________________ (241) अनुसार, धनखरचे घणो मा० // ३ए // ब्रह्मचर्य पालो मुदा मा० उत्सव विविधप्रकार, करिये उमङ्गसुं मा० शासण सोजवधारिने मा रथयात्रा सुखकार, चनविधसंघ मिली मा० // 40 // इणपरे रोहिणी विधि कही मा राजा राणी तीर्थकर पास, विधिसुं तपग्रहे मा० श्री जिन कृपाचन्मसूरि नणे मा० नव नव धर्म सेवो नवि खास, सर्वसुख संपजै मा० // 1 // // ढाल छठी॥ राग धन्यासरि , रोहिणी तप सेविने राजादिक, उजवणो कियो नावै, वासुपुज्य स्वामीने पास, दीक्षाथी चित्तलावैरे, नवि लावधरिने सेवो एतोसेविसिवसुख लेवो रे, नवि० // 42 // चीत्रसेनराय रोहिणीराणी, दीवालीधिगुणखाणी, आपुत्रे संजमलीनो, वरवासिवपटराणीरे नवि० // 43 // संजम सेवीने राजादिक, आतम तत्वनिहाली, तप तपिने कर्म क्ष्य कीनो, बुध्धर अणसण पालीरे नविण // 4 // केवलीयश्ने राजादिक सङ, सिद्धि वधूकरकाली, सादिअनंत स्थिति सुख पायो, वरती जगमें खुसालीरे // नवि०॥४५॥ मनमोहन महिमानो बागर, में थुणियो सिवगामी, जगणीसे श्वन्तरवरसे, वीरजन्म अनिरामीरे // नवि० // 46 // आदीसर जिनवर सुपसाय, काबुवा नगरे अधिकारी, श्रीजिनकृपाचन्त्रसूरि सेवो, जिनशाशन जयकारीरे नवि० // 7 // ॥इति रोहिणीस्तवन बढालियो / बृ० स्त०१६