________________ (320) कहायरे / मारगमेंशांबोमियो // म्हांकी - // सुंदरफलफूलपानरे // 3 // कोयलकरे टहुकमा // म्हाकी // मांजररही महकायरे / राजा इक मांजरग्रही // म्हाकी ॥तिम मंत्रीप्रधानरे // 4 // वलतो राजा ते बढ्यो // म्हांकी० // वृक्ष दीगेवीगयरे / शोलासघलीकारमी // म्हांकी // खीणमें खेरुथायरे // 5 // जातिस्मरणपामीयो // म्हांकी // संयमपालेसूघरे / समयसुंदरकहेसाधुने // म्हांकी // चोयाप्रत्येकबु. हो // 6 // इति च्यार प्रत्येकबुद्धसकाय नजगतिराजानी सकाय संपूर्ण // // अथ श्रीजिनकृपाचंद्रसूरिरचित प्रथमकषाय सझाय लिख्यते // क्रोध मकरसो लोलाप्राणियारे / क्रोधश्रीपाये कोमकले. सरे / आधिव्याधिवधे घणीरे / धर्मनोरहेनहिं लवलेसरे // 1 // बहुकाले जे तपजपादरेरे / क्रोधथी खिणमांखेरु थायरे / कुणाला नगरीना मुनिजाणियेरे / क्रोधथी उरगतिमां ते जायरे // 2 // क्षणक्षणमां जे क्रोध करे मुनिरे। पाप श्रमण ते कहिवाय रे। शिष्यनाऊपरक्रोधकरीथयोरे / चमकोशियो कह्यो जिनरायरे // 3 // पोताना आत्मगुणबालेसहिरे / पठे परनोघरबासंतरे / अग्निसमानजाणोतुमे क्रोधनेरे / जेत्यागेते मोटाकहंतरे // 4 // अनंतानुबंध्यादिक चउन्नेदश्रीरे / न लहे दरशनादिसमृधिरे / सूरिकृपाचं कहे धारज्योरे / दमाथीपामे अविचलरिधिरे / इति संपूर्ण //