________________ (37). दुइ पणइंजिय तिरि अमयालए / घम्मादिसातेनरकपुढवी नारकी तिहां सातए / तेचवदनेदेकरीजाणो पजत्तय अपजत्तए // 2 // ढाल // पनरहविधरे सुरगणपरमाहम्मिया। किलविषियारेत्रिविधकरम ते निम्मिया / जनियदसरे नवलोकांतिकजाणिये / सोलह विधरे व्यंतरदेव वखाणिये // उहाखो॥ वखाणिये दसविध नुवनपतिना तार रवि शशि रिषिगाहा / चर थिरदसेविध जोसीसुर वखाण्या जिणवर जिहां / बारह वैमानिक पणअणुत्तर नवग्रेवेके नवजण्या / पात्त अपजात्तग अगऍअधिकसतसंख्यागिण्या // 3 // // ढाल 2 // मेघ आगम सही ए देशी॥ // पंचनरत वलि ऐरवतपंचए पंचविदेहवरमिका ए / खेत्र ए. पनरह करमनूमिजाणीये असिकसिमसिहि आजीविकाए / हेमवतखेत्र वलि हरिवर्ष, रम्यक, ऐर. एयवतसहीए / मेरु पिणपाखती चारि चारि खेत्रए दस कुरु अकरमकनूमि कहीए // 4 // हिमगिरि सिमरीय दाढ चिहुंधारित्र लवणसमुजमांहि विस्तरीए / सात सात अंतर दोयपासे दीपप्पन्न अंतरधरीए / दोश्सेजेद उर आगला जांणिये मणुय पजत्त अपजात्तयाए / एकसो एक समुर्छिम नेद ए / तीनसेतीन मणुश्रा श्रया ए // 5 // ॥ढाल३॥ हिव जनम्याजगगुरु जगत्र हुवो जयकार ए चाल॥ ॥पणसय तेसविध जीवसहू ने एह, अनियआदिक