनेदजिनवरकह्या / म्हारावालाजी // धर्मतणा दिलधार // वालाजी ॥बी० // 1 // देसविरतिश्रावकतणो // म्हा // बारे नेद कहेवाय // वा // सर्व विरति बीजोसही। म्हा० // महाव्रतपांचमननाय // वा० // बी० // 2 // दोय सिदा ग्रहवी सदा // म्हा० // ग्रहणासेवनसार // वा० // ग्रहणा गुरुमुखजाणीये // म्हा॥ आसेवनसुखकार // वा // बी० // 3 // समकित दोयप्रकारनो // म्हा० // रूपीअरूपीजाण // वा० // श्योपशमरूपी कह्यो / म्हा० // निन्ननिन्न अरूवीण // वा० // बी० // 4 // सुविह जीवजगजाणीये॥ म्हा // संसारीमुक्ति प्रकार // वा० // संसारीबहुल्नेदना // म्हा // पुहवीआदिकुगवार // वा // 5 // निर्वाणना पन्नरेविध // म्हा० // जिनअजिनादिसार // वा // सादिअनंतस्थितिकही // म्हा० // ध्यावोजविकसुखकार // वा // बी. // 6 // नयऽविधप्रनुलाखिया // म्हा॥ व्यपरयायविचार // वा // व्यनेद षट्सासया // म्हाण // पर्यायअनंतासार ॥वा० // बी॥॥ उपयोगतिविधवखाणीये // म्हा॥ साकार ज्ञानसुजाण // वा० // अनाकर दरसणकह्यो॥म्हा॥ नेद ए मनमां आण वा० // म्हा० // बी० // // उपवासादिककीजीये // म्हा० // धर्म सुकल ध्यावो ध्यान // वा०॥ Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (372) जिनकृपाचंजसूरिनणे // म्हा० // मुक्तितणोनिदान // वा // वी० ॥ए // इतिबीजनी सजाय संपूर्ण // . // अथ पांचमनी सज्झाय लिख्यते // // कृपानाथमुजवीनतिअवधार ए देशी॥ सुगुरुचरणप्रणमीकरीजी / सुयदेवी सुपसाय / ज्ञानप्रगटकरवाजणीजी / कहुँ नाणसशाय / नविकजननाणबमोसंसार // 1 // नाणजवनदीपककह्योजी / सर्वजीव सुखकार / विनानाणनरनवकह्योजी / पशुतणे अनुकार // ज० // ना० // 2 // नाणश्री शिवसुखसंपजेजी। नाणश्रीपरमकल्याण / वरदत्तनेगुणमंजरीजी / एहचरित्रमनबाण // ज०॥ ना० // 3 // नाणविराध्योबिहुजणाजी। पुरवनवमां तेह / लणवोगुणवो निषेधिनेजी / फळपाम्योतिणएह // न // ना० // 4 // आसातनाकरेनाणनीजी। मनश्री जेह नरनार / सून्यचित्तमनमूढताजी। अविवेकीनिरधार // नम्॥ ना० // 5 // वचनेजेआशातनाजी / अवरणवादवदेजेह / तोतामुंगा वोबमाजी। खलितवचनहोवे तेह // न // ना०॥६॥त्रिकरणकरीविराधनाजी / नाणनीकरे दुःखदाय / संसारसागरमां रुलेजी। पत्नणेश्रीजिनराय // // ना० // 7 // कायाकरी विराधनाजी। करताजेमतिहीण / कोढी पांडु पांगुलाजी। आंधला होवे फुःखलीन // ज // ना० // // नाणसेवि सुखियाथयाजी / वहुलाजनसंसार // जिनकृपाचंजसूरिसदाजी / नाणनमो सुखकार // ज० // ना० // ए॥ इति // Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (373) // आठमनीसज्झाय // // समकितमूलगुंभारेपेसताजी ए देशी॥ आपमतपसेवो नवि सुनमनेजी / आणीनाव अपारजी। आपकरमनजीतवाकारणेजी / ए तपसे विलहोसुखसारजी // आ० // 1 // श्राउप्रमादतजीने पाळिएजी / प्रवचनमाता आजी // पांचसुमति त्रणगुपतिकहीजी / एहथीहोवेसंजमगठजी // आ० // // इरियासमति वरदत्तमुनि करिजी। जाषा संगतमुनिसुविचारजी / एषणानंदिषेणउजवालतोजी। सोमिल चोथीनो अधिकारजी // श्रा० // 3 // मुनिचंपारिगवणसुमतितणोजी। कोंकण मनगुप्तिदृष्टांतजी // गुणदत्तवचननो उपयोगी श्रयोजी / अरएक कायगुप्ति सुखशांतजी // श्रा० // 4 // इंजियाउने वसकरी साधियेजी। आठमी, गतिगुणखानजी // श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवनाजी, वचनामृत मनाणजी // // 5 // इति // // एकादसीनीसज्झाय लिख्यते // // वीरा म्हारा गजथकी ऊतरो // ए देशी // ग्यारस आराधिये / विधियुत संजमवंतारे / अंगग्यारह आराधवा / एतिथी सेवो जजमंतारे // श्या० ॥१॥ए तिथीकर्मदय कारणी / नाखीश्रीजिननाणोरे / कल्याणक बहुलाया। ते सहु दिलमा आणोरे // श्या० ॥२॥अरनाथदीदाादरी / नमिलह्यो केवलनाणरे / जन्मदीदाकेवलत्रण / मल्लिजिनना कल्याणरे // ग्या० // 3 // मागसर सुदि ग्यारसे / जरत पांचमा जाणोरे / एरवत क्षेत्रमा इमहीज / Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (374) कट्याणकपहिचानोरे // ग्या // 4 // दसदेवना पच्चास ले। तीनकालना गणीयेरे / दोढसोकट्याणकथया / समरण करी फुःखहरियेरे // श्या० // 5 // एटलाबीजीग्यारस / त्रणका. सनाजाणीरे / त्रणसोकल्याणकनमो / गुणनोकरोगुणखानीरे ॥श्या० // 6 // अपोहरी पोसो करी। मौनव्रत लश्नावरे / चनविहारजपवासथी / अशुनकरम मिटजावैरे // ग्या॥७॥ सुव्रतशेठपोसो कर्यो / मौनसहितमनरंगरे / अग्निनो उपपव मव्यो / सुजस लह्यो सुखसंगेरे // ग्या० // // चोरथनानातपथकी / अचरजथयोसहु जनमेरे / राजादिके मोटो कीयो। सुव्रत सुकृत करमेरे ॥झ्या॥ए॥खरतरगगुणमणी समो। जिन आणारंगधारिरे / जिनकृपाचंजसूरिजणे / बागमसेवोइकतारीरे ॥