________________ (61) काजलथीपण शामलाजी / मारा मनपरणाम / सोणामांहीं ताहरुंजी। संजालं नहींनामरे जिनजी // मुज // ए॥ मुग्धलोक उगवाजणी जी। करुं अनेकप्रपंच / कुमकपट बहु केलवीजी। पापतणो करुं संचरे जिनजी॥मुजः॥१॥ मनचंचलनरहेकिमे जी।राचे रमणीरेरूप। कामविटंबणशीकहुंजीपमीश हुँ उरगतिकूपरे जिनजी // मुज // 11 // किश्याकडं गुण महाराजी। किश्याकडं अपवाद / जेमजेमसंजारूं हीयेजी / तेमतेमवधे विखवादरे जिनजी // मुज // 12 // गिराते नविलेखवेजी। निगुणसेवकनीवात / नीचतणे पण मंदिरेजी। चंजनटालेजोतरे जिनजी // मुजम् // 13 // निगुणो तो पण ताहरोजी / नामधरावुरे दास / कृपाकरी संजारजोजी / पूरजो मुजमनासरे जिनजी॥ मुजम् // 14 // पापीजाणी मुजनपीजी / मत मूको विसार / विष हलाहल आदस्योजी। ईश्वर न तजे तासरे जिनजी॥ मुजम् // 15 // उत्तमगुणकारीहुवेजी / स्वार्थविनासुजाण / करसण चिंते सरनरेजी / मेह नमांगेदाणरे जिनजी॥ मुज० // 16 // तुं उपगारी गुणनिलोजी / तुं सेवकप्रतिपाल / तुं समरथसुखपूरवाजी / कर माहरीसंजालरे जिनजी // मुज // 17 // तुजने शुं कहीये घणोजी। तुं सहुवाते जाण, मुजने थाजो साहिवाजी / नवनवताहरी श्राणरे जिनजी / मुजः // 17 // नानिराया कुलचंदलोजी / मारुदेवीनोनंद / कहे जिनहरष निवाजज्यो जी। देजो परमानंदरे जिनजी / मुजपापीने तार // 15 // इति श्रीबालोयण आदिजिन स्तवनं //