________________ (63) नृपश्रीपालतणीपरे / मनवंचितपावरे लो // अहो म // 11 // आसू चैत्रक मासमां, नवांबिलकरियेरे लो // अहो नव // नवली विधियुतकरी / शिवकमलावरियेरे लो ॥अहो शिप // 12 // सिद्धचक्रनी बहुपरे / वरमहिमाकीजेरे लो॥ अहो व० // श्रीजिनलालकहे सदा / अनुपमजशलीजेरे लो॥ अहो अ० // 13 // इति श्रीनवपदजीका वृद्ध स्तवनं // // अथ चैत्री पूनम वृद्ध स्तवनं लिख्यते // // ढाल // पयप्रणमीरे जिनवरना सुपसाउले / पुंगरगिरिरे गाइस हुं सुजनाउले / मतिसुरगुरुरे सहसजीन जो मुखहुवे। किमते नररे विमलाचलना गुणस्तवे / उहालो / किमस्तवे गुणगणएहगिरिना जिहां मुनिसीधावदु / गिरि रायना गुण अनंता कहै जिनवर मुखसहु, निज जनम सकली करण कारण केटला गुणलाषिये ।तिरयंच नारक तणीगतिना फुःखदूरेराखिये // 1 // चाल // जिनराजारे पहिलो श्रादिजिनेसरू / तसु नंदनरे चक्रवर्तिजरतेसरू / तसुअंगजरे पुंमरीकगुणगणनिलो। शमदमरसरे विनयविवेक गुणेनलो। उबालो / गुणनलो अनुक्रम आदिजिनवरपास संयमसिवपुरी / पुंमरीकगणधरप्रथमविहरे सुमतिगुपतेसंचरी / पणकोमि साथे विमल गिरवर मुगतिपदवी पावए / सुदिचैत्रपूनिम तेण एगिरि घुमरीककहावए // 2 // चाल // हिवचैत्रीरे पूनिमपर्वसुहामणो / सेजेरे - राध्यां फलहुवेघणो / मनसुघरे आपणपे थानकरही / आराध्यारे यात्रपुन्यपामेसही / नसालो ते पुन्यपामें दानतपजप धर्मध्यानमनेधरे / बहु जावनत्तें त्रिविधपूजा आदिजिनवरनी