________________ (17) गायाजिनगुणगान // नवि० // 5 // इति श्री 12 मा वासुपूज्य जगवाननो स्तवनं संपूर्णम् // // अथ बीजनोवृद्ध स्तवनं लिख्यते // // दूहा // वर्द्धमानजिनवंदिये त्रिशलानंदनदेव / सिंह खंउनसेवितसदा / सुरपतिसारेसेव // 1 // जन्मसमेथीजगगुरु / अतुलवलीवमवीर / तपउत्तमविधियुतकह्यो जलनिधिजिमगंजीर // 2 // ढाल 1 ली // कृपानाथ मुजवीनतिअवधार ॥ए देशी॥ धर्मकरो जिनराजनोजी। आणी उबटनाव, दोयनेदे श्राराधतांजी।पामो आतम स्वजाव / नविकजन सेवो श्रीजिनवाणि निजगुणमणिनीखाण // ज०॥१॥तिथीभाराधनफलतणोजी। शास्त्रमांहे अधिकार, बीजभाराधोनविजनाजी। तपकरिया विधिसार // न० // // दोयमासलघुदूजनेजी।जावजीवउत्कृष्ट, दोपवरस दोयमासमांजी। करोबीजसुजष्ट ल० // 3 // पमिकमणादोय टंकनाजी / देववंदननिरधार, विधिसेतीफलनीपजेजी / पामेजवनो पार // 0 // 5 // बीजदिवसनो सहुजुवेजी। चंयोदयसुप्रसिद्ध / वधतिकलातिमजाणबोजी / धर्मथी वंगितसिद्ध // ज० // 5 // सुविधधर्म जिनघरकह्योजी। देशने सर्वविरत्त / धर्मशुक्ल दोयध्यानमांजी। होवेसदा निरत्त // // 6 // अर्थप्रकाशे जिनवरूजी। सूत्ररचे गणधार / बिहूं सेवे वाचंयमीजी / बादसशंगविचार // ज०॥७॥ // ढाल 2 जी // नमोरे नमो सेजेज गिरिरे // एदेशी॥ बीजदिवसमां जाणीयेरे / कट्याणक सुविशालरे / श्रावण