________________ (4) आठ प्रातीहारज ते सही होइए // 25 // जिएसमवसरणनी रिधिदीठी जीये / तेह धनधन्य अवतार पायो तिये / पास अरदास सुणी वंचित पूरज्यो / हिव मुऊ ताहरो सुखदरसण हुज्यो // 26 // (कलश) श्म समवसरणे रिधिवरणे सहु जिनवर सारखी। सरदहै ते लहै सुख समकित परम जिन धर्म पारखी / प्रकरण सिधांत गुरू परंपर सुणी सहु अधिकार ए। संस्तव्यो षासजिणंद पाठक धर्मवनधारए // 27 // इतिश्री समवसरण विचार जाषा गर्ध्नित स्तवनं // अथ सकल साखता चैत्य नमस्कार स्तवनम् // // ढाल बेकर जोडी तांम ए चाल // रिपन्नानन वर्धमान / चंजानन जिन / वारिषेण नामे जिना ए॥१॥ तेहतणां प्रासाद त्रिभुवन सासता / प्रणमुं बिंब सोहामणाए // 2 // चेईहर सगकोमि लाख बहुतर / चेश्य प्रतिमा सो असीए // 3 // तेरेसे निव्यासी कोमि / साठ लाख सुंदर / नुवनपती मांहि मन वसीए // 4 // बारे देव लोक प्रासाद चौरासी लाख / सहस छिन्नूने सातसैए // 5 // (ढाल आव्यो तिहां नरहर ए चाल // ) हिवे नव ग्रीवेक पंचानुत्तर सार / चेहर त्रणसय त्रेवीसा सुविचार प्रत्येके प्रतिमा वीसासो तिहां जाण / अमत्रीस सहस सतसा अडे गुण खांण // 6 // नंदीसर बावन कुंमत रुचक वखांण / चऊ चऊ चेहर साठ सबे त्रिगण / कसो चौवीसे गुण प्रतिमा चिहुं नाम / चारसे चालीसा सात सहस प्रण