________________ (230) ढाल दुसरी॥ देशी यतनी- तब राजाकहे सुणराणी, मदमांहीघणी जराणी, ए पुत्रमरे गलराणी, रोवे नेत्र नरापी, सलूणी बोलबिचारीबोलो एतो सहु जगने सम तोलो, सलूणी बो० // 15 // जब वीते तब जो कीजै, इमकहीने राजाखीजे, खोलेथी हाथमालीजे, खे कुंवरने नीचो नाखीजे सलूणी बो० // 13 // तब रोहिणी हसती बोले बालक किम नीचे होले, राजा मनमा मुख मोले, रोवे अति चिन्ता गेले, // सलूणीबो० // 15 // पमतो सुत सासणदेवे, सुकोमल हाथे लेवे, सिंहासन ऊपर सेवे, नाटक करि लुबना लेवे, सलूणी बो० // 15 // ए अचरिज सहुजन निरखे, राजाराणीमनहरखे, विस्मयलहि नरपति सरखे; सुत पूरबपुण्यने परखे, सलूणी बो० // 16 // राजा इण परि विचारे, कोई हानि गुरुपानधारे, तो एहसंदेह निवारे, जिन कृपाचप्रसूरि सुखसारे, // 17 // // ढाल तीजी // ।रंग रसीया रंग रसवन्यो मनमोहनजी ए देशी। - इकदिन ज्ञानि पधारिया, सुणो सुगुणाजी, वासुपूज्य स्वामीना अणगार, गवपतिश्राव्यारे सुणो सुगुणाजी, रूपकुंज स्वर्णकूलजी, सु० चउनाणीकरे उपगार, गढ० // 10 // राजा. दिक वंदन गया, सु० देसनादीधी उदार, ग० करजोमी राजा नणे, सु० रोहिणीनो अधिकार, गसु० // 15 // मुझमनश्रचरज अतिघणो सु कृपाकरी कहो सुविचार गठसु० पूरवः