________________ नवपारोरे // 6 // विधिया पण मानेनहि। / (150) परलवायुरे // तिणकारणतिथीतपकरो / आगममांहि गवायुरे // श्रा० // 3 // बृहदावश्यकवृत्तिमा / हरिजपसूरिबोलेरे॥ तिमचूर्णिलघुवृत्तिमा / योगशास्त्रमांखोलेरे // 4 // नवपदप्रकरणवृत्तिमां। दिनकृत्यदेवेंप्रसूरिरे॥विधिप्रपा पंचाशकवलि / श्म अधिकारनूरिरे ॥श्रा० // 5 // सामायक पहिलाकह्यो। पागल इरियानो पारे // जाणेपण मानेनहिं। एहकर्मनो गवरे // श्रा०॥६॥ विधियी सामायककरो / जिमपामो जवपारोरे // अविधियीकिरियाकरि / नविछूटे नवनो खारोरे // श्रा० // 7 // // ढाल 2 जी // यतनी // परवतिथीये पोषधकरिये / शुधवागमनेअनुसरिये / वली श्रापकर्मनेहरिये / सलूणा नावानलेवाराधो / एतो आराधि सिवसुखसाधो / सलूणा आवमतिथी आराधो॥१॥श्राम दोय चउदसकहिये / अमावस पूनिमलहिये। एह अतिथीचारित्रवहिये // सपना॥॥॥वती कल्याणकतिथीजाणो। पजुषणमनमांश्राणो। इत्यादिकपर्वपिनगणो // स ॥ला // // 3 // बीजेअंगे पांचमेअंगे / उपाशकदशासुखसंगे। श्रावश्यकटीकाउमंगे // स० // ना // 4 // इत्यादिकागमसाखे। परवतिथीये पोषधलाखे / विधियुतकरतां फलचाखे // स० // नाम् // 5 // जे नित्यपोषधने ताणे / श्रागमविधि ते नबिजाणे / हरिल वचनपरमाणे // स० // ना०॥६॥ // दाल 3 जी // जइने कहेजो माराबालाजीरे // एदेशी // श्राम परवतिथीकही / माराबालाजीरे / आराधो गुण