________________ (11) श्रचक्खूदंसण होय / मनुजनें च्यार सेस दंगमें दंसण तीन / नाण अनाण तीन सुर तिरि नारगर्ने सीन // ए॥ पावर दोय अनाण विगल दो नाण अनाण / गनयमणुने तीन अनाणनें पांचं नाण / सुर नारग एकादश तिरनें तेरेजोग / मनुजनें पनरे च्यार विगलने जोगप्रयोग // 10 // वाऊकायनें पांच तीन थावर संयोग / मनुजनें बार नरग तिरि देवनें नव उपयोग / विगल पुगे पण षडू चौरिंदी आवर तीन / उक्वाय ग चवण दार दोनुं समकीन // 11 // एगसमें संख्यात असंख्या चवणुपपात / गनयतिरि विगलेंदी नारय सुर विख्यात / मणुआ थावर वणस्सर संख असंख अणंत / मणुजअसन्नि असंख चवंत तेम उपजंत // 1 // बावीस सात तीन दस वरस सहस्स उकिक / वणस्सई च्यारने तीन दिवस तेऊनें जिछ / नर तिरि तीनपट्य सुर नारग अयर तेतीस / व्यंतर पट्य अधिक लखवरस पट्य जोई // 13 // असुरादिक दशनें कसागर अधिकोशाय / देसेंजणा दोय पश्यनो नवेय निकाय / विगलने बारबरस गुणचास दिवस उम्मास / अंतमत्त जहन्ने पुढवाई दसरास // 14 // नुवनपती नारग व्यंतर दसवरसहजार / पट्य तेना अमंस वैमाणिय जोइस धार / सुर नर तिरि नारगर्ने पट थावरनें च्यार / विगलने पंच पजत्ती ए श्रारम दार // 15 // सरब जीवनें होय बए दिसनो आहार / होय न होय पंचादिक दिस ए सूत्र मकार / दीह कालकी चौविह सुर नारग तिरजंच / विगलने देउवएशा सन्निरहितथिरपंच // 16 //