श्या० // 10 // इति // // पूनमनी सशाय // [मेतारज मुनिवर धन 2 तुम अणगार चा] सुगुरु चरण प्रणमीकरीजी, सुयदेवी सुपसाय // चारित्रतिथि आराधवाजी, कहुँ पूनिम सिशाय / गुणवंतालविजननिसुणोजिनवरवाणि // 1 // रिषनजिनेसरजगधणिजी विचरंतादेस विदेश, सेजसिखरेसमोसयाजी, आव्या इंजनरेश // गु० // // समवसरणसुरवररच्योजी, बेगत्रिजगजाण // तीरथम हिमादाखिनेजी, पुंगरीक मनाण // गु० // 3 // प्रनुलाखे गणधर जणीजी, इणतीरथपरलाव // सिवकमलातुमे पामसोजी,संवरी आत्मस्वजाव // गु० // फागुणशुदिपूनिमदिनेजी,श्रणसणकीधोसुजाण / पांचक्रोमपरिवारसुंजी, पुंमरीक सुखखाण // गुण Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (375) // 5 // चेत्रीदिनकेवललहीजी, पाम्योजवनोपार // पुंमरीकते. हथीयोजी, नाम एहसुखकार // गु० // 6 // चैत्रीदिनतपकीजीयेजी / पूजाविविध प्रकार ॥दशवीशत्रीशचालीसनीजी। पंचासनी करोसार // गु० // 7 // कार्तिकीपूनिमदिनेजी, जाविम वारिखिलजाण / सिधिबधुरंगेवस्याजी, दशकोमीगुणखाण // गुण // // पूनिमदिनचारित्रनोजी, आराधनसुविचार, नावनले आराधताजी, पामेनवनोपार // गु० // ए॥ दर्शनज्ञानचारित्रनीजी, तिथीनाखी जिनराज, सेवंतासिवसं. पजेजी, सारेवंतिकाज // गु० // 10 // चंजोदयसमजाणियेजी, पूरणधरमसुजाण // जिनकृपाचंजसूरिसदाजी // सेवो. गुणमणिखाण // 11 // इति पूनिमसशाय संपूर्णा // // घुमर देशी // सरसति सामणी समरीने, एतो सद्गुरूचरण नमीनेहे माय, पर्युषण गुण वरण, एतो शास्त्र मांहि सुणीनेहे माय // 1 // पर्व आराधो नवियणा, एतो सहु पर्वमां सिरदार है, माय तीर्थोमां शेजगिरि, एतो मंत्रोमां नवकार है, माय० पर्व श्रा० // 2 // देवमां वीतराग देव , एतो गिरिमांहि मेरू कहायो हेमाय, नदीयांमें सिरोमणी, एतो गंगा नाम धरायो है, मा०, पर्व // 3 // कटपवृक्ष चिंता. मणि, एतो कामगवी अधिकारी हे माय, इमहीज पजुषण वलि, एतो सेवो नविक सुखकारी है, माछ पर्व // 4 // कट्पसूत्र सुणोश्कमना, एतो एकवीश वार मनुहारी है, मा० नवसागरतरवातणो, एतो उपायकह्यो गणधारी है, माछ पर्व // 5 // आश्रवपांचेपरिहरि, एतो कषायचउ निवारीहैमाय, दानादि Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (376) कधर्मसेवीने, एतोजिनपूजादिलधारीहे, मा० पर्व // 6 // जिनदरशन अधिकारमे, एतो भारप्रकुमर अधिकारी है, मा० दरसनफरसनयोगसें, एतो चरण करणगुणधारी हे मा० प०॥ 7 // अमारीपमह वजमावीय, एतो आउदिवस मनुहारी है, मा० जिनकृपाचंसूरि नणे, एतो पर्व सेवोश्कतारी हे, मा० प० // // इति अगहि सझायसं० // ॥ज्ञानादिक गुण संपदारे ए देशी॥ पर्व पजुषणावीयारे, सर्वजीवने सुखकार, पूरव पुन्य, पसाउलेरे, लह्यो मानव अवतार, सुज्ञानी सेवज्योरे, सेवज्यो पर्व प्रधान, सुझा० // 1 // चैत्यजुहारी लावधीरे, देववंदन दिलधार, व्यत्नाव पूजा करोरे, यथाशक्ति निरधार, सुज्ञान // // चनत्थ अक्षम करोरे, पदखमण वलि मास, उपवास करो शुत्न लावधीरे, लहो अक्षय सुखवास, सुझा // 3 // दानदेवो सुपात्रनेरे, सीयलपालो, मनरंग, कर्मय कारण कह्योरे, तप उत्तम विधि संग, सुझा० // 4 // ज्ञान नक्ति करवा नणीरे, कटपसूत्र पधराय, रात्रि जागो रंगधीरे, धवलमंगल, बरताय, सुझा० // 5 // वरघोसमां संघमलीरे, हय गयरहवर साथ, चऊविह वाजिन वाजतारे, आपो सुगुरूने हाथ, सुझा० // 6 // सुर्यजशा जिम तप करोरे, जिन आणा दिलधार, कल्पसूत्र सुणो इकमनारे, पूजा प्रजावना सार, सुझा० // 7 // नव श्यारे तेरे सुणोरे, वाचना श्रुत अनुसार, जिनकृपाचंदसूरि सदारे, जव जव धर्म आधार, सुझा० // // इति पजुषण सझायसं० // Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (377) // आज आपैं चालो सहिया सिद्धाचलगिरिजइये // ॥ए देशी // // पर्व पजुषण आव्या सजनी, चालो आपण जश्ये, देवगुरूना दरसण करीने, मनवांछितफललश्येरे पर्व // 1 // अगहि में अमरपमावी, जीव जयणा वर्तावी, सर्वजीव सुखकारी जगमे, जैनधर्म मन लावीरे प० // 2 // कल्पसूत्र वरघोमो करीने, सुणो वखाण चितलायी, पमिवारे दिन मंगलकारी, वीरजन्म सुखदायी रे, प० // 3 // सिघारथ राजा घर सुखकर, दिगकुमारी मिलाइ, सूतिकर्मकरी प्रनु माताने, स्नानकरावे वरदारे प० // 4 // चोसम्इं सुमेरुसिखरपर, स्नात्रकरे रंगलाइ, बत्रीसक्रोम सोनश्या वरसाके, प्रनुजीने निजघरलारे प० // 5 // वालपणे आमलकीक्रीमा करि, महावीर नाम पायो, लेखकशाळा जश्ने याव्या, जय जयकार वरतायोरे प० // 6 // मिगसरवदि दशमी दिन दीदा, लीनी मनमां उमंगे, परिषद रिउबलदूरनिवारी, केवल लह्यो सुखसंगेरे प० // 7 // चनविहसंघने थापीजगतगुरु, विचस्या देशविदेश, कातिवदि अमावस राते, सिवपदपाम्यो जिनेशरे प० // // पटकट्याणक वीर प्रचना, लबाडु स्वामी नाखै, श्रीजिनकृपाचंदसूरिसेवो, कल्पसूत्रनी साखेरे प० // ए॥ इति एकमनी साशायसं० // ॥श्री जिनवाणिरे धन्ना ए देशी॥ // पास सोलागीहो जिनजी, तुमथी रढलागी मोराजिनजी, दशनवकैरोरे संबंध सोहामणो // 1 // वणारसी नगरी हो जि Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (377) नजी, जनम्याङसुखरी मोरा जिनजी, पोषदशमी कट्याणकबीजोथयो // 5 // ग्यारस दीदाहो जिनजी, कमउने दीधीसीक्षा मो० जिन् केवल पामीरे सिव रमणीलही // 3 // नेमिजिनेसरहो जि जगपरमेसर मो० जि सोरी पुरमारे प्रनुजी जनमीया // 4 // गिरनार नद्यानमेहो जि० दीदा सुखखान मो० जि राजीमतीतजी संजमादों // 5 // केवल पायोहो जि० सुजससवायो मो० जि संघयापीने प्रनुजी विहरीया // 6 // रथनेमी समजावीहो जि० वम्यो आहार वतावी मो जिप राजीमतियै संयम आदस्यो // 7 // वस्त्र सुकावेहो जि० रहनेमीने ढलावे मो० जि० कर्मखपावी विडं मुगते गया // 7 // नेमी जिनराजहो जि० मुक्ति सिरताज मो जि० सहसवरसनो आयु पालीने // ए॥ तेवीश आंतरा जाणो हो जि० चोथे आरे प्रमाणो मो० जिप श्रीजिनकृपाचंदसूरि पर्व सेवोसदा // 10 // इति बीजनी पर्युषणानी // स० ॥धारणी मनावेरे मेघकुमारनेरे ए देशी॥ आदीसर अलवेसरने नमीरे, सशुरु चरण पसाय, सिकायकहस्युरे पर्युषण तणारे, सुगुणा जनमनलाय // 1 // नविजन सेवोरे पर्वसोहामणोरे, वांछितफल दातार, लोकिक लोकोत्तरमां इणसमोरे, दूजो नहि सुखकार, नवि० ॥२॥त्रीजे आरे प्रश्रमजिनेसरुरे, उपन्या नरतमकार, नालिकुलगरमरु देवानलीरे, जिण जाया जगदाधार नवि० // 3 // इक्ष्वाकवंशश्राप्यो इंज आवीनेरे, परणाव्या दोय नार, जुगलाधर्म Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३७ए) निवारण कारणेरे, परावरतन कीधो सार नवि०॥४॥राज्य पामीने प्रनुजी थापिनेरे, लोक तणोव्यवहार, जरतादिक सो पुत्रने सीखवीरे, वहुत्तरकला मनुहार नवि० // 5 // ब्राह्मी सुंदरी बिहुँ कन्यांनणारे, लिखनकला विस्तार, आजीविकाना कारण सीखव्यारे, शिल्प कर्मादिक सार, नयि // 6 // जरतादिकने राज देश्नेरे, प्रन्नु लीनो संजमनार, वरसीतपपारणो आखातीजनेरे, करावे श्रेयांस कुमार नवि० // 7 // केवलपामी संघथापना करीरे, अष्टापद गिरिश, दशसहसमुनिवर परिवारसुंरे, शिवरमणीवस्या जगदीश नविन // // जरतादिक सो पुत्रो पामीयारे, सिव बधुकेरो साथ, स्थविरतणो चरित्र सांजलीरे, पामो सुकृत आश्र, नवि० // ए॥ शुल उगणीसे सितोत्तर समेरे, वमोदे कीधचोमास, कीनीरचनारलियायतथयारे, पजुषणनी जास जवि० // 17 // श्रीखरतरगण जगमां दीपतोरे, ज्ञानादिगुणमणिखाण, श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवो सदारे, पर्वए जिनवरणवाण नवि० // 11 // इति तीजनी सकाय // संपूर्णा // // त्रिशलाना जायारे महावीर अमधर आवजो ए देशी॥ सशुरु म्हारारे मोहन गारारे, वीनती सांजलो, सांजलीने गुरु करो सेवकप्रतिपाल, स० बिरुद घणेरारे निसुण्या तुमतणा, तुमगे प्रनु आतमना रखवाल, स० // 1 // जिनसा सन जगमां जयो, सर्वजीव सुखकार, जंगम सुरतरु प्रगटीयो, ससुरु तारणहार, तुमगे गुरु सबजनने सुखयाल // स० Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) // 2 // पंचनदीपर साधीया, पांचपीर परधान, सोनाव्यो जिनधर्मने, सास्यो वंचितकाम, करो प्रनुवांछितपूरण दयाल, स० // 3 // जीती चोसठ जोगिनी, वसकीया बावनवीर, ऊबकाकरती बीजली, स्थंजित करी गुणधीर, करजो प्रनु अमची सार कृपाल, स० // 4 // प्रतिबोध्या नरनारिने, शासन शोजा बधार, चारित्र पाली निरमलो, स्वर्ग लह्यो सुखकार, तुमे ग्रनु संपदा पामी रसाल, स० // 5 // युगप्रधान जग परगमो, अंबा अक्षरदीध, जगगुरु चिंतामणिसमो, मनवांछित फललीध, सहुना मनवांबित पूरो रसाल, स० // 6 // इत्यादिक जशगुरुतणो, जाणे सकलजहान, परचा जगमे परगमा, सेवे रावराजान, सेवानो फल तुरत लहे निहाल, सन् // ७॥संघउदय करो साहिबा, दया करी गुरुराज, अलिय विधन दूरे हरो, पूरो सहुजन काज, पूरीने प्रन्नु मेटो जब जंजाल, स० // 7 // गमगम गुरु शोजता, थुनघणा महिराण, नावे सेवै नविजना, सदा सुरंगे वाण, तुमगे गुरु जक्ततणा रिबवाल, स० // ए॥ सदगुरु समजग को नही, जीवन प्राण आधार, कामित पूरण सुरगवि, सुखकारण दिलधार, गुणनिधि अमचा परम कमाल, स० // 10 ॥श्रीजिनदत्तसूरीशरु, मणियाला जिनचंद / कुशलकरण कुशलेसरु, प्रणमें जिनकृपाचंद, करजो प्रजु शासननी संजाल, स० ॥११॥इतिश्रीदादासाहेबस्तवनं। // अथ दश अच्छेरानी सज्झाय // // नंदीसर बावन जिनालय-ए देशी // अरिहंत देवने नमन करीने, गाऊं गुण गुरुजननारे, सर Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (31) सतिनो समरण करी चित्तमां, अनेरानी कहुं वरणनारे // 1 // सुणो सुणो सुगुणा श्रीजिनशासन, जेहथी करणपवित्ररे, जीवाजीवस्वरूपने ज्ञाने, जाणपणो जगमित्ररे सु० // 2 // उत्कृष्ट अवगाहना सीधा, कसमय एकसो आठरे, झपन देव नवाणु पुत्रो, लरतना पुत्र वली आग्रे सु० // 3 // पहलो एह अचेरो जाणो, बीजो हरिवंस कुलनोरे, जुगलिया नरक गया ते कारण, अछेरो श्रयो एहुनोरे सु० // 4 // सात अंतरमांही असंजतीनी, पूजा थई ते त्रीजोरे, सुविधिजिनेसरथी सांतिलग, अञ्चरक ए गणजोरे सु० // 5 // कृष्ण गयो धातकी खंगमां, संखशब्दकरी मलियोरे, चोयो अचरिज ए कहिवाणो, तिहांश्री पागे फरियोरे सु० // 6 // मबीजिनेसर स्त्रीतीर्थकर, पांचमो आश्चर्य कहियेरे, निन्न निन्न समय ए पांच, अचरज शास्त्रश्री लहियेरे सु०॥॥ पहली प्रनुनी देशना निष्फल, चमरनो श्रयो उत्पातरे, गोशाले तेजो लेश्या मूकी, समवसरण मुनिघातरे सु० // // चं सूरज मूलगे रूपे, आया वांदवा काजेरे, ब्राह्मणी कूखे उपना चरमजिन, दशमो अचरिज गजेरे सु० ॥ए // पांच अनेरा महावीरनी वखते, हुवा इण विधजाणोरे, प्रथमनां मेट्यां दशनीसंख्या, श्म करी मनमां आणोरे सु० // 10 // अनंतकाल गया ए होवे, तेह आश्चर्य कहेवावेरे, अघटित घटित जो कहे लोको, तिमअचरिज मन लावेरे सु० // 11 // वीरप्रनुनो शासन जयवंतो, मोदतणो ए कारणरे, श्रीजिनकृपाचंन्प्रसूरि सेवो, नव नव दुःखनो वारणरे, सु०॥१२॥इति अजैरासशायस॥ Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (372) // रोहिणीसज्झाय // // धारणी मनावरेमेघकुमारनेरे ए देशी // चंपानयरीजगमांदीपतीरे, अंगदेशमें जाण। मघवाराजाराज्य करेतिहारे, दिनदिनवधतेवान ॥१॥नविजनसुणजोरे रोहिणी तपतणोरे, महिमा अगमअपार, लखमीनामे पटराणीरायनीरे, रूपवती सुकुमार, नवि० // 2 // आठ पुत्र जायातिणेसुंदरूरे, देवकुमरअनुकार तेजनेऊपरे कुमरी अवतरीरे, रोहणीनाम नदार, नवि० // 3 // चित्रसेनपरण्योस्वयंवरेरे, इमनोगवतां नोग, आठ पुत्र च्यार पुत्रीऊपनारे, पुन्यतणे संयोग, नविन // 4 // क्रीमाकरतांवालखेलावतारे रोहणीये दी एक नार, पुत्र मरणथी तेह विलपतीरे, आंसुनीवहे धार, नवि० // 5 // रोहिणीहसतिराजानेकहेरे, एनाचेकिमनार, राजा कहे ए पुत्र वियोगश्रीरे, तुं नही जाणे उखदार, नवि० // 6 // श्म कही राजा सुतने नांखीयोरे, हाहारवथयोतेण, रोहणीकहे पुत्र नीचे किम गयोरे, राजारोवेऽहेण, नवि० // 7 // सासणदेवतसिंघासण व्योरे, नाटककरे बहुनांत, राजा मनमां चिंते शानिगुरु मलेरे, तो पुखं सुतवात ॥नवि०॥॥ज्ञानिपधाखारे राजा वीनवेरे, सुतपूरबत्नवस्वाम, पूरबनवमांरोहिणीतपकस्योरे, तेहनो फलसुखकाम, नवि० ॥ए॥राजाराणीतपविधिश्रादरीरे, उऊ मणोकरे खास, पुत्रसहितरायराणीदीदालेवेरे, वासुपूज्यजिनेसरपास, नवि० // 1 // कर्मखपावीसहुसिजिलह्यारे, राजादिकसुखकार, श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवोसदारे, तपउत्तमजयकार, नवि॥११॥इतिरोहिणीसशायसं० // Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (373) अथ श्री जंबुद्वीपनी वा पूनमनि सज्झाय प्रारंभः॥ जंबुषीप सोहामणोरे लाल,लाख जोजन परिमाणरे, सुगुणनर, पूनिमशसिसम जाणियरे, लाल आकार एह पहिचाणरे, ॥सु० // 1 // वारिजाउं वाणि जिनतणीरे, // ला० // हुँ जावु वार हजाररे, // सु० // गु० // वीरजिणंदै दाखवीरे // सा॥ जंबूपन्नती महाररे सुगुण // // नवखेत्रे करि सोजतोरे, जरतादिकमनुहाररे // सु // कुलगिरिपरवत अंतरेरे // ला // रह्या मर्यादा धाररे // सु० // वा // 3 // महाविदेहे बिचराजतोरे, मेरुसुदर्शन जाणरे // सु०॥ लाख जोजन उचो कह्योरे, गजदंताचार पहिचाणरे // सुगु०॥ वा // 4 // षट् अह गिरिवर सहु नलारे, दोयसै गुणहत्तर एहरे / सु० // निवेनदी मोटी कहीरे ॥ला // बीजी परिवारनी तेहरे // सु० // वा० // 5 // कर्मजूमीमें मुनिवरारे, क्रोम सहस्स नव जाणरे // सु० // नवकोमी केवली नमुरे // ला उत्कृष्टो परिमाणरे // सु० // वा० // 6 // धर्म ध्यायनो जाणियेरे, चोयो नेद अनि रामरे // सु० // कृपाचन्छ ध्यातां श्रकारे // ला // पामें अविचल धामरे / सुगु०॥ वारि॥७॥ इति जंबूधीपनी वा पूनमनी सझाय संपूर्णा // अथ वीशस्थानक स्तुति लिख्यते // आदीसर अलवेसर जगपति विमनसायर चंदाजी, सेज मंझण दुःख बिहमण अद्लुतज्योति सोहंदाजी, सुखसंपत्ति कारण जगतारण सेवै सुरनर इंदाजी, करुणाकर जिनवर उपगारी कामित सुरतरु कंदाजी ॥१॥अरिहंत सिघ प्रवचन आचा Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (34) रजस्थविर पाठक मन आणो जी, साधु नाण दंशण दसमो पद विनय चारित्र वखाणोजी, ब्रह्म क्रिया तप गोयमजिनपद समाधि अपूर्वश्रुतजाणोजी, श्रुतजक्ति तीरथ प्रत्नावनबीस थानक पहिचानोजी // 2 // श्रीमुखबीरजिनेसर नाखे एपद सेवो प्राणीजी, तीर्थकर पद एहथी लहियै जिनआगमनी बाणीजी, ज्ञाताअंगे गणधरदेवै विवरीने घणी आणीजी, एआराधनश्री सिवल हिय निरुपम सुख निसानीजी // 3 // तीनकालपांचैशक्रस्तव देववंदनविधि कीजैजी, काउसग्ग परदक्षिणागुणनो बिधिसुंजिनपूजीजैजी, खमा समण विहुं टंक पमिक्कमणो स्तवनानित्य सुणीजैजी, कृपा. चन्न सुयदेविपसाये मनबंछितफल लीजैजी // 4 // इति वीसथानक