________________ (23) . गुण संसारक सम्मत्त कम्म सयमेव // 4 // खरतरगच नट्टारक श्रीजिनलाजसूरिद / रत्नराजमुनि सीस तेहना पद अरविंद / रजमकरंदें लीयो ग्यानसार तसुसीस / तेण स्तव्या चौवीसदार दमक चौवीस // 25 // संवत शशिरसवारणतेम चंद निरधार / पोष मास पखऊजल सातमनें सोमवार / श्रावक आग्रहथी एकीनो अट्पविचार / अच्मचौमासो कर जैपुर नगर मकार ॥२६॥इति श्री चतुर्विंशतिदंमकस्तवनं संपूर्ण // 4 // // अथ श्री शीतलनाथ स्वामीनो स्तवनं लि०॥ मोरा साहिबहो श्रीशीतलनाथ कि / वीनतीसुणो इक मोरमी / मुखलांजेहो जगदीनदयालकि / बातसुणी में तोरमी // 1 // मो० // तिण तोरे हो हुँ आयो पास कि / मुझमन श्रास्या 3 घणी करजोमीहो कहुँ मननी बातकि / तुं सुणिजे त्रिनुवनधणी // 2 // मो० // हुँ नमियो हो जवसमुघमकारकि / उरकअनंता में सह्या / ते जाणे हो तुंहीज जिनराज कि / में किमजायें ते कह्या // 3 // मो० // नागजोगे हो तोरो श्रीनगवंत कि / दरसन नयणे निरखियो / मन मान्यो हो मोरे तुं अरिहंत कि / हियमो हे जे हरखियो॥४॥ मो० // एकनिश्चे हो में कीधो आज कि / तुज विण देव बीजो नहीं / चिंतामणि हो जो पायो रतन्नं कि / काच ग्रहै कहो कुण सही // मो० // 5 // पंचामृत हो जिण नोजन कीध कि / खल खायवा मन किम भीये / कंठतांश हो जो अमृत पीधतो / खारो जल कहो कुए