________________ (14) पिये // 6 // मो० // मोतीकोहो जोपहस्यो हारकि / चिरमपि कुण पहिरे हीये / जसु गांठे हो लाख कोमि गरत्थ कि / व्याज काढी दाम कुण लीये // 7 // मो० // घरमांहें हो जो प्रगट्यो निधान तो / देसदेसांतर कुणनमें / सोना नोहो जो पोरसो सीधतो / धातुरवादी कुण धमें // 7 // मो० // जिण कीधो हो जवहरव्यापार कि / मणिहारी मन किम गमें / जिण कीधो हो सदा हाल हुकम्म कि / ते तूंकारो किम खमें // ए॥ मो० // तूं साहिब हो मोरो जीवन प्राण कि / ढुं सेवक प्रनु ताहरो / मुझ जीवत हो आज जनम प्रमाण कि।जव मुख नागो माहरो // 10 // मो० // तुफ मूर्ति होदेखंता प्राय कि / समवसरण मुफ संजरे। जिन प्रतिमा हो जिन सरिखी जाण कि / मूरख जे सांसो करे॥११॥मो॥तुह्म दरसण हो मुफ आणंद पूर कि।जिम जग चंद चकोरमा, तुह्म नामें हो मोरा पाप पुलायकी। जिम दिन नगे चोरमा // 12 // मो० // तुह्म दरसण हो मुफ मन उरंग कि / मेह आगम जिम मोरमा। तुह्म नामें हो सुख संपत्ति थाय कि / मन वंछित फल मोरमा॥१३॥मोडं मांगुं हो हिव अविहम प्रेम कि।नित नित करूं निहोरमा / मुक देज्यो हो स्वामी नव जव सेवकि / चरण न तोरमा // 14 // मो० // कलश // इम अमरसरपुर संघसुखकर मातनंदा नंदनो / सकलाप शीतलनाथ स्वामी सकल जन श्रानंदनो। श्रीवनलंग्न वरणकंचन रूपसुंदर सोह ए / एतवन कीधो समयसुंदर सुणितजनमनमोह ए // 15 // * // इति श्री शीतलनाथजिनस्तवनम् // * //