________________ (२३ए) जव मुनिवर कह्यो, सु तेहसुएयो दिलधार, गब सु॥२०॥ जंबुषीपना जरतमांसु सिधपुरनगरकहवाय, ग सु० पुहवी. पाल राजा तिहां सु० सिधमती राणी सुहाय, ग सु० // 21 // श्कदिन क्रीमा कारणे, सु० चन्उद्यान में जाय, ग सुम् क्रीमा करता पधारिया, सु० गुणसागर मुनि महाराय, ग सु० // // मुनिने बांदी राजा कहे, सु राणी मुनिनेदेवोदान, ग सुविषयनी अन्तराय मानती, सु० कमवीतुंबी देश कीधो हेरान, ग सु० // 23 // कालधर्म पाम्यो मुनिवरु सु० राणीने काढी राय // ग सु० // सातमे दिन कोढ ऊपनो, मरी बनी नरकते जाय, ग सु० // 2 // नरकतीयंचना लवकर्या ॥सु० // श्म काल अनन्तो जाण ग सु० // श्रीजिनकृपाचन्प्रसूरि लणे // सु०॥तुमे न करो पाप सुजाण, ॥ग सु०२५॥ ॥ढाल चोथी॥ जिम 2 गिरिवर नेटियैरे तिम 2 पाप पुलाय सलुणा // एदेशी // ते राणीनव चक्रमारे, दुःख सह्या अनन्त, सलुणा तारापुरमाहे वसेरे, धनमित्रसेपमहन्त, // स // 26 // कर्म तणी गति जाणजोरे, कर्म करो नहिं कोय, स धनवती कूखे ऊपनीरे, बुगंधा नामहोय, स० // 27 // एक वणिकना पुत्रनेरे, परणावी सुरसाल, // स // पतिसंयोगे ऊबलीरे पुगंधता तत्काल, स० // 28 // त्रास पामीतेहनो धणीरे, परदेशे गयो नाश // स // ज्ञानि ने पूरे पितारे, फुगंधानो त्रास० // 25 // शानि पूर्वनवकहेरे, प्रतिकारपूखास, स०॥गुरु कहे रोहिणी तप करोरे, सातवरस सातमास, स० // 30 // रोहिणी नक्षत्रने