स्तुति // अथ पंचमीनी थुइ लि०।. नेमिजिनेसरजगपरमेसर, पंचमि गतिना दाताजी // श्रावणसुदिपंचमिदिन जनम्या,-त्रिनुवनमें विख्याताजी // समुज विजयनंदन, जगवंदन, सिवादेवीमाताजी // सहसवरसप्रनु आयुषपाली, पाम्या सिवसुखसाताजी // 1 // कातिवदि संजवकेवल पाम्यो, मगसर सुबिधिजायाजी // चैत्र चंषजन्म अजित संनव अनंत सुदि सिवपायाजी // वैशाखवदि कुंथुजिनदीख्या, पंचमि जगत सुहायाजी // धर्म धवलजैव पंच. मिसीधा सुरनरमिलजसगायाजी // 2 // पंचमितपविधिलाखेजिनवर अर्थ अधिक सुखकारीजी // सूत्रेगणधरगुरुशुन दाखे, आगम मांहि सारिजी // नंदिविधिकरी देवावांदीने Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (305) काउसग्गमनधारीजी ॥कावन ज्ञाननानेदनमीने, श्रुतज्ञानसेवो इकतारीजी // 3 // पमिक्कमणो दोयटककरीने, ज्ञान आराधोप्राणीजी॥मगसरादि षट् मासमां उचरो, आगममांहि गवाणीजी। जिनआणाधारक, सुखकारक, खरतरगण श्रुत खा. णीजी ॥श्रीजिनकृपाचंजसूरिपजणे, साशन देवी सुहाणीजी॥४॥ // इति पंचमीकी शुई संपूर्णा // अथ अष्टमीनी थुई लि०।। आठ प्रातिहारज जसुसोहे, मोहे नविजन चंदाजी // चंडप्रनु आग्म दिन सेवो अनुलवरसना कंदाजी // आठप्रमादतजीने, धारो परमातमपदसारोजी // छीपनंदिसरयात्रा करतां, अरिहंतध्यानप्रकारोजी ॥१॥रिषन अजित सुमति सुव्रतनमि, सुपारससंनव श्रायाजी // आदीश्वर दीक्षा अभिनंदन, नेमि पाससिवपायाजी // निन्नमासअष्टमी कल्याणक, तीनकालमां जाणोजी // आउजातिना कलशलेश्ने, स्नात्रकरे सुरराणोजी॥२॥ आचै प्रवचनमातापालो दोषसर्वने टालोजी॥ झानादिआग्आचारसेवीने, आतमतत्वनिहालोजी // वीरजिनेसरअर्थप्रकास, सूत्ररचैगणधारीजी // आपमतपधाराधिनविजन, आठवरस अधिकारीजी // 3 // पर्वतिथी मेंपोषधनाख्यो, सिद्धांतने जसु साखीजी॥ पमिकमणोतपजपआदरीये, देववंदनविधिराखीजी // आउमंगल आराधतां पावै, सुखसंपतिगुणनूरिजी // श्रुतदेवीसुपसायलहीने, श्रीजिनकृपाचंजसूरिजी // 4 // ॥इति आठम थुई संपूर्णा // . वृ० स्त० 25 Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परमनाएं // // 2 // 2 नमनधारी शुभ ( 376) __ अथ इग्यारसनी थुई लिक। एकादसीआखीआदिदेवें, आराधिने नवि सिवशर्मलेवे // धरोध्यान श्रीजिनराजकेरो। टले अनादिकालनो कर्महेरो // 1 // मसिजन्मदीदाकेवलपहाणं / अरनाथ चारित्र नमि परमनाणं // दशखेत्रना कल्याणक एम जाणो। दोमसोने वलि त्रणसो पिगणो // 2 // इग्यारेवरसतिममासकीजै / आराधि अंगग्यारह सुजस लीजै // मौनमनधारी शुलधर्मकारी / श्रुतझाननी नक्ति करिये विचारी // 3 // अठपोहरिपोषहकरि यथाशक्तें / तपजप करीनऊमणोसुलक्कै // इकचित्तध्यावै सुयदेवीपसायै / श्रीजिनकृपाचं सूरि सदासुखथायै॥४॥ ॥इति ग्यारस शुश् संपूर्णा // // अथ नवपद्जीनी थुइ लि०॥ श्रीसिप्पचक्रसुहंकरजाणो ध्यानएलविजन मनमा आयो आतमतत्व पिगणो, निरुपम सिवसुखकारणजाणो आतमने निजघरमांआणो अविचलसंपदा खाणो॥ श्रीपालराजा नवपद साधे सुरसुखपामी सेवि समाधे अरिहंतपद आराधे, मननोहन जिनगुणअगाधे दायक सायकसिधिअवाधे जगजशकीरतिलाधे // 1 // बारे गुणकरि अरिहंतराजे सिख आठ गुण गणिवर गजै गुणउत्तीशविराजै / पचीशगुण उवज्शायाराजै सत्तावीसमुनिमहाराजे सेवीगुणसुसमाजै // दर्शन ज्ञान चरण तप कहिये सिमसार इकावन सितर लहिये नेद पचाशक्रम कहियै, तेरसहशवलि गुणनो करियैचनवीसजिनपतिध्यानजधरियै श्मनवसागर तरियै // 2 // आसुमासनी सात Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (37) . मसेती नवां बिलकरो सुखदैती, चेतरमासवहेती, नवोलिशुधनावेलेति इक्याशीविल सहुहेति बोधवीजनीखेति, श्रीश्रीपालने मयणाराणि हरषजरि हियमे हुलसाणि नवपद ध्यानधराणि, नवपदनीनित्य स्तवनाजाणि करोनविकजन शास्त्रप्रमाणी आगममांहि गवाणि // 3 // त्रएटंकपांचशक्रस्तवकीजै दोयटंकआवश्यकलीजै काउसग्गनितकीजै, खमासमण शुध चितमां धारो प्रदक्षिणाकरी गुणसंजारोजिमलूटेजवलारो, देवीचकेसरिसांनिधकारि विमलेसरपूरेसहमारि सिद्धचक्रविधिसारि,श्रीजिनकृपाचं सूरि नाखे जिनआणा मनमाहिराखे नवि सिवसंपदाचाखे // 4 // // इति नवपद थुश् संपूर्णा // अथ नवपद थुइ // “सिरिसिझचक सेवो नवियां, सुह संपय पावोअविचलिया // 1 // सिरिअरिहाइ नवपयकावो, चनवीसजिणवश्गुणगावो // 2 // नवांबिल नवोलीकरिये, गुणनोजैति काउसग्ग धरिये // 3 // तीनटंक देववंदन कीजै, जिनकृपाचंजसूरि जशलीजै // 4 // इति नवपद शुश्॥ सांतीनाथनी थुइ // सांति जिनराया सर्वजीवसुक्खदाया, अचिरादेमायाजा. सुसोवन्नकाया, विश्वसेनराया, जास गुणगणसोहाया, मृगलंबन पाया मोदमंदिर सिधाया // 1 // पदम वासु विसाला रक्त वर्णेसुहाला, चंप्रनुधवला सुविधिजिन सुक्खसबला, मुनिसुबत सामला नेमी जिनराज काखा, महिपारस नीला सोलजिन Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (37) राजपीला ॥