________________ (१४ए) सुदिबीजेचव्यारे / सुमतिनाथदयालरे / नमोरेनमो जिनचंचनेरे // 1 // माघमासनीउजलीरे / बीजदिवसमांजाणरे / अभिनंदनजनम्याप्ररे / त्रिहूंजगनामहिराणरे // नमो॥॥ एहिजतिथीवासपूज्यजीरे / पाम्योकेवलज्ञानरे / फागुणसुदि. बीज जाणीयेजी। धरनाथ चवणसुजाणरे // नमो // 3 // समेतशिखरपरसिववस्वारे / शीतलजिनवरनागरे / चेतवदिबीज सुंदररे / अविचलसुख मनाणरे // नमो० // 4 // श्मकट्याणक इणतिथीरे / कालअनंतेहोयरे / अनंतकट्याणक जाणजोरे / एह आगमविधिजोयरे // नमो० // 5 // तपपूरण हूंवां थकारे / उजमणोसुविवेकरे / रत्नत्रयी आराधवारे / धनखरचो बहुकरे // नमो // 6 // सीमंधरादि जिनवरारे विहरमाणजिनवीसरे / मनमंदिरमांथावजोरे / कृपाचं सूरीशरे // नमो० // 7 // इतिबीजनो वृध्वस्तवन संपूर्णम् // // अथ आठमनो वृद्धस्तवनं लिख्यते // दुहा // वर्षमानजिनवरनमुं। समरिसारदमाय / अष्टमी तपविधिवरणदुं / आगमयुतसंप्रदाय // 1 // आउमतिथी अराधवा / भाखेत्रिजगजाण // विधिसेतितपकीजिये / पामे उत्तमनाण // 3 // // ढाल 1 ली शंभवजिनवरवीनती // एदेशी॥ आपमतप आराधिये / अष्टमीगतिदातारोरे // प्रवचनमाताआग्ने / पालो निसदिनसारोरे // आग्म // 1 // अष्टसिद्धिकारक सदा / बाग्मतपउजमंतारे // सामायक पोसहकरि / पर्वतिथीसेवंतारे // आ॥२॥पर्वतिथीमां बंधाय। प्रायें