________________ (३४ए) // स // 10 // तत्त्वरुचि तत्त्वाश्रयीजी / तत्त्वरसी निर्गथ // कर्मनदयें आहारताजी / मुनिमानेपलिमंत्र // म० // स // // 11 // लालयकी पण घनलहेजी। अतिनिर्जराकरंत // पाम्ये अणव्यापकपणेजी / निर्मल संतमहंत // म० // स० // // 12 // अणाहारता साधता जी / समताअमृतकंद // नितु श्रमण वाचंयमीजी / तेवंदे देवचंद // म० // स० // 13 // इति तृतीय एषणा समिति सशाय संपूर्ण // // अथ चतुर्थआदाननिक्षेपणासमिति सज्झाय लिख्यते // // नोलिमा हंसारे विषय न राचियें एदेशी ॥समिति चोथी रे / चजगतिवारणी / नाखी श्रीजिनराज // राखी परम अहिंसकमुनिवरे / चाखी ज्ञानसमाज // 1 // सहजसंवेगीरे समतिपरिणमे // ए आंकणी॥ साधनातमकाज ॥आराधनएसंवरनावनो / नवजलतारणजहाज // स० // // अलिलाषी निजातमतत्त्वना / साखीकरि सिद्धांत // नाखी सर्वपरिग्रहसंगने / ध्यानाकाशीरे संत // स० // 3 // संवरपंचतणीएनावना / निरुपाधिक अप्रमाद॥ सर्वपरिग्रहत्याग असंगता। तेहनो ए अपवाद // स० // 4 // शाने मुनिवर उपकरणसं ग्रहे / जेपर लावविरत्त // देहअमोही नवि लोहीकदा / रत्नत्रयीसंपत्त // स० // 5 // नावअहिंसकता कारणलणी / अव्य अहिंसकसाधि // रजोहरण मुखवस्त्रादिकधरे / वरवा योगसमाधि // स // 6 // शिव साधन-रे मूल ते ज्ञान, तेहनो हेतुसशाय // ते आहारे ते बलि पात्रथी / जयणायें ग्रहेवाय