________________ (143) वदिसप्तमी रविदिने हितवनकथनधरजूरए / गुरु खरतरांबर तरणि सनिल जैनचंप्रसनुरए, एतवनकीधोजीमगंजे श्रमण चंदकपूरए // 11 // इतिश्रीसत्तरसोजिनस्तवनं संपूर्णम् // .. // अथ कम्मपयडीस्तवनं // // उहा // सेनामाता जितारिसुत, श्रीसंजवजिनराज // मूलकरम उत्तरपगइ, हणीचंढेसिवपाज // 1 // अष्टकरमकुं क्षयकरी, गुणअष्टकनिष्पन्न // सादिअनंत स्थिति सही, चिदानंदचिदघन्न // 2 // तासुचरणप्रणमीकरी कम्म पयमिविस्तार // वरणू नविजनहितनणी, प्रवचननेअनुसार // 3 // ढाल रामचंजकेबाग ए देशी // अष्टकर्म तीर्थेश, नांमे जिन्नकह्यारी // हेयवस्तुपरित्यज्य, आतमगुणग्रह्यारी // 1 // नाणदंशणावर्ण वैदनीमोहबूरोरी। आउखो नाम गोत्र, कर्मातरायचूरोरी॥२॥ ज्ञानावरण कर्म, दर्शना वर्णतणोरी / वेदनीय अंतराय, तीसकोमाकोसी नणोरी // 3 // नामकर्म गोत्रकर्म वीशकोमाकोमीहवेरी आयु सागरतेतीस हिव मोहनीयथुवेरी // 4 // सत्तीरी कोमाकोमी, सागर माननएयोरी ॥ए उत्कृष्टस्थितिजोम, केवलीकाल गण्योरी // ५॥जघन्य स्थितिपंचकर्म, अंतरमुहुर्तपणोरी // नामगोत्रदोयकर्म आठमुहुर्तगणोरी // 6 // अकषायवेदनीवर्ण्य, वेदनीकर्मवदेरी ।बारेमुहुर्त मांन, शास्त्रानुसारमुदैरी // 7 // नाणावरण अंतराय, पंचपंचनेदजुदारी / वेदनीयगोत्रकर्मदोदोजेदउदारी॥॥दर्शनावरण नवनेद,आयुच्यारविधेरी। मोहकर्म अमवीस, सौत्रिकनामसधेरी // ए॥ एकसो अवेन्न