________________ // अथ 84 आसातनास्तवनं लि०॥ // ढाल // विलसै शधिनी // जय जय जिणपास जगत्र धण।। सोना ताहरी संसार सुणी / यो हुँ पिण धर आस घणी। करिवा सेवा तुम चरण तणी // 1 // धन धन जे न पके जंजाले / उपयोग सुं बैसै जिन आले / आसातना चपरासी टाले / सास्वता सुख तेहीज संजाले // 2 // जे नाखे श्लेखम जिनहरमें / कलहकरे गाली जूयरमें / धनुषादिकला सीखण इके / कुरलो तंबोल जखे थूके // 3 // सुरे वायवमी लघुनीत तणी / संज्ञा कुंगुलिया दोष सुणी / नख केस समारण रुधिर क्रिया / चांदीनी नाखे चांबमिया // 4 // दांतापने वमन पीये कावो / खावे धाणी फुली खावो / सूबे वेसामण विसरावे / अज गज पशुने दामण दावे // 5 // सिर नासा कान दसन आखे / नख गाल वपुषना मल नाखे / मिलणो लेखो करे मंत्रणो / विहचण अपणो करि धन धरणो // 6 // वेसे पग ऊपरि पग चढियां / थापे गंणा मे दृढणीयां / सूकवे कप्पम पप्पम वनियां। नासीय छिपे नृप जय पमियां // 7 // शोके रोवे विकथाज कहै / इहां संख्या बेतालीस खहै / हथियार घमेने पशु बांधे / तापें नांणों परखे रांधे॥॥ जांजी निसही जिनगृहपेसे / धरे उत्रनें मंझप में बेसे / पहिरे वस्त्र अनें पनही / चामर वीऊँ मनगम नहीं // ए॥ तनु तेल सचित्त फल फूल लीये / जूषण तजि आप कुरूप श्रीये / दरसणथी सिर अंजलि न धरे / इगसामे उत्तरा संग न करे // 10 // ग्रेगोसिरपेचमोमजोमे / दमियेरमनें