________________ (65) // अथ नवपद वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // सुरमणीसम सहु मंत्रमां / नवपद अभिरामीरेलो // अहो नव / करुणासागर गुणनिधी / जगअंतरजामीरे लो // अहो जग० // 1 // त्रिनुवनजनपूजितसदा। लोकालोक प्रकासीरे लो। अहो लोका० // एहवा श्रीअरिहंतजी / नमुं चित्तनवासीरे लो // अहो नमुंम् // 2 // अष्टकरमदलक्ष्यकरी / श्रयासिघसरूपीरे लो। अहो थया / सिझनमो नविनावथी। जे अगमवरूपीरे लो // अहोजे // 3 // गुणवत्तीसे सोलता। सुंदरसुखकारीरेलो // अहो सुं० // आचारज तीजेपदे, वंडुअविकारीरेलो // अहो वं // 4 // आगमधारी उपशमी। तप मुविध अराधीरेलो // अहोत // चोथे पद पाठक नमो / संवेग समाधीरे लो॥ अहोसं० // 5 // पंचाचारपालणपरा पंचाश्रवत्यागीरे लो // अहो पं० // गुणरागीमुनि पांचमें / प्रणमुं वमनागीरे लो // अहो प्र० // 6 // निजपरगुणने उलखे / श्रुतश्राआवेरे लो // अहो श्रु० // बगुण दरशणनमो। आतम शुजनावरे लो // अहो आ // 7 // ज्ञान नमो गुण सातमें / जे पंचप्रकारेरेलो // अहो जे० स्वपर प्रकाशक दिनमणि / अज्ञाननिवारेरेलो // अहो अ० // // आपमें चारित्रपदनमो। परनावनिवारीरेलो // अहो प० // खांत्यादिकदसधर्मनो / जेह अने अधिकारीरेलो // अहो जे ए॥ नवमेवलितपपदनमो / बाह्याच्यंतर नेदेरे लो // अहो बा० // बांध्याकालअनंतना / जे कर्मउन्देरे लो // अहो जे // 10 // ए नवपदबहुमानथी / ध्यावे शुजन्नावरे लो // अहो ध्या० //