________________ (31) // अथ द्वितीय कषाय लिख्यते // मानवनवपामी करीजी / विनयकरो निशिदीस / मान महागजटालवाजी / नाखेश्रीजगदीस / चतुरनर मेलो माननीवात / जिमथायें सुखसात / च मे // 1 // मोह महाराजा. तणोजी / मान श्रे अंगजजाण / जातिमदादिक एहनाजी। परि. करजाणोसुजाण // च // मे // 2 // मानतणे वस जेपड्याजी। तेरफड्यासंसार / मानत्यागथी बाहूबलीजी / पायो केवलसार // च० // मे // 3 // विनयश्री विद्या संपजेजी। समकितलहेसुखकार / चारित्र पाली निरमलोजी / पोहचे मुक्तिमकार // च // मे // 4 // रावणराजगमावीयोजी / सुर्योधन मुखलीन / प्रतिविष्णु नरकेगयाजी / माननी संगतिकीन // च०॥ मे॥५॥ विनयमूल जिनधर्मनोजी / नाख्योश्रीजिनराज, सूरिकृपाचंगुणस्तवेजी। विनयजाणो सिरताज // च // मे० // 6 // इति मानसहाय // ॥अथ मायानी सझाय लिख्यते // ॥माया विषवेली विषवेली एतो दे उरगतिमा ठेली / माया विषवेली ॥ए आंकमी ॥मायावेलमीमनमांगी।आर्यव कीलेउखेली // 1 // मायाविण // मायाकायाजगमेंठी, ममतामांहिकहेली // 2 // माया // कपटदपटकरि लोकने धूते / बहूरूपे जरमेलीमाया०॥३॥आषाढजूतिये मायाकी / लही सिवपदनीसेली // माया // // मद्विजिनेश्वरपूरवनवमे, मित्रश्रीमायाकरेली // माया // 5 // स्त्रीतीर्थकरपाम्यातेहथी / उत्तमगुएणगणमेली // माया // 6 // धूतारां बहुमाया करके, धूत बृ०स्त०२१