________________ (14) लावधरिने, सुणज्योमनथिरलायजी // जय० // 13 // खरतरगन्नपतिमहिमाधारी, कीर्तिजगविख्यातजी, जयश्रीजिनसौजाग्यसूरीश्वर, अमृतवचनसुगातजी // ज० // 14 // तासुपसायेरासरच्योए, अमृतसमुत्रनेसीसजी, बालचंधनिजमति. अनुसारे, सोधोविबुधजगीशजी ज० // 15 // संवतजगणीसैसतमोतरे, (1907) सुदिबैशाखसुढालजी, राशअजीमगं. जमांहिकीनो, नणतामंगलमालजी // जय० // 16 // // इति श्री सिखरजीको राश संपूर्णम् / सर्वगाथा 201 // . ॥अथ मुनिमालिका // ऋषनप्रमुख जिणपाययुगपणमुं, शिवसुखदायकमनहनवास, पुंगरी कश्रीगौतमश्रादिक, गणधरगुरुमनकमलविकास // 1 // प्रहसमेसूधासाधुनमुंनित, जावेश्रमणसुगुरुजगवंत, नामग्रहणकरिपापपखालूं। परमानंदसुमति विकसंत // ॥जरतमहामुनिप्रथमचक्कीसर, बाहूबलीउपसममार, सूरयसादिक. श्रामुनीसर, पाम्या विमलाचलनवपार ॥३॥प्र०॥ रिष. जवंसजेअनुक्रमहुवा, मुनिवरकोमीलाखअसंख, श्रीसेनुंजैशिवपुरसीधा, कलमलकालकमुकीसंक // 4 // 0 // सगरप्रमुखनिरुपमनवचक्रवर्ति, साधुमहाबलसंयमसींह, अचलादिकबलदेवश्रष्टमुनि, रामरिषीसरनवमश्रबीह॥५॥॥ श्रीप्रतिबुद्धिपमुहम्हसुंदर,श्रीमद्विनाथपूरवनवमित्र,पहुतापरमयतीसर शिवपुर, पालीश्रीजिनाणपवित्र // 6 // प्र० // बंधु 'विष्णुकुमारखबधिनिधि, खंदगसूरिनासीससयपंच, कार्तिकसेठसुसाधुकीर्तिधर, श्रमणसुकोसलब्रतनिरबंच // 7 // प्र० //