________________ (354) देवचंद मुनितेह // स० // व // 11 // इतिसप्तमवचनगुप्ति सकाय संपूर्ण // // अथाष्टम कायगुप्ति सज्झाय लिख्यते // फूलनाचोसरप्रनुजीने शिरचढे // एदेशी // गुप्तिसंचारोरे त्रीजी मुनिवरु / जेहथी परमानंदोजी // मोहटले घन घातिपरगले / प्रगटेज्ञानअमंदोजी // गु० // 1 // करीय शुन्न अशुननबजे जेजे / तिणतजि तनव्यापारोजी // चंचलनाव ते श्राश्रवमूलचे / जीव अचल अविकारोजी // गु० // 2 // इंडियविषयसकलनुं धारए / बंधहेतु दृढएहो जी // अनिनवकर्मग्रहे तनुयोगथी / तिण भिरकरीयें देहो जी // गु० // 3 // आतमवीर्यफुरे परसंगजे / ते कहीयें तनुयोगोजी // चेतनासत्तारे परमअयोगी। निर्मल स्थिर उपयोगोजी / / गु० // 4 // जावतकंपन तावतबंधके / नाख्युं लगवश् अंगेजी। तेमाटे ध्रुवतत्वरसेंरमे / माहण ध्यान प्रसंगेजी // गुण // 5 // वीर्यसहायीरे आतमधर्मनो अचल सहज अप्रयासोजी। ते परजावसहाया किम करे / मुनिवर गुणावासोजी // गुण // 6 // खंति मुक्ति युक्ति अकिंचनी / शौच ब्रह्मधरधीरोजी // विषयपरिसहसैन्यविदारवा / वीर परमशौंमीरोजी // गु० // 7 // कर्मपाल दल क्यकरवारसी / आतमझद्धि समृखोजी // देवचंज जिन आणापालतां / वंडं गुरु गुणवृद्धोजी // गु० // 7 // इति अष्टमकायगुप्तिसकाय संपूर्ण // // अथ नवम साधुस्वरूपवर्णनसज्झाय लिख्यते // रसीयानी देशी // धर्मधुरंधर मुनिवरसुलही / नाण चरण