________________ (240) दिनेरे, चोविदारउपवास, स० // अम्पोहरी पोषध करोरे, वासुपूज्य पूजो खास, स५ ॥३१॥श्म रोहिणी तप आदरीरे, सेविविधि युत सार, स० ए ताहरी राणी अरे, रोहिणी नामे नार, स० // 32 // पूर्वलव रोहिणी तणोरे, हरखित थया सूणि तेह, स० // जिनकृपाचजसूरि सेवजोरे, धर्म धरि ससनेह, स० // 33 // ॥ढाल पांचमी। जश्ने कहजो झारा वालाजी रे ए देशी। राजा कहे मुनिराजने मारा वालाजीरे, रोहिणीतप विधिसार, गुणनिधिवंदिये, मा० तब मुनिवर तपविधिकहे, मा० चित्रसेनने रोहिणी नार, बिहुँ तप विधि सुणे, मा० // 34 // चन्ड रोहिणी दिन तपकरो, माग बारमा जिनवर सेव, करिये नावसु, मा० गुणनो करो गुरुमुख सुणी, मा० पांचसक्रस्तव देव, त्रिहुँ काल बांदिये, मा० // 35 // देवजुहारो देहरे, मा० प्रनुआगल वृदयशोक, करिये नावशुं मा नैवद्य नाना जांतिना, मा० प्रनुसन्मुख ढोवे थोक, चढते नावशुं, मा० // 36 // केशर चन्दन मृग मदा, मा पूजो प्रनु उन्चरङ्ग, नाना लांतशुं, मा० शाउमङ्गल प्रनु आगलै, मा० रचियें तन्मुल उजालचङ्ग, मुरित निवारणो // मा० // 37 // पुस्तकपूजो लावशुं, मा साधुसेवा करो सार, जवसागरतरो, मा देवो दान सुपात्र ने, मा० साहमीवत्सल अधिकार, करे मन रंगशुं॥ मा० // 30 // उजवणो कीजै नसो, मा० ज्ञानादिउपगरणकरे सार, नाना नातिना, मा० सत्तावीससंख्याकही मा० अथवा शक्ति तणे