________________ (376) कधर्मसेवीने, एतोजिनपूजादिलधारीहे, मा० पर्व // 6 // जिनदरशन अधिकारमे, एतो भारप्रकुमर अधिकारी है, मा० दरसनफरसनयोगसें, एतो चरण करणगुणधारी हे मा० प०॥ 7 // अमारीपमह वजमावीय, एतो आउदिवस मनुहारी है, मा० जिनकृपाचंसूरि नणे, एतो पर्व सेवोश्कतारी हे, मा० प० // // इति अगहि सझायसं० // ॥ज्ञानादिक गुण संपदारे ए देशी॥ पर्व पजुषणावीयारे, सर्वजीवने सुखकार, पूरव पुन्य, पसाउलेरे, लह्यो मानव अवतार, सुज्ञानी सेवज्योरे, सेवज्यो पर्व प्रधान, सुझा० // 1 // चैत्यजुहारी लावधीरे, देववंदन दिलधार, व्यत्नाव पूजा करोरे, यथाशक्ति निरधार, सुज्ञान // // चनत्थ अक्षम करोरे, पदखमण वलि मास, उपवास करो शुत्न लावधीरे, लहो अक्षय सुखवास, सुझा // 3 // दानदेवो सुपात्रनेरे, सीयलपालो, मनरंग, कर्मय कारण कह्योरे, तप उत्तम विधि संग, सुझा० // 4 // ज्ञान नक्ति करवा नणीरे, कटपसूत्र पधराय, रात्रि जागो रंगधीरे, धवलमंगल, बरताय, सुझा० // 5 // वरघोसमां संघमलीरे, हय गयरहवर साथ, चऊविह वाजिन वाजतारे, आपो सुगुरूने हाथ, सुझा० // 6 // सुर्यजशा जिम तप करोरे, जिन आणा दिलधार, कल्पसूत्र सुणो इकमनारे, पूजा प्रजावना सार, सुझा० // 7 // नव श्यारे तेरे सुणोरे, वाचना श्रुत अनुसार, जिनकृपाचंदसूरि सदारे, जव जव धर्म आधार, सुझा० // // इति पजुषण सझायसं० //