२॥जिनवरनीवाणी मीठीसाकर समाणी, नविजनमनजाणी, मोदनी निशाणी, नयगममनाणी सर्व नंग प्रमाणी, सेवो श्रुतखाणी जैनशाखै वखाणी // 3 // शासनसुखदाइ गरुमराजा सहाश्,वांछितफलदाइ देविनिर्वाणीमाइ, जिनचरणसहाश् सर्वसंपत्ति कराश् कृपाचंजसूरिसदाइ संघमें शांतिवरता // 4 // इति शांतिनाथजी थुइ सं० // 7 // // वासुपूज्यरोहिणी थुइ // वासुपूज्यजिनेशर वंजुमनधरि नेह, सुखसंपतिकारण श्राराधो गुणगेह, रोहणीतपकरतां पामेंनवनोपार, सातवरस सत्तावीश जघन्य उत्कृष्टदिलधार // 1 // अतीत अनागत वर्तमान त्रिहुँकाल, सहुजिनवरप्रणमो आणीलावविसाल, जिनजन्ममहोचव सुरपतिकरे सुविचार, श्म चोविशजिनवर पूजो विविध प्रकार // // चंजरोहिणी दिवसे तप आदरियेसार, गुणनो प्रदक्षिणा खमासमण सुविचार, यथाशक्ति करिये चोविहार उपवास, चित्रसैन रोहिणीपरे पामेलीलविलास // 3 // पमिक्कमणो दोयटंक देवबंदनत्रिहुंकाल, आग पोहरिपोषध काउसग्ग सुविसाल सुयदेवि सांनिध रोगसोगसहुजाय, जिनकृपाचंजसूरितपसेव्या सुखथाय // 4 // इति, अथ पुनमनी थुइ // श्रीसिघाचलतीरथसेवो, तीनजगतमां दूजोन एहवो,एहथीशुजफललेवो // श्रीआदीश्वरजिनवरराया, पूर्वनीवाणुं इणगिरि आया, इंसादिकमननाया // श्रीपुंमरीक प्रथमगणधारी, पांचक्रोममुनिवरपरिवारी, अणसणकोंहितकारी // Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३८ए) फागुणपूनिमसंलेखनाजाणो, चैत्रीदिननिरुपम गुणखाणो पाम्यापदनिरवाणो // 1 // चैत्रीदिनदेववंदनकीजै, नावसहितप्रनुपूजारचीजै, जिनगुणगाइ जशलीजै // तिलककरो प्रभुने दशवीश, चढता वलि तीश चालीश, पंचाशनी पूजा जगीश // पुष्पअदतफल नेवेद्य सार, जिनवर पूजाविविधप्रकार, धूपदीप मनुहार // कलशअघोत्तरशतपूजाकरिये, चौवीश जिनवरध्यानज धरियै, जिमनवसागर तरिये // 2 // चैत्रीदिनशुलवारमा लीजै, // गुरुमुखथी एतपऊ चरीजै, विधिसहितवहीजै // सोलवरस एतपाराधी, आतमगुणनिज संपदासाधी, पावे सहज समाधी // तपपूरण उऊमणोधारो, करिनेसासनसोजा वधारो, जिमहोवे नवनिस्तारो // काउसग्गप्रदक्षिणाकरिये, गुणनोगुणी जिनगुण सांजरिये, आगमविधिअनुसरिये // 3 // दोयटंकप मिक्कमणोकीजे, चैत्रीसे@जयात्राकरीजै, पुन्यन्नंमारनरीजै // बहरीपालीजेनरलेटे, संघपतिथइ सहुमुखमेटे, नववनमे नविलेटे, बारहपूनिमपर्वकहीजै, चारित्रतिथी शास्त्रमाहिलहीजै, चक्रेसरीसांनिधकीजै॥ श्रीजिनकृपाचंजसूरिराजै खरतरगजिनआणागजै, सुखसंपदासुसमाजै॥४॥ इति चैत्रीपूनिमथुश् सं० // ॥श्रीनेमिनाथजीनी थुइ लि० // // नेमिजिनंदा पूनिमचंदा, सममुख सोजता, सिवादे जाया, सहुमननाया, इंघादिकसेवता, सोरिपुरमें, त्रिनुवन सुखमें प्रनुपरमारथी, संघमे साता, जगनात्राता, धर्मनासारथी // 1 // रिपनजिनेसर, नुवनदिनेसर, अष्टापदसिववस्या, वीरपावापुरी, Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) पूज्यचंपापूरी, निजकारजकस्खा, गिरनारगिरिपर, नेमिजिनवर, सिववधु करग्रह्यो, वीसजिनेसर, समेतसिखरपर, सिवमंदिर लह्यो // 2 // जिनवरवाणि अमियसमाणि, मिठीजिम सेलमी, अधिकसुहाणि, नविमनन्नाणि, अमृतरसवेलकी, जिनगुणगाति, समरसमाति, सुरवधुगावति, अनुजवसंगे, आत्ममंगे, निजगुणध्यावति, // 3 // अंबिकादेवी सुजसलहेवी, सुतदोयलालती, शासनदेवी सुरनरसेवी, संघरखवालती, गोमेधयक, सांनिधदद संघने कीजियै, जिनकृपाचं सेविसूरिंद, जगमे जशलीजिय, // // इति नेमिनाथ शुश् सं०॥ पास जिनराया वामाजाया, नगरी वणारसी, अश्वसेनराजा, जगमेंताजा, सबजनतारसी, वदिचोथदिवसे, चैत्रजगीसे, प्रनुजी अवतो, दशमीपोष, जगसंतोष, सव कारजसर्या, // 1 // प्रथमजिनेसर, चारहजारे पास मसित्रयशत, वीर इकेला, षट्र सतसाथे, वासुपूज्य ग्रहिब्रत, जगणीस जिनपति सहससंघाते, संजम आदर्यो, कर्मखपावी, केवलपामी, निजकारजकों // 2 // जिनपतिवाणी, मीठीजाणी, स्वर्गे सुरवेलमी, साकरखंझे गुलनहि मंझे, पीलेरस सेलमी, जाखवनमांहे, अमृत अमराहै त्रणपसु चावती, एसहुलाजी, जिनगुणगाजी, इंज्ञाणी गावती // 3 // पारसयद, कारजददकरे सहुसंघनो,च्यारवाढु कवव साहु वरण सांमल वनो, देवीपद्मा, सुखनीसद्मा, दियेसुखसंपदा, जिनकृपाचंज पत्नणे सूरिंद, सेवे सुरनर मुदा ॥॥इति पार्श्वनाथ शुई।। ॥