________________ (305) एसंसार // नेहतुमारोजांणियोजी, जो व्यो संयमन्नाररे नारी // संय० // 14 // रथसिविका तब समीकरीजी, कुंवरधारणीमाय ॥श्रेणिकरायनचवकरैजी, चारित्रलियो रिषिरायरे जाया। सं० // 15 // श्मजाणीवैरागियौजी, वरजैजेनरनारि // करजोमी पूनोलणेजी, ते तरस्यैसंसारहे मा० // 10 // 16 // इति मेघकुमार सि // // अथ असिज्झाई निर्णय सज्झाय // श्रावणकातीमिगसरमास, पहिलीपमवा तीनविमास // चौश्रीपमवा वदिवैशाख, च्यारपुहर असिकाइलाख // 1 // जांलगिधूलीऊमेवार, धुंवरपमतीहुवै जिवार // जां परचक्रनो नयनविजाय, तांलग असिज्जाईकहिवाय // 2 // धूलवृष्टि ने केसपाखांण, वरसैतालग असिज्काईजाण // जैमलमांहोमांहिजाम, तांलग असिन्काईतिणगंम // 3 // नूपति परजवपोहतोहोय, जांलग पाटनबसेको // तांलग वोलीने असिकाइ, सहुकोसरदहज्यो मनमांहि // 4 // उलकापात अने दिगदाह, एकपोहर असिज्काईथाय // निबल मेह तिम जाणोसही, आठपहोरसबलजलकही // 5 // चैत्रसुदिपांचमदिनथकी, पमिवालग असिफाश्वकी // पमिवाबीजतीजचांदणी, समीसांज असिकाईगिणी // 6 // आजानक्षत्र न लागैजांम, गाज. वीजसिकाश्ताम // गाजवीजजोहुवेअकाल, असिज्जाश्वेपुहरसंन्नाल ॥७॥चंऽग्रहणअसिज्माईलणी, बारह पोहर उत्कृष्टीगिणी // जघन्य प्रकार आविचार, सूर्यग्रहण पोहर जघन्यैबार // // सोलप्रहरउत्कृष्टीकही, सुगुरुमुखै नवियणसर बृ० स्त० 20