________________ (101) उद्यमश्री ऊंचीचढेए / जोवो एकेंजियबेलतो // 43 // उद्यमकरतां इकसमेंए / जेह न सीके काजतो। तेफिर उद्यमश्रीदुवेए / जोनविआवेवाजतो // 45 // उद्यमकरि ऊस्यांविनाए। नविरंधाये अन्नतो / आव न पड़े कोलीयोए। मुखमांखेपेजतन्नतो // 45 // कर्मपूत उद्यमपिताए / उद्यमकीधा कर्मतो। उद्यमयी दूरेटलेए / जोकर्मनोमर्मतो // 46 // दृढप्रहारी हत्या करीए / कीधापाप अनंततो / उद्यमथी षट्मासमाए / आपथया अरिहंततो // 47 // टीपेटीपे सरवरनरेए / काकरे काकरे पालतो / गिरिजेहवा गढनीपजे ए / उद्यम सक्तिनिहालतो // 4 // उद्यमश्री जलबिंऽर्चए / करे पाहाणमांगमतो। उद्यमथी विद्यानणेए / उद्यमजोमे दामतो ॥४ए॥ // ढाल // 6 // एछिंडीकिहांराखी ए देशी॥ ॥एपांचेही वादकरता / श्रीजिनचरणेआवे / अमीयरसे जिनवयणसुणीनें / आणंद अंगनमावेरे // 20 // प्राणी // समकितमति मनश्राणो रे / नय एकांत मताणोरे / ते मिथ्या मतजाणोरे / आंकणी // एपांचे समुदायमित्यांविण / कोईकारज नसीके / अंगुलीजोगे कवलतणीपर / जेबूजे तेरीफेरे // 51 // प्राणी // आग्रहआणीकोईएकनें एहमां दियेबमाई / पिणसेनमिल सकलरणांगण / जीते सुनटलमारे // // प्रा० // तंतुसनावे पटनपजावे / कालक्रमें वणाई। नवितव्यता होय ते नीपजे / नहींतो विघनघणाई रे // 23 // प्राणीस० // तंतुवाय उद्यमनोक्तादिक / जाग्य सबल सहकारी / एपांचे मिलसकलपदारथ / उत्पत् जोवो विचारीरे // 54 // प्रा० // निय.