________________ (160) मासदिवसवाणीथई अंबरसुरराय / प्रतिमाशंजणपासनी सायरजलमांय / सुरप्रगव्यो जिणसासणे // सुरकहेवाणी एहप्रतिमा नावसुं प्रगटकरो / जई जैनकुंतीनगरी जिणहर मूलनायकएहधरो। तेबिंबकुंतीमांहिंथाप्यो कहैबहु श्रावकतिहां / ए सकलतीरथनाथ समरथ पुन्यजोगमिट्यो इहां // ए॥ इणित्रवसर दसगरपुरे पालत्तश्सूर / विद्याबल अंबर जमें श्रतिसयजरपूर / तीरथजायजिणहरनमें / ते नमें सेजेजप्रमुखगिरिवर सदा पाखीपारणे, पालीयतांणे रह्यां थांणे नागारजुनजोगीपणें / ते धातुसोवनकाजधमतां मासबके रसकरे / करिकोप नैरववीर नाखे रूपपंखीनो धरे // 10 // तिण पालत्तै सूरिने जाण्यो एहमहंत / पूजे को सुरदाखवो अतिसयगुणवंत / कृपाकरी मुजजाखवो।गुरु तेह लाखेजेह, थंने उपजव सुरनरतणों। तिण कह्यो कुंतीने प्रसादें पास प्रनुर्थनणों / कुणयह वीरवेतालव्यंतर सहू तसु सेवाकरे / तेहनीदृष्टे साधविद्या जेमतुमवंगित सरे // 11 // विद्यापिणआकर्षणी / दुती जोगीनपास / ते प्रतिमाआणीतिहां थापी निजावास / सोवनरससीधो जिहां / रस तिहां सीधो सुजस लीधो नदी सेढीने तटे।गुरुनें जणाव्यो तिणाकहाव्यो बिंबर्णमास्योघटे / इणकाल धरमसुथानथोमा हुसीमबाणशहां / खाखरातले सेढिकातीरे / बिंबजमायो. तिहां // 12 // ढाल 4 श्री // मेघागमसही नदीऊलटिवही वेलुकाबिंबऊपरवक्षए / तेणचुंधणचरे खीर सुरहीरे चीकपीमि खाखरतले ए / केतलादिनपत्रे सुगुरुखरतरगछे / श्रीअजयदेवसूरी सरूए / षटविगयपरिहरी उग्रतपश्रादरी /