________________ (337) घणं रुलेसंसार // 4 // मूकी देहतणा सुखवास / सहेपरीसहबारेमास / तपें करिने जेणेजसलिछ / वंदनीक ते त्रिनुवनसिद्ध // 5 // एक संयमने बीजीदमा / शत्रुमित्र जेहनेबेढुंसमा / दृष्टिरागर्ने तरीऊतरी / ते जाशे नवसायरतरी // 6 // एकआपणुं करीमनगम / लणे गुणे सिद्धांतप्रमाण / सजुरुनो उपदेश आचार / जोइ समजो हैयेविचार // 7 // एकपहेरे मुनिवरनोवेश / पण साचो न दीये उपदेश / जेह उत्थापे जिनवरवयण / तेहने किहां हियानानयण // 7 // घरमूकीने श्रयामहातमा / ममता जश् लागाआतमा / महारुमहारं एम कहेघणुं / तेह मूरखवचनतापणुं // ए॥ एकतजी दीसे इस्या / लोलेशिष्यकरे अणकस्या / पंचमहाव्रतकहे जच्चरे / उपशमरस ते कहो किमरे // 10 // श्राधाकर्मी वहोरेघणुं / धर्मविगोवे जिनवरतणो / यंत्र तंत्र मूली करी करी। चूरण आपे घरघरफरी // 11 // कुगुरु तणाजाणी अहिनाण / सेवा न करे जे होयेजाण / जिनवाणी सांजलीयें इसी / सोनुं गुरु बे लीजेंकसी // 12 // सोनाश्रीहोय एक नवहांण / कुगुरुकरे नवन वनीहांण / सोने घागपणते मले / कुगुरु पसायें नवजवरले // 13 // सर्पमसेंदुवे जवनोअंत / कुगुरु करे संसारअनंत / एमजाणी वली लीजे साप / कुगुरुनमि नवि बोलिये आप // 15 // एकवहे जिनवरनीआण / वैरवहे तिहां एकअजाण। एहशापणा नहींगुरुएम / बोलीलीये वदंतुंतेम // 15 // एकजणे महारा गुरुदेव / मेंकरवी एहिजनीसेव / परतणास्वामीने मान / अवरपक्ने देअपमान // 16 // एकसगाजाणी माहा बृ० स्त०२२