________________ (155) धारो गणित अनुक्रमें, षष्टयुत्तरशतहींस // 7 // एहसाढाइछीपना विजयतणोपरिमाण / कालचतुर्थ तिहांसदा, नाष्योश्रीजिनजाण // 7 // जिणतीर्थकरवारके, विचर्याजेजिनराय / तेहूं प्रति विजयेन), आगमसुं चितलाय // ए // (ढाल पारणेकी)॥ तिणकाले ने तिणसमेजी, तीर्थकरमहाराज ।अजितजिनेसरराजताजी, तारणतरणजिहाज / नविकजन धारज्योधर्मसनेह // टेर // 1 // अतिशयचौतीस संजुभाजी, वाणी गुणतीस // लोकालोकप्रकाशताजी, प्रणमतनरसुरईस ॥ल // 2 // एहवाश्रीजिनवारकेजी, एकसोसाजिनंद / बिचर्या महियल बोधताजी विजय मकार सजंद॥ज॥३॥पंच पंचनरतैरवसैंजी, दशमित श्रीजिनराय // विचरैजगजनतारताजी, समोसंपतिथाय ॥न // 4 // एसत्तरसोजिनवरुजी, अतुलसकलगुण खांण। श्यामवरणसोलेकह्याजी,अकलकलाद्युतिवांन ॥न॥५॥ रक्ताकृति त्रिंशतकह्याजी, नीलवरणवसुतीस, रविजिमकलहसनाधरुजी कनकवरणउत्तीस // // 6 // रजतमुक्तवय जलकणाजी, समसितावमलप्रकाश / नविक चकोरप्रमोदताजी, शशिजिमजिनपच्चास // ज०॥७॥प्रतिजिन व्रत उपवासथीजी, वीसप्रमितजपमाल / त्यक्त कषाय शुनातमांजी, धरिये नावविशाल // न // 7 // श्म एतप पूरणहुयांजी, उजमणे निजशक्ति। कीजे श्रीजिन शाशनेजी,संघसहूनीनक्ति // न // ए॥ एतपविधि जवि जे करेजी, प्रेमसहितजिनधर्म / साधनगुणअनुमोदताजी, तेलहे दिव शिवशर्म // ज० // 10 // कलश // संवत मुनिसर लोक नारद चंग ज्येष्ट (1937) पमुरए,