________________ (146) सदासुखदायक / तजीपरिग्रह नएजगनायक, नामअतीतसर्वेविधलायक // // शत्रुमित्रसमचित्तगुणिजे, नामदेव अरिहंत जणीजे / सयलजीव हितवंतकहीजे, सेवक जाण महापददीजे // ए // सायरजेसा होय गंजीरा, दूषणनहिं इकमाहिं सरीरा, मेरुअचल जिम अंतरजामी, पिणनरहे प्रनुएकणगंमी // 10 // लोककहे प्रभुजी सबदेखे, पिणसुपनोकबहु नविपेखे / रीसविना बावीसपरीसह, सैन्याजीती जगदीसह // 11 // मानविनाजग आंणमनावे, मायाविनासबसुं मनलावे / खोजविना गुणरासग्रहीजे, निकुनये त्रिगमोसेविजे // 1 // निग्रंथपणेसिरत्रधरावे, नामजतिपिणचमरदुलावे / अजयदान दातासुखकारण, आगेचक्रचले अरिदारण // 13 // श्रीजिनराजदयालजणीजे, कर्म सबीको मूलखणीजे / चौविहसंघ जे तीरथथापे, खलीघणीदेखी नविश्रापे // 14 // विनयवंतजगवंतकहावे, नाकिसहीकू सीसनमावे / अकिंचनकोबिरुदधरावे, पिण सोवन पंकजपगगवे // 15 // तजिआरंन निजआतमध्यावे, शिवरमणीकुं साथचलावे, रागनहीं सेवगपिणतारे, वेषनहीं निगुणासंगवारे // 16 // तेरीमहिमाअदनुत कहिये, तेरेगुणांको पारनलहिये / तुंप्रनुसमरथसाहिब मोरा, हुँ मनमोहन सेवकतोरा // 17 // तूंत्रिहुंलोकतणो प्रतिपाला। मेहूंअनाथ तूं दीनदयाला / तुं सरणागतराखणधीरा, तुंप्रनु चढ्योसवायो। करजोमीप्रनु वीनq तोसुं / करोकृपा जिनवरजीमोसुं // 15 // जनममरणनिवारोतारो / नवसागरथी