________________ (362) जगजनहेली // माया // 7 // मायात्यागकरो गुरुसंगे। कृपाचंसुखबरेली // माया० // // इतिमायानीसकाय // // अथ लोभनी सज्झाय लिख्यते // ॥राग नर्तरि // लोजतजो नविप्राणिया, लोने सवगुण जावे, लोनेसुखनहिहूवेकदा, तोकिम निजगुण पावे लो॥१॥ सागरसेठ बहुलोनीयो, नरकगयोनिरधार, मम्मण तिमवहूलाजना, थयाउरगतिनाजरतार // लो० // 2 // सुनुमचक्री साधननणी, लोलपिशाचग्रहाणो, मध्यसमुत्रमा बूमीयो, अयोनरकनोराणो // लो० // 3 // सुखमलोजजिहां लगे, शिवसुखजिलाषा, लोनशत्रुदूरेकरी केवलज्ञान प्रकाशा // लो० // 4 // च्यारनेदलोजनाकह्या, जिणगणधरदेवे, तेहतजी लहेक्रमथकी, निजगुणनेसेवे // लो० // 5 // च्यारकषायनिवारवा, कषायगंजगतपकीजे, कृपाचंसूरि इमनणे, वंचितफललीजे // लोग // 6 // इति लोन सकाय // ॥अथ दीवालीनी सज्झाय लिख्यते // // हारेमारे गमधर्मना साढा पचवीशदेशजो // ए देशी // हारेमारे दीवालीदिनाव्यो सजनीजाणजो / वीरजिनेश्वर अंतिमचनमासीरह्यारे लोय // 1 // हारेमारे पावापुरीमांवसिया त्रिनुवननाथजो / सोलेपहेरलगे देशना दीधी सुखकरेलो० // // हारेमारे पुन्यपालराजापूने सुहणानो अर्थजो / जावी. फलकह्योपंचमारानोसहीरे लो० // 3 // हारेमारे गौतमस्वामीने मुक्या बोधनकाजजो / अमावसनीरजनीये प्रसि. ववर्योरे लो० // 4 // हारेमारे चोसठसुरपतिश्राव्या तत