________________ (34) मुनिवंदियें / ज्ञानअमृतरसपीनरे // सा // 15 // इति नापा समिति सकाय // // अथ तृतीय एषणासमिति सझाय लिख्यते // कांजरीया मुनिवर धनधन 0 // ए देशी // समितितीसरी एषणाजी / पांचमाहाव्रतमूल // अनाहारी उत्सर्गनोजी / एअपवादीअमूल // 1 // मनमोहनमुनिवर / समितिसदा चित्तधार // ए आंकणी // चेतनता चेतनतणीजी / नवि पर संगीतेह // तिण परसनमुख नवि करेजी। आतमरतिवती जेह // म० // स // 2 // काययोगपुद्गलग्रहेजी। एह न आतमधर्म // जाणंग करतानोगताजी। हुँ माहरोएमम // म // स० // 3 // अननिसंधिचतवीर्यनोजीरोधक शक्ति अनाव // पणअलिसंधि जे वीर्यश्रीजी / केमग्रहे परलाव // म // स० ॥४॥श्मपरत्यागीसंवरीजी / न ग्रहे पुद्गलखंध // साधक कारण राखवाजी। अशनादिक संबंध // म // स // 5 // आतमतत्त्वअनंतताजी / ज्ञान विना न जपाय // तेहप्रगटकरवानणी जी। श्रुतसद्याय उपाय // म // स० // 6 // तेह देहश्री देहरहेजी / आहारें बलवान // साध्यअधूरे हेतुनेजी। केम तजे गुणवान॥म॥स०॥७॥ तनुअनुयायी वीर्यनोजी। वर्तनअशनसंजोग // वृक्ष्यष्टिसमजाणीनेजी। अशनादिकउपनोग // म० // स // 7 // ज्यां साधकता नवि अमेजी। तो न ग्रहे आहार // बाधकपरिणतिवारवाजी / अशनादिक उपचार // म // स // ए॥ सुमतालीशे व्यनाजी। दोषतजी नीराग // असंत्रांत मूर्नाविनाजी / जमरपरें वमनाग // म०