श्रीमहावीर स्वामी थुइ // आषाढ शुदि गी स्वर्गथी चवियाईश, आश्विनवदि तेरस Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (391) त्रिसलाकूखेजगीश, शुदि तेरस जनम्या चैत्रमास सुखकार, श्रीवीर जिनेसर बंउन्नावनदार // 1 // मिगसरवदि दशमी संजमसुं मनलाय, वैशाखसुदिमें केवल, दशमी नाय, काति अम्मावसि पाम्योपद निर्वाण, चोवीस जिनवर आपो मुजसुख खाण // // अरिहंत प्रकास्यो, उपधान तप श्रीकार, नवकार इरियावहि नमुत्थुणं मनुहार, अरिहंतचेश्याणं लोगस्स ऽव्यस्तवजान, सिझाएंबुधाणं मालसात उपधान // 3 // विधिसेतिवहियै गुरुमुखसुणि सुविचार, श्रीमहानिशीथे नाख्योए अधिकार सिहायिकादेवीवांवितदेंनिरधार, जिनकृपाचंघसूरि तपसेव्या जयकार // 5 // // इति उपधान थुइ // वीरजिनेंदे नाखीयो, उपधान तप विस्तार, सुत्रे गणधर साखियो, महानिशीथमकार, // 1 // पहलो वीसम नवकारनो, इरिया वीसमजाण, नावस्तव पेतीशनो, ग्वणस्तवचनाण // 2 // लोगस अगवीसनो, दवत्यवनक्कमहोय, माला उपधान सातमो, सिधाएं बुझाएं जोय // 3 // सातनय निवारवा, सातकरो उपधान, क्रियाशुधकरवातणो, एह उपाय सुजान // 4 // विधियोगेाराधियेए, तप उत्तम सुखकार, जिन कृपाचंजसूरिसदा, आगमनो आधार // 5 // // इति चैत्यवंदनम् // // अथ नवपदजी चैत्यवंदन लि०॥ श्रीअरिहंतनाबारगुण, सिघना आठकहाय / उतीशगुणसूरितणा / पचवीश कह्या उवद्याय // 1 // मुनिवरगुण सत्ता Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३ए) वीशमै, दरशण समसा जोय // ज्ञान कावननेद, चारित्रसित्तर होय // 2 // तप पच्चास गुणजाणिय, नवपदना श्रीकार // एकंदर सहुध्याश्य, त्रणसैबयालीशसार // 3 // आंबिलकरि बाराधिथे, नवोलीसुजगीश // त्रिकरणयोगे ध्यावतां, जिनकृपाचंदसूरीश इति नवपद चैत्यवंदनं // // रोहिणीतप चैत्यवंदनं // वासुपूज्य जिनवरनमुं, वारमजिनसिरताज, रोहिणीतप आराधतां, सारे बांतिकाज // 1 // चोविहारउपवासकरि, पूजक पूजीदेव, दोयसहसगुणनो करी, त्रिकरण थिरकरोसेव, // 2 // सत्तावीशलोगसतणो, काउसग्ग दिलधार, खमासमण देश्लावधी, प्रदक्षिणा सुविचार, // 3 // स्वस्तिक करि फलढोश्य, पूजा विविधप्रकार, जिन कृपाचंदसूरि सेवतां, पामे नवनोपार, // 4 // इति रोहणीतपनो चैत्यवंदन सं० // अथ श्रीवीसस्थानक चैत्यवंदनं. श्रीअरिहंत अनंत कांति सिध निजगुणरामी, प्रवचन आचारिज स्थविर जवळाया हितकामी, साधु नाण दंसण नवम विनय चारित्र वखाणो, ब्रह्म क्रिया तप गोयम जिन वेयावच्च जाणो // 1 // समाधि अपूर्वज्ञानग्रहै, श्रुतत्नक्तिनितसार, तीरथ प्रत्नावन वीसमो, निरुपम सुखदातार, प्रथम चरम जगदीश सकल सेवी सही संपदा, इक दोत्रण पद जपी वावीस जिनवर पदमुदा ॥॥ए विंशति थानक कह्या ए,झाताए जिनचंद, एसेवनथी नवि सहे, त्रिनुवनपति कृपाचंद // 3 // // इति श्री वीसस्थानक चैत्यवंदन संपूर्णम् // Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (393) // अथ श्री वीसविहरमानजीको चैत्यवंदन // सीमंधर युगमंधर, बाहु सुबाहु जाण, सुजात स्वयंप्रनु सातमा, रुषलानन मनाण // 1 // अनंतवीर्यने सूरप्रनु, विमल वज्रधर कहिये, चंज्ञानन चंबाहुजी, तुजंग नेम प्रनु लहियै ॥२॥ईश्वर श्रीवयरसेनजी, महान जिनदेव,देवजस अजितवीर्यजी, सुरपति सारे सेव // 3 // पंच विदेहै विचरता ए,बीस जिनेसर जाण,कृपाचंद त्रिहुं कालमें,नमतां क्रोम कट्याण॥॥ ॥इति वीस विहरमानजी चैत्यवंदन संपूर्ण // // अथ श्री सिद्धाचलजीका चैत्यवंदन // सिघाचल सेवू सदा, सहुतीरथ सिरदार, सोरठदेश सोहामणो, तिहां ए गिरिवरसार // 1 // तीननुवनविच एहवो, तीरथ कोइ न होय, श्रीमंधर वयणे करी, शेज महातम जोय // 2 // श्रीयुगादि जिनराजजी, समवसखा इण गम, तेहथी ए तीरथ वमो, अविचल सुखनो धाम // 3 // काति पूनिम दशकोमसुंए, जावा वारिखिस जाण, सिधिवधू रंगे वस्या, कृपाचंद मनाण // 4 // ॥इति सिमाचलजी चैत्यवंदन संपूर्णम् // // अथ श्री वीरजिन चैत्यवंदन // चोविसम जिनवर नमुं, महावीर जिनदेव, शांति सुधामय चंदलो, सुरनर सारे सेव // 1 // नजेसरमें दीपतो, देरासर मनुहार, वीरजिनेसर जगजयो, बावन देहरी सार॥२॥ त्रिसलानंदन जग धणीए, सुख संपति करतार, त्रिकरण योगे प्रणमतां, कृपाचंद सुखकार // 3 // Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३एव) // इति श्री वीरजिन चैत्यवंदनं संपूर्णम् // // अथ श्री नेमिजिन चैत्यवंदनप्रारंभ // नेमिसर जिन जगधणी, रैवतगिरि सिणगार, यादवकुल नन दिनमणि, नवियण ने सुखकार // 1 // तीनकट्याणक इहां थया, दिदानाण निरवाण, जव्य मनोरथ पूरवा, चिंता मणी समजाण // 2 // शिवरमणी रंगे वर्या ए, बावीसम जिनचंद, कृपाचंद नितप्रति नमै, शिवसुखतरूनो कंद, // 3 // ॥इति नेमिजिनचैत्यवंदन संपूर्ण // ॥अथ श्री पुंडरीक गणधर चैत्यवंदन // रिषन जिनेश्वर रायना, पहिला गणधरदेव, पुंगरीक नामे सदा, सुरनर सारे सेव // 1 // चैत्रीदिन शिवपुरलह्या, पांचक्रोम परिवार, पुंमरीक तेहथी श्रयो, प्रगट नाम सुखकार // 2 // अवसरपणिकालमेए, प्रथमसिद्ध अजिराम, कृपाचंद गिरिराजने, प्रतिदिन करे प्रणाम // 3 // // इति पुमरीक गणधर चैत्यवंदन संपूर्णम् // // अथ श्री चतुर्विशति जिनलांछन चैत्यवंदन // रिषन वृषन गज अजितने, संनव घोमो जाण, अजिनंदनने वांदरो, कौंच सुमति मनाण // 1 // पद्म पद्म स्वस्तिक सुपार्श्व, शशिचंप्रन लहिये, मकर सुविधि शीतल श्रीवत्स, श्रेयांस खमंगी कहिये // 2 // वासुपुज्य महिषतणो, विमल वराह नो जाणो, अनंत श्येन वज्र धर्मने, शांति मृग पहिचानो // 3 // कुंथुनाथने बोकमो, अर नंद्यावर्त होय, महीघट सुव्रत काउवो, नमि निलोत्पल जोय // 4 // Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३ए५) नेमि संख फणि पार्श्वने, वीर सिंह कहाय, कृपाचंड ध्वज युतनमुं, चनवीसे जिनराय // 5 // // इति चतुर्विंशतिजिनलाउन चैत्यवंदनं संपूर्णम् // ॥