________________ (३ए५) नेमि संख फणि पार्श्वने, वीर सिंह कहाय, कृपाचंड ध्वज युतनमुं, चनवीसे जिनराय // 5 // // इति चतुर्विंशतिजिनलाउन चैत्यवंदनं संपूर्णम् // ॥पूनिमनो चैत्यवंदनं // श्रीजिनसासन जगजयो, पर्व सिरोमणिजाण, पूनिमपर्व मोटो कह्यो, त्रिकरणशुचिमन आण // 1 // श्रावणसुदि पूनिमचव्या, मुनिसुव्रत जगदीश आसोजीपूनिमचव्या, नमित्रिहुँ जगनाईश // // मिगसरपूनिम संजव, संयमलीधोसार, पौषी धर्म जिनेसरु, केवल ज्ञाननदार // 3 // चैत्री श्री पद्मप्रनु, केवल ज्ञान प्रधान, श्म पूनिममांजाणीये, कल्याणक सुखकार // 4 // दशवीशत्रीश चालीशनी, पंचाश पूजासार, फलअक्षत नैवेद्यनी, पूजा विविध प्रकार // 5 // चैत्रीसेजसेविये, जात्रा करी मनरंग, तिमकार्तिकी आराधिने, करो सद्गुरुनोसंग // 6 // बारहपूनिम आराधियेए, श्रीयुगादिजिनदेव, जिनकृपाचंजसूरि सदा, सुरनरसारेसेव // 7 // ॥इति पूनिम चैत्यवंदन संपूर्ण // ॥सोलम जिनवर सेविये, शांतिनाथ सुखकार, अचिराजदरे ऊपना, जाज्ववदिसातमसार // 1 // जेठवदितेरसप्रनु, जनम्या जगतदयाळ, मारिनिवारणथी अयो, शांतिनाम सुरसाल // 2 // चक्रिपद पाम्यो प्रनु, चदशसंजमलीध, पौषसुदि नवमी दिने, केवल सर्व प्रसीध // 3 // जनमदिवस प्रनु पामीयो, सिवसुख परमपवित्र, लाख वरसनो आउखो, सुणोश्री सांतिचरित्र // 4 // मृगलांउन सेवितसदा, गरुमय