________________ (३ए६) श्रनिराम, जिनकृपाचंजसूरि सेवितां, निर्वाणी पूरेकाम // 5 // ॥इति सांतिनाथजी चैत्यवंदन // ॥वामानंदनपासजी, अश्वसेनकुलचंद, नीववरणशुचि देहमी, सेवे सुरनर इंद // 1 // चैत्रवदि चोथ ऊपना, माता कूखे स्याम, पोषदशमी जनम्या प्रनु, त्रिनुवन जन विसराम // 2 // ग्यारस दीक्षा ग्रही, कमठ हरावी ईश, चैत्रकृष्ननी चोथने, केवल वह्यो जगीश // 3 // संघथापीने जगगुरु, विचर्या देशविदेश, वाणारसी नगरी थया, चनकट्याण विशेष // 4 // आषाढसित आग्मे, सिवबधु काट्यो हाथ, जिनकृपाचंदसूरिसदा, सेवो जगना नाथ // 5 // ॥इति पारसनाथ चैत्यवंदन // वीर जिनेसर जगधणी, त्रिशलानो जायो आषाढशुदिषती अनु, देवानंदा उदरे आयो // 1 // आश्विनवदि त्रयोदशी, हरणेगमेषी ईश, त्रिशला उदरे संक्रम्या, चवदे स्वप्न बहीश // 2 // चैत्रशुक्ल त्रयोदशी, जन्म थयो सुखकार, चौसठ इंच आव्या तिहां, स्नात्रकरे विधिसार // 3 // वर्धमान नाम थापीयो, बृद्धितणे अनुमान, मिगसरवदि दशमीलीयो, संजम सुखनी खान // 4 // वैशाख सुदि दशमी दिने, केवल पाम्यो सार, पावापुरी मुगते गया, दीवाली सुखकार // 5 // श्मकस्याणक प्रजुतणा आराधे नरनार / जिनकृपाचं सूरि कहे, पामे नवनो पार // 6 // // इति श्री महावीर स्वामी चैत्यवंदनं //