________________ (265) // ढाल // बेकर जोमि विनवूजीसुण स्वामी शुलदीस ए देशी / हिव नवियण तुमे सांजलोजी, गुरुने नमावो शीस / सामायिक पौषध तणांजी, दूषण टाळो बत्रीश // चाल // बत्री शदूषणवार तनुना मार वेसे पाली अतिअथिराशन // दृष्टिचंचल 3 करे काया एकठी 4 / करे कामसावध 5 / खेउठींगण 6 / बालस 7 करमका मोमए / खणेखाज ए। वीसामणकरावे 10 / संघकरे 11 / मलोमए 12 / // ढाल ॥वचन तणां दूषण दशेजी,जाणो इणप्रकार / कुवचनबोले 1 लोकनेजी, दे दूषण सहसात् कार॥चाल // सहसात कूम कलंकदे 3 वलि आपलंदे बोलए 4 / संदेपसुत्र करे आलायो 5 कलहकरें नीटोलए 6 उपहासकरिने 7 करे वि. कथा मांमी न राखे पदसंपदा ए। श्रावो बैगे उगे एहवि कहे नाषा सर्वदा 10 // ए॥ // ढाल // दश दूषण हिवमनतणाजी, सांजलजो मनएक / न्यून अधिक न लहै क्रियाजी, मनमे नही विवेक 1 // चाल // सुविवेक जसु 2 धन लाल 3 बांछे करे पौषध बीहतो / / पौषध करीने करे नियाणो पुत्र प्रमुखने ईहतो 5 अनीमान 6 रीसे करे पौषध धरे फल संदेहए / वली विनयट विवेक ए (जगति ) लगार न करे 10 मन दूषण दशएहए // 10 // ॥ढाल। काया वचन मन तणाजी,दूषण एह बत्रीस / टाले दूषण तेहनाजी, पौषध विश्वाबीस॥चाल ॥विश्वावीश बोले नहि बलि उघामे मुख आपणे / बुटाग्रहीसुबातनकरे पांच दूषण परिहरे। उपवास करीने दिवस पौषध कीधो नहीं तो निशि