________________ (263) सांक समयउपकरणसहु / पमीलेंहीरे, रूमीपरे राखे बहु / पालिरातेरे, साधुसमीप आवीकरी / राइप्रायश्चित्तरे, प्रथमकरे मनसंवरी / उबालो सम्बरि श्रावककरे पौषधअष्टप्रहरि गुरुमुखे, ऊचरे दमकतीनबेला सामायिक पण तिणरुखे / पळे करे प्रतिक्रमणो आंतरणी साधुवन्दे तिहांकिणे / कर्मजूमी अवयं मङ्गलीक कुलकलणे // 4 // प्रतिलेखनारे अंग ही सगलीकरे / उपास्रयरे, पुंजीकाजोउरे / ईरीयावहीरे, स्थापनाआगे पमीक्कमे, करे स्वाध्यायरे, साधु सहुने पायनमे // // चाल // पायनमे सगलासाधुकेरा, सुणै सुगुरुवखाणए, ध्यानकरे अथवागुणेप्रकरणकहै अर्थसुजाणए / पूणपहरपमिलेहणकरिने मातरोपमिलेहए, जलघमालौटा वाटकापमिलेवा वलितेहए // 5 // गुरुसारे चैत्यप्रवामी करेखरी, देववन्देरे शक्रस्तवपांचेकरी / उपाश्रयरे आवी ईरियापमीकमे, भागमणोरे आलोहीनीचानमे // चाल // नीचानमे बैसाणे बैसे मिबामिछक्कम देहिने। तिविहार होतोपाणियारे मुहपत्तिपमि. लेहिने, नवकार गुणतां पाठ जणतां प्रहरतीजे दिनरहै / पमिकमी रीयावही पहली, बली, बेल प्रतिलेखना करे // 6 // धर्मशालारे पूजी इरियापमिकमे, थे पालोरे स्थापना पमीलेहे. समे, मुहपत्तिरे पमीलेही उत्नोथश, करे गुरुमुखरे, पच्चरकाण. मनगहग // चाल // गहगही आठे देश खमासण वस्त्र सगलां आपणां / पमिलेहवा मात्रा तिणपरी चरवले पूजणतणां / देहनीचिन्ताकाजजातो. करे लगवन आवस्सही। मारगे झरीया समती सोधे श्रावतो कहे नीस्सिही // 7 //