पूनिमनो चैत्यवंदनं // श्रीजिनसासन जगजयो, पर्व सिरोमणिजाण, पूनिमपर्व मोटो कह्यो, त्रिकरणशुचिमन आण // 1 // श्रावणसुदि पूनिमचव्या, मुनिसुव्रत जगदीश आसोजीपूनिमचव्या, नमित्रिहुँ जगनाईश // // मिगसरपूनिम संजव, संयमलीधोसार, पौषी धर्म जिनेसरु, केवल ज्ञाननदार // 3 // चैत्री श्री पद्मप्रनु, केवल ज्ञान प्रधान, श्म पूनिममांजाणीये, कल्याणक सुखकार // 4 // दशवीशत्रीश चालीशनी, पंचाश पूजासार, फलअक्षत नैवेद्यनी, पूजा विविध प्रकार // 5 // चैत्रीसेजसेविये, जात्रा करी मनरंग, तिमकार्तिकी आराधिने, करो सद्गुरुनोसंग // 6 // बारहपूनिम आराधियेए, श्रीयुगादिजिनदेव, जिनकृपाचंजसूरि सदा, सुरनरसारेसेव // 7 // ॥इति पूनिम चैत्यवंदन संपूर्ण // ॥सोलम जिनवर सेविये, शांतिनाथ सुखकार, अचिराजदरे ऊपना, जाज्ववदिसातमसार // 1 // जेठवदितेरसप्रनु, जनम्या जगतदयाळ, मारिनिवारणथी अयो, शांतिनाम सुरसाल // 2 // चक्रिपद पाम्यो प्रनु, चदशसंजमलीध, पौषसुदि नवमी दिने, केवल सर्व प्रसीध // 3 // जनमदिवस प्रनु पामीयो, सिवसुख परमपवित्र, लाख वरसनो आउखो, सुणोश्री सांतिचरित्र // 4 // मृगलांउन सेवितसदा, गरुमय Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३ए६) श्रनिराम, जिनकृपाचंजसूरि सेवितां, निर्वाणी पूरेकाम // 5 // ॥इति सांतिनाथजी चैत्यवंदन // ॥वामानंदनपासजी, अश्वसेनकुलचंद, नीववरणशुचि देहमी, सेवे सुरनर इंद // 1 // चैत्रवदि चोथ ऊपना, माता कूखे स्याम, पोषदशमी जनम्या प्रनु, त्रिनुवन जन विसराम // 2 // ग्यारस दीक्षा ग्रही, कमठ हरावी ईश, चैत्रकृष्ननी चोथने, केवल वह्यो जगीश // 3 // संघथापीने जगगुरु, विचर्या देशविदेश, वाणारसी नगरी थया, चनकट्याण विशेष // 4 // आषाढसित आग्मे, सिवबधु काट्यो हाथ, जिनकृपाचंदसूरिसदा, सेवो जगना नाथ // 5 // ॥इति पारसनाथ चैत्यवंदन // वीर जिनेसर जगधणी, त्रिशलानो जायो आषाढशुदिषती अनु, देवानंदा उदरे आयो // 1 // आश्विनवदि त्रयोदशी, हरणेगमेषी ईश, त्रिशला उदरे संक्रम्या, चवदे स्वप्न बहीश // 2 // चैत्रशुक्ल त्रयोदशी, जन्म थयो सुखकार, चौसठ इंच आव्या तिहां, स्नात्रकरे विधिसार // 3 // वर्धमान नाम थापीयो, बृद्धितणे अनुमान, मिगसरवदि दशमीलीयो, संजम सुखनी खान // 4 // वैशाख सुदि दशमी दिने, केवल पाम्यो सार, पावापुरी मुगते गया, दीवाली सुखकार // 5 // श्मकस्याणक प्रजुतणा आराधे नरनार / जिनकृपाचं सूरि कहे, पामे नवनो पार // 6 // // इति श्री महावीर स्वामी चैत्यवंदनं // Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // शुभाशुद्धिपत्रकम् // पृष्ठ. पंक्ति. 15 इक 106 अशुद्धि. शुद्धि. षासजिणंद पासजिनेंद परवर्तन परावर्तन कर सकली सफली चौमुखवा चौमुखवावि श्रीसं श्रीसंघ जणातां नएता नाप्रवादण नाणप्रवाद चित्तमकार चित्तमकारए राजा निराकारा निराकार आविवो श्रावियो उढण पाटंबर // 15 // // 15 // उढण पाटंबर निहाके निहाले जेसलगिरि जेसलमेरि नवविधि नवनिधि निधारय , निवार अमावेन. . श्रावन ... 125 127 130 131 133 136 १३ए 15 23 143 ...... Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ. पंक्ति. 144 144 144 244 ه ع س م ه 145 153 253 ه 154 156 166 266 ه ه م ع م _ (2) अशुद्धि. . शुद्धि. श्रीधर श्रीघर अपवन असावन्न पूजअष्टप्रकार पूजाअष्टप्रकार ज्ञानो पगरण ज्ञानोपगरण गरोधन श्वारोधन ज्ञानदिवोक० ज्ञानदिवाक ॥७॥पणपा-कहीए पिणपाळेकहिए // 7 // किहां कियां नेमिनाथं नमिनाथ अबर अंबर मुनतान मुलतान बंचितगावे बंचितपावे सुहंकार सुहंकर मानमां मनमां उपचरै उपचारै अंतरेजामी अंतरजामी चैत्री सहसपरण सहसफण सारणा सारण वांवित बांचित नीरयामक निरयामक / 174 177 12 14 ه ه ه ه ه هع ي १ए १एए 213 ة Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (3) अशुद्धि. पृष्ट. पंक्ति. 221 324 325 थए 252 254 264 267 or or ort Mr O Doa w bm पांचा जरतनो पूत्र सूजाण सुणखाण सुरसालररे नव्यचकोरनर विनयट सकचंद परहरे ष्टिहोय सुदेव तनुगीराग देवचंदेतह शुद्धि. पंच नरतनो पुत्र सुजाण सुखखाण सुरसासरे जव्यचकोरनैरे विनय सकलचन्द थरहरे वृष्टिहोय कुदेव तनुनिराग देवचंद तेह 22 327 336 346 347 17 - Page #418 -------------------------------------------------------------------------- _