________________ (350) // स० // 7 // बालतरुण नरनारीजंतुनें / नग्न मुगंगहेतु / तिण चोलपटग्रही मुनि उपदिसे / शुधधर्मसंकेत // स // // मंश मशक शीतादि परिसह सहे / न रहे ध्यानसमाधि // कहपादिकनिर्मो हिपणे। धारे मुनिनिर्बाध ॥साए॥लेपत्रलेप नदीना छाननो / कारणदंग्रहंत // दशवकालिक लगवर साखथी / तनुस्थिरताने तंत // स // 10 // लघु सजीव सचित्त रजादिनो, वारण मुःखसंघट्ट // देखी पुंजेरे मुनिवरतेहथी। ए पूरव मुनिवदृ // स // 11 // पुजलखंधग्रहणनिदेपणा / अव्ये जयणातास ॥नावे आत्म परिणतिनवनवी / ग्रहतांसमितिप्रकाश // स 0 ॥१२॥बाधकनावअष पणे तजे। साधक ले गतराग // पूरवगुण रक्षकपोषकपणे, निपजते शिवमार्ग // स० // 13 // संयमश्रेणेरे संचरता मुनि / हरे कर्मकलंक // धरता समतारस एकत्वता / तत्त्वरमणिनिःशंक // स० // 15 // जगजपगारी रे तारकनव्यना। लायकपूर्णानंद // देवचंद एहवा ते मुनिराजना / वंदेपद अरविंद // स० // 15 // इतिचतुर्थश्रादान निदेपणा समिति सकाय सपूर्ण // // अथ पंचम पारिट्ठावणिया समिति सज्झाय लिख्यते // // चेतन चेतजो रे // ए देशी // पंचमीसमिति कहिअति सुंदरु रे, पारिजावणीयानाम // परमअहिंसकधर्मवधारणी / मृकुकरुणापरिणाम / मुनिवर सेवजोरे / समिति सदा सुखदाय / थिरतानावे संयमसोहाय / धरे निर्मलसंवरथाय // मु॥ ए आंकणी // 1 // देहनेहथी चंचलतावधे रे / विकसे मुष्टकषाय // तिण तनुरागध्यानेरमेजी। ज्ञानचरण सुपसाय //