________________ (147) पारउतारो / श्रीहश्रणापुरमंमणसोहे। तिहां जिनशांतिसदा मनमोहे // 20 // पद्मसुरिगुरूराजपसाये, श्रीगुणसागरकेमननाये / जेनरनारि कचितगावे, मनवंचितफल निश्चैपावे॥२१॥ इति श्रीशांतिजिनवृवस्तवनं संपूर्णम् // // अथ श्री 12 मा वासुपूज्य भगवाननो स्तवनं लिख्यते // ॥वीरजीआयारे चंपावनकेमेदान // ए देशी // नवियण ध्यावोरे / वासुपूज्य गुणखाण, वंचितपावोरे। जिनवरचतुरसुजाण // ज० ॥ए आंकणी // अंगदेशचंपानयरिसोहंत / जयदेवीनाजातकहंत, वसुपुज्यराजाकुलदीवंत / चउदेसुप. नारे देखेमातसुजाण / गर्नमांधेरेपूज्या जिनवर जाण // 0 // // 1 // एहथी वासुपूज्यदियोनाम / मातापितानावितकाम, सहुजनगावेगुणअनिराम / योवनवयमारे संयमलीनोसुजाण / चारित्रपालिरे पाम्योकेवलनाण // नवि० // 2 // संघचतुरविधथाप्यो मुनीश, नविजनतास्या विचरिजगीश / बोधबीजविस्तारिश / चंपापुरिश्राव्यारे / कीघोषणशणजाण / मुक्तिपदपायारे / सासनकेसुलतान // भवि० // 3 // देरासरत्रण नूमि मनुहार / नुयरेमांआदिनाथजुहार / मध्यमांबारमजिनसुखकार / ऊपरमजलेरे शीतलजिनवरजाण / नमिजिनस्वा. मीरे पारसनाथकहाण // नवि० // 4 // मूलनायकबारमजिनचंद / बिंबावलीसोहेअतिचंग / वुहारि नगरमा अतिउरंग, कृपाचं सूरिरे। चउमासोकीनोजाण / जगणीसे चमोत्तरेरे /